(मैं) वास्तव में क्या हूं और इस (मैं) की क्या उपयोगिता है? / Live stream 25th June 2021
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- Опубликовано: 30 июн 2024
- मैं कौन हूं? जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरिया का मेरा आध्यात्मिक सफर।अध्यात्म का सबसे प्रिय विषय सदियों से रहा है मैं कौन हूं इस बात को समझना और जानना।आएये ये चारों अवस्थाओं के ज्ञान से मैं को समझने का प्रयास करते हैं। पसंद आये तो औरो को भी बताएं। प्रेमजीत जी कि दूसरी पुस्तक सम्पूर्ण जीवन दर्शन को फ्री में डाउनलोड करके इस विषय को विस्तार से समझ सकते हैं।
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मै को या अध्यात्मिक ज्ञान जानने से पता चलेगा कि सब एक ही है सब अपने है और फिर वह समाज सेवा खुशी-खुशी करेगा।और तभी सबकी भलाई के लिए सिस्टम सुधारने की कोशिश करता है।
गाय चराने वाले मेहनती भगवान कन्हैया जी की जय हो।
Prem sir jo insan jaga hota hai Bo hi khoj been karta hai ajj ka topic uch koti ka hai
Koi bhi bastu jab tak nahi mili yai kho gayi tab tak uski balue hai jab insan ko jo chaha MIL Jaya milta reha toh insan maha boriat May chala jayaga uska jeevan narak ban jayaga Prem sir app sikka ki ak Side dekh reha hai apki soch sunder hai lakin samaj kabi bhi sukhi nahi Ho sakta ajj jo cheeze say maha sukh milta hai kuth dino baad usi say maha dukh milna lagta hai kyoki mind ki choice change hoti rehti hai
Good
बात तो सही है कि मै कौन हूँ? ये 0.01% लोग ही जोखिम उठाकर जान पाते हैं और लाभ उठाते हैं। निद्रा में आपने जिस रूप का अनुभव किया वो अनादि अनंत असीम है वही रूप जब शरीर रूप में जागता है तो जाने या अनजाने में असीम की ही माँग करता है सीमित की नहीं।
और उस असीम कि पुर्ती भोतिक जो कि सिमित है उससे पुरी होना अस्म्भव है
सिमित कि पुर्ति सिमित से हो सकती है
शरीर भोतिक है तो उसे भोजन जो कि भोतिक है रोटि कपड़ा मकान इन्हि भोतिक वस्तुओ से पुरा किया जा सकता है
पर जो असिमित असीम हो उसे असिमित कि हि आवश्यकता होगी
असिमित कि तलाश है उसको भोतिक वस्तुओ से पुरा करने के भ्रम मे रहने के बजाय उसे
असिमित जो प्रेम सम्मान भाव है इससे भरा जाय भाव से हि भरना सम्भव है
हमें असीम नहीं सीमित ही चाहिए होता है।
@@ulmhindi हाँ, सीमित ही चाहिए होता है पर उसे जिसे अपनी सुषुप्ति वाली असली पहचान का बोध है और ऐसे लोग 0.01% से भी कम हैं। 99.99% लोग अपने असली स्वरूप के अज्ञान के कारण अंजाने में असीमित की ही माँग करते हैं जो इस सीमित व्यवस्था व संसार से पुरा नहीं हो सकता। यहाँ से उन्हें कितना भी मिल जाए वे संतुष्ट नहीं होते। पर आत्म ज्ञानियों का हमेशा से यही भ्रम रहा है कि सब उन्हीं के जैसे हैं😆
@@ulmhindi मेरी बात आपको पच नहीं पाऐगी। क्यों कि आप ये नहीं समझ पा रहें हैं कि जो अज्ञानी है उसे अगर पृथ्वी भी दे दो तो वो थोड़ा सुखी होगा पर फिर से सूर्य की माँग करने लग जाएगा। अगर मान लो किसी भी तरह उसे सूर्य भी दे दिया जाए तो वो आकाश गंगा की माँग करने लग जाएगा ये क्रम चलता रहता है। इसे ही लोभ कहते हैं। आपकी व्यवस्था लोभ का समाधान नहीं कर सकती। लोभ सिर्फ आत्म ज्ञान से मिट सकता है। पर यदि आत्म ज्ञान भी लोभ के कारण लिया जाए तो वो सिद्ध नहीं होता।
मेरे जानने में तो मैं को जाना जाए तो पता लगता है कि मैं सिर्फ एक झूठ है
प्रकृति में अलग अलग क्रियाएं और प्रतिक्रियाएं है, जिसमे एक हम भी हिस्सा होते हैं
मैं बस शांति चाहता है, गहरी शांति, क्योंकि वो प्रकृति में नहीं है
मैं झूठ कैसे हुआ?
