अद्भुत 🙏 मेरी आपसे एक अनुरोध है 🙏 हमारे जितने बेद पुराण हो वो सब संस्कृत में हो जो आम जनमानस पढ़ नहीं पाते ना समझ पाते हैं आप इन्हें हिंदी में अनुवाद कर लिखें ताकि हर वो छोटे से छोटे लोग भी पढ़ पाएं और अपने संस्कृति और अपने धर्म को समझ पाए धन्यवाद 🙏🚩
hindi me bhi hain bhai.. Gita press ne ye sewa bahut pahale kar di hai. Hindu ne apane ko "nauki" tak seemit kar liya hai ved puran padhne ka time kahan hai... East India company mne HInduu ko malik se naukra bana diya hai.. afsos..
विराट युद्ध मे कर्ण ने विजय धनुष का प्रयोग नही किया था. उसने विजय धनुष का प्रयोग महाभारत युद्ध मे ही किया था. अर्जुन हमेशा गांडीव धनुष आपने पास धारण करते थे.
Je baat bilkul gt boli hai murkh ne krishn bhgwan ko koi nhi Hra skta tha kyunki Krishn bhgwan se hi snsar chlta hai or rhi baat karn ki mai khud karan ka fan hu I love karn karna ko jb sari dunia ne thukra diya tha os waqt droyden ne hath pkda tha karan ka or os ik dhrm ke liye karan ne droyden ko apna jivan de diya tha
Ha ye baat sahi ki karan ko marne ke liye dhrti pr krishn bhgwan bajrang vli or idrdev ko ana pdha tha or sbse bdi baat karan ne yar apna kavch kundl hi daan mein de diye o inderdev swarg ka raja osko dhrti pr bhikhari bn kr ana pda tha or karan ne daan de dia tha
Karan ko bhgwan prshuram ji ne apna Vijay danush Diya tha or karan ko bola tha ki Mahadev ke atirikt tumhe is snsar mein koi nhi hra skega os karan ke pass jb te Vijay danush tha osko koi ni HRA skta tha is liye karan ko shl ke sath marna pda tha
Or sbse sktishali to bhism pitama the osko koi nhi hra skta tha bhism ne ik v astr nhi chlaya tha pandvo pr or krishn bhgwan ne yudh stat hone se phle kaha tha ki mai astrr sastr nhi. Chlaunga prtigya lyi ye krishn bhgwan ne or bishm pitama ne krishn bhgwan ko kaha tha ki madab apko sastr udane pdege je mera vchn hai apse or yudh mein pitama bhism ko rokna asmbab ho gya tha or krishn bhgwan ko apni prtigya todni pdi thi jb tak bhism ke pass oske sastr the ose koi ni HRA skta tha TB shikhndi ayi thi or bhism ne apne sastr tyag dite the fr v kitne tym Tak death nhi hui thi bhism pitama ki jv pura Mahabharat khtm ho gya tha fr jakr death Hui thi
@@garudasecurity दानवीर कर्ण अपने एक बाण से पूरे महाभारत को खत्म कर सकते थे, कर्ण जैसा योद्धा न कभी था न कभी होगा...🙏 जय हो दानवीर कर्ण की जय हो राधे पुत्र कर्ण की जय हो सूत पुत्र कर्ण की जय हो सूर्य पुत्र कर्ण की जय हो परशुराम शिष्य कर्ण की जय हो कुंती पुत्र कर्ण की, जय हो महारथी कर्ण की...🙏 कर्ण एक ऐसा चरित्र जिसके जन्म से उसकी मृत्यु तक उसके साथ अन्याय ही अन्याय हुआ और एक तरफ नियति कदम कदम पर कर्ण को श्राप देती गई और दूसरी तरफ अर्जुन को वरदान देती गई, यहां तक की करण की मृत्यु के समय की आखिरी वक्त में भी उसके साथ छल हुआ और निहत्थे जब कर्ण के हाथ में उसका धनुष नही था तब करण को मारा गया,, और उसे वक्त भगवान श्री कृष्ण से खुद करण से कहते हैं तुम्हारा सामर्थ्य से तुम्हे कोई नही हरा सकता इसलिए तुम्हारी मृत्यु भी तुम्हे नमस्कार कर रही है क्योंकि इस वक्त ना तुम्हारा कवच कुंडल तुम्हारे पास है, ना तुम्हारा धनुष तुम्हारे पास है, ना तुम्हारी अस्त्र विद्या तुम्हारे पास है श्राप से तुम्हारा ज्ञान लुप्त हो गया है और तुम्हारे रथ का पहिया जमीन में दशा हुआ है ऐसी स्थिति का फायदा उठाकर तुम्हें मारना पड़ रहा है😢😭,, हे राधे कर्ण प्रणाम है तुम्हे , कर्ण तुम धर्म के मार्ग पर चलते हुए आज इस संसार में ऊंच नीच के भेद को समाप्त करने की प्रथा महारथी कर्ण तुमने ही शुरू की लेकिन फिर भी गलत हुआ कर्ण के साथ...🙏
@@garudasecurity दानवीर कर्ण अपने एक बाण से पूरे महाभारत को खत्म कर सकते थे, कर्ण जैसा योद्धा न कभी था न कभी होगा...🙏 जय हो दानवीर कर्ण की जय हो राधे पुत्र कर्ण की जय हो सूत पुत्र कर्ण की जय हो सूर्य पुत्र कर्ण की जय हो परशुराम शिष्य कर्ण की जय हो कुंती पुत्र कर्ण की, जय हो महारथी कर्ण की...🙏 कर्ण एक ऐसा चरित्र जिसके जन्म से उसकी मृत्यु तक उसके साथ अन्याय ही अन्याय हुआ और एक तरफ नियति कदम कदम पर कर्ण को श्राप देती गई और दूसरी तरफ अर्जुन को वरदान देती गई, यहां तक की करण की मृत्यु के समय की आखिरी वक्त में भी उसके साथ छल हुआ और निहत्थे जब कर्ण के हाथ में उसका धनुष नही था तब करण को मारा गया,, और उसे वक्त भगवान श्री कृष्ण से खुद करण से कहते हैं तुम्हारा सामर्थ्य से तुम्हे कोई नही हरा सकता इसलिए तुम्हारी मृत्यु भी तुम्हे नमस्कार कर रही है क्योंकि इस वक्त ना तुम्हारा कवच कुंडल तुम्हारे पास है, ना तुम्हारा धनुष तुम्हारे पास है, ना तुम्हारी अस्त्र विद्या तुम्हारे पास है श्राप से तुम्हारा ज्ञान लुप्त हो गया है और तुम्हारे रथ का पहिया जमीन में दशा हुआ है ऐसी स्थिति का फायदा उठाकर तुम्हें मारना पड़ रहा है😢😭,, हे राधे कर्ण प्रणाम है तुम्हे , कर्ण तुम धर्म के मार्ग पर चलते हुए आज इस संसार में ऊंच नीच के भेद को समाप्त करने की प्रथा महारथी कर्ण तुमने ही शुरू की लेकिन तुम्हारे साथ गलत हुआ...🙏
Bada majakiya ho Pitmah bhism be like - Abe chal hawa aane dey tu sresht jo 4-5 baar Arjun se Hara hei , bhim ne haraya,satyaki me haraya, droupad ne haraya 😅😅😅
Kahan se ulti sidhi Mahabharat padkar aaya hai ek baat bata jharshand ko bheem ko harane main 7 din lag gaye karna ne ne hi din main Hara Diya ab bol bebkoof kaise hara sakta hai bheem karna ko @@krishnadeogam4840
Jiske Purn Bahubal ko Gandiv bhi nahi sambhal sakti thi jiska samana karane ka samarthya Devtao me bhi nahi tha aise Sabaysachi Mahabahu Arjun ki jai ho 🙏🙏🚩🚩
सुंदर अनुभूती हुई है इस अवसर दुवा को प्रणाम किया है इस दिन को याद करते हैं आपकी रूह को सुकून महसूस हो रहा है अभिनन्दन किया है इस अवसर पर फिदा हैं हीलिंग प्रॉसेस लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड फंक्शन जोरदार स्वागत योग्य सभी ऋतुओं में शामिल किया गया है
@@SandeepKumar-zx2xy bhai wo kalank tha to tum mahan ho kr do apni sari property apne dost ke naam pr karn to kar deta tha tum apni maa ka doodh piye ho to kar do sab kuch apne dost ke liye🤣🤣🤣🤣or agar nhi kar paye to tum sabse badey kalank ho 🤣🤣🤣
Dosti kis se karni ye bhi sikhne wali baat hai ish me.... Karn ki dosti, bhism ki pratigya, kripa charya ki lachari, dronacharya ki majburi inn sabhi maharathi ke vinash ka karan bana..... Kyu ki.... Inka vadh bal se nahi chhal se huaaaa..... Bal se inhe marna muskil ya yu kah le namumkin thaa.
@@NITian.Navneet nhi mera chor mujhey to lagta hai tu anpadh hai🤣🤣🤣🤣🤣or vaise bhi bhai ti bhi bihari hai jo itni dikkat hai🤣🤣 abey baxsey jaise mu wale thoda to logic ka use kar leta ki baat kya ho rhi hai name ke agey nit lagane ko mahan nhi bnta apni knowledge si kar le
I feel really sad for Karna. He had this warrior spirit both in terms of physical strength and mentality. He tolerated humiliation and discrimination his whole life; and yet, he stood tall. That mental fortitude of his is something to admire. 🙏
Karna did not opposed Duryodhan while he has ordered to remove cloths of Draupadi in the rajsabha in front of all public. That's the only mistake he has done. Unforgivable.
@@kishorkudaal2946bhai mahabharat padhe ho intni burai duryodhan me nahi thi jitni karn me thi aise vyakti ko log hero bana rakhe mahabharat nahi padha hai kya inhone
@@chongraxesh1bhai mahabharat padhe ho intni burai duryodhan me nahi thi jitni karn me thi aise vyakti ko log hero bana rakhe mahabharat nahi padha hai kya inhone
Orphaned at birth; cursed by Sri Parshuram; laughed at by Draupadi...yet, Karan fought hard; gave donation profusely ; and, stood by his friend fiercely.
Kumar vishwas apka prabachan ap kitne achche se bolkar samjhate hai. I impressed sir. Apko pranam🙏 sir. Jo dharm ki baat kare mujhe bahut achcha lagta hai.
