मैं हिमाचल का पहाड़ी हूँ और अपने सीमित ज्ञान से यह बता सकता हुँ कि पहाडियों में जाति को लेकर उतना मनमुटाव नहीं है जितना समतल राज्यो में होता है । उतनी प्रताडना या भेद भाव भी नहीं है । हमारे यहाँ दहेज प्रथा जैसी कुरिती भी नहीं है । देव भूमि उत्तराखंड और हिमाचल की जय ॥ यही कारण है की 800 साल के मुगल राज में वे पहाड़ों पर विजय प्राप्त ना कर सके । पर अब उन्होंने अपनी योजना बदल दी है और दूसरे रास्ते से पहाड़ों पर विजय प्राप्त करना चाह रहे हैं जिसमें वे सफल भी हो रहे हैं वर्तमान के पहाडियों की नीरसता के कारण ।
कृपया " सकता हुँ " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "सकता हूँ " लिखें, कृपया " पहाडियों " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "पहाड़ियों " लिखें, कृपया " समतल राज्यो " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "समतल राज्यों " लिखें, कृपया " प्रताडना " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके " प्रताड़ना " लिखें, कृपया " कुरिती " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "कुरीति " लिखें, कृपया " सकता हुँ " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "सकता हूँ " लिखें, हमें आपकी कमियां निकलने का मौका न दीजिये, -- आपने ये गलत लिखा है कि पहाड़ियों में जाति को लेकर मन-मुटाव नहीं है, बल्कि गढ़वाल, कुमाऊँ में जाति आधारित सामाजिक भेदभाव, अब भी मौजूद है, जिसे मैंने खुद, अपने स्कूली जीवन में झेला है, और दिल्ली में, मेरे subordinates, आपस में बात करते समय, मेरे बारे में जाति आधारित ताने मारते थे. मेरे ऑफिसर मुझ से मन ही मन भेदभाव करते थे. धन्यवाद.
बारामासा हाई लैडर की सम्पूर्ण टीम को बहुत बहुत साधुवाद।इतिहास की स्टीक जानकारी आपके कार्यकर्मो से मिलती है आशा है भविष्य मे भी इतिहास का यही स्तर बना रहेगा।
88 years and 7 monthes back I was born in Chopra, a small town near Pauri. My father was a teacher at Messmore Inter College and before that my grandfather was. I stayed in Pauri till I was 18. By that time a road was built and bus traffic started. For one perspective it was a backward place. But to me it was like heaven. Now I live in Canada. But I still miss the Garhwal. Victor Banerjee has made a film, Dve Bhumi. Which is very nice. I knew Victor well and he mentioned to me when he was thinking of making the movie. During my days, it was pure nature, untouched by the poluting environment of the planes. It was DEVBHUMI in the real sense. The late Mr. Doval also studied at Messmore. But Change the rule of Nature and Garhwal is changing also. But those beautiful and heavely memories are there, till I depart from this world..
I m also from Pauri.... My father also studied in Messmore....he is no longer in this world... Would love to know more about you and your stories from this place and how life changed in foreign country..... We can get in touch if you'd like.... Waiting for your response
मेरे हिसाब से भू क़ानून लाने का एक मात्र उपाये ये है की आने वाले सभी चुनाव में आपके क्षेत्र से खड़े उम्मीदवार को ये बोल कर अपना मत दे की अगर वह जीत ता है तो वह अपनी सरकार पर या बनने वाली सरकार पर दवाब डाले गा । यह कथन एक पत्र पर लीख कर दे या तो वह पत्र उसका लेटर हड हो या फिर स्थानीय न्यालय से लाया गया हो । इस से उस पर अधिक तवाब बने गा । इस से उसके वादा पुरा ना करने पर कार्यवाही हो सकताी हा ।
@@premramarya7133😂😂😂😂😂 accha toh Tera budh shiv se pehle ho gya . Wah phir tera budh mara kaise . 😂😂😂😂 mare hue murde ko poojna budh ka kaam hai abh tu kahega Kailash bhi budh ka hai budh rehta hai wahan Jo mar gya 😂😂😂😂😂
सबसे बड़ी सच्चाई ये है की उत्तराखंड में इस्लाम का नामो निशान नहीं था आज यहां इनकी आबादी बहुत बढ़ रही है। अब तो दूर दराज के गावों में तक मुसलमान बस चुके है जोकि बहुत ही चिंता का विषय है और शासन प्रशासन पर सवाल भी।
अपने 7 पीढ़ियों को याद करो पता चलेगा कि पहाड़ी का हर रास्ता, खेत, पत्थर उनका ही तराशा हैं। 1980 तक लोग जनजातीय जीवन जीते थे, बिना पैसा के और बिना सरकार के, साल के आधे मैने, डंगरों के साथ दूर जंगल में पहाड़ियों की चोटी में। जिनके देवता हैं यहां के निवासी वही मूल हैं यहां के नंदा, राजजात और केदार की डोली ही उत्तराखंड की मूल पहचान। यहां पिछली पीढ़ी तक हर आदमी, कटोर मेहनत से ही जीवित रह सकता था। अति पिछड़ा होने के बाद भी और मूल जनजातीय ससकृति भाषा होने के बाद भी पिछड़ा कहलाना स्वीकार नहीं किया भले झाड़ू पोछा, साफ सही करते हो। आज भी पहाड़ों में बुनियादी जरूरतें नही हैं। 70% लोग पलायन कर गए पढ़ने के लिए। आज हराम की पैदाइश बाहर से आने के बाद मूल निवास ढूंढ रही हैं। यहां के हर पर्वत, हर गांव में अनेक देवता, कुल देवता सदियों से हैं, वही इसका प्रमाण हैं। असुर की राजनीति नही चलेगी।
Ye भीमते ahir kurmi साले जहा कमजोर रहते है वहा हिंदू एकता की बात करते है । बिहार में ठाकुरों को जीने नही देते। बहुत परेशान किया गया। हर जगह कॉलेज स्कूल सरकार में ठाकुरों को गाली दिया जाता है मारा जाता है
@@Saurabhshahartbhed bhaw khtm ho hi nhi skta...jinke sath bhedbhaw hota hai wahi iske jimmedar hain ...Jo log jatigat hinbhawna se pidit ho....koi dusra bhedbhaw kese Mita skta hai...kabhi apni jati pe garv kiya? Apni jati ko best mana?
Meri ek friend h sc. Se .uski job lagi h. Ek gaou me thichar h. Usko waha ke logo me kisi ne room hi ni diya rant pe ..😢mujhe khud acha ni lga ..sab insaan hi h. Ye baat logo ko pta ni kab samjh aayegi ..
मित्रों उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर, नृत्य, लोकगीत, और भाषाएँ हमारी पहचान और परंपराओं की अद्वितीय छवि हैं। यह सांस्कृतिक परंपराएं न केवल हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं, बल्कि हमें एक सामूहिक समाज के रूप में एकजुट भी रखती हैं। गढ़वाली और कुमाऊँनी लोकनृत्य, जैसे कि जागर, पांडव नृत्य, और वीर योद्धाओं के रणभूत नृत्य, हमारे इतिहास और लोक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें निहित मूल्य, त्यौहार, धार्मिक मान्यताएं और रीति-रिवाज हमें हमारे पूर्वजों की समृद्ध विरासत से जोड़े रखते हैं। आज के दौर में, जहां आधुनिकता के प्रभाव में लोग अपनी मूल भाषाओं और परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं, हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने की जरूरत है। हमारी लोकभाषाएँ, जैसे कि गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी, भी हमारे अस्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है कि इनमें बातचीत करने वाले लोग घटते जा रहे हैं। नई पीढ़ी का हिंदी और अंग्रेजी की ओर झुकाव बढ़ रहा है,इसका तात्पर्य यह भी नहीं कि हमें इंगलिश और हिंदी से दूरी बनानी है। लेकिन इसे पूर्ण रूप से धारण जिससे हमारी लोक भाषाओं का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। सभी समुदायों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि हम अपने-अपने लोक भाषा, कला, नृत्य, और परंपराओं को बचा सकें। इस दिशा में स्थानीय सांस्कृतिक उत्सवों, नृत्य कार्यक्रमों और भाषा शिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन मददगार साबित हो सकता है। जब हम इन परंपराओं में सहभागिता करेंगे, तो हमारी युवा पीढ़ी भी इनसे जुड़ी रहेगी। हमारी संस्कृति को बचाने के साथ-साथ हमें अन्य समुदायों की सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान करना भी सीखना चाहिए। हर संस्कृति की अपनी अलग पहचान और महत्व है, और हमें इन विविधताओं को स्वीकार कर एक-दूसरे का आदर करना चाहिए। इससे आपसी सामंजस्य बढ़ेगा और एक सकारात्मक समाज का निर्माण होगा। दूसरे समुदायों की परंपराओं और मान्यताओं को समझने से हम एक समृद्ध समाज बना सकते हैं, जहाँ सबकी पहचान को सम्मान मिलता है। हमारी यह सांस्कृतिक विरासत एक अमूल्य धरोहर है, जिसे हमें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है। अपनी संस्कृति का महत्व समझाने और उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए हमें अपनी पीढ़ी को जागरूक करना होगा। जब हमारे बच्चे अपनी संस्कृति की महत्ता को समझेंगे और इसे गर्व से अपनाएंगे, तभी यह धरोहर सुरक्षित रह सकेगी। यही नहीं, वे अन्य संस्कृतियों को भी उतना ही महत्व देंगे और उनसे सीखते हुए उन्हें सम्मानित करेंगे। उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर हम सभी के लिए गर्व का विषय है। इसे सहेजना और अगली पीढ़ी को सौंपना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। इस विरासत को बचाने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा, अपनी भाषाओं और परंपराओं का सम्मान करना होगा, और दूसरी संस्कृतियों का भी महत्व समझना होगा। जब हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को सजीव रखेंगे, तभी हमारा इतिहास और हमारी पहचान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
