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- Опубликовано: 3 мар 2019
- Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन।
मेरा अपना अनुभव यह है कि स्वाधीनता न तो किसी और के द्वारा और न किसी वस्तु या परिस्थिति द्वारा मिलती है। यह स्वाधीनता तो अपने ही द्वारा प्राप्त करनी होती है। स्वाधीनता में न कोई सहायक है और न कोई बाधक है। यह जो हम लोग कहते हैं कि दूसरे लोगों ने हमारी स्वाधीनता छीन ली या दूसरे लोग हमको स्वाधीनता दे सकते हैं। पर ऐसी बात नहीं है। स्वाधीनता एक ऐसी चीज है जो कि अपने ही द्वारा प्राप्त की जा सकती है, किसी और के द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती।
किसी वस्तु परिस्थिति की कामनाये तो पराधीनता लाती है 🙏🌹
ॐ नमः शिवाय
अनुभवी साधु सत्य कह रहे हैं। साधुवाद।
ये है़ वास्तविक सत्संग ...जय हो महात्मन्
हरि शरणम् हरि ॐ नमः शिवाय
महाराज जी को शत शत नमन कोटि कोटि नमन 🙏🌹
OM TAT SAT.
बहुत हि सुन्दर प्रवचन इतना प्रैक्टिकल हम सब अनुभव कर सकते है हर बात किसी के भी समझ आ जाये
Maharaj ke shri charano mien parnam
Harisharan
Dandvat pranam mahraj ji.
हरी शरणम् हरी शरणम् हरी शरणम्
Nice
Pranam 🙏
Swami ji ko pranam yeh hai ki unke anmol vachno ko ham jivan mein utar saken.
🙏🙏🙏
🌺🙏
बहुत बहुत आभार ।।
Amrit Bani.
🙇♂️🙇♂️🙇♂️
Apke shri Charno me naman bhagwan🌹🙏🌹
Ram ram sa❤️🌹🥰👋👋💐🌹
Satgurudeo ji ki jai
आपको प्रणाम है।
Hu
Manv
Guru sharanam
Bahut sunder pravachan🙏🏻
Excellent
Thanks
🎉🎉🎉 Danwat maharaj ji 🎉🎉🙏 jay shyaram 🎉🎉🙏
स्वामी जी को शत् शत् नमन् 🙏🙏🌹🌹
🕉🙏Jai Gurudev ji🙏🕉
🌹🙏🌹
अक्षरशःसत्य। अद्भुत
Excellent 👌
हरि शरणम
Jay Sri ram
Om namo naraynay
Ati sundar.🙏🙏
स्वाधीनता?
आपका सोच सहिदिशा में है।।
देवी देवता या कोई भी
तामसिक या सात्विक जी शक्ति से जुड़ेंगे
उनकी कृपा चाहे तो
हम उनके पराधीन इस जीवन और पश्चात उनके आधीन होगे हि।
यदि एसि शक्तियों कि कृपा नहीं पाना चाहे तो
प्रारब्ध अनुरूप सूख दुख में कोई तीसरी मदद नहीं मिलेगी,
केवल पुर्वाजित पाप पूर्ण खर्च होकर आपको रिक्त करते रहते हैं।
आपने कहा अपने प्रीतम की प्राप्ति???
तो
यह कामना भी मुक्ति रहित, दासता का मार्ग है।
किन्तु
इस भौतिक संसार से प्राप्ति कि अभिलाष है तो
सात्विक शक्तियां अपनी प्रकृति अनुरूप वहीं देती हैं जो पाप रहित कल्याण कारक हो
किन्तु अन्य में शत्रु भाव हो दूसरों को हानी पहुंचने और बहुत कुछ पाना चाहते हैं। चाहे वो अंततः बन्धन और पतन कि रक्त और कामुक्ता युक्त इथर योनि हि मिलती है जिसकी भोग अवधि असीमित होने से उसे पाने वाले रक्त पिपासू कामूक क्रूर जिन्ना पिशाच
अपने सम्पर्क में आने वाले
शरिरो को अपने प्रभाव में लेकर चूसने दोहन और भोग का माध्यम बनालेते है
कुछ लोग का तो जीवन बीत जाता हैं
उन स्त्री पुरुष को पूरे जीवन पता नहीं चलता कि उनके शरीरो का स्तेमाल कोई कामूक अशांत प्यासी आत्माएं करती रही है।
🙏🙏. शत शत नमन। अद्भुत व्याख्या 🙏🙏🙏🙏
Radhe Radhe 🙏🙏🙏
जय गुरुदेव🙏🙏. किसकी वाणी है??कौन प्रवचन बोल रहे हैं?? केवल अद्भुत
Om
Very useful pravachan.
Such a clear and confusion free knowledge. Every thing depends on us for our spiritual path... this is made very clear by Swami ji
Nice
Thanks
Param bani
बहुत बहुत आभार ब्रम्ह वचन
SWAMIJI Maharaj ke Charon me Anant Koti Naman
Om Krishan USA