JAB Tujhse na suljhe tere uljhe hue Dhandhe, Bhagwan ke insaaf pr sb chor de bande. Khud hi teri muskil ko asan karega jo tu nhi kr paya wo bhagwan karega❤🙏
सबसे उत्तम बात कही थी.... भगवान खाटूश्यामजी ने 🙏 न अर्जुन ने मारा और न कर्ण मरा सार बात तो यह है कि भगवान श्री कृष्ण ही हर जगह व्याप्त थे🙏जय श्री कृष्ण❤
@@yashdixithindu1869 khatu shyam ji Mahabharat me Barbarik ke naam se hain unko bs 3 divya baan the or unki pratigya thi ki wo hamesa harne wale ka sath denge or aisa hota to Mahabharat me sb ka ant ho jata na kaurav na pandav isilie bhagwan shree krishna ne yudh se pehle hi Barbarik se unki gardan bhent me maang li Barbarik ne Shri Krishna k ashirwad se us Kati gardan se sari mahabharat yudh ko dekha tha or ye yudh k samapt hone k bad ka vritant h ki Barbarik ji kehte h yudh to hua hi kaha madhav har jagah to bs ap hi ap the ....mtlb sari leela apki hi thi ... Or Krishna ji k ashirwad se hi Barbarik ji khatu shyam ji k nam se amar hogye
विराट युद्ध में कुरू सेना की अर्जुन के द्वारा क्रूर हार के बाद दुर्योधन की प्रतिक्रिया🔥 "कौरवों में श्रेष्ठ धृतराष्ट्र के पुत्र को शीघ्र ही होश आ गया और उसने इन्द्र के समान वीर पार्थ को देखा। उसने देखा कि पार्थ युद्ध के मैदान से दूर अकेले खड़े हैं। उसने तुरन्त पूछा, "वह तुम्हारे हाथ से कैसे बच गया? उस पर अत्याचार करो, ताकि वह बच न सके।" शांतनु के पुत्र ने हँसते हुए उत्तर दिया, "तुम्हारी बुद्धि कहाँ चली गई? तुम्हारा पराक्रम कहाँ चला गया? तुमने अपना रंग-बिरंगा धनुष और बाण त्याग दिया था। उस समय तुम पूर्ण शांति में लीन थे। बिभत्सु क्रूर कर्म करने में असमर्थ है। उसका मन कभी पाप में लीन नहीं होता। वह तीनों लोकों के लिए भी अपने धर्म को नहीं छोड़ेगा। 205 यही कारण है कि हम सभी इस युद्ध में मारे नहीं गए। हे कौरवों में श्रेष्ठ! शीघ्र ही कुरु राज्य में लौट जाओ। पार्थ को अपने जीते हुए पशुओं के साथ लौट जाने दो।" पितामह के इन वचनों को सुनकर, जो उनके कल्याण के लिए थे, दुर्योधन ने युद्ध करने की सारी इच्छा त्याग दी। असहिष्णु राजा ने गहरी आह भरी, लेकिन चुप रहा। अन्य सभी ने भीष्म के वचनों में बुद्धिमत्ता देखी और धनंजय के भीतर बढ़ती आग को पहचाना। इसलिए उन्होंने लौटने का मन बना लिया और सावधानी से दुर्योधन की रक्षा की।" गो ग्रहण पर्व- अध्याय ६५७(६१)
Bhai agr mujhe toh virat yudh hi fake lagti hai kyuki yadi virat yudh such mein hua tha toh phir arjun mahabharat k time bol deta subko ki jao so jao keeal mein aur bhrta bheem ladenge mahabharat mein bakio ki kya zaroorat
@@uk07abhishub79 तुमने तब महाभारत नही पढ़ा है भाई। जाकर पढ़ो उद्योग पर्व का अम्बा उपाख्यान पर्व। वहां अर्जुन ने स्वयं बताया था कि उन्होंने एक क्षण में युद्ध को समाप्त क्यों नही किया था।
@@uk07abhishub79अर्जुन का उत्तर युधिष्ठिर को जब उन्होंने उनसे पूछा था कितने दिन में युद्ध समाप्त करोगे: "हे महान राजा! इसमें कोई संदेह नहीं कि वे आपके सैनिकों को मार डालेंगे। लेकिन मैं सच बोलता हूं जब मैं कहता हूं कि तुम्हें अपने मन में प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. जब मेरे पास सहायक के रूप में वासुदेव हों, तो मैं एक ही रथ पर सवार होकर एक ही पल में तीनों लोकों को, अमरों को, उनकी गतिशील और अचल वस्तुओं को तथा भूत, वर्तमान और भविष्य की हर चीज को मार सकता हूं। यही मेरा विचार है. मेरे पास वह भयानक और महान हथियार है जो पशुपति ने मुझे शिकारी के साथ द्वंद्व के समय दिया था। 114 एक युग के अंत में, पशुपति द्वारा सभी प्राणियों को नष्ट करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। हे मनुष्यों में बाघ! मैं जानता हूं कि इसका उपयोग कैसे करना है. न तो गंगेय को यह पता है, न ही द्रोण और गौतम को। हे राजा! द्रोण के पुत्र और सूत के पुत्र भी नहीं। युद्ध में सामान्य लोगों को मारने के लिए ऐसे दिव्य हथियारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। छल का सहारा लिए बिना हम युद्ध में अपने शत्रुओं को परास्त कर देंगे। हे राजा! ये मनुष्यों में से बाघ आपके सहायक हैं। ये सभी दिव्य अस्त्र-शस्त्र चलाने में निपुण हैं। वे सभी युद्ध में प्रसन्न होते हैं। वे सभी वेदांत 115 में स्नान कर चुके हैं और अजेय हैं। हे पाण्डवों! वे युद्ध में देवताओं के सैनिकों को भी मार डालेंगे। शिखंडी, युयुधान, 116 परशत धृष्टद्युम्न, भीमसेन, जुड़वाँ बच्चे, युधामन्यु, उत्तमौजा, विराट और द्रुपद, जो युद्ध में भीष्म और द्रोण के समकक्ष हैं, और आप स्वयं तीनों लोकों को नष्ट करने में सक्षम हैं। आप अपनी चमक में वसावा के समान हैं। अगर कोई आदमी आपको गुस्से से देखता है तो इसमें कोई शक नहीं कि जल्द ही उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। हे कौरवों! 117 मैं यह जानता हूं।"
कान्हा सब कुछ जानते थे किंतु फिर भी अपना धर्म निभाए है चाहे वो दुश्मन हो या साथी । और रही बात कृष्ण और अर्जुन की तो उनको साथ में कोई पराजय कर ही नहीं सकता था क्योंकि क्योंकि दोनो नर और नारायण के अवतार थे । ॐ श्री मन नारायण।
निसंदेह जब वेदव्यास ने बर्बरीक से पूछा की तुमने युद्ध में क्या देखा तब बर्बरीक ने कहा मुझे तो सारे कुरुच्छत् में सिर्फ सुदर्शन चक्र ही नज़र आ रहा था उसके अलावा मैने कुछ नी देखा ये सब भगवान की मर्जी थी सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा था क्योंकि पाप का अंत करने के लिए श्रीकृष्ण का जन्म उस युग में हुआ था यही अटल सत्य है कोई माने या ना माने पर भगवान को तो मानना ही पड़ता है
कर्ण उवाच तुष्यामि ते विप्रमुख्य भुजवीर्यस्य संयुगे । अविषादस्य चैवास्य शस्त्रास्त्रविजयस्य च ।। १६ ।। कर्ण बोला- विप्रवर ! युद्धमें आपके बाहुबलसे मैं (बहुत) संतुष्ट हूँ। आपमें थकावट या विषादका कोई चिह्न नहीं दिखायी देता और आपने सभी अस्त्र-शस्त्रोंको जीतकर मानो अपने काबूमें कर लिया है। (आपकी यह सफलता देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है) ।। १६ ।। किं त्वं साक्षाद् धनुर्वेदो रामो वा विप्रसत्तम । अथ साक्षाद्धरिहयः साक्षाद् वा विष्णुरच्युतः ।। १७ ।। विप्रशिरोमणे ! आप मूर्तिमान् धनुर्वेद हैं? या परशुराम? अथवा आप स्वयं इन्द्र या अपनी महिमासे कभी च्युत न होनेवाले साक्षात् भगवान् विष्णु हैं? ।। १७ ।। आत्मप्रच्छादनार्थं वै बाहुवीर्यमुपाश्रितः । विप्ररूपं विधायेदं मन्ये मां प्रतियुध्यसे ।। १८ ।। मैं समझता हूँ, आप इन्हींमेंसे कोई हैं और अपने स्वरूपको छिपानेके लिये यह ब्राह्मणवेष धारण करके बाहुबलका आश्रय ले मेरे साथ युद्ध कर रहे हैं ।। १८ ।। न हि मामाहवे क्रुद्धमन्यः साक्षाच्छचीपतेः । पुमान् योधयितुं शक्तः पाण्डवाद् वा किरीटिनः ।। १९ ।। क्योंकि युद्धमें मेरे कुपित होनेपर साक्षात् शचीपति इन्द्र अथवा किरीटधारी पाण्डु- नन्दन अर्जुनके अतिरिक्त दूसरा कोई मेरा सामना नहीं कर सकता ।। १९ ।। तमेवं वादिनं तत्र फाल्गुनः प्रत्यभाषत । नास्मि कर्ण धनुर्वेदो नास्मि रामः प्रतापवान् ।। २० ।। कर्णके ऐसा कहनेपर अर्जुनने उसे इस प्रकार उत्तर दिया - 'कर्ण ! न तो मैं धनुर्वेद हूँ और न प्रतापी परशुराम' ।। २० ।। ब्राह्मणोऽस्मि युधां श्रेष्ठः सर्वशस्त्रभृतां वरः । ब्राह्मे पौरंदरे चास्त्रे निष्ठितो गुरुशासनात् ।। २१ ।। स्थितोऽस्म्यद्य रणे जेतुं त्वां वै वीर स्थिरो भव । मैं तो सम्पूर्ण शस्त्रधारियोंमें उत्तम और योद्धाओंमें श्रेष्ठ एक ब्राह्मण हूँ। गुरुका उपदेश पाकर ब्रह्मास्त्र तथा इन्द्रास्त्र दोनोंमें पारंगत हो गया हूँ। वीर ! आज मैं तुम्हें युद्धमें जीतनेके लिये खड़ा हूँ, तुम भी स्थिरतापूर्वक खड़े रहो ।। २१ ।।
@@biswojitdash1710 Karna Dwapar Yug kaa sabse GHATIYA aur waahiyaat insaan thaa jisne apne hi chote bhaiyo aur apni hi Mata Kunti ji ko Duryodhana ke sath milkar Lakshagreh mein Jindaa jalaanee ki koshish ki...Laanat hai aise insaan (Rakshas) par....😆😆😆
@@biswojitdash1710 Karna Dwapar Yug kaa sabse GHATIYA aur waahiyaat insaan thaa jisne apne hi chote bhaiyo aur apni hi Mata Kunti ji ko Duryodhana ke sath milkar Lakshagreh mein Jindaa jalaanee ki koshish ki...Laanat hai aise insaan (Rakshas) par....😆😆😆
@@biswojitdash1710 Karna aur Duryodhana jaise dust, Ahankaari, Ghamandi aur adharmi Rakshaso kaa sarvanash karne ke liye hi Draupadi ne Earth pe avatar liyaa thaa...🤣😆😆🤣
जब दुर्योधन अति चालाक बन रहा कि उनके तरफ के योद्धा के होते हुए उन्हें कौन पराजित कर सकता है, तब श्री कृष्ण ने उसे पांडवों और विशेषकर अर्जुन जी की शक्ति से परिचित करवाया। श्री कृष्ण ने विराट युद्ध का उदाहरण भी दिया🙏🏻 "पाण्डवों के साथ की गई संधि दुष्टों के साथ की गई संधि से श्रेष्ठ है। यदि तुम उनके साथ प्रेमपूर्वक रहोगे, तो तुम्हें सभी इच्छित वस्तुएँ प्राप्त होंगी। हे राजाओं में श्रेष्ठ! तुम पाण्डवों द्वारा जीती गई भूमि का आनंद लोगे। किन्तु पाण्डवों को छोड़कर तुम दुःशासन, दुर्विसह, कर्ण और सौबल के साथ मोक्ष की खोज कर रहे हो। हे भरतवंशी! तुम उन्हीं के भरोसे रहकर समृद्धि चाहते हो। धर्म और अर्थ के ज्ञान में वे तुम्हारे बराबर नहीं हैं। हे भरतवंशी! वे पाण्डवों के बराबर वीरता में नहीं हैं। तुम और सभी राजा मिलकर भी युद्ध में क्रोधित भीमसेन का मुख देखने के योग्य नहीं हो। हे पुत्र! भीष्म, द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य, सोमदत्तपुत्र भूरिश्रवा, अश्वत्थामा, जयद्रथ सहित तुम्हारी यह समस्त सेना धनंजय का सामना करने में असमर्थ है। क्रोधित अर्जुन को देवता, असुर, मनुष्य और गंधर्व नहीं हरा सकते। तुम युद्ध में मत उलझो। इस सम्पूर्ण राजा सेना में क्या कोई ऐसा पुरुष है, जो युद्ध के मैदान में अर्जुन का सामना करके सुरक्षित अपने घर लौट सके? हे भरतवंशी! इस प्रकार मनुष्यों का नाश करने से क्या लाभ? मुझे एक ऐसा पुरुष बताओ, जिसकी विजय तुम्हारी विजय के समान हो। उसने खाण्डवप्रस्थ में देवता, गंधर्व, यक्ष, असुर और नागों को पराजित किया था। कौन पुरुष उसके साथ युद्ध कर सकता है? इसी प्रकार विराट के नगर के विषय में एक बड़ा आश्चर्य सुनने में आता है। अनेकों का मुकाबला करने के लिए एक ही पर्याप्त था। इतना ही पर्याप्त प्रमाण था। फिर भी तुम अजेय और अविनाशी जिष्णु जैसे वीर अर्जुन को युद्ध में परास्त करना चाहते हो। मेरे रहते हुए युद्ध में पार्थ को कौन चुनौती दे सकता है? स्वयं पुरंदर भी नहीं! वह अपनी भुजाओं से पृथ्वी को उखाड़ सकता है। क्रोध में आकर प्राणियों को जला सकता है। स्वर्ग से देवताओं को गिरा सकता है। युद्ध में अर्जुन को कौन हरा सकता है? अपने पुत्रों, भाइयों, कुटुम्बियों और सम्बन्धियों को देखो। हे भरतश्रेष्ठ! तुम जो कुछ करते हो, उसके कारण उनका नाश न हो। कौरवों को जीवित रहने दो। इस वंश का नाश न हो। हे मनुष्यों के स्वामी! तुम वंश का नाश करने वाले न कहलाओ। तुम्हारे कर्म नष्ट न हों। ये महारथी तुम्हें उत्तराधिकारी और तुम्हारे पिता मनुष्यों के स्वामी धृतराष्ट्र को महान राजा बनाएंगे। हे पुत्र! जो समृद्धि आने वाली है, उसे अनदेखा मत करो। यदि तुम पार्थों को आधा दे दोगे, तो तुम्हें बहुत समृद्धि मिलेगी। अपने शुभचिंतकों की बात सुनो और पांडवों के साथ शांति बनाओ। उनके साथ स्नेह और मित्रता से रहने से तुम सदैव सौभाग्यशाली रहोगे।" भागवत यान पर्व- अध्याय ७८५(१२२)
