Are to unko bhi bol rahe ho na ki juwe me hare warna uske alawa kya galti ki thi us insan ne pure jivan me , jo jaisa karta hai itihas use usi tarah yad rakhta hai.
Abe bewakoof duryodhan apne fayde ke liye karna ko raja banaya tha. Jo duryodhan pandav ko thodi si jameen bhi nahi dena chahta tha, woh duryodhan kyun karna ko raja bana dega? Usne bus apne fayde ke liye kiya.
जो अपने वरदान का दान करके भी अपने मित्र का साथ दे उस दानवीर कर्ण पर हमे गर्व हैं! कर्ण हारा नही हराया गया हैं और अर्जुन जीते नहीं उन्हें जिताया गया हैं!!🙏
Karn ko Arjun se ladana tha aur duryodhana ko Arjun ka competitior chahiye tha to bss .. duryodhana ne mitr bna liya aur karn bhi bn gya pr karn jalan me itna andha ho gya ki wo mitr banne se pahle duryodhana ke swarth ko ni pahchana Duryodhana ne karn ko sirf use Kiya hai apne ladai ke liye duryodhana ke pas koi dhanurdhari ni tha jo Arjun ko takke de sake
इसी कारण तो उनको कृष्ण के होते हुए वनवास और अज्ञातवास मिला और उन्होंने वो पूर्ण भी किया और इसी पर कृष्ण ने पांडवों को भी डाटा था।। तो भाई कर्ण का होना भी जरूरी था युद्ध के लिए और ये युद्ध होना भी जरूरी था क्युकी इस युद्ध से उस काल के जितने भी अधिकतर महारथी थे जिनके पास दिव्यास्त्र और ताकतवर अस्त्र शस्त्र थे वे भी समाप्त हो गए उसी युग के साथ।।
श्रीमद् भगवद गीता: अध्याय १८, श्लोक ७८🙏🏻 "यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर: | तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ||78||" "जहाँ भी योग के भगवान कृष्ण रहते हैं, जहाँ भी धनुषधारी अर्जुन रहते हैं, वहाँ समृद्धि, विजय, खुशी, स्थिरता, नैतिकता और मेरा मन है 78||" "Wherever there is Shree Krishna, the Lord of all Yog, and wherever there is Arjun, the supreme archer, there will also certainly be unending opulence, victory, prosperity, and righteousness. Of this, I am certain."
Sir कर्ण को जब ओलंपिक के लिए खेले जाने वाले क्वालीफाई मैच में बिना खेले ही बाहर कर दिया उसकी योग्यता जाने बिना उसको मैच खिलाये बिना तो क्या ये अन्याय नही था,
Abe ye to sikhshya h ...ki tum kitne hi talented ho...but glt ke sath rhaoge...tmhari sangati duryodhan jaiso ke sath rhegi...to anjaam yhi hoga👍🏼 motive smjh...
@@notashishjaiman21 Eek stree ko wastu samjh ke jua mai lagana dharm hai, aapne biwi ko laga do juye mai aur dharm batao bhai, eek akele stree ko jab maa ne kaha ki baant lo apas mai , tab pandavo ki dharm kaha gaye, stree koi bastu hai jo aapas mai baant le, tab to maje mai baant liya, dharm adharm eek vastu ya vkyti visesh nhi hota dost, par issse yeh justify nhi hota ki karn ko mara Jana adharm hai, bilkul bhi nhi
Not exactly Ye jo dharm bata raha hai isse pucho jab dharmaraj yudhishthir dropti ko ek vastu samajh ke juve me rakh ke har gye to dharmraj kaise ho gye
जिस दिन द्रोणाचार्य, और पांडव कर्ण को सूत पुत्र कह कर सम्बोधित कर रहे थे। क्या वाह धर्म था. क्या महाभारत में सारे प्रतिबन्ध कर्ण के लिए ही लगाए गए थे। अब आप खुद सोचो जिस चार श्वेत अश्व वाले रथ पर स्वयं श्री कृष्ण ध्वज के कक्ष में श्री हनुमान जी सवार हैं, हमारे रथ को 5 इंच पीछे कर देना छोटी बात नहीं है। इसी बात पर श्री कृष्ण जी ने भी कर्ण की प्रशंसा की थी. कर्ण तुम महान थे हो रहोगे. 🏹
Kisne kaha bhai? Mahirshi vedvyaas ke mahabharat me aisa kuchh likha hi nhi hai..... Jara "parv no" Aur "shloke no" Batao???? Jisme ye baat likhi ho jo tum bol rahe ho..... Serial dekh kar andbhakt mat bano
Even karn sabse pahle dronacharya ke shisya the..... Bad me karn ne demand ki, ki use Brahmastra vidya chahiye.... Lekin dronacharya ne mana kar diya.... Krodhit hokar karan waha se chala gya... Aur fir guru parshuram se jhuth bolkar vidya prapt kiya......... Mahabharat padho.... Tv mat dekho
जब भीम ने कर्ण को बार बार सूत पुत्र कह कर अपमानित किया तब भीम का धर्म कहा गया। कर्ण ने बार बार युधिष्ठिर को दूत खेलने को मना किया तब युधिष्ठिर का धर्म कहा गया। कर्ण ने भले ही अधर्म का साथ दिया पर वह धर्म था। उसे निहत्थे इसलिए मारा की उस पर सराफ लगा था। यदि वो विजय धनुष हाथ में ले लेते तो अर्जुन कर्ण का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते थे।
स्वयं त्रिलोकी नाथ रथ पर विराजमान होकर मारने कि आज्ञा दे रहे थे तो आप और हम कौन होते हैं सही और ग़लत का फैसला करने वाले कर्ण निहत्था नहीं थे उन्होंने अपने विजयधनुष को हाथ पर रखा था ।❤❤सब प्रभु कि कृपा है
Bhai kese ye dharam aur adharam ki ladai h ye ek ghar ki ladai h jo jameen ke piche hue thi isse only itna sikhne ko milta h jo tumhari jameen pr kabja kr le use maar dalo ya uske sath jitna bura krna chahte ho wo kro bs iske alawa kuch nhi milta isse sikhne ko
Karan is not remembered for that. He is remembered bcz he is the greatest dhanveer of all time. He donated karna kundal and kavach knowing very well that he can die. He donated his gold tooth on his death bed.
Kya well said be gadhe sutputra ko kyu sastra vidhya nahi sikhne dete the siksha sabke liye hoti hai na ye tere Kumar ko nahi Pata kya 😂😂 no doubt ki karn ne bahoot galtiya ki uske liye karna ka side nahi le sakte par galat toh uske sath bhi hua hei tha bhai ye accept karna chahye
Krishna ne toh duryodh ki v tarif ki thi Even Ram praised ravan that doesn't mean that they were good peoples BTW Don't rely on the knowledge of Mahabharata from TV serials; go and read the authentic Mahabharata. Karna was inherently an insecure and jealous person with an inferiority complex. During Draupadi's disrobing, after Dushasana, it was Karna who insulted and humiliated Draupadi the most.
@@rishabhadarsh5227bhagwan ne kabhi tarif nhi ki 😂😂😂 geeta ji mein bhagwan spast kha. Ye arju tu mera priye bhakt hai mera priye sakha hai tu mujhe atyant priye isliye tujhe abh apne wo rup dhikane ja rha hu jo kabhi kisi ne nhi dekha
@@mayanktomar1898 nhi karn ki charity ar prakaram ki tarif ki thi. Ram ji ne v ravan ke gyan ki tarif ki thi tabhi marne ke tym laxman ko uske pass veja tha.
