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आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
अप्रतिम अभ्यासपूर्ण चिकित्सक विश्लेषण आणि सुरेख सोपी मांडणी. गांधी- आंबेडकर आणि नेहरू- आंबेडकर यांच्यातील तात्विक आणि राजकीय मतभेदाला विकृत पणे मांडून देशाची दिशाभूल करणाऱ्यांना चपराक दिली आपण. खूप धन्यवाद आणि आभार. डॉ दिनेश कांबळे
आर एस एस असल्यामुळे भारतावर पाकिस्तान कब्जा करु शकत नाही. भारताला इस्लामीक मुलुख बनवायला आर एस एस चा विरोध आहे. पाकिस्तानचा सर्वात मोठा शत्रू आर एस एस.
@@VijayManjrekar-xs9feR.S.S. ने भारतीय तिरंगा पैरों तले कुचला यह फोटो भेजना है पुढील मराठीत सांगतो अंधभक्त अजूनही गुर्मित वागत आहेत तिकडे PAPA मिली +जुली+सरकार तयार करत आहे किती सत्तेवर राहण्यासाठी धडपड की आपले सरकार पडले की १० वर्षे केलेले कारस्थान बाहेर पडू नये याची काळजी ? पुछता है भारत .
संविधान वाचवण्यासाठी प्रकाश आंबेडकर यांनी पूर्ण महाराष्ट्रात कॉंग्रेस विरोधात उमेदवार उभे केले त्याच काय? मुळात दोन्ही पक्ष वेगवेगळ्या भूमिका घेवून आहेत मात्र त्यांचा मतदार मात्र एकच आहे, कॉंग्रेस चे मतदार ओबीसी, दलित आदिवासी मुस्लिम आहेत तर वंचित बहुजन आघाडी चे मतदार सुध्दा हेच आहेत आता प्रश्न मतदारांचा आहे संविधान विरोधी आरएसएस बिजेेपी ला कोण सक्षमपणे पर्याय ठरू शकतो ते ठरवण्याचा अधिकार हा मतदारांचाच आहे
नेहरूंचे समर्थन आम्ही करतो नेहरून मुळे बाबासाहेबांना अपेक्षित बरेच कार्य करता आले, कोंग्रेस मधे नेहरू एकटेच जे सुधारवादी विचारांचे होते. बाबासाहेब आंबेडकर आणि गांधी यांच्या मधे किती ही मत भेद असले तरी गोडसे भुमीकेच समर्थन ना आंबेडकर ना आंबेडकरवादी करतं.
एकदम बरोबर. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेल्या लेटर्स ओफ डॉ आंबेडकर या पुस्तकात पृष्ठ क्रमांक १७९ वर लिहिले आहे की नथुराम गोडसे ने फारच छान काम केले आहे. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर चांगल्या गोष्टीला चांगलेच म्हणणार.
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
@@rahulshelke5332 भट का क्या मतलब है? उन तीन मुस्कुराहटों का क्या मतलब है? सीखने का मौका मिलने के बाद भी, क्या आप अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए कुछ पंक्तियाँ नहीं लिख सकते? आप डॉ.बाबासाहेब अंबेडकरजी और उनके संविधान के नाम पर एक कलंक हैं। शर्म आनी चाहिए आपको।
अत्यंत छान माहिती दिली तुम्ही आम्ही उगाचच काँग्रेस ला दोषी मानत होतो. मुळात काँग्रेस आणि बाबासाहेब यांची नैतिक मुल्ले समानच होती असे यावरून दिसतेय मग ते राजकार्नात विरोधी का असेनात. Thanks to congress party. Jai bhim 🙏
भलेही आंबेडकरी मतांसाठी का असेना मात्र मा.प्रधानमंत्री मोदीजी डॉ आंबेडकर आणि काँग्रेस याबाबतीत जे म्हणाले ते अगदी बरोबर आहे. काँग्रेसनेच आंबेडकरी चळवळीला कमकुवत केले हे ही तेवढेच खरे आहे.
नरेंद्र मोदी लबाड आहे. नाव घेतो गांधींचे आणि गुपचूप काम करतोय डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या विचारांचे. सगळ्या महत्त्वाच्या ठिकाणी गुपचूप दलीत, ओबिसी, वाल्मिकी अशी भरती केलेली आहे.
अप्रतिम विश्लेषण केलत ह्या विषयावर विश्लेषण करताना आपण आज निळा शर्ट परिधान केलेला आहे हा योगायोग आहे मी भक्त नाही डॉ बाबासाहेब यांचा अनुयायी म्हणून गंमतीने प्रश्न मांडला
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
ती माहीती मॅन्युपुलेट केली असते जुन्या काळातील संदर्भ दाखले हेच प्रमाण असतात हे इंटरनेट युग अति प्रमाणात भारताच्या काहीच कामाच नाही अति औद्योगिकीकरण भारतासारख्या देशात बिन कामी ठरले हे नेहरु जाणुन होते त्यामुळे भोगवादी व्यवस्था वाढेल जी भारतासारख्या कृषीप्रधान व्यवस्थेला पोषक असणार नाही चंगळवाद परवडणारा नाही हे जाणून होते आज तेच घडतय
गांधी आणि नेहरूंनी अत्यंत इमानदारीने इंग्रजांसाठी मेहनत घेतली आणि वेळोवेळी जमेल तसे स्वातंत्र्य चळवळीत खोडा घातला. स्वातंत्र्यानंतर दोघांनीही अत्यंत इमानदारीने पाकिस्तान आणि इस्लामची सेवा केली. इमानदारी महत्वाची असते.
