Narendra Modi काय म्हणाले आणि वास्तव काय? Watch 'Karan Rajkaran' With Sanjay Awate | Lokmat

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  • Опубликовано: 21 ноя 2024

Комментарии • 549

  • @Lokmat24
    @Lokmat24  7 месяцев назад +55

    एनडीए की इंडिया?
    महायुती की मविआ?
    महाराष्ट्रातील सर्वात मोठा ओपिनियन पोल
    तुमचं मत नोंदविण्याकरिता खालील लिंकवर क्लिक करा
    www.lokmat.com/lokmat-loksabha-opinion-poll-2024/

    • @shrirangkatre8467
      @shrirangkatre8467 7 месяцев назад +6

      13:16 13:19 13:23 13:26 13:28

    • @ManoharGonnade
      @ManoharGonnade 6 месяцев назад +1

      44
      8

    • @anandganvir9684
      @anandganvir9684 5 месяцев назад

      Apanyogyamahitidilityabadalapalehardikswagatjaishivraijaibheem

    • @rahulbansode1443
      @rahulbansode1443 5 месяцев назад

      एनडीए की इंडिया आणि महायुती की मविआ ह्यामध्ये तुम्हाला तिसरा कोणीच येऊ द्यायचा नाही.. किती हलकट आणि नीच्च प्रवृत्ती चे लोक आहात तुम्ही.

    • @santoshlokhande8055
      @santoshlokhande8055 5 месяцев назад

      हा प्रश्न चुकीचा आहे कारण आपण दलाली केलेली पत्रकारिता या प्रश्नांमध्ये आहे.

  • @vishwanathkamble5043
    @vishwanathkamble5043 7 месяцев назад +86

    डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय राज्यघटनेचे शिल्पकार झाले ते स्वतःच्या बौद्धिक क्षमतेमुळेच !
    त्यामध्ये बाकी कुणाचेही योगदान नाहीये सर ... जय भीम

    • @anandganvir9684
      @anandganvir9684 5 месяцев назад

    • @komaldasathawale9558
      @komaldasathawale9558 5 месяцев назад +3

      हीरा हा हीरा आहे पण त्यांची किंमत जोहरी ठरवतो, ही-याला हीरा असल्याची जानिव असते पण त्याच मोल हीरा ठरवत नाही

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 4 месяца назад

      आदरणीय महोदय
      संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे.
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      26 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
      एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
      मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @MaheshkumarJadhav-b9u
    @MaheshkumarJadhav-b9u 7 месяцев назад +46

    अत्यंत अभ्यासपूर्ण विवेचन केले आहे. इतिहासाची मोडतोड करणे हाच जणू आजकालचा पायंडा पडत चालला आहे.

  • @dineshkamble4262
    @dineshkamble4262 2 месяца назад +1

    अप्रतिम अभ्यासपूर्ण चिकित्सक विश्लेषण आणि सुरेख सोपी मांडणी. गांधी- आंबेडकर आणि नेहरू- आंबेडकर यांच्यातील तात्विक आणि राजकीय मतभेदाला विकृत पणे मांडून देशाची दिशाभूल करणाऱ्यांना चपराक दिली आपण. खूप धन्यवाद आणि आभार. डॉ दिनेश कांबळे

  • @suvi0suvidha
    @suvi0suvidha 7 месяцев назад +78

    इतिहासाची मोडतोड करून सान्गणे...प्रपोगंडा करणे हा हिन्दू महासभा अर्थातच आजच्या आर एस् एस् चा पायंडा आहे .

    • @sukalalshinde4144
      @sukalalshinde4144 7 месяцев назад +5

      101 % सत्य

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад

      आर एस एस असल्यामुळे भारतावर पाकिस्तान कब्जा करु शकत नाही.
      भारताला इस्लामीक मुलुख बनवायला आर एस एस चा विरोध आहे.
      पाकिस्तानचा सर्वात मोठा शत्रू आर एस एस.

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад +2

      भारत में किसी मदरसे में या कोई मुस्लिम नेताने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई गयी है तो फोटो भेजना.
      दलीत-मुस्लीम एकता का संदेश भेजना है .

    • @LordNecks-se1ts
      @LordNecks-se1ts 7 месяцев назад +3

      @@VijayManjrekar-xs9fe rss ke karyalay ka bhi bhejana...

    • @vishalsonawane6056
      @vishalsonawane6056 5 месяцев назад

      ​@@VijayManjrekar-xs9feR.S.S. ने भारतीय तिरंगा पैरों तले कुचला यह फोटो भेजना है पुढील मराठीत सांगतो अंधभक्त अजूनही गुर्मित वागत आहेत तिकडे PAPA मिली +जुली+सरकार तयार करत आहे किती सत्तेवर राहण्यासाठी धडपड की आपले सरकार पडले की १० वर्षे केलेले कारस्थान बाहेर पडू नये याची काळजी ? पुछता है भारत .

