।।सतसाहेब।। उस कबीर साहेब परमात्मा के हुक्म बिना नहीं तरवर पात हिल॔त। सतगुरु भक्ति मुक्ति के दाता प्राणी फिरैं भटकंत। हर जीव आत्मा की रील परमात्मा ने बना रखी है। सतगुरु रामपाल जी भगवान् के रूप में स्वयं बंदी छोड़ सतगुरु कबीर साहेब भगवान् आये हुए हैं। सतगुरु रामपाल जी भगवान् के तत्व ज्ञान भेद को समझकर ही जीव आत्मा के कर्मो की रील बदलती है। कबीर साहेब परमात्मा ही सब जीव आत्माओं को कर्मों के अनुसार मशीन की तरह चक्कर कटवा रहा है।
बिल्कुल सत्य कहा महराज जी आपने ,मनुष्य के जीवन मे घटने वाली हर घटना का जिम्मेदार मनुष्य स्वयं है,ईश्वर न किसी को सुख देता है न दुख देता है,ईश्वर तो प्राणियो के किये हुए कर्मो का हिसाब देता है,जो जितना पाप-पुण्य करेगा ईश्वर हिसाब लगाकर उसे वही लौटा देता है,अतः कर्म से ही भाग्य बनता और बिगङता है,ईश्वर किसी के कर्म अथवा उसके फल अर्थात भाग्य मे कोई भी हस्तक्षेप नही करता है।सिर्फ कर्मो का हिसाब करता है। जय सियाराम। जय श्री राधे। जय श्री कृष्ण।
बिल्कुल सही बात है परमात्मा ने मनुष्य को गीता ज्ञान देकर उसको सही गलत सब बता दिया, और सबको श्रेष्ठ कर्म करने के छोड़ दिया, अब जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे।
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय 🙏🙏‼️
महाराज जी, मेरे विचार से परमात्मा की प्रकृति में जो उथल पुथल होती है बह परमात्मा की इच्छा से होता है जिसे यह कहा गया कि उसकी बिना मर्जी के एक पत्ता नहीं हिलता बाकी सारे कार्य करने के लिए मनुष्य स्वतन्त्र है। जैसा करेगा वैसा भरेगा।
प्रकृति में जो उथल-पुथल होती है वह किसी व्यक्ति रुपी परमात्मा की इच्छा से नहीं बल्कि प्रकृति के जो गुण धर्म है जो स्वगत नियम है उसे नियमों के तहत होती है ऐसा समझ लेना ही सत्य का बोध है
जन्म जीवन मृत्यु योंनी स्वर्ग नरक सुख दुःख वर्ण कुल वंश ये सब चिज कर्म के ऊपर ही निर्भर करता है। मन विचार और क्रिया से किया हुवा कर्म ही भविष्य निर्धारण करता है। कर्मो की गणना, कर्मो का लेखा जोखा - यमलोक के धर्माधिकारी प्रभु श्री चित्रगुप्त जी करते हैं और इनके द्वारा ही भुत काल, वर्त्मान काल, भविष्य काल निर्धारण होता है और जीवन की कुंडली बनाई जाती हैं। जय श्री चित्रगुप्त भगवान् 🙏🙏🚩🚩
जय श्री राम राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम हरे हरे 🙏🙏‼️
Guruji aapne bilkul sahi bataya eshwar kisi manushya ka bhagya nahi banata hai manushya apne karmo ke dowara apna bhagya banata hai 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩jay shri ram
ॐश्री दादू दयाल सतगुरु गुरु दाता गुरु पिताजी दादू संत शिरोमणि दादू संत श्री श्री 1008 श्री श्री दादू संत शिरोमणि दादू संत कबीर दास जी महाराज ही है ही ॐश्री दादू दयाल सतगुरु गुरु दाता गुरु पिताजी दादू संत शिरोमणि दादू संत श्री श्री 1008 श्री श्री दादू संत शिरोमणि दादू संत दादू दयाल जी महाराज ही है ही 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