कर्ण का वध छल से नही हुआ था: 'संजय ने कहा, "वासुदेव अपने रथ पर बैठे थे। उन्होंने कहा, 'हे राधेय! यह सौभाग्य है कि तुम्हें धर्म का स्मरण है। प्रायः जब मनुष्य कष्टों में डूबे होते हैं, तब वे भाग्य की निन्दा करते हैं, परन्तु अपने बुरे कर्मों की नहीं। हे कर्ण! जब तुम, सुयोधन, दुःशासन और शकुनि सौबल द्रौपदी को एक ही वस्त्र पहनाकर सभा में लाए थे, तब क्या धर्म ने तुम्हें दर्शन नहीं दिए थे? जब सभा में पासा चलाने में निपुण न होने वाले युधिष्ठिर को पासा चलाने में निपुण शकुनि ने पराजित कर दिया था, तब धर्म कहाँ चला गया था? हे कर्ण! अपने समय में कृष्णा दुःशासन के अधीन सभा में थे और तुमने उनकी हँसी उड़ाई थी। तब धर्म कहाँ चला गया था? हे कर्ण! गांधार के राजा का आश्रय लेकर और राज्य के लोभ में तुमने पाण्डवों को चुनौती दी थी। तब धर्म कहाँ चला गया था?" जब वासुदेव ने राधेय को इस प्रकार संबोधित किया, तो पांडव धनंजय को यह सब याद आ गया और वे बहुत क्रोध से भर गए। क्रोध की तीव्र ज्वालाएँ उनके शरीर के सभी छिद्रों से निकल रही थीं और यह असाधारण था।" यह देखकर, कर्ण ने फिर से धनंजय के विरुद्ध ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उसने बाणों की वर्षा की और उसके रथ को निकालने का प्रयास किया। पांडव ने अपने ही शस्त्रों से उन शस्त्रों का प्रतिकार किया। तब कौंतेय ने अग्निदेव का प्रिय दूसरा अस्त्र कर्ण की ओर छोड़ा। वह भयंकर रूप से प्रज्वलित हुआ। कर्ण ने वरुण अस्त्र से अग्नि को शांत किया। उसने सभी दिशाओं को बादलों से ढक दिया और चारों ओर वर्षा के दिन जैसा अंधकार छा गया। पांडव भयभीत नहीं हुए। राधेय ने देखते ही देखते, वीर ने वायव्य अस्त्र का प्रयोग किया और सभी बादलों को हटा दिया। महापुरुष के ध्वज पर हाथी के आवास के चिह्न थे। वह सोने, मोतियों, रत्नों और हीरों से सुसज्जित था। उसे बहुत समय तक उत्कृष्ट कारीगरों द्वारा तैयार किया गया था। वह महंगा और सुंदर रूप वाला था। यह हमेशा आपके सैनिकों को प्रेरित करता था और शत्रुओं को भयभीत और भयभीत करता था। यह संसार में प्रसिद्ध था और सूर्य और चंद्रमा की तरह प्रज्वलित था। किरीटी ने एक धारदार बाण का प्रयोग किया जो सोने के जड़े हुए और नुकीले। इसके साथ ही, उन्होंने महारथी अधिरथ के पुत्र का सुंदर और प्रज्वलित ध्वज नीचे गिरा दिया। हे पूज्य! जब वह ध्वज उखड़ गया, तो यश, धर्म, विजय और कौरवों के हृदय को प्रिय सभी चीजें भी गिर गईं। महान विलाप की ध्वनि उठी।
मैं आपसे तो बहुत अल्प हूँ विश्वास जी, आयु में भी और विवेक में भी अगर मैंने भूलवश किन्हीं अपशब्दों का प्रयोग किया हो, तो मैं दण्ड स्वरूप क्षमा प्रार्थी हूँ।
कर्ण के प्रिय मित्र दुर्योधन भी जानते थे अर्जुन जी के समान कोई नहीं था: "धर्मपुत्र राजा युधिष्ठिर से ये वचन कहकर उलूक जिष्णु की ओर मुड़ा और बोला, 'हे अर्जुन! बिना घमंड के युद्ध करो। इतना घमंड करने की क्या आवश्यकता है? सफलता तो कर्म का फल है। घमंड से सफलता नहीं मिलती। हे धनंजय! इस संसार में यदि कर्म के बजाय घमंड से सफलता मिलती, तो सभी सफल होते। दुष्ट भी बहुत घमंड कर सकते हैं। मैं जानता हूँ कि वासुदेव तुम्हारे सहायक हैं। मैं जानता हूँ कि गांडीव ताड़ के वृक्ष जितना ऊँचा है। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे बराबर कोई योद्धा नहीं है। यह सब जानते हुए भी मैंने तुम्हारा राज्य छीन लिया।" उलूक-यान पर्व- अध्याय ८२९(१५८)
Even a great warrior like Karna from the Mahabharata faced dire consequences by supporting the wrong people. It seems Lord Krishna's message was meant to guide people of Kaliyug: that no matter how powerful you are, aligning with the wrong cause leads to downfall.🕉️🙏
यह जो आज के सीरियल और फिल्म कर्ण को महान बनाकर कमाई कमा रहे हैं पर वास्तविकता तो यह है की जिन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी भगवान वेद व्यास जी उन्होंने कर्ण के चरित्र को महाकाव्य के शुरुवात में ही लिख दिया है🙏🏻 "दुर्योधन काम-वासना से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, कर्ण उसका तना है, शकुनि उसकी शाखाएँ हैं, दुःशासन प्रचुर फल-फूल है और बुद्धिहीन धृतराष्ट्र उसकी जड़ है। युधिष्ठिर धर्म से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, अर्जुन उसका तना है, भीम उसकी शाखाएँ हैं, माद्री के दो पुत्र उसके प्रचुर फल-फूल हैं, और कृष्ण, ब्रह्मा और ब्राह्मण उसकी जड़ हैं।" अनुक्रमणिका पर्व- खंड एक
Iska ye matlab nahi ki karna adharmi he iska matlab he ki duryodhana ke adharm ka adhar karna ka samarthya tha isliye use tana kaha gaya he ate use to khud shree Krishna ne Sabse bada dharmatma kaha sarvashresht Dharm rakshak kaha gaya he
Mahabharata me swam vedhvyas ji ne swam karn ki daanveer ki mahanta sarvshesth dhanurdhar ka vakhyaan Kiya Hai or aap uska apmaan Kar rahe Hai kumarvishwas ji aap ek pursarth se payi hui vidhya ka apmaan Kar Rahe hai
Yeh Satya Hai Ki Karn Ek Mahaan Yodha The Parntu Ek Satya Yeh Bhi Hai Jeevan Mein Kiya Gaya Ek Dushkarm, Pure Jeevan Kiye Gaye Sabhi Sukarmon Ko Nasht Kar Deta Hai
वास्तव में आज कलयुग ही आ गया है। जहाँ भगवान पर आरोप लगाए जा रहे हैँ और एक अधर्म का साथ देने वाले को महान बताया जा रहा है। हालांकि वो दानवीर था, लेकिन अधर्म का साथ देने के कारण उसे अधर्मी ही कहा जायेगा।
तर्क समझ मे नही आया आप का कुमार जी मिश्रा जी सवाल ही तगड़ा पूछ गये। कर्ण और कृष्ण के संबंध में। कुमार जी के पास उत्तर नही था कौन गलत है और कौन सही तभी फ्लोर और बादल, मौसम का सहारा लेना पड़ गया
Jab krishna khud kahte hai jab adharmi ko adharm se mara jaye to wo bhi dharm hota hai... To karna ko marna adharm kaise ho gaya... Karn to adharm ki taraf the na..
कृष्ण कर्ण संवाद पढ़ो। श्रीकृष्णा ने कर्ण के विक्टिम कार्ड का क्या जवाब दिया। फिर तुम्हारे कर्ण के निर्दोष होने का भ्रम उतर जायेगा। मनुष्य को अपने से हुए दुष्कर्म को ढाल बनाकर असामाजिक करने का हक नहीं। उन्होंने भीष्म पितामह को भी कहा कि आपका धर्म पाखंड है, वो मुक्ति और इंसाफ का मार्ग नहीं, अपने बचाव का हाथियार है।
कर्ण में कोई बुराई नहींथी क्यूकी वे भी पांडव के ही भ्राता थे । किंतु उन्होंने अपने ऐसे मित्र का साथ दिया जो अधर्म के साथ था । लेकिन कर्ण की ये विशेषता थी कि उन्होंने अपने मित्रता के दायित्व को समझा एवम् उसका निर्वहन किया यह जानते हुए भी की उनका मित्र अधर्म के साथ है। महान योद्धा लो बारंबार नमन । ❤
दुर्योधन निसंदेह महत्वाकांक्षी व्यक्ति था, वह हमेशा से ही पांडवों से ईर्ष्या करता था यही कारण था तभी उसने बचपन में भीम को खीर में जहर खाने को दिया था और वह अर्जुन के विरुद्ध एक कड़ा प्रतिद्वंदी अपने पक्ष में रखना चाहता था इसीलिए उसने करण को रंगभूमि के समय अंग देश का राजा बनाया था ।। अब बात करते हैं जुये क्रीड़ा की हां उसने द्रौपदी को वेश्या बोला था और सभी कौरवों के साथ बैठ के उसका अपमान भी किया था, लेकिन अंग राज करण को अपनी इस गलती पर बहुत ही पछतावा था इसका जिक्र उसने भगवान श्री कृष्ण से महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले किया था जब भगवान श्री कृष्ण ने करण से पांडवों के शिविर में चलने को कहा था ।। अंग राज करण ने कभी भी कूटनीति से दुश्मन को परास्त करने की नहीं सोची, यहां तक उसने लाक्षाग्रह वाले षड्यंत्र का भी विरोध किया था ।।
Jab Aapne apne dhanush ka tyaag kar diya ho aapke rath ka pahiya bhoomi me dhansa ho or aapko apni shakti ka vismaran ho gaya ho aise avsar ka laabh uthakar mujhe aapka vadha karna pad raha hai😢
Thanks sir Me bhi bhut cofuse tha karan ko lekar Ek bat smaj me aayi Aap bhut acche ho ya aapke karam bhut acche ho Lekin aap adhram ke sath ho phir nash hona tay he Karan hero the or rahenge
भगवान थे तो धर्म को जिताने के लिए भी अधर्म से कर्ण को मारा फिर दोनो मे अंतर क्या रहा अधर्म को हराना है तो अधर्म करो जुआ में द्रौपदी को दाव लगाना वो धर्म कर्ण के बेटे को भी पांडवों ने घेर के मारा था वो धर्म था क्योंकि वो भगवान है तो जायज है जिसने महाभारत लिखा है वो बहुत चतुर व्यक्ति था 😂
Sun mere bhai jab tere ko koi maar raha hai to tu kya usko dekhta rehega ,tere ko maar raha hai to tu b maar na usko ,wohi baat hua hai usma apne uper le k soch k dekh tab shree krishna aur Arjun achha lagega
Bhai loha lohe ko kaat ta hai usme burai kya hai yudhistir kya apni marzi se daw pe lagaya bachan se duryodhan ne bandha to mazhburi me lagaya aur uska fal bhi unko mila abhimanyu ko bhi ghairke maragaya mahabharat dekh ke ye sab sikha nahi😅 isse to achha hai apna dharam parivartan karwalo logon ko faltu ka gyan deke bhramit mat karo
राधेय! कुंती को माफ़ करो तुम तो नारी का श्राप हरो । द्वापर से द्वेष जो भुक्ता है , कहने को सिर्फ़ ये सृष्टा है दे जीवन, इसके प्राण हरो राधेय! कुंती को माफ़ करो । तुम्हें दुग्ध, मातृत्व का ना दे पाई सदियों से तृष्णा सहती आई जो धर्म के रक्षक बनते हैं बन पांडव इसको छलते है तुम खेल से इसको बाहर करो राधेय! कुंती को माफ़ करो। नारी होना अपमान भरा जीवन नहीं इसका स्वाभिमान भरा , राम ने जिसे दुत्कारा है तुलसी ने जिसको ताड़ा है , वर्षों-वर्षों डरती आई जीवन भर विष पीती आई थोथी सभ्यता से आजाद करो नारी के भीतर साहस भरो राधेय! कुंती को माफ़ करो।
Achha agar ye baat hai toh Olympic mein koi aesa toh nhi keheta ki vishwa mein us pratibhaagi se shresth koi nhi hai Dronacharya ko vishwa ko ahwahan nhi dena chahiye tha Karn🔥
Asur (agent of chaos) karm buddhi, "Mein Karm Sey Hu Karn, Meri Jaati Na Mera Varn". Karn (doing) aka Karan (reason). Nara Narayan sey Mahabharat ke yug mein kriya karwaaney waaley apney pitra (ancestor) mahaan adharmi yodha. This epic is a human perspective of an ancient civilisation's spiritual warfare.
कर्ण अधर्म के साथ था तो धर्म राज किस धर्म के साथ था यार खुद के पत्नी को दांव पर लगा दे ,ओ खुद दांव पर लग सकता था उनके भाई लग सकते थे दुसरो का गलती दिखाई देता है मगर अपना नही
विराट युद्ध हुआ था उसमें अर्जुन ने कर्ण को कई बार हराया था .......सिर्फ सीरियल देखकर इमोशनल मत रहो...... अर्जुन के पास ब्रह्मास्त्र था ,पशुपति और स्वर्ग जाकर अस्त्र प्राप्त किया भगवान शिव ने अर्जुन को विद्या दी थी ....
