परमात्मा की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता तो कुकर्म किसकी मर्जी से होता है? श्री गौरव साहेब जी
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- Опубликовано: 7 июн 2024
- परमात्मा की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता तो कुकर्म किसकी मर्जी से होता है?
पूज्य संत श्री गौरव साहेब जी
सम्पर्क- 9928949563
सदगुरु कबीर साहेब एवं मानवतावादी शाश्वत विचारों को परोसने वाले संत महापुरुषों के अनमोल विचारों को सुनने समझने के लिए इस चैनल पर आपका हार्दिक स्वागत है।
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जीव कर्म करने में स्वतंत्र है
महाराज जी, मेरे विचार से परमात्मा की प्रकृति में जो उथल पुथल होती है बह परमात्मा की इच्छा से होता है जिसे यह कहा गया कि उसकी बिना मर्जी के एक पत्ता नहीं हिलता बाकी सारे कार्य करने के लिए मनुष्य स्वतन्त्र है। जैसा करेगा वैसा भरेगा।
जैसी करनी वैसी भरनी, यही बात तो परमात्मा ने कही है, भगवान कहते हैं मुझे चाहें किसी भी नाम से पुकारो मुजे कोई फर्क नही पड़ता, अपने अपने कर्म से ही सुख दुख भोगना पड़ता हैं
मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतंत्र है भोगने के लिए परतंत्र है
Bahut hi sunder Vichar. Parkhi sant ko prnam
सत्य बचन श्री मान सत्य बचन पंडित जी
जैसी करनी वैसी भरनी
Apki soch satiya hai guruji
Bahut sundar gaurabh jee 🎉
परमात्मा मे इतनी शक्ति है हि नहीं कि वह पते को हिला दे '
U r right guruji
ऐसे वैज्ञानिक स्वभाव वाले विज्ञान दृष्टिकोण वाले अगर पैदा हो जाए तो पूरी धरती महान हो जाए
पुराने भगवानों के उदाहरण न देकर कलयुग के किसी भगवान का उदाहरण देते हुए समझाने का कष्ट करें तब कुछ समझ में आयेगा
🌹 saheb bandagi saheb guruji 🌹
❤ Satnam sat Saheb Bandagi Om Prakash Das Sindhiya Samastipur
Very good
Saheb bandagi saheb ji sader charn sparse ❤❤❤
परमात्मा की इच्छा से ही आप यह सब बोल पा रहे हैं 🎉🎉🎉🎉
Shree sad gharu Maharaj kee jay❤❤❤
Saheb bandagi Ji bahgwanwadi
🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Ok❤sd❤sji🙏🙏🙏😭😭
Jai ho guru jee
Saheb Jee Saheb bandagi bahut he sunder perbachan tha
Satya Saheb Bandagi Om Prakash Das Sindhiya Samastipur
Kabir saheb alah akbar ki jay
Acche bure karmon ka parinaam dene wala kaun hai shriman❤
जैसे पत्थर पर हाथ पटकने से चोट कोई देता नहीं है यह प्रकृति का नियम है इस तरह से हमारे कर्मों का परिणाम कोई व्यक्ति रुपी परमात्मा नहीं देता है बल्कि सृष्टि में जो नियम है नियम के तहत अपने आप परिणाम प्राप्त होता है जैसे कोई लहसुन प्याज खा ले तो दुर्गंधी की डकार कौन देता वह प्रकृति के नियम के अनुसार मिलता है। वैसे ही हर कर्मों के परिणाम को समझना चाहिए।
परमात्मा किसी से कुकर्मों को करने की नही कहता है। भगवत गीता में भगवान ने कहा कि जो जैसा करेगा वैसा ही फल प्राप्त करेगा। इसलिए दुष्ट दुराचारी पापियो राक्षसों को कैंसर किडनी लकवा सहित विभिन्न प्रकार की बिमारियों से सम्मानित करता है ईश्वर।
कर्म शुभा शुभ देइ विधाता्
कर्म शुभाशुभ देइविधाता।
प
कर्म प्रधान
भगवान का कौन संचालक और उनका
कौन
ज्येहोआपकी
Shabe bandgi shabe ge borba gonarchak bhagalpur
Parmatma kuchha nahi karta, insaan apne karmo ka fal bhogta hai
ये ही तो बात है l
Achha kam karne wala parmatma abam bure kam karne wala dustatmaa kahlata ha :
Parmatma ne sab Ko sab kuchh de Diya hai jaisa karoge vaisa paoge yah baat sach hai ki unki marji ke alava ek pata nahin ho sakta hai Jaisi karni vaisi bharni
