Couplets of Kabir on women | नारी पर कबीर के दोहे | Hin

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 21 ноя 2024

Комментарии • 575

  • @jiteshsudani5812
    @jiteshsudani5812 Год назад +73

    नारी निंदा ना करे, नारी रतन की खान।
    नारी से नर होत है, ध्रुव प्रहलाद समान ।।

  • @SatruhanSingh-br9vz
    @SatruhanSingh-br9vz 3 месяца назад +17

    पूरा साहित्य कबीर जी का अपने अनुभव पर आधारित है कहीं से लिया नहीं गया

    • @sandeepssccgl
      @sandeepssccgl Месяц назад

      Bhai anubhav se hi log apne vichar rakhate hai

    • @sandeepssccgl
      @sandeepssccgl Месяц назад

      Yes kyoki stree ko max log vasana ki drasti se dekhate jissse bhakti mukti me badha ho sakti hai per sabhi ke liye sahi nahi hai

  • @राजेश्वरीप्रसादमौर्य

    आपने बड़ी सुंदर ढंग से कबीर जी के दोहे का विश्लेषण करते हुए सभी तुलनात्मक रूप से प्रस्तुति की है धन्यवाद

  • @ashwinikumar9061
    @ashwinikumar9061 11 месяцев назад +20

    आपने सनातन द्रोहियों को मुंहतोड उत्तर दिया है। साधुवाद

  • @kmanoj9778
    @kmanoj9778 Год назад +23

    कबीर दासजी के नारी के प्रति ऐसे वचन को सुनकर स्तब्ध हूं

  • @wvfsd070
    @wvfsd070 Год назад +25

    ऐसी विचार-गोष्ठी, चर्चा, और विश्लेषण की आज के समाज में नितांत आवश्यकता है
    धन्यवाद गुरू जी

  • @pinkijindal7280
    @pinkijindal7280 4 месяца назад +17

    किसी भी रचियेता के कथन को उस समय की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर आंकना चहिए,
    फिर चाहे वो कबीर हो या तुलसी दास जी।
    आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी है।
    धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @shivbahadursingh6552
    @shivbahadursingh6552 3 месяца назад +24

    कबीर साहब के सभी दोहे और सारा ही साहित्य आध्यात्मिक है उसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने और समझने की आवश्कता है ।

    • @rajeshkumardubey8255
      @rajeshkumardubey8255 3 месяца назад +4

      श्री राम चरित मानस भी तो अध्यात्मिक है

    • @Tejasrajpurohit9
      @Tejasrajpurohit9 2 месяца назад +1

      Achaa baaki adhyatmik nhi hai wahh hypocrisy

    • @sheorajsingh9801
      @sheorajsingh9801 2 месяца назад

      ये लोग शब्दों से खेलने वाले हैं। अध्यात्म का इन्हें कुछ पता नहीं है।

  • @sureshnirala6196
    @sureshnirala6196 3 месяца назад +10

    अच्छा विश्लेषित किया है आपने,वास्तव में यह तत्कालीन परिस्थितियों पर आधारित लेख और साहित्य हैं,कबीर की रचनाओं में कुछ नारी के विपक्ष में उल्लेख है किन्तु तुलसी की रामचरित मानस में गँवार,शूद्रों,पिछड़ी जाति के लोगों और नारी के बारे में उल्लेख मिलता है,अब प्रश्न उठता है कि तुलसी का ही विरोध क्यों?कबीर का विरोध क्यों नहीं? तुलसी ने अपनी रचना में राम को भगवान घोषित कर दिया,अन्तर्यामी घोषित कर दिया जिस कारण उनका लिखा ग्रंथ भगवान से सम्बन्धित ग्रंथ प्रचारित किया गया लोगों ने इसे भगवान से सम्बन्धित ग्रंथ माना और अधिसंख्य लोगों ने पढ़ा जबकि कबीर के दोहे कम लोगों की पहुँच में रहे,कबीर के दोहे नारियों तक कम या न के बराबर पहुँच पाये जिस कारण कबीर का विरोध नहीं हुआ,यदि रामचरित मानस की तरह आम इंसान भी कबीर के दोहे पढ़ता तो जो दोहे स्त्रियों के विरोध में थे उनके लिये उच्च शिक्षित नारियाँ उनका विरोध अवश्य करतीं यदि नारी के विपक्ष में कबीर के द्वारा कुछ दोहों को छोड़ दिया जाये तो कबीर काफी प्रासंगिक हैं और उन्होंने अंधविश्वास,ढोंग और पाखण्ड को अपनी रचनाओं में स्थान नहीं दिया बल्कि उनके रचित दोहे आज भी इतने प्रासंगिक हैं वे वास्तविकता पर खरे उतरते हैं,तुलसी के द्वारा रचित रचनाओं में उनका विरोध इसलिये भी सहसा हो जाता है कि कुछ पुरुष प्रधान मानसिकता वाले लोग जब नारी को नीचा दिखाना चाहते हैं या जातिवादी मानसिकता के लोग शूद्र और पिछड़ी जातियों के लोगों को आज भी इस वैज्ञानिक युग में नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं तो वे यह कहते सुने जाते हैं/सुने जा सकते हैं कि तुम्हारे बारे राम चरित मानस में तुलसीदास जी ने स्पष्ट लिखा हुआ है फिर तुम श्रेष्ठ कैसे हो सकते हो?
    आज तमाम धर्म गुरुओं,उच्च शिक्षित लोगों,अध्यापन के कार्य को करने वाले जनरल समाज के लोगों द्वारा इस प्रकार जन सामान्य को जागरूक किया जाना चाहिए कि कबीर और तुलसी ने देश काल परिस्थितियों के अनुसार तत्कालीन परम्पराओं के अनुसार अपनी रचनाओं को लिखा या रचा था,वे कवि थे उनकी कल्पनायें अनन्त हो सकती हैं,कवियों के बारे में यह कहावत तो सारे भारत में प्रचलित है कि "जहाँ न पहुँचे रवि,वहाँ पहुँचे कवि" सूरज पृथ्वी से व्यास के हिसाब से लगभग 109 गुना बड़ा है और पूरे क्षेत्रफल की दृष्टि से 13 लाख बयानबे हजार गुना बड़ा है यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण है,इतने बड़े सूरज को जो आग और गैस का गोला है और पृथ्वी से इतना बड़ा है और उसका तापमान लगभग 5250 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है लेकिन कवि की कल्पना है कि उसका पात्र हनुमान उस सूरज को वर्तमान में निगल जाता है यह काव्यात्मक दृष्टिकोण है,कवि को उसकी कल्पना से कोई भी नहीं रोक सकता,वर्तमान में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,काल और परिस्थितियों में परिवर्तन हो चुका है,सब जन्म लेने के एक मार्ग से जन्म लेते हैं,एक ही पद्धति के अनुसार सबका जन्म होता है,जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है,प्रत्येक के जन्म की,गर्भधारण की एक ही विधि है,सभी एक ही परमपिता ईश्वर की संतान हैं,सभी समान हैं लिहाजा कबीर की और तुलसी की जिन रचनाओं के कारण विवाद होता है उन्हें वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में न देखें और आपसी प्यार,प्रेम,सौहार्द और भाईचारा बनाकर रहें।