बाबासाहेब व गांधीजी यांच्यातला आंतरविरोध काहीजरी असला तरी काळाची गरज पाहून सांप्रतकाळी त्याच्याकडे कानाडोळा करून आज सर्व भारतीयांनी भारतीय संविधानाचे जे कोणी शत्रू आहेत त्यांना संपवणे हे अत्यंत आवश्यक व गरजेचे आहे.
विश्लेषण चांगले आहे झालेल्या घटना का व कश्या झाल्या यावर मत एैक्य होणार नाहीत तथ्य ते तथ्य असते. अलिकडे खोट्या इतिहासाचे पर्व सुरु आहे त्यापेैकी हे वाटत नाही
अतिशय अभ्यासपूर्ण विश्लेषण केल सरजी....राहिला मोदींचा प्रश्न तर यांना इतिहासाशी काही घेण देण नाही..सवंग प्रसिध्दी व बेजबाबदार विधान करून सत्तेसाठी हपापलेल कर्तव्यशुन्य व्यक्तिमत्व अशीच मोदीची इतिहासात नोंद होणार
बाबासाहेब की तुलना किसी से होती नहीं सक्ती है बाबासाहब प्रज्ञासूर्य है और सूरज कु कम्पेअर किसी से हो ही नहीं सक्ती है यह घोडसेवाली बात वो तो देश में हत्या , मर्डर का सत्र तभी से सुरू हुआ था @@VijayManjrekar-xs9fe
नारायण सदोबा काजरोळकर यांना बाबासाहेबांच्या विरोधात काँग्रेस ने उमेदवारी देऊन निवडून आणले व डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर यांना पराभूत करण्याचे महापाप काँग्रेस ने केले
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
मग भाजपा जनसंघ आर एस एस वाले काय सोन्याचे ताट देत होते काय❓ त्यांचे वर्तन तर त्या काळात इंग्रजांसारखेच होते खास करुन दलित अस्पृश्य समाज फक्त वापरुन फेका नेहरु एकटे काय करू शकत होते त्या काळातल्या परिस्थिती नुसार नेहरु बरेच आधुनिक विचारसरणी चे होते
1927 ला महाडच्या संग्रामाच्या वेळी गांधी चा फोटो कुठे ठेवला होता याचे उदाहरण द्याल का ? संदर्भ हं एव्हढे मात्र खरे की ' जयभवानी जयशिवाजी अशा घोषना मात्र दिल्या गेल्या आहेत . सत्यागृह करून बाबासाहेब शिवरायांच्या किल्यावर आराम करणेसाठी गेले त्या वेळी विरोध झाला होता .
आवटेजी.... बाबासाहेबांच्या घटनासमितीमधिल प्रवेशा बाबत ...आपण अर्धवट माहिती देवून ....आपण बेमालूमपणे कांग्रेस व म गांधी यांच्यामुळे बाबासाहेबांना घटनासमितीत प्रवेश मिळाला हे अर्धे सत्य सांगून अर्धेसत्य दडवून ठेवणे कितपत योग्य आहे.... बाबासाहेब प बंगालमधून स्वतंत्रपणे निवडणूक जिंकून घटनासमितीत गेले त्याचे श्रेय बॅ जोगेंद्रनाथ मंडल यांना आहे.....कांग्रेस , सरदार पटेल हे बाबासाहेब घटनासमित येणार नाहीत याची परिपूर्ण रणनीती तयार केली होती...
Arey tumhi itihas vacha Ani समजून घ्या ... सावरकर गोळवकर यांनी बाबासाहेबाना वाईट बोलले शिव्या दिल्या ते चालतंय आणि ज्यांनी संविधान निर्माण करताना बाबासाहेबाना त्याच्या buddhimatenusar प्राधान्य दिलं त्याच्या विरोधात बोलता .. मोती आज संविधान समवण्याचा प्रयत्न करत आहे ते चालत का
स्वतंत्र मतदारसंघ नाकारून पुणे कराराप्रमाणे राखीव जागा स्विकारण्यात आल्या मात्र काँग्रेसने त्या जागांवर त्यांचेच चमचे निवडून आणलें व अस्पृश्यांच्या ख-या प्रतिनिधींना गारद केले. अशाप्रकारे काँग्रेसने डॉक्टर आंबेडकरांचे राजकारण संपविले. तेच धोरण आजतागायत चालू आहे.
