वास्तव में आत्मा की प्यास की जो भाव आज है, और अगले पल नही रहती ,अगले दिन नही रहती, इसीलिए आत्मा की प्यास जागे तो उसी समय कार्य करलेना ही समझदारी है और आत्मा की प्यास के लिए संसार का भय लगना जरूरी 🙏🙏
साधना जैन,,, गुरुजी हमें समझा रहे है,,,,❤ परिणाम में एकत्व रहने से,,, यह बात हमें समझ नहीं आती कि,,, क्रिया होते हुए भी जड़ की है,,, इसका करता धर्ता मैं नहीं हूं,,, इसलिए समझ नहीं आती क्योंकि,,, अनादि काल से मिथ्या दृष्टि है,,, हमने अनादि काल से देह और आत्मा को भिन्न जाना ही नहीं,,, शुभ अशुभ भाव से भिन्न गायक कभी देखा ही नहीं,,, गुरुजी ने कहा,,,❤❤ हम सिर्फ शास्त्रों में पढ़ लेते हैं,,, शुभअशुभभाव मेरे से भिन्न है,,, शास्त्रों में से पढ़कर हमें ज्ञान तो हो जाता है,,, लेकिन हमें अनुभव कुछ नहीं है,,,, और गुरुजी ने कहा,,, जो जीव गहराई से तत्व विचार करते हैं,,,, वह जीव आत्मा अनुभव करके,,, देह और आत्मा को भिन्न जान ही लेते हैं❤🙏🙏
जय जिनेंद्र पंडित जी🙏🙏🙏
सविनय सादर जयजिनेन्द्र, सरजी.. 🙏🏻🕉️🙏🏻🕉️
Mumbai 🙏JAI JINANDRA🙏🙏🙏
Jai jinendra 🙏 रायपुर छत्तीसगढ़ 😊
आदरणीय पण्डित जी साहब सादर जय जिनैंद्र 🙏🙏🙏
Thank you very very much Dr. VIVEK JI . Aap ke Gyaan ki bahut bahut anumodna . 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 .
बहुत बहुत आभार पंडित जी , जय जिनेन्द्र पंडित जी
Sardar Baljit Singh Punjab Jai Janender All Of You
अद्भुत🙏
Jay jinendra nagda junction
Jai jinendra bhai gwalior 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
Jai jinendra Aadarniye Pandit ji 🙏🙏🙏🙏
वास्तव में आत्मा की प्यास
की जो भाव आज है, और अगले पल नही रहती ,अगले दिन नही रहती, इसीलिए आत्मा की प्यास जागे तो उसी समय कार्य करलेना ही समझदारी है
और आत्मा की प्यास के लिए संसार का भय लगना जरूरी 🙏🙏
જય જિનેન્દ્ર સુરેન્દ્રનગર ગુજરાત
Jay jinendra
Jai jinendra dahod
Jai Jinendra 🙏🏼
Jay jinendre Dolly kothari dahod namaste
मौन वंदना🙏🙏🙏
👌🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻👌👌👌👍👍
Bilkul sahi 👌
साधना जैन,,, गुरुजी हमें समझा रहे है,,,,❤ परिणाम में एकत्व रहने से,,, यह बात हमें समझ नहीं आती कि,,, क्रिया होते हुए भी जड़ की है,,, इसका करता धर्ता मैं नहीं हूं,,, इसलिए समझ नहीं आती क्योंकि,,, अनादि काल से मिथ्या दृष्टि है,,, हमने अनादि काल से देह और आत्मा को भिन्न जाना ही नहीं,,, शुभ अशुभ भाव से भिन्न गायक कभी देखा ही नहीं,,, गुरुजी ने कहा,,,❤❤ हम सिर्फ शास्त्रों में पढ़ लेते हैं,,, शुभअशुभभाव मेरे से भिन्न है,,, शास्त्रों में से पढ़कर हमें ज्ञान तो हो जाता है,,, लेकिन हमें अनुभव कुछ नहीं है,,,, और गुरुजी ने कहा,,, जो जीव गहराई से तत्व विचार करते हैं,,,, वह जीव आत्मा अनुभव करके,,, देह और आत्मा को भिन्न जान ही लेते हैं❤🙏🙏
धर्म तो वीतराग है,और हमारा मन राग में डूबा हुआ है। अतः हमें यह धर्म पचता नहीं है? हमें राग रंग बिना जीवन सुना-सुना सा लगता है?
बहुत बहुत आभार
5 sam vaye hone par hi aatma ka darshan hoga , kya yah sahi hai ?
😄😄
Aap satay bol Rahe he
Vivek ji k whatsapp no send kare ji
🙏🙏🙏