    • @sureshnirala6196
      @sureshnirala6196 3 месяца назад

      त्रुटि सुधार:-मेरी प्रतिक्रिया के द्वितीय प्रस्तर की तेरहवीं पंक्ति में सूरज को वर्तमान में निगल जाता है टंकित हो गया है वहाँ "वर्तमान" के स्थान पर "बचपन" पढ़ें जाने की कृपा करें।

    • @muneshkumar8314
      @muneshkumar8314 2 месяца назад

      Bahut Sundar jawab

  • @tyr108
    @tyr108 Год назад +38

    जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के प्रकाण्ड शिष्य श्री नित्यानन्द मिश्र जी को मेरा वारंवार नमन, आभार तथा साधुवाद! 🙏
    आप ऐसे ही सनातनियों का मार्गदर्शन नित्य करते रहिये।🚩🙏🚩🙏

  • @RAVIYASH100
    @RAVIYASH100 Год назад +10

    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। अनेको साधुवाद।।

  • @rajnathtiwari1481
    @rajnathtiwari1481 11 месяцев назад +5

    बहुत सुंदर आदरणीय मिश्र जी

  • @ramprakashsantoshi8560
    @ramprakashsantoshi8560 3 месяца назад +3

    अति सुन्दर, सटीक , दुर्लभ ज्ञान। व्याख्यान दिया।🙏🙏 धन्यवाद।

  • @haritmishra3182
    @haritmishra3182 Год назад +13

    सादर अभिवादन,आप पर हम भारतीयों को गर्व है।

  • @dhruvsingh6798
    @dhruvsingh6798 Год назад +21

    बहुत अच्छी प्रस्तुति। इसी प्रकार आप ज्ञान वर्धन करते रहने की कृपा करें।

  • @roopwatiswami2630
    @roopwatiswami2630 2 месяца назад +4

    सत्य नाम
    जो मनुष्य नारी की निंदा या नीच या ग़लत शब्द बोलता है उन सभी पुरूषों से मेरी बस इतनी सी प्रार्थना है कि
    वह संसार में एक भी पुरूष चाहे इस संसार में आकर संत बने या फिर राम कृष्ण महावीर बुद्ध नानक तुलसी कोई बने एक भी बिना नारी के एक भी पुत्र पैदा करके दिखा दे तो मैं उस पुरूष को ही इस संसार का
    भगवान होगा ।नारी से निकलकर‌ पुरूष नारी को ही कलंकित करता है । नर नारी सभी समान है। उसके स्वंय के अंदर भी एक नारी विराजमान हैं जिसे सुरति कहते हैं । और हर औरत के अंदर उसका पिता परमेशवर बैठा है जिसे वह बाहर कि दुनिया में भगवान के रूप में दर दर मंदिर मंदिर ढूंढते फिर रहे हैं ।
    सत्य नाम

  • @nikukumari7951
    @nikukumari7951 10 месяцев назад +2

    Guru ji aapki aawaz bahut madhur h aapne bari aachi shiksha di dhanyawad 🙏🙏

  • @chetramsahu9055
    @chetramsahu9055 2 месяца назад +1

    अनंत कोटि ब्रह्मांड के, एक रत्ती नहीं भार ।
    सतगुरु पुरुष कबीर हैं ,कुल के सिरजन हार।।