परमात्मा ने अपनी परमाप्रकृति (creating force) के माध्यम से विश्व ब्रह्माण्ड की रचना की है। जीव जगत को अपने अपने कर्म के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया है। तदनुसार कर्मफल भोगता है। परमात्मा की इच्छा के बिना इस ब्रह्माण्ड की रचना नहीं हो सकती। वेद में कहा गया। में एक हूं बहुत होजाऊं ये है परमात्मा की इच्छा। आप केवल भौतिक जगत की बात कर रहे हैं। जो ध्रुव सत्य नहीं हैं। आप भी विचार करें। जमुना लाल शर्मा हिंडौन सिटी
जिसै संसार आत्मा कह रही है वो हमारा परम चैतन्य शरीर हे जिसको ईस लोक परलोक और मृत्यु लोक का ऐहसास करता है आत्मा अजर-अमर निर्बंध नित्य नवीन अविनाशी निर्लेप और निर्छुत हे ऊसे कोई भी चीज छू नही शकती है हमारा परम चैतन्य शरीर जो हमारा मुल है ईसको मिटना ही पुर्ण मुक्ति हे आत्मा परमात्मा को किसी भी ऐहसासो की जरूरत नहीं है सुख दुःख मान अपमान लाभ हनी ऐ सब हमारे-आपके परम चैतन्य शरीर को ऐहसास होता है आत्मा को ऐ सब सारी बातें स्पर्श नही करती हे आत्मा सदा के लिए मुक्त है और चेतन्य ता ऐ आत्मा का गुण नही नही तो आत्मा बंधन मे माना जाएगा इसलिए चेतना (ऐहसास करनी की शक्ति) ऐ आत्मा नही हे ऐ अटल सत्य है,👈👈👈👈👈👈🙏🙏🌹🌹🌹
परमात्मा किसी से कुकर्मों को करने की नही कहता है। भगवत गीता में भगवान ने कहा कि जो जैसा करेगा वैसा ही फल प्राप्त करेगा। इसलिए दुष्ट दुराचारी पापियो राक्षसों को कैंसर किडनी लकवा सहित विभिन्न प्रकार की बिमारियों से सम्मानित करता है ईश्वर।
भगवान निराकार है। यानी प़रकूती ही को परमात्मा कहा है। वेद पुराण गीता रामायण और महाभारत ये सब। महान लेखक ने लिखा है। ये सब में से हमें ज्ञान प्रदान होता है।
निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
प्रकृति ही ब्रह्म है ;ब्रह्म ही माया है ।ब्रह्म को ईश्वर का नाम देकर दुनिया को डफोला बनाना शुरू से चालक लोगो ने अपनी आजीविका साधन बनाया मुर्तिया बना कर धन मिठाइया खाना दासी लीला करना शैतान कर्म ही है ;इन्सान कर्म नही है।गरीब की बुद्धि को ताला लगा दिया है ,वे विवेकहीन होकर अन्धो की चाल चल रह् है ---- भगवान बुद्ध
@@surtaram8662 आपने लिखने की कोशिश तो सही लिखने की है लेकिन सही से लिख नहीं पाए।ब्रह्म इस ब्रह्माण्ड का मूल कारण बीज है जो समस्त ब्रह्माण्ड का उत्पत्ति कर्ता है प्रकृति उसकी प्रेरणा शक्ति है जो सृजन करते हुए सबमें व्यापक है और ईन्वर ब्रह्म का पर्यायवाची नाम या यूं कहें कि सब सुरों यानि दैविय शक्तियों में श्रेष्ठ है इसलिए ईश्वर ही ब्रह्म है और ब्रह्म ही पूरण परमात्मा है।रही जो बातें आपने और लिखी हैं उनका इस उपरोक्त कथन से कोई मेल नहीं बैठता।बह सब कर्मकाण्डियों के कार्य हैं जिन्हें कोई स्वीकार करता है तो कोई नकारता है।इस विषय में आस्तिक या नास्तिक होने का भी कोई कारण नहीं है क्योंकि अपना अपना विश्वास है। परमात्मा के होने के कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें परमात्मा का प्रबल विरोधी भी अनजाने में उन संकेतों को स्वीकार कर लेता है लेकिन अज्ञानता के अंधेरे में उनको न समझना ही उसका परमात्मा पर विश्वास न करने का कारण बना रहता है लेकिन अंत मृत्यु से पहले उन संकेतों पर विश्वास तो करने लगता है पीड़ा के कारण शव्द रूप में बोलने भी लगता है लेकिन स्थिति ऐसी बन जाती है उस समय कि जैसे रोटी रोटी कहने से रोटी मूंह में नहीं जाती भूख शांत नहीं होती क्योंकि बिना प्रयास किए बिना अभ्यास किए बच्चा रोटी खाना नहीं सीखता ठीक यही स्थिति उस समय उस मृत्यु शैय्या पर पड़े मनुष्य की होती है इस लिए बह संकेत रूपी शव्द फिर उसके लिख कोई लाभ नहीं पहुंचाते। क्योंकि उन सांकेतिक शब्दों का उस व्यक्ति ने अपने जीवन काल अभ्यास ही नहीं किया।और मनुष्य कष्टकारी मृत्यु को प्राप्त हो प्राण छोड़ देता है।माफ करना समझ में आ जाए तो ठीक वरना कमेंट करके बता देना कि गलत लिखा है आपने तो मैं अपना कमेंट डिलीट कर दुंगा धन्यवाद।
