सतगुण विष्णु की आयुः- श्री ब्रह्मा जी की आयु से सात गुणा अधिक श्री विष्णु जी की आयु है अर्थात् पचास करोड़ चालीस लाख चतुर्युग की श्री विष्णु जी की आयु है।
श्री शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता संहिता खण्ड-1 अध्याय 9 के श्लोक 40, 46 तथा अध्याय 5 के श्लोक 26,31 में प्रमाण है कि काल ब्रह्म ने कहा है कि जीवों को जन्म-मृत्यु के चक्र में रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव (ये तीनों गुण यानि तीनों देवता) डालते हैं। अपना बचाव कर रहा है। यह (काल ब्रह्म) इस प्रकार कपटयुक्त कार्य करता है। गीता अध्याय 7 श्लोक 12 में इसी ने कहा है कि जो कुछ तीनों गुणों यानि रजगुण ब्रह्मा से उत्पत्ति, सतगुण विष्णु से स्थिति तथा तमगुण शिव से संहार हो रहा है, इसका निमित मैं हूँ।
श्रीमद देवी भागवत पुराण तीसरा स्कंध 3, अध्याय 4, पृष्ठ संख्या 10, श्लोक 42 ब्रह्मा- अहम् ईश्वरः फिल ते प्रभावात्सर्वे व्यं जनि युता न यदा तू नित्याः, के अन्ये सुराः शतमख प्रमुखाः च नित्या नित्या तव्मेव जननी प्रकृतिः पुराणा (42) 'हे माता, ब्रह्मा, मैं (विष्णु), तथा शिव तुम्हारे ही प्रभाव से जन्मवान हैं, हम नित्य/अविनाशी नहीं हैं, फिर अन्य इंद्रादि दूसरे देवता किस प्रकार नित्य हो सकते हैं। तुम्हीं अविनाशी हो, प्रकृति तथा सनातनी देवी हो।
काल कहता है प्रकृति तो मेरी पत्नी है और में इसके उदर में बीज स्थापित करने बाला जगत का पिता हूं इससे उत्पन्न तीनो गुण अविनाशी जीव आत्मा को कर्मानुसार बांधे रखते हैं(गीता जी अध्याय 14 श्लोक 3-5) इससे सिद्ध हुआ प्रकृति तो तीनो देवताओं की माता है और काल ब्रह्म इनका पिता है। मार्कण्डेय पुराण पृष्ठ 123 रजगुण ब्रह्मा है, सतगुण विष्णु और तमगुण शिव जी है। यही तीन देवता हैं यही तीन गुण हैं।
पूर्ण गुरु की पहचान होती है कि वह जब जग में आता है तब सभी धर्म गुरुओं की पोल खोल जाती हैं और वह धर्मगुरु उस परमात्मा पर आरोप लगाना शुरु कर देते हैं यही वजह है कि यहां सब कुछ एक नकल है यह काल भगवान का दिखाया हुआ जाल है जो कि यहां जन्म मरण चलता ही रहेगा इसे मिटाने के लिए हमें किसी और की भक्ति करनी पड़ेगी, यह जानने के लिएअवश्य देखें शाम 7:30 से 8:30 साधना चैनल पर
आज तक किसी भी संत ने यह नहीं बताया कि श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान काल/ब्रह्म ने श्रीकृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके बोला था। यह भेद केवल पूर्ण गुरु संत रामपाल जी ने ही प्रमाण सहित बताया है।
शिवरात्रि के अवसर पर अवश्य जानिए शिव जी किसकी साधना में लीन रहते हैं ? शिव जी से ऊपर भी कोई परमात्मा है ? किसकी साधना में शिव जी हमेशा ध्यान मग्न रहते हैं ? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा
True Guru Sant Rampal Ji Maharaj गीता वेद शास्त्रों में प्रमाण है कि तीन गुण अर्थात् रजोगुण ब्रह्मा जी, सतोगुण विष्णु जी, तमोगुण शिवजी तथा देवी-देवताओं और माता की पूजा करने वाले केवल अपने किए कर्म का प्रतिफल पाएंगे लेकिन मोक्ष प्राप्ति नहीं कर सकते। पूर्ण मोक्ष अर्थात् जन्म-मरण से छुटकारा पूर्ण संत की शरण में जाकर सत्य भक्ति करने से मिलता है।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में स्पष्ट किया है कि जो साधक शास्त्रविधि त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है यानि जो भक्ति की साधना शास्त्रों में वर्णित नहीं है, उसे करता है तो उसे न तो सुख प्राप्त होता है, न उसे भक्ति शक्ति यानि सिद्धि प्राप्त होती है तथा न उसकी गति यानि मुक्ति होती है।
Aaphi mere pita,mata ho or mere gurudev or sari shrushti ke shrijanhaar poorn bramh parameswar kabirdev rampalji Maharaj supreme God ho apke charano me koti koti dandavat pranaam karti hu mujhe aapki saran me lijiye taki satbhakti karke satlok prati ho saku sat saheb ji ki jay ho
काल ब्रह्म की आयुः- सात त्रिलोकिय ब्रह्मा (काल के रजगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय विष्णु जी की मृत्यु होती है तथा सात त्रिलोकिय विष्णु (काल के सतगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय शिव (ब्रह्म-काल के तमोगुण पुत्र) की मृत्यु होती है। ऐसे 70000 त्रिलोकिय शिव की मृत्यु के उपरान्त एक ब्रह्मलोकिय महा शिव (काल) की मृत्यु होती है। एक ब्रह्मलोकिय महाशिव की आयु जितना एक युग परब्रह्म का हुआ। ऐसे एक हजार युग अर्थात् एक हजार ब्रह्मलोकिय शिव की मृत्यु के बाद काल के इक्कीस ब्रह्मण्डों का विनाश हो जाता है। तथा काल व प्रकृति देवी(दुर्गा) की मृत्यु होती है।
गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुष छड़े मूढ़ किसाना। गुरू बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे न सार रहे अज्ञानी। कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार। सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझै ना दूजी बार।।
पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है तथा तीन मंत्र (ॐ, तत् सत्) के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। इस नाम को देने अधिकारी केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
