इतना क्यों नाच रहा है उत्तराखंडी समाज ? इस प्रश्न का उत्तर है किसी के पास ?

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  • Опубликовано: 3 дек 2024

Комментарии • 305

  • @radhasingh6554
    @radhasingh6554 11 месяцев назад +1

    Bilkul sach baat kahi aapne🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹

  • @rahuluniyal9539
    @rahuluniyal9539 11 месяцев назад

    बहुत सुंदर विश्लेषण।

  • @shankarsinghbisht7744
    @shankarsinghbisht7744 10 месяцев назад +1

    आपने बहुत कठिन सवाल पूछ लिया. जवाब देना भरी पड़ रहा है .

  • @chitramanidevliyal9071
    @chitramanidevliyal9071 11 месяцев назад +1

    विचारणीय प्रश्न है।

  • @radhakrishansharma681
    @radhakrishansharma681 11 месяцев назад

    आप के विचार अति उत्तम है लेकिन हम स्वार्थी
    हो गए हैं।

  • @pradeeprawat9450
    @pradeeprawat9450 11 месяцев назад +1

    Aapkj bat se 100% Sehmat hun …. Vichaarniya

  • @vinodkumarpanthari1244
    @vinodkumarpanthari1244 10 месяцев назад +2

    आपने एक सटीक प्रश्न उठाया है.

  • @PNV110
    @PNV110 10 месяцев назад +1

    अब तो पहाड़ों में भी पहाड़ी खतरे में आ गया।

  • @basantballabhpandey849
    @basantballabhpandey849 11 месяцев назад +1

    Aapka lucture acha laga dhanybad,,,,,,,,

  • @dilipjaisingh4485
    @dilipjaisingh4485 11 месяцев назад +1

    MONEY FOLLOWING IN UTTARAKHAND DAY & NIGHT 👏👏👏👏👏

  • @Jeena217
    @Jeena217 10 месяцев назад +1

    आपका बहुत धन्यवाद। एक ज्वलंत समस्या पर आपने अपने विचार रखे हैं। वाकई में उत्तराखण्ड इतना नाच क्यों रहा है? जबकि आज किसी को नौकरी नहीं मिल रही है कोई शादी के लिए तरस रहा है अधिकतर युवा अपनी शादी की उम्र पार कर चुके हैं। फिर भी हम नाच ही रहे हैं।

  • @shekharchand4422
    @shekharchand4422 11 месяцев назад +1

    उत्तराखंड समाज ना अपने लोगों के हित सोचता है ना अपनी भूमि के बारे में सोचता है

  • @dramatv12122
    @dramatv12122 10 месяцев назад +1

    Mai apki bat se sahmat hu

  • @JaipalRawat-h6e
    @JaipalRawat-h6e 11 месяцев назад +1

    👌🙏

  • @DharmSingh-ip2cl
    @DharmSingh-ip2cl 10 месяцев назад +1

    Ap na sahi kaha sir

  • @matbaraswal7725
    @matbaraswal7725 10 месяцев назад +1

    बहुत सुन्दर विश्लेषण. हकीकत. Garhwali programme nachte लोगों ko देख कार बाकी सब लोगों ko बोलते suna... "Garhwali Pagla गये हैं" political Parties, पोलिटिकल लोग आपने फायदा कीं लिये, Nachha रहे हैं, लोग Naach रहे हैं. बाकी सब कुछ आपने batta दिया हैं..... असली Garhwali गाऊँ मे रह गये, जिनके पास nachne ko कुछ हैं नही हैं. जो Delhi जैसे cities मे हैं उनके पास सोचना ka कुछ लगता नही, इसलिए खूब naache जा रहे हैं जैसे dalal चाहते हैं...........

