गोरखनाथ के गोरखपंथी पूजा पद्धतियों का प्रभाव आज भी है, तमाम जागर,उच्यांण,ज्यूंदाल और बिना संस्कृत के श्लोकों की स्वीकार्यता के बिना पूजा-अर्चना ही "गोरखपंथी पूजा पद्धति" है, "राठ समुदाय " के खस और mongoliad features के लोग आज भी इसका निर्वहन करते हैं।
उत्तराखंड के अन्दर पहाड़ी खस लोगों को पूरे उत्तराखंड में पहाड़ी समाज को खुदको 5th शेड्यूल की मांग करनी होगी ताकि हम अपनी इस एथिनिकल आइडेंटिटी है उसको प्रोटेक्ट कर सकें।
गुरु गोरखनाथ के गोरखपंथी पूजा पद्धतियों का प्रभाव आज भी उत्तराखंड में है, तमाम तरह लोक देवताओं की जागर,उच्यांण,ज्यूंदाल जैसे अनुष्ठान संस्कृत के श्लोकों की स्वीकार्यता के बिना,ब्राह्मणी कर्मकांडों के बिना की गई पूजा-अर्चना ही "गोरखपंथी पूजा पद्धति" है, "राठ समुदाय " के खस और mongoliad features के लोग आज भी इसका निर्वहन करते हैं। जोकि एक समाज के लिए प्रयाप्त हैं लेकिन करवा चौथ,छट पूजा जैसे अपरिचित पर्व भी मनाये जा रहे हैं, जबकि आज पहाड़ को अपने समाज से निकले डॉक्टर,वकील,अध्यापक,IAS,IPS, इंजीनियर चाहिये, जोकि उत्तराखंड में टिके रहे सकें। reels और पूरे देश के पर्व मनाने के बावजूद पहचान का संकट पैदा हो गया है
We Pahadi people literally are mix of Dravid(Kol)+ Khas(Caucausoid) and Kirat(Mongoloid). Different communities/geography people carry different percentages.
उत्तराखंड और अफगानिस्तान (चित्राल, हुंजा गिलगित) से अरुणाचल और पूर्वोत्तर तक के अन्य हिमालयी राज्यों को भारत के भीतर एक अर्ध-स्वतंत्र विभाजन होना चाहिए, जो अपने स्वयं के शासी नियमों को केंद्र सरकार से स्वतंत्र बनाते हैं
कोई भी बहुत पुराना नाम जिसके अंत में नाग, गढ़, कोट, नाथ, थात इत्यादि लगा है वह बुद्धिज़्म से सम्बन्धित है इसके बहुत प्रमाण है। खस आर्यों की शाखा जरूर थी लेकिन उनकी सामाजिक पद्धति बौद्ध संप्रदायों की अलग-अलग शाखाओं से थी। शंकराचार्य और उनके बाद ही यहां का धार्मिक इतिहास बदलता है, इतिहासकार उस विषय से बच निकलते हैं। बाकी सब ठीक है।
Rightly said, historians must study the Shamaniac culture and pre Buddhist era before Shankaracharya, They must also study Bajrayaan and Tantrayaan branch of Buddhism before reaching to any conclusion. These historians are cut copy and paste versions of each other. It is clearly mentioned by BD Pandey and Etkinson that before Shankaracharya most of the priests were buddhism oriented.
@@mr.nickey8517Thaa. Tabhi to Uttarakhand k kayi log Mongloid jaise dikhte hai. Dna test saabit krte hai ki Uttarakhand k logo ki mtdna 10 to 50 percent Tibetan heritage s hai. Y Budhism time m hi mix hue the.
@@अवेदिक_खस_काल011 Me too. Proud that Rawain valley always protected its Khas heritage and didn't run away from their true identity like other parts of garhwal kumaon.
@@अवेदिक_खस_काल011mixed toh huhe hai, agar aisa toh tum log ek kaam karo maidani logo ke sath rishtedari karo, khas_brahman aur khas_rajput main rishtedari kyu karte ho ?