शिवरात्रि जो शिव जी के भक्तों के लिए पवित्र त्योहारों में से एक है। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान शिव को अविनाशी, मृत्युंजय माना जाता है। परंतु क्या वास्तविकता में शिव जी मृत्युंजय हैं और क्या शिवरात्रि के व्रत से कुछ लाभ संभव है? जानने के लिए पढ़िए पुस्तक "ज्ञान गंगा"
संत रामपाल जी महाराज जी और उनके अनुयायियों ने कई बार भारत सरकार से प्रार्थना की है कि एक बार आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा भारत देश के सभी धर्म गुरुओं के बीच करवाई जाए जिससे कि आम जनता को हमारे धर्म शास्त्रों में लिखी सही भक्तिविधि का पता चल सके और वो अज्ञानी संतो-महंतो, मुल्ला-काजियों के चंगुल से बाहर निकल सके और पूर्ण परमात्मा (अल्लाह) की भक्ति करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सके और उस सनातन परम धाम में पहुंच सके जिसके बारे में गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में बताया गया है जहां जाने के बाद फिर इस संसार में लौटकर नही आना पड़ता।
श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी का पिता कौन है? श्री ब्रह्मा (रजगुण), श्री विष्णु (सतगुण) तथा श्री शिव जी (तमगुण) की माता देवी दुर्गा है तथा पिता काल ज्योति निरंजन है। प्रमाण :- श्री शिव महापुराण के रूद्रसंहिता खण्ड में अध्याय 5 से 9 प्रारम्भ में केवल एक "सद्ब्रह्म" ही शेष था। सब स्थानों पर प्रलय था। उस निराकार परमात्मा ने अपना स्वरूप शिव जैसा बनाया। उसको "सदाशिव" कहा जाता है, उसने अपने शरीर से एक स्त्री निकाली, वह स्त्री दुर्गा, जगदम्बिका, प्रकृति देवी तथा त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव) की जननी कहलाई जिसकी आठ भुजाएं हैं, इसी को शिवा भी कहा है।
Sadashiv nirankar roop m shivling ke roop m rhte h or sakar roop m shiv roop m or sadashiv ne sabse phle mahavishnu avtar liya tha jo krishna ke roop m aye the unhe phle purush bhi kha jata h
शिवरात्रि पर जानिए शिव जी को तमोगुणी क्यों कहा जाता है, उनको तमोगुण अर्थात् विनाश करने का कार्यभार किसने प्रदान किया है ? जानने के लिए पढ़िए पुस्तक "ज्ञान गंगा"
परब्रह्म की रात्रि (जो एक हजार युग की होती है) के समाप्त होने पर दिन के प्रारम्भ में काल व दुर्गा का पुनर्जन्म होता है फिर ये एक ब्रह्मण्ड में पहले की भांति सृष्टि प्रारम्भ करते हैं। इस प्रकार परब्रह्म अर्थात् अक्षर पुरूष का एक दिन एक हजार युग का होता है तथा इतनी ही रात्रि है।
निराकार ज्योति सरुप परमात्मा जिसे सत्य परमात्मा, निराकार अनंत सदाशिव, सत्य विष्णु , त्रिदेव जननी , आदि परा शक्ति है। वह परमात्मा एक है। अन्य पंथ के लोग उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी बिल्कुल झूठे नहीं हो सकते वे जितने भी ज्ञान बताते हैं वह सब वेद शास्त्र प्रमाणित ज्ञान होता है इस विडियो में भी वे शिव पुराण से प्रमाणित ज्ञान बता रहे हैं इस वीडियो में ब्रम्हा विष्णु महेश की उत्पति के बारे में बता रहे हैं ☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️
सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने कहा है:- कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार। तातें तो चक्की भली, पीस खाए संसार।। बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा। पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि यदि एक छोटे पत्थर (देव की प्रतिमा) के पूजने से परमात्मा प्राप्ति होती हो तो मैं तो पहाड़ की पूजा कर लूँ ताकि शीघ्र मोक्ष मिले।
इब्राहिम सुल्तान और शेख फरीद जैसी पुण्य आत्माएं अल्लाह कबीर जी की भक्ति कर पार हो गए। लेकिन वर्तमान में मुस्लिम भाई कर्बला और मुहर्रम में खोकर अल्लाह से दूर हो गए।
फजाइले जिक्र माजा काला रब्बूकूम कालू लूलहक्का वाहोवर अल्लीयू उल्ल कबीर (6) (जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं) यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाती है, तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है ? वाकई वह (कबीर) आलीशान और मर्तबे वाला है।
पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण सूरत-अर रूम-30 की आयत नं. 11:- अल्लाह पहली बार सृष्टि (खिलकित) को उत्पन्न करता है। फिर उसे दोहराएगा। (पुनरावृत्ति करेगा।)
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं "धाणक रूप रहा करतार" राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24 नानक देव जी कहते हैं :- मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
तीनों देवा कमल दल बसे , ब्रह्मा विष्णु महेश । प्रथम इनकी वंदना , फिर सुन सतगुरू उपदेश ।। भारत सरकार से निवेदन है , संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिये ज्ञान को पहले अच्छे से समझें , फिर ही कोई Action लें।
श्री शिव महापुराण में विद्यवेश्वर संहिता भाग-1 पृष्ठ 17.18 अध्याय 9-10 में स्पष्ट है कि सदाशिव यानि काल ब्रह्म श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा शिव जी के पिता जी हैं।