केवल कवि के व्याख्यानों में ही सर्वशक्तिमान है। बोलने/लिखने और करने में बहुत अंतर है। भागवत, व्यास, द्रोण सबने अपने अपने हिसाब से अपने प्रिय अर्जुन की प्रशंसा की है। जब कोई लेखक किसी योद्धा की व्याख्या करता तो लगता है वह योद्धा ही सर्वेसर्वा है उससे शक्तिशाली कोई नहीं। किन्तु जब उसके समतुल्य या श्रेष्ठ योद्धा टकराता है तब सच्चाई कुछ और ही निकलती है। भीष्म द्रोण कर्ण किसी भी एक योद्धा को अर्जुन वीरतापूर्वक नहीं मार सके। महाभारत फाइनल युद्ध में देखो अर्जुन को कर्ण ने कैसे परास्त किया और जीवनदान दिया था।
@@VRgodse अर्जुन द्वारा कर्ण को जीवन दान देना: पुण्यात्मा अर्जुन ने कर्ण का वध नहीं किया🙏🏻 "एक बार फिर अर्जुन ने कर्ण की छाती के बीच में कई सीधे चलने वाले और मजबूत बाणों से वार किया जो पूरी तरह से लोहे के बने थे और सोने के पंखों से सुसज्जित थे और प्रत्येक बाण संहारक की आग की छड़ के समान था, जैसे अग्नि के पुत्र ने क्रौंच पर्वत को भेदा था। तब सूतपुत्र ने अपना धनुष, जो शक्र के धनुष के समान था, और अपने तरकश को एक तरफ फेंक दिया, जिससे उसे बहुत पीड़ा हुई और वह निष्क्रिय, स्तब्ध और लड़खड़ाता हुआ खड़ा रहा, उसकी पकड़ ढीली हो गई और वह स्वयं बहुत पीड़ा में था। पुरुषार्थ के कर्तव्य का पालन करने वाले पुण्यात्मा अर्जुन ने ऐसे संकट में पड़ने पर अपने शत्रु का वध नहीं करना चाहा।" कर्ण पर्व- अध्याय ९०
@@VRgodse कर्ण के गुरु भगवान परशुराम द्वारा श्री कृष्ण और अर्जुन की शक्तियों का वर्णन जब श्री कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आये जहाँ उनके तीनो शिष्य उपस्थित थे 🙏🏻 "प्राचीन काल में नर द्वारा किया गया कार्य महान था। लेकिन नारायण अपने अनेक गुणों के कारण उनसे श्रेष्ठ थे। हे राजन! इसलिए अपना अहंकार त्यागो और धनंजय के पास जाओ, इससे पहले कि कोई हथियार गांडीव धनुष पर चढ़ाया जाए। उसके पास ककुदिका, शुक, नाका, अक्षसमतार्जन, संतान, नरताना, घोरा और अज्यमोदक हैं। 53 इनसे छेदे गए सभी मनुष्य अपनी मृत्यु का सामना करते हैं, या पागल होकर घूमते हैं, या अपनी इंद्रियों को खो देते हैं और बेहोश हो जाते हैं, या सो जाते हैं, या इधर-उधर कूदते हैं, या उल्टी करते हैं, या पेशाब करते हैं, या लगातार रोते और हंसते हैं। पार्थ के गुण असंख्य हैं हे भरतवंशी! यदि तुम यह सोचते हो कि तुम्हारे साथ कोई मतभेद नहीं होना चाहिए, तो शांति के लिए प्रयास करो और युद्ध के बारे में अपना मन मत लगाओ। हे कुरुवंशी! तुम्हारा वंश पृथ्वी पर अत्यंत पूजनीय है। हे सौभाग्यशाली! इसे ऐसे ही रहने दो। अपने लिए जो श्रेष्ठ है, उस पर विचार करो।" भागवत यान पर्व- अध्याय 757(94)
कहानी सुनाते सुनाते आतंकवादियों को जोड़कर हमारी भावनाओं से अच्छा खेला आपने....यही खेल वर्तमान सरकार को बताते तो पाक, चीन को ऐसा सबक सिखाते की हमे भारतीय होने पर अधिक गर्व महसूस होता....
Without krishna arjun cant win bhishma, durnachariya, karn( kabas kundal hote hue use marna impossible tha, or bijaya dhonush halaki woh bijaya dhonush se normally use nhi karta tha), bhagdatt( bhagdatt ka boishnob ashtra arjun mar he dala tha agar krishna khara na hua hota to coz boishnob ashtra ka koyi tord nhi hein), jorachand etc etc Sob krishna ka lila tha...
@@NAYANJYOTI9988 agar arjun divyastra use karta toh kya hota vai...........krishna told him not to use because that would be against the world.......divyastra sab arjun k paaas the bro........karn has lost everytime when he has faced arjun .....dwaupati swayember. virat yudh and so on
@@arjunchalise996 tereko sirf ek he answer kafit hein.... Agar arjun itna khatarnak tha to bhishma , durnachariya, karn, ko chal karke marne jarurat kya tha.... Karn kavi bijaya dhanush use nhi kiya tha sirf youdh ke antim din use kiya tha. job bijaya dhanush use kiya tha tob arjun ko piche haatna para tha or uska picha karte karte karn ka rath faash gya tha kyunki abishap tha... Or karn dibya ashtra bhul gya tha... Woh v abishap tha.... Ishliye karn mara gya tha wo v rath ka paiyan uthate samai.... Karn ka kabas kundal rehte ushko mara nahi ja sakta tha isliye ushka kabash kundal china gya... Karn ushka sishya tha jo arjun ka guru ka guru tha... Sob bhogowan krishna ka kiya dhara hein unhi ka lila tha samjha...
@@arjunchalise996 but arjun ke pass karn ko marne ka koyi ashtra nahi tha.... Kyunki karn ke pass kabash kundal tha..... Bur arjun ko marne ke liye karn ke past amokh sakti tha... Jishka koyi tod nahi tha... Or karn ne to nag astra se arjun ko mar hi dala tha par bhagwan krishna ne rath ko daba diya tha... Bhagwan krishna ne v karn ko proshangsa kiya tha to tum kon hote ho karn ko kamjor kehnewala... Sob krishna ka lila tha that's it.... Bhagwan Krishna jesa sarthi milne se ek kamjor admi v mahan se mahan youdha ko hara dega... Jai shree krishna 🙏🙏
Wah kya hi daanver tha khud daan deta hain or uske badle amog astr maangta hain. Daanveer nahi vyapari tha sony putr karn. Karn ke pichle janm ka pd le bahi kitna bda rakchs tha fir bolna daanveer karn. Seriel chod ke mahabhart pdo.
@@elton5544tum konsi purani wali manipulated pdhke aaye ho. Jb itna smjhaya bhgwan ne fir bhi adharmi hi rha to neech to hua hi. Tumjaise log hi ravan karm ko bdhava dete ho. Warrior the dono pr adharmi the
Paandav bhi draupadi cheer haran mei barabar ke bhagidar the tb kyu nahi utaya Arjun nei apna gaandiv aur bhim ne apni gada jb uska cheer haran ho rha tha kyu abhi chupchaap baithe dekh rhe the peedit woh hota hai jo apne upar hone wale atyachaar ko rok na ske paandav toh saksham the paandav hi the jisne Draupadi ko daav pe lgaya tha fir kis adhikar se woh kh skte hai unke sath atyachaar hua Abhimanyu ki martyu se phle pitamah ki martyu kya dharm se hui thi jb Arjun shikandi ke peeche se teer chla rha tha aur agar Arjun Karn ko maarne mei saksham tha toh kyu usse nihathe hone pe maarna pda Yash aur khyati kisko pyara ni hai agar Arjun fairly Karn ko maarta toh uska naam hota mgar woh capable ni tha esliye usko nihatha maarna pda@@adarshmishra4763
अर्जुन महान थे और कर्ण गलत के साथ थे और दुर्योधन के हर पाप मे सहभागी थे और रही बात अर्जुन और कर्ण की तो थे तो दोनों भाई ही पर एक धर्म के साथ थे और दूसरे अधर्म के साथ थे
Right Or Arjun se har baar haar Chuka h jo mahadev ke sath yudh. Kar chuka ho or yudh me mahadev ko bhi parshan kar chuka ho usko kon hara sakta h Arjun sabhi bado ka aadar karne wale yodha nari jati ka samman karne wala
किसी ने भी वेद व्याजी रचित महाभारत ग्रंथ नहीं पढ़ा है , जिसमें कर्ण अर्जुन के सामने जब जब आया है, तब तब हारा है। #1. द्रौपदी स्वयंवर - जब अर्जुन ने कर्ण के धनुष को काट उसको निहत्था कर उसको पलायन करने पर विवश कर दिया 2. विराट युद्ध - जब अर्जुन ने कर्ण सहित सभी कौरव महारथियों को हराया 3. 14वें दिन के युद्ध में - उस दिन कर्ण परलोक सिधार गया होता , अर्जुन का अर्द्ध चंद्राकार नराच बाण लहुलुहान कर्ण (सात्यकि और भीम से हारने के बाद) को छुने से पहले अश्वत्थामा की दिव्य भुषुण्डि द्वारा काट दिया जाता है, और कर्ण बच जाता है। 4. 14वें दिन मध्यरात्रि का युद्ध - कृपाचार्य को अपमानित करने के बाद , दुर्योधन द्वारा समझा बुझा कर कर्ण फिर अर्जुन के सामने फिर आया , इस बार अर्जुन ने उसके हाथ पर ऐसा वार किया कि उसका विजय धनुष दूर फेंका गया । फिर अर्जुन उसके रथ को ध्वस्त , घोड़ों को मारकर और सारथी को घायल कर देता है। कर्ण भाग कर उन्हीं कृपाचार्य के रथ पर सवार हो जाता है, जिनका उसने थोड़ी देर पहले अपमान किया था। 5. युद्ध के 17वें दिन - अर्जुन के अंजलिकास्त्र द्वारा कर्ण का मस्तक धड़ से विलग (कि वो अंत में अपने सोने का दाँत श्रीकृष्णजी को देने लायक भी ना रहा - फर्जी कहानी है । ) लोग कहते हैं कि कर्ण को निहत्था क्यों मारा गया ? - वेद व्यासजी के महाभारत में ऐसा वर्णन नहीं कि कर्ण निहत्था होकर मरा था। फिर भी जो सर्वाधिक प्रचलित है कि निहत्था मारा गया तो , यह आदेश स्वयं भगवान श्रीकृष्णजी द्वारा दिया गया था कि जब कर्ण का रथ धरती में धंसने लग जाए तो उस समय अर्जुन उस पर बाण चला दें, ताकि कर्ण को उसके अपराध का स्मरण हो सके तथा उसे अभिमन्यु की उस स्थिति का भी स्मरण दिलाया जा सके, कि उसे भी निहत्था कैसे मारा गया , जिसमें कर्ण भी सम्मिलित था। लोग कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सामने एक दो बार कर्ण की प्रशंसा क्यों की? ताकि उनके परम भक्त अर्जुन को अहंकार भाव उत्पन्न ना हो और वह अपने कौशल को और भी अधिक निखार सके। नोट: ग्रंथ के अनुसार कर्ण द्वारा अर्जुन का रथ कभी पीछे नहीं किया जा सका है।
@@anuraggarhewal3039 please simple hindi mai ka ho kyakehna chahte ho. Ramdhari singh ko mai galat isliye bol raha hun kyunki unhone karn ki itni mahimamandan karke galat kiya.
