■ श्री किरंतन ग्रंथ - प्रकरण 89 ■ शब्दों की कटुता ■ अब जो साइत इत होत है, सो पिउ बिना लगत अगिन । ए हम सह्यो न जावहीं, जो साथ में कहे कोई कटुक वचन ।। 13 ■ प्रियतम अक्षरातीत के दर्शन बिना एक एक पल जो बिता जा रहा हैं, अग्नी के समान कष्टकारी प्रतीत हो रहा हैं । यदि सुंदरसाथ में कोई व्यक्ती किसी के प्रति कटु शब्दों का प्रयोग करता हैं तो मुझे वह सह्य नहीं हैं । ■ कटु शब्दों के घाव अस्त्र शस्त्रों के घाव से अधिक तीखे होते हैं । जो सुंदरसाथ किसी को भी कटु शब्दों से संबोधित करते हैं वे स्वप्न में भी श्रीजी की कृपा के पात्र नहीं बन सकते । ● योगमाया ● महा-योगमाया ● परम-योगमाया ● ■ योगमाया ( चतुष्पाद ) एक सूक्ष्म परमाणु हैं तो महा-योगमाया 100 योजन क्षेत्र का गोल विस्तार ■ ■ महा-योगमाया एक सूक्ष्म परमाणु हैं तो परम-योगमाया 100 योजन का गोल विस्तार हैं ■ ● नई सृष्टी में सभी प्रकार के योगमाया ब्रह्मांडों का विराट समुद्र ■ कोई भी परम पुरुष कितनी भी विराट सृष्टी बनाए या उस सृष्टी का विस्तार प्रतिपल खरबों गुना हो तब भी अनंत के समक्ष एक सूक्ष्म कण हीं होगा 🎉
Bhuvan Bam se nare Akhand Paar Mere Balaji Shiv Shankar Ek chakka Aadha Ghanta per Hindi gana kahan hai Khoj khoj khochak per Mara Balaji Jaane Ke Mul Apna apni sokar ke Dam
■ केवल ब्रह्म कौन हैं ? - सदाशिव या परमशिव ■ ● अक्षरब्रह्म चित्त ऐसे भयो, ताको नाम सदाशिव कह्यो ● ● क्या केवल ब्रह्म हीं सदाशिव हैं ? तो फिर परमशिव कौन हैं ? ● केवल ब्रह्म को हीं अक्षरब्रह्म का चित्त होने से सदाशिव कहाँ गया हैं ? ● केवल ब्रह्म की अर्धांगिनी योगमाया ● ■ तारतम निजानंद - केवल ब्रह्म = परमशिव = सदाशिव = ? ■ ● केवल ब्रह्म को हीं शास्त्रों में परमशिव कहाँ गया हैं । ● केवल ब्रह्म अपनी योगमाया से करोडो ब्रह्मांडों की रचना पलभर में करके अगले हीं पल नष्ट कर सकता हैं । ● इसी अचिंत्य शक्ती योगमाया को शास्त्रों में • चिदानंद लहरी ( सौंदर्य लहरी - आदी शंकराचार्यजी ) कहाँ गया हैं । ■ सत्स्वरूप ब्रह्म ( ब्रह्मशिव ) ● केवल ब्रह्म ( परमशिव ) ● सबलिक ब्रह्म ( महाशिव ) ● अव्याकृत ब्रह्म ( शिव ) ■ ● सबलिक ब्रह्म के सूक्ष्म में चिदानंद लहरी पंचशिवासन पर विराजमान हैं । इन पंचशिव में सदाशिव और परमशिव अलग स्वरूप हैं लेकीन प्रणवब्रह्म के समय परमशिव हीं सदाशिव रूप में विस्तार करते हैं । ● अस्राफिल ( सदाशिव ? ) और जबराईल ( महेश्वर ? ) ●
Prem Pranam ji ❤❤❤❤
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
Pranam ji sundarsaath
Jai Dham Dhani k nath pranam sundar sath 🎉
■ भगवान महाविष्णु - महाकारण शरीर ■
● शुद्ध महाकारण - प्रतिभासिक अनित्य रासलिला
● शुद्ध कारण - प्रतिभासिक अनित्य ब्रजलिला
● शुद्ध सूक्ष्म - प्रतिभासिक अनित्य वैकुंठ
■ विष्णुलोक - सखाभाव रामोपासक
■ सतलोक - सखाभाव कबीर उपासक
● धर्मदास कबीर सत्पुरुष तीन सुरती
● हँसरूप सखियाँ विहार करती हैं
■ श्वेतद्विप - सखाभाव
■ पुष्करद्विप - सखीभाव
● शुद्ध स्थूल - पंचशिवासन उन्मुनी शक्ती
■ मन - संकर्षण ● बुद्धी - अनिरुद्ध ● चित्त - वासुदेव ● अहम - प्रद्युम्न ■
प्रेम प्रणाम जी
Pranamji🙏❤️🙇
🙏 Pranam jii🙏
Prannath pyare ki jay
आपके कोमल चरणों में मेरा प्रेम प्रणाम मेरे प्राण प्रियतम राज श्यामा जी 🙇♀️🙏💞❤🥰