गांधींमुळे च बाबा साहेबाना संविधान सभेत केवळ प्रवेशच मिळाला नाही तर सरळ मसुदा समितीचे अध्यक्ष बनले याबद्दलं बाबा साहेबांनी गांधीचे आभार मानले आहेत । जेष्ठ आंबेडकर वादी रावसाहेब कसबे वाचा म्हणजे डोळ्या वरचे झापडं उघडतील । गांधी समजणे सोपे नाहीं । रावसाहेब कसबे यांना गांधी समजून घेण्या करी ता पंधरा वर्षे लागली । गांधी होते म्हणूनच बाबासाहेब घटनेचे शिल्पकार बनुं शकले ।
आवटे साहेब बाबासाहेबांचा संविधान सभेत प्रवेश कसा झाला याचे विश्लेषण करावे, संविधान सभेत निवडून येऊ नये यासाठी काँग्रेस ने कसे प्रयत्न केले याविषयी सविस्तर माहिती दयावी.
एकदम बरोबर. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर हे नेहमीच गांधीना एक मामुली इसम असं म्हणायचे. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेली पुस्तके लेटर्स ओफ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आणि पाकिस्तान आणि पार्टीशन हे वाचा. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी नथुराम गोडसे आणि सावरकर यांची स्तुती केलेली आहे. जयभीम.
घटना समिती वर डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर यांची निवड व्हावी म्हणून ब्रिटिश गव्हर्नर यांनी नेहरु वर दबाव टाकला त्या नंतर डाॅ आंबेडकर यांना काँग्रेस नी मुंबई प्रांतातून निवडून आणाले असे काही बुद्धीवादी लोकांचे मनोगत असल्याचे समझते .या संदर्भात आपले काय मत आहे
My friend,Dr.Babasaheb Ambedkar is the greatest social leader, For Babasaheb,politics is mission for social justice, He is not interested in only power, He is more interested to social reform, Gandhi ji and Congress not enough competent to overcome the Greatest Babasaheb
बाबासाहेब यांचं राजकारण तत कालीन मतदार संघातील मतदारांनी संपवलं , खर तर बाबासाहेब निवडणुकीत उभे असताना मतदारांनी दुसरा उमेदवाराचा विचारणारच करायला नको होती
सर आपण ऊचित मार्गदर्शन केल.तुमच हे विश्लेषण मला आवडल.गांधी,नेहरु,आंबेडकर हे फक्त प्रकृतीन अलग अलग होते.विचारानही ते काही ठीकाणी भिन्न भासलेत.पण त्या तिघांच्याही मनात एकमेकाबद्दल द्वेश नंव्हता असे जानवले.बाकी आपण केलेल्या अभ्यासपुर्ण विवेचनासाठी मी आपले आभार व्यक्त करतो.
आदरणीय महोदय संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे. हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है। जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा। मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ। 26 जून 2024 तक का सत्य 30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है। एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी। मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ। अवधूत जोशी
एनडीए की इंडिया?
महायुती की मविआ?
महाराष्ट्रातील सर्वात मोठा ओपिनियन पोल
तुमचं मत नोंदविण्याकरिता खालील लिंकवर क्लिक करा
www.lokmat.com/lokmat-loksabha-opinion-poll-2024/
13:16 13:19 13:23 13:26 13:28
44
8
Apanyogyamahitidilityabadalapalehardikswagatjaishivraijaibheem
एनडीए की इंडिया आणि महायुती की मविआ ह्यामध्ये तुम्हाला तिसरा कोणीच येऊ द्यायचा नाही.. किती हलकट आणि नीच्च प्रवृत्ती चे लोक आहात तुम्ही.
हा प्रश्न चुकीचा आहे कारण आपण दलाली केलेली पत्रकारिता या प्रश्नांमध्ये आहे.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय राज्यघटनेचे शिल्पकार झाले ते स्वतःच्या बौद्धिक क्षमतेमुळेच !
त्यामध्ये बाकी कुणाचेही योगदान नाहीये सर ... जय भीम
आ
हीरा हा हीरा आहे पण त्यांची किंमत जोहरी ठरवतो, ही-याला हीरा असल्याची जानिव असते पण त्याच मोल हीरा ठरवत नाही
आदरणीय महोदय
संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे.
हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
26 जून 2024 तक का सत्य
30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
अवधूत जोशी
अत्यंत अभ्यासपूर्ण विवेचन केले आहे. इतिहासाची मोडतोड करणे हाच जणू आजकालचा पायंडा पडत चालला आहे.
अप्रतिम अभ्यासपूर्ण चिकित्सक विश्लेषण आणि सुरेख सोपी मांडणी. गांधी- आंबेडकर आणि नेहरू- आंबेडकर यांच्यातील तात्विक आणि राजकीय मतभेदाला विकृत पणे मांडून देशाची दिशाभूल करणाऱ्यांना चपराक दिली आपण. खूप धन्यवाद आणि आभार. डॉ दिनेश कांबळे
इतिहासाची मोडतोड करून सान्गणे...प्रपोगंडा करणे हा हिन्दू महासभा अर्थातच आजच्या आर एस् एस् चा पायंडा आहे .
101 % सत्य
आर एस एस असल्यामुळे भारतावर पाकिस्तान कब्जा करु शकत नाही.
भारताला इस्लामीक मुलुख बनवायला आर एस एस चा विरोध आहे.
पाकिस्तानचा सर्वात मोठा शत्रू आर एस एस.
भारत में किसी मदरसे में या कोई मुस्लिम नेताने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई गयी है तो फोटो भेजना.
दलीत-मुस्लीम एकता का संदेश भेजना है .