  • @archanavasist7897
    @archanavasist7897 10 месяцев назад +1

    Right sir I observed it many times

  • @d7ifc74fj
    @d7ifc74fj 11 месяцев назад +1

    Bahut bahut dhanyvaad sir aasha karta hun aapke vichar hm sab ke prkuchh to log kahengen

  • @sridharprasadsati796
    @sridharprasadsati796 11 месяцев назад +1

    अप्रत्याशित रुप से ब्लौगरों की बृद्धि।सारा शोसल मिडिया उत्तराखंडीयों के डांस से भरा पढ़ा है।सचमुच सोचनीय प्रश्न।

  • @GaurikBisht
    @GaurikBisht 11 месяцев назад

    Bhut sunder vichar hai sir ❤

  • @sushmaaswal3399
    @sushmaaswal3399 11 месяцев назад +1

    बहुत अच्छी बात कही ।ये जरूर सोचनी वाली बात है । 🙏

  • @bhagatnegi7761
    @bhagatnegi7761 11 месяцев назад +2

    बहुत सुन्दर विचार सर आपकी ये बातें अवस्य जागरुक करेंगी,

  • @girishk5260
    @girishk5260 11 месяцев назад

  • @SrichandSinghRawat-im1px
    @SrichandSinghRawat-im1px 11 месяцев назад +1

    लखेड़ा जी नमस्कार, आपने हमारे समाज की वर्तमान स्थिति का सटीक वर्णन किया है, हमारा समाज संतृप्त अवस्था में जी रहा है अतीत व भविष्य पर सामूहिक चिंतन करने से दूर हो रहा है वर्तमान में ही रंग रहाहै आज महाकौथिगों से अधिक वैचारिक चेतना जाग्रत करने की अधिक आवश्यकता है आपका सटीक चिंतन के लिए धन्यवाद|

  • @ShantiRawat-r3j
    @ShantiRawat-r3j 11 месяцев назад +1

    सही बात कह रहे हो 🙏👍👍

  • @ravindrabartwal4756
    @ravindrabartwal4756 11 месяцев назад

    Ati Uttam Lakheraji Jo aapnai Dance ka topic uthaya, akhir mai yhai samajh sai praie hai please explain in detail. Dhanaybad

  • @shivcharanmundepi5440
    @shivcharanmundepi5440 11 месяцев назад +2

    आज उत्तराखंडियों के संदर्भ में यह प्रश्न महत्वपूर्ण एवम विचारणीय है।

  • @rsrawat5266
    @rsrawat5266 11 месяцев назад +1

    सराहनीय बिसय

  • @bhupendrapandey1104
    @bhupendrapandey1104 11 месяцев назад +2

    बिलकुल सही बात है सर. ये विचार मेरे मन मैं बहुत दिन से चल रहा था. इसीलिए मैंने अब ये कौथिग मैं जाना छोड़ दिया है या कम कर दिया है. क्योंकि वहां पर पहाड़ के नाम पर केवल डांस ही होता है या लोग अपना ब्यापार करते हैं. आधी से भी ज्यादा जनसंख्या तो ऐसे लोगों की होगी जिनको पहाड़ी बोलना तक नहीं आती या फिर जिनको अपने गाँव गये सालों हो गये होंगे या देखा भी नहीं होगा. इस तरह से एक ऐसी खोखली पीढ़ी तैयार हो रही है जो जिसको पहाड़ी कल्चर के नाम पर केवल नाचना आता है. और वो किसी भी म्यूजिक पर नाचने क़ो तैयार हैं, फिर चाहे वो बिहारी हो, हरयाणवी हो, या फिर पंजाबी. उनको केवल छुटटी के दिन इन कार्यक्रमों मैं आकर खा पी के, नाच के चले जाना है. और ये समाज इतने से ही अपने क़ो पहाड़ी मानता है. जबकि जो अन्य समाज हैं वो अपने लोगो का, अपने वास्तविक कल्चर का हर क्षेत्र मैं बहुत ध्यान रखते है. और एक बात आपने बिलकुल सही कहा की हमारा आदमी अगर सफल हो गया तो फिर वो बांकी लोगों से मिलना तक नहीं चाहता जबकि अन्य प्रदेशों के लोग अपने साथ अपने अन्य दस भाइयों क़ो ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं. जो की हमारे समाज मैं कहीं दूर दूर तक दिखता नहीं है. इसीलिए अब हमारा आपसी कनेक्शन केवल नाच तक सीमित रह गया है, फिर चाहे वो कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या फिर फेसबुक, व्हाट्सअप या इंस्टाग्राम की रील. बहुत गंभीर विषय क़ो उठाने के लिए धन्यवाद और उम्मीद करता हूँ की आगे भी इस पर बात होगी.

