श्रीमान जी हम द्विवेदी ब्राह्मण है जो पटना बिहार से आकर उत्तराखंड पिथौरागढ़ में बसे हैं अभी वर्तमान में साढ़े तीन सौ परिवार है हम कान्यकुब्ज ब्राह्मण चौथानी में है
Kailaash pati Himalaya ne sab ko saran di hai or saran deta rahega kyu ki yaha ke mool niwasi devta hai hum sabhi maanav or daanav jati ko saran deney ke liye Himalaya ka koti koti aabhar.
@@Donglyinvestingtips9113 यह बिहारी नही बल्कि द्विवेदी ब्राह्मण हैं हमारे यहां बहुत हैं यही असली ब्राह्मण होते हैं असली ब्राह्मण मिश्रा बाजपाई शुक्ला तिवारी त्रिपाठी बहुत से
Dwivedi ji aap pithoragarh ke kis gaon se hain . Dwivedi upnaam kumaon me maine pahle nhi suna hai. Mera malakot bhi pokhari gangolihaat (pithoragarh) hai.
Sir जैसे आपने गरवाल के हर ब्राह्मण के बारे में बताया वैसे ही कुमाऊँ के हर जाती के ब्राह्मण के बारे में बताए आपने बहुत अच्छी जानकारी दी आपका तहे दिल से धन्यबाद
When I told my parents that the first lady of Pakistan was s pant a KUMAONI Brahmin my parents did not believe me. Many KUMAONIS are still unaware of this.
सर यह कमाऊ में किसी व्यक्ति के जन्म के कारण नहीं बल्कि रजवार सोम चंद महाराज के शासन काल सें यह चला आ रहा था जिस में भारत के सभी भागों के ब्रह्मण जब कमाऊ में आये तो उनके जीवन शैली के अनुसार उनको कार्य दिया गया यह उन् की योगिता थी आज समाज बदल रहा हैँ मूल्य भी बदल रहे हैँ
श्रीमान जी वैदिक काल में जाति प्रथा नहीं थी। सब मनुष्य एक ही समाज से जुड़े हैं। समय ने समाज को आपस में बांट दिया। यह मानव की खून में ही अवगुण है कि वह अपने ही लोगों के उपर शासन करना चाहता है। शासन करने के लिए उसे शासक वर्ग को ऊंचा और शासित को छोटा बनाना ही पड़ेगा। आडम्बर जो चाहे जितना कर लें। सब मानव बराबरी के हैं। खून की तासीर अलग-अलग हो सकती है।
सती ब्राह्मण गढ़वाल में भी है कुमायूं मैं भी है हिमाचल परदेश में भी है पंजाब में भी है, आंध्र परदेश में भी Sati(s) are predominantly fount in parts of Uttarakhand [Kumaon] and Himanchal Pradesh. They are upper caste Brahmins with traditional occupation of priest. Infact Satis of Almora(district in Uttarakhand) are one of most demanded priests across globe.
Actual reality is that After loosing 3rd battle of Panipat, brahmins who followed Peshwa Sadashiv Rao scattered all over North India and many of them migrated to Kumaon hills specially from Konkan region of Maharashtra.
