जलाती बार चिराग को कुछ फासला रखना चाहिए, ये तजुर्बा हासिल हुआ हाथ जल जाने के बाद | 26-04-2024

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 5 сен 2024
  • Vlogs-136 | मित्रमंडली द्वारा मित्रवर रहमत जी (प्रधानाचार्य) की सेवा निवृत्ति के उपलक्ष्य में
    आयोजित सम्मान-समारोह.
    Please Like! Comment! Share! Subscribe!!!
    Subscribe my personal vlogs channel Shiv Kumar Surya vlogs:
    / @shivkumarsuryavlogs
    #shivkumarsuryavlogs

Комментарии • 10

  • @satrangijani5714
    @satrangijani5714 3 месяца назад

    🙏🥰❤❤❤

  • @ankushmanhas1314
    @ankushmanhas1314 2 месяца назад

    किसी व्यक्ति कि पहचान करनी हो तो बहुत सरल उपाय है उसके दोस्तों और उसके करीब जनों से मिलो। आपको खुद ही पता चल जायेगा उनके आचरण का उनके संगति का। और मैं यह दावे से बोल सकता हूं आप एक बहुत अच्छे और नेक दिल इंसान है सर। अगर कभी ज़िंदगी में कुल्लू आना हुआ तो मै जरूर आपसे मिलना चाहूंगा और इसे मैं अपना सौभाग्य मानूंगा।❤❤❤

    • @shivkumarsuryavlogs
      @shivkumarsuryavlogs  2 месяца назад +1

      प्रिय अंकुश मन्हास जी, स्वागत है। एक अनजान के लिए आपके शब्द आपके स्वयं के व्यक्तित्व का परिचायक है। आपके अंतरंग स्नेह के लिए आभार। आपका जब जी चाहे मुझसे मिलें। मेरी फेसबुक आईडी है - fb/suryashivkumarofficial .

    • @ankushmanhas1314
      @ankushmanhas1314 2 месяца назад

      सर मुझे माफ़ करिएगा मगर मैं फेसबुक नहीं चलाता हूं। और जब मिलना लिखा होगा तो रास्ता भी ख़ुद ही प्रदर्शित हो जायेगा ❤❤। आप सदैव यूं ही मुस्कराते रहे और अपने जीवन के नए नए किस्सों से अपनी कविताओं से हमें खुश और प्रेरित करते रहें।

    • @shivkumarsuryavlogs
      @shivkumarsuryavlogs  2 месяца назад +1

      प्रिय अंकुश, आश्चर्य। आज की पीढ़ी जहां फेसबुक जैसे माध्यम को अनिवार्यतः अपना रही हैं, उसमें प्रसारित/प्रचारित सच्चे-झूठे तथ्यों का अंधानुकरण करते हुए अंतिम सत्य मान कर चल रही है ऐसे में आपका कथन कि आप ‘फेसबुक’ नहीं चलाते; आश्चर्य में डाल रहा है।
      मैंने भी सेवानिवृत्ति के उपरांत विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के विचार से फेसबुक का प्रयोग किया। किंतु उस पर प्रसारित सामग्री प्रायः अपने यूट्यूब चैनलों पर पूर्व प्रसारित सामग्री का पुनः प्रसारण ही है।
      मैं अनुमान लगा सकता हूं आप निश्चय ही अपने ध्येय की साधना में लगे हैं। मंगल कामनाएं। आप अपने जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए मंजिल हासिल करें। यही कामना है।

    • @ankushmanhas1314
      @ankushmanhas1314 2 месяца назад

      @@shivkumarsuryavlogs सर मैं ज़िंदगी में ठहराव की तालाश में हूं। मुझे पता नहीं चला आज तक की ठहराव असल में है क्या खुशी,शांति या कुछ और।कभी लगता है वो सरकारी नौकरी से आयेगा कभी लगता है मुझे मेरा पथ ही प्रदर्शित नहीं है कि ज़िंदगी में क्या मेरे लिए है और क्या नहीं उसी जद्दोजहद में अपने शारीरिक और मानसिक क्षमता को बर्बाद किए जा रहा हूं। कभी लगता है अपनो को खो ना दूं कुछ को खो चुका हूं। मैं अपने बीते कल और आने वाले कल में जिसका मुझे पता नहीं है उसी में उल्ज कर रह गया हूं अपना आज तो मुझे लगता है मैने कभी जिया ही नहीं है अब तो मैंने अपनी अंदर की संवेदनाएं जो कुछ मेरे अंदर कोलाहल चलता है वो बांटना भी बंद कर दिया है लगता है कब तक आपने जख्मों दुखों की नुमाइश को यों बाज़ार में प्रदर्शित करूं। क्या मै इतना असहाय लाचार हूं..? की ख़ुद को संभाल नहीं सकता। यह सब मैने इसलिए कहा कि क्योंकि जैसा आप मुझे समझ रहे है मुझे लगता है मैं बिल्कुल वैसा नहीं हूं। मैं ख़ुद में ही एक उलझा हुआ सा प्रशन हूं।
      अंत में एक बार फ़िर से आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप मेरे संदेशों का उतर दे रहे थे । मैं आपसे यह गुजरिश करूंगा कि मुझ जैसे बहुत है सर इस दुनिया में जो अपने अंदर चल रहे उस कोलाहल संघर्ष से लड़ रहे है बहुत कम होते है जो इसको सांझा या व्यक्त करते है उनके लिए आप अपने तो इतना कुछ ज़िंदगी में देखा है आपने उन पलों को सांझा करें कविताओं से ब्लॉग्स के माध्यम से एक दिशा बताएं।❤️❤️❤️

    • @ankushmanhas1314
      @ankushmanhas1314 2 месяца назад

      सर मैं ज़िंदगी में ठहराव चाहता हुं। ठहराव से मेरा मतलव आलस या विश्राम से नहीं है ठहराव मतलब शांति सूख। कभी लगता है सरकारी नौकरी से ठहराव आ जायेगा। तो कभी लगता है पथ ही प्रदर्शित नहीं है मुझे और यह सबसे बड़ी उल्जन होती है जब आप जबानी में और आप घर के बड़े बेटे हों और एक साधारण परिवार से संबध रखते हो। आप चाहते तो बहुत कुछ हैं मगर आपको ख़ुद की ही स्पष्टता ही नहीं है इन्हीं उलझनों और अंतरमन के कोलाहल से मै अपने शारारिक और मानसिक क्षमता को खो बैठा हुं। मै बीते कल को कोसता हुआ और आने वाले कल के दुखों उलझनों से जिसका पता नहीं है