श्री देवी महापुराण के तीसरे स्कंद के अध्याय 4-5 पृष्ठ 138 में श्री विष्णु जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि मेरा (विष्णु का) श्री ब्रह्मा का तथा श्री शिव का आविर्भाव यानि जन्म तथा तिरोभाव यानि मरण होता है। तीनों को जन्म देने वाली भी देवी दुर्गा जी यानि अष्टांगी है।
शिव, सदाशिव (काल ब्रह्म) के सबसे छोटे पुत्र हैं शिवपुराण (पृष्ठ 86) में लिखा है, "हमने सुना है कि भगवान सदाशिव (ज्योति निरंजन/काल ब्रह्म) शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। वह कल्याणकारी हैं। भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश इन तीनों देवताओं की उत्पत्ति सदाशिव के अंश से हुई है।" ब्रह्मा, सदाशिव जिसे काल भी कहते हैं के ज्येष्ठ पुत्र हैं ,मझोले विष्णु जी और सबसे छोटे पुत्र शिव जी हैं।
गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 तथा अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में किसी अन्य पूर्ण परमात्मा के विषय में कहा है जो वास्तव में अविनाशी है। अध्याय 8 के श्लोक 18-19 में वर्णन है कि सब प्राणी दिन के आरम्भ में अव्यक्त अर्थात् अदृश परब्रह्म से उत्पन्न होते हैं तथा रात्रि के समय उसी परब्रह्म अव्यक्त (अदृश) में ही लीन हो जाते हैं।
Das ji ek bat pushma chahta hun vinti hai apse main yh janna chahta hun jaise is video me guru ji ne btaya k kaal bagwan apne hi sarrer se mata durga ko bnaya Or pishle kush video me guru ji ne btaya tha k prmatma ne hi durga ko bnaya tha ji phle atma thi jisne kaal k sath ane ki isha prakat ki thi clear is das ko clear kriye main confuse hun
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30pmसे8:30pmतक रोजाना
🌿धारणा: सब कहते हैं गीता जी का ज्ञान श्रीकृष्ण ने बोला। खंडन: अन्य सभी संत कहते हैं कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने बोला, लेकिन श्रीमद भगवत गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में बताया गया है कि अध्याय 11 के श्लोक 32 में काल भगवान कह रहा है कि मैं सर्व लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूँ। इस समय लोकों को नष्ट करने के लिए आया (प्रकट हुआ) हूँ।
kabir is supreme God श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 - 4, 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वह पूर्ण गुरु/सच्चा सद्गुरु है। यह तत्वज्ञान केवल पूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लें, अपना कल्याण कराएं।
मनुष्य शरीर सिर्फ अल्लाह/प्रभु प्राप्ति के लिए ही मिला है। इसे कष्ट देने या कोड़े मारने से अल्लाह नहीं मिलेगा। यदि ये तरीका सही होता तो कैदियों को तो अल्लाह जल्दी मिल जाता जिनके शरीर को यातना दी जाती है।
ऊँ‘‘ नाम का जाप ब्रह्म का है। इसकी साधना से ब्रह्म लोक प्राप्त होता है जिसके विषय में गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में कहा है कि ब्रह्म लोक में गए साधक भी पुनर्जन्म को प्राप्त होते हैं।
रजगुण ब्रह्मा की आयुः- ब्रह्मा का एक दिन एक हजार चतुर्युग का है तथा इतनी ही रात्रि है। एक चतुर्युग में 43,20,000 मनुष्यों वाले वर्ष होते हैं) एक महिना तीस दिन रात का है, एक वर्ष बारह महिनों का है तथा सौ वर्ष की ब्रह्मा जी की आयु है। जो सात करोड़ बीस लाख चतुर्युग की है।
भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को एकांत स्थान पर उपेदश दिया था जिस कारण से माता पार्वती जी इतनी मुक्त हो गई कि जब तक प्रभु शिव जी (तमोगुण) की मृत्यु नहीं होगी, तब तक उमा जी की भी मृत्यु नहीं होगी। सात ब्रह्मा जी (रजोगुण) की मृत्यु के उपरान्त भगवान विष्णु (सतोगुण) की मृत्यु होगी। सात विष्णु जी की मृत्यु के पश्चात् शिवजी की मृत्यु होगी। तब माता पार्वती जी भी मृत्यु को प्राप्त होगी, पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ।🙏🙏🙏
श्रीमद् देवीभागवत पुराण तीसरा स्कंद, अध्याय 5 पृष्ठ 123 भगवान विष्णु जी ने दुर्गा की स्तुति की कहा कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर तुम्हारी कृपा से विद्यमान हैं। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होती है। हम नित्य (अविनाशी) नहीं हैं। भगवान शंकर ने कहा यदि भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु तुम्हीं से उत्पन्न हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाला मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हो।
शिव महापुराण कोटी रुद्र संहिता के अध्याय 12 में शिव लिङ्ग के विषय में एक दारुण वन की कथा है जिसमें शिवलिङ्ग की स्पष्ट जानकारी है। लिङ्गका अर्थ और कुछ नहीं बल्कि शिव जी का Private Part है। यह शास्त्र विरुद्ध साधना है और शास्त्र अनुसार साधना तो केवल तत्त्वदर्शी संत ही बताते हैं। जिसको करने से जीव को मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
Kabir Is Supreme God Rigveda Mandal 9 Sukt 94 Mantra 1:- God Kabir (Kaviyam vrajam na) provides Tatvagyan through poems, proverbs, couplets hence, people consider him a poet.
अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म की आयु:- परब्रह्म का एक युग ब्रह्मलोकीय शिव अर्थात् महाशिव (काल ब्रह्म) की आयु के समान होता है। परब्रह्म का एक दिन एक हजार युग का तथा इतनी ही रात्रि होती है। इस प्रकार परब्रह्म का एक दिन-रात दो हजार युग का हुआ। एक महिना 30 दिन का एक वर्ष 12 महिनों का तथा परब्रह्म की आयु सौ वर्ष की है। इस से सिद्ध है कि परब्रह्म अर्थात् अक्षर पुरूष भी नाश्वान है।
भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को एकांत स्थान पर उपेदश दिया था जिस कारण से माता पार्वती जी इतनी मुक्त हो गई कि जब तक प्रभु शिव जी (तमोगुण) की मृत्यु नहीं होगी, तब तक उमा जी की भी मृत्यु नहीं होगी। सात ब्रह्मा जी (रजोगुण) की मृत्यु के उपरान्त भगवान विष्णु (सतोगुण) की मृत्यु होगी। सात विष्णु जी की मृत्यु के पश्चात् शिवजी की मृत्यु होगी। तब माता पार्वती जी भी मृत्यु को प्राप्त होगी, पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ।
Spritual knowledge sant ram pal ji Maharaj 🙏🏻
तमगुण शिव की आयुः-
श्री विष्णु जी की आयु से श्री शिव जी की आयु सात गुणा अधिक है अर्थात् तीन अरब बावन करोड़ अस्सी लाख चतुर्युग की श्री शिव की आयु है।
सतगुण विष्णु की आयुः-
श्री ब्रह्मा जी की आयु से सात गुणा अधिक श्री विष्णु जी की आयु है अर्थात् पचास करोड़ चालीस लाख चतुर्युग की श्री विष्णु जी की आयु है।
श्री शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता संहिता खण्ड-1 अध्याय 9 के श्लोक 40, 46 तथा अध्याय 5 के श्लोक 26,31 में प्रमाण है कि काल ब्रह्म ने कहा है कि जीवों को जन्म-मृत्यु के चक्र में रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव (ये तीनों गुण यानि तीनों देवता) डालते हैं। अपना बचाव कर रहा है। यह (काल ब्रह्म) इस प्रकार कपटयुक्त कार्य करता है। गीता अध्याय 7 श्लोक 12 में इसी ने कहा है कि जो कुछ तीनों गुणों यानि रजगुण ब्रह्मा से उत्पत्ति, सतगुण विष्णु से स्थिति तथा तमगुण शिव से संहार हो रहा है, इसका निमित मैं हूँ।
पूर्ण संत की पहचान होती है कि वर्तमान के धर्म गुरु उसके विरोध में खड़े होकर राजा व प्रजा को गुमराह करके उसके ऊपर अत्याचार करवाते हैं।
अनमोल सत्संग अवश्य सुनिये है अच्छा ❤❤❤❤
अक्सर पुरुष एक पेड़ है निरंजन बाकी दर तीन देव शाखा है पत्र रूप संसार
श्रीमद देवी भागवत पुराण तीसरा स्कंध 3, अध्याय 4, पृष्ठ संख्या 10, श्लोक 42
ब्रह्मा- अहम् ईश्वरः फिल ते प्रभावात्सर्वे व्यं जनि युता न यदा तू नित्याः, के अन्ये सुराः शतमख प्रमुखाः च नित्या नित्या तव्मेव जननी प्रकृतिः पुराणा (42)
'हे माता, ब्रह्मा, मैं (विष्णु), तथा शिव तुम्हारे ही प्रभाव से जन्मवान हैं, हम नित्य/अविनाशी नहीं हैं, फिर अन्य इंद्रादि दूसरे देवता किस प्रकार नित्य हो सकते हैं। तुम्हीं अविनाशी हो, प्रकृति तथा सनातनी देवी हो।
Sant Rampal Ji Maharaj ji hi pure Guru Vishv me
Bedu me parvan he kabir saheb bagwan he bandi chood sat guru rampal ji mahraj ki jai ho sat sahib ji
ऐसा सत्संग कभी नहीं सुना
काल कहता है प्रकृति तो मेरी पत्नी है और में इसके उदर में बीज स्थापित करने बाला जगत का पिता हूं इससे उत्पन्न तीनो गुण अविनाशी जीव आत्मा को कर्मानुसार बांधे रखते हैं(गीता जी अध्याय 14 श्लोक 3-5)
इससे सिद्ध हुआ प्रकृति तो तीनो देवताओं की माता है और काल ब्रह्म इनका पिता है।
मार्कण्डेय पुराण पृष्ठ 123 रजगुण ब्रह्मा है, सतगुण विष्णु और तमगुण शिव जी है। यही तीन देवता हैं यही तीन गुण हैं।
पूर्ण गुरु की पहचान होती है कि वह जब जग में आता है तब सभी धर्म गुरुओं की पोल खोल जाती हैं और वह धर्मगुरु उस परमात्मा पर आरोप लगाना शुरु कर देते हैं यही वजह है कि यहां सब कुछ एक नकल है यह काल भगवान का दिखाया हुआ जाल है जो कि यहां जन्म मरण चलता ही रहेगा इसे मिटाने के लिए हमें किसी और की भक्ति करनी पड़ेगी, यह जानने के लिएअवश्य देखें शाम 7:30 से 8:30 साधना चैनल पर
