भलो भलाइहि पै लहइ लहइ निचाइहि नीच श्रीराम चरित मानस गोस्वामी तुलसीदास प्रसंग175
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- Опубликовано: 9 фев 2025
- सज्जन एवं दुष्ट का आचरण अलग अलग होता है ।भला व्यक्ति जहां अपने आचरण से सदाचार परोपकार समाज कल्याण की बात सोचता है । सदैव समाज कल्याण व्यक्ति कल्याण के लिए अपने को समर्पित कर देता है ।वही दुष्ट हृदय व्यक्ति सदैव अपने आचरण से जन मानस को पीङा देने मे सुख की अनुभूति करता है । उसका स्वभाव सदैव दूसरो को कष्ट प्रदान करने वाला होता है ।सज्जन स्वभाव वाले व्यक्ति सदैव अमृत के समान फल प्रदान करने वाले होते है । जब कि दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्तिका आचरण विष के समान होता है ।अमृत के सेवन से व्यक्ति अमर हो जाता है । जब कि विष पान से मृत्यु सुनिश्चित होती है ।दोनो का अपना गुणधर्म होता है । वै उसी गुणधर्म के अनुसार आचरण करते है ।उनके प्रभाव मे भी गुण धर्म के अनुसार फल निहित होते है ।इस संसार मे गुणी लोगो के द्वारा किए गये सत्कर्म एवं दुष्ट के दुष्कर्मो की अनेको कथाऐ प्रचलित है । उनके आचरण की पहचान करके संगति निर्धारित की जा सकती है ।
संसार के समस्त प्राणियो पर परब्रम्ह परमेश्वर स्वरूप श्री राम जी की कृपा बनी रहे