बहुत अच्छी जानकारी , यद्यपि कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता की उत्तराखंड मे जातिगत भेदभाव भीषण और भयावह है परन्तु मुझे लगता है यह प्रभाव स्थानीय ही है , मसलन आप अगर किसी और शहर या राज्य मे अपनी जाती की श्रेठता प्रचारित करेंगे तो ये प्रभावी नहीं है (हो सकता है वहाँ उपलब्ध जातियो से समानता बताए ), मसलन आप कह सकते है की मे राजपूत हु या ठाकुर हु आदि आदि पर फिर भी वो लोग अपने स्थानीय पैमाने से ही आपके तर्क का मूल्यांकन करेंगे | उसी तरह आप श्रीलंका मे या पेरिस मे अपनी जातिगत श्रेठता प्रचारित करेंगे तो उनको आपके कहने का मतलब भी समझ नहीं आएगा | किसी भी बस , ट्रेन, हवाईजहाज मे आप अपनी श्रेठता से खिड़की वाली सीट नहीं ले सकते :) , सभी को एक सा ही स्कूल मिलेगा और एक सा ही कॉलेज एक सा ही प्रश्न पत्र | मोटी बात ये श्रेठता बस उत्तराखंड के सुदूर गाँव तक ही सीमित है और उत्तरखंडीओ के जनसमूहो मे जो अलग अलग शहरो मे रहते है ,प्रचलित है | हर व्यक्ति को गर्व करने के लिए कुछ चाहिए मसलन खूबसूरत शरीर , गोरा रंग , अच्छी सैलरी , बढ़िया कार , सुंदर गर्लफ्रेंड आदि आदि और जातिगत श्रेठता भी :) कुछ आप मेहनत से और पैसों से मिल जाता है और कुछ भगवान देता है अब सब खूबसूरत तो नहीं हो और सभी छह फीट के नहीं हो सकते और सभी 25 लाख की टाटा हैरीर नहीं रख सकते और सभी ब्राह्मण नहीं पैदा हो सकते , जिसके पास जो है उसी से काम चलाता है और अपने आप को , अपने दिमाग को , अपनी कार को अपनी जाती को सबसे अच्छा और ऊंचा मानता है | तथ्य ये है की वर्तमान तथाकथित निचली जातियो के प्रति घोर घृणा, विध्वेश और नफरत ने उत्तराखंड को सामाजिक और आर्थिक क्षति ही नहीं पहुंचाई वरन हिन्दू धर्म को भी चोट पहुचा रही है | मिशनरी अब दूर दराज गाँव मे भी अब अपनी पैठ बना रहे है और धीरे-धीरे तथाकथित निचली जातियो को अन्याय का वास्ता दे कर धर्म परिवर्तन करवा रहे है | जल्द ही अगर समाज मे बदलाव नहीं आया तो नॉर्थ ईस्ट की तरह उत्तराखंड भी ईसाई धर्म बहुल होने वाला है | पौड़ी , श्रीनगर मे अब बाज़ार जुम्मे के दिन बंद रहते है कियों ? ऐसा न हो की सब जाती जाती खेलते रहें और उत्तराखंड बर्बाद हो जाए | मणिपुर हिसा से कोई सबक लेना चाहिए
सबसे पहले उत्तराखंड मानवता और देवभूमि उत्तराखंड में जन्म लेने की अद्भुत अनुभूति शेष सब निरर्थक झूठा दम्भ वास्तविकता में जीवन जीने का प्रयास कीजिए कपोल कल्पना मृग मरीचिका में रहने से कुछ भी लाभ नहीं होगा
बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी ईतिहास कारों का जो हमें और आने वाली पीड़ी को अपने ईतिहास के बारे में जानकारी हासिल करा रहे हो । आजके समाज में हर व्यक्ति इस जानकारी को नहीं समझ पाता है 🙏💐।आने वाली पीड़ी तो सायद ईतिहास को ठुकरा ही देगी ,कयों कि यह समय की चाल बता रही है ।एक बार पुनः धन्यवाद आपका जानकारी हासिल करने के लिए🙏🌱💐🌱🙏।
कृपया मेरी बात को अन्यथा ना लें परन्तु उत्तराखंड के इतिहास पर लिखी अधिकांश पुस्तकों के कुछ तथ्य पर बहुत से लोगों को शंशय है , और इतिहासकारों की जानकारी भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती। किन्तु बारामासा की सम्पूर्ण टीम को आपके प्रयासो के लिए साधुवाद 🙏
हिमवत खण्ड मे कश्मिर से लेके नेपाल तक जातिय बर्णन खस है जो पहले बौद्ध थे।। हम आर्य नहि है बाद मे ब्राह्मण लोगो हिन्दुतब का पाठ सिकाके हिन्दु बनाया है।।
@@ranveerkhati2005जी कुमायूँ के फलदाकोट के राजा थे खाती गुसाईं जो कालांतर में सिलोर घाटी में बस गए थे, वहीं से गढ़वाल के जूनियागढ व साबली पट्टी व गढ़वाल के अन्य स्थानों में बसे।
जाति,, उप-जाति,,और ऐसी विशेष वर्ण व्यवस्था के कारण ही आज लोगों में मतभेद व्याप्त हुए हैं 🙏 जबकि हिन्दू धर्म में आपस में लोगों को बांटने का काम करता था,एक धार्मिक विवाद पैदा करने वाले आज भी अपने षडयंत्र में शामिल हैं 🙏 बहरहाल 😘 बारामासा की जानकारियां रोचकता से भरपूर होती हैं👍
हिमाचल में जातिप्रथा खत्म ही हो रही थी तब तक मंडल कमंडल आ गया और फिर से हवा फूंक दी गई । फिर भी भारत वर्ष के अन्य कई राज्यों की अपेक्षा न के बराबर है। मगर राजनीति उसे बढ़ावा देती है। और आम जनता का जनजीवन में आपसी कटुता पैदा करने में बहुत बड़ा किरदार निभाती है। जय हिमाचल जय उत्तराखंड। जय भारत।।
क्या आपके राज्य में आपकी रिश्तेदारी में कोली समाज में शादी होती है या हुई है वो भी बिना किसी विरोध के ?? ये प्रश्न मैने इसलिए पूछा है क्योंकि कोली समाज की काफी संख्या है हिमाचल में।।
उत्तराखंड के मूल निवासी यहाँ के वो लोग है जिनका हमेशा से शोषण हुआ है, पढ़े लिखे व्यक्तियों को इसकी पूरी जानकारी है जो विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं,
Plz make a detailed video on Schedule Caste in Uttarakhand.... From where they came?? how they were treated in old days & how many types of caste in Schedule category.
Excellent insight into caste /Jaati divisions of Uttarakhand. Agar 21vi sadi me tarakki karni hai toh jaativaad ko mitaana hoga aur sab ko Uttarakhandi ban-na hoga.
Absolutely. Believe it or not it’s all man made things. Logic dictates that its has been economic supremacy that led to division among masses which ultimately divided masses into typical mind set of self destruction and society as whole. One feels false superiority over others which is circulating even today. Man is biological product and by creating any amount of wordy wonderment supremacy over others cannot be justified. Your dictum is worth appreciable.
@@sairistere jaise murkh insano ki wajah se sawarn jati k logo ka sar nicha ho jata he jb b jaati ki baat ati he. Apni mansikta sudhar le mere dost wrna ek din tum jaiso ko laat maar kr wahi bhej Diya jayega jaha se tum bahari log aye ho.
वामपंथी इतिहासकार जब मूलनिवासी की बात करते हैं तब वे धार्मिक या पौराणिक इतिहास का सहारा लेते हैं और अपने ओपिनियन को इतिहास बताने लगते हैं और इतिहास को वहा से सुरु करते हैं जहा किसी उच्च जाति का बाहर से आने का प्रमाण हो ऐसा करते हुऐ इन्हे मैक्समुलर तो याद रहता है पर डार्विन को भूल जाते हैं।
राजपूत को हिंदू बना खूब लूटा गया है। पूरे राजस्थान यूपी बिहार में हमारी जमीन छीन ली गई। बिहार में ओबीसी दलितों ने ठाकुरों को मारा भी। चैन से जीने नही देते बिहार में। नौकरी पे अहीर कुर्मी दलित ने 75% आरक्षण खा लिया । मैं तो हिंदू नही मानता अब अपने को बस राजपूत मानता हु
Iam from Pauri Garhwal. My paternal family studied from messmore ,till 25 yrs I lived in pauri , now iam living in Mumbai, my soul always calls uttarakhand .this channel gives me info about my place . I always think of doing something great for my place , I will definitely do it in future . Thankyou Baramasa channel
जो उत्तराखंड के मूलनिवासी हैं उनके बारे में तो कुछ रिसर्च नि की आपकी टीम ने पूरे वीडियो में बाहर से आई जातियों के बारे में बताया । जिन्होंने यहां जातिवाद लाया। यहां के मूलनिवासियों पर भी वीडियो बनाओ ।
विश्वकर्मा जाति जो टिहरी गढ़वाल जौनपुर मैं है जो की वंशज राजस्थान से आए हुए शिल्पकार राज मिस्त्री धीमान डॉक्टर एस एल विश्वकर्मा जिन्होंने इस अपनी जाति को कायम रखा जोकि ग्राम सोडी के निवासी है आप पूरा इतिहास बन चुका है
आपका बारामास कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा किन्तु आपके विश्लेषण में दलित समुदाय की जातियों का विवरण महज खानापूर्ति कर प्रस्तुत किया गया है। कृपया इनका इतिहास भी खोजा जाय । धन्यवाद।
सिस्टर, मेरा गोत्र या जाति हटवाल है़। मैं बाल्मीकि जाति से हूँ।मेरे पूर्वज शादी ब्याह में फेरे भी कराते थे तथा अन्य कार्य भी करते थे। मेरे दादा जी अनपढ़ थे लेकिन संस्कृत में फेरे कराते थे तथा जनेऊ भी धारण करते थे। फिर हम बाल्मीकि जाति में कैसे आए होंगे। कुछ इतिहास के माध्यम से प्रकाश डालने का कष्ट करें। Thanks
जाति इन्सान की विवेक की वो कुप्रथा है जिसका कोई इलाज नहीं है। मुझे गर्व है कि मैंने गढ़वाल की सबसे निम्न स्तर की डोम जाति (जाति प्रथा के आधार पर) में जन्म लिया । ईस RUclips के माध्यम से एक जवाब में उन उच्च जाति (जाति प्रथा के आधार पर) के बुद्धिजीवियों से जरूर जानना चाहूंगा क्यों आप हमें नीच व घृणित मानते हैं? यह सवाल मेरी जिज्ञासा है।
भाई आपका कोई अपना अगर ऊंचे पद पर चला जाए वोही आपको नही पहचानेगा । जाति से नही वो आपको पैसे से नीच समझेगा आगया न भेद उस वक्त जिस समूह ने जितनी estregal kiya अनको ऊंचा पद मिला आप ध्यान से सुनो खाना बनाने की बात जो राजा का खाना बनाता था उनको कितना गर्व था समाज भी उन्हें अलग नजर से देखता होगा । आप मोदी के घर पर काम करने चले जाओ तो क्या होगा कई लोग आपके आगे पीछे घूमने लगेंगे
जाति किसी ने बनाई नही बस बन गई ये हर जगह है आप कल एस आई बन जाओ पंडीत भी आपके पैर दबायेगा हो गया बराबर ऊंच नीच हार छेत्र में है छोटी जात वाले भी अपने से नीचे वाले को छोटा बोलते हैं अब जाति वाद खत्म हो गया सिर्फ है Village me रह गया में तो बिलकुल भी नही मानता हम सब साथ मिलकर खाना खाते और दारू पीते हैं
All pahadi should unite and kick out district haridwar and us nagar .in future these two district alone contains more than 27 seat we need to kick these bjp and congress too from vidhansabha they are selling uttrakhand
@@ThechauhanacademyTrue bhai pura uttarakhand agar pahadiyo k liye banana h to haridwar aur us nagar ko hatana hi padega koi choice nhi Sab to waha bahar k log h Ab to bahar k log nanital district tak aa gye
@@RajendraKumar-ux9ct Bilkul bhai agar ham Pahadi log kam ho gye to manipur wali situation hogi hi hogi 😶😶 Waise sab pahadi milke regional party ukd ko leke aaye to shayad Wo bhoo kanon le aye
गढ़ेवाल जाति के इतिहास के बारे में भी बताइए जो पूरे भारत में अलग अलग राज्यों में बसी हुई है ज्यादातर गुजरात के अहमदाबाद और महाराष्ट्र के नागपुर जिले में बसी हुई है
उत्तराखंड में अनुसूचित जाति कहा से आऐ, और उनका मूल काम काज क्या था और उनकी मूल कोन कोन सी जाति थी और आज वर्तमान मे अनुसूचति जाति क्या वगीकरण हुआ विस्तार से उलेख करें ! धन्यवाद!
