कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है। शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ? …लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं। परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए- माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर। आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।। वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।। एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए- मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार। तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।। कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे- कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान। जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।। भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट। पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।। राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है। कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।। राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था- गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।। इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था। क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ? कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते- हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ। सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।। क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ? कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार। मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।। कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है- कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और। हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।। परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए- राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय। जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।। कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय। मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है। शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ? …लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं। परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए- माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर। आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।। वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।। एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए- मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार। तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।। कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे- कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान। जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।। भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट। पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।। राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है। कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।। राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था- गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।। इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था। क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ? कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते- हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ। सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।। क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ? कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार। मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।। कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है- कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और। हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।। परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए- राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय। जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।। कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय। मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
वेदों में प्रमाण है कबीर परमात्मा सबका जनक है, सर्वोत्पदक है। वह मां से जन्म नहीं लेता। वह अविनाशी परमात्मा कबीर है। साहिब होकर उतरे, बेटा किसी का नाही। जो बेटा होकर उतरे, वो साहिब भी नाही।।
Maharaj meri bhabhi brain tumor ho gaya hai koi upay bata den aapki badi kripa hogi to Ham Mana lenge ki sant Kabir Parmatma hamen Vishwas hai humko Kabir Saheb Parmatma hai tu ye theek ho jaega
उसका नाम कबीर दास है कविरदेव नहीं है।वेदो शास्त्रों का सहारा रामपाल गलत अपनी जिद से ले रहा है।खुद रामपाल के कितने नाम है क्या रामदिन रामाधार रामसिंह रामेश्वर आदि सब नाम रामपाल के तो नहीं है।आप सबिअनुयायी भी सब नामों को रामपाल नही स्वीकार करेंगे।फिर वेद शास्त्रों में जो नाम कवि कविरतयो कवीरगरभिह आदि नाम है उनको कबीर क्यों स्वीकार रहे हैं। रामपाल के जाल से निकलो।
🌻 *सतगुरु कबीर वाणी* 🌻 *कबीर, जल ज्यौं प्यारा माछली, लोभी प्यारा दाम।* *माता प्यारा बालका, भक्त प्यारा राम।।* *कबीर, प्रेम बिना जो भक्ति है, सो निज डिंभ विचार।* *उदर भरन के कारने, जन्म गवावै सार।।*
कबीर साहिब जी ही पूर्ण प्रभु, मुक्ति के दाता, पापों के शत्रु हैं जिनकी गवाही सभी वेद व ग्रंथ भी देते हैं .... कबीर_ही_पूर्णप्रभु यजुर्वेद में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा चारों युगों में कमल के फूल पर एक शिशु रूप धारण करके प्रकट होते हैं और कुवारी गाय के दूध पीते हैं। और ऐसा करने वाला केवल "पूर्णब्रह्म_कबीर साहेब हैं। कबीर परमात्मा का शरीर नाड़ियों से नहीं एक नूर तत्व से बना है। कबीर साहिब जी ही अविनाशी प्रभु हैं, सर्व के उत्पत्ति करता है।
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है। शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ? …लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं। परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए- माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर। आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।। वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।। एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए- मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार। तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।। कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे- कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान। जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।। भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट। पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।। राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है। कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।। राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था- गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।। इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था। क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ? कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते- हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ। सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।। क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ? कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार। मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।। कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है- कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और। हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।। परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए- राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय। जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।। कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय। मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
कबीरपरमेश्वर_का_अवतरण वेदों में प्रमाण है कबीर परमात्मा सबका जनक है, सर्वोत्पदक है। वह मां से जन्म नहीं लेता। वह अविनाशी परमात्मा कबीर है। साहिब होकर उतरे, बेटा किसी का नाही। जो बेटा होकर उतरे, वो साहिब भी नाही।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)।
Parmeshvar kabir ॠग्वेद मन्डल 9 सुक्त 96 मंत्र 18 व मंत्र 17 मे प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर शिशु रुप धारण करके प्रकट होता है, कविताओ द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है |
रियल गोल्ड कबीर भगवान है वेदों में परमात्मा का शाश्वत व साकार होना बताया गया है परमात्मा सतलोक से पृथ्वी पर आते हैं तथा अपने बारे में स्वयं ही प्रमाण देकर बताते हैं
वेद मेरा भेद हैं ये पूर्ण परमात्मा कबीरदेव, कविर्देव, कबीर साहेब जी का है कथन है व सर्वधर्मों के सद्ग्रन्थों में भी उनकी महिमा का वर्णन भी है लेकिन इसको उजागर किया है विश्व के एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी ने उन्हें पहचानने में देर न करें। नोट:- 84 से बचने का सिर्फ यही उपाय है।
संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एक ऐसा दहेज रहित, नशा मुक्त कुरीतियों को दूर करके भारत में ही नहीं पूरे विश्व में अपना नियम लागू करेंगे!👇👇👇🏼👇👇 देखें साधना चैनल पर सत्संग 7:30 PM
Satlok परमेश्वर कबीर जी ने स्वामी रामानन्द जी, संत धर्मदास जी, संत गरीबदास जी, संत दादू जी तथा संत नानक देव जी को सत्यलोक मे ले जाकर अपना परिचय करवाकर प्रथ्वी पर शरीर मे छोडा था |फिर सबने परमात्मा की कलम तोड महिमा गाई |
इस संसार में कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति करने से ही हम सबका मुक्ति हो सत्का है । यह वेदों में भी प्रमाण है और अधिक जानने के लिए साधना चैनल देखे साम 7,30 से 8,30 pm
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं "धाणक रूप रहा करतार" राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24 नानक देव जी कहते हैं :- मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 96 मंत्र 18 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कबीर्देव हैं,जो तीसरे मुक्ति धाम अर्थात सतलोक में रहता है !जिसकी भक्ति करने के बाद, साधक का फिर से जन्म और मरण नहीं होता, अर्थात सतलोक चला जाता है !