  • @harerampathak8653
    @harerampathak8653 Год назад +16

    Vikash divKirti jaise log inn par kuchh nahi bolte
    Doglapan 😂😂

  • @royalrajputanaempire
    @royalrajputanaempire 6 месяцев назад +13

    अरे भैया ! आजकल के लोग तुलसीदास और कबीर जी की गहराई अपने limited दिमाग के तराज़ू में देखते हैं। उनकी गहराई तक जाना इतना आसान थोड़ी है साहब। दोनों महापुरुषों ने इस संदर्भ में बात की थी कि :
    "अगर पुरुष के दिमाग में केवल नारी हो, और नारी के दिमाग में जब गलत कामना हो ।"
    हमेशा एक ही संदर्भ में बात नहीं लेनी चाहिए क्योंकि दोनों महापुरुषों ने पतिव्रता नारी, मां, बहन, आदर्शवादी नारी की बड़ाई भी की है जब नारी अपने अच्छे चरित्र में ढली हुई होती है। आज का इंसान बिना आध्यात्मिक अनुभव के, दुनियावी ज्ञान के ज़रिए गहरे अध्यात्म को judge करता है। ये तो वही बात हुई कि singing के reality show में करण जौहर judge ।
    ख़ैर, ज्यादा लंबा क्या लिखना। समझदार को इशारा काफ़ी ।
    पढ़ने का नज़रिया और गहराई मायने रखती है। धन्यवाद । 🙏

  • @budhprakash9200
    @budhprakash9200 3 месяца назад +6

    पुरातन सनातन दक्षधर्म संस्कार ज्ञान-
    हे मनुष्य !
    बलपूर्वक जो दिया जाए, बलपूर्वक भोग किया जाए, बलपूर्वक लिखवाया जाए और जो जो बलपूर्वक कर्म किये जाए वे नहीं करने चाहिए। एसा विधिनियम मनु महाराज ने कहा है।
    संस्कृत श्लोक विधिनियम-
    ॐ बलाद्दतं बलाद् भुक्तं बलाद्याच्चापि लेखितम् l सर्वान्बलकृतानर्थानकृतान्मनुरब्रवीत् ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र। ।
    जय विश्व राष्ट्र पुरातन सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म वर्णाश्रम संस्कार।। ॐ।।

  • @mayankkumar3884
    @mayankkumar3884 Год назад +32

    You are best sir. You show real history sir. Make some more video on Buddha

    • @manujip
      @manujip Год назад +6

      sanatan samiksha channel dekho

    • @mr.aghori8353
      @mr.aghori8353 Год назад +1

      @@manujip right

    • @thevinayak1866
      @thevinayak1866 11 месяцев назад

      Yes buddha supporters never want to talk about buddhas dark side but they want to criticize loud on sanatan

    • @thevinayak1866
      @thevinayak1866 11 месяцев назад

      @@manujip ku tu dekh tu hai na sanatan virodhi

    • @Yabuki_right
      @Yabuki_right 9 месяцев назад

      ​@@thevinayak1866Buddha never said anything like that, the book mentioned in this video is not taken seriously by Buddhist themselves.

  • @chetramsahu9055
    @chetramsahu9055 2 месяца назад +2

    गुण तीनों की भक्ति में ,भूल पड़ा संसार । कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरू पार ।।

  • @KamalPanika-p2o
    @KamalPanika-p2o 11 месяцев назад +2

    शरीर के अंदर पति होता है मन ।
    जोरू होती हैं आसक्ति ।
    जो लोग आसक्ति में पड़े हुए रहते हैं वो लोग धर्म और अधर्म न विचार करते हुए लालच में पड़े रहते हैं ।

  • @aryemangeram861
    @aryemangeram861 21 час назад +1

    यदि शुद्ध ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें वेदों की शरण में जाना चाहिए। महर्षि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश पढ़ें और श्रेष्ठ अर्थात् आर्य बने ।। ओ३म् ।।

  • @sudhirduttbhardwaj3017
    @sudhirduttbhardwaj3017 Год назад +7

    अद्भुत ।।

  • @vismayshakya8149
    @vismayshakya8149 Год назад +1

    जी आप बहुत अच्छा ग्यान दे रहे हों..धन्य हो गए हम

  • @igntu383
    @igntu383 Год назад +6

    Apka bahut bahut dhanyvad

  • @sukhram7935
    @sukhram7935 Месяц назад

    कबीर वाणी अटपटी झटपट लखी नहीं जाय झटपट लखले तो खट-पट मिट जाय

  • @rational74
    @rational74 Год назад +10

    Nari ninda is not for the sake of censuring women. All Sadhaks in order to enjoin celibacy during sadhana period have stressed this one. Everywhere here, the text should be meant only for Sadhaks not for ordinary people. Na hi ninda nyaya applies here. Tatparya is not in ninda but enjoining celibacy only. Kabir' s mentioning one should not to be even in the company of one's mother and sister when one is in solitude is from Manu Smriti. In the section dealing with Brahmacharins' conduct it is instructed. So we have to understand the context first, before jumping into conclusions. Nowadays many people without knowing the rules of interpretation, take out meanings from their dull brains. Society is going in a very wrong direction.

  • @shubhangichauhan3056
    @shubhangichauhan3056 Год назад +11

    सनातन जैसा ज्ञान किसी धर्म मे नही है 🙏🌷

    • @gooddayok
      @gooddayok Год назад

      Yes Kabir Das ji was follower of Islam.