  • @ShishupalBisht-m3b
    @ShishupalBisht-m3b 11 месяцев назад +1

    Bhai aapne bahut badiya bichar rakhe hein culture ke sath sath hme apni aane wali piri ki bhi bhwishya kl jrur cinta honi chahe aapke jajbaton ko me Dil se Naman karta hun

  • @satishjoshi6290
    @satishjoshi6290 10 месяцев назад +1

    बहुत ही सार्थक प्रयास है जनसाधारण को अवगत कराने के लिए। मैं भी आपकी सोच से 100% समर्थन करता हूं।

  • @gobindchauhan8057
    @gobindchauhan8057 11 месяцев назад +1

    Ture, this same question was in my mind

  • @dilipjaisingh4485
    @dilipjaisingh4485 11 месяцев назад +2

    UTTRAKHAND IS PLACE TO ENJOY & LAVISH YOUR LIFE ✌️✌️✌️✌️✌️

  • @ltc8174
    @ltc8174 11 месяцев назад +1

    बात तो ठीक कह रहे हैं|लोगों ने आपस में मिलना ही कम कर दिया|लेकिन उत्तराखंड पर ही फोकस हो तो बेहतर होगा|

  • @sudershanchamoli2867
    @sudershanchamoli2867 11 месяцев назад +1

    सत्य वचन

  • @harendraprasad4536
    @harendraprasad4536 11 месяцев назад +2

    आदरणीय लखेरा जी आप की सोच विचार के साथ अपने राज्य सरकार और
    आम जन की सोच को चिन्हित करती हैं
    हम अपने संस्कारों को समझने में कमजोर साबित हो कर रहग्ये
    रोजी रोटी तक सीमित है
    अपनी भाषा भूल गए अपने अपने जेबों में ठूस रहे हैं ❤❤

  • @umeshgauniyal3159
    @umeshgauniyal3159 10 месяцев назад +1

    लगता है,अभी पहाड़ी जन नृत्य के आखिरी पड़ाव तक नहीं पहुंच पाएं हैं।

  • @ramnath385
    @ramnath385 11 месяцев назад

    पहाड़ी समाज नाच तो रहा है लेकिन जितनी भी समस्याएं सरकार पैदा कर रही है उसके खिलाफ आंदोलन भी कर रही है यंहा तक कि बहुत से लोगों कि समस्यायें बहुत सी संस्थायें निदान कर रही हैं।

  • @hiraballabh4772
    @hiraballabh4772 10 месяцев назад +1

    पिछले दस शालों जव से वीजेपी सरकार का पीऐम आया देश डास की प्रथा आयी ।

  • @sridharprasadsati796
    @sridharprasadsati796 11 месяцев назад +1

    ये कौथिग महाकौथिक का आयोजन उत्तराखंड में क्यों नही होता है।

  • @d.sgusain3293
    @d.sgusain3293 11 месяцев назад

    🙏🙏🙏🙏आपके विचारो से सहमत तो हू पर क्या करे नाचने ,नचाने वालो कि संख्या ज्यादा है,

  • @devendrakiroula6307
    @devendrakiroula6307 11 месяцев назад +1

    बहुत सुंदर विषय पर चर्चा उठायीं है आपने 🙏 हमारे पहाड़ी लोग आजादी से पहले से दिल्ली में बसे हुए हैं आज जब मैं दिल्ली में देखता हूं बंगाली स्कूल, केरला स्कूल, आंध्रा स्कूल, तमिल स्कूल और अच्छे अच्छे कालोनियों में सारे लोग बसे हुए हैं पर हमारे लोगों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया नाच गाना और शराब बस यही है सब ।

  • @LaxmanSingh-ct7cd
    @LaxmanSingh-ct7cd 11 месяцев назад +1

    Satyabachan sir chintajanak 🤔

  • @ShambhuDuttPant
    @ShambhuDuttPant 11 месяцев назад +2

    जब चीटियों केpankh लगते हैं तो वे उड़ने लगते हैं

  • @nandkishoresati2439
    @nandkishoresati2439 11 месяцев назад +2

    Sir aapki baat 100% she hai

  • @vimalbhatt2828
    @vimalbhatt2828 11 месяцев назад +1

    Achey vichar hai sr.