  • @sukalalshinde4144
    @sukalalshinde4144 7 месяцев назад +8

    अत्यंत महत्वाची माहिती सांगितल्याबद्दल आपले खूप खूप आभार

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад

      तिनों के लिए आदर है ।
      तिनों के लिए अभिमान है ।
      नथुराम गोडसे
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
      सावरकर
      सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं ।
      जयभीम।

  • @sushilvarma1939
    @sushilvarma1939 7 месяцев назад +13

    धन्यवाद आवटे सर... ❤

  • @abhijeetdhongade8689
    @abhijeetdhongade8689 6 месяцев назад +11

    आवटे साहेबांना एक विनंती आहे की कॉंग्रेस ने अकोल्यात आपला उमेदवार देऊन काय साधलं? यावर व्हिडिओ बनवावा..

    • @komaldasathawale9558
      @komaldasathawale9558 5 месяцев назад

      संविधान वाचवण्यासाठी प्रकाश आंबेडकर यांनी पूर्ण महाराष्ट्रात कॉंग्रेस विरोधात उमेदवार उभे केले त्याच काय? मुळात दोन्ही पक्ष वेगवेगळ्या भूमिका घेवून आहेत मात्र त्यांचा मतदार मात्र एकच आहे, कॉंग्रेस चे मतदार ओबीसी, दलित आदिवासी मुस्लिम आहेत तर वंचित बहुजन आघाडी चे मतदार सुध्दा हेच आहेत आता प्रश्न मतदारांचा आहे संविधान विरोधी आरएसएस बिजेेपी ला कोण सक्षमपणे पर्याय ठरू शकतो ते ठरवण्याचा अधिकार हा मतदारांचाच आहे

  • @sunandakedare3316
    @sunandakedare3316 7 месяцев назад +9

    अत्यंत अभ्यास पूर्व विश्लेषण सर जयभीम🙏🙏

  • @p.k.9743
    @p.k.9743 7 месяцев назад +8

    अतिशय सुंदर मांडणी

  • @govindsonkamble9286
    @govindsonkamble9286 7 месяцев назад +2

    फारच छान मांडणी केली आहे आपण, तेही तथ्यासहीत....धन्यवाद.

  • @umakantkamble5639
    @umakantkamble5639 7 месяцев назад +5

    Really nice analysis done thank you so much for providing such facts

  • @rupayelve9853
    @rupayelve9853 7 месяцев назад +26

    नेहरूंचे समर्थन आम्ही करतो नेहरून मुळे बाबासाहेबांना अपेक्षित बरेच कार्य करता आले, कोंग्रेस मधे नेहरू एकटेच जे सुधारवादी विचारांचे होते.
    बाबासाहेब आंबेडकर आणि गांधी यांच्या मधे किती ही मत भेद असले तरी गोडसे भुमीकेच समर्थन ना आंबेडकर ना आंबेडकरवादी करतं.

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад +1

      एकदम बरोबर.
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेल्या लेटर्स ओफ डॉ आंबेडकर या पुस्तकात पृष्ठ क्रमांक १७९ वर लिहिले आहे की नथुराम गोडसे ने फारच छान काम केले आहे.
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर चांगल्या गोष्टीला चांगलेच म्हणणार.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 4 месяца назад +1

      आदरणीय महोदय
      संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे.
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      26 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
      एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
      मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @vinuvinu3375
    @vinuvinu3375 7 месяцев назад +12

    खूप छान विश्लेषण सर

  • @JayJay-j6y5q
    @JayJay-j6y5q 7 месяцев назад +42

    आम्ही गरीब मराठे आता फक्त बाळासाहेब आंबेडकरांसोबत 💯💯💯

    • @ManikGajare
      @ManikGajare 6 месяцев назад

      😊

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 4 месяца назад

      आदरणीय महोदय
      संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे.
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      26 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
      एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
      मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

    • @rahulshelke5332
      @rahulshelke5332 3 месяца назад

      ​@@avadhutjoshi796जोशी 😢😢😢भट

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 3 месяца назад

      @@rahulshelke5332
      भट का क्या मतलब है? उन तीन मुस्कुराहटों का क्या मतलब है?
      सीखने का मौका मिलने के बाद भी, क्या आप अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए कुछ पंक्तियाँ नहीं लिख सकते?
      आप डॉ.बाबासाहेब अंबेडकरजी और उनके संविधान के नाम पर एक कलंक हैं।
      शर्म आनी चाहिए आपको।

  • @manikshinde5597
    @manikshinde5597 7 месяцев назад +16

    खुपच छान विश्लेषण आवटे सर!