आज तक किसी भी संत ने यह नहीं बताया कि श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान काल/ब्रह्म ने श्रीकृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके बोला था।
यह भेद केवल पूर्ण गुरु संत रामपाल जी ने ही प्रमाण सहित बताया है।
शिवरात्रि के अवसर पर अवश्य जानिए शिव जी किसकी साधना में लीन रहते हैं ?
शिव जी से ऊपर भी कोई परमात्मा है ? किसकी साधना में शिव जी हमेशा ध्यान मग्न रहते हैं ? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा
True Guru Sant Rampal Ji Maharaj
गीता वेद शास्त्रों में प्रमाण है कि तीन गुण अर्थात् रजोगुण ब्रह्मा जी, सतोगुण विष्णु जी, तमोगुण शिवजी तथा देवी-देवताओं और माता की पूजा करने वाले केवल अपने किए कर्म का प्रतिफल पाएंगे लेकिन मोक्ष प्राप्ति नहीं कर सकते। पूर्ण मोक्ष अर्थात् जन्म-मरण से छुटकारा पूर्ण संत की शरण में जाकर सत्य भक्ति करने से मिलता है।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में स्पष्ट किया है कि जो साधक शास्त्रविधि त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है यानि जो भक्ति की साधना शास्त्रों में वर्णित नहीं है, उसे करता है तो उसे न तो सुख प्राप्त होता है, न उसे भक्ति शक्ति यानि सिद्धि प्राप्त होती है तथा न उसकी गति यानि मुक्ति होती है।
Aaphi mere pita,mata ho or mere gurudev or sari shrushti ke shrijanhaar poorn bramh parameswar kabirdev rampalji Maharaj supreme God ho apke charano me koti koti dandavat pranaam karti hu mujhe aapki saran me lijiye taki satbhakti karke satlok prati ho saku sat saheb ji ki jay ho
काल ब्रह्म की आयुः-
सात त्रिलोकिय ब्रह्मा (काल के रजगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय विष्णु जी की मृत्यु होती है तथा सात त्रिलोकिय विष्णु (काल के सतगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय शिव (ब्रह्म-काल के तमोगुण पुत्र) की मृत्यु होती है। ऐसे 70000 त्रिलोकिय शिव की मृत्यु के उपरान्त एक ब्रह्मलोकिय महा शिव (काल) की मृत्यु होती है। एक ब्रह्मलोकिय महाशिव की आयु जितना एक युग परब्रह्म का हुआ। ऐसे एक हजार युग अर्थात् एक हजार ब्रह्मलोकिय शिव की मृत्यु के बाद काल के इक्कीस ब्रह्मण्डों का विनाश हो जाता है। तथा काल व प्रकृति देवी(दुर्गा) की मृत्यु होती है।
गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुष छड़े मूढ़ किसाना।
गुरू बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे न सार रहे अज्ञानी।
कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझै ना दूजी बार।।
पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है
तथा तीन मंत्र (ॐ, तत् सत्) के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। इस नाम को देने अधिकारी केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
Kabir koi bhagwaan nhi h aunty kabir sirf insaan h kavi dev likha h yani kaal dev jo samay ke baad or phle bhi h
शिवरात्रि जो शिव जी के भक्तों के लिए पवित्र त्योहारों में से एक है। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान शिव को अविनाशी, मृत्युंजय माना जाता है। परंतु क्या वास्तविकता में शिव जी मृत्युंजय हैं और क्या शिवरात्रि के व्रत से कुछ लाभ संभव है? जानने के लिए पढ़िए पुस्तक "ज्ञान गंगा"
True Spiritual Leader Sant Rampal Ji Maharaj
Vado ma parmaan hai Kabir sahib ji bhagwan h
Sant Ram Pal Zee Maharaj is the best spiritual teacher in the world
N सतगुरु रामपाल जी सत्संग सुनिए प्रमाण सहित
संत रामपाल जी महाराज जी और उनके अनुयायियों ने कई बार भारत सरकार से प्रार्थना की है कि एक बार आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा भारत देश के सभी धर्म गुरुओं के बीच करवाई जाए जिससे कि आम जनता को हमारे धर्म शास्त्रों में लिखी सही भक्तिविधि का पता चल सके और वो अज्ञानी संतो-महंतो, मुल्ला-काजियों के चंगुल से बाहर निकल सके और पूर्ण परमात्मा (अल्लाह) की भक्ति करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सके और उस सनातन परम धाम में पहुंच सके जिसके बारे में गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में बताया गया है जहां जाने के बाद फिर इस संसार में लौटकर नही आना पड़ता।