@@VijayManjrekar-xs9fe rss ke karyalay ka bhi bhejana...
@@VijayManjrekar-xs9feR.S.S. ने भारतीय तिरंगा पैरों तले कुचला यह फोटो भेजना है पुढील मराठीत सांगतो अंधभक्त अजूनही गुर्मित वागत आहेत तिकडे PAPA मिली +जुली+सरकार तयार करत आहे किती सत्तेवर राहण्यासाठी धडपड की आपले सरकार पडले की १० वर्षे केलेले कारस्थान बाहेर पडू नये याची काळजी ? पुछता है भारत .
अत्यंत महत्वाची माहिती सांगितल्याबद्दल आपले खूप खूप आभार
तिनों के लिए आदर है ।
तिनों के लिए अभिमान है ।
नथुराम गोडसे
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
सावरकर
सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं ।
जयभीम।
धन्यवाद आवटे सर... ❤
आवटे साहेबांना एक विनंती आहे की कॉंग्रेस ने अकोल्यात आपला उमेदवार देऊन काय साधलं? यावर व्हिडिओ बनवावा..
संविधान वाचवण्यासाठी प्रकाश आंबेडकर यांनी पूर्ण महाराष्ट्रात कॉंग्रेस विरोधात उमेदवार उभे केले त्याच काय? मुळात दोन्ही पक्ष वेगवेगळ्या भूमिका घेवून आहेत मात्र त्यांचा मतदार मात्र एकच आहे, कॉंग्रेस चे मतदार ओबीसी, दलित आदिवासी मुस्लिम आहेत तर वंचित बहुजन आघाडी चे मतदार सुध्दा हेच आहेत आता प्रश्न मतदारांचा आहे संविधान विरोधी आरएसएस बिजेेपी ला कोण सक्षमपणे पर्याय ठरू शकतो ते ठरवण्याचा अधिकार हा मतदारांचाच आहे
अत्यंत अभ्यास पूर्व विश्लेषण सर जयभीम🙏🙏
अतिशय सुंदर मांडणी
फारच छान मांडणी केली आहे आपण, तेही तथ्यासहीत....धन्यवाद.
Really nice analysis done thank you so much for providing such facts
नेहरूंचे समर्थन आम्ही करतो नेहरून मुळे बाबासाहेबांना अपेक्षित बरेच कार्य करता आले, कोंग्रेस मधे नेहरू एकटेच जे सुधारवादी विचारांचे होते.
बाबासाहेब आंबेडकर आणि गांधी यांच्या मधे किती ही मत भेद असले तरी गोडसे भुमीकेच समर्थन ना आंबेडकर ना आंबेडकरवादी करतं.
एकदम बरोबर.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेल्या लेटर्स ओफ डॉ आंबेडकर या पुस्तकात पृष्ठ क्रमांक १७९ वर लिहिले आहे की नथुराम गोडसे ने फारच छान काम केले आहे.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर चांगल्या गोष्टीला चांगलेच म्हणणार.
आदरणीय महोदय
संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे.
हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
26 जून 2024 तक का सत्य
30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
अवधूत जोशी
खूप छान विश्लेषण सर
आम्ही गरीब मराठे आता फक्त बाळासाहेब आंबेडकरांसोबत 💯💯💯
😊
आदरणीय महोदय
संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे.
हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
26 जून 2024 तक का सत्य
30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
अवधूत जोशी
@@avadhutjoshi796जोशी 😢😢😢भट
@@rahulshelke5332
भट का क्या मतलब है? उन तीन मुस्कुराहटों का क्या मतलब है?
सीखने का मौका मिलने के बाद भी, क्या आप अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए कुछ पंक्तियाँ नहीं लिख सकते?
आप डॉ.बाबासाहेब अंबेडकरजी और उनके संविधान के नाम पर एक कलंक हैं।
शर्म आनी चाहिए आपको।
खुपच छान विश्लेषण आवटे सर!
संघ व भाजपचे नेते आणि त्यांची
विचार सरणी म्हणजे वैचरिक कँसर
आहे।
निशब्द,अतिशय वस्तुनिष्ट विश्लेषण.
चुकीचे विश्लेषण
आप्रतीम विश्लेषण
फार छान माहिती मुद्या सह समझळी
अप्रतिम मांडणी केली सर सत्य
जेव्हा गरज वाटली त्या वेळेस बाबासाहेब
अत्यंत छान माहिती दिली तुम्ही आम्ही उगाचच काँग्रेस ला दोषी मानत होतो. मुळात काँग्रेस आणि बाबासाहेब यांची नैतिक मुल्ले समानच होती असे यावरून दिसतेय मग ते राजकार्नात विरोधी का असेनात. Thanks to congress party. Jai bhim 🙏
भलेही आंबेडकरी मतांसाठी का असेना मात्र मा.प्रधानमंत्री मोदीजी डॉ आंबेडकर आणि काँग्रेस याबाबतीत जे म्हणाले ते अगदी बरोबर आहे.
काँग्रेसनेच आंबेडकरी चळवळीला कमकुवत केले हे ही तेवढेच खरे आहे.
नरेंद्र मोदी लबाड आहे.
नाव घेतो गांधींचे आणि गुपचूप काम करतोय डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या विचारांचे.