तुम दोनों कुर्सी पर तो बैठ गए हो लेकिन तुम दोनों ने एक बात नोटिस नहीं की कर्ण ऐसे ही मैदान में नहीं आया आचार्य द्रोण की चुनौतीपूर्ण कर्ण मैदान में आया और रही बात ओलंपिक खेल की तुम दोनों को बता दे देना चाहता हूं कि चाहे वह मैच क्रिकेट का हो या कबड्डी का खेल खिलाने वाले गुरु को सदा ध्यान रखना चाहिए कि मैच चाहे गांव में हो आया नेशनल स्टेडियम में हो वह कहावत तो तुमने सुनी होगी की दो लड़ते हैं तो एक तो पड़ता ही है तो फिर उसे गुरु को ध्यान होना चाहिए कि एक पड़ गया तो पूरे गांव को चुनौती नहीं देते कि अब इसको पटकने वाला इस संसार में नहीं है और एक बाप एक बेटे को जन्म देता है एक बेटा बाप को नहीं जन्म नही देता और अंगराज कर्ण जैसा योद्धा कोई नहीं और एक बात मन के अंदर पत्थर हो तो गंगा नहाने से नहीं धुलते ओर अंगराज कर्ण के मन में कोई मेल नहीं था
Hero of Mahabharata was/were the one who upheld Dharma. Yudhishthira is a great tree created out of righteousness, Arjuna is its trunk, Bhima is its branches, the twosons of Madri27 are its plentiful fruit and flowers, and Krishna, Brahma and the Brahmanas are the root. Reference: Section One, Anukramanika Parva, Adi Parva-BORI CE TRANSLATED BY DR BIBEK DEBROY
Tum padho Mahabharat,sabse bada adharmi tha karn, Draupadi vastraharan ka idea bhi issi ka tha aur abhimanyu, satyki se bhi haranewala ka kya sahas jo Arjun se yudh kare , pahle uske bete ko to hara dete
@@AryanshBhadoriya sach mein,mitrta😂😂😂😂😂 gandharv yudh mein duroyadhan ko chhod kar bhaag gya 😭😭das din Tak yudh mein nhi uttara kyunki bhism pitamah ne adhirathi bol Diya,itni chhoti si baat ko lekar apne ahankar ko aage rakhkar yudh nhi kiya 😭😭😭😭11th ko yudh mein aaya bhi to kuch nhi kiya ulte usko bachane ke chakkar me duroyadhan ke saare bhai mare gye....17 th day ko thoda achacha yudh kiya kyunki uss din Arjun ne uske bete vrishsen ko uske saamne mara tha
@@topoint878 bhai apna mahabharat acha sa nhi pdhi y bhisma pitmha na khud mna kiya tha or karn na bhi dono k apna reason tha sirf karna mana nhi kiya tha bhismha pitmah ji na bhi mana kiya tha ki v karn k sath yudh nhi krega
@@AryanshBhadoriya bhai, phir aapne nhi padi Mahabharat..... kyunki book abhi mere saamne rakha hai....karn ko bhism pitamah ne ardhrathi bola to karna ne bola ki agar ye mujhe yodha hi nhi mante to jab tak gangey jivit hai main yudh nhi karunga kyunki prakram yudh mein main dikhaunga credit pitamah ko chala jayega
@@mr_sunil900 wo dharmatma tha, sarvshreshth dhanurdhar tha, bhagwan krishn ka chahita tha, maharthi tha, only person who impressed Lord shiva, arjuna was loved by pitamah bheeshm, aacharya dron, never jealous to anyone, karn ki tarah ahankari nhi tha... Most humble character of mahabharat
बहुत शर्म की बात है, जो लोग किसी योद्धा का एक गुण भी चरित्र में नहीं होगा और बातें कर रहे दिव्य महान अवतारी लोगो की कभी उनका आह्वाहन भी नही किया होगा न किसी कोई ग्रंथ पढ़ा होगा। उन महान विभूति की बातें करना शायद बचकानी हरकत होगी । बिना अनुभव बिना अभ्यास के ज्ञान सिर्फ खोखला है।
क र्धर्म नहीं था अधर्म बनाया गया पांडव को बहुतअहंकार था कर्ण का सूत्त पुत्र कहकर क्य हमेशा बुलाता था बेज्जती करता क्या पांडे को ही धर्म था दूसरों को नीचा दिखाना कर्ण ने अपने वचन के वजह से खड़े रहे दुर्योधन को वचन दे चुका था भरी सभा में सभी ने बेच्चत किया था कर्ण को दुर्योधन ने उसकी इज्जत दिया उसने उसको राजाबनाया था उसने अपने मित्र के साथ कभी चल नहीं किया ऐसा महान दोस्त कर्ण था को
द्रौपदी स्वयंवर में अर्जुन की शक्ति देखकर कर्ण ने उसकी तुलना भगवान परशुराम, भगवान विष्णु या भगवान इंद्र से की थीः 'कर्ण ने कहा, "हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! मैं आपकी भुजाओं के बल से, जो युद्ध में थकती नहीं, तथा शस्त्रों पर आपके अविचल नियंत्रण से प्रसन्न हूँ। हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! क्या आप शस्त्र विद्या के साक्षात् साक्षात् राम हैं?34 या आप स्वयं हरिहय35 हैं? अथवा आप स्वयं अच्युत विष्णु हैं? क्या आपने अपना वेश धारण करने के लिए ब्राह्मण का रूप धारण किया है तथा अब अपनी भुजाओं का बल जुटाकर आत्मरक्षा के लिए मुझसे दृढ़तापूर्वक युद्ध कर रहे हैं? युद्ध क्षेत्र में जब मैं क्रोधित होता हूँ, तो शची के पति 36 और पांडव किरीटी 37 के अलावा कोई भी मेरा सामना नहीं कर सकता।" ये शब्द सुनकर फाल्गुनी 38 ने कहा, "हे कर्ण! मैं साक्षात् शस्त्रविद्या नहीं हूँ। न ही मैं शक्तिशाली राम हूँ। मैं तो केवल एक ब्राह्मण हूँ, योद्धाओं में प्रमुख और शस्त्रविद्या जानने वालों में सर्वोच्च हूँ। अपने गुरु की कृपा से मैं ब्रह्मा और पौरंदर39 अस्त्रों के प्रयोग में निपुण हो गया हूँ। हे योद्धा! थोड़ी देर रुको। मैं आज युद्ध में तुम्हें हराने के लिए यहाँ खड़ा हूँ। ये शब्द सुनकर राधेय कर्ण युद्ध से हट गया, क्योंकि महारथी ने सोचा कि ब्राह्मण बल अजेय है।' द्रौपदी-स्वयंवर पर्व- अध्याय १८१
Swayamvar mei gaye the fir anumati bhi li thi bhaag lene se pehele kaniya aur raaja ki. Aur swayamvar raj vanshiyo ke liye hi tha aur woh bhi raj vansh se the toh bhaag le sakte the. Abhi parivar ke rajkumaro mei spardha hai koi teesra jo Rajkumar nahi aayega toh mana hi karege na. Yuddh thodi tha ke mana na kar sake jinki spardha unnke niyam. Sirne sahi bola hai thoda khule mann se suno toh avashya samjhega
Wo Raja the beta . Kewl Raja aur rajkumar ko hi Jana tha naa ki tere jaise anter fanter ko to thoda dimag khol kr questions Kiya kro , sorry tere pass to dimag hi nhi n hoga koyi baat .. usi tarh Mahabharata me bhi Raja aur rajkumar ke bich pratiyogita thi to wahi aa skte the aur dusra nhi ki mai bhi chal dun majduri krke 😂😂😂 ab sayad smjh gya hoga tu okkk
Ooo Bhai Narayan ek potthar se v karn ka kavash ved sakta tha .nar Narayan ne 999 kavash ved dya tha .bhishma ko issa mrityu ki vardan tha Krishna ne kaha Aisa koi ashirbad Aisa koi avisharp nahi jisko krisna mythya nahi kar sakta tha
Aap se ye umeed nhi thi ki aap aisa bologe dronacharya ne khud pure vishwa ke dhanurdhariyo ko bulaya tha TB karna utra tha rangbhumi m jab tk pricha Rajkumaro ke bech tha wo chup tha 😅
He was defeated Fair and Square. Chronology of events :- In battle karna is badly injured and bathed in blood even before his chariot wheel sunk. The wheel of karnas chariot sink in earth. By this time Arjuna had invoked Raudrastra against him but takes back after his chariot wheel sinks. Karna invokes Dharma and asks Arjuna and Krishna to stop. Krishna shows him Mirror by reminding him all his Adharmas right from Poisoning of bhima , abusing and mistreatment of draupadi to deceitful killing of Abhimanyu and rejects his arguments. Karna hangs down Head in Shame and understands that his trick is failed. Krishna asks Arjuna to continue battle. Karna Arjuna battle begins again. Karna invokes Brahmastra from ground with great difficulty and Arjuna counters it with his own Brahmastra. Arjuna fires Agneya Weapon and Karna counters with Varuna astra and covers sky with cloud. Arjuna nullifies Varuna Weapon with Vayavya Weapon. Then Arjuna took out Anjalika arrow and fixed on bow and uttered the speech that if he has practiced ascetic austerities , gratified elders and superiors , and listening to the council of well wishers then let this arrow slay his enemy karna. Arjuna Shoots the Anjalika arrow and it cuts off the Head of Karna. He was killed Fair and Square. He had weapons which he used and countered Arjunas weapons also from ground.. Note :- My Answer is Based on Authentic Versions of Mahabharat BORI CE and KMG.
Agree with you, modi bjp is will cheat and kumar is bjp andh bhakt, we need to remove dictatorship, sanadana, brahmanical patriarchy, as former prime minister Manmohan Singh said Muslims have the first claim to the nation's resources. We need secular Govt and educated leaders like Kejriwal, Rahul, Owaisi.