हमें सद गुरु तत्व दर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से सद भगति करके अपना जन्म मरण से छूटकारा कारवां चहिए।
sant Rampal ji Maharaj ji rab hi sab ka❤❤
नमन करू गुरू देव को , दिन मे सौ -सौ बार।
काग पलट हँसा किया , करत ना लागी बार।
रोज़े रखने से अल्लाह प्राप्ति नहीं हो सकती।
कर्बला स्थित शिया तीर्थ स्थल पर जाने से गुनाह माफ नहीं हो जाते।
श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी का पिता कौन है? श्री ब्रह्मा (रजगुण), श्री विष्णु (सतगुण) तथा श्री शिव जी (तमगुण) की माता देवी दुर्गा है तथा पिता काल ज्योति निरंजन है।
प्रमाण :- श्री शिव महापुराण के रूद्रसंहिता खण्ड में अध्याय 5 से 9
प्रारम्भ में केवल एक "सद्ब्रह्म" ही शेष था। सब स्थानों पर प्रलय था।
उस निराकार परमात्मा ने अपना स्वरूप शिव जैसा बनाया। उसको "सदाशिव" कहा जाता है, उसने अपने शरीर से एक स्त्री निकाली, वह स्त्री दुर्गा, जगदम्बिका, प्रकृति देवी तथा त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव) की जननी कहलाई जिसकी आठ भुजाएं हैं, इसी को शिवा भी कहा है।
N सतगुरु रामपाल जी के सत्संग प्रमाण सहित देखिए 18.467
N सतगुरु रामपाल जी सत्संग प्रमाणसहित
शिवरात्रि पर जानिए भगवान शिव जी को प्रसन्न करने का वास्तविक मंत्र कौनसा है ?
जानने के लिए पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा"
Sadashiv nirankar roop m shivling ke roop m rhte h or sakar roop m shiv roop m or sadashiv ne sabse phle mahavishnu avtar liya tha jo krishna ke roop m aye the unhe phle purush bhi kha jata h
हमें सत भक्ति करके मर्यादा में रहकर सतलोक चलना है अपने परम पिता के पास वही हमारा ने जिस स्थान सतलोक
अविनाशी परमात्मा केवल कबीर परमेश्वर जी हैं बाकी सभी देवी देवताओं की जन्म मृत्यू होती है।
Satbhgti dawara satlok ko prasthan karna h. sat saheb🙏🙏
शिवरात्रि पर जानिए शिव जी को तमोगुणी क्यों कहा जाता है, उनको तमोगुण अर्थात् विनाश करने का कार्यभार किसने प्रदान किया है ? जानने के लिए पढ़िए पुस्तक "ज्ञान गंगा"
परब्रह्म की रात्रि (जो एक हजार युग की होती है) के समाप्त होने पर दिन के प्रारम्भ में काल व दुर्गा का पुनर्जन्म होता है फिर ये एक ब्रह्मण्ड में पहले की भांति सृष्टि प्रारम्भ करते हैं। इस प्रकार परब्रह्म अर्थात् अक्षर पुरूष का एक दिन एक हजार युग का होता है तथा इतनी ही रात्रि है।
निराकार ज्योति सरुप परमात्मा जिसे सत्य परमात्मा, निराकार अनंत सदाशिव, सत्य विष्णु , त्रिदेव जननी , आदि परा शक्ति है। वह परमात्मा एक है। अन्य पंथ के लोग उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी बिल्कुल झूठे नहीं हो सकते वे जितने भी ज्ञान बताते हैं वह सब वेद शास्त्र प्रमाणित ज्ञान होता है इस विडियो में भी वे शिव पुराण से प्रमाणित ज्ञान बता रहे हैं इस वीडियो में ब्रम्हा विष्णु महेश की उत्पति के बारे में बता रहे हैं ☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️☝️
क्या वे सही बता रहे हैं ? एकदम झूठ बता रहे हैं असली सच कॊ छिपा कर बोल रहे हैं।
N देखिए सतगुरु रामपाल सत्संग प्रमाण सहित 18 पुराण 467 से प्रवाहित ज्ञान है
सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने कहा है:-
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।
तातें तो चक्की भली, पीस खाए संसार।।
बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा।
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।।
कबीर परमेश्वर ने कहा है कि यदि
एक छोटे पत्थर (देव की प्रतिमा) के पूजने से परमात्मा प्राप्ति होती हो तो मैं तो पहाड़ की पूजा कर लूँ ताकि शीघ्र मोक्ष मिले।
3 putr ashtangi jaaye brahma vishnu shiv naam kahae.
