Swadhishtan chakra kaise jagrit kare। Sacral Chakra Meditation। Kundalini yoga : Swadhishtan chakra।
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- Опубликовано: 13 сен 2024
- How to balance sacral chakra।
Swadhishtan chakra kaise jagrit kare।
Kundalini yoga : Swadhishtan chakra।
Sacral Chakra Meditation।
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Very helpful thank you🙏
Swdistan चक्र के बारे दिव्य जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार 🙏🙏🙏
Thank you so much 🙏🥰 aapka or iswar ka ❤
बहुत शानदार इन्फोर्मेशन
आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
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बहुत उपयोगी जानकारी। बहुत बहुत आभार 🙏
अनाहत चक्र को जागृत कैसे करें कृपया इस का भी उपाय बताए
good morning sir
Gruji mera shadar parnam shuikar karo or merko Yaha Bata neki kirpa karo ki Har kishi pa ghusha wali Bhawan kiwu Aaraiha Or Lagta hai ki loog mughai Taga kar raha ha
क्रोध की वास्तविक शान्ति तो समझ के साथ और व्यक्ति के अनुभवी व मानसिक रूप से प्रौढ़ होने पर ही होती है, जिसमे समय लगता है । किंतु फिर भी कुछ बातों का ख्याल रख के क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है जैसे की:-
1) अपने अहंकार पर नियंत्रण रखे, क्युकि अधिकतर तो हम अहंकार के वशीभूत होकर ही क्रोधित होते है ।
2) जीवन मे शिकायत कम करके, स्वीकार भाव से जीना सिखे, क्युकि जब हम किसी चीज़ की शिकायत या विरोध करते है तो क्रोध उत्पन होता है, जबकि स्थिति को स्वीकार कर लेने से क्रोध खत्म हो जाता है ।
3) अपने अंदर श्रमा भाव को विकसित करे, दूसरे को नादान मानकर उनको श्रमा कर दे ।
4) हृदय मे प्रेम, सहनशिलता, करूणा, परोपकार, सहायता जैसे उच्च भावों व विचारो को विकसित करे । जहा उच्च विचार होते है वहा क्रोध जन्म नही ले पाता ।
5) स्वयं को हमेशा विनित बनाकर परमात्मा के चरणों मे समर्पित कर के रखे ।
6) अपने आहार मे गर्म तासिर के खाध पदार्थ, मादक पदार्थ व मदिरा आदि का सेवन न करे ।
7) नित्यप्रति सुसंगति मे रहे, दुर्जनों के संग का त्याग करे, भगवान का भजन, ध्यान, सत्संग आदि करे ।
8) योग व प्राणायाम का हर रोज सुबह अभ्यास करे । खासकर अनुलोम विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम करे, इनके अभ्यास से आपमे शीतलता बढ़ेगी और क्रोध घटेगा ।
9) आपको नित्य प्रति अपने हृदय चक्र को संतुलित करने के लिए विशेष ध्यान का अभ्यास करना चाहिए, क्यूंकि हृदय चक्र के असंतुलित होने से ही क्रोध उत्पन्न होता है जबकि इस चक्र के संतुलित होने से श्रमा और प्रेम उत्पन्न होता है।
Koti koti Dhawad guruji
GURUJI Pranam 🙏
Shwas dhyan se ye sare chakra balance aur activate hote hai na ?
Kyunki mai sirf deep breathing aur shwas dhyan krta hu .
Pranam 🙏
श्वास प्रश्वास का ध्यान सर्वश्रेष्ठ है, य़ह सरलतम और शक्तिशाली दोनों है, और श्वास के ध्यान से सभी चक्र स्वमेव ही संतुलित होने लगते है अतः आप य़ह ध्यान जारी रखे आपको कुछ और अलग से करने की जरूरत नहीं है।
Dhanyawad GURUJI 🙏
Pranam 🙏
guruji mai jab muldhara chakra par focus karne jata hu to dimag me lal raang ki tarange dikhti hai iska matlab kya hai.
pranam guru ji.
य़ह अच्छा लक्षण है, इसका मतलब आपका मूलाधार चक्र उस समय एक्टिवेट होने लग जाता है क्युकी लाल रंग मूलाधार चक्र का ही रंग है।
Guru go jabse meditation ksrna shuru kiya he tabse chakro me to vibration hoti hi rehti he per mere right per k tale k center me hamesha vibration hoti rehti he ye meditation k karan ho raha he ya koi aur vajh vo sakti he?
