कबीर साहेब के दोहे | तन को जोगी सब करे | जहाँ काम तहाँ नाम नहिं | satya dikhai kyon nhi deta?
HTML-код
- Опубликовано: 6 сен 2024
- कबीर साहेब के दोहे | तन को जोगी सब करे | जहाँ काम तहाँ नाम नहिं | satya dikhai kyon nhi deta?
प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा परजा सो रुचौ, शीश देय ले जाय।।
sant kabir ke dohe
kabir saheb ke dohe arth sahit
kabir saheb ke bhajan
kabir amritwani in hindi
swayam se satya tak on kabir
जहां काम तहां नाम नहिं, जहां नाम नहिं काम।
दोनों कबहू ना मिलै, रवि रजनी इक ठाम।।
साँच कहूँ तो मारि हैं, झूठे जग पतियाय।
यह जग काली कूतरी, जो छेड़ें तेहि खाय ।।
बेटा जाये क्या हुआ, कहा बजावै थाल।
आवन जावन होय रहा, ज्यों कीड़ी का नाल ।।
साँचै कोइ न पतीजई, झूठे जग पतिताय।
गली गली गोरस फिरें, मदिरा बैठि बिकाय ।।
तन को जोगी सब करै, मन को करै न कोय।
सहजै सब विधि पाइये, जो मन जोगी होय ।।
आंखि न देखे बावरा, शब्द सुनै नहि कान।
सिर के केस ऊजल भये, अबहूं निपट अजान ।।
#kabir
#kabirbhajan
#kabirkedohe
#kabirisgod
#kabira
#kabiramritwani
#santkabirdas
#santkabir
#santkabirkedohe
#dohe
#aatmgyan #ashtavakra #selfknowledge #selfrealization #swayamsesatyatak #philosophy #selfknowing #spirituality #hindi
Kabir ke dhohe को explains के लिए thanks ❤
You are right sir
Dhanyawad sir ❤❤
Your video is great