सगळ्या महत्त्वाच्या ठिकाणी गुपचूप दलीत, ओबिसी, वाल्मिकी अशी भरती केलेली आहे.
Brahaman Ani 2500 varshapasun atyachar kele n aajanhi karat aahet
अप्रतिम विश्लेषण केलत
ह्या विषयावर विश्लेषण करताना आपण आज निळा शर्ट परिधान केलेला आहे हा योगायोग आहे
मी भक्त नाही डॉ बाबासाहेब यांचा अनुयायी म्हणून गंमतीने प्रश्न मांडला
हमारा नितिन गडकरी से कोई बैर नहीं पर बीजेपी की अब खैर नहीं : वंचित बहुजन आघाडी
Modi BJP hatao baba saheb ka sambhidhan bachao 🙏🙏🙏🙏
Khup khup chha aavte sir hearty cóngratulations sir thanks jai hind
खुप छान माहिती 👌🙏
भाजपवाल्यांनी आणि आरएसएस वाल्यांनी आणि गोदी मीडिया आणि हे विश्लेषण जरूर पाहावे
तिनों के लिए आदर है ।
तिनों के लिए अभिमान है ।
नथुराम गोडसे
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
सावरकर
सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं ।
जयभीम।
आदरणीय महोदय
संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे.
हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
26 जून 2024 तक का सत्य
30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
अवधूत जोशी
आवटे साहेब,आता हे इंटरनेट चे युग आहे,लोकांना सहज माहिती उपलब्ध होते,तुम्ही सांगितलं तेच खरं तो जमाना आता नाही राहिला
ती माहीती मॅन्युपुलेट केली असते जुन्या काळातील संदर्भ दाखले हेच प्रमाण असतात हे इंटरनेट युग अति प्रमाणात भारताच्या काहीच कामाच नाही अति औद्योगिकीकरण भारतासारख्या देशात बिन कामी ठरले हे नेहरु जाणुन होते त्यामुळे भोगवादी व्यवस्था वाढेल जी भारतासारख्या कृषीप्रधान व्यवस्थेला पोषक असणार नाही चंगळवाद परवडणारा नाही हे जाणून होते आज तेच घडतय
अगदी अचुक ऐतिहासिक सत्य आपण सांगितले.आता तरी काही लोकांनी गांधींचा व कांग्रेस चा टोकाचा विरोध करने सोडून द्यावे.फार छान वीडियो.
गांधी आणि नेहरूंनी अत्यंत इमानदारीने इंग्रजांसाठी मेहनत घेतली आणि वेळोवेळी जमेल तसे स्वातंत्र्य चळवळीत खोडा घातला.
स्वातंत्र्यानंतर दोघांनीही अत्यंत इमानदारीने पाकिस्तान आणि इस्लामची सेवा केली.
इमानदारी महत्वाची असते.
बाबासाहेब व गांधीजी यांच्यातला आंतरविरोध काहीजरी असला तरी काळाची गरज पाहून सांप्रतकाळी त्याच्याकडे कानाडोळा करून आज सर्व भारतीयांनी भारतीय संविधानाचे जे कोणी शत्रू आहेत त्यांना संपवणे हे अत्यंत आवश्यक व गरजेचे आहे.
विश्लेषण चांगले आहे झालेल्या घटना का व कश्या झाल्या यावर मत एैक्य होणार नाहीत तथ्य ते तथ्य असते. अलिकडे खोट्या इतिहासाचे पर्व सुरु आहे त्यापेैकी हे वाटत नाही
खुप छान मांडणी केलीत सर👌👌👍👍🙏🙏जय भिम
सर छान माहिती दिली त्या बद्दल आपले मनःपूर्वक धन्यवाद.इतिहास वाचणे गरजेचे आहे या मधून तुम्ही जनतेला संदेश दिला खूप भारी.
🎉 आमचा बाप एकटाच लढला म्हणून च फक्त जयभिम नमो बुद्धाय जय संविधान जय लोकशाही जय मूलनिवासी नायक 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
अभ्यास पुर्ण विवेचन केले आहे; धन्यवाद!
सर,तुमचं विवेचन अत्यंत परखड तर आहेच, अभ्यासपूर्ण आहे पण पटण्यासारखं आहे. असं चालू ठेवा. धन्यवाद!
खुपच छान मांडणी संदर्भासह त्यामुळे ज्ञानात भर पडलीय सर.
