आत्मा: कई सवाल || आचार्य प्रशांत (2020)
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- Опубликовано: 12 сен 2024
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वीडियो जानकारी: 26.09.2020, जन जागृति समारोह, खुला संवाद, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश
प्रसंग:
~ क्या हमारे शरीर में आत्मा होती है?
~ क्या बुरी आत्माएँ भी होती हैं?
~ क्या शरीर में देवी-देवता प्रवेश कर सकते हैं?
~ आत्मा और शरीर अलग-अलग होते हैं?
~ क्या हमारी आत्मा किसी और के शरीर में जा सकती है?
संगीत: मिलिंद दाते
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Nmshkar achary ji
आचार्य जी, 🤔रूह क्या है
🙏🏻
Guruji is atma like sun we extract energy from the sun ruh is ona Ray of the sun
Aatma ko mann ke dhyan se jana jaye ya budhi ki gati se ya fir dono se. Kya budhi aur mann ki last stege bhi aatma tak nhi pahuch payegi?
ये देख कर मुझे ये आभास हुआ कि "सनातन धर्म अपने लीक से कोसों दूर हो चुका है, वास्तविक सनातन सभ्यता इसी चर्चा, और इसके बोध में छिपा है।"
बाकी सब फरेब है।
Hume wapas lana hoga isse
दुखद बात ये है कि बहुत देर कर दी हमने। इस देश के युवा जो parents बन चुके हैं वो भी और वो भी जो भविष्य में बनेंगे दोनों ने ही अपने लिए दुःख के पुल का निर्माण बहुत पहले कर दिया था। वो असर अब दिखने भी लगा है। ये निश्चित ही डूबेंगे।
हमारा और हमारी आने वाली पीढ़ी का जब तमाशा हो जाएगा तब ही सारे वापस आएंगे सनातन धर्म की और।
आप सच्चे ज्ञानी हो।🙏बहोतोंको सुना लेकिन आप जैसा समाधान नहीं मिला। आप ऐसे ही ज्ञान फैलाते रहो।धर्मके नाम पर यहां बहुत भ्रांतियां हैं।
प्रणाम आचार्य जी, आत्मा के बारे में आपने जो भी समझाया वो logically सत्य प्रतीत होता है।
लेकिन* मैं कौन हूँ* का उत्तर दृढ़ता से नही कर पाया मैंने। मैं अभी मन हूँ जो कि यदि मुक्त नही हो पाया तो उसका समूल नाश हो जाएगा यानी कि मेरे भीतर कुछ भी ऐसा नही जो कि शाश्वत है अमर है। मेरे भीतर यानी कि इस शरीर मे जो भी चेतना है या अहम है या मन है ये सब इस शरीर की मृत्यु के साथ ही नष्ट हो जाएंगे यदि मुक्त नही हुए तो। तो फिर कर्मफल का सिद्धांत भी मूल्यहीन से प्रतीत होता है क्योंकि कर्म मैं मन के द्वारा ही करूँगा जो कि मुक्त न होने पे नष्ट हो जाएगा तो मेरा कर्मफल भी नष्ट हो गया।
आपने कहा कि आत्मा ही अपने को भुलाकर मन बना हुआ है, लेकिन जब आत्मा पूर्ण है तो त्रुटिरहित भी होगी तो वो अपने आप को भूल कैसे गयी और वैसे भी आत्मा तो कुछ करती नही तो भूल कैसे गयी। मुझे ये जानना है कि मैं कौन हूँ। वेद अमृतस्य पुत्रः कहते हैं तो ये क्या है।
गीता के ममैवांशो जीवलोके क्या है। और ऋषि मुनि संतजन सभी क्यों कहते रहे कि तुम आत्मा हो।तुम ही ईश्वर हो। स्वामी विवेकानंद जी के भी उपदेश इस तरह के वाक्यों से भरे हुए हैं। ये सब तो तब हैं जब मुक्त हो गए नही तो सबकुछ हमारे भीतर नश्वर है। तो मैं कौन हूं। वो क्या है जिसके शरीर से चले जाने के बाद शरीर मृत हो जाता है।
Who am I actually😴
Great curiosity
मुक्ति का मतलब जन्म मरण के चक्र से मुक्त होने का नाम नहीं है बल्कि अभी के दुःख से मुक्त होने को मुक्ति कहते है।
जिसे आचार्य जी जैसा गुरु मिल गया मानो उसे मंजिल भी मिल ही गया,
बाली हारी गुरु अपने गोविंद दियो बताय👏👏👏👏👏
jiska pahila janam hai uska janam konsi vruti ke vajhse hua hoga
इतिहास में आजतक का सर्वश्रेष्ठ वीडियो आत्मा,पुनर्जन्म के भ्रांति से बचने के लिए...