मेरे हिसाब से कर्म का सिद्धांत ग़लत है। जब जापान में नागासाकी ओर हिरोशिमा पर अणुबोम ऐटेक हुआ ओर दो ढाई लाख लोगों की मौत हो गई तो क्या ईश्वर ने इतने सब लोगों को दो शहरों में ऐसे सब के कर्म के हिसाब से इकठ्ठा कर दिया गया हो गया। ये सब सोच कर यह कर्म का सिद्धांत ग़लत साबित हो सकता है।
Dhanyavad mahatman, sabko apne karmo ka hisab chukta karna hota hai,lekin jo karm akarm tatha vikarm se pare ho chuke hai unhe karm nahi bandhate ve sada atma me leen rahakar mukt awastha me rahte hai, aise durlabh santo ko kotinvar pranam
जैसे पत्थर पर हाथ पटकने से चोट कोई देता नहीं है यह प्रकृति का नियम है इस तरह से हमारे कर्मों का परिणाम कोई व्यक्ति रुपी परमात्मा नहीं देता है बल्कि सृष्टि में जो नियम है नियम के तहत अपने आप परिणाम प्राप्त होता है जैसे कोई लहसुन प्याज खा ले तो दुर्गंधी की डकार कौन देता वह प्रकृति के नियम के अनुसार मिलता है। वैसे ही हर कर्मों के परिणाम को समझना चाहिए।
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया 🙏🙏‼️
जय श्री राम जय श्री कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे 🙏‼️
परमात्मा(आत्मा) की मर्जी से नहीं होता बल्कि उसकी सत्ता से जीव(प्रकृति वशीभूत) कर्ता होता है आत्मा(परमात्मा) अकर्ता होता है परंतु उसके(आत्मा) सकाश से होता है यदि जीव अपने मूल स्वरुप( आत्मा) में लौट जाए तो वह स्वंय आत्मा(परमात्मा) ही है।
Parmatma ne sab Ko sab kuchh de Diya hai jaisa karoge vaisa paoge yah baat sach hai ki unki marji ke alava ek pata nahin ho sakta hai Jaisi karni vaisi bharni
Parmatma ka kaam patta hilana nhi hai hwa chalegi to patta hilega sab prakriti ka vibhag hai parmatma na karm aur na karm fal me koi hastakshep krta hai bhagvat gita padho bhagwan ne saaf saaf mna kiya hai lekin bible me god ke bina patta nhi hilta
परमात्मा एक बहुत बड़ी शक्ति। है इसका मूल है उसकी प्रेरणा के कोई भी उसकी इच्छा विरुद्ध कोई काम नहीं हो सकताहै मनुष्य जीव जन्तु कोई हरक़त नहीं कर सकता है यह बड़ा सूक्ष्म विषय है अन्तर ज्ञानी ही इसको समझ सक्ता है परिस्थितियाऊबनती हैं घटना घटेगी पूर्व जन्म के कर्मों के कारण क्योंकि हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ
Very very.nice thanks guru jee Aap ki Bat 110% sahi hai ❤❤❤❤❤❤❤❤
।।सतसाहेब।। उस कबीर साहेब परमात्मा के हुक्म बिना नहीं तरवर पात हिल॔त।
सतगुरु भक्ति मुक्ति के दाता प्राणी फिरैं भटकंत।
हर जीव आत्मा की रील परमात्मा ने बना रखी है।
सतगुरु रामपाल जी भगवान् के रूप में स्वयं बंदी छोड़ सतगुरु कबीर साहेब भगवान् आये हुए हैं।
सतगुरु रामपाल जी भगवान् के तत्व ज्ञान भेद को समझकर ही जीव आत्मा के कर्मो की रील बदलती है।