इब्राहिम सुल्तान और शेख फरीद जैसी पुण्य आत्माएं अल्लाह कबीर जी की भक्ति कर पार हो गए।
लेकिन वर्तमान में मुस्लिम भाई कर्बला और मुहर्रम में खोकर अल्लाह से दूर हो गए।
फजाइले जिक्र
माजा काला रब्बूकूम कालू लूलहक्का वाहोवर अल्लीयू उल्ल कबीर (6)
(जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं) यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाती है, तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है ? वाकई वह (कबीर) आलीशान और मर्तबे वाला है।
पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरत-अर रूम-30 की आयत नं. 11:-
अल्लाह पहली बार सृष्टि (खिलकित) को उत्पन्न करता है। फिर उसे दोहराएगा। (पुनरावृत्ति करेगा।)
Unbelievable explaination,
No mann sut ulajhia , rishi rahe jhakmar , satguru eisa suljhade , uljhe na duji barr😮❤
ऐसा ज्ञान आज तक किसीने नहीं बताया. आपने भगवान हमारी आंखे खोल दी 🙏🙏🙏
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
तीनों देवा कमल दल बसे , ब्रह्मा विष्णु महेश ।
प्रथम इनकी वंदना , फिर सुन सतगुरू उपदेश ।।
भारत सरकार से निवेदन है , संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिये ज्ञान को पहले अच्छे से समझें , फिर ही कोई Action लें।
Sat guru ki jay
श्री शिव महापुराण में विद्यवेश्वर संहिता भाग-1 पृष्ठ 17.18 अध्याय 9-10 में स्पष्ट है कि सदाशिव यानि काल ब्रह्म श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा शिव जी के पिता जी हैं।
बंदी छोड़ की जय हो
श्री देवी महापुराण के तीसरे स्कंद के अध्याय 4-5 पृष्ठ 138 में श्री विष्णु जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि मेरा (विष्णु का) श्री ब्रह्मा का तथा श्री शिव का आविर्भाव यानि जन्म तथा तिरोभाव यानि मरण होता है। तीनों को जन्म देने वाली भी देवी दुर्गा जी यानि अष्टांगी है।
# Kabir Sahib si supreme God
क्या पुराणों के अनुसार हैं भगवान शंकर जी की भी जन्म-मृत्यु होती है, क्या ये अजर अमर है ?
जानने के लिए पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा"
शिव, सदाशिव (काल ब्रह्म) के सबसे छोटे पुत्र हैं
शिवपुराण (पृष्ठ 86) में लिखा है, "हमने सुना है कि भगवान सदाशिव (ज्योति निरंजन/काल ब्रह्म) शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। वह कल्याणकारी हैं। भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश इन तीनों देवताओं की उत्पत्ति सदाशिव के अंश से हुई है।" ब्रह्मा, सदाशिव जिसे काल भी कहते हैं के ज्येष्ठ पुत्र हैं ,मझोले विष्णु जी और सबसे छोटे पुत्र शिव जी हैं।
गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 तथा अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में किसी अन्य पूर्ण परमात्मा के विषय में कहा है जो वास्तव में अविनाशी है।
अध्याय 8 के श्लोक 18-19 में वर्णन है कि सब प्राणी दिन के आरम्भ में अव्यक्त अर्थात् अदृश परब्रह्म से उत्पन्न होते हैं तथा रात्रि के समय उसी परब्रह्म अव्यक्त (अदृश) में ही लीन हो जाते हैं।
बहुत अनमोल ज्ञान है
मेरे मालिक बन्दी छोड़ कबीर साहेब परमात्मा जी की जय 🌷🌹🌸 मेरे मालिक बन्दी छोड़ सतगुरू देव रामपाल जी गुरु भगवान की जय
Das ji ek bat pushma chahta hun vinti hai apse main yh janna chahta hun jaise is video me guru ji ne btaya k kaal bagwan apne hi sarrer se mata durga ko bnaya Or pishle kush video me guru ji ne btaya tha k prmatma ne hi durga ko bnaya tha ji phle atma thi jisne kaal k sath ane ki isha prakat ki thi clear is das ko clear kriye main confuse hun
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30pmसे8:30pmतक रोजाना
🌿धारणा: सब कहते हैं गीता जी का ज्ञान श्रीकृष्ण ने बोला।
खंडन: अन्य सभी संत कहते हैं कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने बोला, लेकिन श्रीमद भगवत गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में बताया गया है कि अध्याय 11 के श्लोक 32 में काल भगवान कह रहा है कि मैं सर्व लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूँ। इस समय लोकों को नष्ट करने के लिए आया (प्रकट हुआ) हूँ।
पुराण को अगर मान रहे हो तो पुरा मानो,, काम की की चीज नही।
kabir is supreme God
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 - 4, 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वह पूर्ण गुरु/सच्चा सद्गुरु है।
यह तत्वज्ञान केवल पूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लें, अपना कल्याण कराएं।
मनुष्य शरीर सिर्फ अल्लाह/प्रभु प्राप्ति के लिए ही मिला है। इसे कष्ट देने या कोड़े मारने से अल्लाह नहीं मिलेगा। यदि ये तरीका सही होता तो कैदियों को तो अल्लाह जल्दी मिल जाता जिनके शरीर को यातना दी जाती है।