नमन आचार्य जी..
धन्यवाद APF टीम....🙏🙏
Td it z 1000rs 4ae7e7r8
Very nice aacharya prashant
सीधा,स्पष्ट तथा सटीक उत्तर🌻आचार्यवर अपने चरणों में अर्जुन का प्रणाम स्वीकार करें💐🙏
100% sahi guruji
"बहुत हो गये जन्म,धर्नुधर अर्जुन तेरे मेंरे।
नही ज्ञात है तुम्हे, विदित हैं जन्म हमें बहुतेरे।।"
(श्री मदभगवदगीता अध्याय ४)
Kya meaning hai iska??
वास्तव में आपकी संगति ही स्वर्ग है😊🙏
आत्मा यदि नहीं है तो पुनःजनम भी नहीं है तो मनुष्य अपनी मनमानी में जीवन जी सकता है
Bilkul jio bhai, kisne roka h 😃 bhai iss maya ko smjhna baht hi muskil h 🤣🤣
मनुष्य को स्वच्छ जीवन जीने के लिए यदि पुनर्जन्म या स्वर्ग नर्क के डंडे आवश्यक है तो भविष्य के लिए कोई आशा नहीं बची ।
आजतक इन डंडों का परिणाम तो हमारे सामने हैं भई, देख सकते हो ?
आचार्य जी का एक एक शब्द ,एक एक वाक्य ब्रह्म वाक्य है l आचार्य जी का ज्ञान तेजी से हमें सत्य की ओर ले जा रहा है lजैसे जैसे आचार्य जी को सुनती जा रही हूं अपनी अज्ञानता का बोध हो रहा है ,माया के प्रति सारे भ्रम टूट रहे हैं l मैंने कृष्ण को , बुद्ध को ,महावीर को ,कबीर को नहीं देखा ,लेकिन मुझे आचार्य जी में ये सब नज़र आते हैं l कोटि कोटि नमन मेरे कृष्ण समान गुरुवर आचार्य प्रशांत को 🙏❤️
आचार्यजी बहुत से लोग अभी कुछ गलत करने से डरते है ये सोच कर की दूसरे जन्म में हमे उसका दंड मिलेगा अगर हमने किसिका कुछ बुरा किया तो।अगर उन्हें ये समझ आ गया की हमारा तो दूसरा जन्म होना ही नहीं,तो क्या वे निरंकुश नहीं हो जाएंगे?उनके अंदर से डर खत्म नहीं हो जायेगा।क्योंकि आदमी तो मूलतः पशु ही है।कृपया समझाएं।
Jab log yeah gyaan samjane lagenge woh apne ap hi andar se shudh hote jayenge. Balki woh ankush me rehne Lagenge. Un me karuna aa jayegi. Phir woh log koi galat kaam nahi karenge.