कबीर साहेब परमात्मा ही सब जीव आत्माओं को कर्मों के अनुसार मशीन की तरह चक्कर कटवा रहा है।
Param pujya great krantikari satguru gaurav sahab Ji ke charno me sat sat Koti Koti naman vandan karta hoon sa Prem sahab bandagi karta hoon
आज़ जीवन में पहली बार बहुत सी बातो का सटीक उत्तर मिला है। ये विडियो नहीं अपितु ज्ञान का भंडार है। ये विडियो बेहद ही ज्ञानवर्धक है
सत्य बचन श्री मान सत्य बचन पंडित जी
जैसी करनी वैसी भरनी
ऐसे वैज्ञानिक स्वभाव वाले विज्ञान दृष्टिकोण वाले अगर पैदा हो जाए तो पूरी धरती महान हो जाए
सत्य सिद्धांत और प्रकृति के कारण कार्य व्यवस्था की समझ रखने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
@@kabirasharm1112सत्य कहाने के लिए मुझे प्रोत्साहित करने वाले को धन्यवाद
तार्किक विचार 👌👌
कोउ न काहु सुख-दुःख कर दाता, निज कृत कर्म भोगु सब भ्राता।
कर्म करने के लिए फ्री छोड़ा है अच्छा हो या बुरा, परिणाम परमात्मा देते हैं।
बिल्कुल सत्य कहा महराज जी आपने ,मनुष्य के जीवन मे घटने वाली हर घटना का जिम्मेदार मनुष्य स्वयं है,ईश्वर न किसी को सुख देता है न दुख देता है,ईश्वर तो प्राणियो के किये हुए कर्मो का हिसाब देता है,जो जितना पाप-पुण्य करेगा ईश्वर हिसाब लगाकर उसे वही लौटा देता है,अतः कर्म से ही भाग्य बनता और बिगङता है,ईश्वर किसी के कर्म अथवा उसके फल अर्थात भाग्य मे कोई भी हस्तक्षेप नही करता है।सिर्फ कर्मो का हिसाब करता है।
जय सियाराम।
जय श्री राधे।
जय श्री कृष्ण।
बिल्कुल सही बात है परमात्मा ने मनुष्य को गीता ज्ञान देकर उसको सही गलत सब बता दिया, और सबको श्रेष्ठ कर्म करने के छोड़ दिया, अब जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे।
अंधे कोड़ी आलसी देव देव चिल्लाई शुद्ध विवेक की विज्ञान जान देव भरोसे नहीं 100% सत्य वाक्य ऐसे संतो को तहे दिल से सलूट
Bihar sarkar badh apada ka pisa loot khasot kar hadp leta hai
Lakshmi. Sah
Lakshmi sah vashli Bihar se
परमात्मा नहीं है तो महाराज जी परमात्मा कोन है 🙏
Jay Shriram Jay Shriram Jay Shriram
जय श्री राधे कृष्णा महाराजजी जो जैसा कर्म करता है वो बेसा ही फल पाते है
Sab prmatma ki ichha se hi hota
बहुत ही सुंदर ज्ञानवर्धक, जानकारी आप हमेशा परोस्ते रहे साहब बंदगी
Aapko tatha aapke vicharon ko sat sat Naman
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय 🙏🙏‼️
Saheb bandagi saheb 👏👏
परमात्मा की इच्छा से ही आप यह सब बोल पा रहे हैं 🎉🎉🎉🎉
तो परमात्मा यह बुलवा रहे हैं यह ज्ञान दे रहे इसको समझो।
Right
सर्व प्रथम तो सत असत का ज्ञान होना चाहिए।
ज्ञानी बाबाओं की सुनामी आ गयी है
Bahut hi sunder Vichar. Parkhi sant ko prnam
😂😂
राधे राधे जय श्री कृष्ण 🙏🙏🙏
जाहि प्रभु दारुण दुख दही,ताकि मति पहले हर लेई
बहुत सुन्दर। धन्यवाद।
Bahut sundar ❤❤
OmShantiBapDadz,JiGoodafternoonThanksBabaJiThanks ❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
You are best in the world
साहेब बंदगी साहेबजी
🎉 साहेब बंदगी गेरेनपडताहेकयो
🌹 saheb bandagi saheb guruji 🌹
Kotisah parnam
Very good mahatma g
महात्मा जी जो कुछ बता रहे है वह बिलकुल ठीक कहते है l
Mai kanker zila se hu, aap ka suvicha bhut acha lga dhnwad.