    • @snigdha7647
      @snigdha7647 Год назад

      @@gooddayok Then why his poems mentions Hari Krishna Ram ?

  • @rnswetasingh
    @rnswetasingh Год назад +25

    Many thanks for this knowledge. I lost all the respect for Kabir. So much hate...i was disappointed by Tulsi das but now i feel that era was bent on only diminishing women...i feel very thankful to our ancestors who survived these hatemongers.
    Inspite of all this our sanatan did not stop worshipping Devi....huge gratitudes to our ancestors.

    • @gouravdey497
      @gouravdey497 Год назад +1

      Just like today Brahmins are classified as evil.... everything based on time.

    • @steelcross628
      @steelcross628 Год назад +1

      @Aman Jha"are bhai ji 🙏Wahan par Tadna ka arth Dekhna nahi liya hai apke kisi bhi vidvaan ne woh Pehle bhi yeh baat bata chuke hain aur apne man se arth mat ghuseda Karo
      Ek Dictionary dikhao jahan par Tulsi Shabdawali- Tulsi Shabdsagar, Tulsi Shabd Kosh mein "Tadan" ka Arth "Dekhna"ho aise kahin bhi apne man se kuch bhi arth Ghused doge kya aur iss traha ki batein Sabhi sahitya mein milti hain kyonki inn baton ka Sankalan karne wale Ek hi mat ke hain🙏"

    • @times2508
      @times2508 Год назад +1

      It's a word play here nari refers to lust

    • @vinaymalik6777
      @vinaymalik6777 Год назад +1

      He does not know the actual meaning of dohas...and you are stupid to beleive him.

    • @wvfsd070
      @wvfsd070 Год назад +2

      @@steelcross628 अवधी भाषा में ताड़ना का अर्थ देखना होता है. तुलसी दास जी ने अवधी भाषा में ही गंन्थ लिखा है

  • @govindaaggarwal103
    @govindaaggarwal103 Год назад +7

    - यदपि मैं कबीर के बारे में बहुत अधिक नहीं जनता था/हु, तथापि ऐसे विचार सुनने के बाद मेरी दृष्टि में वे गिर गए है।
    - जो भी मुर्ख, इन नारी गृह्णा वचनों का समर्थन कर रहे है, सनातन में प्रकृति (पार्वती जी) के बिना पुरुष (शिव जी) की प्राप्ति नहीं होती।

    • @amurarka7876
      @amurarka7876 Год назад

      अरे ये दोहे ब्रह्मचारी लोगों को नारी से दूर रखने के लिये हैं। कोई घृणा-वृना नही करते थे।
      वैसे तो आदि शंकराचार्य जी ने भी कहा भज गोविंदम में- का ते कान्ता कस्ते पुत्र, तो क्या पत्नी और पुत्र कोई काम के नहीं। वो तो बस मोह छूराने के लिए ऐसा बोलते हैं।

    • @anuragdubeyawadhdham4680
      @anuragdubeyawadhdham4680 Год назад +2

      @@सत्यआलोक na tulsi das ji ki burai aur na kabir ki burai hame dono ki burai nahi karna chahiye

    • @macksequeira4233
      @macksequeira4233 Год назад

      यद्यपि *

  • @kamus2478
    @kamus2478 Год назад +15

    Nice effort to show the mirror to this hypocritical society. People with an agenda obviously won't be swayed by any logic or discussion. Expect to see more similar issues being brought up to firm up vote banks and privileges while targeting specific groups. Soon, sabko milegi aazadi "patriarchy" se, just like our liberal and feminist neighbours.

  • @preetamyadav7952
    @preetamyadav7952 Год назад +19

    Kabir das to CHAD nikle . 🤣🤣😂
    Tulsidas ji to bohot samman karte hai nari ka .

    • @anuragdubeyawadhdham4680
      @anuragdubeyawadhdham4680 Год назад +2

      Bilkul anuj vadhu bhagni shut naari sun sath kanya Sam ye chari inhe kudrishti viloke jinahi tahe badhe kachu paap na hoi tulsi das ji to nari par kudrishti karne wale ko mritu dand dene ki baat kar rahe hai

  • @chetramsahu9055
    @chetramsahu9055 2 месяца назад +2

    पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव । कहे कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय ।।

  • @sunderlalkamal6569
    @sunderlalkamal6569 3 месяца назад +3

    जितने दोहे आपने बतायें है उनमें से कुछ कबीर साहेब के कहे हुए हैं बाकी आप कहाँ से लाये हैं हमें नहीं पता पहली बात तो ये हैकि आपने इनका अर्थ सही नहीं लगा पाये कबीर साहेब के ग्रंथों को पढ़ो तब उनके शब्द साखी रमैनी हिंडोला के अर्थ बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता कबीर साहेब ने कहा है पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भयौ न कोय ।ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।। महंत सुन्दर दासपनकाआश्रम कानपुर नगर पोस्ट भौती थाना पनकी कानपुर नगर का रहने वाला हूं अपना कबीरपंथ आश्रम है साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी आप को परमात्मा सलामत रखें धन्यवाद सरजी ।