विश्वास जी से प्रसन हैं बताये की विधान सिर्फ कर्ण के लिए हैं कर्ण के भाई को जो ओम नमह शिवाय kahne पर सोना पिघला कर डाल दिया जाता हैं ये कहा का धर्म हैं
ऐसा लगता हैं कुमार विश्वास को जायदा ही जानकारी हैं ..खुद एक बात पे टिकते नही ..कभी कुछ बोलते हैं कभी कुछ....कुछ दिन पहले एक बयान दिया था उसमे कुछ और बोला ..... इंटरव्यू में ego देखो जो बंदा इंटरव्यू ले रहा हैं वो नॉर्मल बैठा हैं और इसे देखो ये कैसे एक्टिंग में बैठा हैं 🙄🙄
अर्जुन में एक नहीं, बल्कि अनेकों ऐसी विशेषताएं थीं, जो उसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बाद सर्वश्रेष्ठ योद्धा ही नहीं, बल्कि सर्वोत्तम व्यक्तित्व भी बनाती है. जहां एक ओर अर्जुन ज्ञान का लगातार अर्जन करने वाला, सव्यसाची, मितव्ययी, तपस्वी, अहंकार विहीन, धर्मज्ञ, शिष्ट, ज्ञानी पुरुष था. वहीं दूसरी ओर उसमें करूणा, दया जैसे मानवीय गुणों का भंडार भी था. महाभारत नहीं पढ़ने वाले ही कर्ण को महान योद्धा मान सकते हैं. जबकि कर्ण एक पराजित और पलायित योद्धा था.
Agar galat logoko idiolise karoge toh galat hi seekhoge. Isliye explanation dena zaroori hai. And above all thoda acche logoka suno toh samjhega yeah sab sirf katha nahi hai itihas hai.@@pragneshkumar2517
कर्ण के बुरे वक्त में जब किसी ने कर्ण का साथ नहीं दिया था तब दुर्योधन ने ही कर्ण का साथ दिया था इसलिए अधर्म का साथ देना कर्ण कि नियती और मजबूरी बन गई थी
कर्ण अधर्म के साथ लेकिन उसका जीवन काफी दर्द भरा रहा/ बड़ा भाई का फर्ज निभाया और अपने मित्र होने का फर्ज भी बहुत अच्छे से निभाया/ दानवीर कर्ण ❤❤❤❤
Kaheka dard be , pura jeevan jalte raha arjun se
@@AritU-jw5dv Arjun bhi to Karan se nafrat karta tha samjha be
@@VivekGupta-tn9ys nafrat leke koi mahadev ko prasnna nehi kar sakta 😉. Khud mahadev jisko mahan bolde, usse age bat hi khatam
aage batane ke liye bahut kuchh hai phir bhi baat ko yehi khatam kar deta hu
@@VivekGupta-tn9ys tum jo batane wale ho wo serial ka jadu hai, mahabharat book par loge to pata chaega
कुमार विश्वास जी 🙏🏻
कर्ण के मुद्दे पर आप विस्तृत चर्चा करने का मादा रखते हैं तो मैं आपकी चर्चा का हिस्सा बनना चाहता हूं..🙏🏻
Lo aur ek chuha aaya hathi se ladne...
Sir द्रोणाचार्य ने पूरे ब्रह्मांड के धनुर्धारी को चुनौती दिए थे तब कर्ण जी ने उसमे भाग लेने गए //
Ha serial dekh ke Gyan le lo
@@laughfactory.alltime 😆
Aa gayaa sonychutra waalaa😂😂😂
Yeh bat shi hai Bhai serial se koi matlab nhi hai yeh Mahabharat me likha h phale malom Karo
@@laughfactory.alltime
Par vo vishwabhar me kshatriya logo k liye tha..
जिस आदमी ने अपनी पत्नी के सहमति के बिना उसे जुआ में हार गया वह बहुत धार्मिक थे😂😂.......
😂😂😂
Are to unko bhi bol rahe ho na ki juwe me hare warna uske alawa kya galti ki thi us insan ne pure jivan me , jo jaisa karta hai itihas use usi tarah yad rakhta hai.
Wo hit of moment tha... Ramayan dhyan se dekho..uske baad Yudhishthir ko Regret tha.
Usko vaisya bolkar bhari sabha me nanga karne ko bolne wala Karna dharmik hai
@@tinkusingh1778 पांडवो ने कर्ण का पूरी ज़िंदगी सुतपुत्र कहकर उपहास् किया वो पाप नही तो क्या था
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर को कोटि कोटि कोटि नमन
सुर्य पुत्र कर्ण की जय हो❤🚩🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jay कर्ण
Jay karna
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤t😢😢
Are har gayatha Jay nehi😂😂😂
कर्ण जैसा कोई नहीं था अगर वो दुर्योधन का साथ नहीं देता तो उसको धोकेबाज़ बोला जाता फिर दूसरी बात क्षत्रिय तो कोई भी नहीं था केवल कर्ण और भीष्म को छोड़के
Karna ke jaisa adharmi koi nhi tha, bachpan me bhi wah pandavo se jalta tha or hamesha jalta rha keval isliye usne duryodhan ka sath diya, jakar padho drona parv mahabharat se murkh balak
Abe bewakoof duryodhan apne fayde ke liye karna ko raja banaya tha.
Jo duryodhan pandav ko thodi si jameen bhi nahi dena chahta tha, woh duryodhan kyun karna ko raja bana dega?
Usne bus apne fayde ke liye kiya.
😂😂😂😂pure Mahabharat me Tumse jayada balbaan yodha koi Nahin tha 🤣🤣
जो अपने वरदान का दान करके भी अपने मित्र का साथ दे उस दानवीर कर्ण पर हमे गर्व हैं!
कर्ण हारा नही हराया गया हैं और अर्जुन जीते नहीं उन्हें जिताया गया हैं!!🙏
Karn ko Arjun se ladana tha aur duryodhana ko Arjun ka competitior chahiye tha to bss .. duryodhana ne mitr bna liya aur karn bhi bn gya pr karn jalan me itna andha ho gya ki wo mitr banne se pahle duryodhana ke swarth ko ni pahchana
Duryodhana ne karn ko sirf use Kiya hai apne ladai ke liye duryodhana ke pas koi dhanurdhari ni tha jo Arjun ko takke de sake
Karan Mahan h arjun ke chaliye bapone adharm Kiya.
Phir agaya serial dekh ke tu
@@neraajshahi502 ho sirf siriyal nhi hai bro ek gyan hai bhagwan Shree Krishna ne diya hua gyan
Oky...
Vo bhagwan unpar? Nahi laga sakte, vo jo kiye vo sahi tha
जब पांडव अपनी वाइफ को युवा पर लगा रहे थे तब धर्म नहीं किया उन्होंने
Isi karan Balaram ne Pandavo PE krodhit hue the.
इसी कारण तो उनको कृष्ण के होते हुए वनवास और अज्ञातवास मिला और उन्होंने वो पूर्ण भी किया और इसी पर कृष्ण ने पांडवों को भी डाटा था।। तो भाई कर्ण का होना भी जरूरी था युद्ध के लिए और ये युद्ध होना भी जरूरी था क्युकी इस युद्ध से उस काल के जितने भी अधिकतर महारथी थे जिनके पास दिव्यास्त्र और ताकतवर अस्त्र शस्त्र थे वे भी समाप्त हो गए उसी युग के साथ।।
Right question sahab
Bhai galat pandav bhi the ,kaurav bhi the 40:60 ka ratio tha
Ramayan me 20:80 ratio me galti tha
Satyug me shayad hi koi bura hota tha
Bhai Galt tha ek dum Galt tha lekin majboori bhi th or uska saja bhi to Mila tha
श्रीमद् भगवद गीता: अध्याय १८, श्लोक ७८🙏🏻
"यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर: |
तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ||78||"
"जहाँ भी योग के भगवान कृष्ण रहते हैं, जहाँ भी धनुषधारी अर्जुन रहते हैं, वहाँ समृद्धि, विजय, खुशी, स्थिरता, नैतिकता और मेरा मन है 78||"
"Wherever there is Shree Krishna, the Lord of all Yog, and wherever there is Arjun, the supreme archer, there will also certainly be unending opulence, victory, prosperity, and righteousness. Of this, I am certain."
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤i😢
Sir कर्ण को जब ओलंपिक के लिए खेले जाने वाले क्वालीफाई मैच में बिना खेले ही बाहर कर दिया उसकी योग्यता जाने बिना उसको मैच खिलाये बिना तो क्या ये अन्याय नही था,
वो ओलंपिक नहीं था दोस्त, भयंकर विश्वयुद्ध था।
Abe ye to sikhshya h ...ki tum kitne hi talented ho...but glt ke sath rhaoge...tmhari sangati duryodhan jaiso ke sath rhegi...to anjaam yhi hoga👍🏼 motive smjh...
Oo so what was the mistake of eklavya 😢
Iska matlab yeh nahi ki aap adharm ke raah pe chal pade.
@@notashishjaiman21 Eek stree ko wastu samjh ke jua mai lagana dharm hai, aapne biwi ko laga do juye mai aur dharm batao bhai, eek akele stree ko jab maa ne kaha ki baant lo apas mai , tab pandavo ki dharm kaha gaye, stree koi bastu hai jo aapas mai baant le, tab to maje mai baant liya, dharm adharm eek vastu ya vkyti visesh nhi hota dost, par issse yeh justify nhi hota ki karn ko mara Jana adharm hai, bilkul bhi nhi
कुमारजी का explanation एकदम सही समझाते है .