Nepali k original chhetri jo pehle brahmin the lekin badme chhetri ban gye vo bhi dhoti pahankar suche chulhe pr khana banakr khate hai aur original chhetri Bahar ka pakaya bhat ni khate hai
ब्राह्मणों की धोती छोटी वड़ी वेद पाठी ब्राह्मण पुरोहितान ब्राह्मण गतिक्रिया कटहा व्रहामणके साथ उनके गोत्र का भी काफी भेद है गोत्र भी पूछे जाते हैं शादी विवाह के समय तो वह भी थोड़ा एक्सप्लेन करते तो सही होता
Sir Namaskar Maine aapki dono vedios dekhi hain.. myself Vinod Mishra hail from Dewal Distt. Chamoli and we know garhwali and kumaoni as well..aapki dono vedios me Mishra logon ke bare me koi jikra nahi.. surprising
There are 2 groups of Kumaoni Brahmins in Nepal. One being pure Vedic in origin with some slight intermix with Khasiya (the local resident of Northwest Indian himalaya) who can be both Thul dhoti or Nan Dhoti and other being Non-vedic Khasiya, Khoond or Kanet in origin. Both of them considered themselves as brahmin or say they being in the category of Brahmin but only one group got its success in maintaining one's position as brahmin in Nepali society. The Kumaoni Vedic Brahmins who could perform or conduct the rites & ritual of Vedas or Agamas got its own place within the Nepali Society whereas the other one got downgraded from ones position as Brahmin to just Kumai because of ones ignorance in performing any vedic or agamic rites or rituals and were seen generally as inferior or dirty because of the presence of meat consumption within them which was considered as taboo in Nepali Brahman Society. Kumaoni Vedic Brahmin not just became successful within the Nepali Purbiya Brahmin circle but also got the position of Raja Purohit (The Shah Royal Family of Nepal still use Kumaoni Vedic Brahmins as their main priest) whereas the Kumai who were agricultural pastoralist just like their ancestor had to entirely depend upon it. The Khasiya Kumai Bahun & Kumaoni Vedic Brahmin never associated themselves with each other for some roughly 500-600 years of their arrival but nowadays they're breaking the ice by willingly intermarry with each other. The Marital relationships nowadays are not just limited between these two Kumaoni groups but also with Purbiya Nepali Brahmins & other Khas ethnic groups of Nepal.
नमस्कार लखेड़ा जी,आपने हमारे परिक्षेत्र (कुमायूँ)में प्रचलित "ठुल और नांनि धोति" पर विस्तृत प्रकाश डाला है।इसी तरह हमारी सांस्कृतिक व सामाजिक व्यवस्था पर प्रकाश डालकर सबका ज्ञानवर्धन करते रहिए।सादर, हंसी ब्रजवासी
brahmano me kumaon me aaj bhi hai. Yahaan tak ki shaharon me bhi maojood hai. Ab bhi inme aapsi vivah sambandh bahot hi kam dekhne ko milte hain aur agar hote bhi hain to unhe samanya nhi samajha jaata hai. Iske saath hi in brahmano ke rivaazo mein bhi farak dhekne to milta hai. Jahaan chauthani brahmano me karmkaand aur puratan brahman rivaazon ki adhikta hai wahin pachbidiya aur halbaani(jinhe yahaan nan dhoti kahaa hai) me yah kam ya kabhi kabhi maojood hi nhi hote hain.
@@pankajuprety9216 There are two Groups within Kumai in Nepal, One being pure Vedic Brahmins with some intermixing with the tribal of Himalaya aka 'Khasiya' whereas Other being Non-vedic 'Khasiya' who are the native of himalaya and were the one who were uplifted into Brahmin position but have no right to perform any vedic rites or ritual.
इस जानकारी में कोई सच्चाई नहीं है, यह ब्राह्मणों के एक निश्चित संप्रदाय के प्रति आपकी ईर्ष्या का प्रदर्शन है। आपकी जानकारी न केवल तकनीकी आधार पर गलत है बल्कि विश्लेषणात्मक रूप से भी असत्य है। यदि आपके पास अपने शोध का कोई आधार है तो कृपया उन्हें भी प्रस्तुत करें।
बिल्कुल सही बोला. मुझे भी ऐसा ही लगा सुनकर. भाई क्या research की गई है ये जानकारी मैं... कुछ भी नहीं. इससे ज्यादा information और विश्लेषण तो पन्त वंशावली मैं मिलता है.