महाराज जी, मेरे विचार से परमात्मा की प्रकृति में जो उथल पुथल होती है बह परमात्मा की इच्छा से होता है जिसे यह कहा गया कि उसकी बिना मर्जी के एक पत्ता नहीं हिलता बाकी सारे कार्य करने के लिए मनुष्य स्वतन्त्र है। जैसा करेगा वैसा भरेगा।
प्रकृति में जो उथल-पुथल होती है वह किसी व्यक्ति रुपी परमात्मा की इच्छा से नहीं बल्कि प्रकृति के जो गुण धर्म है जो स्वगत नियम है उसे नियमों के तहत होती है ऐसा समझ लेना ही सत्य का बोध है
Apke hisab se prakrati hi sb kuch he bhagwan jesi kuch nhi he
Bahut sundar vichaar pravachan parsstuti ke liye ❤ mahapurushji ko dhanbad ji satkaar bhara❤❤ dhan nirankarji❤❤❤❤❤
जन्म जीवन मृत्यु योंनी स्वर्ग नरक सुख दुःख वर्ण कुल वंश ये सब चिज कर्म के ऊपर ही निर्भर करता है।
मन विचार और क्रिया से किया हुवा कर्म ही भविष्य निर्धारण करता है।
कर्मो की गणना, कर्मो का लेखा जोखा - यमलोक के धर्माधिकारी प्रभु श्री चित्रगुप्त जी करते हैं और इनके द्वारा ही भुत काल, वर्त्मान काल, भविष्य काल निर्धारण होता है और जीवन की कुंडली बनाई जाती हैं।
जय श्री चित्रगुप्त भगवान् 🙏🙏🚩🚩
❤ Satay bachan Saheb bandagi Satnam Saheb
He govind he sri Krishna he basudev he dewakinandan sri Krishn aap ki kripa aapram par h
Saheb bandagi saheb ji sader charn sparse ❤❤❤
Bahut sundar gaurabh jee 🎉
SANT JI.OK.BIHAR.NALANDA.
जय श्री राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे श्याम 🙏🙏‼️
Bohot acha parwachn laga aapka ji , Jo aapne btaya vo sahi hi hai
जय श्री राम राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम हरे हरे 🙏🙏‼️
कर्म शुभा शुभ देइ विधाता्
कर्म शुभाशुभ देइविधाता।
ईस,शरीर,के,अनदर,दो,सरकार है,सन्त,जी,कुकरम,मन,की,सरकार,के दवा रहा,होता,है,कयोकि,मनुसय,को,खुद,मुखतार,बना ,दिये,है❤सत,साहेब,जी❤❤❤
Shree sad gharu Maharaj kee jay❤❤❤
Nice sweet true logical proof real gyan disclosure. Thanks a lot. OM..
Thank you ji
जीव कर्म करने में स्वतंत्र है
Saprem saheb bandagi Saheb ji 🙏🙏🙏
ऐसा लगता है आपका ज्ञान भ्रामक ज्ञान है .
Guruji aapne bilkul sahi bataya eshwar kisi manushya ka bhagya nahi banata hai manushya apne karmo ke dowara apna bhagya banata hai 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩jay shri ram
Saheb Jee Saheb bandagi bahut he sunder perbachan tha
❤ Satnam sat Saheb Bandagi Om Prakash Das Sindhiya Samastipur
Apki soch satiya hai guruji
Authentic philosophy
I support you.