कर्ण अधर्मी था क्योंकि वह अधर्म का साथ दिया था। और दुर्योधन को अर्जुन का प्रतिद्वंद्वी चाहिए था जो इसलिए कर्ण को अपना मित्र बना लिया।
सही कहा आपने भाई❤❤
Myself SAANATON BORUAH...I have no comments
Exactly. ..finally someone explained it beautifully 🎉
Not exactly Ye jo dharm bata raha hai isse pucho jab dharmaraj yudhishthir dropti ko ek vastu samajh ke juve me rakh ke har gye to dharmraj kaise ho gye
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤
दानवीर महारथी कर्ण 🏹🙏🙏🙏
Jiske badle Shakti Astra manga jaye murkh to kaisa daan aur kaisi shakti jiske liye amogh Astra ki zarurat pade😂😂🙏
ruclips.net/video/T2NSm8_vkUk/видео.htmlsi=8NEVEy8AhQLZO30J
Kux vi
@@AnkitKarna-w1j ruclips.net/video/T2NSm8_vkUk/видео.htmlsi=TxOfgKcBw1Rt1uz3
Karan =Bhagwada
नीतीश भारद्वाज ने भगवान श्रीकृष्ण का रोल महाभारत सीरियल में कैसा था कृपया ये भी बताए महोदय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कर्ण एक महान योद्धा थे और रहेंगे ❤
finally someone said the truth of Karn
असल योद्धा तो वही है जो केवल और केवल धर्म के पथ पर चलता है वरना आप कितने ही समर्थ हो अंत में आपको हारना ही होगा।
जिस दिन द्रोणाचार्य, और पांडव कर्ण को सूत पुत्र कह कर सम्बोधित कर रहे थे। क्या वाह धर्म था. क्या महाभारत में सारे प्रतिबन्ध कर्ण के लिए ही लगाए गए थे। अब आप खुद सोचो जिस चार श्वेत अश्व वाले रथ पर स्वयं श्री कृष्ण ध्वज के कक्ष में श्री हनुमान जी सवार हैं, हमारे रथ को 5 इंच पीछे कर देना छोटी बात नहीं है। इसी बात पर श्री कृष्ण जी ने भी कर्ण की प्रशंसा की थी. कर्ण तुम महान थे हो रहोगे. 🏹
Kisne kaha bhai? Mahirshi vedvyaas ke mahabharat me aisa kuchh likha hi nhi hai..... Jara "parv no" Aur "shloke no" Batao???? Jisme ye baat likhi ho jo tum bol rahe ho..... Serial dekh kar andbhakt mat bano
Even karn sabse pahle dronacharya ke shisya the..... Bad me karn ne demand ki, ki use Brahmastra vidya chahiye.... Lekin dronacharya ne mana kar diya.... Krodhit hokar karan waha se chala gya... Aur fir guru parshuram se jhuth bolkar vidya prapt kiya......... Mahabharat padho.... Tv mat dekho
ये रथ पिछे जाने वाला प्रकरण महाभारत में तो कहीं नहीं है। बाणों से रथ चूर तो होते हैं लेकिन पिछे कैसे होते हैं।
Mahabharat pdhe ho duryodhan bhi kitne bar bola h sut putra
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤a
जब भीम ने कर्ण को बार बार सूत पुत्र कह कर अपमानित किया तब भीम का धर्म कहा गया।
कर्ण ने बार बार युधिष्ठिर को दूत खेलने को मना किया तब युधिष्ठिर का धर्म कहा गया।
कर्ण ने भले ही अधर्म का साथ दिया पर वह धर्म था।
उसे निहत्थे इसलिए मारा की उस पर सराफ लगा था।
यदि वो विजय धनुष हाथ में ले लेते तो अर्जुन कर्ण का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते थे।
स्वयं त्रिलोकी नाथ रथ पर विराजमान होकर मारने कि आज्ञा दे रहे थे तो आप और हम कौन होते हैं सही और ग़लत का फैसला करने वाले कर्ण निहत्था नहीं थे उन्होंने अपने विजयधनुष को हाथ पर रखा था ।❤❤सब प्रभु कि कृपा है
@@prabhataram5463 स्वयंम त्रीलोकनाथ बादमें आये जब कर्ण के भाही के मुख स्वर्ण पिघल के डाला तब त्रिलोकनाथ नहीं थे
हीरो महाभारत का अर्जुन है जिसे भगवान श्री कृष्णा ने बनाया है
महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच में था
महाभारत से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
Ye jo dharm bata raha hai isse pucho jab dharmaraj yudhishthir dropti ko ek vastu samajh ke juve me rakh ke har gye to dharmraj kaise ho gye
@@Bheeva_Studio unhone maafi to mangi, par duryodhana aur karn ne maafi nahi mangi to mrityu hogyi.
Jai shree krishna 🇮🇳🙏
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤r😢
Bhai kese ye dharam aur adharam ki ladai h ye ek ghar ki ladai h jo jameen ke piche hue thi isse only itna sikhne ko milta h jo tumhari jameen pr kabja kr le use maar dalo ya uske sath jitna bura krna chahte ho wo kro bs iske alawa kuch nhi milta isse sikhne ko
Isse badhiya koi uttar ho hi nahi sakta ❤❤❤
Very well explain karan and tight slap to those who justify Karan in right way. Well said Kumar ji
Jyada khush mt ho bhai. Inki dukan isi se chal rhi hai isiliye bola hai. 😂
Karan is not remembered for that. He is remembered bcz he is the greatest dhanveer of all time. He donated karna kundal and kavach knowing very well that he can die. He donated his gold tooth on his death bed.
Ye jo dharm bata raha hai isse pucho jab dharmaraj yudhishthir dropti ko ek vastu samajh ke juve me rakh ke har gye to dharmraj kaise ho gye
Kya well said be gadhe sutputra ko kyu sastra vidhya nahi sikhne dete the siksha sabke liye hoti hai na ye tere Kumar ko nahi Pata kya 😂😂 no doubt ki karn ne bahoot galtiya ki uske liye karna ka side nahi le sakte par galat toh uske sath bhi hua hei tha bhai ye accept karna chahye
@@simplysimple2622According to rules of Mahabharat no one was allowed to wear kavach and kundal karna andhbhakt
कर्ण महाभारत का हीरो है...जिसकी तारीफ ख़ुद भगवान कृष्ण करते है।
Krishna ne toh duryodh ki v tarif ki thi
Even Ram praised ravan that doesn't mean that they were good peoples
BTW Don't rely on the knowledge of Mahabharata from TV serials; go and read the authentic Mahabharata. Karna was inherently an insecure and jealous person with an inferiority complex. During Draupadi's disrobing, after Dushasana, it was Karna who insulted and humiliated Draupadi the most.
@@rishabhadarsh5227bhagwan ne kabhi tarif nhi ki 😂😂😂 geeta ji mein bhagwan spast kha. Ye arju tu mera priye bhakt hai mera priye sakha hai tu mujhe atyant priye isliye tujhe abh apne wo rup dhikane ja rha hu jo kabhi kisi ne nhi dekha
ruclips.net/video/T2NSm8_vkUk/видео.htmlsi=qG9kxprJGBHkXpkF
@@mayanktomar1898 nhi karn ki charity ar prakaram ki tarif ki thi.
Ram ji ne v ravan ke gyan ki tarif ki thi tabhi marne ke tym laxman ko uske pass veja tha.
He was the side villain Nothing more than that
कर्ण का वध छल से नही हुआ था:
'संजय ने कहा, "वासुदेव अपने रथ पर बैठे थे। उन्होंने कहा, 'हे राधेय! यह सौभाग्य है कि तुम्हें धर्म का स्मरण है। प्रायः जब मनुष्य कष्टों में डूबे होते हैं, तब वे भाग्य की निन्दा करते हैं, परन्तु अपने बुरे कर्मों की नहीं। हे कर्ण! जब तुम, सुयोधन, दुःशासन और शकुनि सौबल द्रौपदी को एक ही वस्त्र पहनाकर सभा में लाए थे, तब क्या धर्म ने तुम्हें दर्शन नहीं दिए थे? जब सभा में पासा चलाने में निपुण न होने वाले युधिष्ठिर को पासा चलाने में निपुण शकुनि ने पराजित कर दिया था, तब धर्म कहाँ चला गया था? हे कर्ण! अपने समय में कृष्णा दुःशासन के अधीन सभा में थे और तुमने उनकी हँसी उड़ाई थी। तब धर्म कहाँ चला गया था? हे कर्ण! गांधार के राजा का आश्रय लेकर और राज्य के लोभ में तुमने पाण्डवों को चुनौती दी थी। तब धर्म कहाँ चला गया था?" जब वासुदेव ने राधेय को इस प्रकार संबोधित किया, तो पांडव धनंजय को यह सब याद आ गया और वे बहुत क्रोध से भर गए। क्रोध की तीव्र ज्वालाएँ उनके शरीर के सभी छिद्रों से निकल रही थीं और यह असाधारण था।"
यह देखकर, कर्ण ने फिर से धनंजय के विरुद्ध ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उसने बाणों की वर्षा की और उसके रथ को निकालने का प्रयास किया। पांडव ने अपने ही शस्त्रों से उन शस्त्रों का प्रतिकार किया। तब कौंतेय ने अग्निदेव का प्रिय दूसरा अस्त्र कर्ण की ओर छोड़ा। वह भयंकर रूप से प्रज्वलित हुआ। कर्ण ने वरुण अस्त्र से अग्नि को शांत किया। उसने सभी दिशाओं को बादलों से ढक दिया और चारों ओर वर्षा के दिन जैसा अंधकार छा गया। पांडव भयभीत नहीं हुए। राधेय ने देखते ही देखते, वीर ने वायव्य अस्त्र का प्रयोग किया और सभी बादलों को हटा दिया। महापुरुष के ध्वज पर हाथी के आवास के चिह्न थे। वह सोने, मोतियों, रत्नों और हीरों से सुसज्जित था। उसे बहुत समय तक उत्कृष्ट कारीगरों द्वारा तैयार किया गया था। वह महंगा और सुंदर रूप वाला था। यह हमेशा आपके सैनिकों को प्रेरित करता था और शत्रुओं को भयभीत और भयभीत करता था। यह संसार में प्रसिद्ध था और सूर्य और चंद्रमा की तरह प्रज्वलित था। किरीटी ने एक धारदार बाण का प्रयोग किया जो सोने के जड़े हुए और नुकीले। इसके साथ ही, उन्होंने महारथी अधिरथ के पुत्र का सुंदर और प्रज्वलित ध्वज नीचे गिरा दिया। हे पूज्य! जब वह ध्वज उखड़ गया, तो यश, धर्म, विजय और कौरवों के हृदय को प्रिय सभी चीजें भी गिर गईं।
महान विलाप की ध्वनि उठी।
मैं आपसे तो बहुत अल्प हूँ विश्वास जी, आयु में भी और विवेक में भी अगर मैंने भूलवश किन्हीं अपशब्दों का प्रयोग किया हो, तो मैं दण्ड स्वरूप क्षमा प्रार्थी हूँ।
कर्ण के प्रिय मित्र दुर्योधन भी जानते थे अर्जुन जी के समान कोई नहीं था:
"धर्मपुत्र राजा युधिष्ठिर से ये वचन कहकर उलूक जिष्णु की ओर मुड़ा और बोला, 'हे अर्जुन! बिना घमंड के युद्ध करो। इतना घमंड करने की क्या आवश्यकता है? सफलता तो कर्म का फल है। घमंड से सफलता नहीं मिलती। हे धनंजय! इस संसार में यदि कर्म के बजाय घमंड से सफलता मिलती, तो सभी सफल होते। दुष्ट भी बहुत घमंड कर सकते हैं। मैं जानता हूँ कि वासुदेव तुम्हारे सहायक हैं। मैं जानता हूँ कि गांडीव ताड़ के वृक्ष जितना ऊँचा है। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे बराबर कोई योद्धा नहीं है। यह सब जानते हुए भी मैंने तुम्हारा राज्य छीन लिया।"
उलूक-यान पर्व- अध्याय ८२९(१५८)