झाड़ नहीं झिझाड़ कहिए। मूलतः वे कानपुर और उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट पर बसे ड्योढ़िया खेड़ा से चंदों के साथ आए सनाढ्य चौबे अथवा चतुर्वेदी थे। और कुमाऊं का राजा बनने के चंद राजाओं ने उन्हें चंपावत के पास झिझाड़ ग्राम बतौर जागीर दिया था। ऐसे ही देवलिया और मंडलिया ब्राह्मण हैं जिन्हें पांडे कहा गया। ये भी उसी चंद राजपुत्र के सहयात्री थे। बद्री दत्त पांडे जी के अनुसार सोमचंद के साथ करीब 27 लोगों में ये लोग शामिल थे। इनमें एक कायस् भी थे जो बाद में तड़ागी कहलाए। गढ़वाल के इतिहास में आपको वैश्य नहीं मिलेंगे लेकिन कुमाऊं में ये साह कहलाते हैं और मूलतः बदायूं कासगंज क्षेत्र से थे। बाद में राजा ने सत्ता संतुलन के लिए महर और फर्त्याल धड़े बनाए थे। महर, मेहरा/मेहता या माहरा हैं (मूल गांव भीमताल से भवाली जाते समय माहरा गांव है) और इन्हें पंजाब के मेहरोत्रा या मल्होत्रा से भी जोड़ा जाता है। पंजाब में खत्री अब तीन किस्म के हैं। मूल ढाई घरिए- कपूर, खन्ना और मेहरोत्रा (उन्हें आधा कहा जाता है क्योंकि उनकी एक बसासत पंजाब के अमृतसर के आसपास और दूसरी इसी नैनीताल वाले माहरा गांव में थी)। ढाई घरिए बाद में बढ़ कर बारह घरिए हुए (और जातियां जुड़ने के बाद) और फिर संभवतः सत्रहवीं शताब्दी के बाद बावन घरिए जिन्हें बनूंजा/बुंजा खतरी भी कहा जाने लगा था।
Nan dhoti or hal boni brahmin castes are 90 % both same on thakur and brahmin like suyal bisht bhandari adhikari Rawal punetha bametha.....they all are brahmin or thakur by caste
श्रीमान जी हम द्विवेदी ब्राह्मण है जो पटना बिहार से आकर उत्तराखंड पिथौरागढ़ में बसे हैं अभी वर्तमान में साढ़े तीन सौ परिवार है हम कान्यकुब्ज ब्राह्मण चौथानी में है
Aap bihari bramhin ho ? Ye kaun se bramhin hote hai ?
Kailaash pati Himalaya ne sab ko saran di hai or saran deta rahega kyu ki yaha ke mool niwasi devta hai hum sabhi maanav or daanav jati ko saran deney ke liye Himalaya ka koti koti aabhar.
@@Donglyinvestingtips9113 कान्यकुब्ज ब्राह्मण
@@Donglyinvestingtips9113 यह बिहारी नही बल्कि द्विवेदी ब्राह्मण हैं हमारे यहां बहुत हैं
यही असली ब्राह्मण होते हैं असली ब्राह्मण
मिश्रा
बाजपाई
शुक्ला
तिवारी
त्रिपाठी
बहुत से
Dwivedi ji aap pithoragarh ke kis gaon se hain . Dwivedi upnaam kumaon me maine pahle nhi suna hai. Mera malakot bhi pokhari gangolihaat (pithoragarh) hai.
Sir जैसे आपने गरवाल के हर ब्राह्मण के बारे में बताया वैसे ही कुमाऊँ के हर जाती के ब्राह्मण के बारे में बताए आपने बहुत अच्छी जानकारी दी आपका तहे दिल से धन्यबाद
रोचक तथ्य।
Thanks
ATI sundar ethansh
जबरदस्त विश्लेषण ,हम सब मनुष्य हैं यही हमारा धर्म होना चाहिए। आंखें खोलने वाला सत्य।
thnxxxxxx
भाईजी संविधान में जबतक सरनेम चेंज नहीहोता और जातिगत आरक्षण सुमाप्त नहीहोता तबतक ये जातिवादी स्टेटस सिम्बल चलेगा।
4:10 pant pandey joshi Nepal se aae kumaon me?
nhi... ye kumaon se nepal gye... udr ye panta pandey joshi khalate h inko kumai bahun kahan hata h inge
From South India after 3rd battle of Panipat.
When I told my parents that the first lady of Pakistan was s pant a KUMAONI Brahmin my parents did not believe me.