  • @kavitamehta3589
    @kavitamehta3589 11 месяцев назад +1

    Aap jaise logo ki sakt jarurat hai uttrakhand bachane ke liya..besaram ho Gaye hai

  • @RajendraPrasad-vo5ll
    @RajendraPrasad-vo5ll 11 месяцев назад +1

    Hamari aajeewika ka stambhan h kheti

  • @navinchandrapandey9169
    @navinchandrapandey9169 11 месяцев назад +1

    बड़े बड़े शहरों में डांस करने बजाय उत्तराखंड के शहरों व गांवों में आकर डांस के माध्यम से समझाते हुए व गांवों की दुनिया को अलविदा न करें बल्कि नई सोच और समझ से मार्गदर्शन करें जो भी पैसा उसे यहां के शिक्षा व स्वास्थ्य आदि कार्यों में अंशदान देने की बात कर अनुग्रहित और समझ पैदा करने की शक्ति लायें। धन्यवाद।

  • @dilipjaisingh4485
    @dilipjaisingh4485 11 месяцев назад +1

    Nachega nahi to Royega kya. Ladh Gaaye wo purane Din sir ji Bhool jao Everyone is Enjoying ✌️✌️✌️✌️✌️✌️

  • @scorpiongamer6765
    @scorpiongamer6765 11 месяцев назад +1

    लखेडा जी 🙏केवल और केवल मूल निवास 1950 ऐ आग बिकराल होनी चाहिए।

  • @Aajad497
    @Aajad497 11 месяцев назад +2

    बिल्कुल सही कहा

  • @davendertiru1271
    @davendertiru1271 11 месяцев назад +2

    Thanks aap Jagao sub ko ji

  • @bhawangiri6657
    @bhawangiri6657 11 месяцев назад +1

    डॉक्टर लखेड़ा जी सत्य कह रहे हमे मनन करने की आवश्यकता है।

  • @jagdishchandrajwar2813
    @jagdishchandrajwar2813 11 месяцев назад +2

    बड़े शहर तो छोडो गावो में भी नाच रहे है सारी लज्जा भूल गए 😭

  • @sakshamrawat7540
    @sakshamrawat7540 11 месяцев назад

    बहुत सही बात की ओर आपने ध्यान दिलाया है लोगों का। धन्यवाद आपका।

  • @mushafir...jayegakha4489
    @mushafir...jayegakha4489 11 месяцев назад +2

    बिलकुल सही सवाल उठाया आपने, हम में कुछ कमी हैं वो कमी हैं की शरीर तो desi बन गया पर आत्मा पहाड़ी हैं अपनी संस्कृति को गर्व se अपना नही पाए तो बच्चो को दे भी नही पाए

  • @roshandabral5075
    @roshandabral5075 11 месяцев назад +3

    पूर्ण रूप से सहमत हूं, आपने एक एक बात सही कही है, हम लोग कुछ कर नही पाए, राजनीति में तो बिल्कुल नही हमारे बच्चे भी पिछड़ गए हैं, जो लोग समाज में हैसियत रखते हैं उच्च पदों पर हैं वो किसी को मुंह नही लगाते तो भला क्या करेंगे जबकि बहुत कुछ कर सकते थे, इस बात का हम बड़ा दुख है। हमे अपने भाई बहनों को आगे बढ़ाना चाहिए अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर है सबको मिलकर उसकी मदद करनी चाहिए, अगर सभी लोग थोड़ा थोड़ा भी सहयोग करेंगे तो बहुत कुछ अच्छा हो सकता है हमारे समाज का।