Brahma Vishnu Mahesh ke Mata pita ji kaun adhik jankari ke liye satsang sune Sant Rampal Ji Maharaj ji ke Anmol Vachan Sadhna channel Sham 7:30
Very very nice satsang
ऊँ‘‘ नाम का जाप ब्रह्म का है। इसकी साधना से ब्रह्म लोक प्राप्त होता है जिसके विषय में गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में कहा है कि ब्रह्म लोक में गए साधक भी पुनर्जन्म को प्राप्त होते हैं।
रजगुण ब्रह्मा की आयुः-
ब्रह्मा का एक दिन एक हजार चतुर्युग का है तथा इतनी ही रात्रि है। एक चतुर्युग में 43,20,000 मनुष्यों वाले वर्ष होते हैं) एक महिना तीस दिन रात का है, एक वर्ष बारह महिनों का है तथा सौ वर्ष की ब्रह्मा जी की आयु है। जो सात करोड़ बीस लाख चतुर्युग की है।
Kabir is god sant rampal ji Maharaj he samaj sudarak hai or sary nakli gyan baty h
सत साहेब जी बन्दी छोड़ पूर्ण परमात्मा रामपालजी महाराज की जय 🙏🙏♥️🙏♥️🙏♥️
Aalh yahi hy sant rampal gi
Nice satsang
Satbhgti dawara satlok ko prasthan
Right
भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को एकांत स्थान पर उपेदश दिया था जिस कारण से माता पार्वती जी इतनी मुक्त हो गई कि जब तक प्रभु शिव जी (तमोगुण) की मृत्यु नहीं होगी, तब तक उमा जी की भी मृत्यु नहीं होगी। सात ब्रह्मा जी (रजोगुण) की मृत्यु के उपरान्त भगवान विष्णु (सतोगुण) की मृत्यु होगी। सात विष्णु जी की मृत्यु के पश्चात् शिवजी की मृत्यु होगी। तब माता पार्वती जी भी मृत्यु को प्राप्त होगी, पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ।🙏🙏🙏
Very Nice Satsang
किसको को मिले परमात्मा
श्रीमद् देवीभागवत पुराण तीसरा स्कंद, अध्याय 5 पृष्ठ 123 भगवान विष्णु जी ने दुर्गा की स्तुति की कहा कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर तुम्हारी कृपा से विद्यमान हैं। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होती है। हम नित्य (अविनाशी) नहीं हैं। भगवान शंकर ने कहा यदि भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु तुम्हीं से उत्पन्न हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाला मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हो।
Agar Shiv Ko Tum samajh paate tumhari jataon mein bhi chandrama hota aur jataon mein Ganga hoti
I most like this video
शिव महापुराण कोटी रुद्र संहिता के अध्याय 12 में शिव लिङ्ग के विषय में एक दारुण वन की कथा है जिसमें शिवलिङ्ग की स्पष्ट जानकारी है। लिङ्गका अर्थ और कुछ नहीं बल्कि शिव जी का Private Part है।
यह शास्त्र विरुद्ध साधना है और शास्त्र अनुसार साधना तो केवल तत्त्वदर्शी संत ही बताते हैं। जिसको करने से जीव को मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
Raju. Kumar. Aap acche
पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज की जय हो बंदी छोड़ की
सत सत नमन करता हूं मालिक मेरे
Sat saheb ji
Good video
Ahaaa...jad gaya tha kiya bich me bolte hue😅
सत साहेब
Kabir Is Supreme God
Rigveda Mandal 9 Sukt 94 Mantra 1:- God Kabir (Kaviyam vrajam na) provides Tatvagyan through poems, proverbs, couplets hence, people consider him a poet.
अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म की आयु:-
परब्रह्म का एक युग ब्रह्मलोकीय शिव अर्थात् महाशिव (काल ब्रह्म) की आयु के समान होता है। परब्रह्म का एक दिन एक हजार युग का तथा इतनी ही रात्रि होती है। इस प्रकार परब्रह्म का एक दिन-रात दो हजार युग का हुआ। एक महिना 30 दिन का एक वर्ष 12 महिनों का तथा परब्रह्म की आयु सौ वर्ष की है। इस से सिद्ध है कि परब्रह्म अर्थात् अक्षर पुरूष भी नाश्वान है।
भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को एकांत स्थान पर उपेदश दिया था जिस कारण से माता पार्वती जी इतनी मुक्त हो गई कि जब तक प्रभु शिव जी (तमोगुण) की मृत्यु नहीं होगी, तब तक उमा जी की भी मृत्यु नहीं होगी। सात ब्रह्मा जी (रजोगुण) की मृत्यु के उपरान्त भगवान विष्णु (सतोगुण) की मृत्यु होगी। सात विष्णु जी की मृत्यु के पश्चात् शिवजी की मृत्यु होगी। तब माता पार्वती जी भी मृत्यु को प्राप्त होगी, पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ।
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Agar tridev ke mata pita hain to. Apke paramatma ke mata pita bhi honge.
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Saint Rampal ji maharaj
चारों जुग ma❤ रामपाल ने चारों युगो के रचना की है ऐसा लगता क 25sal pla इसकी khog की है🙏
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