इवान प्रारंध बोध का उद्यान है जहां नियति परक स्मृति की भूमिका हर प्राणी निभाता है।
Pardam guru ji
Jai gurudev Datta Jai shree ram ji ki jai shree Mata
ॐश्री दादू दयाल सतगुरु गुरु दाता गुरु पिताजी दादू संत शिरोमणि दादू संत श्री श्री 1008 श्री श्री दादू संत शिरोमणि दादू संत कबीर दास जी महाराज ही है ही
ॐश्री दादू दयाल सतगुरु गुरु दाता गुरु पिताजी दादू संत शिरोमणि दादू संत श्री श्री 1008 श्री श्री दादू संत शिरोमणि दादू संत दादू दयाल जी महाराज ही है ही
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
परमात्मा ने अपनी परमाप्रकृति (creating force) के माध्यम से विश्व ब्रह्माण्ड की रचना की है। जीव जगत को अपने अपने कर्म के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया है। तदनुसार कर्मफल भोगता है। परमात्मा की इच्छा के बिना इस ब्रह्माण्ड की रचना नहीं हो सकती।
वेद में कहा गया। में एक हूं बहुत होजाऊं ये है परमात्मा की इच्छा।
आप केवल भौतिक जगत की बात कर रहे हैं। जो ध्रुव सत्य नहीं हैं।
आप भी विचार करें।
जमुना लाल शर्मा हिंडौन सिटी
शक्ति भगवान की और इच्छा जीव की इसलिए किए गए कर्मों का फल जीव को प्राप्त होता है अच्छे कर्मों का अच्छा बुरे कर्मों का बुरा
जिसै संसार आत्मा कह रही है वो हमारा परम चैतन्य शरीर हे जिसको ईस लोक परलोक और मृत्यु लोक का ऐहसास करता है आत्मा अजर-अमर निर्बंध नित्य नवीन अविनाशी निर्लेप और निर्छुत हे ऊसे कोई भी चीज छू नही शकती है हमारा परम चैतन्य शरीर जो हमारा मुल है ईसको मिटना ही पुर्ण मुक्ति हे आत्मा परमात्मा को किसी भी ऐहसासो की जरूरत नहीं है सुख दुःख मान अपमान लाभ हनी ऐ सब हमारे-आपके परम चैतन्य शरीर को ऐहसास होता है आत्मा को ऐ सब सारी बातें स्पर्श नही करती हे आत्मा सदा के लिए मुक्त है और चेतन्य ता ऐ आत्मा का गुण नही नही तो आत्मा बंधन मे माना जाएगा इसलिए चेतना (ऐहसास करनी की शक्ति) ऐ आत्मा नही हे ऐ अटल सत्य है,👈👈👈👈👈👈🙏🙏🌹🌹🌹
जे सत्संग बुरे कर्म करने से रोकता है । अच्छे कर्म करने को प्रेरणा देता है।
पर भगवान है जो कुछ भी कर सकता है।
परमात्मा मे इतनी शक्ति है हि नहीं कि वह पते को हिला दे '
આપકે પાસ શક્તિ હૈ તો સાંસ લિએ બિના બતાવો ૐ શાંતિ ૐ
परमात्मा किसी से कुकर्मों को करने की नही कहता है। भगवत गीता में भगवान ने कहा कि जो जैसा करेगा वैसा ही फल प्राप्त करेगा। इसलिए दुष्ट दुराचारी पापियो राक्षसों को कैंसर किडनी लकवा सहित विभिन्न प्रकार की बिमारियों से सम्मानित करता है ईश्वर।
होस सभालते अच्छे रास्ते पर चलते हुए भी बल्ड कैंसर हो जाता है 5 साल बच्चा को कैन्सर हो जाता है
भगवान निराकार है।
यानी प़रकूती ही को परमात्मा कहा है।
वेद पुराण गीता रामायण और महाभारत
ये सब। महान लेखक ने लिखा है।
ये सब में से हमें ज्ञान प्रदान होता है।
परमात्मा तो सदैव अच्छा ही करता है अच्छा बुरा हमारी बुद्धि समझता हैइतनी सी बात नहीं समझ पाऐ
Saheb Bandagi
निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज
समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
परम्+आत्मा अर्थात् परमात्मा केवल सकारात्मक ऊर्जा है जो हमें बुराई से आगाह कराती है,,, स्वार्थ और मनमानी से ही हम कुकर्म करते हैं
मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतंत्र है भोगने के लिए परतंत्र है
कर्म करने में भी स्वतंत्र नही है l इसके लिए यह चौपाई देखे,, होईहैह सोई जो राम रची राखा ll
प्रकृति ही ब्रह्म है ;ब्रह्म ही माया है ।ब्रह्म को ईश्वर का नाम देकर दुनिया को डफोला बनाना शुरू से चालक लोगो ने अपनी आजीविका साधन बनाया मुर्तिया बना कर धन मिठाइया खाना दासी लीला करना शैतान कर्म ही है ;इन्सान कर्म नही है।गरीब की बुद्धि को ताला लगा दिया है ,वे विवेकहीन होकर अन्धो की चाल चल रह् है ---- भगवान बुद्ध
@Ukr-t2p ब्रह्म five elements and तीन गुण then other no god never god.