आचार्य जी की
अमृतवाणी एवं तार्किक वचन से मेरे भीतर की अज्ञानता और आधारहीन मान्यताएं दूर हो रही है। मेरी जिंदगी सुधार रही है।
आत्मस्वरूप का बहुत ही सुंदर-सटिक और स्पष्ट वर्णन, आचार्यवर, आपके मुकारविंद से उच्चारित इन अनमोल शब्दों ने तो मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया, नमन दिव्यात्मा।
मन के शुद्तत्तम बिंदु को आत्मा कहते हैं।बहुत सुंदर बात यह सुनकर हम धन्य हो गए।आत्मा के लिए सारी भ्रांतियां दूर हो गई।बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
मन का शुध्दतम बिन्दु आत्मा है। अहं का विलय आत्मा है।
My eye opened. Atma aur parmatma ek hai and can not be fragmented. So sabka atma ek hai sirf mann(mind) hi alag alag hota hai.
गुरु जी आपको प्रणाम।रामचरितमानस का पाठ करो आनंद ही आनंद है।राम से प्यारा कुछ नही।प्रभु श्री राम जी की शरण में ही गति है।
आचार्य श्री! आपके इस वैदिक ज्ञान को बार- बार नमन ।मन का अंधकार मिटा ।चरण स्पर्श ।
आचार्य जी मन तो आत्मा के बिना जड़ है आत्मा ही मुख्य कारण है
गुरु जी 🙏 उठा दिया पर्दा आंखोंका जो सदियों से ढका था❤️❤️ गुरु आपने तो अंधकार को मिटाया । प्रकाश का अनुभव पहली बार हुआ।
आचार्य जी प्रणाम आत्मा के विषय में इतनी स्पष्ट सरल और हृदय मैं बैठ जाने वाली बात शायद मैं आपसे ही पहली बार सुन रहा हूं मुझे विश्वास है मैं आपकी संगति से आत्मस्थित होने में कामयाब हो जाऊंगा शायद मैंने जीवन में बहुत पुण्य किए होंगे उस पुण्य के प्रभाव से ही आप की संगति मिली बस मेरा प्रणाम स्वीकार करिए
आचार्य जी का ज्ञान प्रशांत महासागर की तरह गहरा है l आचार्य जी वो नहीं कहते जो श्रोता सुनना चाहता है , आचार्य जी वो कहते हैं जो श्रोता के लिए सही है, हितकारी है , फिर चाहे वो श्रोता को अच्छा लगे या ना लगे l इतनी बेकफिक्री से सत्य बोलना वाला गुरु अन्यत्र दुर्लभ है l आचार्य जी सही मायनो में हमारे सच्चे हितैषी हैं l आचार्य जी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏❤️♥️
मैं और तुम और कोई नही बल कि हम सब निसर्ग का प्रकृती का मूल रूप का सबसे विकसित भाग है...... यांनी प्रकृतीने खुद को हम तक विकसित किया है..... जो की हम उसका ही बीज है.....विकसित बीज ओर बिजो से ...... इसके अलावा कूच भी नहीं है.....ये जीवन..... 🙏💐
प्रकृति बनी ही क्यों? जन्म और मृत्यु का चक्रण क्यों bana ? Kisne banaya prakriti ko.... एवं इसकी उत्पत्ति कहां से हुई यदि आत्मा एवं प्रकृति एक दूसरे से भिन्न है तो प्रकृति का जन्म कहां से हुआ ?
Pls acharya ji answer.... I m curious to know 🙏🙏🙏🙏🙏
It was chance....nature was made by numerous collisions in the universe
Charu ji prakarti ke janam ke bare me janna h toh apko big bang theory ya simulation theory ko padhna chayae, ha agar jaye janna h ki prakarti ke utpati ko soch kon rha h toh apko upnishad padne chayae.
So many questions....
A painter can never know why it's painter painted it.
