ऐसी भी घड़ियाँ आएँगी ll हरिवंश राय बच्चन ll अजीत अजित ll

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • इस पार- उस पार(5)
    संसृति के जीवन में, सुभगे
    ऐसी भी घड़ियाँ आएँगी,
    जब दिनकर की तमहर किरणें
    तम के अंदर छिप जाएँगी,
    जब निज प्रियतम का शव, रजनी
    तम की चादर से ढँक देगी,
    तब रवि- शशि -पोषित यह पृथ्वी
    कितने दिन खैर मनाएगी;
    जब इस लम्बे-चौड़े जग का
    अस्तित्व न रहने पाएगा,
    तब हम दोनों का नन्हाँ- सा
    संसार न जाने क्या होगा!
    इस पार, प्रिये, मधु है, तुम हो
    उस पार न जाने क्या होगा!
    -हरिवंश राय बच्चन

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