    • @truptibhale8393
      @truptibhale8393 7 месяцев назад +2

      संघ व भाजपचे नेते आणि त्यांची
      विचार सरणी म्हणजे वैचरिक कँसर
      आहे।

  • @pradeepshinde8566
    @pradeepshinde8566 7 месяцев назад +7

    निशब्द,अतिशय वस्तुनिष्ट विश्लेषण.

    • @pushpapatil7896
      @pushpapatil7896 6 месяцев назад

      चुकीचे विश्लेषण

  • @milindmulik1393
    @milindmulik1393 7 месяцев назад +16

    आप्रतीम विश्लेषण

  • @babasahebmore9154
    @babasahebmore9154 7 месяцев назад +16

    फार छान माहिती मुद्या सह समझळी

  • @prashantbhagare12
    @prashantbhagare12 7 месяцев назад +2

    अप्रतिम मांडणी केली सर सत्य

  • @NIEstudentsamruddhikhade-d3u
    @NIEstudentsamruddhikhade-d3u 7 месяцев назад +4

    जेव्हा गरज वाटली त्या वेळेस बाबासाहेब

  • @rajendragaikwad1572
    @rajendragaikwad1572 7 месяцев назад +2

    अत्यंत छान माहिती दिली तुम्ही आम्ही उगाचच काँग्रेस ला दोषी मानत होतो. मुळात काँग्रेस आणि बाबासाहेब यांची नैतिक मुल्ले समानच होती असे यावरून दिसतेय मग ते राजकार्नात विरोधी का असेनात. Thanks to congress party. Jai bhim 🙏

  • @tularammeshram2170
    @tularammeshram2170 7 месяцев назад +18

    भलेही आंबेडकरी मतांसाठी का असेना मात्र मा.प्रधानमंत्री मोदीजी डॉ आंबेडकर आणि काँग्रेस याबाबतीत जे म्हणाले ते अगदी बरोबर आहे.
    काँग्रेसनेच आंबेडकरी चळवळीला कमकुवत केले हे ही तेवढेच खरे आहे.

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад

      नरेंद्र मोदी लबाड आहे.
      नाव घेतो गांधींचे आणि गुपचूप काम करतोय डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या विचारांचे.
      सगळ्या महत्त्वाच्या ठिकाणी गुपचूप दलीत, ओबिसी, वाल्मिकी अशी भरती केलेली आहे.

    • @kamalchahande8081
      @kamalchahande8081 2 месяца назад

      Brahaman Ani 2500 varshapasun atyachar kele n aajanhi karat aahet

  • @sushilbole9079
    @sushilbole9079 7 месяцев назад +1

    अप्रतिम विश्लेषण केलत
    ह्या विषयावर विश्लेषण करताना आपण आज निळा शर्ट परिधान केलेला आहे हा योगायोग आहे
    मी भक्त नाही डॉ बाबासाहेब यांचा अनुयायी म्हणून गंमतीने प्रश्न मांडला

  • @ExpelisBloating
    @ExpelisBloating 7 месяцев назад +9

    हमारा नितिन गडकरी से कोई बैर नहीं पर बीजेपी की अब खैर नहीं : वंचित बहुजन आघाडी

    • @AshrafKhan-lf6kq
      @AshrafKhan-lf6kq 7 месяцев назад +2

      Modi BJP hatao baba saheb ka sambhidhan bachao 🙏🙏🙏🙏

  • @sheshraojagtap
    @sheshraojagtap 4 месяца назад

    Khup khup chha aavte sir hearty cóngratulations sir thanks jai hind

  • @vivekshelke9437
    @vivekshelke9437 7 месяцев назад +3

    खुप छान माहिती 👌🙏

  • @vinuvinu3375
    @vinuvinu3375 7 месяцев назад +35

    भाजपवाल्यांनी आणि आरएसएस वाल्यांनी आणि गोदी मीडिया आणि हे विश्लेषण जरूर पाहावे

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад +1

      तिनों के लिए आदर है ।
      तिनों के लिए अभिमान है ।
      नथुराम गोडसे
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
      सावरकर
      सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं ।
      जयभीम।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 4 месяца назад

      आदरणीय महोदय
      संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे.
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      26 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
      एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
      मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @totalFilmy108
    @totalFilmy108 7 месяцев назад +12

    आवटे साहेब,आता हे इंटरनेट चे युग आहे,लोकांना सहज माहिती उपलब्ध होते,तुम्ही सांगितलं तेच खरं तो जमाना आता नाही राहिला

