रोज सवेरे उठते ही निम्न दोहों को जरूर पढ़ें, फिर देखे उन्नति ही उन्नति।
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- Опубликовано: 4 окт 2024
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दोहा-छंद:- (१)
सारद मॉं सुमिरूं सदा, गणपति रा गुण गाय ।
सेवक रो हित साधने, आय वसो उर माय ।।१।।
अरज करहु गुरु आपने, धरूं हिये मे ध्यान ।
आखर सौंपो ऊजळा, दीजो उगती दान ।।२।।
चरण-कमल पितु-मात रा, चित मे लिया बसाय ।
आसिस-बगसो-विदग ने,अनंत खुसियां आय।।३।।
पारबता पति शंकर जी, कमलापत किरतार ।
रिदय बिराजो रामजी, अठदस छः अवतार ।।४।।
अरज करहु गुरुआप ने, निवण करूं आदेस ।
मोरो काज सुधारजो, बृह्मा विश्नु महेस ।।५।।
आदि भवानी ईश्वरी, तरणी तारण हार ।
दर्शन दीजो दास ने, सुत री लीजो सार ।।६।।
आवड़ मॉं सुख सौंपजो, अहर-निसा अधिकाय ।
नवलख सागे आवजो, नूतन खुसियां लाय ।।७।।
मात-पिता संसार में, तुमी-सखा गुरु भ्रात ।
मो हिरदै हरदम बसो, म्हारी करणी मात ।।८।।
सुख बगसण सारू सदा, ले सागे नवलाख ।
पातां रे घर पावणा, आजो भैरव नाथ ।।९।।
संता रो आसिस फले, शुभ होवे सब काज ।
निवण करूं सब संत ने, इच्छा पूरो आज ।।१०।।
कृत:- सांवल दान देपावत (पप्पू दान)
देशनोक🙏🚩🚩