Uttarakhand की लाइफलाइन GMOU, TGMO और KMOU के इतिहास की कहानी | डांडी कांठी
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- Опубликовано: 4 июл 2023
- उत्तराखंड में बस सेवाएँ भले ही आज दम तोड़ने लगी हों, लेकिन किसी दौर में ये पहाड़ी समाज की धमनियों में अनिवार्य जरूरत की तरह थी. न केवल समाज, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के विस्तार और आंदोलनों को मज़बूती देने में भी इन्हीं बसों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है. तभी तो इन बसों पर तमाम उपमाओं से सुसज्जित दर्जनों लोकगीत बने हैं और कविताएँ रची गई हैं. लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी का वो चर्चित गीत ‘चली भै मोटर चली, सरा रारा प्वां प्वां’ भला कौन भूल पाया होगा. इस एक ही गीत में नेगी जी ने बस के भीतर पूरे उत्तराखंड के समाज को समायोजित कर लिया था.
आज हम आपको इन्हीं ऐतिहासिक बस सेवाओं की एक इतिहास यात्रा पर ले चलेंगे. ये बस सेवाएँ कैसे शुरू हुई और कैसे इसने पूरी आधी सदी तक पहाड़ों में एक गांव से दूसरे गांव के दुख-सुख साझा किए. कभी सीमा पर तैनात बेटे की चिट्ठी को उसकी मां तक पहुंचाकर मुरझाए हुए चेहरे पर ख़ुशियाँ बिखेरी, तो कभी मनी ऑर्डर पहुँचाकर वो बूढ़े बाप की लाठी बन गई. एक ऐसी बस सेवा, जिसने उत्तराखंड आंदोलन की गति बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बग़ावती सुर अपनाते हुए सबसे पहले इन्हीं बसों पर ‘उत्तराखंड सरकार’ लिख कर पृथक राज्य आंदोलन का बिगुल फूंक दिया गया था.
देखिए उत्तराखंड की लाइफ लाइन जीएमओयू (GMOU), टीजीएमओ (TGMO) और केएमयू (KMOU) के इतिहास की कहानी...
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Very true 😂 वो दिन याद आ गए कोटद्वार के. जंगल की खुशबु भी कोटद्वार enter करते ही. और चौर बस भी खास थी. Thanks to all team members for bringing those memories back.
इस अत्यन्त सुन्दर प्रस्तुति के लिये धन्यवाद , आभार । Many many thanks for such a wonderful presentation.
वाह मनमीत भैजी की लेखनी , प्रगति का शानदार अंदाज और बारामासा का टीम वर्क एक साथ मिल जाये तो क्या कहने ❤️
Very good story.
बहुत सुंदर प्रस्तुति. बधाई.
आप ने पुरानी यादें ताजा कर दी हैं क्योंकि मैंने भी बस के 3rd क्लास में यात्रा खूब की हैं. उल्टी कर कर के आधा जान निकल ही जाती थी. गंतव्य पर पहुंचने पर दो दिनों तक सिर घूम रहा होता था.
ऐसी nostalgia पैदा करने वाली यादों हेतु आपको साधुवाद. आभार.
बहुत सुंदर बहन 👌👌👍🙏🙏🙏 जै भारत जै उत्तराखंड जै devbhoomi
मेरी मां बताती थी कि जब उनके बचपन में पहली बार बस कोटद्वार से एकेश्वर आई थी तो बडोली में उनके उम्र की लड़कियां उस जमाने में आरती की थाली लेकर बस की पूजा करने गईं थीं।
हम उत्तराखंडी खंडी अपनी धार्मिक भावनाओं पर रहतें है यहीं तो उत्तराखंड है 👌 👌
Yes bilkul sahi. Ye Aaj bhi hota hai.
Vo bhi cya samay tha .
@@Barabankiwala शानदार दार और आपसी मिलनसार और आगंतुकों के प्रति प्रेम सेवा भाव विलासिता से मुक्त
ये कथा अभी भी जिंदा है
बारहमासा ग्रुप को बहुत बहुत बहुत बहुत धन्यवाद .आप सचमुच में धन्यवाद के अधिकारी हैं ,यह कोई सामान्य कमेंट नहीं है यह एक उत्तराखंडी की दिल की आवाज है ,आप हमें उन्हें पुरानी दिनों में और बचपन की भीगी -भीगी , खट्टी -मीठी यादें दिल देती हो,
मैडम जी मैं भी कभी कभी बस का सफर करता हूँ लेकिन जब कण्डक्टर किराया लेता है तो ऐसा लगता इतना किराया देने से अच्छा हम अपनी गाड़ी में ही सफर करें तो कम से कम समय तो बचेगा । बाकी बारामासा
आपने ऐसा प्रोग्राम बनाया है जिसको देखने के लिए मैं ऑफिस के बीच में समय निकलता हूँ । धन्य है बारामासा ग्रुप ।
वऊ.. प्रगति जी और gmou बस का तो कोई जवाब ही नही.. बहेतरीं प्रोग्राम. कल रात मे आपका सपना आया मुझे और देखो आज आपका प्रोग्राम भी आगया.. 😂😂 कुदरत भी येही चाहती है madam 😜😜 lol
वाह प्रगति जी आपका अंदाज और शैली से यह प्रतीत होता है कि आपने भी उस दौर में इन बसो से सफर किया हो।
Bahut achha laga beti,16 minutes se bhi kam samya me jo aapne apni Madhur awaaz me jo Hamare uttrakhand ki moter marg aur yaatayaat ki purani jaankari dee, sunder Lekhan k liye bhi dhanyawad.Jai Bharat,Jai Dev Bhoomi uttrakhand..
