nisargdatta maharaj: नींद से जागने पर संसार की प्रतीति क्यों होती है? Sleeping and awakened state
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- Опубликовано: 15 сен 2024
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नींद से जागने पर संसार की प्रतीति क्यों होती है?
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अक्सर आपके बहुत सारे सवाल;
मैसेज और कॉमेंट्स के माध्यम से आते हैं तो हमने कुछ समय पहले आप लोगों के लिए एक सुविधा चालू की थी कि आप चाहे तो डायरेक्ट फोन से बात कर सकते हैं। लेकिन तब बहुत ज्यादा लोगों के मैसेज और फोन भी आते थे तो उससे डायरेक्ट बात करने में बहुत व्यवधान और समस्या खड़ी होती थी। सभी लोगों से बात करना मुश्किल हो जाता था और एक ही व्यक्ति से जब बात की जाती थी तो एक घंटा, डेढ़ घंटा, दो घंटे तक निकल जाते थे। बात लंबी हो जाती थी तो उसमें समय बहुत लगता था। अब आप यदि हमसे (वक्ता से) अपना सवाल आमने सामने पूछना चाहते हैं तो आप कृपया नीचे दिया गया फॉर्म भरें।
फिर हम जूम मीटिंग या गूगल मीटिंग के माध्यम से आपसे बात करेंगे जिसमें चालीस/पचास मिनट का समय रहेगा उसके बाद मीटिंग अपने आप समाप्त हो जायेगी जिससे ज्यादा समय भी बर्बाद नहीं होगा और जो सवाल महत्त्वपूर्ण होंगे आप उन्हीं को पूछेंगे तो वो ठीक रहेगा। तो यदि आपका कोई सवाल है तो यह फॉर्म भर सकते हैं।
धन्यवाद! 🌹🙏🌹
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सवाल बहुत लोगों के होते हैं, किंतु आपसे बात करने के लिए एक ही व्यक्ति है।
इसलिए यदि एक ही व्यक्ति को बार-बार सारा समय दिया गया तो बाकियों से एक बार भी बात नहीं हो पाएगी।
इसलिए एक ही व्यक्ति से बार-बार बात नहीं होगी।
यदि आपका सवाल ज्यादा जरूरी है तो आप फीस देकर बात कर सकते हैं। ताकी उस धन का उपयोग करके हम किसी तरह समय की भरपाई कर सकें।
पहली बार आप मुफ्त में बात कर सकते हैं, दूसरी बार फीस देकर बात कर सकते हैं।
आमने-सामने बात करने से पहले यदि आपने वीडियो नहीं सुने हैं तो कृपया पहले वीडियो जरूर सुनें।
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किसी भी काम को बेहतर ढंग से करने के लिए संसाधनों की जरूरत होती है, धन भी उन्हीं संसाधनों में से एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
सहयोग करके आप हमारी सहायता नहीं कर रहे हैं, अपितु सहयोग करके आप स्वयं की और अपने ही जैसे अन्य लोगों की सहायता कर रहे हैं।
जितने संसाधन हमारे पास हैं उतने हम इसी काम को समर्पित कर देते हैं उसी के परिणामस्वरूप आज बात आप तक पहुँच पा रही है। मगर जैसे आपका दुख और अज्ञान है वैसे ही अन्य जीवों का भी है।
संसाधनों के सदुपयोग से ही अधिक लोगों तक शिक्षा पहुँचती है और सुधार आता है। अपनी स्वेक्षा से ही योगदान दें।
धन्यवाद!
आप फिक्र न करें मित्र बात समझ आ रही है।आपके honest प्रयास को हम सब प्रणाम करते है और always कृतज्ञ रहेंगे।
❤
Nice effort
आप बात को विस्तार पूर्वक उदाहरण देकर समझाते है उससे स्पष्टता आती है।आप ये न सोचे कि बोरियत बड़ रही होगी नही आनंद आता है कारण आपका कंटेंट आपकी प्रेजेंस पूरी being के साथ केंद्र में truth रहता है।
Ram ram prabhu 🙏🙏🙏👌👌
जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति मिथ्या है वो आती हैं और चली जाती हैं इन तीनो का साक्षी ही सत्य है जो तीनो अवस्थाओं में, तीनों कालों में, सदा जागने वाला, कभी न सोने वाला है। मेरे लिए अनाम है वो।
Hariom Tatsat namah Shivay ❤❤❤❤❤
उस न सोने वाले से भी परे कुछ है जिसे परा अर्थात पार ब्रह्म कहते है जहां कुछ नहीं है
दृष्टा दृश्य से आलग है पर दृश्य दृष्टा से अलग नहीं है क्योंकि बिना दृश्य के दृष्टा रहेगा पर बिना दृष्टा के दृश्य नहीं रहेगा।
दोनों एक ही हैं
Peacock feathers
You can not doubt that you are doubting, but who is the doubter. Investigate the doubter.
Shittt... These were the impotent people who bought all these things to man kind .. these were the people who found it hard to cope up with their problems(root meaning something THROWN AT YOU) and beacause they were in a loop of the same thing again and again they felt stuck, some attended suicide some ran away and those who ran away realised that the things/feelings/problem is no more there which was because it was never there it was something they were creating in their head from the environment they found themselves in all along the way, and now since the environment has changed which made them create all those things and eventually everything settled down. Which was bound to happen.And those who closed their eyes in hope of running away from their situation invented soo-called "meditation of closing eyes" and what not.
Damn it this is crazy a perfect joke played on mankind by the weak people of the mankind 🥴😂😂😂😂😂😂
पहली विडीयों और विडीयों के विषय वस्तु मे विरोधाभास है ।
पहली वीडियो किसी भी कारण को मानने से इँकार करती है । यह विडीयों किसी कार्य कारण को मानने की वकालत करती है ।।