Many KUMAONIS are still unaware of this.
She was christian
सर यह कमाऊ में किसी व्यक्ति के जन्म के कारण नहीं बल्कि रजवार सोम चंद महाराज के शासन काल सें यह चला आ रहा था जिस में भारत के सभी भागों के ब्रह्मण जब कमाऊ में आये तो उनके जीवन शैली के अनुसार उनको कार्य दिया गया यह उन् की योगिता थी आज समाज बदल रहा हैँ मूल्य भी बदल रहे हैँ
श्रीमान जी वैदिक काल में जाति प्रथा नहीं थी।
सब मनुष्य एक ही समाज से जुड़े हैं।
समय ने समाज को आपस में बांट दिया।
यह मानव की खून में ही अवगुण है कि वह अपने ही लोगों के उपर शासन करना चाहता है।
शासन करने के लिए उसे शासक वर्ग को ऊंचा और शासित को छोटा बनाना ही पड़ेगा।
आडम्बर जो चाहे जितना कर लें।
सब मानव बराबरी के हैं। खून की तासीर अलग-अलग हो सकती है।
कुमाऊं के कौशल्या गोत्र से सम्बन्धित ब्रहामण किस ऋषि से सम्बंधित हैं।
This channel gave me so much informative knowledge about my ancestors.hope I could visit that land once in future
thnxxxx
NEPALI or KUMAONI?
@@sumitchettri7905 Nepali since three generations. My ancestors were from Kumauo
@@sashman904
You live in Nepal or somewhere else ?
@@vg82 yes in Nepal Biratnagar
सती ब्राह्मण गढ़वाल में भी है कुमायूं मैं भी है हिमाचल परदेश में भी है पंजाब में भी है, आंध्र परदेश में भी
Sati(s) are predominantly fount in parts of Uttarakhand [Kumaon] and Himanchal Pradesh. They are upper caste Brahmins with traditional occupation of priest. Infact Satis of Almora(district in Uttarakhand) are one of most demanded priests across globe.
Joshi bhandari adhikari rawat rawal
उत्तर प्रदेश में नहीं हैं
@@sachinmishra7337 अपनी असली पहचान को जानना चाहिए ये जैसे कौन से ब्राह्मण है, वेद शाखा, उपवेद, कहाँ से आये, शिखा, आदि
ये उसको नहीं जानते हैं
@@IM.U528 Joshi k alawa saare Khas h. Jo aap kh rahe ho
Actual reality is that After loosing 3rd battle of Panipat, brahmins who followed Peshwa Sadashiv Rao scattered all over North India and many of them migrated to Kumaon hills specially from Konkan region of Maharashtra.
मान्यवर हम आनंदित हो गए आपकी विडियो देख कर आपसे निवेदन है कि कुमाऊनी विप्र जातियों पर भी एक विडियो बनाई जाय।। सभी लोगों की जानकारी के लिए
पहलेसे ही बनाई हैं। आप चैनल में देखिएगा।
सोमेश्वर के पास रिस्यारा गांव है जहां के पांडेय ब्राह्मण राजा की रसोई संभालते थे।
बहुत बहुत शुक्रिया सर्।
बहुत अच्छी जानकारी देने के लिए 🙏
Thnx mam
Baag kya hota hai
Nepali k original chhetri jo pehle brahmin the lekin badme chhetri ban gye vo bhi dhoti pahankar suche chulhe pr khana banakr khate hai aur original chhetri Bahar ka pakaya bhat ni khate hai
ब्राह्मणों की धोती छोटी वड़ी वेद पाठी ब्राह्मण पुरोहितान ब्राह्मण गतिक्रिया कटहा व्रहामणके साथ उनके गोत्र का भी काफी भेद है गोत्र भी पूछे जाते हैं शादी विवाह के समय तो वह भी थोड़ा एक्सप्लेन करते तो सही होता
Bahut hi achi jankari 🙏
Thnx
Sir Namaskar
Maine aapki dono vedios dekhi hain.. myself Vinod Mishra hail from Dewal Distt. Chamoli and we know garhwali and kumaoni as well..aapki dono vedios me Mishra logon ke bare me koi jikra nahi.. surprising
Sir ji. विडियो थोड़ी short। म बनाओ।
कई लंबी हो जाती है आपकी वीडियो
ये सभी ब्राह्मणौ मै है जिन्होंने हुककीया या हणुआ या बदलुआ ये ब्राह्मणौ मै
ही नही सब जातियौ मै है । यह अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए ।
ठुल ब्राह्मण,ठुल धोती,नान धोती
Good information👌🙏🌹
बहुत सुंदर सर
Thnx
Kumaon mein pandey Brahman ke baare mein bataye
बहुत शुद्ध एवम् समृद्ध जानकारी
Thnxx
🙏🙏 bahut sundar 👌👌
Thnxx
Aati sunder
Thnx
Nice
Thnx
👍🏻👍🏻
Pathak brahman ke bare me aapne kuch nahi bataya?