  • @hemasingh3870
    @hemasingh3870 11 месяцев назад +1

    Sahi khaa sir ji🙏

  • @naveenkanwasi542
    @naveenkanwasi542 10 месяцев назад +1

    इस सच को प्रश्न के माध्यम से उजागर करने के लिए आपका आभार एवम धन्यवाद।जवाब नाचने और नचाने वाले सही से दे पाएंगे।जहा तक मेरी समझ है,पहाड़ के लोग ऊर्जा और उत्साह से भरे होते है,तो नाचना उस ऊर्जा और उत्साह को दिशा देता है, पर अगर लोग सिर्फ नाचने में ही व्यस्त है तो समझें की या तो नचाने वाले नचा रहे है और मुद्दों से भटका रहे है, या ऊर्जा और उत्साह को सही दिशा नही मिल रही।अब प्रश्न उठता है कि सही दिशा क्या है, तो इसे एक उदहारण से समझ सकते है।एक युवा अपनी ऊर्जा और शक्ति को फौज मैं जाके देश सेवा में लगा सकता है, या पहाड़ काट कर खेती कर फसल लहलहा सकता है।यही ऊर्जा राजनीति में देश को आगे बढ़ा सकती है, और खेल के मैदान में विजय प्राप्त कर सकती है।अब समाज किस ओर अपनी ऊर्जा को लगाना चाहता है ये समाज और समाज को प्रभावित करने वाले लोग तय करते है।पर ये जरूर है कि पहाड़ को अब लहलहाने वाले समाज की जरूरत है।
    जय भारत जय उत्तराखण्ड जय हिमालय

  • @virendrasinghrawat9656
    @virendrasinghrawat9656 11 месяцев назад

    सही कहा आपने गलती हमारी ही है हमने अपने लिए और कुछ सोचा ही नहीं

  • @rameshsharma3382
    @rameshsharma3382 11 месяцев назад +2

    बाजार तंत्र का प्रभाव है इससे आमदनी होती है मजा करने का मौका मिलता है नये नये उत्पाद बाजार मे आते हैं नया नया जायका मिलता है! समाज का, बड़े बुजुर्गों का अंकुश खत्म हो चुका है। हमारा जवाब तो यही है।

  • @haripalrawat1559
    @haripalrawat1559 11 месяцев назад +1

    लखेरा जी बहुत बहुत बधाई आपको आपने बहुत अच्छा विषय उठाया है मात्र नाच गाना ही हमारे समाज की पहचान नहीं है उत्तराखंडी तो मार्शल कौम हमें अपनी पीढ़ी को अपना इतिहास और भविष्य दोनों से परिचित कराना चाहिए शहरों में रह रहे करोड़ों उत्तराखंडियों की बहुत सी समस्या है उन सवालों को भी हमें छूना चाहिए उत्तराखंड में भू कानून बेरोजगारी भ्रष्टाचार जैसे बहुत सारे इश्यूज हैं जिन्हें हमें जनता के बीच लाना चाहिए।

    • @himalayilog
      @himalayilog  11 месяцев назад

      सही कहा आपने।

  • @kripalsinghgusain2496
    @kripalsinghgusain2496 11 месяцев назад +3

    आदरणीय लखेड़ा जी, आपने उत्तराखंडी समाज को वास्तविकता का आईना दिखाया । हमे गम्भीरतापूर्वक समाज के उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए।

  • @anandsinghsajwan2362
    @anandsinghsajwan2362 11 месяцев назад +1

    Namaste

  • @truthseeker2531
    @truthseeker2531 11 месяцев назад +5

    आज के टॉपिक पर मैं हमेशा सोचा करता था.. पर लगता था ऐसा सिर्फ मैं ही सोचता हूं.. पर आज पता चला ऐसा सोचने वाले और भी हैँ..।