विष्णु जी पूर्ण परमात्मा नहीं है, इनकी पूजा से हमें ना तो कोई लाभ है और ना ही कोई हानि। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है, यही हमें पूर्ण मोक्ष प्रदान कर सकते हैं।
परमात्मा सशरीर है। निराकार नहीं है। परमात्मा शास्वत स्थान यानि सचखण्ड, सतलोक में रहता है। वह एकदेशीय है। परमात्मा का नाम काविर देव है। जिनको अन्य भाषाओ में कबीर साहिब, हक्का कबीर, सत कबीर, अल्लाह हु अकबर, कबीरन, कबीरा, खबीरा, नामो से जाना जाता है। परमात्मा अपने भगतों की आयु बढ़ा सकता है । परमात्मा अपने भगतों के पाप नष्ट कर सकता है ।
सतलोक कहां है ? सतलोक इस काल लोक से 16 संख कोस की दूरी पर ऊपर है। सतलोक के ऊपर 3 लोक और है, अगम लोक,अलख लोक तथा सबसे ऊपर अनामी लोक। इन तीनों लोकों में परमात्मा अपने अलग-अलग रूप में विराजमान है। सतलोक में परमात्मा ने सर्वप्रथम 16 द्वीप बनाएं उसके बाद 16 पुत्रों की उत्पत्ति की। इसके बाद अक्षर पुरुष तथा क्षर पुरुष(काल/ ज्योत निरंजन) की उत्पत्ति हुई तथा उसके बाद हम सभी जीवो की उत्पत्ति परमात्मा ने सतलोक में की थी। हम ने वहां पर गलती की थी कि हम परमात्मा कबीर जी जो कि हमारे जनक हैं, उनको छोड़कर काल क्षर पुरुष/ ज्योति निरंजन पर आसक्त हो गए। परमात्मा ने हमसे रुष्ट होकर हमें जोत निरंजन के साथ भेज दिया। काल ने 70 युग तक एक पैर पर खड़े होकर तप किया जिसके फलस्वरूप उसे परमात्मा ने उसे 21 ब्रह्मांड दे दिए। दोबारा 70 युग तके तप करने पर परमात्मा ने उसे पांच तत्व और तीन गुण दिए। इतने से भी असंतुष्ट जोत निरंजन ने 64 युग तक तप फिर किया जिसके फलस्वरूप उसने परमात्मा से कुछ आत्माएं उसके ब्रह्मांड में रहने के लिए मांगी। तो परमात्मा ने उसे कहां की जो आत्मा तेरे साथ जाना चाहती हैं वह जा सकती है। जब वह तप करता था तो हम सभी वहां इस पर आसक्त हो गए। जिन भी आत्माओं ने दोनों हाथ उठाकर काल के साथ आने की स्वीकृति दी वह इसके साथ आ गई यहां 21 ब्रह्मांड में 84 लाख योनियों के चक्कर मे पड़ी है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं। प्रमाण के लिए देखें ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 86 मंत्र 26,27 ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1 अधिक जानकारी के लिए देखें सारथी टीवी 6:30 pm से रोजाना।
कबीर,नो मण सूत उलझया, ऋषि रहे झक मार। सतगुरु ऐसा सुलझा दे,उलझे न दूजी बार।। तत्व ज्ञान को संत रामपाल जी महाराज ने इस तरह सुलझा दिया है कि अब ये कलयुग में तो नही उलझ सकता😊😊
वेदो मे प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कबीर देव यानी कबीर साहेब हैं जो काशी में कमल के फूल पर आकर विराजमान हुए थे अधिक जानकारी के लिए पढे पुस्तक ज्ञान गंगा
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है। शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ? …लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं। परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए- माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर। आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।। वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।। एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए- मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार। तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।। कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे- कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान। जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।। भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट। पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।। राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है। कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।। राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था- गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।। इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था। क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ? कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते- हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ। सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।। क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ? कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार। मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।। कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है- कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और। हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।। परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए- राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय। जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।। कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय। मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
God is in form and his name is Kabir Saheb, All sacred books giving evidence that Kabir_is_God Know the way of worship by Saint Rampal Ji Maharaj On Sadhna tv at 7:30pm
ऐसा रहस्य जो हमारे सद्ग्रंथों में लिखा हुआ था लेकिन हमें आज तक किसी ने नहीं बताया लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने एक एक पृष्ठ को खोल कर बता दिया है कि वह परमात्मा कबीर है जो सर्व सुखदाई है पूर्ण मोक्ष दायक है।
लक्ष्मी दास **सत् साहेब गुरूजी ** बार बार डण्डवत प्रणाम गुरूजी **जय हो बन्दी छोड़ की** गुरूजी आप दया का हाथ हमारे शिर पर रखें दास बहुत परेशान है समय और भक्ति दोनों नुकसान हो रहा है । धन्यवाद गुरूजी **सत् साहेब**
