माया गोविन्द जी को मैं 1977 से सुन रहा हूं। हम इनके कवि सम्मेलन में रात भर जाग कर कविता सुनते रहे। मेरे मामाजी ने माया जीजी से हमारा परिचय कराया था। मुम्बई में हम जुहू स्थित इनके घर पर कई बार गए हैं। जिज्जी बहुत अच्छा गाती हैं। कृष्ण की आराधिका हैं। पायल की झनकार फिल्म के गीत जीजी ने ही लिखे हैं। जिज्जी की पंक्तियां कविता कैसे होती है इस पर सटीक बैठती हैं जब सन्नाटा बना पहरुआ, मेरे द्वार सदा सोता है। तब आकुल सा कोई नया गीत जन्म लेता है। बहुत बहुत बधाई।
माया है पर ब्रह्म मार्ग पर चलने डरती हैं , प्रेम पंथ पर बिना झिझक के सदा पांव धरती है। वाह मनहर जी।
माया गोविन्द जी को मैं 1977 से सुन रहा हूं।
हम इनके कवि सम्मेलन में रात भर जाग कर
कविता सुनते रहे।
मेरे मामाजी ने माया जीजी से हमारा परिचय कराया था।
मुम्बई में हम जुहू स्थित इनके घर पर कई बार गए हैं।
जिज्जी बहुत अच्छा गाती हैं। कृष्ण की आराधिका हैं।
पायल की झनकार फिल्म के गीत जीजी ने ही लिखे हैं।
जिज्जी की पंक्तियां कविता कैसे होती है
इस पर सटीक बैठती हैं
जब सन्नाटा बना पहरुआ, मेरे द्वार सदा सोता है।
तब आकुल सा कोई नया गीत जन्म लेता है।
बहुत बहुत बधाई।
मेरे मामाजी देश के चर्चित व्यंगकार
मनोहर मनोज हैं।
जो कटनी
मध्य प्रदेश में रहते हैं।
आकुल शिशु सा कोई, नया गीत जन्म लेता है।
आपके शब्द सम्पूर्ण साहित्य का अनुपम, अनोखा सौंदर्य है.. 😍😍😍😍
Very nice
विरह राग की लाजवाब प्रस्तुति!
वाह बहुत सुंदर।
Amazing. Wahhh ❤
Bahut.sunder.rachna.bahin.mayagovind.ko.sat.sat.bandan
हृदय में प्रेम का भाव तो है
मन में पीड़ा का घाव भी है
जाने अनजाने मिले बहुत
पर अपने का अभाव भी है
Very nice so great beautiful Article.
This is a live recording with 16mm film camera
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