Even a great warrior like Karna from the Mahabharata faced dire consequences by supporting the wrong people. It seems Lord Krishna's message was meant to guide people of Kaliyug: that no matter how powerful you are, aligning with the wrong cause leads to downfall.🕉️🙏
यह जो आज के सीरियल और फिल्म कर्ण को महान बनाकर कमाई कमा रहे हैं पर वास्तविकता तो यह है की जिन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी भगवान वेद व्यास जी उन्होंने कर्ण के चरित्र को महाकाव्य के शुरुवात में ही लिख दिया है🙏🏻
"दुर्योधन काम-वासना से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, कर्ण उसका तना है, शकुनि उसकी शाखाएँ हैं, दुःशासन प्रचुर फल-फूल है और बुद्धिहीन धृतराष्ट्र उसकी जड़ है।
युधिष्ठिर धर्म से उत्पन्न एक महान वृक्ष है, अर्जुन उसका तना है, भीम उसकी शाखाएँ हैं, माद्री के दो पुत्र उसके प्रचुर फल-फूल हैं, और कृष्ण, ब्रह्मा और ब्राह्मण उसकी जड़ हैं।"
अनुक्रमणिका पर्व- खंड एक
Itna padhe ho ki to mahabharat adi parv chapter 129aur 110 bhi padh lena
Iska ye matlab nahi ki karna adharmi he iska matlab he ki duryodhana ke adharm ka adhar karna ka samarthya tha isliye use tana kaha gaya he ate use to khud shree Krishna ne Sabse bada dharmatma kaha sarvashresht Dharm rakshak kaha gaya he
Mahabharata me swam vedhvyas ji ne swam karn ki daanveer ki mahanta sarvshesth dhanurdhar ka vakhyaan Kiya Hai or aap uska apmaan Kar rahe Hai kumarvishwas ji aap ek pursarth se payi hui vidhya ka apmaan Kar Rahe hai
@@dharmveermaurya2069 vyas ne arjun ko sarvashresth dhanurdhar bola hai
Wherever there is krishna and arjun there is always victory
आज के समय में पुराने युगों के विलेन रावण और कर्ण का महिमामंडन किया जा रहा है जो सर्वथा अनुचित है। 🚩
Yeh Satya Hai Ki Karn Ek Mahaan Yodha The Parntu Ek Satya Yeh Bhi Hai Jeevan Mein Kiya Gaya Ek Dushkarm, Pure Jeevan Kiye Gaye Sabhi Sukarmon Ko Nasht Kar Deta Hai
वास्तव में आज कलयुग ही आ गया है। जहाँ भगवान पर आरोप लगाए जा रहे हैँ और एक अधर्म का साथ देने वाले को महान बताया जा रहा है। हालांकि वो दानवीर था, लेकिन अधर्म का साथ देने के कारण उसे अधर्मी ही कहा जायेगा।
तर्क समझ मे नही आया आप का कुमार जी
मिश्रा जी सवाल ही तगड़ा पूछ गये।
कर्ण और कृष्ण के संबंध में।
कुमार जी के पास उत्तर नही था कौन गलत है और कौन सही तभी फ्लोर और बादल, मौसम का सहारा लेना पड़ गया
Itna clear answer Diya abhimanyu ke sath whi phir karn ke sath hua 😂😂😂😂
Bilkul sahi bole aap yhn Kumar ji apne hii logic me contradict ho gaye
Sut Putra khkar pandav jb unka majak udate the tb dharam khn chla gaya tha
Jab krishna khud kahte hai jab adharmi ko adharm se mara jaye to wo bhi dharm hota hai... To karna ko marna adharm kaise ho gaya... Karn to adharm ki taraf the na..
कृष्ण कर्ण संवाद पढ़ो। श्रीकृष्णा ने कर्ण के विक्टिम कार्ड का क्या जवाब दिया। फिर तुम्हारे कर्ण के निर्दोष होने का भ्रम उतर जायेगा। मनुष्य को अपने से हुए दुष्कर्म को ढाल बनाकर असामाजिक करने का हक नहीं। उन्होंने भीष्म पितामह को भी कहा कि आपका धर्म पाखंड है, वो मुक्ति और इंसाफ का मार्ग नहीं, अपने बचाव का हाथियार है।
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤f
Pakka sanatani h kumar vishawash ❤❤❤
Finally someone explained it beautifully❤
Pandav ka bhi jeevan Sangharsh ka tha par usne Karn ki tarah Victim Card nahi khela.
अर्जुन से कर्ण अच्छा है ❤❤
Only for arjun haters😂😂
Hum to karn ko hate karte hai 😂😂😂
कर्ण में कोई बुराई नहींथी क्यूकी वे भी पांडव के ही भ्राता थे । किंतु उन्होंने अपने ऐसे मित्र का साथ दिया जो अधर्म के साथ था । लेकिन कर्ण की ये विशेषता थी कि उन्होंने अपने मित्रता के दायित्व को समझा एवम् उसका निर्वहन किया यह जानते हुए भी की उनका मित्र अधर्म के साथ है।
महान योद्धा लो बारंबार नमन । ❤
Agr Karan ,Shri Arjun se Mahan Tha tou iska mtlb Ravan Bhi Shri Ram se Mahan tha😂😂
Good logic.
😂😂 kya kuchh bhi
@@thewall9327 Abbey moorakh Gadeh Ki trah haso mat Shastra Vidya Dharm Ved vyas Ji ko padho tab Sanatan samjh m aayega serial mat dekho.
@@RadheBheel-z6v sorry bro, misunderstood, agree with you, but language Sambhal ke
Arjun akele nhi laddd sakta karn se
Best explanation and exact truth about karn death...
दुर्योधन निसंदेह महत्वाकांक्षी व्यक्ति था, वह हमेशा से ही पांडवों से ईर्ष्या करता था यही कारण था तभी उसने बचपन में भीम को खीर में जहर खाने को दिया था और वह अर्जुन के विरुद्ध एक कड़ा प्रतिद्वंदी अपने पक्ष में रखना चाहता था इसीलिए उसने करण को रंगभूमि के समय अंग देश का राजा बनाया था ।। अब बात करते हैं जुये क्रीड़ा की हां उसने द्रौपदी को वेश्या बोला था और सभी कौरवों के साथ बैठ के उसका अपमान भी किया था, लेकिन अंग राज करण को अपनी इस गलती पर बहुत ही पछतावा था इसका जिक्र उसने भगवान श्री कृष्ण से महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले किया था जब भगवान श्री कृष्ण ने करण से पांडवों के शिविर में चलने को कहा था ।। अंग राज करण ने कभी भी कूटनीति से दुश्मन को परास्त करने की नहीं सोची, यहां तक उसने लाक्षाग्रह वाले षड्यंत्र का भी विरोध किया था ।।
धन्य है माता कुंती जिसने कर्ण जैसे महायोद्धा को जन्म दिया और धन्य है माता राधे जिसने कर्ण जैसे वीर योद्धा का पालन पोषण किया
' प्रतियोगिता राजवंशियों के बीच' 😂 , तो फिर संविधान को गलत बताईये, विश्वास जी का ब्राह्मणवादी सोच
Cricket khiladiyon ke bich samvidhan ko galat batayiye😂😂😂
उस समय लोकतंत्र /प्रजातंत्र नहीं था उस समय राजतन्त्र था
@@DrAbhishek93 karna zabardasti Rangabhoomi mein ghus gaya tha aur Duryodhana ne jab usee RAJA bana diya tab to kisi ne bhi uska viroodh NAHI kia
@@DrAbhishek93 karna zabardasti Rangabhoomi mein ghus gaya tha aur Duryodhana ne jab usee RAJA bana diya tab to kisi ne bhi uska viroodh NAHI kia
कौरव और पांडव दोनों ही क्षत्रिय थे, इसमे ब्राम्हण वाद कहा से आया? 😂
Jab Aapne apne dhanush ka tyaag kar diya ho aapke rath ka pahiya bhoomi me dhansa ho or aapko apni shakti ka vismaran ho gaya ho aise avsar ka laabh uthakar mujhe aapka vadha karna pad raha hai😢
Karan is great warrior 🔥
In serial
Yes but, never then Arjun
😂😂😂
Ha , good warrior and Archer but not best.
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤f😢
Thanks sir
Me bhi bhut cofuse tha karan ko lekar
Ek bat smaj me aayi
Aap bhut acche ho ya aapke karam bhut acche ho
Lekin aap adhram ke sath ho phir nash hona tay he
Karan hero the or rahenge
भगवान थे तो धर्म को जिताने के लिए भी अधर्म से कर्ण को मारा फिर दोनो मे अंतर क्या रहा अधर्म को हराना है तो अधर्म करो
जुआ में द्रौपदी को दाव लगाना वो धर्म कर्ण के बेटे को भी पांडवों ने घेर के मारा था वो धर्म था क्योंकि वो भगवान है तो जायज है जिसने महाभारत लिखा है वो बहुत चतुर व्यक्ति था 😂
Sun mere bhai jab tere ko koi maar raha hai to tu kya usko dekhta rehega ,tere ko maar raha hai to tu b maar na usko ,wohi baat hua hai usma apne uper le k soch k dekh tab shree krishna aur Arjun achha lagega
Bhai loha lohe ko kaat ta hai usme burai kya hai yudhistir kya apni marzi se daw pe lagaya bachan se duryodhan ne bandha to mazhburi me lagaya aur uska fal bhi unko mila abhimanyu ko bhi ghairke maragaya mahabharat dekh ke ye sab sikha nahi😅 isse to achha hai apna dharam parivartan karwalo logon ko faltu ka gyan deke bhramit mat karo
@@sudhanshu240 dekhke k aya hi isliye ye haal hi pdh liya hota to samjh jata
@@HIMALAYAHIKERAbe Abhimanyu (pandav putr) ko gher kar mara tha naki kavraon ko
@@iconstar5559 Abe vrushsen ki bat kr rha hoo jise pandavo n gher k mara tha
राधेय! कुंती को माफ़ करो
तुम तो नारी का श्राप हरो ।
द्वापर से द्वेष जो भुक्ता है ,
कहने को सिर्फ़ ये सृष्टा है
दे जीवन, इसके प्राण हरो
राधेय! कुंती को माफ़ करो ।
तुम्हें दुग्ध, मातृत्व का ना दे पाई
सदियों से तृष्णा सहती आई
जो धर्म के रक्षक बनते हैं
बन पांडव इसको छलते है
तुम खेल से इसको बाहर करो
राधेय! कुंती को माफ़ करो।
नारी होना अपमान भरा
जीवन नहीं इसका स्वाभिमान भरा ,
राम ने जिसे दुत्कारा है
तुलसी ने जिसको ताड़ा है ,
वर्षों-वर्षों डरती आई
जीवन भर विष पीती आई
थोथी सभ्यता से आजाद करो
नारी के भीतर साहस भरो
राधेय! कुंती को माफ़ करो।
क्षत्रिय होते हुए भी सूत का जीवन व्यतीत करना, अनगिनत श्राप मिलना, वास्तविक माँ के प्रेम से वंचित रहना यह धर्म था उस युग में
Very nice debate and spritual knowledge, kumar vishwas ji jai ho
सर द्रोडा चार्या ने विश्व के धनुर धर को चुनोती दी थी एस लिए कर्ण ने रंग भूमि में अर्जुन को युध के लिए लालकरा था
Ye kumar viswas kuch nahi janta hi
Pagala bhagoda karn
महाभारत में करण और रामायण में मेघनाद दोनों ही पात्र अनुकरणीय हैं
Achha agar ye baat hai toh
Olympic mein koi aesa toh nhi keheta ki vishwa mein us pratibhaagi se shresth koi nhi hai
Dronacharya ko vishwa ko ahwahan nhi dena chahiye tha
Karn🔥
Asur (agent of chaos) karm buddhi, "Mein Karm Sey Hu Karn, Meri Jaati Na Mera Varn". Karn (doing) aka Karan (reason). Nara Narayan sey Mahabharat ke yug mein kriya karwaaney waaley apney pitra (ancestor) mahaan adharmi yodha. This epic is a human perspective of an ancient civilisation's spiritual warfare.