Me non garhwali hu but mere husband garhwal se hai ye baat sach hai ki waha garhwal ki gaon me jati dekhkar baat hoti hai but agar aap city me aa jao Dehradun, Rishikesh, Haridwar waha ke educated log bhi aapki jati puch hi lete hai. Bahot Kum hai log Jo inn chizo ko thoda lightly lete hai. Aur me isliye ye bata sak Rahi hu kyuki mere husband Pandit hai aur me unchi cast se belong nahi karti. Meri jati ki wajah se log mere husband ko aaj bhi tana dete hai aur han main yaha educated logo ko bhi shamil karungi. Bhale I'm well educated, I'm working, background bhi accha hai but wo log mujhe meri jati ke nazariye se dekhte hai. Aur jo Devta aane ki jo pratha hai waha, jinn logo ko devta aate hai ya Jo kuch log natak karte hai unko jati se bahot badi problem hoti hai. Wo aapko mandiro me entry Tak nahi dete. Main puchti hu, agar itni problem hai bhagwan ko jati se to dom jati (schedule cast) ke logo se hi kyu tum log dhol-damavu bajvate ho, kyu tab devta prakat hote hai..? Pandit, rajput bajaye dhol tab kare bhagwan ko prakat. Ye sab apni dukan chalane ke liye karte hai. Isliye kehti hu, shikshit bano, bhagwan par bharosa rakho, samay sabka aata hai, sabke karmo ka hisab hota hai. Aaj pandit ho kya pata dusre Janam me, aap bhi Dom ban jao
@@CucaTourpar sabse jyada tum logo ki behene hi bhag jaa rhi he muslim or desiyon ke sath 😂😂😂 mene itne ladkiya dekh li pandit ki or rawat wagreh inki ladkiya bahar walo ke sath bhag jaati he
@@CucaTourOho itna gud looking h to apki pic lga na... Hadd h tujh jaise logo k lie... Pehli baat to ye ki brahman ya rajput ka good looking se koi mtlb nhi h... Dusra good looking se imp bimari na hona hota h.. wo dekh k shadi honi chahiye... Bhgwan kare tujh jaise pandit mile but dikhne me aisi ki Tera khud ka mnn na ho dekhne ka.. tb jaati hi khana .
@@CucaTour mt kar... Mujhe kya... Tere jaise naam pucha k m na msg nhi karti... Jo mehnat ka kaam krega gareeb hoga ho aur koi dikhne me kaala average hoga .. jo Aram ka kaam krega bde Ghar ka hoga wo Sundar fact yehi h... Baaki tu sundr hota to apni dp lgata waise v 🤣🤣🤣🤣
बिल्कुल सही बात है जात पात मत करो, Uttrakhand मे u. K. D. सरकार लाओ, अपने Uttrakhand कि पार्टी है,,,,, और एक kast तो आप bhul ही गये महंत लोग जो गिरी गोस्वामी मे आते है उनकी jankari आपके पास नही है क्या,,,
@@balbasaurmeouthukd kl full seat melegi tbhi tu kuch kaam payegi ukd phele si khe rhi h unka phela kaam bhubkanon hoga bjp Congress veshe uttrakhand ko barbad krne me lagi h jaamin ka rulee khatam krke
भाई अपनी जानकारी खुद रखनी पड़ती है।।। मैं गोस्वामी हु राजा बाज़बहादुर ने हमे पिनाकेश्वर महादेव का पुजारी नियुक्त किया था और जमीन जागीर मैं दी ।।। शोमेश्वर मैं राजा सोमचन्द ने गोस्वामी को सोमनाथ का पुजारी बनाया और् बोरा को वहां का रक्षक उस दर्रे का ।
mai yah sunta hu ki jadetar log yah kahtai ki hamarai purbj rajsthan, maharastr , uttarpardes or maharstr or kayi any pardeso sai aayai . parsan yah uthta hai ki yde jadetar log bhar sai hi aayai to en logo kai feature (mukhmudra) waha kai logo ki trh honai chahiyai par wastw m yyesa nhi hai . sach a hai ki bhut hi kam log bahar sai aayai or enkai aanai sath hi yaha varna ashram dhrm bhi aaya .
Mtlb shankaracharya se pehle sb kuch sahi tha, uske baad pandit aaye aur fir cha gaye.... I wish uttrakhand k log smjh pate ki Himalaya me sirf ek hi dev hain aur wo shiv hain hr lok geet hr ritual shiv se shuru aur shiv pe khtm hota hai..... Hmara smaj bhatak gya hai reels ki duniya se bahar aake apne roots ko dhoonde to pta lgega usko apni history ka.
Bhai jab jab uk me bahar k log aye hmara sath kuch bura hua h Aaj ka hi haal dekh lo us nagar aur haridwar district m majority log bahar k h Up bihar k log bahut jyada matra m uk me bas rhe h Aur punjabiyo k kya hi kehne Wo to hmari languages ko target karte h aur Pahadi ladkiyo p gandi najar rakhte h
Bhai Shankaracharya Great Aashoka ke baad ki baat hai par Shiv Ram se bhi pahle ke hai. Ye mat kah dena ki nhi hai. Is desh main Saswata Ya to Ram hai ya fir Shiv. east west north south kahi check kar lo.
rana uttrakhand ke original kings the . me khud rana hu . but rana koi jaati nhi thi sirf title tha uttrakhand me . pahadi rana caste is very different from rana of plains .uttrakhand me bhi all rana are not same jaise , chamoli district me bhotiya tribe ke log bhi rana title lgate h iske alwav tharu aur buxa tribe ke log bhi rana title lgate h. but most rana in pahari areas are of khasa origin . and rana used to rule entire pahari areas ..
Bahuguna :- Bahuguna caste Almora ke Bughan/Budhan gaon main Basne se logo ki caste Bahuguna/Bughani Padhi. Kumaon Aur Garhwal ke Bahuguna dono alag hai . Kumaon ke Bahuguna Atri/Atrish gotra ke hote hai aur Garhwal ke Bahuguna Bharadwaj gotra ke hote hai
Bhai garhwal se gye the wo sb.. Sb ek h hai... Jb tehri k raja ki tbyt khrb huyi thi to unhe koi thik nahi kr la rha tha to bengal se kch ved jo ki bhramin the wo aaye aur unhone unko thik kr diya aur phr unme se kch garhwal rhe gye..
@@shubhambahuguna1758 sir aapki janakari ke liye bata doon ki Kumaon ke Bahuguna aur Garhwal ke Bahuguna dono alag family linage ke hai . Kumaon main saare Bahuguna’s ka gotra Atri/Atrish hota hai aur inki uttpati Almora ke Bughan gaon ki hai . Aur Garhwal ke Bahugunas ka gotra Bharadwaj hota hai . Jab gotra hi alag hai toh same kaise ho sakte hai aur humare paas likhit pramaan hai ki 1700 AD ke around humare purvaj Almora ke Bughan gaon se aake Almora ke deghat main bas Gaye the .
@@Himanshu_Bahuguna Bahugunas were also called "Bughana" in Garhwal. Gotra alag ho jata hai kayi baar, because of adoption. We have the example of Dangwals. Par Bahugunas to kaafi pehle aa gaye the Garhwal, and you say ki aapke Mool-Purush 1700s main aaye. Is it mentioned ki kahaan se aaye..?? And 1700s main kaafi migration hua tha. Also, I have heard of some differences in Garhwal and Kumaon around Bahugunas, may be that is the reason. If you don't mind, aap apne exact gaon ka naam bata sakte ho..??
