बहुत बहुत सरल तरीके से आपने समझाया माता जी ,मैं आशा करता हूँ कि ये वीडियो ऋषिराज पोपट भी देखे और जाने कि भारत सन्तो और वैयाकरणों की कमी नहीं ,उसे अपनी गलती माननी चाहिए ।
मैडम ने कुछ समझाया है कहां? उन्होंने तो केवल विरोध किया, वह भी संसद के विरोधी दल की तरह। ऋषि जी ने जो कुछ लिखा है उसे उद्धृत करके उसका खंडन करते तब तो बात समझ में आती! न उसके किसी सिद्धांत को उन्होंने गलत प्रमाणित किया और न ही किसी सूत्र को उठाकर यह समझाने का प्रयास किया कि परंपरावादी सही हैं और ऋषि जी गलत हैं। केवल 'चित्' और 'चेचित्' को लेकर दिखा दिए स्लेट पर। इससे क्या प्रमाणित हुआ?
उन्होंने किसी बात का खंडन किया कहां? केवल स्लेट पर चित् और चेचित् लिखकर क्या प्रमाणित हुआ? ऋषि जी ने जो कहा - apavāda 'exception' rule defeats an utsarga 'general' rule. It is likely that Panini did not deem it necessary to state explicitly that the exception rule defeats the general rule. उसका खंडन कहां किया उन्होंने
माताजी को यदि खंडन करना ही था तो ऋषि जी की बातों को उठाकर उसका खंडन करते 1.7 My Opinion In my view, firstly, Panini did not expect us to create the categories 'tulyabala' and 'atulyabala'. Secondly, I think that he taught 1.4.2 as a metarule which, rather than being restricted to a particular section of the Aṣṭādhyāyī, is applicable to the entire Aṣṭādhyāyī. More broadly, I do not agree with both the traditional and the modern perspectives towards this topic, because instead of trying to decipher the actual meaning of 1.4.2, these approaches try to brush 1.4.2 under the carpet, to make it less effective or to weaken its impact.
माँ जी आप सही कह रहीं हैं। देश के प्रसिद्ध न्यूज चैनेल पर आपके चरण जरूर पड़ने चाहिए। हम भारतीय अपनी हीं ऋषि-परंपरा की लाज न रख सके, इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे लिए क्या हो सकता है।
वाह क्या गजब जज्बा है पूजनीय माताश्री का। माताश्री जैसे विद्वान जनो ने ही इस देश का सदा से मान बढ़ाया है और पाखण्डियों को अपने ज्ञान से धूल चटाई है। नमन माता श्री आपको।
Like how we have Wren and Martin Grammar Book for English, Pushpa Dikshit Mataji's grammar books are for Sanskrit. Most of the students in India ultimately refer to Mataji's grammar books only for clarifications. Apart from that, you have made immense contribution in the field of Sanskrit, Mataji. 🙏🙏🙏🙏
ऋषिराज को संस्कृत विद्वानों के मध्य वार्तावली कार्यक्रम में आकर अन्तर्वार्ता देनी चाहिए और विषय को समझना चाहिए। असंस्कृतज्ञों को अन्तर्वार्ता देने से क्या लाभ......?
परंपरा को सम्मान करने का अर्थ यह नहीं है कि आंखें मूंदकर वह सम्मान किया जाए। परंपरा मानना अच्छी बात है मगर यदि कोई नए रास्ते की ओर इंगित करे तो उसे भी आंख खोलकर देखा जाए। यदि किसी विद्वान को उनका विरोध करना है तो टूदि प्वाइंट करें ताकि एक स्वस्थ शास्त्रार्थ हो सके। 27 साल का उम्र होना उसका अपराध तो नहीं! शंकराचार्य ने तो इनसे कम उम्र में बड़े बड़ों को गलत प्रमाणित कर दिया था। क्या उनको भी अर्वाचीन कहकर डाँट देना चाहिए था?
Issue is who can Judge if the latest interpretation proposed is correct or not ? Maybe it is a trojan horse to destroy remaining Sankrit Scholarship in India.
माताजी से मेरा निवेदन है आप सभी विद्वानों को मिलकर, पाणिनी कात्यायन और सभी विद्वानों की ओर से ऋषिराज पोपट को मानहानि नोटिस भेजना चाहिए, क्योंकि वो अपने आप को विद्वान समझकर अन्य विद्वानों का अपमान कर रहा है और साथ ही उस यूनिवर्सिटी को भी नोटिस भेजना चाहिए कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है तो भारत के विद्वानों से आकर मिले
He has hurt all experts here through his works, words used during his interviews not realising his own blemishes. On top of it he is trying to defend himself by all means.