    • @sunderlalkamal6569
      @sunderlalkamal6569 3 месяца назад

      साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी

  • @thakurjibaapji6807
    @thakurjibaapji6807 Год назад +74

    जय हो ब्राह्मण देवता

  • @pappuramsaini7163
    @pappuramsaini7163 3 месяца назад +18

    यहाँ विषय भोग में आसक्त हैं उसकी निन्दा की गईं हैं, न की नारी के स्वरूप की।

    • @IndarsinghYadav-qy6ef
      @IndarsinghYadav-qy6ef 2 месяца назад

      ये ढोंगी ये नहीं बताएगा कि कबीर साहेब ने किस ग्रन्थ या पुस्तक में यह लिखा है

    • @VikarmDasbelanavtoli
      @VikarmDasbelanavtoli 9 дней назад

      कबीर साहेब जी सरिर में नौ नारी के बारे मे कहा है

  • @mayankkumar3884
    @mayankkumar3884 Год назад +7

    Thank you ji

  • @Mujhe_sab_pata_hai
    @Mujhe_sab_pata_hai Год назад

    Jab Tak stree hatha na aaye.
    Kachhu na samjha aaye.
    Wah stree durlabha.
    Upar gupt chupi.
    ❤.

  • @anumishra5911
    @anumishra5911 Год назад +4

    Misogyny has been common to all these so called saints.... Hope they are reaping the fruit ... Sanatan dharma treats everyone as soul..no discrimination 🙏

    • @HUNTERRZONE
      @HUNTERRZONE 5 месяцев назад

      Adi shankaracharya pe bhi kuch aese fool barsawo to jasne😂 aya wadda misogyny ka choda

  • @dasnaimish3111
    @dasnaimish3111 Год назад +1

    पति व्रता मतलब आत्मा जिसके पति परमात्मा हैं

  • @ramdhyan9250
    @ramdhyan9250 3 месяца назад +4

    महोदय पुरुष पर भी दोहे सुनाइए। नारी पर तो बहुत सुना दिए हम सुन चुके

  • @RakeshSharma-rq2ge
    @RakeshSharma-rq2ge Год назад +2

    अति सुन्दर और सारगर्भित विश्लेषण ।बहुत बहुत साधुवाद

  • @JaiBheem-jr9jf
    @JaiBheem-jr9jf Месяц назад

    मुझे ऐसा लगता है कि संत रविदास तुलसी से तो लाख गुना बेहतर है ही, कबीर से भी बेहतर है।

  • @ronny5788
    @ronny5788 Год назад +8

    can you pls make a video or series of videos on Vedanta (Advaita, Dvaitadvaita, Vishishtadvaita, Tattvavada, Suddhadvaita)

  • @sitarambishnoi5629
    @sitarambishnoi5629 2 месяца назад

    निवण प्रणाम सा। उसे समय यथार्थ बोलने व सुनने वाले थे। आज हर व्यक्ति अपने मन के अनुकूल करना व सुनना चाहता है। आजकल के शास्त्रों ज्ञान अनुसार गुरुमुखी नहीं है सभी मनमुखी है और अपने अपने मन के क्रिया कर्म ही धर्म मानते हैं। कल्याण कैसे होगा भगवान ही जाने। ओउम् विष्णु नमः। हरि ॐ विष्णु शरणम्। जय गुरु जंभेश्वर

  • @Kavyaraag
    @Kavyaraag Год назад

    Bahut badhiya 🙏😊

  • @rajparkash9477
    @rajparkash9477 2 месяца назад

    संत कबीर अपने जैसे ही हर पुरुष का मन समझते हैं, हर पुरुष कबीर नहीं है, अच्छा बुरा गुण अवगुण दोनों में ही होते हैं, पुरुष और नारी दोनों को ही अवगुणों से दूर होने की जरूरत है, ना कि पुरुष या महिला से दूर रहने की.

  • @pramod6898
    @pramod6898 8 месяцев назад +1

    शोधपरक सटीक विश्लेषण

  • @GSM-SM
    @GSM-SM 10 месяцев назад

    तुभ्यम् नमामि

  • @rameshkhandia2245
    @rameshkhandia2245 2 месяца назад

    आप जो व्याख्या दे रहे हैं वह अपनी ओर से सुंदर व्याख्या दे रहे हैं परंतु साहेब कबीर ने जो नारी की जो चर्चा की वह आध्यात्मिकता मैं को वह आध्यात्मिक मत में पुरुष के लिए नारी और नारी के लिए पुरुष दोनों ही इस रास्ते में अडचन अर्चना है लेकिन तुलसीदास जी ने जो ढोललिया है वह बिना पीटेआवाज नहीं कर सकता उसके साथ जोड़ा है इसलिए यह निदनीये है

  • @mirapandey6950
    @mirapandey6950 7 месяцев назад +4

    नारी बुराई की खान कभी नहीं, तुलसीदास जी सीता माता, की इतनी प्रशंसा करते हैं, माता कौशल्या और सभी माता की इतनी वात्सल्य की बातें हैं, फिर नारी की निन्दा कैसे
    तुलसीदास जी ने की, यह तो ग़लत है।

  • @NaveenMagraiya-pq4ts
    @NaveenMagraiya-pq4ts 2 месяца назад

    यह कबीर साहब के चरणों की धूल भी नहीं है
    केवल ब्राह्मणवादी विचारधारा को बढ़ाना चाहता है

  • @nandkumartiwari7420
    @nandkumartiwari7420 3 месяца назад

    Very Balanced interpretation! Jai Hind

  • @ErSumantKumar
    @ErSumantKumar 3 месяца назад

    Real truth first time on RUclips.
    Good work Dada Ji
    Keep it up.