@@AnuragChandraAnthwal 1700-1800AD humare purvaj Almora district ke Bughan/Budhan gaon se aaye the jo ki ab Nayal Patti main aati hai(Easter Almora at pithoragarh highway road). My current village is Jaikhal in Syaldey block Almora . Aur sir ji gotra Kabhi change nahi hota . Humare isht devta aur kul devta bhi Saim devta hai jo Jhakar Saim mandir ke hai jo ki udas area main basne ki wajha se humare isht bane . Agar gotra same hota hai it means ki aap same family linage ke ho aur gotra alag hota hai toh aap alag family linage ke ho . Aur aapki jaankari ke liye bata doon ki Kumaon ke saare Bahugunas ka gotra Atri hai . Aur Humara old Surname Bughani hai aur aaj bhi log humein Bughani bolte hai because hum log Bughan (Almora) se aaye the
@@Himanshu_Bahuguna Haan to that's what I am saying, when Wazir-Dangwal adopted a kid (I think from Maithani clan), his surname was changed to Dangwal, but his Gotra was still Bharadwaj, and his descendants are still "Bhardwaj-Gotri Dangwals". Also, we don't follow Gotra-Exogamy in Garhwal in it's original form. In older days their was scarcity of Brahmins, so abiding by the Vedic parampara of not marrying within 8 generations from father's side and 5 from mother's side, a strict Clan-System was formed where Jaati/Surname (in combination with Gotra) is more emphasized on. Dood-Phaada was another ritual which was used to segregate the clans if all the prerequisites were met.
सभी तथ्य बिल्कुल सही हैं अपनी जाति को और समझाने के लिए धन्यवाद। बाकी आज भी जातियों में ऊंच नीच के कारण बाहर के लोग हमारा फायदा उठाता है
मैं हिमाचल का पहाड़ी हूँ और अपने सीमित ज्ञान से यह बता सकता हुँ कि पहाडियों में जाति को लेकर उतना मनमुटाव नहीं है जितना समतल राज्यो में होता है । उतनी प्रताडना या भेद भाव भी नहीं है । हमारे यहाँ दहेज प्रथा जैसी कुरिती भी नहीं है । देव भूमि उत्तराखंड और हिमाचल की जय ॥
यही कारण है की 800 साल के मुगल राज में वे पहाड़ों पर विजय प्राप्त ना कर सके । पर अब उन्होंने अपनी योजना बदल दी है और दूसरे रास्ते से पहाड़ों पर विजय प्राप्त करना चाह रहे हैं जिसमें वे सफल भी हो रहे हैं वर्तमान के पहाडियों की नीरसता के कारण ।
कृपया " सकता हुँ " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "सकता हूँ " लिखें,
कृपया " पहाडियों " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "पहाड़ियों " लिखें,
कृपया " समतल राज्यो " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "समतल राज्यों " लिखें,
कृपया " प्रताडना " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके " प्रताड़ना " लिखें,
कृपया " कुरिती " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "कुरीति " लिखें,
कृपया " सकता हुँ " , जो कि गलत लिखा है, को शुद्ध करके "सकता हूँ " लिखें,
हमें आपकी कमियां निकलने का मौका न दीजिये,
-- आपने ये गलत लिखा है कि पहाड़ियों में जाति को लेकर मन-मुटाव नहीं है, बल्कि गढ़वाल, कुमाऊँ में जाति आधारित सामाजिक भेदभाव, अब भी मौजूद है, जिसे मैंने खुद, अपने स्कूली जीवन में झेला है, और दिल्ली में, मेरे subordinates, आपस में बात करते समय, मेरे बारे में जाति आधारित ताने मारते थे. मेरे ऑफिसर मुझ से मन ही मन भेदभाव करते थे.
धन्यवाद.
@@webmace AI kamal hai
bhai konsi duniya me khoye ho?? schhai ko apnaaao
@@shubhambhandari03 acha tumne lia hai matlab, haan exceptions to hote hi hain bhai...
जय हो ईस्ट पितृ देवी देवताओं 🙏
शिल्पकार समाज का इतिहास भी आप अवश्य एक ऐतिहासिक बनाए।
Panchal yani yunani
आप किस जगह के वासी हैं ??
टम्टा❤😎
❤ आज जो लोग जाति के नाम पर ऊंची नीची हरकत करके समाज को बांटने का काम करते हैं उनके मुंह पर करारा तमाचा है ये एपिसोड
Thanks baramasa ❤️
बारामासा हाई लैडर की सम्पूर्ण टीम को बहुत बहुत साधुवाद।इतिहास की स्टीक जानकारी आपके कार्यकर्मो से मिलती है आशा है भविष्य मे भी इतिहास का यही स्तर बना रहेगा।
बरामासा का बहुत बहुत धन्यवाद्
आपने निष्पक्ष रूप से इतिहास का अच्छा विश्लेषण कर वास्तविकता को समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया है 🤝
88 years and 7 monthes back I was born in Chopra, a small town near Pauri. My father was a teacher at Messmore Inter College and before that my grandfather was. I stayed in Pauri till I was 18. By that time a road was built and bus traffic started. For one perspective it was a backward place. But to me it was like heaven. Now I live in Canada. But I still miss the Garhwal. Victor Banerjee has made a film, Dve Bhumi. Which is very nice. I knew Victor well and he mentioned to me when he was thinking of making the movie. During my days, it was pure nature, untouched by the poluting environment of the planes. It was DEVBHUMI in the real sense. The late Mr. Doval also studied at Messmore. But Change the rule of Nature and Garhwal is changing also. But those beautiful and heavely memories are there, till I depart from this world..
I m also from Pauri....
My father also studied in Messmore....he is no longer in this world...
Would love to know more about you and your stories from this place and how life changed in foreign country.....
We can get in touch if you'd like....
Waiting for your response
M also from Pauri and studied in Messmore Inter College
9po
Devbhoomi k saath saath ye chooa -choot(untouchability) ki bhi bhoomi ha
I am also from Pauri and my father studied in Messmore Inter college
कुल मिलाकर यूपी बिहार के तर्ज पर पहाड़ियों को बाँटने का प्रयास किया गया,, हम सिर्फ देवभूमि के पहाड़ी हैं,
अब हमें चाहिए मूलनिवास भू क़ानून,🙏
Bhai Yhi Bat bolte bolte 5 sal ho gye sarkar kuch krti hai nhi janta pagl h Bus Bhu Kanun Bhu Kanun Kr rhi h sarkar sunti hai nhi 🤦
❤
मेरे हिसाब से भू क़ानून लाने का एक मात्र उपाये ये है की आने वाले सभी चुनाव में आपके क्षेत्र से खड़े उम्मीदवार को ये बोल कर अपना मत दे की अगर वह जीत ता है तो वह अपनी सरकार पर या बनने वाली सरकार पर दवाब डाले गा । यह कथन एक पत्र पर लीख कर दे या तो वह पत्र उसका लेटर हड हो या फिर स्थानीय न्यालय से लाया गया हो । इस से उस पर अधिक तवाब बने गा । इस से उसके वादा पुरा ना करने पर कार्यवाही हो सकताी हा ।
Pehle him nado se to bach jao
Kamane medani ilako me jaate ho or bhu kanoon chahiye tum ko
हम शिल्पकार हैं और शिव हमारे अराध्य हैं ।।
और हम ही मूल निवासी जाति हैं
बुद्ध को शिव बनाया शंकराचार्य ने
@@premramarya7133 शिव मतलब शिव ,, अभी भी हमारे घरों में निरंकार के थाल लगते हैं ।।।।
तब हम अपनी त्रिकंडी को धूनी को बिना जाति देखे देते हैं , ।।
@@premramarya7133😂😂😂😂😂 accha toh Tera budh shiv se pehle ho gya . Wah phir tera budh mara kaise . 😂😂😂😂 mare hue murde ko poojna budh ka kaam hai abh tu kahega Kailash bhi budh ka hai budh rehta hai wahan Jo mar gya 😂😂😂😂😂
@@premramarya7133chimte Bhimte Nila kabutar kabhi nhi Sudhar skte😂😂😂😂😂
@@AnujrajaChaudhary शिव कब पैदा हुए थे?? पहली शिव की मूर्ति किसने बनाई?? तर्क के साथ उत्तर देना कपोल कल्पित कथा मत सुनाना 😂
बहुत सुंदर जानकारी दी है कुमाऊं और गढ़वाल का इतिहास बताया। धन्यवाद
सबसे बड़ी सच्चाई ये है की उत्तराखंड में इस्लाम का नामो निशान नहीं था आज यहां इनकी आबादी बहुत बढ़ रही है।
अब तो दूर दराज के गावों में तक मुसलमान बस चुके है जोकि बहुत ही चिंता का विषय है और शासन प्रशासन पर सवाल भी।
@@rajendrarangar2329Haanji bhai sahb aap hi parha deejiye ithihaas ???
Kab aur kahan varnan hai ISLAM ya musalmanon ka ???
shai he
Why? Dude chill it is free country
@@RachaelWillto m apke ghar m rhne aa jau???
@@priyanshunegi2361 No, sorry gp find a job and don't be a freeloader.
अपने 7 पीढ़ियों को याद करो पता चलेगा कि पहाड़ी का हर रास्ता, खेत, पत्थर उनका ही तराशा हैं। 1980 तक लोग जनजातीय जीवन जीते थे, बिना पैसा के और बिना सरकार के, साल के आधे मैने, डंगरों के साथ दूर जंगल में पहाड़ियों की चोटी में। जिनके देवता हैं यहां के निवासी वही मूल हैं यहां के नंदा, राजजात और केदार की डोली ही उत्तराखंड की मूल पहचान। यहां पिछली पीढ़ी तक हर आदमी, कटोर मेहनत से ही जीवित रह सकता था। अति पिछड़ा होने के बाद भी और मूल जनजातीय ससकृति भाषा होने के बाद भी पिछड़ा कहलाना स्वीकार नहीं किया भले झाड़ू पोछा, साफ सही करते हो। आज भी पहाड़ों में बुनियादी जरूरतें नही हैं। 70% लोग पलायन कर गए पढ़ने के लिए। आज हराम की पैदाइश बाहर से आने के बाद मूल निवास ढूंढ रही हैं। यहां के हर पर्वत, हर गांव में अनेक देवता, कुल देवता सदियों से हैं, वही इसका प्रमाण हैं। असुर की राजनीति नही चलेगी।
Ye भीमते ahir kurmi साले जहा कमजोर रहते है वहा हिंदू एकता की बात करते है । बिहार में ठाकुरों को जीने नही देते। बहुत परेशान किया गया। हर जगह कॉलेज स्कूल सरकार में ठाकुरों को गाली दिया जाता है मारा जाता है
Sahi baat
👍👍👍👍
जिंदगी को जीने के बहुत तरीके होते हैं लेकिन सबसे अच्छा तरीका वही है, जो स्वयं को संतुष्टि दे और दूसरों को भी कष्ट ना दे..।
🙏🏻🚩 सुप्रभातम 🚩🙏🏻
Andh bhaqt
इतिहास कितना रोचक और महत्वपूर्ण विषय है, ये इस तरह वीडियो से पता चलता है। बहुत खूब। मैं अपने रिखोला नेगी के उदगम को जानना चाहता हूं।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप ने बहुत मेहनत के साथ जो जानकारी जुटाई वह बहुत सराहानीय है।
बहुत ही सुंदर और सरल शब्दों में रोचक जानकारी दी है आपने।बहुत बहुत धन्यवाद।
जो जिस जाति में है, उसी में खुश रहो, बस अपनी पहाड़ी सस्कृति को बचाने का हर सम्भव प्रयास करो,
इतिहास को जितना कचोटोगे उतना ही कुछ नया मिलेगा।।
Kese khush rhe? Jaatpaat , bhedbhaav jabtak khatam nhi hoga kese khush rahe?