  • @shekharchand4422
    @shekharchand4422 11 месяцев назад

    मेरी भूमि तो 70 72 में जो है सरकार सरकार ने कब्जा कर ली कुछ भूमि बची थी जो लोगों ने खरीद ली जो मेरे परदादा के समय में हुई थी आज मेरे पास एक मकान के लिए भी जगह नहीं है तथा मैं किसी के पास जब जगह खरीदने और बात करने के लिए भी जाता हूं तो मुझे भगा दिया जाता वही मेरे लोग बाहर के लोगों को भूमि बेच देते हैं क्योंकि वह लोग ज्यादा मूल्य देते है😂😂😂 19:35

  • @narayanduttpandey8361
    @narayanduttpandey8361 11 месяцев назад +1

    गुरु जी नमस्कार।आप के विचार सराहनीय है।

  • @mohan.daa_
    @mohan.daa_ 10 месяцев назад +3

    पहचान देने की कोशिश होती बस हवा में किस के लिए लड़ना है पहाड़ तो छोड़ ही चुके 😊

  • @suvedprakash3277
    @suvedprakash3277 11 месяцев назад +2

    डा0 साहेब नमस्कार हमारी ज्वलन्त समस्याओं को छोडकर हमारा उतराखंडी जनमानस सांस्कृतिक कार्यक्रमों मे तो खूब रुचि दिखाते हैं ,लेकिन अपने जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्याएं सरकार तक पंहुचाने का प्रयत्न नहीं करते,जबकि ज्यादातर लोग बुधजीवी हैं।हमसे तो अच्छे जाट भाई लोग हैं,कमसे कम सब एक जुट तो हो जाते हैं।

  • @ganeshsinghdhapola3792
    @ganeshsinghdhapola3792 11 месяцев назад +1

    सही कहा sir

  • @VivekUK10
    @VivekUK10 10 месяцев назад +1

    सबसे ज्यादा जमीने इन्होंने ही बेची है पहाड़ों में, आज भगोड़ा होने के बावजूद भी पहाड़ में रह रहे पहाड़ियों का वोट गणित बिगाड़ने ये चुनाव से एक दिन पहले ये दिल्ली से चले आते है । पलायन पे चर्चा करते हुए इनको शर्म भी नही आती । भगवान इनको सदबुद्धि दे

  • @SIRKILVIBES_MSNEGI
    @SIRKILVIBES_MSNEGI 11 месяцев назад +1

    सवाल बहुत अच्छा है। लेकिन जबाब मेरे पास भी नहीं है। आपको साधुवाद।❤❤

  • @HukamKandari
    @HukamKandari 11 месяцев назад +1

    डॉ हरीश लखेरा साहब जब किसी का पतन का दिन आता है तो उसके पांव में घुंघरू बांध दो शायद यही लग रहा है यही कारण है नाचने का अन्य आवश्यकता की मांग ना करें इसलिए पांव में घुंघरू बांददिऐ है अतीत की व्यवस्था ने

  • @kavitadandriyal5881
    @kavitadandriyal5881 10 месяцев назад +1

    पहाड़ी नचाण बन गैनी अपणा स्वारथ थै नाची की छुपाण छन, देहरादून मा अपणा ही अपणो की टांग खिचणान, भैर का परवाण बणयान, हम नथुली, बिन्दुली मा नचणा बस, सहमत छौ आपसे, मिन कई साल बटी यू समिति के थै चन्दा दीण बन्द कैरीयाल

  • @HarbansSingh-qm5zg
    @HarbansSingh-qm5zg 11 месяцев назад +1

    प्रभु एक फिल्म का गाना सौना होगा
    रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा।

  • @DailySyncNews
    @DailySyncNews 10 месяцев назад +1

    Bahut sundar analysis, apne ek video Uttarakhand tourism and Unka GDP pe contribution ka ek video banayi thi... could you pls share report in some video more ...