@@tusharranjan1054 karan ka side nahi kiya ja sakta per han yoddha to yo tha is baat ko to khud Shri krishna ne kaha hai hame jivan me aacha ho ya bura usse seekh Lena chahiye hum judge nahi kerna chahiye...
20:00 Maana sb galt tha lekin jab krishna ko sab kuch suru se pata hi tha ki kb kya hoga , toh fir wo jab karn ko sut put sb kh rhe the aur jab karn itna dukh shta rha apne pure jiven me , tb ye krishna ne kyu nhi sabko bataya ki karn kaun hai ( mai kissi k side nahi hu ) Bss ye dhrm aur adhrm Alg hi tha ... 😐
आप यूट्यूब पर श्री कृष्णा सीरियल का एक एपिसोड सर्च कीजिए जिसका नाम है" पांडवों ने दि करण को तिलांजलि" उस एपिसोड में आपको अपने सवालों के जवाब मिल जाएंगे
Ham woh ho bhi nahj skta itna gatiya nich paapi. Daan deta hain amog astr maangta hain. Vyapari. Bahri sabha mai stri ko bina vastr lane ka idea dene wala sony putr karn veer yodha. Lakshagarh mai samiiliit karn. Arjun ko chal se maarne ki sajis. Abhimanyu ko marne wala papi. Woh bhi 8log eak sath. Siksha bhi chal se prapt krne wla sony putr karn. Dropadi ko vesya kehne wala koi veer yodha hi ho skta hain. Karn is best ony sony putr karn seriel. Reality virat yudh ke bare mein pado.
Bhai ji karna bhaut acha yodha the lakin Arjun se bada koi yodha tha hi nhi mahabharat ke yudh me agar koi bada tha to vo Krishna ji the Arjun chata toh Virat yudh me sabko mar deta os Samy akele hi eak sath yudh me sabko Hara diye the vo bhagwan vishnu ji ke avtar the. Nar arjun or naryan Krishna ji the
@@YTOfficial9778 आदरणीय कर्ण भी बहादुर थे हम उन्ही के वंशज है और अर्जुन कोई अलग नही उनके भाई ही थे पर अर्जुन अर्जुन थे तब उनका कोई मुकाबला नही उनका मुकाबला हो सकता है तो मेघनाद और लक्ष्मण से
Agree...yeh kalyug hai ..yaha Arjun se jyada Karna ka gungaan karnewale hi log milenge.....sharm ki baat yeh hai ki Kumar vishwas jaise padhe likhe bhi actual Mahabharat padhe Bina hi Gyan de rahe hai
@@arjunraval20066 karan ke gungaan ki baat nahi hai ye baat hai ki kya hum karan ke 1% bhi hai ....hum kun hote hai judge kerne wale or side kebe wale sab Krishna hi hai kya Arjun kya karan
@@arjunraval20066 जी लोग पागलपन है दोनो एक माता की संतान थे परिस्थितिजन्य कारण उनहै आमने सामने ला दिया दोनो ने धर्म निभाया जैसा जिसने समझा जो लोग दोनो की तुलना करते है कभी उन्होने खुद से किसी की तुलना की खुद का धर्म निभाता नही और औरो की बात देश की गुलामी का मूल कारण यही है मै खुद करण के वंश से हू हम आज क्या कर रहे है तुम मेरी बुराई और मै तुम्हारी इसी मे खुश है जो देश पर कब्जा करना चहते है उनके रास्ते साफ है
प्रतीत ऐसा होता है कवि महोदय को ज्ञान प्राप्त हो गया है, आप को भी शायद ऐसा लगता ही होगा, इस कहानी से जो अनुभव हो रहा है वो कहानी ही लगे तो शायद कुछ ले पाएंगे।
जय श्रीकृष्ण राधे राधे
महान योध्दा
दानविर कर्न महान थे महान रहंगे
Joy. Shri. Krishna. Radhe
Kiya mahan yodha the arjun ko toh hara nhi paye ek baar bhi ulta virat yudh main toh sab murchit ho gaye the
....jab Karn yudh khetra me tha gi nhi......ye toh first day ki baat hai @@datascience8012
अद्भुत 🙏
मेरी आपसे एक अनुरोध है 🙏
हमारे जितने बेद पुराण हो वो सब संस्कृत में हो जो आम जनमानस पढ़ नहीं पाते ना समझ पाते हैं आप इन्हें हिंदी में अनुवाद कर लिखें ताकि हर वो छोटे से छोटे लोग भी पढ़ पाएं और अपने संस्कृति और अपने धर्म को समझ पाए धन्यवाद 🙏🚩
hindi me bhi hain bhai.. Gita press ne ye sewa bahut pahale kar di hai. Hindu ne apane ko "nauki" tak seemit kar liya hai ved puran padhne ka time kahan hai... East India company mne HInduu ko malik se naukra bana diya hai.. afsos..
सर जय श्रीकृष्णा , आपके कथा सुनाने की शैली से श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं,समय का पता ही नहीं चल पाता है। आप महान है।
एक ही दिल ❤ हे कुमार साहब कितनी बार जीतने वाले हैं आप ❤
राधेय कर्ण❤🌸🏵️
भारत मै ऐसे ही 1000 कुमार विश्वास की जरूरत है। जो समाज मै सनातन की कथा घर घर मै पहुचाये।।
Radhe radhe ❤❤❤❤
तो फिर विराट युद्ध में सब महारथी, क्यो हारेथे, वहां पर तो माधव नही थें❤
True .
Kyunki vah jhuthi hai
Jb kisi ka pursharth jag jata h to bde bde maharathi haa jaate h
विराट युद्ध मे कर्ण ने विजय धनुष का प्रयोग नही किया था. उसने विजय धनुष का प्रयोग महाभारत युद्ध मे ही किया था. अर्जुन हमेशा गांडीव धनुष आपने पास धारण करते थे.
Arjun mahila banke aaya tha isliye vo yudh count na kare
सुर पुर से मुख मोडूंगा,
केशव! मैं उसे ना छोडूंगा..
કર્ણ મે એક હિ દોષ ઠા વો બિના કારણ અર્જુન કો ઈર્ષા કરતે થે.
महान 🙏कर्ण 🙏को सत सत नमन
जिसने अपने भाईयों का हत्या नहीं की अपने भाई का हत्यारा नहीं बने😢😢🙏🙏
अति सुन्दर बात कही आपने .. कर्ण वास्तव मै गजब का बीर था.
Mera jivan bi karan ki bhati hi raha.. Apno ke liye sab kuch tyaag diya.. Lakin.. Phr bi apne apne naa huye
Je baat bilkul gt boli hai murkh ne krishn bhgwan ko koi nhi Hra skta tha kyunki Krishn bhgwan se hi snsar chlta hai or rhi baat karn ki mai khud karan ka fan hu I love karn karna ko jb sari dunia ne thukra diya tha os waqt droyden ne hath pkda tha karan ka or os ik dhrm ke liye karan ne droyden ko apna jivan de diya tha
Ha ye baat sahi ki karan ko marne ke liye dhrti pr krishn bhgwan bajrang vli or idrdev ko ana pdha tha or sbse bdi baat karan ne yar apna kavch kundl hi daan mein de diye o inderdev swarg ka raja osko dhrti pr bhikhari bn kr ana pda tha or karan ne daan de dia tha
Karan ko bhgwan prshuram ji ne apna Vijay danush Diya tha or karan ko bola tha ki Mahadev ke atirikt tumhe is snsar mein koi nhi hra skega os karan ke pass jb te Vijay danush tha osko koi ni HRA skta tha is liye karan ko shl ke sath marna pda tha
Or sbse sktishali to bhism pitama the osko koi nhi hra skta tha bhism ne ik v astr nhi chlaya tha pandvo pr or krishn bhgwan ne yudh stat hone se phle kaha tha ki mai astrr sastr nhi. Chlaunga prtigya lyi ye krishn bhgwan ne or bishm pitama ne krishn bhgwan ko kaha tha ki madab apko sastr udane pdege je mera vchn hai apse or yudh mein pitama bhism ko rokna asmbab ho gya tha or krishn bhgwan ko apni prtigya todni pdi thi jb tak bhism ke pass oske sastr the ose koi ni HRA skta tha TB shikhndi ayi thi or bhism ne apne sastr tyag dite the fr v kitne tym Tak death nhi hui thi bhism pitama ki jv pura Mahabharat khtm ho gya tha fr jakr death Hui thi
करण जैसा ना कोई था ना कभी होगा, करण का चरित्र उसका जीवन सुनकर आंसू आते है😢
@@satishkumar-xr3cg 🤣🤣🤣
Esa kya ho gya uske sath ?
@@garudasecurity kuch nhi hua.. serials mei usko bada dukhi bataya jata h..acctuly he is villain in Mahabharata...
@@garudasecurity दानवीर कर्ण अपने एक बाण से पूरे महाभारत को खत्म कर सकते थे,
कर्ण जैसा योद्धा न कभी था न कभी होगा...🙏
जय हो दानवीर कर्ण की
जय हो राधे पुत्र कर्ण की
जय हो सूत पुत्र कर्ण की
जय हो सूर्य पुत्र कर्ण की
जय हो परशुराम शिष्य कर्ण की
जय हो कुंती पुत्र कर्ण की,
जय हो महारथी कर्ण की...🙏
कर्ण एक ऐसा चरित्र जिसके जन्म से उसकी मृत्यु तक उसके साथ अन्याय ही अन्याय हुआ और एक तरफ नियति कदम कदम पर कर्ण को श्राप देती गई और दूसरी तरफ अर्जुन को वरदान देती गई, यहां तक की करण की मृत्यु के समय की आखिरी वक्त में भी उसके साथ छल हुआ और निहत्थे जब कर्ण के हाथ में उसका धनुष नही था तब करण को मारा गया,,
और उसे वक्त भगवान श्री कृष्ण से खुद करण से कहते हैं तुम्हारा सामर्थ्य से तुम्हे कोई नही हरा सकता इसलिए तुम्हारी मृत्यु भी तुम्हे नमस्कार कर रही है क्योंकि इस वक्त
ना तुम्हारा कवच कुंडल तुम्हारे पास है,
ना तुम्हारा धनुष तुम्हारे पास है,
ना तुम्हारी अस्त्र विद्या तुम्हारे पास है श्राप से तुम्हारा ज्ञान लुप्त हो गया है
और तुम्हारे रथ का पहिया जमीन में दशा हुआ है ऐसी स्थिति का फायदा उठाकर तुम्हें मारना पड़ रहा है😢😭,, हे राधे कर्ण प्रणाम है तुम्हे , कर्ण तुम धर्म के मार्ग पर चलते हुए आज इस संसार में ऊंच नीच के भेद को समाप्त करने की प्रथा महारथी कर्ण तुमने ही शुरू की लेकिन फिर भी गलत हुआ कर्ण के साथ...🙏
@@garudasecurity दानवीर कर्ण अपने एक बाण से पूरे महाभारत को खत्म कर सकते थे,
कर्ण जैसा योद्धा न कभी था न कभी होगा...🙏
जय हो दानवीर कर्ण की
जय हो राधे पुत्र कर्ण की
जय हो सूत पुत्र कर्ण की
जय हो सूर्य पुत्र कर्ण की
जय हो परशुराम शिष्य कर्ण की
जय हो कुंती पुत्र कर्ण की,
जय हो महारथी कर्ण की...🙏
कर्ण एक ऐसा चरित्र जिसके जन्म से उसकी मृत्यु तक उसके साथ अन्याय ही अन्याय हुआ और एक तरफ नियति कदम कदम पर कर्ण को श्राप देती गई और दूसरी तरफ अर्जुन को वरदान देती गई, यहां तक की करण की मृत्यु के समय की आखिरी वक्त में भी उसके साथ छल हुआ और निहत्थे जब कर्ण के हाथ में उसका धनुष नही था तब करण को मारा गया,,
और उसे वक्त भगवान श्री कृष्ण से खुद करण से कहते हैं तुम्हारा सामर्थ्य से तुम्हे कोई नही हरा सकता इसलिए तुम्हारी मृत्यु भी तुम्हे नमस्कार कर रही है क्योंकि इस वक्त
ना तुम्हारा कवच कुंडल तुम्हारे पास है,
ना तुम्हारा धनुष तुम्हारे पास है,
ना तुम्हारी अस्त्र विद्या तुम्हारे पास है श्राप से तुम्हारा ज्ञान लुप्त हो गया है
और तुम्हारे रथ का पहिया जमीन में दशा हुआ है ऐसी स्थिति का फायदा उठाकर तुम्हें मारना पड़ रहा है😢😭,, हे राधे कर्ण प्रणाम है तुम्हे , कर्ण तुम धर्म के मार्ग पर चलते हुए आज इस संसार में ऊंच नीच के भेद को समाप्त करने की प्रथा महारथी कर्ण तुमने ही शुरू की लेकिन तुम्हारे साथ गलत हुआ...🙏
रावण से बडा कोई शिवभक्त नहीं
कर्ण से कोई बड़ा धनुर्धर नहीं ❤
फर्क बस इतना हुआ की रावण ने अहंकार किया,ओर कर्ण ने मित्र का साथ ना छोड़ा
Bada majakiya ho Pitmah bhism be like - Abe chal hawa aane dey tu sresht jo
4-5 baar Arjun se Hara hei , bhim ne haraya,satyaki me haraya, droupad ne haraya 😅😅😅
@@krishnadeogam4840 to fir Bhagvan Parshuram kon the 😂😂😂
Kahan se ulti sidhi Mahabharat padkar aaya hai ek baat bata jharshand ko bheem ko harane main 7 din lag gaye karna ne ne hi din main Hara Diya ab bol bebkoof kaise hara sakta hai bheem karna ko @@krishnadeogam4840
अच्छा हुआ किसीने जॉन विक कि कुत्ते को हात नहीं लगाया. वरना भयंकर बवाल हो जाता
Aisa nhi hai galat ja rhe ho
सुकून मिलता है आपकी कथा सुन के ☺️☺️☺️
Jiske Purn Bahubal ko Gandiv bhi nahi sambhal sakti thi jiska samana karane ka samarthya Devtao me bhi nahi tha aise Sabaysachi Mahabahu Arjun ki jai ho 🙏🙏🚩🚩
सुंदर अनुभूती हुई है इस अवसर दुवा को प्रणाम किया है इस दिन को याद करते हैं आपकी रूह को सुकून महसूस हो रहा है अभिनन्दन किया है इस अवसर पर फिदा हैं हीलिंग प्रॉसेस लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड फंक्शन जोरदार स्वागत योग्य सभी ऋतुओं में शामिल किया गया है
जय दानवीर कर्ण कि जय
दोस्ती का ऐसा परिचय दिया है
महान महा वीर करण ने
जय हो करण भगवान की
वो दोस्त के नाम पे कलंक था।
फर्जी narratives फैला के लोगो का brainwash कर दिया है।
@@SandeepKumar-zx2xy bhai wo kalank tha to tum mahan ho kr do apni sari property apne dost ke naam pr karn to kar deta tha tum apni maa ka doodh piye ho to kar do sab kuch apne dost ke liye🤣🤣🤣🤣or agar nhi kar paye to tum sabse badey kalank ho 🤣🤣🤣
Koroona the great Virus 😂😂😂😂😂😂
Dosti kis se karni ye bhi sikhne wali baat hai ish me....