अतिशय अभ्यासपूर्ण विश्लेषण केल सरजी....राहिला मोदींचा प्रश्न तर यांना इतिहासाशी काही घेण देण नाही..सवंग प्रसिध्दी व बेजबाबदार विधान करून सत्तेसाठी हपापलेल कर्तव्यशुन्य व्यक्तिमत्व अशीच मोदीची इतिहासात नोंद होणार
तिनों के लिए आदर है ।
तिनों के लिए अभिमान है ।
नथुराम गोडसे
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
सावरकर
सभी अपनी अपनी जगह पर अफलातून हिरो हैं ।
जयभीम।
बाबासाहेब की तुलना किसी से होती नहीं सक्ती है बाबासाहब प्रज्ञासूर्य है और सूरज कु कम्पेअर किसी से हो ही नहीं सक्ती है यह घोडसेवाली बात वो तो देश में हत्या , मर्डर का सत्र तभी से सुरू हुआ था @@VijayManjrekar-xs9fe
नारायण सदोबा काजरोळकर यांना बाबासाहेबांच्या विरोधात काँग्रेस ने उमेदवारी देऊन निवडून आणले व डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर यांना पराभूत करण्याचे महापाप काँग्रेस ने केले
धन्यवाद सर ही माहिती दिल्याबद्दल
sundar mahiti sir ji ani abhyasat bhar padali aplya mule
अतिशय उत्तम विश्लेषण केले साहेब आजच्या पिढीला प्रेरणा मिळते व सत्य अधोरेखित होते
अतिशय सुंदर विवेचन
सविस्तर मांडणी केली धन्यवाद
आवटे सर , आपणास सखोल अभ्यासाची गरज आहे कारण डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांची तुलना म, गांधी आणि पं, नेहरू बरोबर होऊ शकत नाही . अर्धवट माहिती चे विश्लेषण
आदरणीय महोदय
संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे.
हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
26 जून 2024 तक का सत्य
30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
अवधूत जोशी
फारच छान विश्लेषण केले आहात. really great
धन्यवाद. Sar.
अभ्यासपूर्ण माहिती दिलीत त्याबद्दल आपले आभार.🙏👍👌
Khup Chan sir
आंबेडकर ला कांग्रेस ने पाडले हे खर आहे कांग्रेस ने सतत आंबेडकर ला त्रास खुप दिला आहे इतिहास गवाह आहे हे नकारू नाही शकत
मग भाजपा जनसंघ आर एस एस वाले काय सोन्याचे ताट देत होते काय❓ त्यांचे वर्तन तर त्या काळात इंग्रजांसारखेच होते खास करुन दलित अस्पृश्य समाज फक्त वापरुन फेका नेहरु एकटे काय करू शकत होते त्या काळातल्या परिस्थिती नुसार नेहरु बरेच आधुनिक विचारसरणी चे होते
Wonderful. Very well said.
फारच छान ज्ञान सांगितले सर तुम्ही..
1927 ला महाडच्या संग्रामाच्या वेळी गांधी चा फोटो कुठे ठेवला होता याचे उदाहरण द्याल का ? संदर्भ हं एव्हढे मात्र खरे की ' जयभवानी जयशिवाजी अशा घोषना मात्र दिल्या गेल्या आहेत . सत्यागृह करून बाबासाहेब शिवरायांच्या किल्यावर आराम करणेसाठी गेले त्या वेळी विरोध झाला होता .
खोट बोलुन गांधीची गेलेली इमेज वाढवण्यासाठी प्रयत्न करत आहेत हि लोक
Gandinl tar babasahebancha vlrdh kela babasahebancha kamgirsobat Gandhi jodu nka khar tr Gandhi mulech baba saheb ana adhik tras sahn karava lgla
आभारी आहोत धन्यवाद आहे थोर व्यक्ती
च माहिती सांगितली त्याचे समघ कसे होते स्व भिमाने सांगितले बघल आभारी आहोत
आवटेजी.... बाबासाहेबांच्या घटनासमितीमधिल प्रवेशा बाबत ...आपण अर्धवट माहिती देवून ....आपण बेमालूमपणे कांग्रेस व म गांधी यांच्यामुळे बाबासाहेबांना घटनासमितीत प्रवेश मिळाला हे अर्धे सत्य सांगून अर्धेसत्य दडवून ठेवणे कितपत योग्य आहे....
बाबासाहेब प बंगालमधून स्वतंत्रपणे निवडणूक जिंकून घटनासमितीत गेले त्याचे श्रेय बॅ जोगेंद्रनाथ मंडल यांना आहे.....कांग्रेस , सरदार पटेल हे बाबासाहेब घटनासमित येणार नाहीत याची परिपूर्ण रणनीती तयार केली होती...
बंगाल मधुन बाबासाहेब निवडून आले परंतू तो मतदार पाकिस्तान मध्ये गेल्याने बाबा साहेबाला कॉग्रेसने मुंबईमधुन निवडुण आणले ।
Arey tumhi itihas vacha Ani समजून घ्या ... सावरकर
गोळवकर यांनी बाबासाहेबाना वाईट बोलले शिव्या दिल्या ते चालतंय आणि ज्यांनी संविधान निर्माण करताना बाबासाहेबाना त्याच्या buddhimatenusar प्राधान्य दिलं त्याच्या विरोधात बोलता .. मोती आज संविधान समवण्याचा प्रयत्न करत आहे ते चालत का
स्वतंत्र मतदारसंघ नाकारून पुणे कराराप्रमाणे राखीव जागा स्विकारण्यात आल्या मात्र काँग्रेसने त्या जागांवर त्यांचेच चमचे निवडून आणलें व अस्पृश्यांच्या ख-या प्रतिनिधींना गारद केले. अशाप्रकारे काँग्रेसने डॉक्टर आंबेडकरांचे राजकारण संपविले. तेच धोरण आजतागायत चालू आहे.