  • @Prem.pant76
    @Prem.pant76 3 месяца назад +2

    अज्ञानी लोगो की बात सुन कर हसीं आती हैं।अभी बच्चे हो बेटा ।

  • @जयहिन्द-च7श
    @जयहिन्द-च7श Год назад +1

    में ब्राह्मण तो नहिं पर हमारे श्रुति ओर स्मृति दोनो को मानता हुं

  • @RajkumarSingh-x7q
    @RajkumarSingh-x7q 3 месяца назад +6

    जानबूझकर आपने से जोड़ा गया है कबीर को बदनाम करने के लिए।क्योकि नारी का अति सम्मान करनेवाले कबीर ऐसा कभी कह ही नही सकते है

  • @kapildev2433
    @kapildev2433 3 месяца назад

    आप का बिशलेषण सही है🙏💕

  • @Pushpashrivastav12
    @Pushpashrivastav12 2 месяца назад

    Yaha rari se matlab prakriti(tamo gun,rajo gud aur sato gud)Maya se hai.mystic way of expression.
    Kabir shareer se nar aur naree se bahut upar.aesa Mera interpretation hai.

  • @kailashnathpandey9572
    @kailashnathpandey9572 Месяц назад

    बहुत सुन्दर,

  • @NoshNams
    @NoshNams 11 месяцев назад

    Just Love Your Voice And Ways You Explain The Topics ❤❤❤

  • @madanmohan877
    @madanmohan877 10 месяцев назад

    हमेशा कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो आंतरिक रूप से बुरी होती हैं और इसलिए दुनिया के लिए जरूरी होती हैं। और उन चीज़ों के बारे में बुरा बोलना भी बुरा है. उदाहरण के लिए, शराब एक बुरी चीज़ है लेकिन साथ ही कोई भी अर्थव्यवस्था इसके बिना नहीं चल सकती।

  • @krushna6214
    @krushna6214 Год назад

    Naman🙇🏻‍♂️

  • @kuntalisingh3883
    @kuntalisingh3883 Год назад +1

    Dhanyawad, ek Bhajan ka bhaav bhahut achha hai ,jisne bhi likha hai, prabhooji more avgun chit na dharo,,iss poore Bhajan me Jo kaha gaya hai,bahut uttam wa pavitra hai,, nar wa nari kisne srajan Kiya, ye wo hi Jaane, Kaun Kitna shubh ya ashubh hai ,aur kyon hai ,,

  • @prafulpatel6467
    @prafulpatel6467 Год назад +6

    Jay ho Brahmandevta 1. Nore request shirdi sai per bhi bbolo please please p😢

  • @varshakapoor7790
    @varshakapoor7790 3 месяца назад +3

    मान्यवर यहां नारी की निंदा नही है यह उन की एकाग्रता की कमी है जो ध्यान मैं बैठे है। यदि उन में एकाग्रता होती तो वो नारी को देखते ही नहीं। जो ध्यानी होते है वह समता में होते है वह तो सभी में उस परमपिता परमात्मा को ही देखते है। उन के लिए देह कोई मायने नहीं रखती हैं।

  • @SamunderKumar-oq8ud
    @SamunderKumar-oq8ud 8 месяцев назад

    Jai ho pandit ji

  • @rajx7120
    @rajx7120 Год назад +18

    Sir, we can still ask- what type of women, are these two saints talking about? They may not be talking about householder women in normal society, but about women who work as courtesans and temptresses.
    In liberal countries like US, women willingly take up jobs as strippers, where men go and splurge money, and spoil themselves. People have no issues with that.

  • @chetramsahu9055
    @chetramsahu9055 2 месяца назад +1

    कबीर साहब स्वयं परमात्मा है और वह भक्ति करने के लाने अपने हंस आत्माओं को सतलोक ले जाने के लिए वह सब भक्ति विधि अपने वाणी द्वारा सत्संग द्वारा सखियां द्वारा भजन द्वारा बताते हैं और ज्ञान देते हैं

  • @MukeshKumar-lb8vc
    @MukeshKumar-lb8vc 3 месяца назад +4

    मौर्य जी और आप दोनों ही समान हैं एक संत तुलसीदास जी को नहीं समझा और एक संत कबीर को . अज्ञान . आप कबीर की बात कर रहें है तो जहां जहाँ नारी, कामिनी शब्द आया है वहाँ पर कामना या इच्छा मे परिवर्तित कर लीजिए . अर्थ स्पष्ट हो जाएगा 🙏

    • @shivam00668
      @shivam00668 3 месяца назад

      तुम उल्लू हो, तुलसी पर प्रश्न उठाया तो उसका प्रतिउत्तर है यह वीडियो, ये नही बोले कि वह कबीर को गलत बोल रहे

  • @pramodkumarshukla9148
    @pramodkumarshukla9148 3 месяца назад

    👌 bahut acchi prastuti

  • @Ramkumar-d7u8m
    @Ramkumar-d7u8m Месяц назад

    मुझे लगता है मन कुछ भी नहीं है निष्कामी होने पर मुझे लगता है कि जग का कर्ता मन है सकामी होने पर