Parmatma ka kaam patta hilana nhi hai hwa chalegi to patta hilega sab prakriti ka vibhag hai parmatma na karm aur na karm fal me koi hastakshep krta hai bhagvat gita padho bhagwan ne saaf saaf mna kiya hai lekin bible me god ke bina patta nhi hilta
श्रीमान जी कबीर जी स्पष्ट कुर्मा रहे हैं।
ना कुछ किया ना कर सकूं ना कुछ करें शरीर करने वाला और है लोग कहे कबीर कबीर।।
अच्छा बुरा लाभ हानि दुख सुख मरना मरना चोरी करना बदी करना नेकी करना। अगर इन्हें परमात्मा को अर्पण कर दिया जाए। तो आदमी बंधन मुक्त हो जाएगा किसी को ब्रह्म ज्ञान कहते हैं।
मनुष्य कब फसता है जब वह अपने ऊपर लेता है इसी कारण बंधन में बढ़ जाता है।
अच्छा या बुरा मैं नहीं किया सब मैं तेरा हुकुम है। सब में तेरी ताकत है। मेरी ताकत का तो कोई मतलब ही नहीं बनता। तो बताइए मैं क्या किया?🎉🎉🎉🎉🎉🎉
सत्य यही लगता है।❤
पर कर्म करते समय परमात्मिक स्मरण हो तो ज्यादा अच्छा है।यह जानकारी भी परमात्मा ही de रहे हैं,हमें।
@@kavigovindsoniyatharth5403 उसके लिए ही तो निरंतर सुमिरन बताया है। अंत काल में जहां मनुष्य का ध्यान होगा खुशी नहीं जाना पड़ेगा।
@@kavigovindsoniyatharth5403 जय श्री कृष्णा
Jagat ka sanchalan kaun karta hai
Mukhya rup se ishwar ke bina patta nahi hilta qyo ki ishwar ka sara fokas man par hota hai manhi ishwar hota hai dusara koi nahi wahi kal hai man ke hi ichchha se sharir chalta mukhya sthan tirikuti se sansar ki satta chalata hai jjdh jeevan uska karya saili aatma ka koi rol nahi saredukhon ka karan ishwarhi hai
Banbgi
इसका आपने खुल कर जवाब नहीं दिया
पता अगर ईश्वर की मर्जी से हिलता है तो बुरे कर्म भी ईश्वर की ही मर्जी से हो रहा है तो फिर इंसान की ग़लती क्या है
Kaha likha hai iswer ki marzi se patta hilta hai ye sab bible ki baat hai sanatan dharm me kahi nhi likha iswer karm aur karm fal me koi hastakshep krta hai
बहुत बड़ी बात कह दी आपने महाराज।
फिर कर्म फल कौन लिखता है?
Karma aap krte ho.result bhagwan dete hain
Prakriti hi paap punya ka fal anukul aur pratikul paristhiti ke roop me deti hai parmatma ka karm aur karm fal se koi lena dena nahi bhagvat gita padho
9:15
तो तुलसी दास जी ने यह भी लिख दिया,,होइहि सोई जो राम रचि राखा। को करि तरक बढ़ावे शाखा।। इसे आप क्या कहेंगे।सर जरुर ब्याख्या करें।
Ram kon hai ye jaan lo pehle fir samjh me aa jayega
Insan pshu ke jaise bauhar kyun karta hai , wi Insan hai janwer to nahi , phir Aisa kyun
मूर्ति पूजा करना, श्राद्ध निकालना, व्रत रखना, देवी देवताओं की पूजा करना आदि कहीं सनातनी पूजा के विरुद्ध तो नहीं?
जानने के लिए देखिए "सनातनी पूजा के पतन की कहानी, संत रामपाल जी महाराज की ज़ुबानी" का पार्ट 1 व 2
यहां पर भगवान जी तीन है
1-बृह्म,क्षरपुरुष या महा काल
2-परबृह्म, अक्षर पुरुष या शान्ति पुरुष
3-, पूर्ण बृह्,,पूरणपरमात्मा, दयाल पुरुष
आप सभी कि बुद्धि जिसके हाथ में होगी बैसा कार्य करेंगे
🙉🙉🙉🙉🙉
Eswar ke बैगर पत्ता भी नही हिलता है कौन बोला ।।फिर कृष्णा ने कर्मण ,,,, माफलेशु कदचनः yani karam yani dharam yani achhe karam ki rah btayi jitne v Rishi Muni ho acharya ho dev bani ho sabhi me achhe karam ke marg pr chalne ki bat boli hai ..n ki jhut makkari agyanta kro aisa kabhi nahi bola gya ...satymev jayte bola n ki jhut ko sahi btaya ye to logo ke upper hi nirbhar karta ..
