शरद पूर्णिमा: आकाश से अमृत की बरसात करेंगी, चन्द्रमा की चाँदनी, कम कपड़े मे छत पर सोना, खीर खाना।

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  • Опубликовано: 18 окт 2024
  • आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं , इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में रखी हुई खीर खाने की परंपरा है। इस दिन चन्द्रमा न केवल सभी सोलह कलाओं के साथ चमकता है, बल्कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों में उपचार के कुछ गुण भी होते हैं जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक उर्जा प्रदान करते हैं।
    शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इस दिन दूध से बनी खीर को खुले आकाश मे घर की छत पर रखा जाता है। ऐसा करने से शरद पूर्णिमा की चाँदनी में खीर औषधीय गुणों से भर जाती हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चंद्रमा ज्यादा निकट होता है और इस चंद्रमा में पृथ्वी पर कुछ ऐसी किरणें आती हैं जो सभी रोगों को दूर करने में असरदार होती हैं। इसलिए इस दिन लोग दूध की खीर बनाकर रात भर चन्द्रमा के प्रकाश में रखते हैं। इसका दूसरे दिन प्रातः काल सेवन करने से सभी तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।
    वैज्ञानिक के अनुसार दूध में प्रचुर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है। दूध की खीर जब चाँदनी रात में रखी जाती है तब यह अधिक मात्रा में चंद्रमा की किरणों को अवशोषित करती है। चंद्रमा के प्रकाश में कई तत्व होते हैं जो खीर को तत्वों से समृद्ध कर देते हैं। चावल से बनी खीर को चाँदी के बर्तन में चाँदनी रात में रखने पर यह पोषक तत्वों से समृद्ध हो जाती है। चाँदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जिसे खाने से इम्यूनिटी रोगप्रतिकारक क्षमता बढ़ती है।
    अगर आपके पास चाँदी का बर्तन नहीं है तो आप साधारण मिट्टी या स्टील के बर्तन में भी खीर रख सकते हैं।
    अगर किसी को चर्म रोग हो तो वो इस दिन खुले आकाश में रखी हुई खीर खाएं । साथ ही इस दिन कम से कम कपड़े पहनकर चन्द्रमा के प्रकाश चाँदनी रात में खुले आकाश में बैठने से स्किन त्वचा से जुड़े रोग दोषों का निवारण होता है। इस दिन चन्द्रमा के प्रकाश में मिश्री भी रखी जाती है। चन्द्रमा की चाँदनी सोखने अवशोषित करने वाली मिसरी पित्त से जुड़े रोगों के लिए औषधि का काम करती है। मूत्राशय से संबंधित यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन होने पर यह औषधीय मिश्री और धनिया मिलाकर खाने से लाभ मिलता है ।
    ‪@shivkumarsinghkaushikey2877‬

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