(गीता-1) अर्जुन जैसा हाल हमारा || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2022)

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  • Опубликовано: 10 сен 2024
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    ⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
    अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
    और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
    संक्षेप में कहें तो,
    आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
    आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
    उनसे अन्य सोशल मीडिया पर भी जुड़ें:
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    #acharyaprashant #shrimadbhagwadgita #श्रीमद्भगवद्गीता #shrikrishna #krishna
    वीडियो जानकारी: शास्त्र कौमुदी, 31.03.2022, ग्रेटर नॉएडा
    प्रसंग:
    अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान्कपिध्वजः।
    प्रवृत्ते शस्त्रसंपाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः।।
    हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।
    सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत।।
    अनुवाद: हे राजन्, उसके अनन्तर कपिचिह्नयुक्त ध्वजवाले रथ पर अवस्थित पाण्डुपुत्र अर्जुन ने धृतराष्ट्र के पुत्रों को युद्ध के लिए खड़े देख, अस्त्र निक्षेप करने के लिए धनुष उठा कर उस समय श्रीकृष्ण से यह वाक्य कहा है- अच्युत, दोनों सेनाओं के बीच में मेरा रथ खड़ा करो ।
    श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १, श्लोक २०-२१)
    यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् ।
    कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे ।।
    योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः ।
    धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः ।।
    अनुवाद: जब तक मैं इन सब युद्ध करने की कामना से अवस्थित योद्धाओं को देखूँ कि किन वीरों के साथ मुझे युद्ध करना होगा । इस युद्ध में दुष्टबुद्धिवाले धृतराष्ट्रपुत्र दुर्योधन का प्रिय कार्य करने के इच्छुक जो राजा लोग यहाँ उपस्थित हैं, उन युद्धार्थी लोगों को मैं देख लूँ ।
    श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १, श्लोक २२-२३)
    संगीत: मिलिंद दाते
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