अगर हर वक्त ही होती रहती है तो इसके शारीरिक कारण हो सकते है, अधिकतर तो रक्त प्रवाह के बाधित होने की वजह से ऐसा होता है, आप दिन में दो तीन बार अपने पैरों के तलुवों पर दोनों हाथों से 2 या 3 मिनट तक ताली बजाया करे, ऐसा करने से ठीक हो जायेगी।
Guru ji pranam meri umr 17 year he or me meditation bhi bahut dino se karta hun
Guruji me me bahut dukhi hun mujhe ye duniya ajib lagne lagi he me khud ajib lagta hun Rona aata he or me khud ko akela dekhta hun ye log or ye duniya bahut ajib lagti he me kya karu kuch samj nahi aa raha he Mera janm kyu howa he bahut chinttit hun 😭😭
Kripya margdarshan kare 😭😭 please 🙏🏻
Mera bhi same Hai bhai
Bhut tanab mai hu
Bipashna
ऐसा होता है, कई बार कुछ लोगों को ध्यान के बाद कुछ नकारात्मक अनुभूतियां होती है और कुछ लोगों को ध्यान के बाद उदासी, एन्ग्जायती या डिप्रेशन जैसी फिलिंग भी होती है, किन्तु ऐसा अस्थायी तौर पर और कुछ देर के लिए ही होता है।
अगर आपको ऐसा हो रहा है तो इसका मतलब आपका ध्यान सही लग रहा है और उसका असर भी हो रहा है और ऐसा होना शुभ है, इसका मतलब य़ह है की ध्यान के प्रभाव से आपके अंदर जो नकारात्मकता आपके अवचेतन मन मे पडी है उसकी सफाई हो रहीं हैं। धीरे-धीरे जब य़ह सफाई पूरी हो जायेगी तो फिर ऐसा नहीं होगा।
कभी कभी हमें एक अनजानी उदासी, निराशा, नीरसता, वैराग्य आदि भावनाएं घेर लेती है। लेकिन इसके कुछ कारण होते है, पहला कारण होता है हमारे मूलाधार चक्र में स्थित हमारे पूर्व जन्मों की या हमारे बचपन की दमित सकरात्मक या नकारात्मक भावनाओं का ऊपर उठ जाना, इन भावनाओं में उदासी ग़म या प्रसन्नता आदि कुछ भी हो सकता है, लेकिन इन भावनाओं का हमारे अवचेतन मन से जागृत होना अच्छा ही होता है क्योंकि ऐसा होने से ये भावनाएं हमारे भीतर से मुक्त हो जाती है और हम हल्के हो जाते है। आपको धैर्य पूर्वक इन भावनाओं को साक्षी भाव से अवलोकन करते हुए देखते रहना चाहिए और इनमें लिप्त नहीं होना चाहिये, धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाता है।
इसके अलावा भी कभार मन मे उदासी का आ जाना साभाविक है अतः चिंता ना करे किंतु यदि इसकी बार बार पुनवृती हो तो यह मन का नकरात्मक्ता मे गिरने का संकेत हो सकता है और आगे चलकर यह डिप्रेशन का रूप ले सकता है।
ऐसे मे स्थिति मे सुधार के लिये उदासी का यानि की डिप्रेशन या नकरात्मक विचारों के आने का स्वयं के भीतर कारण खोजे । जैसे की :-
क्या आपको कोई तनाव या चिन्ता है ? क्या आप कोई मादक पदार्थ का सेवन करते है ? क्या आपके मित्र या घर मे जिस सदस्य के भी नजदीक आप ज्यादा रहते है वह व्यक्ति नकरात्मक है या दुखी है ? क्या आपको कोई किसी प्रकार की सामजिक, आर्थिक असुरक्षा है ? क्या आपको कोई कभी मानसिक रोग हुआ है ? क्या आपके अंदर जीवन के प्रति उत्साह व जोश की कमी है ? क्या आपने अपने जीवन का कोई सकरात्मक उदेश्य बनाया है ?