@@ulmhindi जिस अनुभव के हवाले से आपको लगता है की मैं सच है, उसको अगर सतह पर देखें तो लगता है जैसे व्यक्तिगत मैं जैसा कुछ है लेकिन
गहराई में जाने से देखा गया है कि व्यक्तिगत मैं जैसा कुछ नही, अपने आप में उसकी सत्ता नही है,
तो विशुद्ध या समग्र मैं को आत्मा कहा गया
इसीलिये अनुभव भी गहराई में झूठ है, क्योंकि वो व्यक्तिगत होता है
नकली मैं सुखी होना या रहना चाहता है, व्यक्तिगत रूप से, इसीलिए वो यह कहकर फिर चीज भी माँगता है, सुख के लिए
जबकि विशुद्ध मैं आनन्द में हमेशा है
तो क्या मुझे भूक प्यास सर्दी गर्मी दर्द का एहसास होता है वो भी झूठ है?
हाँ उसके लिए है जो यह जान जाए कि सर्दी गर्मी भूक प्यास मुझे नही शरीर को लगती है, जब तक शरीर है लगती रहेगी
पर मैं शरीर नहीं हूँ, मैं कोई चीज नही हूँ असल में,
ऐसा पाया गया है
मैं हूँ ❌
मैं है ✅
@@ulmhindi reply delete हो रहा है
Mein kaun Ho iska sirf or sirf ak hi answer hai mein Ho hi nahi sirf body or memory hai sara khel thoughts ka hai Prem Jeet toh body ka name hai jo samaj nay rekha hai Ram chand rakh deta toh bhi chal jata yai only social truth hai body banti or khatam hoti hai Prem Jeet ka koi bajjud hi nahi jeevan sirf rahashya hai bada say bada philosopher nay hath khada kar diya yah pagalpen ka shikar Ho gaya
तुम सिर्फ अल्लाह की क्रिएशन हो, बॉडी अल्लाह ने बनाई वही खतम करता है,फिर नई बनाता हे, इसे कयामत तक चलता रहेगा।।
सत्य तो ये है कि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का काम नहीं करना चाहता
कोई ऐसा व्यव्यस्था नहीं बनाया जा सकता जिससे मनुष्य केवल सुखी हो सके
मैने आपकी सम्पूर्ण समाधान किताब पढ़ी है
उसमें आपने लिखा है कि सबको उनके अनुरूप काम मिलेगा
आपके व्यवस्था के अनुसार सभी चीजों की मांग तो बढ़ेगी मगर उसका प्रोडक्सन कौन करेगा
जैसे ज्ञान और भोग का रस होता है, सुख होता है वैसे कर्म का भी होता है। तो लोगों की रुचि और समर्थ के अनुसार उनको कर्म मिलेगा और उस कर्म से ही सभी भोगों का प्रोडक्शन होगा।
@@ulmhindi कहीं ऐसा न हो कि एक ही काम को ज्यादा से ज्यादा लोग चुन ले और करने लग जाये
तो फिर एक समस्या उत्पन हो जायेगी
बहुत ऐसा काम है जो सरल है और कठिन भी
तो इसका क्या समाधान है
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