बहुत सुंदर है देवभूमि...
मैं दिल्ली में रहता हूँ, अभी मई में दोस्तों के साथ घंडियाल जाना हुआ. खैरालिंग और डांडा नागराज के दर्शन किये. Tourist spot ना होने के कारण tourists घंडियाल की तरफ कम आते हैं, इसीलिए घंडियाल का area बहुत ही प्यारा है. ना गंदगी ना भीड ना जाम.
अनछुआ सा इतना सुंदर उत्तराखंड ..❤
पुराने दिन याद दिला दिया । बारामासा की पूरी टीम का आभार😊😊😊
वो दिन बहुत याद आते है। जब हम स्कूल जाते थे। सब लोग जाते थे बस मे। सब एक दूसरे को जाते थे, एक साथ बस मे जाना और एक साथ बस मे वापस आना।। वो दिन अब कभी नही आयेंगे 😥
मै १९७१ में तब पांच साल का था। जीएमओयू व केएमओ की बस karanparyag से रामनगर चलती थीं, जो कि आज भी चल रहीं हैं उस मैं मैंने पहली बार अपने गांव के स्टेशन ताल चट्टी से रामनगर से रोहतक हरियाणा का सफर किया था । लास्ट टाइम मैने १९८२ मै इस रूट से घर गया था । अब हम लोग ऋषीकेश से करण प्रयाग के रास्ते घर जाते है पहले समय का सफर बहुत लम्बा और बोरिंग, कठिन होता था ।जो परिवहन की जानकारी आप ने दी हैं बहुत अच्छे ढग से दी हैं उस के लिए धन्यवाद
Aapne us daur ki yaad taza kara di hai. Gaon se bus me baithte hi aankhon me aansu rukte hi nahi the aur kai kai din tak ghar ki yaad(khud) aati rehti thee. Maa, bhai behnon ke liye chitthi likhte samay bhi bahut yaad aur khud lagti thee aur aankhen paani se bhar jaya kerti thee.
Us daur ki yaad dilane ke liye aapka bahut bahut dhanyavaad.
🙏
GMOU and KMOU ❤❤ Dhanyawad Baramasa team.❤
Aapne rula dia sari yade taja kr de aaj bhi jab hmare me evng me daily 6 bje himgiri pahuchti to
Sab kahate 6 bje wali bus aa gye .. tq baramasa grt job
बहुत शानदार प्रस्तुति। बचपन याद आ गया।
यूँ ही ये बसें प्रगति करें।
बहुत सुंदर सच में पुरा बचपन याद आ गया जो बसों में हम ने भी यात्रा की थी बचपन में
Top notch , story telling
Keep going baramasa team ♥️
रोचक जानकारी । कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन की बस जो चलती थी प्रारंभिक दौर में उसमें अपर और लोअर क्लास होता था । अलमोड़ा से हल्द्वानी / नैनीताल जाते आते समय गरम् पानी मुख्य पढ़ाव होता था , जो आज वीरान सा हो गया है , हो जहां लोग रायता आलू और पकौड़े का आनंद लेते थे
आजकल भी खाते है
Bahut sunder information hai aapne sahi kaha jai uttarakhand 🙏💐💐😊😊
वाह शानादर।वैसे कालांतर में इनके साथ साथ उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में रोडवेज की बसों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।उसका भी उल्लेख होता तो और भी स्मृतियां ताज़ा हो जाती।मनमीत भाई और प्रगति सहित पूरी टीम को बधाई।
उत्तराखंड में मोटर संचालन की अच्छी जानकारी प्रस्तुत की गई बारामासा टीम को साधुवाद।
इतनी अच्छी जानकारी के लिए thankयू
Very good job. Bachpan ki yadein taja ho gayi.
