कर्म का फल अविनाशी नहीं होता। 40(अ) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 16 окт 2024
  • Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
    स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन।
    अब आप देखिए, अर्थ क्या लगाते हैं? भूख लगी है। श्रीमती जी ने बढ़िया खाना पकाया, आदर पूर्वक बैठाया और आप खाने लगे। आप कहने लगे कि वाह! हम शरीर के द्वारा भोजन करते हैं। अब आपने यह रवैया अख्त्यार कर लिया कि हम शरीर के द्वारा भजन करते हैं। जरा सी कड़ी बात कह दूँ, बुरा न मानें कोई भाई। आप कहते हैं कि हम शरीर के द्वारा सेवा करते हैं। बुराई-रहित हुए नहीं और सेवा हो गई? स्मृति जगी नहीं और भजन हो गया? कैसा भजन करते हो बाबू? कैसी आप सेवा करते हैं?
    मैं आपसे बड़ी नम्रता से निवेदन करना चाहता हूँ। ठण्डी तबियत से सोचिये कि मेरे साथ कोई बुराई न करे। आप जानते हैं कि बुराई का जीवन में कोई स्थान नहीं है। लेकिन जब दूसरे के साथ बुराई करते हैं, तब इस बात को उपयोग में नहीं लाते कि भले ही मेरे साथ कोई बुराई कर रहा है, पर क्या मुझे अधिकार है बुराई करने का? जबकि मैं जानता हूँ कि मेरे साथ कोई बुराई न करे। मिले हुए यानी प्रतीत होने वाले पर अपना अधिकार मानते हो, जबकि जानते हो कि उस पर अपना कोई अधिकार है नहीं। मैं जानता हूँ कि कोई अधिकार नहीं है। आप अच्छी तरह से जानते हैं कि मिला हुआ यानी प्रतीत होने वाला अपना नहीं है।
    #Sharnanand #manavsevasangh #karnal

Комментарии • 17