Karna fans like karo 💪🔥
@@Ansh_x_Editz aaaaaaaaaa thuuuuuuuuuuu
@@Red-Hood12😂
Yehi karte reh jaoge fans hater..mahabharat se lessons lo aur apply karo..kher chodo fan ban ja
Bhagoda karn
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤g😮😢
बी.आर चोपड़ा की महाभारत सीरियल बेहतर या कोई और महाभारत सीरियल बेस्ट ये भी बताए महोदय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कर्ण अधर्म के साथ था तो धर्म राज किस धर्म के साथ था यार खुद के पत्नी को दांव पर लगा दे ,ओ खुद दांव पर लग सकता था उनके भाई लग सकते थे दुसरो का गलती दिखाई देता है मगर अपना नही
Aare bhai krishn ke lila ke karan dikha rahe the ki juaa kitna vinaas kaaari hota hai ❤❤❤
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤😢😢😢
व्यक्ति जितना भी बडा महान क्युं ना हाे यदि वह अधर्म के साथ खडा है ताे चाहे वाे छल से मरे या बल से मरे दाेनाे जायज है?
विराट युद्ध हुआ था उसमें अर्जुन ने कर्ण को कई बार हराया था .......सिर्फ सीरियल देखकर इमोशनल मत रहो...... अर्जुन के पास ब्रह्मास्त्र था ,पशुपति और स्वर्ग जाकर अस्त्र प्राप्त किया भगवान शिव ने अर्जुन को विद्या दी थी ....
Bhagwan parshuram ne kya karan ko is vidya ko nahi sikhaya hai kya😂
so much for a person who is teaching his daughter in UK
कितनी विचित्र बात है कमेंट सेक्शन में जिनके साथ श्री कृष्ण थे उन्हें ज्यादातर लोग भला-बुरा कह रहे है और दुर्योधन के साथी कर्ण का महिमा मंडन कर रहे है।
Samay se bada kuchh Nahin hota bro Shri Krishna bhi nhi. Karn is great
शेले शेलेे न मानिक्यम मोक्तिकम न गजे गजे
साधवो न ही सर्वत्रम चंदनम न वने वने
Kalyug ka samay h.. yha ram ko kalpnik aur ravan ko aadarsh manne wale log badh gye h
@@AnilKaushik-lw8sk कृष्ण समय से परे हैं तू नीच है और इस नीचता का दंड मिलेगा तुझे ऐसा भोगेगा तू तब याद आयेगा
Isiliye to yehi yug Kalyug kehlata hai. Bhagwan to yehi keh gaye the.
कुमार विस्वास इस देश का सबसे बड़ा डिप्लोमेटिक कवि है।
जय श्री कृष्णा 🙌🙌🌷
सर एक दुबारा जब आये तो एक सवाल पूछिएगा कर्ण शूद्र था या क्षत्रिय। और कुंती कौन थी
Sut are Kshtriya father and Brahmin mother mixed origin caste (manusmriti) not lower caste
Mahabharat nhi padne wala hi karn ka victim batata hai.... warna Mahabharat mein to he was the main villain....
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤d
को लोग कर्ण को लेकर सवाल करते हैं वो लोग अभमन्यु के साथ जो किया उसपे भी बोलना चाहिए
तुम दोनों कुर्सी पर तो बैठ गए हो लेकिन तुम दोनों ने एक बात नोटिस नहीं की कर्ण ऐसे ही मैदान में नहीं आया आचार्य द्रोण की चुनौतीपूर्ण कर्ण मैदान में आया और रही बात ओलंपिक खेल की तुम दोनों को बता दे देना चाहता हूं कि चाहे वह मैच क्रिकेट का हो या कबड्डी का खेल खिलाने वाले गुरु को सदा ध्यान रखना चाहिए कि मैच चाहे गांव में हो आया नेशनल स्टेडियम में हो वह कहावत तो तुमने सुनी होगी की दो लड़ते हैं तो एक तो पड़ता ही है तो फिर उसे गुरु को ध्यान होना चाहिए कि एक पड़ गया तो पूरे गांव को चुनौती नहीं देते कि अब इसको पटकने वाला इस संसार में नहीं है और एक बाप एक बेटे को जन्म देता है एक बेटा बाप को नहीं जन्म नही देता और अंगराज कर्ण जैसा योद्धा कोई नहीं और एक बात मन के अंदर पत्थर हो तो गंगा नहाने से नहीं धुलते ओर अंगराज कर्ण के मन में कोई मेल नहीं था
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Hero of Mahabharata was/were the one who upheld Dharma.
Yudhishthira is a great tree created out of righteousness, Arjuna is its trunk, Bhima is its branches, the twosons of Madri27 are its plentiful fruit and flowers, and Krishna, Brahma and the Brahmanas are the root.
Reference: Section One, Anukramanika Parva, Adi Parva-BORI CE TRANSLATED BY DR BIBEK DEBROY
Aaj apne karan pr sahi bola he
Tum padho Mahabharat,sabse bada adharmi tha karn, Draupadi vastraharan ka idea bhi issi ka tha aur abhimanyu, satyki se bhi haranewala ka kya sahas jo Arjun se yudh kare , pahle uske bete ko to hara dete
@@topoint878 hn apna shi kha lekana apna ek batt nhi sochi karna y sb pna mitrta k liya kiya wo apna rid chuka rha tha duryodhn ko yyudh m jita kr
@@AryanshBhadoriya sach mein,mitrta😂😂😂😂😂 gandharv yudh mein duroyadhan ko chhod kar bhaag gya 😭😭das din Tak yudh mein nhi uttara kyunki bhism pitamah ne adhirathi bol Diya,itni chhoti si baat ko lekar apne ahankar ko aage rakhkar yudh nhi kiya 😭😭😭😭11th ko yudh mein aaya bhi to kuch nhi kiya ulte usko bachane ke chakkar me duroyadhan ke saare bhai mare gye....17 th day ko thoda achacha yudh kiya kyunki uss din Arjun ne uske bete vrishsen ko uske saamne mara tha
@@topoint878 bhai apna mahabharat acha sa nhi pdhi y bhisma pitmha na khud mna kiya tha or karn na bhi dono k apna reason tha sirf karna mana nhi kiya tha bhismha pitmah ji na bhi mana kiya tha ki v karn k sath yudh nhi krega
@@AryanshBhadoriya bhai, phir aapne nhi padi Mahabharat..... kyunki book abhi mere saamne rakha hai....karn ko bhism pitamah ne ardhrathi bola to karna ne bola ki agar ye mujhe yodha hi nhi mante to jab tak gangey jivit hai main yudh nhi karunga kyunki prakram yudh mein main dikhaunga credit pitamah ko chala jayega
क्या व्यवस्था थी, शिक्षा की क्या व्यवस्था थी क्या सभी वर्गों को अधिकार था या यु ही हवा हवाई फेंक रहे
कुमार विश्वास की इतनी छोटी सोच आज मुझे पता चला....
आप भी तो ओलंपिक खेल थे क्या हुआ क्या हुआ बिना टैलेंटके कोईजीत नहीं सकता
सही कहा भाई ....जायदा ही एक्टिंग में हैं ये ...अपने आप को बहुत बड़ा ज्ञाता समझता हैं
maa kasam jisne subscribe ni keya wo pakka exam me fail ho jayega 😢❤o😮
Unhone mahabharat padhi h.... Tujhe padhna aata nhi... Nhi to tujhe pata hota ki karn se mahan arjun tha
@@Anthonygonsalvis kya mahan tha usme btana zra......me toh dekhu tune kitni padi hain Mahabharata
@@mr_sunil900 wo dharmatma tha, sarvshreshth dhanurdhar tha, bhagwan krishn ka chahita tha, maharthi tha, only person who impressed Lord shiva, arjuna was loved by pitamah bheeshm, aacharya dron, never jealous to anyone, karn ki tarah ahankari nhi tha... Most humble character of mahabharat
बहुत शर्म की बात है, जो लोग किसी योद्धा का एक गुण भी चरित्र में नहीं होगा और बातें कर रहे दिव्य महान अवतारी लोगो की कभी उनका आह्वाहन भी नही किया होगा न किसी कोई ग्रंथ पढ़ा होगा। उन महान विभूति की बातें करना शायद बचकानी हरकत होगी । बिना अनुभव बिना अभ्यास के ज्ञान सिर्फ खोखला है।
Mahanayak Arjuna 🗿 jisne virat yudh me karn ko bhaga bhaga ke mara tha 😂 Jewan dan diya us din
Ek alag hi generation hai ab
Jaha sab Korovo ki trf hai...