    • @SachinDeshpande-pd9qc
      @SachinDeshpande-pd9qc 5 месяцев назад

      ती माहीती मॅन्युपुलेट केली असते जुन्या काळातील संदर्भ दाखले हेच प्रमाण असतात हे इंटरनेट युग अति प्रमाणात भारताच्या काहीच कामाच नाही अति औद्योगिकीकरण भारतासारख्या देशात बिन कामी ठरले हे नेहरु जाणुन होते त्यामुळे भोगवादी व्यवस्था वाढेल जी भारतासारख्या कृषीप्रधान व्यवस्थेला पोषक असणार नाही चंगळवाद परवडणारा नाही हे जाणून होते आज तेच घडतय

  • @ramkrishnaraut816
    @ramkrishnaraut816 7 месяцев назад +8

    अगदी अचुक ऐतिहासिक सत्य आपण सांगितले.आता तरी काही लोकांनी गांधींचा व कांग्रेस चा टोकाचा विरोध करने सोडून द्यावे.फार छान वीडियो.

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад

      गांधी आणि नेहरूंनी अत्यंत इमानदारीने इंग्रजांसाठी मेहनत घेतली आणि वेळोवेळी जमेल तसे स्वातंत्र्य चळवळीत खोडा घातला.
      स्वातंत्र्यानंतर दोघांनीही अत्यंत इमानदारीने पाकिस्तान आणि इस्लामची सेवा केली.
      इमानदारी महत्वाची असते.

  • @ckamble4831
    @ckamble4831 7 месяцев назад +3

    बाबासाहेब व गांधीजी यांच्यातला आंतरविरोध काहीजरी असला तरी काळाची गरज पाहून सांप्रतकाळी त्याच्याकडे कानाडोळा करून आज सर्व भारतीयांनी भारतीय संविधानाचे जे कोणी शत्रू आहेत त्यांना संपवणे हे अत्यंत आवश्यक व गरजेचे आहे.

    • @antonkadam2033
      @antonkadam2033 7 месяцев назад +1

      विश्लेषण चांगले आहे झालेल्या घटना का व कश्या झाल्या यावर मत एैक्य होणार नाहीत तथ्य ते तथ्य असते. अलिकडे खोट्या इतिहासाचे पर्व सुरु आहे त्यापेैकी हे वाटत नाही

  • @sanjaygaikwad6420
    @sanjaygaikwad6420 2 месяца назад

    खुप छान मांडणी केलीत सर👌👌👍👍🙏🙏जय भिम

  • @vishalshinde4128
    @vishalshinde4128 4 месяца назад

    सर छान माहिती दिली त्या बद्दल आपले मनःपूर्वक धन्यवाद.इतिहास वाचणे गरजेचे आहे या मधून तुम्ही जनतेला संदेश दिला खूप भारी.

  • @rajmahadekar4627
    @rajmahadekar4627 4 месяца назад +2

    🎉 आमचा बाप एकटाच लढला म्हणून च फक्त जयभिम नमो बुद्धाय जय संविधान जय लोकशाही जय मूलनिवासी नायक 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @arvindparab2159
    @arvindparab2159 7 месяцев назад +1

    अभ्यास पुर्ण विवेचन केले आहे; धन्यवाद!

  • @pushpalatavaidya1499
    @pushpalatavaidya1499 7 месяцев назад +2

    सर,तुमचं विवेचन अत्यंत परखड तर आहेच, अभ्यासपूर्ण आहे पण पटण्यासारखं आहे. असं चालू ठेवा. धन्यवाद!

  • @babanrankhambe2407
    @babanrankhambe2407 6 месяцев назад

    खुपच छान मांडणी संदर्भासह त्यामुळे ज्ञानात भर पडलीय सर.

  • @anildethe5911
    @anildethe5911 7 месяцев назад +5

    अतिशय अभ्यासपूर्ण विश्लेषण केल सरजी....राहिला मोदींचा प्रश्न तर यांना इतिहासाशी काही घेण देण नाही..सवंग प्रसिध्दी व बेजबाबदार विधान करून सत्तेसाठी हपापलेल कर्तव्यशुन्य व्यक्तिमत्व अशीच मोदीची इतिहासात नोंद होणार

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад

      तिनों के लिए आदर है ।
      तिनों के लिए अभिमान है ।
      नथुराम गोडसे
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
      सावरकर
      सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं ।
      जयभीम।

    • @PreranaNavsagare-fd8pi
      @PreranaNavsagare-fd8pi 7 месяцев назад

      बाबासाहेब की तुलना किसी से होती नहीं सक्ती है बाबासाहब प्रज्ञासूर्य है और सूरज कु कम्पेअर किसी से हो ही नहीं सक्ती है यह घोडसेवाली बात वो तो देश में हत्या , मर्डर का सत्र तभी से सुरू हुआ था @@VijayManjrekar-xs9fe