Karn ki dosti, bhism ki pratigya, kripa charya ki lachari, dronacharya ki majburi inn sabhi maharathi ke vinash ka karan bana..... Kyu ki....
Inka vadh bal se nahi chhal se huaaaa..... Bal se inhe marna muskil ya yu kah le namumkin thaa.
@@harishjain414 jisne zindagi bhar chal Kia hai, uske saath chal hi hona chahiye
कर्ण हरा नहीं हराया गया है अर्जुन जीता नहीं जिताया गया है जय श्री हरि 🙏🙏🙏🙏
हरियाणा के जिला करनाल के राजा महाराज कर्ण की जय
Bhai ang ka raja tha vo aur ang bihar me aata tha 😅
@@vivekparashar13Yes bro Munger ke andar
@@vivekparashar13arey bhai wo galat nhi kh rha hai tere bihar wale ang ka ussey koi lena dena nhi esa hota to mahabharat yuddh bihar me hota ,,,,😅😅😅😅
Tu bhai panchvi bhi fail hai kyaa ?? @@anujkumar-hs4mo
@@NITian.Navneet nhi mera chor mujhey to lagta hai tu anpadh hai🤣🤣🤣🤣🤣or vaise bhi bhai ti bhi bihari hai jo itni dikkat hai🤣🤣 abey baxsey jaise mu wale thoda to logic ka use kar leta ki baat kya ho rhi hai name ke agey nit lagane ko mahan nhi bnta apni knowledge si kar le
I feel really sad for Karna. He had this warrior spirit both in terms of physical strength and mentality. He tolerated humiliation and discrimination his whole life; and yet, he stood tall. That mental fortitude of his is something to admire. 🙏
There s saying going in modern kaliyug , villians are made, not born , derives straight from Karna , Greatest of all warriors
Karna did not opposed Duryodhan while he has ordered to remove cloths of Draupadi in the rajsabha in front of all public. That's the only mistake he has done. Unforgivable.
@@kishorkudaal2946bhai mahabharat padhe ho intni burai duryodhan me nahi thi jitni karn me thi aise vyakti ko log hero bana rakhe mahabharat nahi padha hai kya inhone
@@chongraxesh1bhai mahabharat padhe ho intni burai duryodhan me nahi thi jitni karn me thi aise vyakti ko log hero bana rakhe mahabharat nahi padha hai kya inhone
Orphaned at birth; cursed by Sri Parshuram; laughed at by Draupadi...yet, Karan fought hard; gave donation profusely ; and, stood by his friend fiercely.
Kumar vishwas apka prabachan ap kitne achche se bolkar samjhate hai. I impressed sir. Apko pranam🙏 sir. Jo dharm ki baat kare mujhe bahut achcha lagta hai.
JAB Tujhse na suljhe tere uljhe hue Dhandhe,
Bhagwan ke insaaf pr sb chor de bande.
Khud hi teri muskil ko asan karega jo tu nhi kr paya wo bhagwan karega❤🙏
❤
Haa na,,bahut Badiya,,ab saari chinta dur hui
सबसे उत्तम बात कही थी.... भगवान खाटूश्यामजी ने 🙏 न अर्जुन ने मारा और न कर्ण मरा सार बात तो यह है कि भगवान श्री कृष्ण ही हर जगह व्याप्त थे🙏जय श्री कृष्ण❤
Khatu syam mahabharta me kahann hai kis parv me hai btaao
@@yashdixithindu1869 khatu shyam ji Mahabharat me Barbarik ke naam se hain unko bs 3 divya baan the or unki pratigya thi ki wo hamesa harne wale ka sath denge or aisa hota to Mahabharat me sb ka ant ho jata na kaurav na pandav isilie bhagwan shree krishna ne yudh se pehle hi Barbarik se unki gardan bhent me maang li Barbarik ne Shri Krishna k ashirwad se us Kati gardan se sari mahabharat yudh ko dekha tha or ye yudh k samapt hone k bad ka vritant h ki Barbarik ji kehte h yudh to hua hi kaha madhav har jagah to bs ap hi ap the ....mtlb sari leela apki hi thi ... Or Krishna ji k ashirwad se hi Barbarik ji khatu shyam ji k nam se amar hogye
@@yashdixithindu1869 barbarik ka naam suna hai wahi hai padha karo thoda
Njjnnnjiiiiiiiuiiiiiiiiiiiiuiuuiu7i7i57yyyuuuyuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu@@balkrishnamishra5241
Xé जजt5t5tgf FCC c cFCC bbbb na BTCC bvbttbhbb TCCdcccccrr c CBC BFF cvf BFF bvbv cc cc cvcvccvrcc vveeeeewweeeeww,@@balkrishnamishra5241
मेरे प्रियं करण करण जैसा कोई वीर था नाकोई होगा
Sonyputar karn dekh aaya lgta h 😅😅
विराट युद्ध में कुरू सेना की अर्जुन के द्वारा क्रूर हार के बाद दुर्योधन की प्रतिक्रिया🔥
"कौरवों में श्रेष्ठ धृतराष्ट्र के पुत्र को शीघ्र ही होश आ गया और उसने इन्द्र के समान वीर पार्थ को देखा। उसने देखा कि पार्थ युद्ध के मैदान से दूर अकेले खड़े हैं। उसने तुरन्त पूछा, "वह तुम्हारे हाथ से कैसे बच गया? उस पर अत्याचार करो, ताकि वह बच न सके।" शांतनु के पुत्र ने हँसते हुए उत्तर दिया, "तुम्हारी बुद्धि कहाँ चली गई? तुम्हारा पराक्रम कहाँ चला गया? तुमने अपना रंग-बिरंगा धनुष और बाण त्याग दिया था। उस समय तुम पूर्ण शांति में लीन थे। बिभत्सु क्रूर कर्म करने में असमर्थ है। उसका मन कभी पाप में लीन नहीं होता। वह तीनों लोकों के लिए भी अपने धर्म को नहीं छोड़ेगा। 205 यही कारण है कि हम सभी इस युद्ध में मारे नहीं गए। हे कौरवों में श्रेष्ठ! शीघ्र ही कुरु राज्य में लौट जाओ। पार्थ को अपने जीते हुए पशुओं के साथ लौट जाने दो।" पितामह के इन वचनों को सुनकर, जो उनके कल्याण के लिए थे, दुर्योधन ने युद्ध करने की सारी इच्छा त्याग दी। असहिष्णु राजा ने गहरी आह भरी, लेकिन चुप रहा। अन्य सभी ने भीष्म के वचनों में बुद्धिमत्ता देखी और धनंजय के भीतर बढ़ती आग को पहचाना। इसलिए उन्होंने लौटने का मन बना लिया और सावधानी से दुर्योधन की रक्षा की।"
गो ग्रहण पर्व- अध्याय ६५७(६१)
@@Indraneelsarkar127 right.