Absolutely bachpan ki dhundhli yaadein....❤
दंडयो में बस को आता देख एक उम्मीद जगती थी, शायद कोई इनके अंदर हमारे गांव के लिए आ रहा हो। आज उम्मीद के साथ बस भी दम तोड़ रही है।
Baramasa is presenting decent topics with good analysis. Long way to go.
बिलकुल सही कहा भैजी❤😢
बहुत सुंदर वर्णन है और वाचन या नरेशन बहुत सुंदर है । लगता है जैसे कोई दक्ष ऐंकर समाचार पढ रहा हो । हमारी आयु के लोगों को अपनी जवानी और बचपन की याद जरूर आयी होगी ।शिवप्रसाद डबराल जी को देखने का अवसर अच्छा लगा । मै इनसे मिल चुका हूं ।
बारहमासा टीम को सादर अभिवादन मैं आपकी हर वीडियो को बहुत ही शिक्षाप्रद और ज्ञान प्रति विषय वस्तु लेकर आते हैं मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि लाल कुआं के बिंदुखट्टा क्षेत्र का भी भ्रमण करें और यहां की समस्याओं पर भी कोई डॉक्यूमेंट्री सेंचुरी पेपर मिल के प्रदूषण से हो रही मौतों पर विस्तृत डॉक्यूमेंट्री बनाने हेतु हम सहयोग करने को तत्पर हैं
Thank u Pragati... Thank u Baramasa... 🙏🏻
Bahut badiya... Video dekh kr shaanti se mil gyi
मनमीत जी आपका कार्य हम जैसे उम्रदराज लोगों को भी आप युवाशक्ति के समक्ष नतमस्तक होने को प्रेरित करता है। हजारोंबार सलाम आपको।
उत्तराखंड परिवहन का इतिहास की अत्यंत सराहनीय जानकारी ।
प्रगति बेटे विषयवस्तु के साथ ही आपकी प्रस्तुति भी बहुत ही शानदार है, आपका आत्मविश्वास प्रसंशनीय है l
धन्यवाद
बचपन की केमू बस मैं सवारी की यादें तो बहुत है
लेकिन!
सबसे ज्यादा उल्टियां ही याद आती हैं 😊
Superb historical piece. Loved the visualisation backed by good researched... Thank you.
Great, thanks you
बहुत सुंदर व महत्वपूर्ण जानकारी मिली आपके इस कार्यक्रम से
धन्यवाद
बहुत शानदार जानकारी जी ( अनिल रावत )
मे आज भी गांव जाने के लिए बस को ही प्राथमिकता देता हूं 😊❤
another awesome documentary story ...bachpan ki yaadein
अति सुन्दर रोचक सजीव वर्णन।
Yad dila de bachpan ki
बहुत शानदार प्रस्तुति । 👍👍
Love to watch your story telling ❤️
वाह पुरानी याद ताजा हो गई ।।धन्यवाद प्रगति जी
बारामासा की टीम थैं हार्दिक शुभकामना॥
अपडी माटी,अपडी बोली और अपडी भाषा कु सम्मान करा ॥
सीधू मोदीलैंड(अहमदाबाद) बटी
Beautifully narrated. Dhanyavad
1966-67 से लगभग 1970 तक मैं गर्मियों की छुट्टी हमेशा अपने नाना जी नानी जी यानी ननिहाल/ मामाकोट बडोली में ही व्यतीत करता था। मेरे बड़े मामा जी देहरादून से कोटद्वार होकर बडोली जाया करते थे जहां से मैं उनके साथ लटक जाता था। उस समय GMOU का टिकट 1st. क्लास का मामा जी पहली शाम को ही ले लेते थे। शायद सुबह 7 बजे बस चलती थी। हैं दोनों सामान के साथ निकल पड़ते थे। करीब 3-4 बजे पहुंच जाते थे। नाना जी नानी जी सुबह से ही हमारा इंतजार कर रहे होते थे। फिर हाथ मुंह धोकर नानी के हाथ की भरी रोटी - घर की गायों का घी, दाल भात । आहा उमर के इस पड़ाव में भी वो स्वाद नहीं भूलता। गांव के कुछ और हम उम्र लड़के नीचे नयार में नहाने जाते थे। 50-52 साल भी नहीं भुला हूं।❤❤❤
जानकारी हेतु धन्यवाद
Bahut achi information h . Aisi jankari her uttarakhandi ko honi chahiye . Hamre purvajo ne pahad pr khet ,rasty ,ghar banaye aaj hm log unko chodkr city m bhag re . Palayanon ko roko plzz
बहुत सुंदर यादगार की प्रस्तुति।
Very beautifully you have described our past Regards
Uttarakhand mein Trip ka Maza Toh Bus mein hi aata hai.❤
❤❤ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति प्रणाम ❤❤
Adbhut jankari Ji bhut badiya very nice 🙏👍❤
बहुत सुंदर प्रस्तुति और संकलन के लिए पूरी बारामास की टीम बधाई की पात्र
Very nice info keep it up
Jai ma bhagwati
Jai uttarakhand
Mai baramasa channel ka fan hun
Uttarakhand ko or iske culture ko aap jis tareeke se baatate ho wo bahut acha tareeka hai ek kahani ke jaise baato ko sunne ka alag he maza hai
Aapki jitni tareef hi wo kam hai
बहुत सुंदर मैंने भी बस में नौकरी कर रखीं हैं आज आपने मेरी पिछली यादें ताजा कर दी है आपका बहुत बहुत धन्यवाद जय हिन्द जय भारत माता जय उत्तराखंड जय हो जी एम ओ लि०
Hum jesi nayi generation ko isse bhut kuch history ka pta lgta hai. Thank You Baramasa❤
Bahut badiya .. ati Sundar
बहुत अच्छा... आपने आदर्श बस सेवा के बारे मै नहीं बताया....