Mulataha 3 cheez hamesha se hai - Almighty 2 - Soul 3 - Nature , material
आचार्य जी सत्य से तो अवगत कराते ही हैं , साथ में हिंदी भाषा की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति , सशक्त शब्दावली , सुनकर मन शांत और आनंदित हो जाता है l
आधुनिक युग के कृष्ण हैं आप 🙏 आप लगातार हम अज्ञानियों का अज्ञान दूर करके हमें सत्य की दिशा में ले जा रहे हैं l हमें आपके ज्ञान ,आपके मार्ग दर्शन की बहुत जरूरत है आचार्य जी 🙏श्री चरणों में नमन स्वीकार करें 🙏❤️
आत्मा और मन को बहुत सुंदर तरीके से समझाया प्रणाम आचार्य जी
आत्मो हं।
💜💜💜
धन्यवाद आचार्य जी 🥀
शत शत नमन 🙇 🙏
💜💜💜
Depression ki duniya me ek hi dwa Aachrya prasant 😢😢🙏🙏🙏🔥🔥🔥legend Acharya prasant
सारे भ्रम तोड दिये। आपके पास हंमेशा ठोस बाते होती हैं आचार्य जी। 🙏
You are truly the master of Vedant,sir. So transparent explanation washes away all ignorance and avidya of seekers,sir. I bow to your highness.
मेरी पूरी भ्रांति मिट गई। प्रणाम गुरुजी 🙏🙏
खूब खूब धन्यावद आचार्यजी खूब धन्यवाद इस सत्संग के लिये बस यही प्राथना है सदगुरुमा से की लोग आप को ज्यादा से ज्यादा सुने सत् को समजे और माँ सरस्वती माँ लक्ष्मी और माँ कलि के साथ आप के साथ जुड़े यही प्राथना है...गुरुसत्ता से......
Mai udas ho gya acharya ji sirf mai ek bar ki lahar tha vakt bhut gujar Diya byarth me kya kru ab 😰
Pyare sadguru, thank you from the core of my heart 🌹🌹
प्रणाम आचार्य जी
अंधविस्वास से बाहर निकालने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद
আত্মা এক আৰু অনাদি অনন্ত নিগূন চৈতন্যপূণ মূক্ত পৱিত্ৰ অজনমা অচল কল্পনাতীত অভেদ্য সবাৰো উদ্ধত কালৰো অতীত অজ্ঞয় নীলিম অমৰন অভগন । মন প্ৰকূতি। মন আত্মাৰ সূক্ষ্ম শৰীৰ আত্মা স্থুল শৰীৰ । শাস্ত্ৰ আৰু গুৰু তাকে বুলে মই প্ৰশ্নৰ উত্তৰ দিব পাৰে যিসকলে। বেদান্ত দৰ্শন হ'ল আচল শাস্ত্ৰ।
मैं आपकी बात से सहमत हूं और आपकी बात मुझे स्पष्ट तहत समझ आ गई आचार्य जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम जय श्री राम 🙏🙏🙏🙏🙏
जय हो आचार्य श्रीजीआप गीता ज्ञानसागर हो आपमहान आत्म ज्ञानी है जय श्रीकृष्ण
साष्टांग प्रणिपात 🙏🙏🙏🕉🕉🕉 यह बात आज पता चलीं की , जब शुद्ध सच्चाई का पता चलता है तो अपना जीव आनंद विभोर हो जाता हैं | बाकी कुछ बचता ही नहीं | कोटि कोटि आभार | 🙏🚩
इतनी छोटी उम्र में ऐसी समझ 👌👌👌🙏🌷🌷🌷
Jitna aapko sunn rahi hu utna hi aapki fan hoti jaa rahi hu mai. Aapko dil se dhanyawad mujhe sacchai ka raasta dikhane ke liye🙏
I was always interested in Non duality but being a Hindu, I always had difficulty in understanding in the theory of reincarnation threfore I always kept debating with many Hindus to a point that they used to make me confused more and more.
I was helpless but I had total conviction in Advaita Vedanta that if everything is Non dual then how can there be re birth ? I kept looking for answers but didn't find anywhere until I found Acharya Ji.
Thank you sir.
Acharya Ji. Thank you for understanding the truth about the आत्मा by removing all the misconceptions through the Upanishads.🙏
आपके कारण आत्मा अब अच्छी तरह समझ आ रही है। बहुत कुछ स्पष्ट हो रहा है। धन्यवाद अचार्य जी।🙏🙏🙏
एकमात्र तत्व !
जो " है "
हकीकत में सिर्फ " वहीं है "
सहज , निरंतर , पूर्ण , अभी !!