Bhai agr mujhe toh virat yudh hi fake lagti hai kyuki yadi virat yudh such mein hua tha toh phir arjun mahabharat k time bol deta subko ki jao so jao keeal mein aur bhrta bheem ladenge mahabharat mein bakio ki kya zaroorat
@@uk07abhishub79 तुमने तब महाभारत नही पढ़ा है भाई। जाकर पढ़ो उद्योग पर्व का अम्बा उपाख्यान पर्व। वहां अर्जुन ने स्वयं बताया था कि उन्होंने एक क्षण में युद्ध को समाप्त क्यों नही किया था।
@@uk07abhishub79अर्जुन का उत्तर युधिष्ठिर को जब उन्होंने उनसे पूछा था कितने दिन में युद्ध समाप्त करोगे:
"हे महान राजा! इसमें कोई संदेह नहीं कि वे आपके सैनिकों को मार डालेंगे। लेकिन मैं सच बोलता हूं जब मैं कहता हूं कि तुम्हें अपने मन में प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. जब मेरे पास सहायक के रूप में वासुदेव हों, तो मैं एक ही रथ पर सवार होकर एक ही पल में तीनों लोकों को, अमरों को, उनकी गतिशील और अचल वस्तुओं को तथा भूत, वर्तमान और भविष्य की हर चीज को मार सकता हूं। यही मेरा विचार है. मेरे पास वह भयानक और महान हथियार है जो पशुपति ने मुझे शिकारी के साथ द्वंद्व के समय दिया था। 114 एक युग के अंत में, पशुपति द्वारा सभी प्राणियों को नष्ट करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। हे मनुष्यों में बाघ! मैं जानता हूं कि इसका उपयोग कैसे करना है. न तो गंगेय को यह पता है, न ही द्रोण और गौतम को। हे राजा! द्रोण के पुत्र और सूत के पुत्र भी नहीं। युद्ध में सामान्य लोगों को मारने के लिए ऐसे दिव्य हथियारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। छल का सहारा लिए बिना हम युद्ध में अपने शत्रुओं को परास्त कर देंगे। हे राजा! ये मनुष्यों में से बाघ आपके सहायक हैं। ये सभी दिव्य अस्त्र-शस्त्र चलाने में निपुण हैं। वे सभी युद्ध में प्रसन्न होते हैं। वे सभी वेदांत 115 में स्नान कर चुके हैं और अजेय हैं। हे पाण्डवों! वे युद्ध में देवताओं के सैनिकों को भी मार डालेंगे। शिखंडी, युयुधान, 116 परशत धृष्टद्युम्न, भीमसेन, जुड़वाँ बच्चे, युधामन्यु, उत्तमौजा, विराट और द्रुपद, जो युद्ध में भीष्म और द्रोण के समकक्ष हैं, और आप स्वयं तीनों लोकों को नष्ट करने में सक्षम हैं। आप अपनी चमक में वसावा के समान हैं। अगर कोई आदमी आपको गुस्से से देखता है तो इसमें कोई शक नहीं कि जल्द ही उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। हे कौरवों! 117 मैं यह जानता हूं।"
कान्हा सब कुछ जानते थे किंतु फिर भी अपना धर्म निभाए है चाहे वो दुश्मन हो या साथी । और रही बात कृष्ण और अर्जुन की तो उनको साथ में कोई पराजय कर ही नहीं सकता था क्योंकि क्योंकि दोनो नर और नारायण के अवतार थे । ॐ श्री मन नारायण।
निसंदेह जब वेदव्यास ने बर्बरीक से पूछा की तुमने युद्ध में क्या देखा तब बर्बरीक ने कहा मुझे तो सारे कुरुच्छत् में सिर्फ सुदर्शन चक्र ही नज़र आ रहा था उसके अलावा मैने कुछ नी देखा ये सब भगवान की मर्जी थी सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा था क्योंकि पाप का अंत करने के लिए श्रीकृष्ण का जन्म उस युग में हुआ था यही अटल सत्य है कोई माने या ना माने पर भगवान को तो मानना ही पड़ता है
ଅତି ସୁନ୍ଦର କବି ସମ୍ମିଳନୀ
कर्ण उवाच
तुष्यामि ते विप्रमुख्य भुजवीर्यस्य संयुगे । अविषादस्य चैवास्य शस्त्रास्त्रविजयस्य च ।। १६ ।।
कर्ण बोला- विप्रवर ! युद्धमें आपके बाहुबलसे मैं (बहुत) संतुष्ट हूँ। आपमें थकावट या विषादका कोई चिह्न नहीं दिखायी देता और आपने सभी अस्त्र-शस्त्रोंको जीतकर मानो अपने काबूमें कर लिया है। (आपकी यह सफलता देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है) ।। १६ ।।
किं त्वं साक्षाद् धनुर्वेदो रामो वा विप्रसत्तम । अथ साक्षाद्धरिहयः साक्षाद् वा विष्णुरच्युतः ।। १७ ।।
विप्रशिरोमणे ! आप मूर्तिमान् धनुर्वेद हैं? या परशुराम? अथवा आप स्वयं इन्द्र या अपनी महिमासे कभी च्युत न होनेवाले साक्षात् भगवान् विष्णु हैं? ।। १७ ।।
आत्मप्रच्छादनार्थं वै बाहुवीर्यमुपाश्रितः । विप्ररूपं विधायेदं मन्ये मां प्रतियुध्यसे ।। १८ ।।
मैं समझता हूँ, आप इन्हींमेंसे कोई हैं और अपने स्वरूपको छिपानेके लिये यह ब्राह्मणवेष धारण करके बाहुबलका आश्रय ले मेरे साथ युद्ध कर रहे हैं ।। १८ ।।
न हि मामाहवे क्रुद्धमन्यः साक्षाच्छचीपतेः । पुमान् योधयितुं शक्तः पाण्डवाद् वा किरीटिनः ।। १९ ।।
क्योंकि युद्धमें मेरे कुपित होनेपर साक्षात् शचीपति इन्द्र अथवा किरीटधारी पाण्डु- नन्दन अर्जुनके अतिरिक्त दूसरा कोई मेरा सामना नहीं कर सकता ।। १९ ।।
तमेवं वादिनं तत्र फाल्गुनः प्रत्यभाषत । नास्मि कर्ण धनुर्वेदो नास्मि रामः प्रतापवान् ।। २० ।।
कर्णके ऐसा कहनेपर अर्जुनने उसे इस प्रकार उत्तर दिया - 'कर्ण ! न तो मैं धनुर्वेद हूँ और न प्रतापी परशुराम' ।। २० ।।
ब्राह्मणोऽस्मि युधां श्रेष्ठः सर्वशस्त्रभृतां वरः । ब्राह्मे पौरंदरे चास्त्रे निष्ठितो गुरुशासनात् ।। २१ ।। स्थितोऽस्म्यद्य रणे जेतुं त्वां वै वीर स्थिरो भव ।
मैं तो सम्पूर्ण शस्त्रधारियोंमें उत्तम और योद्धाओंमें श्रेष्ठ एक ब्राह्मण हूँ। गुरुका उपदेश पाकर ब्रह्मास्त्र तथा इन्द्रास्त्र दोनोंमें पारंगत हो गया हूँ। वीर ! आज मैं तुम्हें युद्धमें जीतनेके लिये खड़ा हूँ, तुम भी स्थिरतापूर्वक खड़े रहो ।। २१ ।।
Waheguru g, Jai Shri Krishna
धन्य है दादा आप जो आप इस युग में जहा insta जैसे घटिया सामग्री के बीच आप आज युवाओं को सही मार्ग बता रहे
Jay Shree Ganesha Radhe Radhe
क्यों कि करण के पास विजयी धनुष था
Dosti ka Muly Chukaya tha Mahavir karn ne . Apne dost ka sath Marte dum tak diya .. really appreciated aisa Dosti ab kahan ❤
H Om. JAI JAI SHREE RADHEY KRISHANA JI KO PRANAM KOTI 2.❤ .ALL KATHA IS V SUPERB ......❤🙏🌹👌
Jai SHREE Radhe Krishna DEVTA BHAGWAN MAHARAJ JI....
Jai SHREE Radhe Krishna DEVTA BHAGWAN MAHARAJ JI..........
कर्ण जैसा न कोई इस ब्रह्मांड था न कभी होगा। न: भूतो न: भविष्यो! All In one The great Warrior of the all Tenses" KARNA"❤❤❤❤
कर्ण सुद पुत्र नही ,बल्कि सूर्य पुत्र कर्ण था⚔️🚩🏹🏹🏹🚩 जय श्री कृष्ण 🙏🚩
Karna dhurt putra thaa 😂😂😂😂
@@Red-Hood12Tu kkiska Karn Bharat Sanatan dharm ka Adarsa hy
Tumhare tara Das nahi😂😂😂
@@biswojitdash1710 Karna Dwapar Yug kaa sabse GHATIYA aur waahiyaat insaan thaa jisne apne hi chote bhaiyo aur apni hi Mata Kunti ji ko Duryodhana ke sath milkar Lakshagreh mein Jindaa jalaanee ki koshish ki...Laanat hai aise insaan (Rakshas) par....😆😆😆
@@biswojitdash1710 Karna Dwapar Yug kaa sabse GHATIYA aur waahiyaat insaan thaa jisne apne hi chote bhaiyo aur apni hi Mata Kunti ji ko Duryodhana ke sath milkar Lakshagreh mein Jindaa jalaanee ki koshish ki...Laanat hai aise insaan (Rakshas) par....😆😆😆
@@biswojitdash1710 Karna aur Duryodhana jaise dust, Ahankaari, Ghamandi aur adharmi Rakshaso kaa sarvanash karne ke liye hi Draupadi ne Earth pe avatar liyaa thaa...🤣😆😆🤣
जब दुर्योधन अति चालाक बन रहा कि उनके तरफ के योद्धा के होते हुए उन्हें कौन पराजित कर सकता है, तब श्री कृष्ण ने उसे पांडवों और विशेषकर अर्जुन जी की शक्ति से परिचित करवाया। श्री कृष्ण ने विराट युद्ध का उदाहरण भी दिया🙏🏻
"पाण्डवों के साथ की गई संधि दुष्टों के साथ की गई संधि से श्रेष्ठ है। यदि तुम उनके साथ प्रेमपूर्वक रहोगे, तो तुम्हें सभी इच्छित वस्तुएँ प्राप्त होंगी। हे राजाओं में श्रेष्ठ! तुम पाण्डवों द्वारा जीती गई भूमि का आनंद लोगे। किन्तु पाण्डवों को छोड़कर तुम दुःशासन, दुर्विसह, कर्ण और सौबल के साथ मोक्ष की खोज कर रहे हो। हे भरतवंशी! तुम उन्हीं के भरोसे रहकर समृद्धि चाहते हो। धर्म और अर्थ के ज्ञान में वे तुम्हारे बराबर नहीं हैं। हे भरतवंशी! वे पाण्डवों के बराबर वीरता में नहीं हैं। तुम और सभी राजा मिलकर भी युद्ध में क्रोधित भीमसेन का मुख देखने के योग्य नहीं हो। हे पुत्र! भीष्म, द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य, सोमदत्तपुत्र भूरिश्रवा, अश्वत्थामा, जयद्रथ सहित तुम्हारी यह समस्त सेना धनंजय का सामना करने में असमर्थ है। क्रोधित अर्जुन को देवता, असुर, मनुष्य और गंधर्व नहीं हरा सकते। तुम युद्ध में मत उलझो। इस सम्पूर्ण राजा सेना में क्या कोई ऐसा पुरुष है, जो युद्ध के मैदान में अर्जुन का सामना करके सुरक्षित अपने घर लौट सके? हे भरतवंशी! इस प्रकार मनुष्यों का नाश करने से क्या लाभ? मुझे एक ऐसा पुरुष बताओ, जिसकी विजय तुम्हारी विजय के समान हो। उसने खाण्डवप्रस्थ में देवता, गंधर्व, यक्ष, असुर और नागों को पराजित किया था। कौन पुरुष उसके साथ युद्ध कर सकता है? इसी प्रकार विराट के नगर के विषय में एक बड़ा आश्चर्य सुनने में आता है। अनेकों का मुकाबला करने के लिए एक ही पर्याप्त था। इतना ही पर्याप्त प्रमाण था। फिर भी तुम अजेय और अविनाशी जिष्णु जैसे वीर अर्जुन को युद्ध में परास्त करना चाहते हो। मेरे रहते हुए युद्ध में पार्थ को कौन चुनौती दे सकता है? स्वयं पुरंदर भी नहीं! वह अपनी भुजाओं से पृथ्वी को उखाड़ सकता है। क्रोध में आकर प्राणियों को जला सकता है। स्वर्ग से देवताओं को गिरा सकता है। युद्ध में अर्जुन को कौन हरा सकता है? अपने पुत्रों, भाइयों, कुटुम्बियों और सम्बन्धियों को देखो। हे भरतश्रेष्ठ! तुम जो कुछ करते हो, उसके कारण उनका नाश न हो। कौरवों को जीवित रहने दो। इस वंश का नाश न हो। हे मनुष्यों के स्वामी! तुम वंश का नाश करने वाले न कहलाओ। तुम्हारे कर्म नष्ट न हों। ये महारथी तुम्हें उत्तराधिकारी और तुम्हारे पिता मनुष्यों के स्वामी धृतराष्ट्र को महान राजा बनाएंगे। हे पुत्र! जो समृद्धि आने वाली है, उसे अनदेखा मत करो। यदि तुम पार्थों को आधा दे दोगे, तो तुम्हें बहुत समृद्धि मिलेगी। अपने शुभचिंतकों की बात सुनो और पांडवों के साथ शांति बनाओ। उनके साथ स्नेह और मित्रता से रहने से तुम सदैव सौभाग्यशाली रहोगे।"
भागवत यान पर्व- अध्याय ७८५(१२२)
Thank you so much for this information
केवल कवि के व्याख्यानों में ही सर्वशक्तिमान है। बोलने/लिखने और करने में बहुत अंतर है। भागवत, व्यास, द्रोण सबने अपने अपने हिसाब से अपने प्रिय अर्जुन की प्रशंसा की है। जब कोई लेखक किसी योद्धा की व्याख्या करता तो लगता है वह योद्धा ही सर्वेसर्वा है उससे शक्तिशाली कोई नहीं। किन्तु जब उसके समतुल्य या श्रेष्ठ योद्धा टकराता है तब सच्चाई कुछ और ही निकलती है। भीष्म द्रोण कर्ण किसी भी एक योद्धा को अर्जुन वीरतापूर्वक नहीं मार सके। महाभारत फाइनल युद्ध में देखो अर्जुन को कर्ण ने कैसे परास्त किया और जीवनदान दिया था।
@@VRgodse अर्जुन द्वारा कर्ण को जीवन दान देना:
पुण्यात्मा अर्जुन ने कर्ण का वध नहीं किया🙏🏻
"एक बार फिर अर्जुन ने कर्ण की छाती के बीच में कई सीधे चलने वाले और मजबूत बाणों से वार किया जो पूरी तरह से लोहे के बने थे और सोने के पंखों से सुसज्जित थे और प्रत्येक बाण संहारक की आग की छड़ के समान था, जैसे अग्नि के पुत्र ने क्रौंच पर्वत को भेदा था। तब सूतपुत्र ने अपना धनुष, जो शक्र के धनुष के समान था, और अपने तरकश को एक तरफ फेंक दिया, जिससे उसे बहुत पीड़ा हुई और वह निष्क्रिय, स्तब्ध और लड़खड़ाता हुआ खड़ा रहा, उसकी पकड़ ढीली हो गई और वह स्वयं बहुत पीड़ा में था। पुरुषार्थ के कर्तव्य का पालन करने वाले पुण्यात्मा अर्जुन ने ऐसे संकट में पड़ने पर अपने शत्रु का वध नहीं करना चाहा।"
कर्ण पर्व- अध्याय ९०
@@VRgodse कर्ण के गुरु भगवान परशुराम द्वारा श्री कृष्ण और अर्जुन की शक्तियों का वर्णन जब श्री कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आये जहाँ उनके तीनो शिष्य उपस्थित थे 🙏🏻
"प्राचीन काल में नर द्वारा किया गया कार्य महान था। लेकिन नारायण अपने अनेक गुणों के कारण उनसे श्रेष्ठ थे। हे राजन! इसलिए अपना अहंकार त्यागो और धनंजय के पास जाओ, इससे पहले कि कोई हथियार गांडीव धनुष पर चढ़ाया जाए। उसके पास ककुदिका, शुक, नाका, अक्षसमतार्जन, संतान, नरताना, घोरा और अज्यमोदक हैं। 53 इनसे छेदे गए सभी मनुष्य अपनी मृत्यु का सामना करते हैं, या पागल होकर घूमते हैं, या अपनी इंद्रियों को खो देते हैं और बेहोश हो जाते हैं, या सो जाते हैं, या इधर-उधर कूदते हैं, या उल्टी करते हैं, या पेशाब करते हैं, या लगातार रोते और हंसते हैं। पार्थ के गुण असंख्य हैं हे भरतवंशी! यदि तुम यह सोचते हो कि तुम्हारे साथ कोई मतभेद नहीं होना चाहिए, तो शांति के लिए प्रयास करो और युद्ध के बारे में अपना मन मत लगाओ। हे कुरुवंशी! तुम्हारा वंश पृथ्वी पर अत्यंत पूजनीय है। हे सौभाग्यशाली! इसे ऐसे ही रहने दो। अपने लिए जो श्रेष्ठ है, उस पर विचार करो।"
भागवत यान पर्व- अध्याय 757(94)
@@sagardasar6284 You are most welcome bro. It is from Bori Critical Edition-The Authentic Version of Mahabharat
परमपूज्य आपकी कथा सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है
Garvanvit hu
Me Maharaj Karna ki mitti ki paidaish hu
I ❤ KARNAL
Mujhe Garv hei ki mei Arjun ki mitti ki paidaish hu .. Kam se kam logo ko bina Karan jinda jalane ki koshish toh nahi ki
@@krishnadeogam4840 sahi hai...Jai krishna Arjun...