Knowledge full speech
गांधींमुळे च बाबा साहेबाना संविधान सभेत केवळ प्रवेशच मिळाला नाही तर सरळ मसुदा समितीचे अध्यक्ष बनले याबद्दलं बाबा साहेबांनी गांधीचे आभार मानले आहेत । जेष्ठ आंबेडकर वादी रावसाहेब कसबे वाचा म्हणजे डोळ्या वरचे झापडं उघडतील । गांधी समजणे सोपे नाहीं । रावसाहेब कसबे यांना गांधी समजून घेण्या
करी ता पंधरा वर्षे लागली । गांधी होते म्हणूनच बाबासाहेब घटनेचे शिल्पकार बनुं शकले ।
आवटे साहेब बाबासाहेबांचा संविधान सभेत प्रवेश कसा झाला याचे विश्लेषण करावे, संविधान सभेत निवडून येऊ नये यासाठी काँग्रेस ने कसे प्रयत्न केले याविषयी सविस्तर माहिती दयावी.
आताही तेच करतायत त्यांच्या नातवाला कुठं पुढे येऊ देतात?या कॉग्रेस राष्ट्रवादी भाजपसेना हे सर्व आहेत
खूप छान विश्लेषण केले आवटे सरांनी 🙏🙏
Jai bhim ❤❤❤
एकदम बरोबर.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर हे नेहमीच गांधीना एक मामुली इसम असं म्हणायचे.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी लिहिलेली पुस्तके
लेटर्स ओफ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आणि
पाकिस्तान आणि पार्टीशन हे वाचा.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी नथुराम गोडसे आणि सावरकर यांची स्तुती केलेली आहे.
जयभीम.
Thanks sir Chan mahit dilit🙏
Really good and prolific analysis. Thanks Aawate Sir. Jay Maharashtra Jay Marathi.
❤ se pranam sir...🐘🐘🐘🐘🐘🐘🙏🙏🙏🙏🙏
Very good morning sir
Jay Bheem Jay savidhaan
खरी माहिती सांगितली सर आपण आणि हे सर्व पटलं
अतिशय अभ्यासपूर्ण विश्लेषण...
Ha khota rachark aahe mat sathi tayari chalu aahe loksabhyechi as disun yet
छान समजून सांगितलं ,
Thanks
खूप छान मांडणी केली आहे
घटना समिती वर डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर यांची निवड व्हावी म्हणून ब्रिटिश गव्हर्नर यांनी नेहरु वर दबाव टाकला त्या नंतर डाॅ आंबेडकर यांना काँग्रेस नी मुंबई प्रांतातून निवडून आणाले असे काही बुद्धीवादी लोकांचे मनोगत असल्याचे समझते .या संदर्भात आपले काय मत आहे
खूप महत्वाचं
Satya lokanchi Puri Aliya baddal Hardik shubhechha Jay Bheem Jay
Excellent and very educative.
My friend,Dr.Babasaheb Ambedkar is the greatest social leader,
For Babasaheb,politics is mission for social justice,
He is not interested in only power,
He is more interested to social reform,
Gandhi ji and Congress not enough competent to overcome the Greatest Babasaheb
सर जी आपन दिलेली प्रतिक्रिया दिली असून माझे आपणास जयभीम जय सवीधान❤❤❤❤❤❤❤😂
राजकारणच नाही तर डाॅ बाबासाहेबांना पण संपवलं
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी राजीनामा देत असताना त्यांना आपलं म्हणणं मांडण्याच नाकारलं हे फार दु:खद आहे
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर साहेबा ना कोनीही संपउ सकत नाही समूदाद
Thanks sir ji, I learnt so much from your video
बरोबर
Jay bhim
SANJAY AWTE JI GREAT 👍 👌 🙏
जय भीम जय संविधान जय शिवराय 🌹❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🌹
छान सर माहिती दिली
बाबासाहेब यांचं राजकारण तत कालीन मतदार संघातील मतदारांनी संपवलं , खर तर बाबासाहेब निवडणुकीत उभे असताना मतदारांनी दुसरा उमेदवाराचा विचारणारच करायला नको होती
खूप छान विश्लेषण ते पण संदर्भासहित
डॉ बाबासाहेब आंबेडकरांचे राजकारण काँग्रेसने संपवले हेच खरे आहे. कोणीही तोडून मोडून सांगण्याची गरज नाही
खुप छान
औवटे सरजी,मला नेहरु,गांधी व आंबेडकर यांच्याकडे कसं बघायला पाहिजे याचे आपण वेगळे दर्शन घडविल्याबद्दल आपले खुप खुप आभार,जयभीम🙏💐🙏
सर आपण ऊचित मार्गदर्शन केल.तुमच हे विश्लेषण मला आवडल.गांधी,नेहरु,आंबेडकर हे फक्त प्रकृतीन अलग अलग होते.विचारानही ते काही ठीकाणी भिन्न भासलेत.पण त्या तिघांच्याही मनात एकमेकाबद्दल द्वेश नंव्हता असे जानवले.बाकी आपण केलेल्या अभ्यासपुर्ण विवेचनासाठी मी आपले आभार व्यक्त करतो.
💯tru
मतभेद जरूर असावे पण वैयक्तिक मतभेद नसावे!
