पेट में गई हुई हर चीज को पचना पड़ता है बचने के बाद ही वह अगला मार्ग अपनाती हर घंटे में यदि हम कुछ ना कुछ देते रहेंगे तो हमारी शारीरिक ऊर्जा उसे पचाने में ही खर्च होती रहेगी ऐसा डॉक्टर गोपाल शास्त्री का कथन है
8 घंटे बाद 16 घंटे का उपवास भी तो है। जिसमें शरीर अपने आप पर अंदरूनी उपचार करता है। इस खाने की पद्धति को नोबेल प्राइज मिला हुआ है। और सारी चीजें नहीं खाएंगे तो deficiencies होने की संभावना है। और यह सब एक साथ नहीं खा सकते ।
@@tkarpe अचार चटनी रोटी खाकर एक मजदूर हावड़ा चलाता है मेहनत का कार्य करता है उसके बारे में कोई डिफिशिएंसी नहीं है ना ही उसे भय हैं मेहनत करने के बाद गहरी नींद लेता है उसी में उसकी रिपेयरिंग हो जाती है जैसे गटर के ऊपर ही सोने वाले मुंबई के तमाम लोगों को कभी डेंगू और मलेरिया नहीं होता है बड़े-बड़े टावर में रहने वाले लोगों को डेंगू और मलेरिया हो जाता है भारत में एक पुरानी कहावत थी 2 जून की रोटी दो टाइम का भोजन। आप की दृष्टि से इसके ऊपर प्रकाश डालें
Good information
पेट में गई हुई हर चीज को पचना पड़ता है बचने के बाद ही वह अगला मार्ग अपनाती हर घंटे में यदि हम कुछ ना कुछ देते रहेंगे तो हमारी शारीरिक ऊर्जा उसे पचाने में ही खर्च होती रहेगी ऐसा डॉक्टर गोपाल शास्त्री का कथन है
8 घंटे बाद 16 घंटे का उपवास भी तो है। जिसमें शरीर अपने आप पर अंदरूनी उपचार करता है। इस खाने की पद्धति को नोबेल प्राइज मिला हुआ है। और सारी चीजें नहीं खाएंगे तो deficiencies होने की संभावना है। और यह सब एक साथ नहीं खा सकते ।
@@tkarpe अचार चटनी रोटी खाकर एक मजदूर हावड़ा चलाता है मेहनत का कार्य करता है उसके बारे में कोई डिफिशिएंसी नहीं है ना ही उसे भय हैं मेहनत करने के बाद गहरी नींद लेता है उसी में उसकी रिपेयरिंग हो जाती है जैसे गटर के ऊपर ही सोने वाले मुंबई के तमाम लोगों को कभी डेंगू और मलेरिया नहीं होता है बड़े-बड़े टावर में रहने वाले लोगों को डेंगू और मलेरिया हो जाता है भारत में एक पुरानी कहावत थी 2 जून की रोटी दो टाइम का भोजन। आप की दृष्टि से इसके ऊपर प्रकाश डालें