जय श्री राधेकृष्णा जी।
🙏❤️🌹🥳🥳❤️🙏
कहानी सुनाते सुनाते आतंकवादियों को जोड़कर हमारी भावनाओं से अच्छा खेला आपने....यही खेल वर्तमान सरकार को बताते तो पाक, चीन को ऐसा सबक सिखाते की हमे भारतीय होने पर अधिक गर्व महसूस होता....
JAY SHREE RADHE KRISHNA 🙏
arjun would win every war against every warrior no matter who is he because arjuns soul is full of krishna
Without krishna arjun cant win bhishma, durnachariya, karn( kabas kundal hote hue use marna impossible tha, or bijaya dhonush halaki woh bijaya dhonush se normally use nhi karta tha), bhagdatt( bhagdatt ka boishnob ashtra arjun mar he dala tha agar krishna khara na hua hota to coz boishnob ashtra ka koyi tord nhi hein), jorachand etc etc
Sob krishna ka lila tha...
@@NAYANJYOTI9988 agar arjun divyastra use karta toh kya hota vai...........krishna told him not to use because that would be against the world.......divyastra sab arjun k paaas the bro........karn has lost everytime when he has faced arjun .....dwaupati swayember. virat yudh and so on
@@arjunchalise996 tereko sirf ek he answer kafit hein....
Agar arjun itna khatarnak tha to bhishma , durnachariya, karn, ko chal karke marne jarurat kya tha....
Karn kavi bijaya dhanush use nhi kiya tha sirf youdh ke antim din use kiya tha. job bijaya dhanush use kiya tha tob arjun ko piche haatna para tha or uska picha karte karte karn ka rath faash gya tha kyunki abishap tha... Or karn dibya ashtra bhul gya tha... Woh v abishap tha....
Ishliye karn mara gya tha wo v rath ka paiyan uthate samai.... Karn ka kabas kundal rehte ushko mara nahi ja sakta tha isliye ushka kabash kundal china gya...
Karn ushka sishya tha jo arjun ka guru ka guru tha...
Sob bhogowan krishna ka kiya dhara hein unhi ka lila tha samjha...
@@NAYANJYOTI9988
Go and read bro
Arjun has defeated karn 12 times in war each and every time
I think you have watched only teleserials ❤️
@@arjunchalise996 but arjun ke pass karn ko marne ka koyi ashtra nahi tha.... Kyunki karn ke pass kabash kundal tha.....
Bur arjun ko marne ke liye karn ke past amokh sakti tha... Jishka koyi tod nahi tha...
Or karn ne to nag astra se arjun ko mar hi dala tha par bhagwan krishna ne rath ko daba diya tha...
Bhagwan krishna ne v karn ko proshangsa kiya tha to tum kon hote ho karn ko kamjor kehnewala...
Sob krishna ka lila tha that's it....
Bhagwan Krishna jesa sarthi milne se ek kamjor admi v mahan se mahan youdha ko hara dega...
Jai shree krishna 🙏🙏
Karan was very brave warrior in the world.
Really... Don't judgement one way... All system are wrong... Jo apko bataya gaya wohi sach nahi... Sach kuch aur hai....
यदि कोई महाभारत का रचयिता हैं जिस के कारण यह सब हुआ उसका सबसे बड़ा गुनहगार हे तो वो भीष्म है, 😢😢
एक बेटी ऑक्सफोर्ड और एक बेटी कैंब्रिज में पढ़ती है और जनता को भक्ति का पाठ पढ़ाया जा रहा है
बस इन्ही भक्तों की महिमा है
Tujhe esme bhi dikkat h
Bhai wo Krishna aur ram ki wajah se is makam taj pahucha hai.
Haan to kya ho gaya tu apne bachcho ko Miya khaleefa ki video dikha kaun rok raha hai
Tu pakka katela hai
Koi problem to nahi honi chahiye padhne me kahi bhi ho jai madhav
महारथी महायोध्या महादानी कर्ण की जय हो, कर्ण ने अधर्म का सात जरूर दिया लेकिन उनसे बडा योद्धा कोई नहीं था,
अच्छे लोगो को जल्दी मुक्ति मिलती है...जय श्री किष्ण
Har Har mahadev🙏🙏🙏🙏🙏🙏 jai shree ram
Wah re dhanveer tere jaisa na koi ho ska na hoga
Wah kya hi daanver tha khud daan deta hain or uske badle amog astr maangta hain.
Daanveer nahi vyapari tha sony putr karn.
Karn ke pichle janm ka pd le bahi kitna bda rakchs tha fir bolna daanveer karn.
Seriel chod ke mahabhart pdo.
@@deepaksinghchauhan5073 tu apna hi pichla janam bata de
किसी विक्षिप्त इंसान और नीच चरित्र क़े व्यक्ति का महिमामंडन सिर्फ भारत क़े साधु संत और कवि ही कर सकते हैं /
@@elton5544 purani wali me app bata do ki kab ki koshish madhav ne bhai apne padhi he na
@@elton5544tum konsi purani wali manipulated pdhke aaye ho. Jb itna smjhaya bhgwan ne fir bhi adharmi hi rha to neech to hua hi. Tumjaise log hi ravan karm ko bdhava dete ho. Warrior the dono pr adharmi the
@@elton5544 manuplated ही पढ़ी हैं जो प्रसंग आप बता रहे हो वेदव्यास जी की मे एक भी नहीं हैं पढ़ क़े देखिये
Right
Paandav bhi draupadi cheer haran mei barabar ke bhagidar the tb kyu nahi utaya Arjun nei apna gaandiv aur bhim ne apni gada jb uska cheer haran ho rha tha kyu abhi chupchaap baithe dekh rhe the peedit woh hota hai jo apne upar hone wale atyachaar ko rok na ske paandav toh saksham the paandav hi the jisne Draupadi ko daav pe lgaya tha fir kis adhikar se woh kh skte hai unke sath atyachaar hua
Abhimanyu ki martyu se phle pitamah ki martyu kya dharm se hui thi jb Arjun shikandi ke peeche se teer chla rha tha aur agar Arjun Karn ko maarne mei saksham tha toh kyu usse nihathe hone pe maarna pda Yash aur khyati kisko pyara ni hai agar Arjun fairly Karn ko maarta toh uska naam hota mgar woh capable ni tha esliye usko nihatha maarna pda@@adarshmishra4763
महान वो नही होता जो गलत का साथ दे महान वही जो सही का साथ दे 😊😊
Dd
True
@@satendrasingh-ro2wvb. J. Bb
Lppppl
Ll..
.
Ppp😊😊😊ouuoo.m😊😅😊😊😊😊😊😊😊😊l😅😅ppp0 16:27 pnnn😅nl
Pppppppplppppppllllpppplllllll llpppp😅pp😅pol😅😅pppp😂@@Annie_R18
Pppp😅ppp
जय हो, जय श्री राधा कृष्ण, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
Jai shree Radhe Krishna 🙏
अर्जुन महान थे और कर्ण गलत के साथ थे और दुर्योधन के हर पाप मे सहभागी थे और रही बात अर्जुन और कर्ण की तो थे तो दोनों भाई ही पर एक धर्म के साथ थे और दूसरे अधर्म के साथ थे
Aapne sahi bola ji
Right
Or Arjun se har baar haar Chuka h jo mahadev ke sath yudh. Kar chuka ho or yudh me mahadev ko bhi parshan kar chuka ho usko kon hara sakta h Arjun sabhi bado ka aadar karne wale yodha nari jati ka samman karne wala
Karn legend the .. or karn or duryodhan .. mitrata ki masal h.