  • @Zolostays-f8l
    @Zolostays-f8l 7 месяцев назад +9

    नारायण सदोबा काजरोळकर यांना बाबासाहेबांच्या विरोधात काँग्रेस ने उमेदवारी देऊन निवडून आणले व डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर यांना पराभूत करण्याचे महापाप काँग्रेस ने केले

  • @SnehaJanrao
    @SnehaJanrao 3 месяца назад

    धन्यवाद सर ही माहिती दिल्याबद्दल

  • @navchaitanyashiroli3108
    @navchaitanyashiroli3108 7 месяцев назад +3

    sundar mahiti sir ji ani abhyasat bhar padali aplya mule

  • @ramdasraut4000
    @ramdasraut4000 6 месяцев назад

    अतिशय उत्तम विश्लेषण केले साहेब आजच्या पिढीला प्रेरणा मिळते व सत्य अधोरेखित होते

  • @sandeepsurve6868
    @sandeepsurve6868 4 месяца назад

    अतिशय सुंदर विवेचन

  • @mukundsonawane9600
    @mukundsonawane9600 4 месяца назад

    सविस्तर मांडणी केली धन्यवाद

  • @pintudethe1815
    @pintudethe1815 7 месяцев назад +1

    आवटे सर , आपणास सखोल अभ्यासाची गरज आहे कारण डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांची तुलना म, गांधी आणि पं, नेहरू बरोबर होऊ शकत नाही . अर्धवट माहिती चे विश्लेषण

  • @avadhutjoshi796
    @avadhutjoshi796 4 месяца назад

    आदरणीय महोदय
    संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे.
    हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
    जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
    मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
    26 जून 2024 तक का सत्य
    30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
    एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
    मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
    अवधूत जोशी

  • @satyawangovalkar7023
    @satyawangovalkar7023 7 месяцев назад

    फारच छान विश्लेषण केले आहात. really great

  • @chandrakantlakade5425
    @chandrakantlakade5425 5 месяцев назад

    धन्यवाद. Sar.

  • @ashokmore7918
    @ashokmore7918 6 месяцев назад

    अभ्यासपूर्ण माहिती दिलीत त्याबद्दल आपले आभार.🙏👍👌

  • @schandpatil3875
    @schandpatil3875 7 месяцев назад +3

    Khup Chan sir

  • @amolbagade6030
    @amolbagade6030 7 месяцев назад +20

    आंबेडकर ला कांग्रेस ने पाडले हे खर आहे कांग्रेस ने सतत आंबेडकर ला त्रास खुप दिला आहे इतिहास गवाह आहे हे नकारू नाही शकत

    • @SachinDeshpande-pd9qc
      @SachinDeshpande-pd9qc 5 месяцев назад

      मग भाजपा जनसंघ आर एस एस वाले काय सोन्याचे ताट देत होते काय❓ त्यांचे वर्तन तर त्या काळात इंग्रजांसारखेच होते खास करुन दलित अस्पृश्य समाज फक्त वापरुन फेका नेहरु एकटे काय करू शकत होते त्या काळातल्या परिस्थिती नुसार नेहरु बरेच आधुनिक विचारसरणी चे होते

  • @rajenharshe1494
    @rajenharshe1494 7 месяцев назад +2

    Wonderful. Very well said.

  • @vijayguraurav6964
    @vijayguraurav6964 5 месяцев назад

    फारच छान ज्ञान सांगितले सर तुम्ही..

  • @balajisuryatale3023
    @balajisuryatale3023 7 месяцев назад +14

    1927 ला महाडच्या संग्रामाच्या वेळी गांधी चा फोटो कुठे ठेवला होता याचे उदाहरण द्याल का ? संदर्भ हं एव्हढे मात्र खरे की ' जयभवानी जयशिवाजी अशा घोषना मात्र दिल्या गेल्या आहेत . सत्यागृह करून बाबासाहेब शिवरायांच्या किल्यावर आराम करणेसाठी गेले त्या वेळी विरोध झाला होता .

    • @मीमावळकरजयशिवरायजयभिम
      @मीमावळकरजयशिवरायजयभिम 7 месяцев назад +3

      खोट बोलुन गांधीची गेलेली इमेज वाढवण्यासाठी प्रयत्न करत आहेत हि लोक

    • @ReshmaKhandare-p3q
      @ReshmaKhandare-p3q 7 месяцев назад +2

      Gandinl tar babasahebancha vlrdh kela babasahebancha kamgirsobat Gandhi jodu nka khar tr Gandhi mulech baba saheb ana adhik tras sahn karava lgla

  • @PrakashPatil-uu2pv
    @PrakashPatil-uu2pv 3 месяца назад

    आभारी आहोत धन्यवाद आहे थोर व्यक्ती
    च माहिती सांगितली त्याचे समघ कसे होते स्व भिमाने सांगितले बघल आभारी आहोत