संजय औटे आपली भाषा ही बाबासाहेब आंबेडकर यांना थोडं कमी दाखविण्याची धूर्त चलाख चालबाजी लपून रहात नाही.
Not at all.Shri Auati proved the greatness of Dr Babasaheb Ambedkar.All are three great and worked for nation .
बाबासाहेब १९५१ नंतर संसदेत नव्हते तरीही चार वर्षांत हिंदू कोड बिल नेहरूंनी मंजूर करून घेतले, ते आंबेडकर विरोधी होते म्हणून काय
Very Very information
Very nice I really appreciate your erudite explanation of things
विषय खूप मुद्देसूद मांडलाय.
पण काँग्रेस ने आंबेडकरांना १९५२ व १९५४ ल लोकसभेत का पाडलं?
1952 aur 1954 me RSS aur sangh ne baba saheb ka sath Diya tha kaya😅?
आदरणीय महोदय
संजय आवटे यांनी चांगल्या हेतूने सत्य सांगितले आहे, तरीही ते दीर्घकाळासाठी पुरेसे नाही. तरीही मी म्हणतो ते अर्धसत्य आहे. स्थिर, दीर्घकालीन किंवा कायमस्वरूपी सामाजिक आणि धार्मिक सौहार्दासाठी, आपल्या राष्ट्राला इतिहास, जात आणि धर्म व्यवस्था यावर देशव्यापी चर्चा आवश्यक आहे. या दिशेने केलेल्या माझ्या प्रयत्नांची मी थोडक्यात माहिती देत आहे.
हमारे देश में नैतिकता का अभाव है। हम सिर्फ़ उच्च मूल्यों की बात करते हैं और कभी उन पर अमल नहीं करते। मैं इसे अपने उदाहरण से व्यक्त कर रहा हूँ।2015 से यह बात और भी सच हो गई है। मैं अपने अनुभव का ब्यौरा साझा कर रहा हूँ। मेरी राय में, नैतिकता की कमी की यह समस्या हिंदू धर्म के विरोधाभास का कड़वा फल है।
जब भी आप हमारे देश में किसी भी व्यक्ति से जाति और धर्म के बारे में कुछ सुनते हैं, चाहे वह बुद्धिजीवी हो या राजनीतिक नेता, हमेशा एक महत्वपूर्ण बात याद रखें। आपको कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो पूरी तरह से सच बोलता हो। आपको उसके राजनीतिक झुकाव के अनुसार आधा सच या झूठ मिलेगा। आधे सच या झूठ का प्रतिशत व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होगा। जितना बेशर्म व्यक्ति, उतना अधिक आधा सच और झूठ। यदि व्यक्ति अच्छा है, तो अच्छे इरादे या ज्ञान की कमी के कारण वह आधा-अधूरा सच बोलेगा।
मैं एकमात्र व्यक्ति हूँ जो वास्तव में गैर राजनीतिक हूँ और इसलिए केवल सच बोलने की स्थिति में हूँ।
26 जून 2024 तक का सत्य
30 जनवरी 1948 से भारत का सामाजिक और धार्मिक ताना-बाना कमज़ोर होता चला गया। 30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था? गोडसे ने गांधीजी की हत्या की। इस दुखद घटना ने जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में पक्षपात को बढ़ावा दिया। यह प्रक्रिया जारी रही और आज हम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गए हैं। जाति और धर्म व्यवस्था के संदर्भ में हम दुनिया में नंबर एक बेवकूफ राष्ट्र हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे इतिहास को खराब कर दिया है। इतिहास अब हमारे देश में हास्य बन गया है।
एक सच्चे साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए हमें इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा करनी चाहिए। एक लंबे धागे की उलझन से हर कोई परिचित है। अगर आप इसे सुलझाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही नाजुक काम है। और हमारे पास हज़ारों सालों की ऐसी उलझन है। और ऐसा समाधान खोजना जो सभी को संतुष्ट कर सके, बहुत ही खास काम है। इसके लिए खास उपकरण की ज़रूरत होगी।
मेरे पास ऐसा उपकरण है। मैंने इस उद्देश्य के लिए चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने और सभी को संतुष्ट करने में सक्षम है। लेकिन इसके लिए सरकार का समर्थन ज़रूरी है। मई 2022 तक, मैंने सरकार से 1400 प्रार्थनाएँ कीं। और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। मैं सभी सच्चे देशभक्त नागरिकों से सरकार से ऐसा अनुरोध करने का विनम्र अनुरोध करता हूँ। कृपया सरकार से मुझे एक अवसर देने का अनुरोध करें। आइए हम अपने देश को एक सच्चा साक्षर और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाएँ।
अवधूत जोशी
सरजी आपल्याला तीसरी आघाडी अशी पाहिजे की तीचे मुख्य सुत्रधार चालक आपले बहुजन तज्ञ असावेत ७५ वर्ष पूर्ण झाली यांच्यावर विश्वास ठेवून
साहेब काय म्हणाले यावर लक्ष देण्याची गरज नाही. ते घडविण्याचे नाहीतर बिघडविन्याचे काम करतात. आवटे सर आपण खूप छान सांगितले आहे
खूप छान..मी तुमचा माहितीचा फैन आहे...
बरोबर मांडणी आहे तुमची.
VBA jai bhim