Yeh hai Kali Yuga
दानवीर कर्ण
Trade Kiya tha murkh, shakti ashtra se
क र्धर्म नहीं था अधर्म बनाया गया पांडव को बहुतअहंकार था कर्ण का सूत्त पुत्र कहकर क्य हमेशा बुलाता था बेज्जती करता क्या पांडे को ही धर्म था दूसरों को नीचा दिखाना कर्ण ने अपने वचन के वजह से खड़े रहे दुर्योधन को वचन दे चुका था भरी सभा में सभी ने बेच्चत किया था कर्ण को दुर्योधन ने उसकी इज्जत दिया उसने उसको राजाबनाया था उसने अपने मित्र के साथ कभी चल नहीं किया ऐसा महान दोस्त कर्ण था
को
द्रौपदी स्वयंवर में अर्जुन की शक्ति देखकर कर्ण ने उसकी तुलना भगवान परशुराम, भगवान विष्णु या भगवान इंद्र से की थीः
'कर्ण ने कहा, "हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! मैं आपकी भुजाओं के बल से, जो युद्ध में थकती नहीं, तथा शस्त्रों पर आपके अविचल नियंत्रण से प्रसन्न हूँ। हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! क्या आप शस्त्र विद्या के साक्षात् साक्षात् राम हैं?34 या आप स्वयं हरिहय35 हैं? अथवा आप स्वयं अच्युत विष्णु हैं? क्या आपने अपना वेश धारण करने के लिए ब्राह्मण का रूप धारण किया है तथा अब अपनी भुजाओं का बल जुटाकर आत्मरक्षा के लिए मुझसे दृढ़तापूर्वक युद्ध कर रहे हैं? युद्ध क्षेत्र में जब मैं क्रोधित होता हूँ, तो शची के पति 36 और पांडव किरीटी 37 के अलावा कोई भी मेरा सामना नहीं कर सकता।"
ये शब्द सुनकर फाल्गुनी 38 ने कहा, "हे कर्ण! मैं साक्षात् शस्त्रविद्या नहीं हूँ। न ही मैं शक्तिशाली राम हूँ। मैं तो केवल एक ब्राह्मण हूँ, योद्धाओं में प्रमुख और शस्त्रविद्या जानने वालों में सर्वोच्च हूँ। अपने गुरु की कृपा से मैं ब्रह्मा और पौरंदर39 अस्त्रों के प्रयोग में निपुण हो गया हूँ। हे योद्धा! थोड़ी देर रुको। मैं आज युद्ध में तुम्हें हराने के लिए यहाँ खड़ा हूँ।
ये शब्द सुनकर राधेय कर्ण युद्ध से हट गया, क्योंकि महारथी ने सोचा कि ब्राह्मण बल अजेय है।'
द्रौपदी-स्वयंवर पर्व- अध्याय १८१
सुर्यपुत्र कर्ण का ३८२ ऐपीसोड बहुत कुछ सिखा जा सकते है
Right kumar Sir
छल से अभिमन्यु वध, सही या गलत
Ramji v to sita ji k swambar me bina bulaye chale gaye the,Arjun v to dropadi k swambar me bina bulaye gaye the tab kaha gaya tha inlog ka dharm,
Swayamvar mei gaye the fir anumati bhi li thi bhaag lene se pehele kaniya aur raaja ki. Aur swayamvar raj vanshiyo ke liye hi tha aur woh bhi raj vansh se the toh bhaag le sakte the. Abhi parivar ke rajkumaro mei spardha hai koi teesra jo Rajkumar nahi aayega toh mana hi karege na. Yuddh thodi tha ke mana na kar sake jinki spardha unnke niyam.
Sirne sahi bola hai thoda khule mann se suno toh avashya samjhega
Wo Raja the beta . Kewl Raja aur rajkumar ko hi Jana tha naa ki tere jaise anter fanter ko to thoda dimag khol kr questions Kiya kro , sorry tere pass to dimag hi nhi n hoga koyi baat .. usi tarh Mahabharata me bhi Raja aur rajkumar ke bich pratiyogita thi to wahi aa skte the aur dusra nhi ki mai bhi chal dun majduri krke 😂😂😂 ab sayad smjh gya hoga tu okkk
Shree Radhe ❤
ये सही और गलत की परिभाषा पुरानी हो चुकी है
व्यक्ति के अन्दर हजारो अच्छाईयां होती है और हजारो बुराईयां
कर्ण पूरे महाभारत को अकेले खत्म कर सकता था क्योंकि उसके कवच को स्वयं नारायण भी नहीं भेद सकते थे🙏🙏
Are bhai aap brame he narayan chahe wohi hone wala tha
Sir virat yodh padahe na aapne?
Ooo Bhai Narayan ek potthar se v karn ka kavash ved sakta tha .nar Narayan ne 999 kavash ved dya tha .bhishma ko issa mrityu ki vardan tha Krishna ne kaha Aisa koi ashirbad Aisa koi avisharp nahi jisko krisna mythya nahi kar sakta tha
Krishna ne ek hi jhtke mei Mahabharata youdhya khatam kar deta .karn to chodho krne se bara yodhya barbarik ko v sudarshan se kat dya tha
ha. karn hi bhagwan he . logo ko har dev ko chorke sirf karn kahi pooja karna chahiye
कितने भी रामायण या महाभारत का सीरियल बन जाय लेकिन रामानद सागर जैसा ना रामायण बनेगा ना महाभारत
Aap se ye umeed nhi thi ki aap aisa bologe dronacharya ne khud pure vishwa ke dhanurdhariyo ko bulaya tha TB karna utra tha rangbhumi m jab tk pricha Rajkumaro ke bech tha wo chup tha 😅
He was defeated Fair and Square. Chronology of events :-
In battle karna is badly injured and bathed in blood even before his chariot wheel sunk.
The wheel of karnas chariot sink in earth. By this time Arjuna had invoked Raudrastra against him but takes back after his chariot wheel sinks.
Karna invokes Dharma and asks Arjuna and Krishna to stop.
Krishna shows him Mirror by reminding him all his Adharmas right from Poisoning of bhima , abusing and mistreatment of draupadi to deceitful killing of Abhimanyu and rejects his arguments.
Karna hangs down Head in Shame and understands that his trick is failed. Krishna asks Arjuna to continue battle.
Karna Arjuna battle begins again. Karna invokes Brahmastra from ground with great difficulty and Arjuna counters it with his own Brahmastra.
Arjuna fires Agneya Weapon and Karna counters with Varuna astra and covers sky with cloud.
Arjuna nullifies Varuna Weapon with Vayavya Weapon.
Then Arjuna took out Anjalika arrow and fixed on bow and uttered the speech that if he has practiced ascetic austerities , gratified elders and superiors , and listening to the council of well wishers then let this arrow slay his enemy karna.
Arjuna Shoots the Anjalika arrow and it cuts off the Head of Karna.
He was killed Fair and Square. He had weapons which he used and countered Arjunas weapons also from ground..
Note :- My Answer is Based on Authentic Versions of Mahabharat BORI CE and KMG.
*विजेता पक्ष द्वारा किया गया अधर्म भी धर्म कहलाता है।।*
Agree with you, modi bjp is will cheat and kumar is bjp andh bhakt, we need to remove dictatorship, sanadana, brahmanical patriarchy, as former prime minister Manmohan Singh said Muslims have the first claim to the nation's resources. We need secular Govt and educated leaders like Kejriwal, Rahul, Owaisi.
विश्वास जी से प्रसन हैं बताये की विधान सिर्फ कर्ण के लिए हैं
कर्ण के भाई को जो ओम नमह शिवाय kahne पर सोना पिघला कर डाल दिया जाता हैं
ये कहा का धर्म हैं
ऐसा लगता हैं कुमार विश्वास को जायदा ही जानकारी हैं ..खुद एक बात पे टिकते नही ..कभी कुछ बोलते हैं कभी कुछ....कुछ दिन पहले एक बयान दिया था उसमे कुछ और बोला ..... इंटरव्यू में ego देखो जो बंदा इंटरव्यू ले रहा हैं वो नॉर्मल बैठा हैं और इसे देखो ये कैसे एक्टिंग में बैठा हैं 🙄🙄
You right
कर्ण बड़ा भाई था। तो राज्य उसका था।
Lagta hai peaceful cumminity se hai tu
@@mr_sunil900 कर्ण महान है
Very true.
Real life me bhi bahut rude hai ye
अर्जुन में एक नहीं, बल्कि अनेकों ऐसी विशेषताएं थीं, जो उसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बाद सर्वश्रेष्ठ योद्धा ही नहीं, बल्कि सर्वोत्तम व्यक्तित्व भी बनाती है. जहां एक ओर अर्जुन ज्ञान का लगातार अर्जन करने वाला, सव्यसाची, मितव्ययी, तपस्वी, अहंकार विहीन, धर्मज्ञ, शिष्ट, ज्ञानी पुरुष था. वहीं दूसरी ओर उसमें करूणा, दया जैसे मानवीय गुणों का भंडार भी था. महाभारत नहीं पढ़ने वाले ही कर्ण को महान योद्धा मान सकते हैं. जबकि कर्ण एक पराजित और पलायित योद्धा था.
The legend warrior karna🌄🔥
Isliye Virat yudh, gandharv yudh hara😂😂😂😂drupad se Kauravas sahit haar gya 😂😂uske bete vrishsen ko Arjun ne uske saamne mara usko bhi bacha nhi paya
@@topoint878abe stories hi to hai kya farak padta hai itna explanation kyu de rahe ho😂
Agar galat logoko idiolise karoge toh galat hi seekhoge. Isliye explanation dena zaroori hai. And above all thoda acche logoka suno toh samjhega yeah sab sirf katha nahi hai itihas hai.@@pragneshkumar2517
Kux vi hago mat
@@pragneshkumar2517 nhi... karna was main villain of Mahabharat uska victimisation band hona chahiye....
कर्ण के बुरे वक्त में जब किसी ने कर्ण का साथ नहीं दिया था तब दुर्योधन ने ही कर्ण का साथ दिया था इसलिए अधर्म का साथ देना कर्ण कि नियती और मजबूरी बन गई थी
to tu adharmi ko justify kar raha hai😂 is hisaab se to dawood ibrahim, laden sab sahi the
जाति ब्यवस्था अनुसार यदि कर्ण शूद्र थे तो बुद्ध क्षत्रिय.. क्यों भाई नील कमल.. 😜😜😜
Sudra nahi bhai soot😂
😂😂
इसकी बात का कोई शिर पैर नही है कर्ण जैसा महाभारत मे कोई नही था कर्ण अकेला महाभारत का युद्ध जीत सकते थे
Bhai Virat yuddh ar gandharva yudh ke baare m padh ye doubt dur ho jaega😂
जब आप सीरियल वाली महाभारत देखते हो तो ऐसा ही होता है। वेद व्यास रचित महाभारत कभी पढ़ लिया करो 😂😂😂
Tu Jai bhim wala h kya😂😂
To kyun nahi jeet paya?
अच्छा
अगर कृष्ण जी न होते तो अर्जुन कुछ न कर पता कर्ण का...
कर्ण जाने कब चाट लेता अर्जुन को रण भूमि में...👍
कर्ण महान योद्धा था...🙏🙏