इन सब कारणों मे से यदि कोई कारण आपके जीवन मे है तो सब से पहले उसको दूर करे ।
इसके इलावा निम्न बातों का ध्यान रखे :-
1) नित्य प्रति प्रातः काल अथवा सायकाल हरियाली वाले वातावरण मे लंबी सैर करे या दौड़ लगाये। अनुलोम-विलोम, सुर्य भेदी, भस्त्रिका, कपालभाति, भ्रामरी आदि प्राणायाम तथा सूर्य नमस्कार आदि व्यायाम करे, एक्सरसाइज़ करे । औम का उचारण करे । इन सब क्रियाओं को करने से आपके मस्तिष्क मे व शरीर की हर नस नाडि मे रक्त का व प्राण वायु का संचार बढेगा जिससे आपके अंदर आत्म विश्वास व उत्साह बढेगा ।
2) हमेशा सकारात्मक व खुश मिजाज लोगो के साथ रहे और नकरात्मक जनो के संग ना रहे ।
3) अपना मनपसंद संगीत सुने, नृत्य व गायन आदि मे रूचि ले ।
4) अपने आप को सम्पूर्ण रूप से व्यस्त रखे, खाली ना बैठे, खुब मेहनत वाले कार्य करे, अपने व्यवसाय मे अपना ध्यान लगाये, परिवार के साथ व बच्चों के साथ बैठे व हसे खेलें । बागवानी करे । सृजन करे अपने पनसदीदा व हॉबी वाले कार्य करे
5) अपने माता पिता, वृद्ध जन, अनुभवी जन, जानकार व योग्य जन, मित्र जन, गुरु जन के प्रति विश्वास रखे, इनसे निकट संपर्क करे व परामर्श आदि ले ।
6) अपने ईष्ट देवी देवता व परमात्मा से हृदय से व भाव से व समर्पण के साथ इनको प्राथना करे व इन पर श्रधा रखे ।
7) नित्य प्रति किसी योग्य जन से सिख कर ध्यान का अभ्यास करे
8) अपने आहार मे हरी सब्जियां, फल, सलाद, दूध, दही, लस्सी आदि ले अवम तला भुना खाना, मांसाहार, मदिरा आदि ताम्सिक भोजन त्याग दे । किसी वैध से परामर्श करके ब्रह्ममी बूटी, आवला, त्रिफला चुरण, च्वन्प्रश आदि का सेवन करे ।
9) रात्रि को 8 घंटे की गहरी नींद ले ।
10) मृत्यु से भय ना करे, अध्यात्मिक साहित्य का अध्यन करे व गुरु जनों से ज्ञान लेकर मृत्यु को सकरात्मक रूप से स्वीकार करे । अगर आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नही है तो उसको ठीक करने का प्रयास करे ।
@@Dhyankagyan777 yes guruji mere sath bilkul aisa hee ho rha hai..jab bhi me meditation ya kundalini dhyan kr rhi hoo mujhe anxiety badh rahi he..aur wo sthiti meri fir puraa din chalty hai...aur pure sharir me Kampan bhi nazar aata hai...mere chakro ko me balance krna chahti hoo jaldi se jald..lekin iss sthiti se dar jaaty hoo me..isliye kuch asar nhi nazar aarha ..
Parnam guruji mujhe dhyan krte huye 3 months se upr ho Chuka he lekin aaj jo anubhav hua he wo mujhe phle kabhi nhi Hua he. Meri puri body me ek ajib si jhnjhnahat ya aap Kampan bhi smjh skte he or ek ajib sa dar lga he jb me mere aagya chkr pr dhyan lga rha tha mujhe ek alg hi anubhav hua he. Aap smjh skte he kis trh ka anubhav hua hoga lekin me kafi ghbra gya tha us anubhav se isliye mene aagya chkra se dhyan htakar body ko control krne ki koshish ki he kyoki me kuch unsecure feel kr rha tha. Please guruji explain what happens to me. Is that right way or not. Kya me sahi marg pr chal rha hu. Please guruji🙏🙏🙏
नहीं, आप बिल्कुल चिंता ना करे, कुछ भी गलत नहीं हुआ है, ब्लकि जो अनुभव आप बता रहे हैं य़ह एक शुभ और कल्याणकारी अनुभव है।
य़ह कुंडलिनी जागरण का लघु रूप जिसको प्राण उत्थान कहा जाता है वह था, ऐसी अवस्था मे ऊर्जा अचानक से ऊपर चढ़ती है जिस कारण से ऐसी ही अनुभूति होती है जैसी आपने जिक्र किया है।
ऐसा कई बार अकस्मात रूप से ध्यान अभ्यास के दौरान घटित हो जाता है, य़ह एक सुन्दर अनुभव है। इसमे जब तक ऊर्जा ऊपर रहती है तब तक इसका असर रहता है लेकिन जब ऊर्जा वहाँ से हट जाती है तो फिर से सब सामान्य हो जाता है।