सभी खूबियां " उससे से है "
सब अधूरापन भी " उसके आधार पर है "
कृष्ण का मै , राक्षस का मै , ब्राह्मण का मै , चिटी का मै , मिट्टी का मै , जो भी अस्तित्व में " है "
या अस्तित्व में नहीं है " सब कुछ तय करने वाले आप हो !!
क्योंकि " आप हो तभी सब " है " ।
ज्ञान प्राप्त करने जैसा कुछ नहीं !
अज्ञान की मान्यता हटी नहीं की बस !!!
मिट्टी हटी और जमीन में पानी दिखा !!
अज्ञान हटा और " जो है सो है " ।
हमारे प्रिय आचार्य जी के चरणों में कोटि कोटि नमन❤❤🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 आचार्य जी को सुनना ही आत्मा को पाना है
ज्ञान मार्ग
भक्ति मार्ग
दोनों में सबसे आसान मार्ग
भक्ति मार्ग ,सरल साधन ढाई आखर प्रेम का
बस प्रेम ईश्वर प्रकृति ।
सम्पत्ति साधन का प्रेम नहीं ये लिप्सा है
आचार्य जी प्रणाम, आपके द्वारा जो ग्यान बांटा व प्रसारित किया जाता है वह उतम तो है ही और कई मायने मै दुसरे प्रसारण से बहुत ही भिन्न है,जिस के लिए हम आपके थनयवादी है।
सवाल यह है की आज तक जो प्रचारित व प्रसारित हुआ आत्मा के बारे मै ,हमारे पुव्रजो के समय से क्या वह एक मीथ या आडम्बर था । कृप्या आप इस आडम्बर को स्पष्ट करै अन्यथा यह एक धर्म को मानने वालो के लिए राह भटकने जैसा हो जाएगा।
Many doubts are solved through you and your this video, Acharyaji....The best video, wisest words ever I have listened..Thank you to share with us. Pranam 🙏
कोटि कोटि नमन आचार्य जी आत्मा पुनर्जन्म के बारे मे सारे भरम दूर कर दिया आपने 🙏🙏😊😊
🙏🙏🙏आचार्य जी को सादर प्रणाम वेदान्त जैसे जटिल विषय को सरल भाषा मे समझाना आप जैसे महापुरुष ही सम्भव कर सकते हैं धन्यवाद वयक्त करने को शब्द नहीं है 🙏🙏🎂
आचार्य जी जब आत्मा मन और बुद्धि से परे होती है फिर अपने आप को कैसे भूलकर मन या प्रकृति बन जाती है और स्मरण आने पर खुद को आत्मा समझ लेती है।क्या आत्मा सोच सकती है ।कृपया मार्गदर्शन करें।
Reply plz good level of questions...
आचार्य जी द्वारा ही बताया गया था इसी वीडियो मैं: आत्मा नही बस अहंकार ही वे सब बन जाता हैं.. जो हम स्वयं बन जाते हैं..! आत्मा तो परे है.. प्रकृति से बाहर की, प्रकृति के भीतर तो बस अहकांर ही होता है!
आत्मा कभी अहंकार नहीं बनती , बल्कि आप अपने अहंकार को ही आत्मा समझने लगते हैं !
आत्मा अपरिवर्तनशील है, नित्य है ! वह कभी भी कुछ भी न बनती है, न बिगड़ती है!
अहम यानी अहंकार गति करता है ! अहंकार ही अपने आप को सत्य मानने लगता है, आत्मा मानने लगता है ! और जैसे ही आप अहम को आत्मा मनाना शुरू करते हैं, वैसे ही आप वास्तविक आत्मा से चूक जाते हैं, वंचित हो जाते हैं !
आपके वास्तविक सत्य यानी आत्मा से चूकते ही आपका जीवन दुख, तकलीफ और कष्टों से भर जाता है !
आत्मा नित्य और अपरिवर्तनशील है,
अहम अनित्य है परिवर्तनशील है !!