Bhedd bhaww kaaaa ronaaa banddd karoo arakshann she bdaaa bhed bhaww kuchh nahiii haiii jatiii apnii sanskaritii kiii pehchann haiii tumharii khushiivkeer liyeeee log apnii pehchann nhii mitayenge@@Saurabhshahart
@@Saurabhshahartbhed bhaw khtm ho hi nhi skta...jinke sath bhedbhaw hota hai wahi iske jimmedar hain ...Jo log jatigat hinbhawna se pidit ho....koi dusra bhedbhaw kese Mita skta hai...kabhi apni jati pe garv kiya? Apni jati ko best mana?
@@Praveensinghrana23 ha jaise Hitler german aryans ko superior manta tha😂😂
Jati ko khatm bhi kar diya jaye to bhi wo khatm nhi hogi quiki baad mai yah kah kar chidaya jayega ki "pahle tum log neech the😢😢"
बहुत सही और अच्छी सच्ची जानकारी शुभ कामनाएं एसे ही जानकारियों के साथ उत्तराखंड को विश्व स्तर पर पहचान दिलाए
आपको बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद है आपका कार्यक्रम बहुत ही सुन्दर लगा ऐसे ही सुन्दर जानकारी देते रहें। धन्यवाद।
बहुत बढ़िया जानकारी और प्रस्तुतिकरण भी, संस्मरणीय ,स्तुत्य कार्य 🌺🌹🥀🌼🌷🌱🪴🌲🌳🌴
ये सच है की पंडित पुरोहित और राज दरबारी के नाम पर बाहर से आकर बसने वाले चतुर लोग ऊंची जाति के हो जाते हैं और मुल निवासी दलित हो जाते हैं।
Meri ek friend h sc. Se .uski job lagi h. Ek gaou me thichar h. Usko waha ke logo me kisi ne room hi ni diya rant pe ..😢mujhe khud acha ni lga ..sab insaan hi h. Ye baat logo ko pta ni kab samjh aayegi ..
@@PoonamSastri-xs3fesame happened to me no one can understand our pain
सादर दंडवत प्रणाम है,बारामासा टीम को।मुझे पूर्ण विश्वास है कि, विचार क्रांति अभियान शीघ्र ही परिणाम लेकर आयेगा। ❤😊🎉
जय,हो
Yeh bedhbav uttrakhand se tabhi khattam hogaa jab log apni harkatow se baaz aayenge ...
@@MohanLal-pp1qq uttrakhand m bhedbhav h toh Up Haryana ghum aa bhai fr baat krna
बताओ बस इसी भौगोलिक और बाहर से आने वाले लोगों के कारण आज भी हम भेदभाव का सामना कर रहे हैं 😢😢
यह उकसाने की एक सोच है जो आज उत्तराखंड में नहीं थी वह आज उत्तराखंड में लगाई जा रही है
आपका प्रयास सदैव बना रहे। ऐसी पत्रकारिता को देख सुन हमेशा प्रेरणा मिलती है अपने कार्य के प्रति ईमानदार और जिम्मेदार रहने के लिए 🙏🙏
शानदार वीडियो , बहुत ही अच्छी रिसर्च, सुंदर नरेशन और आकर्षक वीडियो। Absolutely amazing ❤. Keep it up Team Baramasa.
मित्रों
उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर, नृत्य, लोकगीत, और भाषाएँ हमारी पहचान और परंपराओं की अद्वितीय छवि हैं। यह सांस्कृतिक परंपराएं न केवल हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं, बल्कि हमें एक सामूहिक समाज के रूप में एकजुट भी रखती हैं। गढ़वाली और कुमाऊँनी लोकनृत्य, जैसे कि जागर, पांडव नृत्य, और वीर योद्धाओं के रणभूत नृत्य, हमारे इतिहास और लोक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें निहित मूल्य, त्यौहार, धार्मिक मान्यताएं और रीति-रिवाज हमें हमारे पूर्वजों की समृद्ध विरासत से जोड़े रखते हैं।
आज के दौर में, जहां आधुनिकता के प्रभाव में लोग अपनी मूल भाषाओं और परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं, हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने की जरूरत है। हमारी लोकभाषाएँ, जैसे कि गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी, भी हमारे अस्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है कि इनमें बातचीत करने वाले लोग घटते जा रहे हैं। नई पीढ़ी का हिंदी और अंग्रेजी की ओर झुकाव बढ़ रहा है,इसका तात्पर्य यह भी नहीं कि हमें इंगलिश और हिंदी से दूरी बनानी है। लेकिन इसे पूर्ण रूप से धारण जिससे हमारी लोक भाषाओं का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
सभी समुदायों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि हम अपने-अपने लोक भाषा, कला, नृत्य, और परंपराओं को बचा सकें। इस दिशा में स्थानीय सांस्कृतिक उत्सवों, नृत्य कार्यक्रमों और भाषा शिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन मददगार साबित हो सकता है। जब हम इन परंपराओं में सहभागिता करेंगे, तो हमारी युवा पीढ़ी भी इनसे जुड़ी रहेगी।
हमारी संस्कृति को बचाने के साथ-साथ हमें अन्य समुदायों की सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान करना भी सीखना चाहिए। हर संस्कृति की अपनी अलग पहचान और महत्व है, और हमें इन विविधताओं को स्वीकार कर एक-दूसरे का आदर करना चाहिए। इससे आपसी सामंजस्य बढ़ेगा और एक सकारात्मक समाज का निर्माण होगा। दूसरे समुदायों की परंपराओं और मान्यताओं को समझने से हम एक समृद्ध समाज बना सकते हैं, जहाँ सबकी पहचान को सम्मान मिलता है।
हमारी यह सांस्कृतिक विरासत एक अमूल्य धरोहर है, जिसे हमें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है। अपनी संस्कृति का महत्व समझाने और उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए हमें अपनी पीढ़ी को जागरूक करना होगा। जब हमारे बच्चे अपनी संस्कृति की महत्ता को समझेंगे और इसे गर्व से अपनाएंगे, तभी यह धरोहर सुरक्षित रह सकेगी। यही नहीं, वे अन्य संस्कृतियों को भी उतना ही महत्व देंगे और उनसे सीखते हुए उन्हें सम्मानित करेंगे।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर हम सभी के लिए गर्व का विषय है। इसे सहेजना और अगली पीढ़ी को सौंपना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। इस विरासत को बचाने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा, अपनी भाषाओं और परंपराओं का सम्मान करना होगा, और दूसरी संस्कृतियों का भी महत्व समझना होगा। जब हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को सजीव रखेंगे, तभी हमारा इतिहास और हमारी पहचान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
बहुत अच्छी जानकारी , यद्यपि कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता की उत्तराखंड मे जातिगत भेदभाव भीषण और भयावह है परन्तु मुझे लगता है यह प्रभाव स्थानीय ही है , मसलन आप अगर किसी और शहर या राज्य मे अपनी जाती की श्रेठता प्रचारित करेंगे तो ये प्रभावी नहीं है (हो सकता है वहाँ उपलब्ध जातियो से समानता बताए ), मसलन आप कह सकते है की मे राजपूत हु या ठाकुर हु आदि आदि पर फिर भी वो लोग अपने स्थानीय पैमाने से ही आपके तर्क का मूल्यांकन करेंगे | उसी तरह आप श्रीलंका मे या पेरिस मे अपनी जातिगत श्रेठता प्रचारित करेंगे तो उनको आपके कहने का मतलब भी समझ नहीं आएगा | किसी भी बस , ट्रेन, हवाईजहाज मे आप अपनी श्रेठता से खिड़की वाली सीट नहीं ले सकते :) , सभी को एक सा ही स्कूल मिलेगा और एक सा ही कॉलेज एक सा ही प्रश्न पत्र | मोटी बात ये श्रेठता बस उत्तराखंड के सुदूर गाँव तक ही सीमित है और उत्तरखंडीओ के जनसमूहो मे जो अलग अलग शहरो मे रहते है ,प्रचलित है | हर व्यक्ति को गर्व करने के लिए कुछ चाहिए मसलन खूबसूरत शरीर , गोरा रंग , अच्छी सैलरी , बढ़िया कार , सुंदर गर्लफ्रेंड आदि आदि और जातिगत श्रेठता भी :) कुछ आप मेहनत से और पैसों से मिल जाता है और कुछ भगवान देता है अब सब खूबसूरत तो नहीं हो और सभी छह फीट के नहीं हो सकते और सभी 25 लाख की टाटा हैरीर नहीं रख सकते और सभी ब्राह्मण नहीं पैदा हो सकते , जिसके पास जो है उसी से काम चलाता है और अपने आप को , अपने दिमाग को , अपनी कार को अपनी जाती को सबसे अच्छा और ऊंचा मानता है | तथ्य ये है की वर्तमान तथाकथित निचली जातियो के प्रति घोर घृणा, विध्वेश और नफरत ने उत्तराखंड को सामाजिक और आर्थिक क्षति ही नहीं पहुंचाई वरन हिन्दू धर्म को भी चोट पहुचा रही है | मिशनरी अब दूर दराज गाँव मे भी अब अपनी पैठ बना रहे है और धीरे-धीरे तथाकथित निचली जातियो को अन्याय का वास्ता दे कर धर्म परिवर्तन करवा रहे है | जल्द ही अगर समाज मे बदलाव नहीं आया तो नॉर्थ ईस्ट की तरह उत्तराखंड भी ईसाई धर्म बहुल होने वाला है | पौड़ी , श्रीनगर मे अब बाज़ार जुम्मे के दिन बंद रहते है कियों ? ऐसा न हो की सब जाती जाती खेलते रहें और उत्तराखंड बर्बाद हो जाए | मणिपुर हिसा से कोई सबक लेना चाहिए
सबसे पहले उत्तराखंड
मानवता और
देवभूमि उत्तराखंड में जन्म लेने की
अद्भुत अनुभूति
शेष सब निरर्थक झूठा दम्भ
वास्तविकता में जीवन जीने का प्रयास कीजिए कपोल कल्पना मृग मरीचिका में रहने से कुछ भी लाभ नहीं होगा
Amen to that.