@@surtaram8662 आपने लिखने की कोशिश तो सही लिखने की है लेकिन सही से लिख नहीं पाए।ब्रह्म इस ब्रह्माण्ड का मूल कारण बीज है जो समस्त ब्रह्माण्ड का उत्पत्ति कर्ता है प्रकृति उसकी प्रेरणा शक्ति है जो सृजन करते हुए सबमें व्यापक है और ईन्वर ब्रह्म का पर्यायवाची नाम या यूं कहें कि सब सुरों यानि दैविय शक्तियों में श्रेष्ठ है इसलिए ईश्वर ही ब्रह्म है और ब्रह्म ही पूरण परमात्मा है।रही जो बातें आपने और लिखी हैं उनका इस उपरोक्त कथन से कोई मेल नहीं बैठता।बह सब कर्मकाण्डियों के कार्य हैं जिन्हें कोई स्वीकार करता है तो कोई नकारता है।इस विषय में आस्तिक या नास्तिक होने का भी कोई कारण नहीं है क्योंकि अपना अपना विश्वास है। परमात्मा के होने के कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें परमात्मा का प्रबल विरोधी भी अनजाने में उन संकेतों को स्वीकार कर लेता है लेकिन अज्ञानता के अंधेरे में उनको न समझना ही उसका परमात्मा पर विश्वास न करने का कारण बना रहता है लेकिन अंत मृत्यु से पहले उन संकेतों पर विश्वास तो करने लगता है पीड़ा के कारण शव्द रूप में बोलने भी लगता है लेकिन स्थिति ऐसी बन जाती है उस समय कि जैसे रोटी रोटी कहने से रोटी मूंह में नहीं जाती भूख शांत नहीं होती क्योंकि बिना प्रयास किए बिना अभ्यास किए बच्चा रोटी खाना नहीं सीखता ठीक यही स्थिति उस समय उस मृत्यु शैय्या पर पड़े मनुष्य की होती है इस लिए बह संकेत रूपी शव्द फिर उसके लिख कोई लाभ नहीं पहुंचाते। क्योंकि उन सांकेतिक शब्दों का उस व्यक्ति ने अपने जीवन काल अभ्यास ही नहीं किया।और मनुष्य कष्टकारी मृत्यु को प्राप्त हो प्राण छोड़ देता है।माफ करना समझ में आ जाए तो ठीक वरना कमेंट करके बता देना कि गलत लिखा है आपने तो मैं अपना कमेंट डिलीट कर दुंगा धन्यवाद।
Shi kaha.
मेरे हिसाब से कर्म का सिद्धांत ग़लत है।
जब जापान में नागासाकी ओर हिरोशिमा पर अणुबोम ऐटेक हुआ ओर दो ढाई लाख लोगों की मौत हो गई तो क्या ईश्वर ने इतने सब लोगों को दो शहरों में ऐसे सब के कर्म के हिसाब से इकठ्ठा कर दिया गया हो गया। ये सब सोच कर यह कर्म का सिद्धांत ग़लत साबित हो सकता है।
@@jivubhaipatel2984 ईश्वरवाद ही काल्पनिक हैं.only nature yin yan circle 's mayajal no more.
Dhanyavad mahatman, sabko apne karmo ka hisab chukta karna hota hai,lekin jo karm akarm tatha vikarm se pare ho chuke hai unhe karm nahi bandhate ve sada atma me leen rahakar mukt awastha me rahte hai, aise durlabh santo ko kotinvar pranam
आपका सतसगॅ मुझको अछा लगा हॅ आपको कोटि कोटि नमनः परणाम
धन्यवाद जी
Bahut. Hi. Achcha. Satsang. Lagha. ❤.