भूतकाल में भी आप जैसे लोगों ने ही महान वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोजों का खण्डन किया और उन्हें मरवा दिया लेकिन बाद में वही खोजें मानव समाज के लिए वरदान साबित हुई। ऋषि ने कभी नहीं कहा की मैं पाणिनी से बड़ा हूं बल्कि उसने तो पाणिनी के द्वारा ही लिखे गए नियम की सही व्याख्या की है जिसे बड़े बड़े विद्वान सदियों से गलत समझते और समझाते आ रहे थे
Vidwatta aap mein kitni bhi ho, par aapkaa yeh kahnaa ki Rishiraj ko ek akshar vyaakaran kaa nahin aata satya naheen lagtaa. Ek akshar to bacha bachaa jaan saktaa hai. Aur satya ke shodh ke liye umar maine naheen rakhti...Einstein 26 saal ki umar mein Relativity Theory kaa pataa lagaa liye the. Vyaakaran mein nayee khoj karne ke liye umar maine naheen rakhtee. 🙏
*या देवी सर्वभूतेषु रक्षारूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः।।*
*या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः।।*
बहुत बहुत सरल तरीके से आपने समझाया माता जी ,मैं आशा करता हूँ कि ये वीडियो ऋषिराज पोपट भी देखे और जाने कि भारत सन्तो और वैयाकरणों की कमी नहीं ,उसे अपनी गलती माननी चाहिए ।
मैडम ने कुछ समझाया है कहां? उन्होंने तो केवल विरोध किया, वह भी संसद के विरोधी दल की तरह। ऋषि जी ने जो कुछ लिखा है उसे उद्धृत करके उसका खंडन करते तब तो बात समझ में आती!
न उसके किसी सिद्धांत को उन्होंने गलत प्रमाणित किया और न ही किसी सूत्र को उठाकर यह समझाने का प्रयास किया कि परंपरावादी सही हैं और ऋषि जी गलत हैं। केवल 'चित्' और 'चेचित्' को लेकर दिखा दिए स्लेट पर। इससे क्या प्रमाणित हुआ?
@@sumitadasgupta1084 अंधे हो क्या चलचित्र का आरंभ ही खंडन से हुआ हैं
पूज्य माताजीने जो खंडन किया है और हमारी आँखो मे जो ज्ञानाञ्जन डा़ला है अतः आपको शतशः नमन l
Very nicely said.
उन्होंने किसी बात का खंडन किया कहां? केवल स्लेट पर चित् और चेचित् लिखकर क्या प्रमाणित हुआ?
ऋषि जी ने जो कहा -
apavāda 'exception' rule defeats an utsarga 'general' rule.
It is likely that Panini did not deem it necessary to state explicitly that the exception rule defeats the general rule.
उसका खंडन कहां किया उन्होंने
माताजी को यदि खंडन करना ही था तो ऋषि जी की बातों को उठाकर उसका खंडन करते
1.7 My Opinion
In my view, firstly, Panini did not expect us to create the categories 'tulyabala' and 'atulyabala'. Secondly, I think that he taught 1.4.2 as a metarule which, rather than being restricted to a particular section of the Aṣṭādhyāyī, is applicable to the entire Aṣṭādhyāyī.
More broadly, I do not agree with both the traditional and the modern perspectives towards this topic, because instead of trying to decipher the actual meaning of 1.4.2, these approaches try to brush 1.4.2 under the carpet, to make it less effective or to weaken its impact.
@@sumitadasgupta1084 Please watch the series of Khandan videos for your inquiry.
अति सुन्दर माता जी
Apanininay hai....uttamam. dhanywad Dr Pushpa ji. Pranam
Thank you Dr Dikshit ji
सत्य है
माताजी के श्रीचरणों में बारम्बार प्रणाम..... आपको सुनकर ही यह अनुभूति हो रही है, भगवति की अनन्तकृपा इस राष्ट्र पर बरस रही है ।
प्रणाम माता जी!आपकी प्रखर वाणी की प्रतीक्षा थी ...
पद वन्दन माॅं 🙏 🙏
प्रणाम माता जी👏
Pranam
माता जी आपके रहने से ही हमारे शास्त्रों की शोभा है आपके कहने से ही हमारे शास्त्र बचे हुए हैं आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम
🙏🙏
माँ जी आप सही कह रहीं हैं। देश के प्रसिद्ध न्यूज चैनेल पर आपके चरण जरूर पड़ने चाहिए।
हम भारतीय अपनी हीं ऋषि-परंपरा की लाज न रख सके, इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे लिए क्या हो सकता है।
Matag sahi kaha apne ...aur hame margdarshan dene ke liye dhanyawad...
पंडितों से पोपट जी का पोपट पलक झपकते ही होने वाला है🕉
नमोनमः 🙏
प्रणाम माताजी
Pranam Mata Ji
Bas yahi sunana tha, dhanyawaad mata ji 🙂🙏
वाह क्या गजब जज्बा है पूजनीय माताश्री का।
माताश्री जैसे विद्वान जनो ने ही इस देश का सदा से मान बढ़ाया है और पाखण्डियों को अपने ज्ञान से धूल चटाई है।
नमन माता श्री आपको।
प्रणम्याः मातृदेवताः👏
Like how we have Wren and Martin Grammar Book for English, Pushpa Dikshit Mataji's grammar books are for Sanskrit. Most of the students in India ultimately refer to Mataji's grammar books only for clarifications. Apart from that, you have made immense contribution in the field of Sanskrit, Mataji. 🙏🙏🙏🙏
अद्भुत, अनन्त नमन 💯💯💯🙇♂️🙇♂️💐💐🙇♂️
She is absolutely right ✅️
माताजी आपको कोटिशः प्रणाम !