बहुत सुंदर प्रस्तुति एवं उत्तम जानकारी।बहुत बहुत धन्यवाद
जिस तरह से आपने सारी बातों को एकत्रित करके प्रस्तुत किया है - सराहनीय है । 👏👏
आपसे निवेदन होगा की एक वीडियो कुमाऊं की जाती पर भी देखने को मिले ।
बहुत अच्छा लगा अपने पहाड के जातियों pr या पहाड़ी भूगोल पर आधारित एक शानदार लेख प्रस्तुत किया बहुत बहुत धन्यवाद्
बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी ईतिहास कारों का जो हमें और आने वाली पीड़ी को अपने ईतिहास के बारे में जानकारी हासिल करा रहे हो ।
आजके समाज में हर व्यक्ति इस जानकारी को नहीं समझ पाता है 🙏💐।आने वाली पीड़ी तो सायद ईतिहास को ठुकरा ही देगी ,कयों कि यह समय की चाल बता रही है ।एक बार पुनः धन्यवाद आपका जानकारी हासिल करने के लिए🙏🌱💐🌱🙏।
Bahut hi mehnat se bnaya hai ye episode. Bahut accha kaam kra h🎉
कृपया मेरी बात को अन्यथा ना लें परन्तु उत्तराखंड के इतिहास पर लिखी अधिकांश पुस्तकों के कुछ तथ्य पर बहुत से लोगों को शंशय है , और इतिहासकारों की जानकारी भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती।
किन्तु बारामासा की सम्पूर्ण टीम को आपके प्रयासो के लिए साधुवाद 🙏
हिमवत खण्ड मे कश्मिर से लेके नेपाल तक जातिय बर्णन खस है जो पहले बौद्ध थे।। हम आर्य नहि है बाद मे ब्राह्मण लोगो हिन्दुतब का पाठ सिकाके हिन्दु बनाया है।।
सही है भाई,,uk का इतिहास भ्रामक ही है,,,, खसों को शक भी कहा गया है ,,, ओर शक भारत से नही है,,,, शक का उल्टा ,,,,
कृपया खाती गुसाईं राजपूत कहा से आए गढ़वाल में थोड़ा जानकारी देने का कष्ट करे🙏🙏🙏
@@ranveerkhati2005जी कुमायूँ के फलदाकोट के राजा थे खाती गुसाईं जो कालांतर में सिलोर घाटी में बस गए थे, वहीं से गढ़वाल के जूनियागढ व साबली पट्टी व गढ़वाल के अन्य स्थानों में बसे।
@@Comrade99999 galat khas aur Shak m bhot antar h Shak kbhi Himalayan region m nhi aaye wo UP, Haryana ki ore gye
जाति,,
उप-जाति,,और ऐसी विशेष वर्ण व्यवस्था के कारण ही आज लोगों में मतभेद व्याप्त हुए हैं 🙏
जबकि हिन्दू धर्म में आपस में लोगों को बांटने का काम करता था,एक धार्मिक विवाद पैदा करने वाले आज भी अपने षडयंत्र में शामिल हैं 🙏
बहरहाल 😘
बारामासा की जानकारियां रोचकता से भरपूर होती हैं👍
भिमटे पहेली राजपूतों का नाम चुराना बंद कर
Adhura gyaan failaane k bajaaye use leke marna jyada achha rehta hai
RANA HATA APNE NAAM K AAGE SE NAKLI KAHI KA
@@Rana___Ji9999 jisne jankari di hai, woh bhi rana hai
Thanks, very interesting facts. Its nice to understand the culture and castism of Uttarakhand
हिमाचल में जातिप्रथा खत्म ही हो रही थी तब तक मंडल कमंडल आ गया और फिर से हवा फूंक दी गई । फिर भी भारत वर्ष के अन्य कई राज्यों की अपेक्षा न के बराबर है। मगर राजनीति उसे बढ़ावा देती है। और आम जनता का जनजीवन में आपसी कटुता पैदा करने में बहुत बड़ा किरदार निभाती है।
जय हिमाचल जय उत्तराखंड।
जय भारत।।
Same here in uttarakhand,, ye catagory ki vajah se jada bhara gaya hai hamare dimag me
क्या आपके राज्य में आपकी रिश्तेदारी में कोली समाज में शादी
होती है या हुई है वो भी बिना किसी विरोध के ?? ये प्रश्न मैने इसलिए पूछा है क्योंकि कोली समाज की काफी संख्या है हिमाचल में।।
उत्तराखंड के मूल निवासी यहाँ के वो लोग है जिनका हमेशा से शोषण हुआ है,
पढ़े लिखे व्यक्तियों को इसकी पूरी जानकारी है जो विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं,
Exactly
सही कहा लेकिन अब ऐसी ती तैसी करेंगे इन शोषण करने वालों की
Mein krtaaa huuu taiyarii mujheee nhii ptaaa kbhii soshann bhii huaa
@@abcd-ui5nlnikaalll do kaudiii keee
@@anishir तैयारी करता है सिर्फ तोप नहीं करता पढ़ना पढ़ता है खाली फार्म भरने से कुछ नहीं होता
प्रगति जी एक विश्लेषण उत्तराखंड की मूल जाति जो की शिल्पकार थी इस पर विस्तृत वीडियो लाइए।
❤
भाई गलत बोल रहे हो आप
जब तक जाती रहेगी तब तक आरक्षण रहेगा
जब पहले से ही जाती बनी हुई ह है तभी तो आरक्षण भी मिला
Shilpkar jaati Jangid Dhiman Panchal Ramgarhia Suthar yah Panch jaati thi shilpkar jaati aur inke alava aur koi bhi jaati Nahin thi
अति सुंदर रोचक व ऐतिहासिक जानकारी🕉️
informating... 🎉
Great video Guys , Crisp and classic reaserch
बहुत बहुत बधाई उत्तराखंड का इतिहास की जानकारीदेने जाति संबंध में
Plz make a detailed video on Schedule Caste in Uttarakhand.... From where they came?? how they were treated in old days & how many types of caste in Schedule category.
Kuch jatiya jagaho, aur kaam ke adhar par bani hai
Very informative video, thanks a lot. Wish you good luck.
Excellent insight into caste /Jaati divisions of Uttarakhand. Agar 21vi sadi me tarakki karni hai toh jaativaad ko mitaana hoga aur sab ko Uttarakhandi ban-na hoga.
Absolutely. Believe it or not it’s all man made things. Logic dictates that its has been economic supremacy that led to division among masses which ultimately divided masses into typical mind set of self destruction and society as whole. One feels false superiority over others which is circulating even today. Man is biological product and by creating any amount of wordy wonderment supremacy over others cannot be justified. Your dictum is worth appreciable.
नही चाइए हिंदू एकता। ठाकुरों का 35% नौकरी पे आरक्षण होना चाइए जैसे अहीर कुर्मी दलित ने बिहार में लिया है । भाड़ में जाए हिंदू एकता
Reservati0n hatwa le pehle. Tab jaati jaati kariyo. Tu karwa le apni behn betiy0 ka rista reservati0n dhaariyo mein.
@@sairistere jaise murkh insano ki wajah se sawarn jati k logo ka sar nicha ho jata he jb b jaati ki baat ati he. Apni mansikta sudhar le mere dost wrna ek din tum jaiso ko laat maar kr wahi bhej Diya jayega jaha se tum bahari log aye ho.
@@sairis jaativaad to pehle se hai reservation baad me aaya, to pehle jaativaad hatna chahiye na. Thoda dimaagh laga ke dekh
💐🌷राधे कृष्ण🌷💐 The best video of my life 💐🙏
थैंक यू! बहुत बढ़िया इनफार्मेशन दी है।
❤❤🌹🌹प्रगति जी आप बहुत सुन्दर है 🎉🎉🎉धन्यवाद 👌👌
वामपंथी इतिहासकार जब मूलनिवासी की बात करते हैं तब वे धार्मिक या पौराणिक इतिहास का सहारा लेते हैं और अपने ओपिनियन को इतिहास बताने लगते हैं और इतिहास को वहा से सुरु करते हैं जहा किसी उच्च जाति का बाहर से आने का प्रमाण हो ऐसा करते हुऐ इन्हे मैक्समुलर तो याद रहता है पर डार्विन को भूल जाते हैं।
राजपूत को हिंदू बना खूब लूटा गया है। पूरे राजस्थान यूपी बिहार में हमारी जमीन छीन ली गई। बिहार में ओबीसी दलितों ने ठाकुरों को मारा भी। चैन से जीने नही देते बिहार में। नौकरी पे अहीर कुर्मी दलित ने 75% आरक्षण खा लिया । मैं तो हिंदू नही मानता अब अपने को बस राजपूत मानता हु
बस ज़मीन का चक्कर है बाबू भैया जमीन का। वरना सब एक ही हैं।😅
Iam from Pauri Garhwal. My paternal family studied from messmore ,till 25 yrs I lived in pauri , now iam living in Mumbai, my soul always calls uttarakhand .this channel gives me info about my place . I always think of doing something great for my place , I will definitely do it in future . Thankyou Baramasa channel
Sahi pakde hai 😢
@@dataholic_sahi kaha bhai jameen ka chakar h
Effective presentation pragati rana ji ❤
Great Information about different different Castes of Ghardwal... Thankyou Very much
Very rich, nicely compiled and beautifully presented. Congratulation to the team and god bless you.