Aap jitni clearly samjhate ho ,Etna sapsht maine aaj tk nhi suna tha, aapko anant..................... namskar.....
Acharya ji aap ne jina sikha diye 22:04 thank you 🌠🌌😍😍
जब मन में कुछ नही होता है तब मन अनन्त हो जाता है।
आचार्य प्रशांत जी, सादर प्रणाम। विगत महिनों से आपके वीडियो देख सुन रहा हूं , जीवन के काफी सारे जमे प्रश्न के उत्तर इनसे मिल रहे है एवम सत्य के निकट पहुंच रहे है। इसी तरह के प्रयत्न भविष्य में भी जारी रखने का इच्छा रखता हूं। आपके आशीर्वाद चहिए। पुनः आपको असंख धन्यवाद।
यह अनुभव का विषय है बुधी से नहीं जाना जा सकता
आचार्य जी आज मुझे अपने सारे सवालों के जवाब मिल गए...आपको कोटि-कोटि प्रणाम..ऐसे ही हमारा मार्दर्शन करते रहे🕉️💞🤗
Namaste Aacharya ji, जैसे जैसे मै आपके विडिओ देखती जा रही हूं, मुझे मेरे सवालों के जवाब मिलते जा रहे है। और मै संतुष्टि अनुभव कर रही हूं।मै अपने आप को सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे आप को सुनने का अवसर RUclips के माध्यम से मिला।
Very profound knowledge of Adhyatma... 🙏 Its a great fortune to imbibe this knowledge through you Acharya ji.
Acharya ji pranaam m 5 yeras se brahma kumaris k gyan se judi hu, aur last 6 month se aapki video dekh rhi hu, bt itne saalo me jo aatma ka parantha se ek rishta banaya tha aaj aapki ye video bilkul opposite baat kahti hai, sunkar mann vichlit ho gya k jeewan me kidhar jaye kis manyta ko accept kare
धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया मगर गुरु जी की कृपा ने जो धोया है वाह ❤❤❤❤❤❤
धन्यवाद, बहुत सुंदर आत्म ज्ञान दिया आप ने, हरि ॐ
आचार्य जी के विडियो लाइक करके इनके सत्य को हर जगह पहुचना चाहिए।लोग प्लीज लाइक करके जाइए। मैं श्री कृष्ण का नौकर आपसे प्रार्थना कर रहा हूं। View इतने जाते है लेकिन लाइक नही करते है, लोग प्लीज पसंद करके जाए। हरे कृष्णा
Pranam Aacharya ji ye video me sunane ke bad prashn samapt ho gaye Agar jiske pass fir bhi prashn bache ho vah bar bar sune bilkul Shanti se dhany ho gaye ham Aap ko sunkar thanks god 🙏
Yes,… guru ju. It’s very important speech. I listen from top to bottom. Thanks a lot for send me.
Acharya Ji apne toh mukti ke saare darwaze khol diye🙏🙏❤️❤️
Words and thoughts cannot express how grateful I am that I got your teachings and blessings! ♥️
मानुष मैं वो कोन सी ऊर्जा होती है जो उसे चलाती है । क्या वह आत्मा है। आत्मा एक है तो अलग अलग मनुष्य मैं एक केसे है
Adbhut gyan Aacharge,koti koti Naman
आत्मा(परमात्मा) एक अनंत का सागर और उसमें आप मछली के सामान,उसी में मर रहे हो, उसी में जी रहे हो,पर उस को ढूंढ नही पा रहे,अरे भाई संपूर्ण विश्व में आत्मा व्याप्त है, इससे उसकी सामर्थ्यता समझ सकते हो
सम्पूर्ण विश्व आत्मा में स्थित है
न कि आत्मा समस्त
विश्व मे 🙏🙏🙏🌹🌷पहले आत्मा है
उसमें ही विश्व का आभास है
I love ur way of explaining. I love it. God bless u a lot. Divine soul. Divine healer.