  • @bbgajbhare4018
    @bbgajbhare4018 7 месяцев назад +36

    आवटेजी.... बाबासाहेबांच्या घटनासमितीमधिल प्रवेशा बाबत ...आपण अर्धवट माहिती देवून ....आपण बेमालूमपणे कांग्रेस व म गांधी यांच्यामुळे बाबासाहेबांना घटनासमितीत प्रवेश मिळाला हे अर्धे सत्य सांगून अर्धेसत्य दडवून ठेवणे कितपत योग्य आहे....
    बाबासाहेब प बंगालमधून स्वतंत्रपणे निवडणूक जिंकून घटनासमितीत गेले त्याचे श्रेय बॅ जोगेंद्रनाथ मंडल यांना आहे.....कांग्रेस , सरदार पटेल हे बाबासाहेब घटनासमित येणार नाहीत याची परिपूर्ण रणनीती तयार केली होती...

    • @narendramahajan8356
      @narendramahajan8356 7 месяцев назад +4

      बंगाल मधुन बाबासाहेब निवडून आले परंतू तो मतदार पाकिस्तान मध्ये गेल्याने बाबा साहेबाला कॉग्रेसने मुंबईमधुन निवडुण आणले ।

    • @Fashion_world1182
      @Fashion_world1182 7 месяцев назад +1

      Arey tumhi itihas vacha Ani समजून घ्या ... सावरकर
      गोळवकर यांनी बाबासाहेबाना वाईट बोलले शिव्या दिल्या ते चालतंय आणि ज्यांनी संविधान निर्माण करताना बाबासाहेबाना त्याच्या buddhimatenusar प्राधान्य दिलं त्याच्या विरोधात बोलता .. मोती आज संविधान समवण्याचा प्रयत्न करत आहे ते चालत का

    • @milindgaikwad8427
      @milindgaikwad8427 6 месяцев назад

      स्वतंत्र मतदारसंघ नाकारून पुणे कराराप्रमाणे राखीव जागा स्विकारण्यात आल्या मात्र काँग्रेसने त्या जागांवर त्यांचेच चमचे निवडून आणलें व अस्पृश्यांच्या ख-या प्रतिनिधींना गारद केले. अशाप्रकारे काँग्रेसने डॉक्टर आंबेडकरांचे राजकारण संपविले. तेच धोरण आजतागायत चालू आहे.

    • @NandaKawale-l8t
      @NandaKawale-l8t 6 месяцев назад +1

      Knowledge full speech

    • @narendramahajan8356
      @narendramahajan8356 6 месяцев назад

      गांधींमुळे च बाबा साहेबाना संविधान सभेत केवळ प्रवेशच मिळाला नाही तर सरळ मसुदा समितीचे अध्यक्ष बनले याबद्दलं बाबा साहेबांनी गांधीचे आभार मानले आहेत । जेष्ठ आंबेडकर वादी रावसाहेब कसबे वाचा म्हणजे डोळ्या वरचे झापडं उघडतील । गांधी समजणे सोपे नाहीं । रावसाहेब कसबे यांना गांधी समजून घेण्या
      करी ता पंधरा वर्षे लागली । गांधी होते म्हणूनच बाबासाहेब घटनेचे शिल्पकार बनुं शकले ।

  • @vikaskharat2033
    @vikaskharat2033 7 месяцев назад +6

    आवटे साहेब बाबासाहेबांचा संविधान सभेत प्रवेश कसा झाला याचे विश्लेषण करावे, संविधान सभेत निवडून येऊ नये यासाठी काँग्रेस ने कसे प्रयत्न केले याविषयी सविस्तर माहिती दयावी.

    • @ujwalapawar5061
      @ujwalapawar5061 5 месяцев назад

      आताही तेच करतायत त्यांच्या नातवाला कुठं पुढे येऊ देतात?या कॉग्रेस राष्ट्रवादी भाजपसेना हे सर्व आहेत

  • @sagarthroat5737
    @sagarthroat5737 7 месяцев назад +5

    खूप छान विश्लेषण केले आवटे सरांनी 🙏🙏

  • @anilgamare841
    @anilgamare841 7 месяцев назад +13

    Jai bhim ❤❤❤

    • @VijayManjrekar-xs9fe
      @VijayManjrekar-xs9fe 7 месяцев назад

      एकदम बरोबर.
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर हे नेहमीच गांधीना एक मामुली इसम असं म्हणायचे.
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेली पुस्तके
      लेटर्स ओफ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आणि
      पाकिस्तान आणि पार्टीशन हे वाचा.
      डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी नथुराम गोडसे आणि सावरकर यांची स्तुती केलेली आहे.
      जयभीम.