  • @csrawat8044
    @csrawat8044 11 месяцев назад +4

    ।। नमस्कार सर ,
    आपका सुझाव व चिंता विचारणीय है। तथा समर्थ महानुभाव अनुकरणीय पहल करगे।

  • @surinderpanwar1935
    @surinderpanwar1935 11 месяцев назад +8

    लखेडा साहब आप बिल्कुल सत्य कह रहे हैं हमारे पहाड़ी समाज के लोग नाचने गाने में मस्त हैं तभी तो पहाड़ियों की इमेज खत्म हो रही है पहाड़ियों को नाच गाने ने बर्बाद कर दिया है पहाड़ियों अस्तित्व खत्म के कागार पर खड़ा है

  • @gokuldeopa05
    @gokuldeopa05 11 месяцев назад +8

    पहाड़ी मूल के अच्छी पहुच वाले लोगों ने दूसरे पहाडियों की जड़ें काटने का काम किया है

  • @virendrarawat9091
    @virendrarawat9091 11 месяцев назад +12

    आपकी बात से एकदम सहमत हूँ सर। शहरों मे बहुत बड़ी मजोरिटी होने के बावज़ूद समाज कल्याण में पहाड़ियों का योगदान नगण्य है।

  • @rawatpropertyhub2119
    @rawatpropertyhub2119 11 месяцев назад

    बमला रहा है उत्तराखंड का ब्यक्ति 2 पैसे आ गए हैं तो दारू और कौथिगेर हो गया है😂

  • @puranchandra2758
    @puranchandra2758 11 месяцев назад +1

    लखेरा साहब नमस्कार। आप एक जागरुक और उच्च पदों एवम समाजिक सस्थानों से जुडे रहे। आप के अपने उत्तराखंड के प्रति इतनी जागरूकता के जज्बे को मेरा हेडोफ्स है। बहुत सारे संदेश और सच्चाई दर्शाने वाले कॉमेंट्स लोगो ने दिए है। आपकी एक बात बहुत अछी लगी की जो लोग उच्च स्तरों समाजिक राजनितिक या व्यावसायिक में रहे है। वे लोग अपने उत्तराखंड से वा अपनी सस्कृति से दूर होकर पूरा फोकस अपने खुद के विकास पर लगा देते है और अपने लोगो से दूरी बना लेते है। एक यह भी मुख्य वजह है । की हमारा समाज विकास,शिक्षा और अन्य मुख्य पहचानो की मुख्य धारा से भटकता जा रहा है।

  • @GrirajBhandari-ko6dz
    @GrirajBhandari-ko6dz 11 месяцев назад +2

    आप सही बात कह रहे है पहाड़ में खेत गांव बंजर हो गए है कोई खेती करने को तैयार नहीं गांव में कोई रहना नहीं चाहता है लेकिन संस्कृति को बचाने के नाम पर महोत्सव कौतिक डांस डांस पहले गांव बचाओ तब उत्तराखंडी संस्कृति बचेगी

  • @indersinghtariyal2254
    @indersinghtariyal2254 11 месяцев назад +3

    आओ अपने हिस्सें का गांव संवारें पहाड़ बचाए ।
    कुछ तो दम है बातों में ।

  • @virendersinghnegivirenders3640
    @virendersinghnegivirenders3640 11 месяцев назад +19

    हरीश जी 🙏 बहुत कम लोग हैं जो ऐसा सोचते है । सायद हम उत्तराखंडी शहरों में रह कर कुछ ज्यादा ही एडवांस हो गए हैं और अपने पूर्वजों की मेहनत और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं' थोडा सा पैसा आ गया है तो खाने पीने में मस्त हो गए हैं। कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि उत्तराखंड को कैसे बचाया जाए। जिन पूर्वजो की मेहनत की वजह से आज हमारा वजूद है और उनहोंने पीढी को बचाने के लिए बिना ओजारों के पहाडों और जंगलों को कट कर खेत बनाए. आज वो बंजर पडे हैं। ओर दखो बाहर के लोग उस जगह को पाने के लिए मरे जा रहे हैं यह हमारा दुर्भाग्य है। दिल्ली से उत्तराखंड की दूरी सिर्फ 300 400 ही है ओर बिहार , केरल ओर दसरे राज्य 1000 या3000 किलोमीटर दूर है फिर भी उनहोनें अपने गांव नहीं छोडे है । जागो उत्तराखंडी जागो। जय उत्तराखंड

