कबीरदास जी से क्या गलती हुई आत्मा को समझने में ? बन्नो साहेब पार्ट 3
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- Опубликовано: 3 июл 2024
- साथियों इस महान कार्य में आपका हार्दिक स्वागत है| प्रेमजीत सिरोही जी ने एक ऐसी सम्पूर्ण व्यवस्था का निर्माण किया है, जिसके द्वारा हम, सबके जीवन को सभी आयामों में सुखी कर सकते हैं| चाहे वो शिक्षा नीति हो या रोज़गार नीति हो, चाहे सुखसुविधा नीति हो या संरक्षण नीति हो या विदेश नीति हो| बात आधिभौतिक की हो, आधिदैविक की हो या आध्यात्मिक की हो| एक शब्द में बोले तो सम्पूर्ण जीवन के सम्पूर्ण सुखों को देने वाली व्यवस्था का निर्माण किया है| लोग अपनी इच्छा का जीवन जी पाएं .लोग जीवन का आनंद उठा पाएं, सारी सुख सुविधा उनको मिल पाए इसके लिए धन आदि की जरूरत नहीं रह जाएगी| इस नीति के कारण हम सभी लोगों का भविष्य पुरी तरह से सुरक्षित और सुखी हो जायेगा| फिर किसी को भी भविष्य की चिंता नहीं सताएगी| क्योंकि जिनका वर्तमान सुखी नहीं होता उनका भूतकाल ख़राब होता है और जिनका भूतकाल ख़राब होता है उनको भविष्य की चिंता हमेशा लगी ही रहती है| और आप समझ सकते हैं कि जिनका जीवन सुखी नहीं होता उनके दूसरों के साथ सम्बन्ध भी मधुर नहीं हो सकते|
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बहुत सुंदर चर्चा है अच्छा लगा 6 प्रकार की स्रष्टि है।
मै ही ठीक हु, ये अहंकार प्रेम को गया हूं
दूसरे की सुनना नही और दूसरे के शब्दों को अनर्थ करके की कुलत लग गई है
Love you Premjeet sir ❤❤❤
27:55 👌
1:18:02 👌
45:54 👌
जीव आत्मा एक देशीय होने के कारण अल्पज्ञ है जिस कारण जीव आत्मा को भूल होती है भूल से अज्ञान होता है अज्ञान ही बन्धन का कारण है।
चेतन जीव असंख्य है, और असंख्य जीव सदा ही असंख्य बने रहेंगे। सब चेतन कभी भी मुक्त नही हो सकते। क्योंकि चेतन असंख्य है। और यदि सब चेतन मुक्त हो भी जाते हैं तो क्या हर्ज है।
Sir .... Muktt?... Kase honge
बन्नों साहब कों जीवन का कुछ भी अध्ययन नहीं है,और पुरा जीवन समाप्त हो गया है,
ये बन्नो साहब तोतापुर का तोता है। कुछ अता नहीं कुछ पता नहीं। जो हमेशा से गप्पें चली आ रही है उन्ही को रत लिया है।
Proud to be an atheist
प्रेम भाई
गोविंदा,पार्टनर मूवी में कहता है प्रेम भाई 😂😂
मानव सुख धर्मी है उससे उसका धर्म अलग होना असम्भव है
शरीर +चेतना = मानव
चेतन के लिये मानव शरीर साधन रुप मे है
उसका उपयोग करके सुख,सम्मान अभय व अस्तित्व के कण कण हर अवस्थाओ का सदुपयोग चाहता है तलाशता है पाने के प्रयास करता है
भ्रमित चेतन सिर्फ़ इन्द्रियो मे फ़सा हुआ है वस्तुओ मे सुख ढुन्ड पाया उसमे हि सुख लेना चाहता है और उसी मे पुर्ण तृप्त हो जाने के भ्रम मे आगे बढता है
उसमे पुर्णता नहि पा सका पुर्ण तृप्त नहि हो पाया
तो वो क्वान्टिटी वेराइटि मे जाता है एसा करते करते उसके शरीर का समय पुरा हो जाता है
अगले जन्म मे फ़िर पुर्णता प्राप्ति के चक्कर मे वो सहि ज्ञान के अभाव मे फ़िर उसी भ्रम मे वस्तुओ मे सुख ढुन्ड्ने कि समझ मे फ़स कर उस लूप मे उलझ जाता है वहि गोल गोल गुमता फ़िरता है
कभी उसे समझ आ जाता है पुर्णता कि प्राप्ति समझने मे है वस्तुओ को आवश्यकता अनुसार सदुपयोग करने मे पुर्ण तृप्ति है अस्तित्व के कण कण का सदुपयोग करने मे है सम्मान,प्रेम सभी प्रकार के पोजिटिव भावो के अदान प्रदान करने मे है इसी मे पुर्ण तृप्ति है ये समझ जाता है इसी समझ को दुसरो तक पहुचाने का कार्य करके यहि समझ दुसरो तक पहुचाने मे सफ़ल हो जाता है तो उसकि समझ का प्रमाण मिल जाता है
जी वक्ता बनकर लाइव में चर्चा के लिए आपका स्वागत है। आइए
Agyan se agyan hi peda hota hai . Sathya Sathya hota hai . 1:29:31 koi baat galat ho tho Gyani swikar Karta hai.. yeh agyanion jese hi baat kar rahe hain.
Tum jaan gaye
🎉🎉🎉🎉
Live aake... Question kre
Yes
Kabir sahib ji say koi galti Ho hi nahi sakti bo jagrit maharishi thay kuth logo nay apni baat unki bani may mix kar di kabir sahib ji Kay bachan kranti kari thay
जी तो उनकी शुद्ध बात आप रखने के लिए आइए सर
बन्नो सहाब आपके पास सही जबाब नही है।
इन बातों का जबाब रामपाल के पास भी नही है इसलिए वह किसी के साथ ज्ञान चर्चा में हिस्सा नही लेता है बस साधना चैनल को पैसा देकर उसपर एक तरफा बक बक करता है।