  • @rahulyetale9494
    @rahulyetale9494 5 месяцев назад

    Thanks sir Chan mahit dilit🙏

  • @shashikantanavkar3228
    @shashikantanavkar3228 7 месяцев назад

    Really good and prolific analysis. Thanks Aawate Sir. Jay Maharashtra Jay Marathi.

  • @ramesh.shivarkar.4892
    @ramesh.shivarkar.4892 4 месяца назад

    ❤ se pranam sir...🐘🐘🐘🐘🐘🐘🙏🙏🙏🙏🙏

  • @Sanketarts4758
    @Sanketarts4758 5 месяцев назад

    Very good morning sir
    Jay Bheem Jay savidhaan

  • @BhagwatAiwale-ly2wk
    @BhagwatAiwale-ly2wk 4 месяца назад

    खरी माहिती सांगितली सर आपण आणि हे सर्व पटलं

  • @ismailsamdole3051
    @ismailsamdole3051 7 месяцев назад +5

    अतिशय अभ्यासपूर्ण विश्लेषण...

    • @AshishSonone-n5q
      @AshishSonone-n5q 6 месяцев назад

      Ha khota rachark aahe mat sathi tayari chalu aahe loksabhyechi as disun yet

  • @yogeshsalve9521
    @yogeshsalve9521 7 месяцев назад

    छान समजून सांगितलं ,
    Thanks

  • @BhagwanPachpinde-rd2un
    @BhagwanPachpinde-rd2un 5 месяцев назад

    खूप छान मांडणी केली आहे

  • @rajendrakamble7279
    @rajendrakamble7279 7 месяцев назад +8

    घटना समिती वर डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर यांची निवड व्हावी म्हणून ब्रिटिश गव्हर्नर यांनी नेहरु वर दबाव टाकला त्या नंतर डाॅ आंबेडकर यांना काँग्रेस नी मुंबई प्रांतातून निवडून आणाले असे काही बुद्धीवादी लोकांचे मनोगत असल्याचे समझते .या संदर्भात आपले काय मत आहे

  • @mogleprakashN
    @mogleprakashN 3 месяца назад

    खूप महत्वाचं

  • @SharadWagh-to1qj
    @SharadWagh-to1qj 5 месяцев назад

    Satya lokanchi Puri Aliya baddal Hardik shubhechha Jay Bheem Jay

  • @CHANDRAKANTBACHHAV-x6p
    @CHANDRAKANTBACHHAV-x6p 3 месяца назад

    Excellent and very educative.

  • @sachinkirat6102
    @sachinkirat6102 7 месяцев назад +2

    My friend,Dr.Babasaheb Ambedkar is the greatest social leader,
    For Babasaheb,politics is mission for social justice,
    He is not interested in only power,
    He is more interested to social reform,
    Gandhi ji and Congress not enough competent to overcome the Greatest Babasaheb

  • @baburaoingle6007
    @baburaoingle6007 5 месяцев назад

    सर जी आपन दिलेली प्रतिक्रिया दिली असून माझे आपणास जयभीम जय सवीधान❤❤❤❤❤❤❤😂

  • @YTSKATTUSATYLIVENEWS
    @YTSKATTUSATYLIVENEWS 7 месяцев назад +1

    राजकारणच नाही तर डाॅ बाबासाहेबांना पण संपवलं

  • @milind1771
    @milind1771 4 месяца назад +1

    डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी राजीनामा देत असताना त्यांना आपलं म्हणणं मांडण्याच नाकारलं हे फार दु:खद आहे

  • @GangadharSonkamble-r9n
    @GangadharSonkamble-r9n 4 месяца назад

    डॉ बाबासाहेब आंबेडकर साहेबा ना कोनीही संपउ सकत नाही समूदाद

  • @subhashmanwar5323
    @subhashmanwar5323 6 месяцев назад

    Thanks sir ji, I learnt so much from your video

  • @pushpapatil7896
    @pushpapatil7896 6 месяцев назад

    बरोबर

  • @sangeetaumale827
    @sangeetaumale827 7 месяцев назад +2

    Jay bhim

  • @SANJAYSHARMA-gi1kk
    @SANJAYSHARMA-gi1kk 7 месяцев назад +5

    SANJAY AWTE JI GREAT 👍 👌 🙏

  • @dineshbhagat5874
    @dineshbhagat5874 6 месяцев назад

    जय भीम जय संविधान जय शिवराय 🌹❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🌹

  • @BhaskarSardar-e3f
    @BhaskarSardar-e3f 5 месяцев назад

    छान सर माहिती दिली

  • @chetanpawar3066
    @chetanpawar3066 7 месяцев назад +2

    बाबासाहेब यांचं राजकारण तत कालीन मतदार संघातील मतदारांनी संपवलं , खर तर बाबासाहेब निवडणुकीत उभे असताना मतदारांनी दुसरा उमेदवाराचा विचारणारच करायला नको होती