आप कैसे संत हैं, आध्यात्मिक जगत और भौतिक जगत को एक साथ जोड़कर लोगों को दृष्टांत बता रहे हैं, आप खुद धोखा खाकर बैठे हैं और लोगों को भी धोखा दे रहे हैं, क्या आप बता सकतेहैं, जिस समय भगवान इस धरती पर अपनी लीलाएं करते हैं, उसी समय भगवान नित्य रूप अपने बैकुंठ लोक में विराजमान होते है, भगवान एक साथ दोनों जगत में उपस्थित रहते हैं, यह तो आपने किसी को नहीं बताया। आपको स्वयं अपने रास्ते का पता नहीं, आप दूसरों को रास्त बताने चले हैं !
तो तुम पानी बर,सा लो,सूखा डाल दो,अपने नाखून बढने से रोक लो है हिम्मत् ।
Agar😅chaar😅karipa😅mein😅sabse😅partham😅savyam😅apne😮antahkaran❤ki😅karipa😮kahlati😢h❤agar😅wahi😅no😅tab😅teeno😅no😅hoti😅h
Pta hilta h nhi be hilta jo parmatma ke suprat ho jaate h unkha parmatma ki marji ke bgera pta tk nhi hiltajo kukram karte h unko bisvash nhi h parmatma pe
परमात्मा अगर सर्व समर्थ है तो कुकर्मी की बुद्धि बदल देना चाहिए वह कुकर्म करने ही ना पाए तभी तो परमात्मा है अगर वह सर्व समर्थ नहीं है तो फिर परमात्मा कैसे
Ji
Jinka😮pata😅pahle😅se😅kukarmiyon😂ka😮ped😅hi😅jad😮 kharaab😅ho😅tab😅paramatam😂kya😅karega😅bichara😮
सत साहेब बंदगी साहेब जी
Hindu bhee Sabhi ne NAHI bajai sif murkha ne bajai hai
शायद आपने कबीर साहिब की अनुराग सागर। वाणी नही पढा़ क्या।
गलतमान्य बोल रहे हो
आप जितने कबीर पंथी संत हैं सब मूर्ख हैं सिर्फ और सिर्फ अभिलाष साहेब को छोड़कर, महोदय ईश्वर है इसमें कोई संदेह नहीं है, जहाँ यह शब्द आया है कि ईश्वर के बिना पत्ता नहीं हिलता है यह सत्य है जरा समझें, जैसे जो व्यक्ति परमात्मा के बताए हुए रास्ते पर चलता है और शास्त्र के अनुसार अपनी कार्य करता है तो उससे कुकर्म नहीं होता है और वह भक्त कह सकता है कि बिना ईश्वर के पत्ता नहीं हिलता है कारण वह ईश्वर के इच्छा से और ईश्वर के कृपा से चलता है, और जो कुकर्म होता है वह ईश्वर भक्त नहीं होता है नहीं तो कुकर्म नहीं करता, अब अगर कुकर्म करता है तो यह सिद्ध होता है कि वह ईश्वर से नहीं जुड़ा है इसलिए शास्त्रों में ऐसा लिखा है कारण जिसने शास्त्र लिखा है वह ईश्वर से जुड़ा था इसलिए ऐसा लिखा है कि ईश्वर के बिना पत्ता नहीं हिलता है, अब जो सच्चे दिल से ईश्वर से नहीं जुड़ा है उसी को दिखता है कि ईश्वर कुछ नहीं दिखता है इसलिए महोदय पहले ईश्वर से जुड़े फिर समझ में आ जाएगा कि ईश्वर के बिना पत्ता नहीं हिलता है
ऐसे मुर्ख ब्यक्ति के मुर्खता पर तरस आता है
मूर्ख वह है जो पत्थर को ही हीरा समझ लेता है। ऐसे मूर्ख सत्य को कभी भी नहीं समझ सकता है।
कर्म प्रधान विश्व करि राखा
अगर यह रामायण का चौपाई है
सबहीं नचावत राम गोसाई
यह भी रामायण का ही चौपाई है
महात्मा जी इसे भी स्पष्ट करें
😊😊 😊😢