Yes Later it was sanskritised by brahamans to relate everything to them and their mythical characters and stories, but they forgot to Sanskritise Pamir Mountain, Mir Word is common there
@@ulog2340 lol no Garhwal or kumaon me tumhe khash + kirat + kol minority me milenge 7_8% baki jo bache h vo khash he but utne pure nhi baki bache khash +kol h majority me Or Jaunsar, sirmaur & shimla vale bhi purest khash nhi h ha but aj k time sbse pure me se ek h or vo bhi khash+ kol hi h bs percentage matter krti hai!
@@ulog2340nepal ke khas sbse mix h chahe brhamans or ya thakur or vo khas bhi nhi h vhake brhamans migrated bhi hai unhe khash nhi bol skte vo vese bhi khudko plains se jodte h
@@Prey445 nepal ka khas Brahmins koi nahi jodta apne aap ko plains se Nepal me kaafi tarah ke Brahmins h me khas ki baat kr rha hoon sirf Aur tu apna naam to bta
हिमाचल प्रदेश में आज भी खश,खशीया, खूंन्द खशीया कहलाना गर्व की बात हैं। खश इंडो युरोपीयन भाषाई समूह की एक शाखा पूर्वी ईरानी भाषाई समूह से निकले हैं। इंडो युरोपीयन भाषाई समूह की वैदिक आर्य शाखा से यह अलग हैं। हिमाचल प्रदेश के शिमला, सिरमौर, किन्नौर जिलो में मान्यता हैं कि खश लोगों ने महाभारत के युद्ध में भांग लिया था। अधिकांश खश कबिलो ने कौरव पक्ष और कुछेक खश कबीलों ने पांडव पक्ष का साथ दिया।तब से खश लोग शाठी और पाशी दो दलों में विभक्त माने जाते हैं।
@puransingh-mf5nt नहीं, यहां सिर्फ उल्लेख किया गया है, विश्वास नहीं। पौराणिक ब्राह्मण ग्रंथों में खश जाति का कहां,कैसा उल्लेख किया है वह बताया गया है। दूसरे यह कि हिमाचल प्रदेश में खश जाति के लोग अपने को पांडव और कौरव दल में युद्ध करने वालों के वंशज मानते हैं। तो फिर इसमें अखरने वाली बात क्या है। ब्राह्मणवाद का विरोध करने के लिए भी तो ब्राह्मण ग्रंथों को आधार बनाया जाता हैं।
Khasho k baare m jaha tak baat h khash Jammu Kashmir, Himachal Pradesh, Uttarakhand or nepal tak faile hue h khasho ka kaafi purana itihas raha hai or ek baat or hai ki Khash meghalaya ke khasi janjati logo se kaafi alag h kai itihaskaro ne khasho k sandarbh me jab kassites ki baat ati h to meghalaya k khasi ka bhi ulekkh krdia hota h jo ki galat h sirf naam k spelling words k karan ye confusion bana h unke bich
ओशो कहते है कैलाश मानसरोवर में 500 बोध सिद्ध हमेशा रहते हैं..तभी तीर्थ है.. हमारे देवी देवताओं का वास Hya Gangri (Mt.Kailash) है.. एक ही गांव में काफी सारे देवी देवता है.. सभी बली नही लेते..और ज्यादातर स्यांगसै ( देवो के देव ) कभी बली नही लेते.. ब्यास घाटी, धारचूला, pth उत्तरांचल
कुल मिलाजुला कर उत्तर का सारा पहाडी बेल्ट हिमाचल का पहाडी क्षेत्र से सिक्किम के पहाडी क्षेत्र तक भाषा बोली का समाभेष अभी भी देखने को मिलता है जो भारत के मैदानी क्षेत्र के बोली भाषा पहनावा से भिन्न है। पश्चिमी नेपाल का सारा बेल्ट मे खस जाती के लोग बसे है।
many of the views are correct but why they were called inferior It is becoz disobedience to rules and regulation during the processs of sanskiritization in society. when the process of sanskitization of society begins in main land by Manu these poeple were freedom lovers and they donot want to be bound by strict laws of the Manu Samirtis hence they were called out laws. Khasyas of Juansar bawar are still strongly defending their ethics and values
Yes but also Khas people eat a lot of meat, marry without Nakastra stuff😅 does animal sacrifices, beleive in Jagars, does nature worshipping,etc which makes us inferior from them(only in there 👀).