  • @devidaspatil9246
    @devidaspatil9246 7 месяцев назад

    खूप छान विश्लेषण ते पण संदर्भासहित

  • @mangalmeshram5010
    @mangalmeshram5010 4 месяца назад

    डॉ बाबासाहेब आंबेडकरांचे राजकारण काँग्रेसने संपवले हेच खरे आहे. कोणीही तोडून मोडून सांगण्याची गरज नाही

  • @YogeshKove-nh1vf
    @YogeshKove-nh1vf 4 месяца назад

    खुप छान

  • @popatraotadake8642
    @popatraotadake8642 6 месяцев назад

    औवटे सरजी,मला नेहरु,गांधी व आंबेडकर यांच्याकडे कसं बघायला पाहिजे याचे आपण वेगळे दर्शन घडविल्याबद्दल आपले खुप खुप आभार,जयभीम🙏💐🙏

  • @niranjanmeshram8591
    @niranjanmeshram8591 6 месяцев назад

    सर आपण ऊचित मार्गदर्शन केल.तुमच हे विश्लेषण मला आवडल.गांधी,नेहरु,आंबेडकर हे फक्त प्रकृतीन अलग अलग होते.विचारानही ते काही ठीकाणी भिन्न भासलेत.पण त्या तिघांच्याही मनात एकमेकाबद्दल द्वेश नंव्हता असे जानवले.बाकी आपण केलेल्या अभ्यासपुर्ण विवेचनासाठी मी आपले आभार व्यक्त करतो.

  • @dewanandlaxttiwar2575
    @dewanandlaxttiwar2575 6 месяцев назад

    💯tru

  • @pundlikdhurat8478
    @pundlikdhurat8478 7 месяцев назад +5

    मतभेद जरूर असावे पण वैयक्तिक मतभेद नसावे!

  • @sugrivgaikwad6225
    @sugrivgaikwad6225 7 месяцев назад +20

    संजय औटे आपली भाषा ही बाबासाहेब आंबेडकर यांना थोडं कमी दाखविण्याची धूर्त चलाख चालबाजी लपून रहात नाही.

    • @tanajikumbhar1555
      @tanajikumbhar1555 6 месяцев назад

      Not at all.Shri Auati proved the greatness of Dr Babasaheb Ambedkar.All are three great and worked for nation .

    • @komaldasathawale9558
      @komaldasathawale9558 5 месяцев назад

      बाबासाहेब १९५१ नंतर संसदेत नव्हते तरीही चार वर्षांत हिंदू कोड बिल नेहरूंनी मंजूर करून घेतले, ते आंबेडकर विरोधी होते म्हणून काय

  • @rajuchandanshive3441
    @rajuchandanshive3441 6 месяцев назад

    Very Very information

  • @rajanshelke9497
    @rajanshelke9497 7 месяцев назад

    Very nice I really appreciate your erudite explanation of things

  • @ravindrakulkarni9606
    @ravindrakulkarni9606 6 месяцев назад +1

    विषय खूप मुद्देसूद मांडलाय.

  • @AjayIngle-g7j
    @AjayIngle-g7j 7 месяцев назад +11

    पण काँग्रेस ने आंबेडकरांना १९५२ व १९५४ ल लोकसभेत का पाडलं?

    • @AshrafKhan-lf6kq
      @AshrafKhan-lf6kq 7 месяцев назад +2

      1952 aur 1954 me RSS aur sangh ne baba saheb ka sath Diya tha kaya😅?

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 4 месяца назад

      आदरणीय महोदय
      संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत ​​आहे.
      हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
      जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
      मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
      26 जून 2024 तक का सत्य
      30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
      एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
      मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
      अवधूत जोशी

  • @dnyaneshwarsakhare
    @dnyaneshwarsakhare 6 месяцев назад

    सरजी आपल्याला तीसरी आघाडी अशी पाहिजे की तीचे मुख्य सुत्रधार चालक आपले बहुजन तज्ञ असावेत ७५ वर्ष पूर्ण झाली यांच्यावर विश्वास ठेवून

  • @ninadgaikwad346
    @ninadgaikwad346 7 месяцев назад +1

    साहेब काय म्हणाले यावर लक्ष देण्याची गरज नाही. ते घडविण्याचे नाहीतर बिघडविन्याचे काम करतात. आवटे सर आपण खूप छान सांगितले आहे

  • @Muddu99666
    @Muddu99666 7 месяцев назад +1

    खूप छान..मी तुमचा माहितीचा फैन आहे...

  • @sureshgangurde8998
    @sureshgangurde8998 6 месяцев назад

    बरोबर मांडणी आहे तुमची.

  • @SujalDhotre-k7v
    @SujalDhotre-k7v 7 месяцев назад +1

    VBA jai bhim