कबीरदास जी से क्या गलती हुई आत्मा को समझने में ? बन्नो साहेब पार्ट 2
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- Опубликовано: 27 июн 2024
- साथियों इस महान कार्य में आपका हार्दिक स्वागत है| प्रेमजीत सिरोही जी ने एक ऐसी सम्पूर्ण व्यवस्था का निर्माण किया है, जिसके द्वारा हम, सबके जीवन को सभी आयामों में सुखी कर सकते हैं| चाहे वो शिक्षा नीति हो या रोज़गार नीति हो, चाहे सुखसुविधा नीति हो या संरक्षण नीति हो या विदेश नीति हो| बात आधिभौतिक की हो, आधिदैविक की हो या आध्यात्मिक की हो| एक शब्द में बोले तो सम्पूर्ण जीवन के सम्पूर्ण सुखों को देने वाली व्यवस्था का निर्माण किया है| लोग अपनी इच्छा का जीवन जी पाएं .लोग जीवन का आनंद उठा पाएं, सारी सुख सुविधा उनको मिल पाए इसके लिए धन आदि की जरूरत नहीं रह जाएगी| इस नीति के कारण हम सभी लोगों का भविष्य पुरी तरह से सुरक्षित और सुखी हो जायेगा| फिर किसी को भी भविष्य की चिंता नहीं सताएगी| क्योंकि जिनका वर्तमान सुखी नहीं होता उनका भूतकाल ख़राब होता है और जिनका भूतकाल ख़राब होता है उनको भविष्य की चिंता हमेशा लगी ही रहती है| और आप समझ सकते हैं कि जिनका जीवन सुखी नहीं होता उनके दूसरों के साथ सम्बन्ध भी मधुर नहीं हो सकते|
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Good debet
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Kabir sahib ji ki teaching sada say anmol thi hai or rahagi
कबीर परमेश्वर परमात्मा है...
तो उसने ये दुनियां क्यों बनाई है बलात्कारों वाली?
ये जो आप अन्तर कह रहे है। बस इस अन्तर को समझो ये उस अन्टर्यामी की लीला है। मन बुद्धि से कितना तर्क वितर्क करो कोई अन्त नहीं और रही कबीर जी की बात कबीर को समझना हो तो पहले इस अन्तर को जीवन में किसी तरह मन बुद्धि विवेक लगाकर समझ ले तो आनन्द आ जाएगा। सब प्रश्न ही गिर जाएंगे। दृश्य और दृष्टा एक ही है। कोई अन्तर नहीं है।
Very good job
Prem sir App bakar ka answer mang raha hai kisi kay bhi pass answer nahi hai seed First yah tree yadi koi answer Day bhi daga toh fir hazar ouestion udagay iska koi anth nahi hai
जी मुझे आकर पूछिए इसका अंत मेरे पास है।
जब में था। अर्थ है। जब शरीर का को अहम अहंकार था। अब हरि है। तो इसका मतलब की अब अहंकार शरीर का नही रहा तो अब मैं नही रहा अहंकार खतम हो गया। इस लिए कहा है। जब मैं था। तब हरि नही। जब हरि है। तो मैं नाही। कबीर जैसा विवेकी तो कोई नही मिलेगा। कबीर तो कहा है। चिटी के मुंह हस्ती(हाथी) समाय बुद्धिमान हो तो इसका अर्थ लगाए। कबीर नानक तुलसी गोरखनाथ ईसा जो भी संत हुए उन सब ने एक ही ज्ञान दिया है। आप नही समझ पाए तो उनकी क्या गलती
Sirji if from fungus to tree is a evolution process.it should happen today also.this theory assumption may be 10%
काई का भी कोई बिज नही होता
"आद" सबका बिज है और उस बिज से सभी का निर्माण हों रहा हैं
आपकी पुस्तकों को मगाने का पता दे
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Malik ke name se, sir app galat ho, pehle anda (beej) ayaya hai. Dyan do beej pe.
Malik ke name se
तर्क न करो आप अपनी बात को समझाए
बीज पहले