राम नाम को अपने केन्द्र में कर लो स्थापित,बेड़ा पार हो जाएगा।राम से बड़ा राम का नाम।जय श्री राम।
बुद्धि से परे आत्मा है। आत्मा से परे है अव्यक्त। अव्यक्त से परे है ब्रह्म। _कठोपनिषद।
Just great knowledge provided by the Great ACHARY PRASHANT JI 💝
आत्मा सूक्ष्मऔर अनंत है
Pranam Guruji- apke baat koi samjha woh mukt ho gaya..🙏
Koti koti naman Aacharyji....🙏🙏🙏
धन्य हैं आप आचार्य जी।❤🙏
Radhe Radhe acharya ji 🙏🙏🕉️🕉️gud exp of aatma 🙏🙏🕉️🕉️
Aachary ji ke Shri charano me sat sat Naman.
हर बार आप अपने आप को शरीर और मन से पहचान लेते है तो आप अहंकार और दुख की दिशा मे जा रहे है ।
जिस पल आप मन और शरीर से अपनी पहचान करना छोड देते है तो आप अपने वास्तविक रुप की ओर बढ रहे है ,मतलब खुशी की ओर आनंद की ओर।।
🙏❤️🙏⚘️⚘️🙏❤️
आत्मा शांत है।फिर मुक्ति किसके संबध मे है
प्रणाम गुरुदेव । बहुत बहुत धन्यवाद हम मूर्खो को उजाला देने को
पिया के पास जाऊं या बाबुल के घर रहूं 🙏
आचार्य प्रशांत जी को कोटि कोटि नमन स्वीकार हो !
Eye opener discourse by Acharya Ji 💕🙏.
ये सब प्रकृति है। आत्मा अनंत है। जीवन बर्बाद मत करो ऐसा संत कहते थे। ये सब भौतिक झूट है। समय मत खराब करो। फिर मुक्ति का क्या अर्थ है
धन्यवाद आचार्य जी, आत्मा की पहिचान का अंध विश्वास से दूर करने के लिए
कोटि कोटि प्रणाम आचार्य श्री ☘🍁🍂✨❄🌼🙏
ज्ञानी मनुष्यो की सबसे बड़ी समस्या होती हैं की
उनके ज्ञान की परीकषाएं मुर्ख लोग लेते है
Every lecture feels like the best .... ❤️🙏
Om Shambhu Narayan Ramakrishnai Gurudevai namah satyam shivam sunderam har har Mahadev Jai shree Ram jai hind ❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏
Beautiful discourse .🙏🏻🌺
प्रणाम आचार्य जी 🙏🏻🏵️🌿
Such deep clarity ,,🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jitna pas jane ki koshish ki apne true nature k kuch blissfull time span hota tha which I can't describe in words then again mind started creating so much fear which made me restless ..I left that state, it was beyond Beautifull but i didn't had the courage to continue ...
Ego is the most difficult to dissolve ,mind is our biggest enemy in this state ,try once it will make you go haywire .
This made me have much more respect for all the SAINTS and higher beings for the courage ,determination they had to know the ultimate ..🙏🏻🙏🏻🏵️🙏🏻🌿
HareKrishna prabhuji 🙏
Aap ko anant Gyan hai Aaj Tak miane suna hi nahi tha🙏👌🌹🌹
Exact and real explanation of Atma
रिया नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
भस्म
भस्म
भस्म
मगर क्या ?
दूर से देखा तो कुछ दिखा ही नहीं,
पास जा के देखा तो कुछ था ही नहीं !!!
गुरुजी,ये क्या कर दिया !!! सब राख हो गया। सोचा था कोई मिलेगी, और अपने जगा दिया (मगर, किसको?) पूरे सपने की ऐसी की तैसी कर दी आपने,अब तो न सपना बचा,न सपने में आने वाली "सपना" बची,न सपना देखने वाला बचा,न सपना तोड़ने वाला बचा, बड़ी बेरहमी से सब खत्म, दरसअल कुछ था ही नहीं
समस्या ये नहीं कि सब राख हो गया,
समस्या ये है कि राख भी नहीं है!!!