अतः आप बिना चिंता के अपना अभ्यास जारी रखे आप सही मार्ग पर है।
Namaste sir,aapke video bahut ache or knowledgeable Hain sir aapne Jo remedy batai paper burn kee ek to negitive thought s vaali vo burn karke candel se or usko baaher fenk Dena hai doosari Jo positive thoughts vaali hai vo likh ker mandir me rakhnaa hai sir kitane din mandir me rakhnaa hai or jab ye wish poori hogi phir vo paper ka Kya karnaa hai kuki vo wish vala paper koi padd na le to usko bhi time aane per kuch karnaa hai to Kya Karen please bataya🙏🙏🙏
आप को एक बार ही केवल कागज पर अपनी विश लिखकर अपने घर के मंदिर मे रखनी है और रख कर बस भूल जाना हैं उसे बार बार देखना नहीं, और पेपर मंदिर में भगवान की मूर्ति के पास कहीं कपड़े आदि के नीचे छिपा कर रखना है ताकि हर किसी की उस पर नजर ना जाये और फिर तब तक उस पेपर को वहीं रहने देना जब तक विश पूरी ना हो जाए और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पेपर को जो बची हुई पूजा सामग्री होती है, धूप फूल आदि, इसी सामग्री के साथ उस पेपर को नदी के जल मे प्रवाहित कर दे सकते है।
किन्तु यदि आपने पेपर मे कोई मनोकामना ना लिखकर, केवल अपने सकरात्मक विचार लिखे है तो उसे लम्बे समय तक मंदिर में ही पड़ा रहने दे।
@@Dhyankagyan777 thank u sir 🙏🙏🙏
@@Dhyankagyan777 sir Jo negative vaale paper hai usko candel se burn karake baaher havaa me fenknaa hai ki flush out karnaa hai kon saa theek rahegaa
Hawa main Burn karna jyada theek rahega
@@Dhyankagyan777 thank you sir guide karane ke liye🙏🙏🙏
गुरू जी प्रणाम 🙏🏻
मे ध्यान करता हु तो सास ले रहा कि नाही ले रहा हु
ये feel ही नहीं होता / उपाय बताए 🙏🏻
आप ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर त्रिव श्वास प्रश्वास की क्रियाएं जैसे कपाल भाँति प्राणायाम या फिर थोड़ी देर डिप ब्रीदिग कर लिया करे, ऐसा करने से आपका श्वास मार्ग अच्छे से खुल जाएगा।
Guru ji mere head ke piche hil ta he Kya yeh kumdalini ke lashan he Kya ? Uthane ke bad lagta h kahi me gir jaungi me 1year se meditation band kiya qki vibration ho rahi thi or koi guru se nahi sikha tha mene ab bhohat dar gai hu kahi he anxiety to nai 🙏
इसमे चिंता की कोई बात नही है, जब प्राण ऊर्जा मूलाधार से जागृत होकर उपर की और चलती है तो हमारे सहस्रार चक्र पर जोकि हमारे मस्तिष्क में ही स्थित है वहाँ पर पहुंचती है तो उस समय वहाँ कुछ हिलने जैसा या वाइब्रेशन आदि महसूस होती है, जोकि एक शुभ लक्षण है।
गुरु जी आप मुझे बताए की मेरे कोन से चक्र की बजाय से ऐसा हो रहा है । मैं कोई बात सुनती हु तो जल्दी भूल नही पाती हु बहुत जायदा सोचती हु इतना की गबराहट होने लगती है । इसके अलावा बहुत जल्दी गुस्सा आता है लोगो की बात बुरी लगती है जल्दी रोती हु और बहुत जायदा ही भावुक हु इतना की रोने लगती हु तुरंत । इस किस चक्र की बजाय से है बताइए मैं किस काम करू पढ़ाई में भी मन नही लगता । सिर भरी हो जाता है ।
आपके बताये लक्षण से प्रतीत होता है की आपमे मानसिक और भावनात्मक असंतुलन है जिस वजह से आपके साथ ऐसा हो रहा है और इस प्रकार का असंतुलन व्यक्ती मे भावना प्रधान चक्र जैसे स्वाधिष्ठान और अनाहत चक्र में असंतुलन के कारण होता है। इसके इलावा आपके अन्य लक्षण आज्ञा चक्र मे असंतुलन के है जिस कारण से आपको मानसिक समस्या आ रही है।
आप यदि इन सभी प्रकार के असंतुलन को यदि दूर करना चाहे तो आपको लगभग एक माह तक हर रोज 10 मिनट तक अनुलोम विलोम प्राणायम का अभ्यास करना चाहिए।
@@Dhyankagyan777 ji krugi kal se hi bahut bahut thanku apka mai is chij se bahut pareshan hu