वेदों में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान है गीता जी में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है कुरान शरीफ में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है बाइबिल में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
चारों पवित्र वेद गीता जी तथा गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है कि साहेब कबीर जी पूर्ण मोक्ष दायक परमात्मा है तथा हमें उन्हीं की पूजा करनी चाहिए l इस समय इस धरती पर संत रामपाल जी पूर्ण गुरु हैं
बिल्कुल सही पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब और हमारे सभी सत ग्रंथों में प्रमाण हैं कि कबीर साहेब भगवान है वह सिर्फ दुनिया में संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं और वही तत्वदर्शी संत हैं जो गीता जी में बताया गया है और कुरान शरीफ में उनको बाखबर बताया गया है
Sat shaheb ji 🎉🎉🎉🎉🎉🎉
सतभक्ति देकर सबको एक ही मानवता के सूत्र में बांध रहे हैं सतगुरु रामपाल जी महाराज।
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान झूठे गुरु मर गए होगे भूत मसान
रामपाल जेल में चटनी पीस रहा है
कबीर,सतगुरु को सिजदा करू, ये कर्म छुटाए कोट।
जो ऐसे सतगुरु की निंदा करे,यम तोड़ेंगे होठ।।
कबीर भोसड़ी
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe
भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है।
शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ?
…लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं।
परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए-
माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।
वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि
साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।।
एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए-
मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार।
तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।।
कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे-
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान।
जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।।
भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे-
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।।
राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है।
कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ।
गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।।
राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था-
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।।
इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था।
क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ?
कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते-
हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ।
सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।।
क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ?
कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि
बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।।
कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है-
कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और।
हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।।
परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए-
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।।
कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि
समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय।
मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
सभी धर्मों के वेद शास्त्रों में कबीर परमेश्वर की महिमा का वर्णन करते हैं।
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe
भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है।
शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ?
…लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं।
परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए-
माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।
वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि
साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।।
एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए-
मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार।
तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।।
कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे-
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान।
जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।।
भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे-
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।।
राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है।
कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ।
गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।।
राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था-
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।।
इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था।
क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ?
कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते-
हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ।
सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।।
क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ?
कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि
बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।।
कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है-
कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और।
हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।।
परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए-