Rishabh pant is kumaou bramhan is marathi bramhan Pant is normal surname in pune and kokan region
There are 2 groups of Kumaoni Brahmins in Nepal. One being pure Vedic in origin with some slight intermix with Khasiya (the local resident of Northwest Indian himalaya) who can be both Thul dhoti or Nan Dhoti and other being Non-vedic Khasiya, Khoond or Kanet in origin. Both of them considered themselves as brahmin or say they being in the category of Brahmin but only one group got its success in maintaining one's position as brahmin in Nepali society. The Kumaoni Vedic Brahmins who could perform or conduct the rites & ritual of Vedas or Agamas got its own place within the Nepali Society whereas the other one got downgraded from ones position as Brahmin to just Kumai because of ones ignorance in performing any vedic or agamic rites or rituals and were seen generally as inferior or dirty because of the presence of meat consumption within them which was considered as taboo in Nepali Brahman Society. Kumaoni Vedic Brahmin not just became successful within the Nepali Purbiya Brahmin circle but also got the position of Raja Purohit (The Shah Royal Family of Nepal still use Kumaoni Vedic Brahmins as their main priest) whereas the Kumai who were agricultural pastoralist just like their ancestor had to entirely depend upon it. The Khasiya Kumai Bahun & Kumaoni Vedic Brahmin never associated themselves with each other for some roughly 500-600 years of their arrival but nowadays they're breaking the ice by willingly intermarry with each other. The Marital relationships nowadays are not just limited between these two Kumaoni groups but also with Purbiya Nepali Brahmins & other Khas ethnic groups of Nepal.
Kun thar thul dhoti ho kumoni brahmin ma
नमस्कार लखेड़ा जी,आपने हमारे परिक्षेत्र (कुमायूँ)में प्रचलित "ठुल और नांनि धोति" पर विस्तृत प्रकाश डाला है।इसी तरह हमारी सांस्कृतिक व सामाजिक व्यवस्था पर प्रकाश डालकर सबका ज्ञानवर्धन करते रहिए।सादर,
हंसी ब्रजवासी
Let bygone be bygone.
Bheda barhman kon hote hi
ठुल धोती एव नन धोती काफी हद तक समाप्त या बिलुप्त हो रहा है
@Blank Mind थोड़ा जानकारी दे। दो तरह के राजपूत के बारे मे
Bhandari are both brahmin and thakur in kumaun so is my caste
@@rameshchandrana2145 6 palli 3 palli
brahmano me kumaon me aaj bhi hai. Yahaan tak ki shaharon me bhi maojood hai. Ab bhi inme aapsi vivah sambandh bahot hi kam dekhne ko milte hain aur agar hote bhi hain to unhe samanya nhi samajha jaata hai.
Iske saath hi in brahmano ke rivaazo mein bhi farak dhekne to milta hai. Jahaan chauthani brahmano me karmkaand aur puratan brahman rivaazon ki adhikta hai wahin pachbidiya aur halbaani(jinhe yahaan nan dhoti kahaa hai) me yah kam ya kabhi kabhi maojood hi nhi hote hain.