Dil khoosh ho gaya ❤ thanks
ATI Sundar prastuti prashansniy Ujjwal bhavishya ki bahut bahut shubhkamnaye
Great Presentation and rare informations
Very nice
Excellent presentation 👏
Gmou but my uncle was upsrtc driver at that time basically gmou busses r very lazy wrt to upsrtc
एक खूबसूरत आख्यान, जियो बारामसा,
बहुत सुंदर प्रस्तुती 🌸🤘
एक छोटी सी गलती, 1942 में गाँधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया था।
10:07 Chaudhary Raja Ram- My mother’s Grandfather.
Thanks Baramasa for this video.
Nice information
बेहतरीन प्रस्तुति
आपके कार्यक्रम के माध्यम सेजिंदगी की वह तमाम चीजें याद आ गईजो हमने अपने जीवन में देखा हैबहुत ही सुंदर
Bahut hi achha ❤
Esi purani uttarakhand se judi hui stories se ankho me aanshu aa gye ❤ bahut achhi story bahut achhe se aapna explain kiya ❤
अति सुंदर, मन को छूने वाली जानकारी
बहुत जबरदस्त जानकारी दी आपने और आपके अनुभव तथा संवाद एकदम ज़मीन से जुड़े हुए हैं।
Thanks Baramasa team for your great efforts towards this topic.
Adbhud lekhni ❤
Waah bahut khoob isi trha ke or bhi episodes jarur laate rahe.
Congratulations team Baramasha.
Bahut badhiya 👏👏👏
Bhout sundar ❤❤❤
I am not from the UK but I can definitely relate as I used to travel back to my hometown in Kolhapur from Bangalore, seeing this video nostalgia hit me back.
Aapke new episode ka intzaar rahta hain
बहुत बढ़िया लेख है, पुरानी याद ताजा हो गई
बढ़िया प्रस्तुति प्रगति ।
आप हमेशा आगे बढ़ें 👍👍
महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए साधुवाद। लाल झंडी और हरी झंडी वाला गेट सिस्टम (ट्रैफिक ब्यवस्था), सिंगल लेन से डबल लेन, बिना मुंह वाली गाड़ियों का सफर जैसी अनेकों विषय जोड़ कर एशिया की सबसे बड़ी को ऑपरेटिव जी एम ओ यू बस एस सर्विस का संघर्ष और गरिमामय इतिहास को और अधिक रोचक बनाया जा सकता है।
पहले तो मैं आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं
कि आप ने मेरा बचपन याद दिला दिया ❤️
मुझे आज भी याद है वो दिन जब हमारे यहां नहीं बस सेवा शुरू हुई तो हम बस में बैठने के बहाने
बहुत रोचक व gyanvardhak
आपने बहुत अच्छे से भाषा का और शब्दों का तानाबाना बुनकर जो शुरुआत की वो बहुत ही सराहनीय और बहुत ही अच्छी लगी❤
अति उत्तम.....🙏
बहुत अच्छा विश्लेषण
Bahut sundar ji
सराहनीय, जानकारी के लिए आभार 😊😊
Very well presented, I appreciate it.
Bahut bdiya❤❤❤
Bahut lajawab purane din yaad aa gye
आप का कार्यक्रम बहुत ही अच्छा लगा अभी भी कुछ स्टेट ऐसे हैं जहां पर जानवर बस सेवा खातिर चलती है जैसे वेस्ट बंगाल के कुछ जिले जहां पर लोग अभी भी टाइम का अंदाजा बस के आने से लगाते लेकिन परिवर्तन इतना ही है कि अभी बस स्टैंड पर टाइमिंग बोर्ड लगा हुआ होता है बहुत ही बेहतरीन कार्यक्रम जो पुराने लोगों को अपनी बचपन की यादों में ले गया धन्यवाद
बहुत सुंदर विषय पर बहुत सुंदर प्रस्तुति