  • @prafulpatel6467
    @prafulpatel6467 Год назад +9

    Jay Mahadev Jay shree Krishna jay siya Ram deva

  • @balmikchaube430
    @balmikchaube430 3 месяца назад

    कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है।सौ प्रतिशत किसी में अच्छाई ही अच्छाई की कल्पना करना उचित नहीं है।दोष रहित केवल ईश्वर है।पूरे ब्रह्मांड में किसी परफेक्ट बाडी की खोज आज तक नहीं हो पायी है।
    ये सभी महापुरुष हमारे पूर्वज है, इनकी निन्दा अपनी ही निन्दा है।
    हम सबको कम से कम एक दृष्टि स्वयं पर भी डाल लेना चाहिए और अपनी अच्छाइयों का भी मूल्यांकन कर लेना चाहिए।

  • @patience_passion
    @patience_passion 2 месяца назад

    Jai ho pandit ji❤

  • @indranidutta1945
    @indranidutta1945 Год назад +1

    The Islamic antecedents of kabirdasji comes out

  • @RajeshHappyVlogs
    @RajeshHappyVlogs Месяц назад

    जीव हमारी जाती हैं मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा कबीर परमेश्वर है उनकी वाणी मधुर है सत साहेब जी

  • @bhagwanmishra7243
    @bhagwanmishra7243 3 месяца назад

    मैं एक बार पूज्य पांडुरंग शास्त्री जी की विशाल जन सभा में बड़ौदा नगर में व्याख्यान सुना था जिसमें प्रसंग बसात् स्त्री गुण दोष का विवेचन करते हुए संस्कृत हिन्दी मराठी गुजराती और अन्य लिखित साहित्य से कोट करते हुए वे‌ बडी विद्वता पूर्ण गरिमा मय‌ ढंग से परमात्मा की माया शक्ति का वर्णन करते हुए यह बताया की स्त्रियों की निंदा प्रकृति त्रिगुणात्मक है और गुण दोष युक्त हैं। स्त्री शब्द की भी बहुत अच्छी व्याख्या करते इन्होंने बताया कि जो हमें नारी स्वभाव व्यवहार में दोष दिखते है वास्तव में वे उनके गुणों विशेषताओं के लेकर है। माया महा ठगनी हम जानी।‌ज्ञानिनां अपि चेतांसी देवी भगवती हि सा।बलादायाय आकृष्टात् महामाया प्रयच्छति। अरण्य काण्ड में नारद श्रीराम संवाद में ‌उपमा रुपक से नारी निंदा में कहें गए वचनों का बहुत यथार्थ अर्थ करते हुए उनका भाषण मुझे बहुत अच्छा लगा।ऐसी सभाओं में सबसे आगे बैठीं तो महिलाएं हीं होती है। कबीर दास के दोहे पढ समझा बता कर आप ने बहुत अच्छा किया। परिणाम तो सोचिए जो स्वामी भी नहीं न शाकभाजी उत्पादक कोयरी और न‌तो मौर्य वंशी राजवंश में जन्मे भारतीय। राजनीति में भी उनका सत्यानाश हो गया है अब उठना बहुत मुश्किल है। धन्यवाद

  • @sunilpawar6869
    @sunilpawar6869 Год назад +4

    Kabir ji sahi bol rahe hai

  • @ekkalam309
    @ekkalam309 2 месяца назад +1

    और कबीर का ये दोहा पढ़ो और फिर ये सब दोबारा पढ़ो 😂
    कबीर दास की उल्टी बानी, बरसे कम्बल भीगे पानी 😂😂

  • @KamalPanika-p2o
    @KamalPanika-p2o 11 месяцев назад

    आध्यात्मिक के तीन गुण के हिसाब से रज गुण तम गुण और सत गुण ये शरीर के नारी स्वरूप हैं ।इस तीन गुण रूपी नारी इंसान के अंदर में निवास जब तक करता हैं तब तक मनुष्य को आत्म बोध नहीं होता ।

  • @bookno11lr25
    @bookno11lr25 Год назад +4

    Quran 4:34 : " Beat Your women if they dont listen to you "
    Men are the caretakers of women, as men have been provisioned by Allah OVER women and tasked with supporting them financially. And righteous women are devoutly obedient and, when alone,
    protective of what Allah has entrusted them with.1 And if you sense ill-conduct from your women,
    advise them ˹first˺, ˹if they persist,˺ do not share their beds, ˹but if they still persist,˺ then discipline ( beat )them .
    Surely Allah is Most High, All-Great.