  • @AshishsinghGaykariyaRajputkoli
    @AshishsinghGaykariyaRajputkoli 2 месяца назад

    Dev bhoomi uttarakhand ko paap bhoomi bna diya dijaa me nach rha ha hmra Dhol damo our hmra shilpkar bhai yo ko sath da 🙏

  • @rakeshchoudhari7476
    @rakeshchoudhari7476 11 месяцев назад +2

    सर आपके अंदर पहाड़ के लिए पीड़ा है आपके विचारों से लगता है कि आप पहाड़ से बहुत प्रेम करते हैं इस सवाल की विवेचना आप ही कर सकते आपने बहुत ज्वलंत मुद्दा उठाया है जिसका जवाब हमारे पास भी नहीं है

  • @banwarilalsondhi3455
    @banwarilalsondhi3455 10 месяцев назад +2

    Actually Uttarakhandis are losing their original culture particularly the new generation. I live in Chandigarh and noticed that people are following other state"s culture even when they visit their native place to meet in functions they listen and dance on punjabi songs.

  • @dilipjaisingh4485
    @dilipjaisingh4485 11 месяцев назад +1

    Aj ki tareeq mei Uttrakhand is Golden Bird for outsiders & uttrakhandi both

  • @khemsingh3128
    @khemsingh3128 11 месяцев назад +1

    डा साहब प्रश्न अच्छा है उत्तर आप अच्छी तरह जानते हैं बस जो मन में है अनुभव हुआ हैं हिम्मत करके विश्लेषण कर दीजिए शायद कोई उनको नयी सोच मिल जाये धन्वाद

  • @SanjaySingh-iu3fy
    @SanjaySingh-iu3fy 11 месяцев назад +1

    प्रणाम सुप्रभात नमस्कार भैजी बहुत ही सुन्दर और अच्छी सत्य जानकारी प्राप्त हुंद आपक द्वारा आपक हृदय दिल से बहुत बहुत धन्यवाद जी

  • @fakirachiniyal
    @fakirachiniyal 11 месяцев назад +1

    जय हो❤🎉

  • @dilipjaisingh4485
    @dilipjaisingh4485 11 месяцев назад +1

    THE WHOLE WORLD CAN SERVIVE IN UTTRAKHAND LOTS OF EMPTY PLACE FOR 2050 IN UTTRAKHAND 🤣🤣🤣🙏🙏🙏

  • @beenabisht1199
    @beenabisht1199 11 месяцев назад +2

    सर अपने बहुत ही महत्व पूर्ण प्रश्न उठाया है मुझे भी यही लगता है जहां देखो नचाने मे लगे रहते हैं मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं thank you 🙏🙏👌👍

  • @RSRawat-dm5kb
    @RSRawat-dm5kb 11 месяцев назад +5

    डाक्टर साहब प्रणाम। आपके सुविचार व सुझाव अत्यंत महत्वपूर्ण एवं विचारणीय हैं। काश कि सभी पहाडी लोग इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श कर आगे आकर कुछ योगदान करें।

  • @unnatiprakash3434
    @unnatiprakash3434 11 месяцев назад +2

    बहुत ही सत्य बात कहे sir आपने
    भू कानून की साथ और मूल निवास की लिय हमे एक होना चाहिए तबी हम अपनी पीढ़ी की अपने मूल होने की बात कह सकते वरना हम स्थाई ही रहेंगे पर मूल nhe 😊

  • @shobharawat5705
    @shobharawat5705 11 месяцев назад +1

    Ghambheerta nahi hai

  • @mohanrawat1234
    @mohanrawat1234 11 месяцев назад +1

    I absolutely agree with you.

  • @khagendrachandra1850
    @khagendrachandra1850 11 месяцев назад +4

    एक कटु सत्य को आपने समाज के समक्ष प्रस्तुत किया है, इस हेतु आपका आभार है।