Pranaam ji
Pranamji 👏👏
Prem parnam ji Sunder sath ji
Pranam ji Jay shree Raj jai sayam ji
🙏Pranamji🙏
jai shree raj ji❤️
Koti koti pranam ji dhamdhani 🌹🙏🙏🌹
jy shree Raji mamahaj
Jay shree rajshyama 🙏🙏🙏🙏🙏
Pranamji
Parnnam ji sunder sath ji
Prem parnam ji 🙏
प्रणाम जी 🙏🙏🙏
Pranam ji 😊
Prem pranam ji ♥️🙏♥️🙏
Pranam ji ❣️🙏
🙏Pranam🙏
सप्रेम प्रणाम जी
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🪔☝️🤲👀✌️🌞💥🔥🧖♂️🤦♂️😭 Happy New Year
Pranam ji
■ श्री किरंतन ग्रंथ - प्रकरण 89 ■ शब्दों की कटुता ■
अब जो साइत इत होत है, सो पिउ बिना लगत अगिन ।
ए हम सह्यो न जावहीं, जो साथ में कहे कोई कटुक वचन ।। 13
■ प्रियतम अक्षरातीत के दर्शन बिना एक एक पल जो बिता जा रहा हैं, अग्नी के समान कष्टकारी प्रतीत हो रहा हैं । यदि सुंदरसाथ में कोई व्यक्ती किसी के प्रति कटु शब्दों का प्रयोग करता हैं तो मुझे वह सह्य नहीं हैं ।
■ कटु शब्दों के घाव अस्त्र शस्त्रों के घाव से अधिक तीखे होते हैं । जो सुंदरसाथ किसी को भी कटु शब्दों से संबोधित करते हैं वे स्वप्न में भी श्रीजी की कृपा के पात्र नहीं बन सकते ।
● योगमाया ● महा-योगमाया ● परम-योगमाया ●
■ योगमाया ( चतुष्पाद ) एक सूक्ष्म परमाणु हैं तो महा-योगमाया 100 योजन क्षेत्र का गोल विस्तार ■
■ महा-योगमाया एक सूक्ष्म परमाणु हैं तो परम-योगमाया 100 योजन का गोल विस्तार हैं ■
● नई सृष्टी में सभी प्रकार के योगमाया ब्रह्मांडों का विराट समुद्र
■ कोई भी परम पुरुष कितनी भी विराट सृष्टी बनाए या उस सृष्टी का विस्तार प्रतिपल खरबों गुना हो तब भी अनंत के समक्ष एक सूक्ष्म कण हीं होगा 🎉
Bhuvan Bam se nare Akhand Paar Mere Balaji Shiv Shankar Ek chakka Aadha Ghanta per Hindi gana kahan hai Khoj khoj khochak per Mara Balaji Jaane Ke Mul Apna apni sokar ke Dam
Es song par chote baccho ka program dalo please
Song nahi AARATI hai
Pranam ji 🙏🙏
🇮🇳🪔☝🤲🌞💥🧖♂️👀🐅🦚🙇♂️🤣📿 Man picture Sarkari hai Charanon Ki samajhti Hai Chahe Bhula Nahin
■ केवल ब्रह्म कौन हैं ? - सदाशिव या परमशिव ■
● अक्षरब्रह्म चित्त ऐसे भयो, ताको नाम सदाशिव कह्यो ●
● क्या केवल ब्रह्म हीं सदाशिव हैं ? तो फिर परमशिव कौन हैं ?
● केवल ब्रह्म को हीं अक्षरब्रह्म का चित्त होने से सदाशिव कहाँ गया हैं ? ● केवल ब्रह्म की अर्धांगिनी योगमाया ●
■ तारतम निजानंद - केवल ब्रह्म = परमशिव = सदाशिव = ? ■
● केवल ब्रह्म को हीं शास्त्रों में परमशिव कहाँ गया हैं ।
● केवल ब्रह्म अपनी योगमाया से करोडो ब्रह्मांडों की रचना पलभर में करके अगले हीं पल नष्ट कर सकता हैं ।
● इसी अचिंत्य शक्ती योगमाया को शास्त्रों में • चिदानंद लहरी ( सौंदर्य लहरी - आदी शंकराचार्यजी ) कहाँ गया हैं ।
■ सत्स्वरूप ब्रह्म ( ब्रह्मशिव ) ● केवल ब्रह्म ( परमशिव ) ● सबलिक ब्रह्म ( महाशिव ) ● अव्याकृत ब्रह्म ( शिव ) ■
● सबलिक ब्रह्म के सूक्ष्म में चिदानंद लहरी पंचशिवासन पर विराजमान हैं । इन पंचशिव में सदाशिव और परमशिव अलग स्वरूप हैं लेकीन प्रणवब्रह्म के समय परमशिव हीं सदाशिव रूप में विस्तार करते हैं ।
● अस्राफिल ( सदाशिव ? ) और जबराईल ( महेश्वर ? ) ●
Prem pranam ji 🙏🙏🙏🙏🙏❤❤
Pranam ji
Pranam
Pranam ji