आपके खोज और जानकारिया,,बहुत ही प्रेणादायक रहती है❤
VERY INTRICATE AND DETAILED INFORMATION PROVIDED
GREAT WORK
THANKS A LOT
🙏🙏🙏
जो उत्तराखंड के मूलनिवासी हैं उनके बारे में तो कुछ रिसर्च नि की आपकी टीम ने पूरे वीडियो में बाहर से आई जातियों के बारे में बताया ।
जिन्होंने यहां जातिवाद लाया।
यहां के मूलनिवासियों पर भी वीडियो बनाओ ।
बहुत ही ज्ञानवर्धक / सुंदर प्रस्तुति मैडम जी हृदय से धन्यवाद आपको भी और लेखक जी को भी।❤❤
Hey Baramasa I m following you from last few years and I must say you Guys are doing Great job👏🙌Keep doing👍 Lots of Love❤
अनुसूचित जातियों के बारे में भी इतिहास की जानकारी होती तो अच्छा होता 🙏
I also want to know😊😊😊
He na
Bhai coll jati btaya h ye bhi sc h
विश्वकर्मा जाति जो टिहरी गढ़वाल जौनपुर मैं है जो की वंशज राजस्थान से आए हुए शिल्पकार राज मिस्त्री धीमान डॉक्टर एस एल विश्वकर्मा जिन्होंने इस अपनी जाति को कायम रखा जोकि ग्राम सोडी के निवासी है आप पूरा इतिहास बन चुका है
Baramasa ki team ka bht bht dhanyvaad.....❤
आपका बारामास कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा किन्तु आपके विश्लेषण में दलित समुदाय की जातियों का विवरण महज खानापूर्ति कर प्रस्तुत किया गया है। कृपया इनका इतिहास भी खोजा जाय । धन्यवाद।
सिस्टर, मेरा गोत्र या जाति हटवाल है़। मैं बाल्मीकि जाति से हूँ।मेरे पूर्वज शादी ब्याह में फेरे भी कराते थे तथा अन्य कार्य भी करते थे। मेरे दादा जी अनपढ़ थे लेकिन संस्कृत में फेरे कराते थे तथा जनेऊ भी धारण करते थे। फिर हम बाल्मीकि जाति में कैसे आए होंगे। कुछ इतिहास के माध्यम से प्रकाश डालने का कष्ट करें। Thanks
जाति इन्सान की विवेक की वो कुप्रथा है जिसका कोई इलाज नहीं है। मुझे गर्व है कि मैंने गढ़वाल की सबसे निम्न स्तर की डोम जाति (जाति प्रथा के आधार पर) में जन्म लिया । ईस RUclips के माध्यम से एक जवाब में उन उच्च जाति (जाति प्रथा के आधार पर) के बुद्धिजीवियों से जरूर जानना चाहूंगा क्यों आप हमें नीच व घृणित मानते हैं? यह सवाल मेरी जिज्ञासा है।
भाई आपका कोई अपना अगर ऊंचे पद पर चला जाए वोही आपको नही पहचानेगा । जाति से नही वो आपको पैसे से नीच समझेगा आगया न भेद
उस वक्त जिस समूह ने जितनी estregal kiya अनको ऊंचा पद मिला
आप ध्यान से सुनो खाना बनाने की बात जो राजा का खाना बनाता था उनको कितना गर्व था समाज भी उन्हें अलग नजर से देखता होगा ।
आप मोदी के घर पर काम करने चले जाओ तो क्या होगा कई लोग आपके आगे पीछे घूमने लगेंगे
जाति किसी ने बनाई नही बस बन गई ये हर जगह है
आप कल एस आई बन जाओ पंडीत भी आपके पैर दबायेगा
हो गया बराबर ऊंच नीच हार छेत्र में है छोटी जात वाले भी अपने से नीचे वाले को छोटा बोलते हैं
अब जाति वाद खत्म हो गया सिर्फ है Village me रह गया
में तो बिलकुल भी नही मानता हम सब साथ मिलकर खाना खाते और दारू पीते हैं
@@BhagwanSingh-nx6tr Not a relevant answer.
All pahadi should unite and kick out district haridwar and us nagar .in future these two district alone contains more than 27 seat we need to kick these bjp and congress too from vidhansabha they are selling uttrakhand
Chalo koi insan hai jo samjhta hai ,kudos to uh
@@ThechauhanacademyTrue bhai pura uttarakhand agar pahadiyo k liye banana h to haridwar aur us nagar ko hatana hi padega koi choice nhi
Sab to waha bahar k log h
Ab to bahar k log nanital district tak aa gye
Bahari log pure u/khand mein har jagah bas gaye hain. Jyadatar kotdwar mein. Iska bahishkar hona chahiye, warna ek din uttarakhand Manipur ban jayega.
@@subhashrawat2664 bhai kuch time ki baat h ek Baari Pahadi ko ham log pahadiyo k liye secure kar le
Phir baat kumaoni aur garhwali m hi hogi
@@RajendraKumar-ux9ct Bilkul bhai agar ham Pahadi log kam ho gye to manipur wali situation hogi hi hogi 😶😶
Waise sab pahadi milke regional party ukd ko leke aaye to shayad Wo bhoo kanon le aye
यह मात्र एक जानकारी है इसमे कोई भेदभाव नहीं है।
हम पहाड़ी सभी प्रेम से रहते है। बस एकजुटता की कमी है।
कृपया धानिक जाती के बारे मे बताये
Manmeet ji ka bahut bahut dhanyawad 🙏
गढ़ेवाल जाति के इतिहास के बारे में भी बताइए जो पूरे भारत में अलग अलग राज्यों में बसी हुई है ज्यादातर गुजरात के अहमदाबाद और महाराष्ट्र के नागपुर जिले में बसी हुई है
Ma AK Rajput Hu Or Ma Uttarakhand Sa hu OR Uttarakhand ma Rajputo ke Chalti ha Jay Rajputana JAY Maa BHAVANI
Uttarakhand k khashtriya khash hai koi rajputana ka nahi pahadi khash hi yahan k Thakur hai jai khasmandal.
Shiv ke vanshaj ...Kohl vansh
@@DilipKumarChhetri-io1sc pawar, chand rajputo ne tumhare upar raj kiya sharm karo
@@DilipKumarChhetri-io1sc pawar rajput or chand rajput ke das
@@Pushkar_rajpoot l m not Rajput khashas thakkura khash chhetri be proud the mounten lion.
एक विडियो शूद्र जाती के स्टोरीकल पर बनाओ please
बहुत ही बिस्तुत जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Thats some really good reporting.. Aapka bahut bahut dhanyavaad. !
हम कुमांउ सल्ट कालीगाव करघेत से वहां के घिल्डियाल🏵️🌹🙏उत्तराखंड की जातियों
के इतिहास की जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
उत्तराखंड में अनुसूचित जाति कहा से आऐ, और उनका मूल काम काज क्या था और उनकी मूल कोन कोन सी जाति थी और आज वर्तमान मे अनुसूचति जाति क्या वगीकरण हुआ विस्तार से उलेख करें !
धन्यवाद!
अच्छा खासी जानकारी जुटाई है आपलोगो ने 👍
BITYA
Bahut sunder Video Banaya Hai
Keep it up
Enlightening video. Can we get history of Kumaon side in the near future? @bharma
बहुत बहुत धन्यवाद आपका, जो आपने इतना सारा ज्ञान इकट्ठा कर के हम लोगो तक शेयर किया
Me non garhwali hu but mere husband garhwal se hai ye baat sach hai ki waha garhwal ki gaon me jati dekhkar baat hoti hai but agar aap city me aa jao Dehradun, Rishikesh, Haridwar waha ke educated log bhi aapki jati puch hi lete hai. Bahot Kum hai log Jo inn chizo ko thoda lightly lete hai. Aur me isliye ye bata sak Rahi hu kyuki mere husband Pandit hai aur me unchi cast se belong nahi karti. Meri jati ki wajah se log mere husband ko aaj bhi tana dete hai aur han main yaha educated logo ko bhi shamil karungi. Bhale I'm well educated, I'm working, background bhi accha hai but wo log mujhe meri jati ke nazariye se dekhte hai. Aur jo Devta aane ki jo pratha hai waha, jinn logo ko devta aate hai ya Jo kuch log natak karte hai unko jati se bahot badi problem hoti hai. Wo aapko mandiro me entry Tak nahi dete. Main puchti hu, agar itni problem hai bhagwan ko jati se to dom jati (schedule cast) ke logo se hi kyu tum log dhol-damavu bajvate ho, kyu tab devta prakat hote hai..? Pandit, rajput bajaye dhol tab kare bhagwan ko prakat. Ye sab apni dukan chalane ke liye karte hai. Isliye kehti hu, shikshit bano, bhagwan par bharosa rakho, samay sabka aata hai, sabke karmo ka hisab hota hai. Aaj pandit ho kya pata dusre Janam me, aap bhi Dom ban jao
@@CucaTourpar sabse jyada tum logo ki behene hi bhag jaa rhi he muslim or desiyon ke sath 😂😂😂 mene itne ladkiya dekh li pandit ki or rawat wagreh inki ladkiya bahar walo ke sath bhag jaati he
@@CucaTour क्या बे भगोड़े खस्य्या
@@CucaTourOho itna gud looking h to apki pic lga na... Hadd h tujh jaise logo k lie... Pehli baat to ye ki brahman ya rajput ka good looking se koi mtlb nhi h... Dusra good looking se imp bimari na hona hota h.. wo dekh k shadi honi chahiye... Bhgwan kare tujh jaise pandit mile but dikhne me aisi ki Tera khud ka mnn na ho dekhne ka.. tb jaati hi khana .
@@CucaTour mt kar... Mujhe kya... Tere jaise naam pucha k m na msg nhi karti... Jo mehnat ka kaam krega gareeb hoga ho aur koi dikhne me kaala average hoga .. jo Aram ka kaam krega bde Ghar ka hoga wo Sundar fact yehi h... Baaki tu sundr hota to apni dp lgata waise v 🤣🤣🤣🤣
@@CucaTour aur baut ghatiya insaan ho aap
रोचक जानकारी..कृपया असवाल जाति की ऐतिहासिक जानकारी भी दीजियेगा.