Hare Krishna 🙏
Vivekwan lugg apko jarur smjenge.....bki sbb juthi chronology mey shanti dhundh rahi hai mrte dm tk❤❤
Acche bure karmon ka parinaam dene wala kaun hai shriman❤
जैसे पत्थर पर हाथ पटकने से चोट कोई देता नहीं है यह प्रकृति का नियम है इस तरह से हमारे कर्मों का परिणाम कोई व्यक्ति रुपी परमात्मा नहीं देता है बल्कि सृष्टि में जो नियम है नियम के तहत अपने आप परिणाम प्राप्त होता है जैसे कोई लहसुन प्याज खा ले तो दुर्गंधी की डकार कौन देता वह प्रकृति के नियम के अनुसार मिलता है। वैसे ही हर कर्मों के परिणाम को समझना चाहिए।
@@dgaurav00prakruti ka niyam kisne banaya hai
जय हो संता की
Pandit Ji sab parmatama ki icha se hota
Guruji ki Jai Ho
परमात्मा न चाहे तो आपकी सांस भी नही चलेगी पंडित जी
yadi mata pita ki kirpa nahi hoti to parmatma sans kidhr dalta andh bhakt
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता मैया 🙏🙏‼️
Saheb bandagi Ji bahgwanwadi
Sahi bat
Satya Saheb Bandagi Om Prakash Das Sindhiya Samastipur
जय श्री राम जय श्री कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे राम राम हरे हरे 🙏‼️
प्रभु कभी किसी का अहित नहीं करते उन्होंने तो राक्षसो को मोक्ष प्रदान कर दिया
Shabe bandgi shabe ge borba gonarchak bhagalpur
U r right guruji
परमात्मा(आत्मा) की मर्जी से नहीं होता बल्कि उसकी सत्ता से जीव(प्रकृति वशीभूत) कर्ता होता है आत्मा(परमात्मा) अकर्ता होता है
परंतु उसके(आत्मा) सकाश से होता है
यदि जीव अपने मूल स्वरुप( आत्मा) में लौट जाए तो वह स्वंय आत्मा(परमात्मा) ही है।
पूण्य और पाप मन की मर्जी से होता है
मान्यवर ऐसा लगता है आपका ज्ञान बहुत ही काम है आपको निष्पक्ष अध्ययन की जरूरत है. दुराग्रह से प्रेरित ज्ञान मैं कमी होती है .
Parmatma ne sab Ko sab kuchh de Diya hai jaisa karoge vaisa paoge yah baat sach hai ki unki marji ke alava ek pata nahin ho sakta hai Jaisi karni vaisi bharni
Parmatma ka kaam patta hilana nhi hai hwa chalegi to patta hilega sab prakriti ka vibhag hai parmatma na karm aur na karm fal me koi hastakshep krta hai bhagvat gita padho bhagwan ne saaf saaf mna kiya hai lekin bible me god ke bina patta nhi hilta
AAP sahi kah rahe h I like it video Jai bheem Jai savidhan Jai mulnivashi namo bhuday
परमात्मा एक बहुत बड़ी शक्ति। है इसका मूल है उसकी प्रेरणा के कोई भी उसकी इच्छा विरुद्ध कोई काम नहीं हो सकताहै मनुष्य जीव जन्तु कोई हरक़त नहीं कर सकता है यह बड़ा सूक्ष्म विषय है अन्तर ज्ञानी ही इसको समझ सक्ता है परिस्थितियाऊबनती हैं घटना घटेगी पूर्व जन्म के कर्मों के कारण क्योंकि हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ
कर्म,किसी,का,सगा,नहीं,,,भले, मन्दिर,जाओ,,कर्म,नहीं, छोड़ता है,,,भगवान,कही,नहीं, है,जो, है,कर्म, है,,,,जिसने,जन्म,लिया,वो,भगवान,नहीं,हो,सकता,,,
इंशान,परिवार,के,लिए,बुरे,कर्म,करता, है,उसका,फल, बच्चो,ओर,पत्नी,को,भुगतना,पड़ता,कर्म,किसे,नहीं, छोड़ेगा,ओर,पता,फिर, चलता, है
ज्येहोआपकी
Kabir saheb alah akbar ki jay
Namo budhdhay