महाभारत में कण महान चरित्र वाला व्यक्ति था मित्र धर्म निभाना भी धर्म है @@SachinSinghKamal-bp9qr
अगर धर्म की कोई बात पूछ लू तो मुह बन जायेगा तुम्हारा धर्म अधर्म को अभी तुमने जाना हि नही है लगता है
Jai Jai Raghunandan Shree Ramji Jai Jai Shree Sankat Mochan Mahabali Hanumaanji Jai Jai Shree Radhe Krishna Har Har Mahadev Shubh Janamastmi
राष्ट्रकवि "दिनकर" को नमन
Dinkar ji ki kavita Rashmirathi kya hi adhbhut rachna hai aaj bi koi kahe koi sune goosebumps guarantee
कर्ण से बड़ा कोई योद्धा नहीं कर्ण से बड़ा कोई दानी नही कर्ण से बड़ा कोई योद्धा नहीं❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
करण अनीति का साथी था
Jai Karn ❤🎉🙏🚩
अति सुंदर कुमार विश्वासजी 🙏🚩🚩
❤❤❤ KARNA IS WAS AND ALWAYS WILL BE THE ONLY SUPER BEST IN THE ENTIRE MAHABHARATA ❤❤❤
Rashmirathi wala karn
😂😂😂 ek baar pad lete Mahabharata,fir change Krna apna statement 😊
किसी ने भी वेद व्याजी रचित महाभारत ग्रंथ नहीं पढ़ा है , जिसमें कर्ण अर्जुन के सामने जब जब आया है, तब तब हारा है।
#1. द्रौपदी स्वयंवर - जब अर्जुन ने कर्ण के धनुष को काट उसको निहत्था कर उसको पलायन करने पर विवश कर दिया
2. विराट युद्ध - जब अर्जुन ने कर्ण सहित सभी कौरव महारथियों को हराया
3. 14वें दिन के युद्ध में - उस दिन कर्ण परलोक सिधार गया होता , अर्जुन का अर्द्ध चंद्राकार नराच बाण लहुलुहान कर्ण (सात्यकि और भीम से हारने के बाद) को छुने से पहले अश्वत्थामा की दिव्य भुषुण्डि द्वारा काट दिया जाता है, और कर्ण बच जाता है।
4. 14वें दिन मध्यरात्रि का युद्ध - कृपाचार्य को अपमानित करने के बाद , दुर्योधन द्वारा समझा बुझा कर कर्ण फिर अर्जुन के सामने फिर आया , इस बार अर्जुन ने उसके हाथ पर ऐसा वार किया कि उसका विजय धनुष दूर फेंका गया । फिर अर्जुन उसके रथ को ध्वस्त , घोड़ों को मारकर और सारथी को घायल कर देता है। कर्ण भाग कर उन्हीं कृपाचार्य के रथ पर सवार हो जाता है, जिनका उसने थोड़ी देर पहले अपमान किया था।
5. युद्ध के 17वें दिन - अर्जुन के अंजलिकास्त्र द्वारा कर्ण का मस्तक धड़ से विलग (कि वो अंत में अपने सोने का दाँत श्रीकृष्णजी को देने लायक भी ना रहा - फर्जी कहानी है । )
लोग कहते हैं कि कर्ण को निहत्था क्यों मारा गया ? - वेद व्यासजी के महाभारत में ऐसा वर्णन नहीं कि कर्ण निहत्था होकर मरा था।
फिर भी जो सर्वाधिक प्रचलित है कि निहत्था मारा गया तो , यह आदेश स्वयं भगवान श्रीकृष्णजी द्वारा दिया गया था कि जब कर्ण का रथ धरती में धंसने लग जाए तो उस समय अर्जुन उस पर बाण चला दें, ताकि कर्ण को उसके अपराध का स्मरण हो सके तथा उसे अभिमन्यु की उस स्थिति का भी स्मरण दिलाया जा सके, कि उसे भी निहत्था कैसे मारा गया , जिसमें कर्ण भी सम्मिलित था।
लोग कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सामने एक दो बार कर्ण की प्रशंसा क्यों की? ताकि उनके परम भक्त अर्जुन को अहंकार भाव उत्पन्न ना हो और वह अपने कौशल को और भी अधिक निखार सके।
नोट: ग्रंथ के अनुसार कर्ण द्वारा अर्जुन का रथ कभी पीछे नहीं किया जा सका है।
अब तो धर्म की अजय पराजय से किसी का वास्ता नहीं, अब कहां हैं भगवान, बुला लो sir
अभी ज़्यादा जरूरी है उनका होना
जय श्रीकृष्णा 🙏🏾 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🏾
जिसके रथ पर बजरंगबली और नारायण विराजमान हो उसको कोई नही हरा सकता❤
Kisi ko bhi heran sambhav he
बरना अर्जुन कुछ नहीं था कर्ण के सामने
@@raajanranjay4273 Achha 😂
Iske babujit 3 hanth piche kar diya❤❤❤❤
Karn ko chhal se mara varna khud krishn bhi darte the Karn se to arjun kya hai
ramadheer singh ji dinker ko sat sat naman ..jo itni pyaari kavita likhi ........
Gaali dene ka man karta hai us aadmi ko, kavita nahi likha, kachra likha hai kachra.
@@tusharranjan1054 jaki rahi bhawna jaisi prabhu Murat din taisi nihari
@@anuraggarhewal3039 please simple hindi mai ka ho kyakehna chahte ho. Ramdhari singh ko mai galat isliye bol raha hun kyunki unhone karn ki itni mahimamandan karke galat kiya.
@@tusharranjan1054 karan ka side nahi kiya ja sakta per han yoddha to yo tha is baat ko to khud Shri krishna ne kaha hai hame jivan me aacha ho ya bura usse seekh Lena chahiye hum judge nahi kerna chahiye...
राजनीति में असफल हो गए तो कथावाचक हो गए कवि महाराज। अच्छा बिजनेस हैं।
Jai ho... adbhut. Jai Bhagwan Krishna, Jai Narayan 🙏
श्री किसन ने अर्जुन को नही चुना बल्कि अधर्म के विरुद्ध धर्म को चुना
Ek hi baat hai
जन्मजात कुंडल कवच,
थे अंगो के अंग वही काट कर दे दिये,
अदभूत दिव्य प्रसंग
Radha Krishna Karna
आपकी कथा का सम्मान करते हैं परंतु अपने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट में कर्ण के लिए अलग ही बोला है
कृष्ण,कंस, कुमार विश्वास वाह क्या बात है 🙏🙏🙏🙏🙏
Karn❤❤❤❤
ये देखो ये उस महान महात्मा महा दानी कर्ण की मौत पे तालियां बजा रहे हैं जिनसे 10 रुपया मांग लो तो मुंह बना लेंगे।
Aap ko ham ader karte hai ❤❤❤
Mahan atma 😅😅😅 kaheka mahan jo logo ko jinda jalane ki soche , bish dekar marne ki koshish kare wo mahan 😂😂😂
Tujhe 10 rupee koi kyu dega bhik mangle mil jayenge
10 rs chahiye hi kyu bhai tuje... Or karan ki maut pe taliya nhi bja rhe h Shree krishna ki leela pe bja rhe h
Aapne kitne rupiye diye vo bta do....
जिसके पास स्वयं श्री कृष्णा उससे शक्तिशाली कोई नहीं
जय श्री कृष्णा 🙏🙏
कर्णपुत्र वृक्षसेन का जैसा अंत हुवा, ओ धर्म था 🤔
Sahi bat, Abhimanyu सबको yad hai, Vrishsena kisi ko n pta hoga.
Bhaio us ranmedan me jo the vo parmatma hai. Dharm hua ya adharm vo hame nahi decide karna hai. Kyu ki parmatma khud us ghatna ke sakshi the.
Ham jante hain maharathi karn jaisa mahantam Mitra our manunsya nahi mil sakta aasani se kyonki vo uneek tha 👍👍
आपकी वाणी का मै दिवाना बन गया जी.
20:00 Maana sb galt tha
lekin jab krishna ko sab kuch suru se pata hi tha ki kb kya hoga ,
toh fir wo jab karn ko sut put sb kh rhe the aur jab karn itna dukh shta rha apne pure jiven me , tb ye krishna ne kyu nhi sabko bataya ki karn kaun hai ( mai kissi k side nahi hu ) Bss ye dhrm aur adhrm Alg hi tha ... 😐
आप यूट्यूब पर श्री कृष्णा सीरियल का एक एपिसोड सर्च कीजिए जिसका नाम है" पांडवों ने दि करण को तिलांजलि" उस एपिसोड में आपको अपने सवालों के जवाब मिल जाएंगे
Karna karna karna 3
❣️राधे राधे ❣️
Karna jesa koi nehi❤
Me hun
Karan jaisa koi yodha nahi tha
Ham woh ho bhi nahj skta itna gatiya nich paapi.
Daan deta hain amog astr maangta hain. Vyapari.
Bahri sabha mai stri ko bina vastr lane ka idea dene wala sony putr karn veer yodha.
Lakshagarh mai samiiliit karn. Arjun ko chal se maarne ki sajis.
Abhimanyu ko marne wala papi.
Woh bhi 8log eak sath.
Siksha bhi chal se prapt krne wla sony putr karn.
Dropadi ko vesya kehne wala koi veer yodha hi ho skta hain.
Karn is best ony sony putr karn seriel.
Reality virat yudh ke bare mein pado.
Bhai ji karna bhaut acha yodha the lakin Arjun se bada koi yodha tha hi nhi mahabharat ke yudh me agar koi bada tha to vo Krishna ji the Arjun chata toh Virat yudh me sabko mar deta os Samy akele hi eak sath yudh me sabko Hara diye the vo bhagwan vishnu ji ke avtar the. Nar arjun or naryan Krishna ji the
कोन कोन मानता है की @kumarvishwas सबसे अच्छे कवि है जो भी मानता है बो लाइक ❤ करे 😊
Ji ham khud karna ke vanshaj hai par arjun arjun the unka koi mukabla nahi
To fir tu kahi Jake dub maar😡
सादर नमन। जय श्री कृष्ण
ये वामपंथी विचारधारा से है न इसीलिए अर्जुन से ज्यादा कर्ण और दुर्योधन की तारीफ करते हैं।
@@YTOfficial9778 आदरणीय कर्ण भी बहादुर थे हम उन्ही के वंशज है और अर्जुन कोई अलग नही उनके भाई ही थे पर अर्जुन अर्जुन थे तब उनका कोई मुकाबला नही उनका मुकाबला हो सकता है तो मेघनाद और लक्ष्मण से
mere pyare bhai karan ki taareef to khud krishna ne bhi ki thi.........
Agree...yeh kalyug hai ..yaha Arjun se jyada Karna ka gungaan karnewale hi log milenge.....sharm ki baat yeh hai ki Kumar vishwas jaise padhe likhe bhi actual Mahabharat padhe Bina hi Gyan de rahe hai
@@arjunraval20066 karan ke gungaan ki baat nahi hai ye baat hai ki kya hum karan ke 1% bhi hai ....hum kun hote hai judge kerne wale or side kebe wale sab Krishna hi hai kya Arjun kya karan
@@arjunraval20066 जी लोग पागलपन है दोनो एक माता की संतान थे परिस्थितिजन्य कारण उनहै आमने सामने ला दिया दोनो ने धर्म निभाया जैसा जिसने समझा जो लोग दोनो की तुलना करते है कभी उन्होने खुद से किसी की तुलना की खुद का धर्म निभाता नही और औरो की बात देश की गुलामी का मूल कारण यही है मै खुद करण के वंश से हू हम आज क्या कर रहे है तुम मेरी बुराई और मै तुम्हारी इसी मे खुश है जो देश पर कब्जा करना चहते है उनके रास्ते साफ है
प्रतीत ऐसा होता है कवि महोदय को ज्ञान प्राप्त हो गया है, आप को भी शायद ऐसा लगता ही होगा, इस कहानी से जो अनुभव हो रहा है वो कहानी ही लगे तो शायद कुछ ले पाएंगे।
कर्ण को अपनी जिन्दगी मैं कभी कुछ नही मिला। माता ने जन्म देकर छोड़ दिया। दुर्योधन ने उसे मान सम्मान दिया। जय हो महा दानी कर्ण की।
To pandawo ko kya mila tha sayad kuch bhi nhi wo to ek gaaw leke bhi khus the
@@AbhishekVerma-vp2xw जिनका साथ साक्षात श्री कृष्ण दे रहे हों और उनको क्या चाहिए।
Hare Krishna Prabhu ji Dandavat Pranam 🙏
jai shree krishna
छाया वृक्ष का साथ छोड़ सकती है हिम हिमालय का त्याग कर सकता है धूप सूर्य का त्याग कर सकती है पर ये राधेय अपने मित्र का साथ नही छोड़ सकता ।।।।
❤❤❤ jai ❤❤ shree❤❤krishna❤❤❤
Jay Shree Krishna❤️🙏❤️
महाभारत में मुझे कर्ण से अच्छा कोई नहीं
Kash tumne Mahabharat padhi hoti
भगवान श्री कृष्ण भी नहीं क्या??
Sirf serial mat dekho kabhi padho bhi Mahabharat or Virat yuddh bhi
Ek bar भीष्म के बारे मे भी सोच लेते.jinhe harana muskil hi tha..
दानवीर तू धर्मवीर तू सम्भल है आरत का।जो न कभी बुझ सकता वो दीप है महाभारत का।
कर्ण आधर्मि था.....व्यास रचीत महाभारत ध्यान से पढो...
Sonyputra😂😂😂
श्री कृष्ण जी ने गीता के 18 अध्याय में सभी स्पष्ट कर दिया है। फिर कौन हारा कौन जीता यह अर्थ व्यर्थ है।
Jai Shri Ram Har Har Mahadev Ram Har Har Mahadev
कर्ण के बिना महाभारत की ख्याति अधूरी है ..।।
Swami Ji agar aap ke pass kuch time hei to kripa karke Puri Jagannath Dham me ake eak program kar sakte hai kya please. Jay Shree Jagannath