@@devesh431 Sahi khaa
UPADHYA and JAISI in NEPALI BRAHMIN.
Only UPADHYA can be priest.
kumai brahman is also there
@@pankajuprety9216 There are two Groups within Kumai in Nepal, One being pure Vedic Brahmins with some intermixing with the tribal of Himalaya aka 'Khasiya' whereas Other being Non-vedic 'Khasiya' who are the native of himalaya and were the one who were uplifted into Brahmin position but have no right to perform any vedic rites or ritual.
@@rocklan8676 kun kun thar non vedic ho kumai brahmin ma
Bahut Bahut BADHAI
इस जानकारी में कोई सच्चाई नहीं है, यह ब्राह्मणों के एक निश्चित संप्रदाय के प्रति आपकी ईर्ष्या का प्रदर्शन है। आपकी जानकारी न केवल तकनीकी आधार पर गलत है बल्कि विश्लेषणात्मक रूप से भी असत्य है। यदि आपके पास अपने शोध का कोई आधार है तो कृपया उन्हें भी प्रस्तुत करें।
Most nan dhoti brahmin or hal bani brahmin and thakur castes are same in kumaoon I m one also them
बिल्कुल सही बोला. मुझे भी ऐसा ही लगा सुनकर.
भाई क्या research की गई है ये जानकारी मैं... कुछ भी नहीं.
इससे ज्यादा information और विश्लेषण तो पन्त वंशावली मैं मिलता है.
आप लोगो के पास और अच्छी जानकारी है तो शेयर करैं।
क्या टमटा ब्राह्मण में आते हैं
न, वे शिल्पकार हैं।
झाड़ नहीं झिझाड़ कहिए। मूलतः वे कानपुर और उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट पर बसे ड्योढ़िया खेड़ा से चंदों के साथ आए सनाढ्य चौबे अथवा चतुर्वेदी थे। और कुमाऊं का राजा बनने के चंद राजाओं ने उन्हें चंपावत के पास झिझाड़ ग्राम बतौर जागीर दिया था। ऐसे ही देवलिया और मंडलिया ब्राह्मण हैं जिन्हें पांडे कहा गया। ये भी उसी चंद राजपुत्र के सहयात्री थे। बद्री दत्त पांडे जी के अनुसार सोमचंद के साथ करीब 27 लोगों में ये लोग शामिल थे। इनमें एक कायस् भी थे जो बाद में तड़ागी कहलाए। गढ़वाल के इतिहास में आपको वैश्य नहीं मिलेंगे लेकिन कुमाऊं में ये साह कहलाते हैं और मूलतः बदायूं कासगंज क्षेत्र से थे। बाद में राजा ने सत्ता संतुलन के लिए महर और फर्त्याल धड़े बनाए थे। महर, मेहरा/मेहता या माहरा हैं (मूल गांव भीमताल से भवाली जाते समय माहरा गांव है) और इन्हें पंजाब के मेहरोत्रा या मल्होत्रा से भी जोड़ा जाता है। पंजाब में खत्री अब तीन किस्म के हैं। मूल ढाई घरिए- कपूर, खन्ना और मेहरोत्रा (उन्हें आधा कहा जाता है क्योंकि उनकी एक बसासत पंजाब के अमृतसर के आसपास और दूसरी इसी नैनीताल वाले माहरा गांव में थी)। ढाई घरिए बाद में बढ़ कर बारह घरिए हुए (और जातियां जुड़ने के बाद) और फिर संभवतः सत्रहवीं शताब्दी के बाद बावन घरिए जिन्हें बनूंजा/बुंजा खतरी भी कहा जाने लगा था।
कायस्थ
बहुत अच्छी जानकारी
तिवारी जी।
Nan dhoti or hal boni brahmin castes are 90 % both same on thakur and brahmin like suyal bisht bhandari adhikari Rawal punetha bametha.....they all are brahmin or thakur by caste
@@himalayilog आपको पूरी research करके video बनानी चाहिए. फालतू का आधा अधूरा ग्यान नहीं देना चाहिए.