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।।
कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि
समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय।
मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
Vaido Mai Pramaan Hai Kabir Bhagwaan Poorna Parmatma
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है वेदों में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की महिमा का गुणगान है वीडियो को ध्यान से देखें
परमातमा कबीर साहेब जी ही हैं पक्का वो जो काशी मे छ:सौ साल पहले आये थे जन्मे नही थे आये थे और चले गये
राम नाम कड़वा लगे मीठे लागे दाम दुविधा में दोनों गए माया मिली ना राम सबका रक्षक कबीर परमात्मा है वेदों में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान है
कबीर रामपाल का मा का भोसड़ा
@@रोहितनायक-च7घ jai shree krashna
ये पागल वेदो का गलत अर्थ बता रहा है
🌹🌺🙏👏 Jai Ho Bandi Chhod Ki 🌺🌹👏🙏👏Sat 🌹Saheb 🙏🏻Ji🙏❤🙇🙇❤🙏❤🙇🙏❤ पूजनीय परमपिता❤🙇🙇❤ परमात्मा बंदी छोड़❤ 🙇🙇❤सतगुरु रामपाल जी ❤🙇🙇की जय।
सत साहेब जी।
बेदोंमे प्रमाण है कबिर साहेब भगवान है🙏🙏
वेदों में प्रमाण है कबीर परमात्मा सबका जनक है, सर्वोत्पदक है।
वह मां से जन्म नहीं लेता। वह अविनाशी परमात्मा कबीर है।
साहिब होकर उतरे, बेटा किसी का नाही।
जो बेटा होकर उतरे, वो साहिब भी नाही।।
Maharaj meri bhabhi brain tumor ho gaya hai koi upay bata den aapki badi kripa hogi to Ham Mana lenge ki sant Kabir Parmatma hamen Vishwas hai humko Kabir Saheb Parmatma hai tu ye theek ho jaega
@@shivashaktidarshan4252is u) e
कबीर सात दीप नौ खंड में गुरू से बड़ा ना कोय करता करै ना कर सके गुरू करै सो होय
वेदों में प्रमाण है कि उस परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है।
पवित्र अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7
उसका नाम कबीर दास है कविरदेव नहीं है।वेदो शास्त्रों का सहारा रामपाल गलत अपनी जिद से ले रहा है।खुद रामपाल के कितने नाम है क्या रामदिन रामाधार रामसिंह रामेश्वर आदि सब नाम रामपाल के तो नहीं है।आप सबिअनुयायी भी सब नामों को रामपाल नही स्वीकार करेंगे।फिर वेद शास्त्रों में जो नाम कवि कविरतयो कवीरगरभिह आदि नाम है उनको कबीर क्यों स्वीकार रहे हैं। रामपाल के जाल से निकलो।
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब ही अविनाशी भगवान है ।
सुनें जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन साधना चैनल शाम 7.30pm
🌻 *सतगुरु कबीर वाणी* 🌻
*कबीर, जल ज्यौं प्यारा माछली, लोभी प्यारा दाम।*
*माता प्यारा बालका, भक्त प्यारा राम।।*
*कबीर, प्रेम बिना जो भक्ति है, सो निज डिंभ विचार।*
*उदर भरन के कारने, जन्म गवावै सार।।*
ये लोग घुमाते हैं और तुम लोग घूमो। 😂😂
bandi chhod sat guru rampalji maharaj ji ki jai ho 🙏🏻
कबीर साहिब जी ही पूर्ण प्रभु, मुक्ति के दाता, पापों के शत्रु हैं जिनकी गवाही सभी वेद व ग्रंथ भी देते हैं
....
कबीर_ही_पूर्णप्रभु
यजुर्वेद में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा चारों युगों में कमल के फूल पर एक शिशु रूप धारण करके प्रकट होते हैं और कुवारी गाय के दूध पीते हैं। और ऐसा करने वाला केवल "पूर्णब्रह्म_कबीर साहेब हैं।
कबीर परमात्मा का शरीर नाड़ियों से नहीं एक नूर तत्व से बना है।
कबीर साहिब जी ही अविनाशी प्रभु हैं, सर्व के उत्पत्ति करता है।
पूर्ण परमात्मा एक है जिन्हे हमारे ग्रंथ भी प्रमाणित करते है और इन्हीं ग्रंथों का प्रमाणित ज्ञान तत्व दर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हम सभी को देते है
राम नाम कड़वा लागे, मिठे लागे दाम।
दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम।।
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है।
कभी पढ़ा है वेद मूर्ख ढोंगी है वो वेद गीता में कबीर का कहीं नाम भी नही है।
@@itsayushgamer6170 इसिलिए इन लोगों को पाखण्डि कहेते है 😁😁😁😁🤣🤣🤣🤣
जितने भी रामपाल के दास है वो सब गुमराह हो चुके है
@@itsayushgamer6170Kabir das mahantam sant the bhagwan nhi
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe
भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है।
शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ?
…लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं।
परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए-
माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।
वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि
साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।।
एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए-
मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार।
तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।।
कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे-
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान।
जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।।
भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे-
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।।
राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है।
कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ।
गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।।
राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था-
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।।
इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था।
क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ?
कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते-
हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ।
सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।।
क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ?
कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि
बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।।
कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है-
कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और।
हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।।
परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए-
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।।
कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि
समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय।
मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
पूरे विश्व में एक संत रामपाल जी महाराज ही ऐसे संत हैं जो अपने सद ग्रंथों से प्रमाणित ज्ञान बताते हैं
कबीरपरमेश्वर_का_अवतरण
वेदों में प्रमाण है कबीर परमात्मा सबका जनक है, सर्वोत्पदक है। वह मां से जन्म नहीं लेता। वह अविनाशी परमात्मा कबीर है।
साहिब होकर उतरे, बेटा किसी का नाही।
जो बेटा होकर उतरे, वो साहिब भी नाही।
वेदो में प्रमाण है कबीर साहब ही भगवान है।
पाखंडी रामपाल
🙏ये दुनिया अनजान हैं, कबीर साहेब भगवान हैं। वेदों में प्रमाण है, कबीर साहेब भगवान हैं।। 🙏
अरे मूर्ख दुनिया समझदार है, सभी जानते है हरामपाल मूर्ख है ।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब है यह वेदों में प्रमाण है अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना चैनल पर शाम 7:30 से 8:30 बजे तक मंगल प्रवचन
मतलब आप भी मानते हो कि वेद कबीर जी के बाद में लिखे गए।
अब देखना क्या सब गलत ही तो बता रहे हैं
हम सबके जनक पूर्ण परमात्मा अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब हैं।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)।
गुरु गोविंद दोनों खङे, काके लागूं पाए।
बलिहारी गुरु आपणे,जिन गोविंद दियो मिलाएं।।
Parmeshvar kabir
ॠग्वेद मन्डल 9 सुक्त 96 मंत्र 18 व मंत्र 17 मे प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर शिशु रुप धारण करके प्रकट होता है, कविताओ द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है |
Kabir is god 🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤
हमारे पवित्र वेदों में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब का पूर्ण विवरण दिया है वह कहां रहते हैं कैसे आते हैं किस को मिलते हैं और उनके क्या-क्या गुण हैं
ਪਿਛੇ ਲੱਗਿਆ ਜਾਉ ਥਾ ਮੈਂ ਲੋਕ ਵੈਦ ਕੇ ਸਾਥ।ਰਸਤੇ ਮੈ ਸਤਿਗੁਰੂ ਮਿਲੇ ਦੀਪਕ ਦੇ ਦਿਆ ਹਾਥ ।
ਨੋ ਮਣ ਸੂਤ ਉਲਝਿਆ ਰਿਸ਼ੀ ਰਹੇ ਝਖ ਮਾਰ। ਸਤਿਗੁਰੂ ਐਸਾ ਸੁਲਝਾ ਦੇ ਉਲਝੇ ਨਾ ਦੂਜੀ ਵਾਰ ।
रियल गोल्ड कबीर भगवान है वेदों में परमात्मा का शाश्वत व साकार होना बताया गया है परमात्मा सतलोक से पृथ्वी पर आते हैं तथा अपने बारे में स्वयं ही प्रमाण देकर बताते हैं
वेद मेरा भेद हैं ये पूर्ण परमात्मा कबीरदेव, कविर्देव, कबीर साहेब जी का है कथन है व सर्वधर्मों के सद्ग्रन्थों में भी उनकी महिमा का वर्णन भी है लेकिन इसको उजागर किया है विश्व के एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी ने उन्हें पहचानने में देर न करें। नोट:- 84 से बचने का सिर्फ यही उपाय है।
बिल्कुल सही कहा जी
बिल्कुल सही कहा आपने पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही है
संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एक ऐसा दहेज रहित, नशा मुक्त कुरीतियों को दूर करके भारत में ही नहीं पूरे विश्व में अपना नियम लागू करेंगे!👇👇👇🏼👇👇
देखें साधना चैनल पर सत्संग 7:30 PM
Very nice spiritual knowledge
Satlok
परमेश्वर कबीर जी ने स्वामी रामानन्द जी, संत धर्मदास जी, संत गरीबदास जी, संत दादू जी तथा संत नानक देव जी को सत्यलोक मे ले जाकर अपना परिचय करवाकर प्रथ्वी पर शरीर मे छोडा था |फिर सबने परमात्मा की कलम तोड महिमा गाई |
संत रामपालजी ही पूर्ण संत है जिन्होंने वेदो और सस्त्रो को सही समझा है और हम सबको ज्ञान दे रहे है |
इस संसार में कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति करने से ही हम सबका मुक्ति हो सत्का है । यह वेदों में भी प्रमाण है और अधिक जानने के लिए साधना चैनल देखे साम 7,30 से 8,30 pm
परमात्मा रोग नाश कर देता है वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं भगवान धरती में आ चुका है जागो संसार जागो
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
Purn Paramatma Kabir Saheb Ji Ke Param Pavan Charno Me Dass Ka Koti Koti Dandvat Pranam He 🙏🙇🌹
सबका मालिक एक केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है
Vedon me praman he,
Kabir saheb bhagwan he.
ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 96 मंत्र 18 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कबीर्देव हैं,जो तीसरे मुक्ति धाम अर्थात सतलोक में रहता है !जिसकी भक्ति करने के बाद, साधक का फिर से जन्म और मरण नहीं होता, अर्थात सतलोक चला जाता है !
गलत है वहां ऐसा कुछ भी परमाण नहीं है।
संत रामपाल जी महाराज ने वेदों से प्रमाणित किया है कि कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा है ।
In holy vedas a supreme god is kabir
परमात्मा साकार है, जिसका नाम कबीर है | यह संपूर्ण ज्ञान वर्तमान में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज के अलावा अन्य किसी भी संत के पास नहीं है
पूर्ण परमात्मा कविर्देव है - प्रमाण यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25 तथा सामवेद संख्या 1400 ।
विष्णु जी पूर्ण परमात्मा नहीं है, इनकी पूजा से हमें ना तो कोई लाभ है और ना ही कोई हानि। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है, यही हमें पूर्ण मोक्ष प्रदान कर सकते हैं।
Kabir is real god Sat Sahib
बंदी छोड़ रामपाल जी महाराज जी की जय हो ☺️❤️💝
🔅वेदों में प्रमाण है कि उस परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है।
पवित्र अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7
The real God is one and it's name is kabir saheb because in our all holy books the name of complete God written is kabir Bhagwan....
