,🧘♀️🧘♂️गुरुदेव सियाग सिद्धयोग, मंत्र जप व ध्यान पर आधारित एक अद्भुत योग है। यह योग (सिद्धयोग) नाथमत के योगियों की देन है। इसमें सभी प्रकार के योग जैसे भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, क्रियायोग, ज्ञानयोग, लययोग, भावयोग, हठयोग आदि सम्मिलित हैं, इसीलिए इसे सिद्धयोग या महायोग भी कहते हैं। सिद्धयोग में वर्णित शक्तिपात दीक्षा द्वारा कुण्डलिनी जागरण से साधक के त्रिविध ताप आधि-दैहिक (Physical), आधि-भौतिक (Mental) व आधि-दैविक (Spiritual) नष्ट हो जाते हैं तथा साधक जीवन मुक्त हो जाता है। समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग सिद्धयोग को मूर्तरूप दे रहे हैं। सद्गुरुदेव सियाग से दीक्षित साधकों को सघन मंत्र जप व नियमित ध्यान से भौतिक जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं, शारीरिक व मानसिक रोगों तथा नशों से सहज में मुक्ति मिल रही है। विद्यार्थियों की एकाग्रता व याद्दाश्त में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। भौतिक विज्ञान ने वर्तमान में जितना विकास किया है, उससे आगे का विकास इस सिद्धयोग आराधना द्वारा किया जाना संभव है। यदि विश्व के वैज्ञानिक विश्व और ब्रह्माण्ड की असंख्य समस्याओं व अनसुलझी पहेलियों को हल करना चाहें तो ध्यान और समाधि की अवस्था में इन सब का हल होना संभव है। मनुष्य ईश्वर की सर्वोच्च कृति है, उसमें असीम ज्ञान और विज्ञान का अद्भुत भण्डार भरा पड़ा है। इस सिद्धयोग से अपने भीतर की चेतना को जाग्रत कर उसका सदुपयोग किया जा सकता है। मनुष्य के पूर्ण विकास का नाम ही ईश्वर है। मनुष्य, जीवन की सभी समस्याओं, रोगों तथा नशों से मुक्त होता हुआ, अपने असली स्वरुप अर्थात् ईश्वर के तद्रूप कैसे हो सकता है? गुरुदेव सियाग सिद्धयोग में, मनुष्य शरीर रूपी सुन्दर ग्रंथ को पढ़ने का एक दिव्य विज्ञान, एक सरल और सहज तरीका है-मंत्र जप और ध्यान। प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या? सद्गुरुदेव सियाग की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र जप के साथ, इनकी तस्वीर से 15 मिनट ध्यान करके देखें! ध्यान कैसे करें ? • गुरुदेव सियाग सिद्धयोग आराधना की एक सरल विधि है। इसमें दो कार्य करने होते हैं। संजीवनी मंत्र का सघन जाप व नियमित ध्यान। • आरामदायक स्थिति में बैठकर थोड़ी देर के लिए गुरुदेव के चित्र को एकाग्रता से, खुली आँखों से देखें। फिर आँखें बंद करके समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर (जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं) केन्द्रित कर, गुरुदेव से 15 मिनट के लिए ध्यान स्थिर करने की करूण प्रार्थना करें। • अब गुरुदेव द्वारा दिये गए संजीवनी मंत्र का मानसिक रूप से सघन जप करें (बिना होंठ-जीभ हिलाए)। नाम जप ही ध्यान की चाबी (Key) है। इसको तेल की धार की तरह, हर समय (Round the Clock) सघन मंत्र जप करें।
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,🧘♀️🧘♂️गुरुदेव सियाग सिद्धयोग, मंत्र जप व ध्यान पर आधारित एक अद्भुत योग है। यह योग (सिद्धयोग) नाथमत के योगियों की देन है। इसमें सभी प्रकार के योग जैसे भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, क्रियायोग, ज्ञानयोग, लययोग, भावयोग, हठयोग आदि सम्मिलित हैं, इसीलिए इसे सिद्धयोग या महायोग भी कहते हैं। सिद्धयोग में वर्णित शक्तिपात दीक्षा द्वारा कुण्डलिनी जागरण से साधक के त्रिविध ताप आधि-दैहिक (Physical), आधि-भौतिक (Mental) व आधि-दैविक (Spiritual) नष्ट हो जाते हैं तथा साधक जीवन मुक्त हो जाता है। समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग सिद्धयोग को मूर्तरूप दे रहे हैं।
सद्गुरुदेव सियाग से दीक्षित साधकों को सघन मंत्र जप व नियमित ध्यान से भौतिक जीवन की सभी प्रकार की समस्याओं, शारीरिक व मानसिक रोगों तथा नशों से सहज में मुक्ति मिल रही है। विद्यार्थियों की एकाग्रता व याद्दाश्त में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। भौतिक विज्ञान ने वर्तमान में जितना विकास किया है, उससे आगे का विकास इस सिद्धयोग आराधना द्वारा किया जाना संभव है। यदि विश्व के वैज्ञानिक विश्व और ब्रह्माण्ड की असंख्य समस्याओं व अनसुलझी पहेलियों को हल करना चाहें तो ध्यान और समाधि की अवस्था में इन सब का हल होना संभव है। मनुष्य ईश्वर की सर्वोच्च कृति है, उसमें असीम ज्ञान और विज्ञान का अद्भुत भण्डार भरा पड़ा है। इस सिद्धयोग से अपने भीतर की चेतना को जाग्रत कर उसका सदुपयोग किया जा सकता है।
मनुष्य के पूर्ण विकास का नाम ही ईश्वर है। मनुष्य, जीवन की सभी समस्याओं, रोगों तथा नशों से मुक्त होता हुआ, अपने असली स्वरुप अर्थात् ईश्वर के तद्रूप कैसे हो सकता है? गुरुदेव सियाग सिद्धयोग में, मनुष्य शरीर रूपी सुन्दर ग्रंथ को पढ़ने का एक दिव्य विज्ञान, एक सरल और सहज तरीका है-मंत्र जप और ध्यान। प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या? सद्गुरुदेव सियाग की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र जप के साथ, इनकी तस्वीर से 15 मिनट ध्यान करके देखें!
ध्यान कैसे करें ?
• गुरुदेव सियाग सिद्धयोग आराधना की एक सरल विधि है। इसमें दो कार्य करने होते हैं। संजीवनी मंत्र का सघन जाप व नियमित ध्यान।
• आरामदायक स्थिति में बैठकर थोड़ी देर के लिए गुरुदेव के चित्र को एकाग्रता से, खुली आँखों से देखें। फिर आँखें बंद करके समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर (जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं) केन्द्रित कर, गुरुदेव से 15 मिनट के लिए ध्यान स्थिर करने की करूण प्रार्थना करें।
• अब गुरुदेव द्वारा दिये गए संजीवनी मंत्र का मानसिक रूप से सघन जप करें (बिना होंठ-जीभ हिलाए)। नाम जप ही ध्यान की चाबी (Key) है। इसको तेल की धार की तरह, हर समय (Round the Clock) सघन मंत्र जप करें।
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