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🏼🙏🏼
🙏🙏🙏
Namesty MataG, thanks a lot for your contribution to our generation, Love from Bangladesh
नमन आपको और आपके ज्ञान को🙏
माताजी आपका ज्ञान अथाह सागर के समान है।
🙏🏻
सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏
वन्दे भारत मातरम 🇮🇳🙏🙏
Pranam mata ji🙏
आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
माता जी के चरणो में कोटि कोटि प्रणाम।। हम सभी को आपके इस वीडियो की प्रतीक्षा थी।
प्रणाम माता जी
Mata g namste
Main stream media should show this if they are impartial
Shri mata vijayatetaram
आपके ज्ञान ki सराहना karna siryako dipak dikhana hoga
ऋषिराज को संस्कृत विद्वानों के मध्य वार्तावली कार्यक्रम में आकर अन्तर्वार्ता देनी चाहिए और विषय को समझना चाहिए।
असंस्कृतज्ञों को अन्तर्वार्ता देने से क्या लाभ......?
ये पश्चिम का एजेंडा भी हो सकता है
Exactly.
रिषि राज पोपट
पोपटो का राजा
माताजी को प्रणाम 🙇♂️🙏
Cambridze university ke prati claim kijiye ki aisa bina aadhar ke unhone bina jaanch ke parit kaise kiya
परंपरा को सम्मान करने का अर्थ यह नहीं है कि आंखें मूंदकर वह सम्मान किया जाए। परंपरा मानना अच्छी बात है मगर यदि कोई नए रास्ते की ओर इंगित करे तो उसे भी आंख खोलकर देखा जाए।
यदि किसी विद्वान को उनका विरोध करना है तो टूदि प्वाइंट करें ताकि एक स्वस्थ शास्त्रार्थ हो सके।
27 साल का उम्र होना उसका अपराध तो नहीं!
शंकराचार्य ने तो इनसे कम उम्र में बड़े बड़ों को गलत प्रमाणित कर दिया था। क्या उनको भी अर्वाचीन कहकर डाँट देना चाहिए था?
Issue is who can Judge if the latest interpretation proposed is correct or not ? Maybe it is a trojan horse to destroy remaining Sankrit Scholarship in India.
Mataji, in some areas Rushiraj bopat misquoted the modern terminology too.
ati uttam....ye bharatiya guru parampara par ek aur hamla hai...khandan avashya hona chahihiye !!!
माताजी से मेरा निवेदन है आप सभी विद्वानों को मिलकर, पाणिनी कात्यायन और सभी विद्वानों की ओर से ऋषिराज पोपट को मानहानि नोटिस भेजना चाहिए, क्योंकि वो अपने आप को विद्वान समझकर अन्य विद्वानों का अपमान कर रहा है और साथ ही उस यूनिवर्सिटी को भी नोटिस भेजना चाहिए कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है तो भारत के विद्वानों से आकर मिले
Rushiraj bopat is totally POPAT. He knows a little bit of something and shows that he knows everything in Paniniyan Vyakaran
He has hurt all experts here through his works, words used during his interviews not realising his own blemishes. On top of it he is trying to defend himself by all means.
Rishiraj popat ka virodh hona jaruri hai
भूतकाल में भी आप जैसे लोगों ने ही महान वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोजों का खण्डन किया और उन्हें मरवा दिया लेकिन बाद में वही खोजें मानव समाज के लिए वरदान साबित हुई। ऋषि ने कभी नहीं कहा की मैं पाणिनी से बड़ा हूं बल्कि उसने तो पाणिनी के द्वारा ही लिखे गए नियम की सही व्याख्या की है जिसे बड़े बड़े विद्वान सदियों से गलत समझते और समझाते आ रहे थे
Aapne kya thesis padhi hai yadi nahi to ek baar padhiye aur phir is prakaar ka comment kariye
Vidwatta aap mein kitni bhi ho, par aapkaa yeh kahnaa ki Rishiraj ko ek akshar vyaakaran kaa nahin aata satya naheen lagtaa. Ek akshar to bacha bachaa jaan saktaa hai. Aur satya ke shodh ke liye umar maine naheen rakhti...Einstein 26 saal ki umar mein Relativity Theory kaa pataa lagaa liye the. Vyaakaran mein nayee khoj karne ke liye umar maine naheen rakhtee. 🙏
भाई साहब आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि संस्कृत एक ही शब्द में अनेक शब्द और एक शब्द गलत तो उस का अनर्थ हो सकता है इसीलिए एक शब्द गलत नहीं होना चाहिए
Aap shayad mataji ke vyaktitva se parichit nahi hain.. kripaya samajhe phir likhen
🙏🙏🙏🙏