जय हो परमात्मा
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है पूर्ण परमात्मा की जानकारी के लिए देखिए रात साधना टीवी 7:30 से 8:30 तक
परमात्मा सशरीर है। निराकार नहीं है।
परमात्मा शास्वत स्थान यानि सचखण्ड, सतलोक में रहता है। वह एकदेशीय है।
परमात्मा का नाम काविर देव है। जिनको अन्य भाषाओ में कबीर साहिब, हक्का कबीर, सत कबीर, अल्लाह हु अकबर, कबीरन, कबीरा, खबीरा, नामो से जाना जाता है।
परमात्मा अपने भगतों की आयु बढ़ा सकता है ।
परमात्मा अपने भगतों के पाप नष्ट कर सकता है ।
दिनस न रैन वेद नहीं शास्त्र तहां बसै निरंकारा कहि कबीर नरि तिसहीं धियावहु बावरिया संसारा
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है।
-सर्वग्रन्थ सर्वधर्म
गुरु गोविन्द दोनो खड़े,किसके लागों पाय।
बलिहारी गुरु आपने,गोविन्द दियो बताय।
सतलोक कहां है ?
सतलोक इस काल लोक से 16 संख कोस की दूरी पर ऊपर है। सतलोक के ऊपर 3 लोक और है, अगम लोक,अलख लोक तथा सबसे ऊपर अनामी लोक। इन तीनों लोकों में परमात्मा अपने अलग-अलग रूप में विराजमान है।
सतलोक में परमात्मा ने सर्वप्रथम 16 द्वीप बनाएं उसके बाद 16 पुत्रों की उत्पत्ति की। इसके बाद अक्षर पुरुष तथा क्षर पुरुष(काल/ ज्योत निरंजन) की उत्पत्ति हुई तथा उसके बाद हम सभी जीवो की उत्पत्ति परमात्मा ने सतलोक में की थी। हम ने वहां पर गलती की थी कि हम परमात्मा कबीर जी जो कि हमारे जनक हैं, उनको छोड़कर काल क्षर पुरुष/ ज्योति निरंजन पर आसक्त हो गए। परमात्मा ने हमसे रुष्ट होकर हमें जोत निरंजन के साथ भेज दिया।
काल ने 70 युग तक एक पैर पर खड़े होकर तप किया जिसके फलस्वरूप उसे परमात्मा ने उसे 21 ब्रह्मांड दे दिए। दोबारा 70 युग तके तप करने पर परमात्मा ने उसे पांच तत्व और तीन गुण दिए। इतने से भी असंतुष्ट जोत निरंजन ने 64 युग तक तप फिर किया जिसके फलस्वरूप उसने परमात्मा से कुछ आत्माएं उसके ब्रह्मांड में रहने के लिए मांगी। तो परमात्मा ने उसे कहां की जो आत्मा तेरे साथ जाना चाहती हैं वह जा सकती है। जब वह तप करता था तो हम सभी वहां इस पर आसक्त हो गए। जिन भी आत्माओं ने दोनों हाथ उठाकर काल के साथ आने की स्वीकृति दी वह इसके साथ आ गई यहां 21 ब्रह्मांड में 84 लाख योनियों के चक्कर मे पड़ी है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं।
प्रमाण के लिए देखें ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 86 मंत्र 26,27
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1
अधिक जानकारी के लिए देखें सारथी टीवी 6:30 pm से रोजाना।
कबीर,नो मण सूत उलझया, ऋषि रहे झक मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे,उलझे न दूजी बार।।
तत्व ज्ञान को संत रामपाल जी महाराज ने इस तरह सुलझा दिया है कि अब ये कलयुग में तो नही उलझ सकता😊😊
सोई गुरु पूरा कहावे, दो आखर का भेद बतावै।
एक छुड़ावै एक लखावै, तो प्राणी निज घर को जावे।।
तत्व्दर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी है नाम दीक्षा लेकर मोक्ष पाएं अपना कल्याण करवाए
अगर मोक्ष पा गए तो पृथ्वी पर क्या कर रहे हैं।जाल में के जालंधर।
वेदो मे प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कबीर देव यानी कबीर साहेब हैं जो काशी में कमल के फूल पर आकर विराजमान हुए थे अधिक जानकारी के लिए पढे पुस्तक ज्ञान गंगा
ज्ञान ज्ञान है सत्य ज्ञान इसी को कहते हैं
🎉परमात्मा का नाम कबीर (कविर देव) है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रात 07:30 से।
सतभक्ति देकर सबको एक ही मानवता के सूत्र में बांध रहे हैं सतगुरु रामपाल जी महाराज।
कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe
भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है। जगतगुरू के अज्ञान की हालत यह है कि उन्हें अपने गुरू का पूरा नाम और उसका अर्थ भी पता नहीं है।
शॉर्ट में जिस हस्ती को कबीर कह दिया जाता है। उसका पूरा नाम कबीर दास है। कबीर अरबी में परमेश्वर का एक गुणवाचक नाम है जिसका अर्थ ‘बड़ा‘ है। दास शब्द हिन्दी का है, जिसका अर्थ ग़ुलाम है। कबीर दास नाम का अर्थ हुआ, ‘बड़े का दास‘ अर्थात ईश्वर का दास। कबीर दास ख़ुद को ज़िंदगी भर परमेश्वर का दास बताते रहे और लोगों ने उन्हें परमेश्वर घोषित कर दिया। श्री रामपाल जी भी यही कर रहे हैं। जिसे अपने गुरू के ही पूरे नाम का पता न हो, उसे परमेश्वर का और उसकी भक्ति का क्या पता होगा ?