    • @Pain53924
      @Pain53924 Год назад

      Ok so what

    • @bookno11lr25
      @bookno11lr25 Год назад

      Muhagmad in Q-33:50 said @llah asked to R#pe women captured . So what ?? @@Pain53924

  • @ashoksaxena.6908
    @ashoksaxena.6908 7 месяцев назад

    सादर नमन 🙏🏻🙏🏻

  • @ReligioCritic
    @ReligioCritic Год назад +11

    Maine "Bodh Dharm mei jaativad" pe ek detailed video banaya hai, jisme maine Bodh samaaj aur Bodh granth se examples diyen hain...
    Ye Keshav Prasad kabhi bhi

  • @vijaymishra-sq2ip
    @vijaymishra-sq2ip Год назад

    उत्तम उदाहरण है

  • @sureshprasadyadav6559
    @sureshprasadyadav6559 2 месяца назад +1

    श्रीमान, कबीर दास जी सबकी समान रूप से निंदा किया है उन्होंने कहीं किसी से भी पक्षपात नहीं किया है।

  • @shubhamguptalmp
    @shubhamguptalmp Год назад +2

    सही कहा कबीर साहेब ने जय सदगुरु कबीर साहेब

    • @RaviTiwari-777
      @RaviTiwari-777 Год назад +1

      Kabir das hain saheb nhi

    • @digersen6648
      @digersen6648 Год назад

      @@RaviTiwari-777 lagta hai tum kabir panth nhi jante Nitin das ji ke satsang suno samaj ayega poora mamla

    • @RohitKumar-gz3tv
      @RohitKumar-gz3tv Год назад

      @@digersen6648 Kabir panth ,,dhong hai

    • @JohnSnow01
      @JohnSnow01 9 месяцев назад

      Sahi kaha na. To fir dusre pe uthana band kr do

  • @adarshsatam4462
    @adarshsatam4462 Год назад +2

    Giga Chad Kabir🗿

  • @sarojlata8657
    @sarojlata8657 3 месяца назад

    आम लोग तुलसी के साहित्य से अधिक परिचित हैं,इसलिए उन पर ज्यादा चर्चा हुई,कबीर पर कम हुई! दोनों ही बहुत महान थे लेकिन कुछ हद तकअपनी सामाजिक परिस्थितियों के प्रभाव में भी थे!उनके विचारों को इसी संदर्भ में समझना उचित रहेगा!

  • @vandematram8205
    @vandematram8205 Год назад

    Dhanywad

  • @maganbhaisakariya6425
    @maganbhaisakariya6425 Год назад +8

    साहेब कबीर जी कहते हैं ऐ इस नारी की बात नहीं है
    साहेब कबीर जी जिसको नारी कहते हैं ऐ इच्छा तृष्णा आशा और तन की नारी या ने शरीर की नाडी,,की बात है
    और ऐक उसने,, माया को नारी कहां है
    माया,तु महा ठगनी हम जानी,,,
    ऐ कामनी नागिन,, माया को कहते हैं
    साहेब कबीर जी की नारी,,, कहेना ऐ आप जैसे की समझ में नहीं आता है
    साहेब कबीर जी,को आप जैसे लोग नहीं समझ सकते
    अर्थ,,का अनर्थ मत करो बिना समझे जाने,,,
    कबीर जी के,,दोहे को समझना ऐ आपकी बस की बात नहीं है
    कयु,, व्यर्थ महेनत उठाते हो,,, उटांग पुंटाग बातें करते हो
    साहेब कबीर जी ऐ नारी को रतन की खान बताते हैं इस नारी से महा पुरुष का जन्म हुआ है
    ऐ,जो जिस नारी का,, दृष्टांत करते देते हैं ऐ भौतिक,शरीर धारी नारी की बात नहीं करते हैं,,,
    तिन लोक में नारी कहते हैं ऐ माया उर्जा के संदर्भ में कहा गया है
    कहां तुलसीदास और कहां साहेब कबीर जी
    कीसकी कोनसे तुलना करते हैं ऐ आपको समझ नहीं है,,,
    ऐ,सब दोहे, साहेब कबीर जी का,,उसका अर्थ, आपने ग़लत किया है,,,
    ऐ, दोहे, समझना आप जैसे बुद्धिवादी की बस की बात नहीं है
    छोटी मोटी कामनी,, नागिन,,ऐ माया का नाम, से संबोधित किया है,,,
    क्या कहे,,आप जैसे लोगों को,,ऐ बुद्ध भी समज जाते है,,,की कीसके संदर्भों में ऐ कहां गया है
    ऐ, तुलसीदास,के साथ कबीर जी की तुलना करके बात मत करो,,,,
    इससे तो लगता है आप बुद्धिशाली नहीं बुद्ध हो
    ऐ तिन लोक देव नर सबको सम्मिलित करके बात हो रही है ऐ सामान्य बुद्धि वाले लोग भी समझ सकता है ऐ आप जैसे व्यक्तियों नही समझ पा रहे हो

  • @mahimashukla8625
    @mahimashukla8625 2 месяца назад +1

    ❤❤

  • @madhavshrivastava8521
    @madhavshrivastava8521 3 месяца назад

    भक्तिकाल के सभी साहित्यकारो की रचनाओ
    मे प्रतीकात्मकता व लाक्षणिकता के प्रयोग है।
    उनमे दोष निकालना व्यर्थ है।

  • @manmohankumar5615
    @manmohankumar5615 11 месяцев назад

    कबीर दास जी एक सामाजिक संरचना के तहत यथार्थवादी संत थे जो उनके अधिनायक बने उन्होंने अपने अपने तरीके से हर बात कबीर दास जी के नाम से कह दी गई है

  • @Kavyaraag
    @Kavyaraag Год назад

    🙏😊

  • @shyamsinghmarkam1821
    @shyamsinghmarkam1821 9 месяцев назад

    saty bole mharaj...dhnyavad

  • @dasnaimish3111
    @dasnaimish3111 Год назад +5

    नारी= माया

    • @kamina646
      @kamina646 Год назад +1

      Yes, many time used as such,