कोली जाति के लोगों के बारे में भी बताया जाए
बिल्कुल सही बात है जात पात मत करो, Uttrakhand मे u. K. D. सरकार लाओ, अपने Uttrakhand कि पार्टी है,,,,, और एक kast तो आप bhul ही गये महंत लोग जो गिरी गोस्वामी मे आते है उनकी jankari आपके पास नही है क्या,,,
Jab laye the tab congressio k sath milkar Uttarakhand barwad kr diya tha.
@@balbasaurmeouthukd kl full seat melegi tbhi tu kuch kaam payegi ukd phele si khe rhi h unka phela kaam bhubkanon hoga bjp Congress veshe uttrakhand ko barbad krne me lagi h jaamin ka rulee khatam krke
भाई अपनी जानकारी खुद रखनी पड़ती है।।। मैं गोस्वामी हु राजा बाज़बहादुर ने हमे पिनाकेश्वर महादेव का पुजारी नियुक्त किया था और जमीन जागीर मैं दी ।।। शोमेश्वर मैं राजा सोमचन्द ने गोस्वामी को सोमनाथ का पुजारी बनाया और् बोरा को वहां का रक्षक उस दर्रे का ।
संक्रचार्य के साथ साउथ के बामण है हम उनके साथ आये।।
Looking same video for Kumaon ❤
Yes😊😊
Bahut satik jankari. Thanks
Jaat paat na kro sare pahadi ek hojao local party pao bjp congress bahgao vidhan sabha se
Right brother
Bilkul sahi baat bhaiji.
Sbsheee pehlee to tuuu apnaaa titleee chodo
@@deepakjoshi664to phirrr titleee chod de n apnaaa
@@anishir Confused Atma
कुमाऊँ में ठाकुर जाति के दानू, कोरंगा, गड़िया, टाकूली, धपोला, नगरकोटी, बघरी, बिष्ट, कलकोटी, फर्शवाण, कर्मयाल, देवली आदि जातियाँ भी हैं
Bilkul sahi
इस पर भी जानकारी दे
कुमाऊं में जागर में रमोला जाति का उल्लेख है पूजे जाते हैं
yah upjatiya hai
mai yah sunta hu ki jadetar log yah kahtai ki hamarai purbj rajsthan, maharastr , uttarpardes or maharstr or kayi any pardeso sai aayai . parsan yah uthta hai ki yde jadetar log bhar sai hi aayai to en logo kai feature (mukhmudra) waha kai logo ki trh honai chahiyai par wastw m yyesa nhi hai . sach a hai ki bhut hi kam log bahar sai aayai or enkai aanai sath hi yaha varna ashram dhrm bhi aaya .
Khas aur kirat Himalayan janjati h jo poore Himalayas m faili hui h koi south ya mid India ki tribe nhi...
True ❤👍
विस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद
और हम satkari लोग भी राजपूत है
aaj jaake mujhe apne janmbhoomi uttrakhand ka itihas pata chala thank you devi G kaha thi aap
Kumau ke?
True bro kumaon ka bhi ek episode chaiye Mujhe bhi pata karna h 😅
राणा जाती उत्तराखण्ड में कहाँ से आयी के आप बता सकते है !
Tibet s
@@tarunpanwar6983per hamare Kashmir ki taraf Rana to Rajput ko kahate Hain
@@ArpitRajput-e8k hn lkin y Tibet s aye h
Mtlb shankaracharya se pehle sb kuch sahi tha, uske baad pandit aaye aur fir cha gaye....
I wish uttrakhand k log smjh pate ki Himalaya me sirf ek hi dev hain aur wo shiv hain hr lok geet hr ritual shiv se shuru aur shiv pe khtm hota hai.....
Hmara smaj bhatak gya hai reels ki duniya se bahar aake apne roots ko dhoonde to pta lgega usko apni history ka.
Bhai jab jab uk me bahar k log aye hmara sath kuch bura hua h
Aaj ka hi haal dekh lo us nagar aur haridwar district m majority log bahar k h
Up bihar k log bahut jyada matra m uk me bas rhe h
Aur punjabiyo k kya hi kehne Wo to hmari languages ko target karte h aur Pahadi ladkiyo p gandi najar rakhte h
Aapne ekdum sahi bola.. pr hmare hi log behosh h inke saath mel milap mai toh or kisi ko kya hi bole@@doctornightcore5262
Bhai Shankaracharya Great Aashoka ke baad ki baat hai par Shiv Ram se bhi pahle ke hai. Ye mat kah dena ki nhi hai. Is desh main Saswata Ya to Ram hai ya fir Shiv. east west north south kahi check kar lo.
@@Jagran-UK01Ashoka ka rule Uttrakhand m nhi rha
Shankaracharya se phle bon shaman shakt ritual hote the 1000 saal phle aadmi ki Bali bhi aam hoti thi
आपके द्वारा दिया गया ज्ञान अद्भुत है।
लेकिन दलित जातियों के बारे में नहीं बताया।
Rana jati ke bare me aapne nhi bataya mam ye uttrakhand me kha se aaye
Bhai Rana Caste nahi Title hai....Har Rajput Rana hota hai....
Khas kshetei ke title surname he
@@kandiking2218right
rana uttrakhand ke original kings the . me khud rana hu . but rana koi jaati nhi thi sirf title tha uttrakhand me . pahadi rana caste is very different from rana of plains .uttrakhand me bhi all rana are not same jaise , chamoli district me bhotiya tribe ke log bhi rana title lgate h iske alwav tharu aur buxa tribe ke log bhi rana title lgate h. but most rana in pahari areas are of khasa origin . and rana used to rule entire pahari areas ..
सिसौदिया वंश के राणा राजपूत 1405 में मेवाड़ साम्राज्य से गढ़वाल चले गए। और राणा राजपूतों ने गढ़वाल में बांगर गढ़, सांकरी गढ़ आदि पर शासन किया।
Kumaon MANRAL .im proud MANRAL
राजपूत,,,,, केवल राजपूत होता है उसको किसी जाति में ना बाटा जाए और इस देश के अन्दर सबसे ज्यादा रेजिमेंट भी राजपूतों की है ,,,,
Jay Rajputana❤
बहुत बढ़िया जानकारी दी गई आपके द्वारा
आप का बहुत २ शुक्रिया ❤❤❤
Bahuguna :- Bahuguna caste Almora ke Bughan/Budhan gaon main Basne se logo ki caste Bahuguna/Bughani Padhi. Kumaon Aur Garhwal ke Bahuguna dono alag hai . Kumaon ke Bahuguna Atri/Atrish gotra ke hote hai aur Garhwal ke Bahuguna Bharadwaj gotra ke hote hai
Bhai garhwal se gye the wo sb.. Sb ek h hai... Jb tehri k raja ki tbyt khrb huyi thi to unhe koi thik nahi kr la rha tha to bengal se kch ved jo ki bhramin the wo aaye aur unhone unko thik kr diya aur phr unme se kch garhwal rhe gye..
@@shubhambahuguna1758 sir aapki janakari ke liye bata doon ki Kumaon ke Bahuguna aur Garhwal ke Bahuguna dono alag family linage ke hai . Kumaon main saare Bahuguna’s ka gotra Atri/Atrish hota hai aur inki uttpati Almora ke Bughan gaon ki hai . Aur Garhwal ke Bahugunas ka gotra Bharadwaj hota hai . Jab gotra hi alag hai toh same kaise ho sakte hai aur humare paas likhit pramaan hai ki 1700 AD ke around humare purvaj Almora ke Bughan gaon se aake Almora ke deghat main bas Gaye the .
@@Himanshu_Bahuguna Bahugunas were also called "Bughana" in Garhwal. Gotra alag ho jata hai kayi baar, because of adoption. We have the example of Dangwals. Par Bahugunas to kaafi pehle aa gaye the Garhwal, and you say ki aapke Mool-Purush 1700s main aaye. Is it mentioned ki kahaan se aaye..?? And 1700s main kaafi migration hua tha. Also, I have heard of some differences in Garhwal and Kumaon around Bahugunas, may be that is the reason. If you don't mind, aap apne exact gaon ka naam bata sakte ho..??
@@AnuragChandraAnthwal 1700-1800AD humare purvaj Almora district ke Bughan/Budhan gaon se aaye the jo ki ab Nayal Patti main aati hai(Easter Almora at pithoragarh highway road). My current village is Jaikhal in Syaldey block Almora . Aur sir ji gotra Kabhi change nahi hota . Humare isht devta aur kul devta bhi Saim devta hai jo Jhakar Saim mandir ke hai jo ki udas area main basne ki wajha se humare isht bane . Agar gotra same hota hai it means ki aap same family linage ke ho aur gotra alag hota hai toh aap alag family linage ke ho . Aur aapki jaankari ke liye bata doon ki Kumaon ke saare Bahugunas ka gotra Atri hai . Aur Humara old Surname Bughani hai aur aaj bhi log humein Bughani bolte hai because hum log Bughan (Almora) se aaye the
@@Himanshu_Bahuguna Haan to that's what I am saying, when Wazir-Dangwal adopted a kid (I think from Maithani clan), his surname was changed to Dangwal, but his Gotra was still Bharadwaj, and his descendants are still "Bhardwaj-Gotri Dangwals". Also, we don't follow Gotra-Exogamy in Garhwal in it's original form. In older days their was scarcity of Brahmins, so abiding by the Vedic parampara of not marrying within 8 generations from father's side and 5 from mother's side, a strict Clan-System was formed where Jaati/Surname (in combination with Gotra) is more emphasized on. Dood-Phaada was another ritual which was used to segregate the clans if all the prerequisites were met.
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राणा जाति के संपूर्ण इतिहास का भी विश्लेषण करें।
RANA RAJPUTS OF SISODIA VANSH MIGRATED FROM MEWAR KINGDOM TO GARHWAL IN 1405. AND RANA RAJPUTS RULED BANGAR GARH , SANKRI GARH etc IN GARHWAL.
सिसौदिया वंश के राणा राजपूत 1405 में मेवाड़ साम्राज्य से गढ़वाल चले गए। और राणा राजपूतों ने गढ़वाल में बांगर गढ़, सांकरी गढ़ आदि पर शासन किया।
@@Rana___Ji9999nahi nahi america se aaye the rana 😂😂
@@parveshbisht4955bhai mujhe yah nahin pata hamare Pakistan mein Rana Rajput ko kahate Hain 💪🏻