…लेकिन यह भारत है। यहां ऐसे लोगों की भारी भीड़ है। अज्ञानी लोग जगतगुरू बनकर दुनिया को भरमा रहे हैं। अगर कबीरपंथी भाई कबीर दास जी के पूरे नाम पर भी ठीक तरह ध्यान दे लें तो वे समझ लेंगे कि कबीर दास परमेश्वर नहीं हैं, जैसा कि अज्ञानी गुरू उन्हें बता रहे हैं।
परमेश्वर से जुदा होने और उसका दास होने की हक़ीक़त स्वयं कबीर दास जी ने कितने ही दोहों में खोलकर भी बताई है। कबीर दोहावली में यह सब देखा जा सकता है। उनका पूरा नाम उनके मुख से ही सुन लीजिए-
माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।
वह स्वयं परमेश्वर से प्रार्थना भी करते थे। वह कहते हैं कि
साई इतना दीजिये जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाय।।
एक दूसरी प्रार्थना में उनके भाव देख लीजिए-
मैं अपराधी जन्म का, नख सिख भरा विकार।
तुम दाता दुख भंजना, मेरी करो सम्हार।।
कबीर दास जी रात में उठकर भी भगवान का भजन करते थे-
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान।
जम जब घर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान।।
भजन में भी वे अपना नाम न लेकर राम का नाम लेते थे-
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट।।
राम के सामने कबीर दास जी अपनी हैसियत बताते हुए कहते हैं कि मेरे गले में राम की रस्सी बंधी है। वह जिधर खींचता है, मुझे उधर ही जाना पड़ता है अर्थात अपने ऊपर मेरा स्वयं का अधिकार नहीं है बल्कि राम का है।
कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ।
गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे ति�� जाऊँ।।
राम नाम का ज्ञान भी उन्हें स्वयं से न था बल्कि यह ज्ञान उन्हें अपने गुरू से मिला था-
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो बताय।।
इसमें कबीर दास जी स्वयं कह रहे हैं कि जब तक उनके गुरू ने उन्हें परमेश्वर के बारे में नहीं बताया था, तब तक उन्हें परमेश्वर का ज्ञान नहीं हुआ था।
क्या यह संभव है कि परमेश्वर को कोई दूसरा बताए कि परमेश्वर कौन है ?
कबीर दास जी कहते हैं कि अगर सतगुरू की कृपा न होती तो वे भी पत्थर की पूजा कर रहे होते-
हम भी पाहन पूजते होते, बन के रोझ।
सतगुरू की किरपा भई, सिर तैं उतरय्या बोझ।।
क्या यह संभव है कि अगर परमेश्वर को सतगुरू न मिले तो वह भी अज्ञानियों की तरह पत्थर की पूजा करता रहे ?
कबीर दास जी अपने गुरू के बारे में अपना अनुभव बताते हैं कि
बलिहारी गुरू आपनो, घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवत किया, करत न लागी बार।।
कबीर दास जी की नज़र में परमेश्वर से भी बड़ा स्थान गुरू का है-
कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरू को कहते और।
हरि रूठै गुरू ठौर है, गुरू रूठै नहीं ठौर।।
परमेश्वर और कबीर एक दूसरे से अलग वुजूद रखते हैं। उनके आराध्य राम उन्हें बैकुंठ अर्थात स्वर्ग में आने का बुलावा भेजते हैं तो वह रोने लगते हैं। उन्हें बैकुंठ से ज़्यादा सुख साधुओं की संगत में मिलता है। देखिए-
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय।।
कबीर दास जी के इतने साफ़ बताने के बाद भी लोग उनकी बात उनके जीवन में भी नहीं समझते थे । उनके मरने के बाद भी लोगों ने उनसे उल्टा चलना नहीं छोड़ा। देखिए वह कहते हैं कि
समझाय समझे नहीं, पर के साथ बिकाय।
मैं खींचत हूं आपके, तू चला जमपुर जाय।।
All holy books of all religions giving evidence that Kabir Saheb is Supreme God,
राम रटत कुड़ी बोलो सुसु पड़े।सांम।वहसुंदर शरीर किस काम का जहां भक्ति नहीं भगवान
भाई आजतक किसी संत,महंत ने वेद खोलकर नही दीखाये
सतगूरु रामपाजी महाराज ने वेदो को खोलकर दिखाये और प्रुफ दीया की कविर्देव (कबीर साहेब) ही पुर्ण भगवान है.
God is in form and his name is Kabir Saheb,
All sacred books giving evidence that Kabir_is_God
Know the way of worship by Saint Rampal Ji Maharaj
On Sadhna tv at 7:30pm
Kabir_is_God
Everyone says God is one, but who is he
Everyone says that everyone's master is one, why are Brahma Vishnu Mahesh is 3 God
True spiritual knowledge of Sant Rampal Ji
वेदों में प्रमाण है कि कबीर साहब के जनक वह मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते सत साहिब
ये वेदो ओर शास्त्रो मे प्रमाण हैा कबीर साहेब भगवान हैा
पूर्ण परमात्मा को पहचानो। जो कबीर साहेब हे।
वेदो में प्रमाण है कि कबीर साहेब ही सर्व उत्पादक प्रभु है।वे तीनों लोकों में प्रवेश करके सब का धारण पोषण करते हैं।
World me tatva darsi sant rampal ji Maharaj ji hi Hain ji.
परमात्मा सह शरीर है उसका नाम कबीर है।
बहुत अच्छी वाणी हैं,परमात्मा की ।
वेदों मे प्रमाण है...
कबीर साहेब भगवान है।
यह दुनिया अनजान है...
कबीर साहेब भगवान है।
ऐसा रहस्य जो हमारे सद्ग्रंथों में लिखा हुआ था लेकिन हमें आज तक किसी ने नहीं बताया लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने एक एक पृष्ठ को खोल कर बता दिया है कि वह परमात्मा कबीर है जो सर्व सुखदाई है पूर्ण मोक्ष दायक है।
संत रामपाल जी महाराज ही बो गुरु है जिनकी कृपा से रामराज्य आएगा
कबीर साहेब ही भगवान हैं ये रामपाल जी महाराज ने सब ग्रंथों को खोलकर दिखा दिया।
सत साहेब जी भगतजी सातारा महाराष्ट्र 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 13=07=2023
कबीरा संगत साधु की, ज्यो गंदी का वास। खुसबू दे या न दे फिर भी बास सुबास।।
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब जी ही भगवान है।
लक्ष्मी दास **सत् साहेब गुरूजी ** बार बार डण्डवत प्रणाम गुरूजी **जय हो बन्दी छोड़ की** गुरूजी आप दया का हाथ हमारे शिर पर रखें दास बहुत परेशान है समय और भक्ति दोनों नुकसान हो रहा है । धन्यवाद गुरूजी **सत् साहेब**
वेदों में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान है गीता जी में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है कुरान शरीफ में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है बाइबिल में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
Sat sahib
Bandi chhod satgururampalji maharaj ki jai
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो
जीन मुझको निज नाम दिया।
सोइ सतगुरू हमार।दादु दुसरा कोई नहीं कबीर कुल के सिरजनहार
कबीरा तेरी झोपडी गलकतियो के पास।जो जैसा करेगा,वो भरेगा तू क्यों हुआ उदास।।
वेदो से प्रमाणित भक्ति सतं रामपाल जी महाराज जी के पास है। आओ नाम उपदेश लो ओर कल्याण कराओ
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी _वेद
चारों पवित्र वेद गीता जी तथा गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है कि साहेब कबीर जी पूर्ण मोक्ष दायक परमात्मा है तथा हमें उन्हीं की पूजा करनी चाहिए l इस समय इस धरती पर संत रामपाल जी पूर्ण गुरु हैं
बिल्कुल सही पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब और हमारे सभी सत ग्रंथों में प्रमाण हैं कि कबीर साहेब भगवान है वह सिर्फ दुनिया में संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं और वही तत्वदर्शी संत हैं जो गीता जी में बताया गया है और कुरान शरीफ में उनको बाखबर बताया गया है
अनंत कोटि ब्रंह्माड का एक रति नहीं भार।सतगुरू पुरुष कबीर हैं ये कुल के सिरजनहार।।
बहुत ही अनमोल सत्संग है यह इसमें बताया गया है कौन है पूर्ण परमात्मा सबसे बड़ा मालिक
कबीर हरि के नाम बिना राजा ऋषभ होए माटी लदे कुमार के घास ना डालें कोई
इस बात का हमारे शास्त्र भी प्रमाण देते हैं।