@@Khas_pahadi1708 mallech bhi likha he kahi kahi....tabhi to aapke garhwal ke panwar aur kumau ke chamd.....nepal ke rana shah.....aur himanchal jammu ke rajvansh convert hue
Yes, just because we had a separate culture with our own rules which gave much freedom to our people, they called us Mleccha/Vratya etc. This is wrong in so many ways. It's a pity that our hill culture is still being destroyed in the ongoing process of sanskritization.
Rath Or chamoli ki adha chandpur patti Or mainly khansar patti 80% log mongoloid face structure hai Or vo log baki uttrakhand walo see jyada powerful hai, migration bhi low hai vaha pr
@@अवेदिक_खस_काल011Chamoli, Uttar Pithoragarh,Uttarkashi(Tibetan border) wale Khas jyada Mongol dikhte hai. Bhotiya or Tibeti logo k saath mix hue the.
सनातन हिंदू अनंतकाल से - जल वन अग्नि पृथ्वी सूर्य चंद्र वायु पितृ भगवान के रूप जीवंदाता हैं ; पितृ सेवा और कठिन तप करेंगे पाखंडी ढोंगी और स्वार्थ हिंदू - हमेशा पाप करेंगे और मंदिर जाके मुक्त हो जायेंगे जल वन पृथ्वी वायु गंगा पितृ को नस्ट करेंगे और मोटे बाबा की सेवा करेंगे
बसेरा कत्यूर रैका खस के वंशज है ,भाई तुम एक भी प्रमाण दिखा दो की बसेरा झूसी के राजपूत हैं में 1 लाख नकद दूंगा। जेनेटिक रिपोर्ट्स से लेकर साहित्यिक/ ऐतिहासिक/अभिलेखीय प्रमाण कुछ भी। बसेरा सबसे ज्यादा मंगोल लगते कुमाऊं में और आए झूसी से ,क्या बात करते हो? और विवाह भी मेहरा,कार्की,भैसोड़ा खसिया जातियां में करते ,राजपूत आज भी खस में विवाह नहीं करते ऐतिहासिक प्रमाण आज के फर्जी इतिहाकार के नहीं ,कम से कम 200 वर्ष से पहले लिखा हुआ की इतिहास
@@अवेदिक_खस_काल011 bhai pawar aur chand khas thokdar me shadi haall tak nahi karte the, aur 400 ya 500 saal pahle unki raajwaliyan hain unme unka origin likha hai.
@@RaghuvanshiKshatriya rajawaliya kya hua...vanshawali bolo....vanshwali tum bhi bna do kahi ki bhi...lekin uska saboot dena padega....1400 isvi ke bad sab apne ko bahar se aay bol rhe he ...jabki 1400 ke bad hi 5 % migration hui he bahar se.....
“And now, we see a number of ill-informed students rallying behind this video, seemingly convinced that they don’t belong to the Sanatan tradition. Misguided by a lack of understanding, they appear to overlook the depth and richness of their own cultural roots, aligning themselves instead with a narrative that disparages what they perhaps have yet to truly comprehend.”
मै उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र के खास पटटी से हूँ ओर एक समय हमें खसियों के नाती बोलकर चिढाया जाता था ओर हमे बुरा भी लगता शायद इतिहास पता नही था इसलिए हमे बुरा भी लगता था।
Waise me uttarkashi se hun, par maire dada tehri ghansali se hai. Me bhramin hun, par mujhe poora vishwas hai hum bhi khas he they, hamarey naak nakse khas se jada milte hai. Kya pata wo phele he hindu ban gaye honge...
Jo chidane ke liye bolte the wah bhi khasiya hi the....unhe agar jyada jyada hi ghmand he agar apna maidan se aane me to apna dna check kraye ...hamse milega🥴🥴🥴 mandbuddhi logo ko pta hi nahi tha ki khas ek race he na ki inke varn vyastha ki koi jati
After 20 minutes of the video , the real history of uttarakhand lies. The current Hindu Dharma is nothing but a changed form of various sects of Buddhism like Mahayaan, Tantra yaan, Bajrayaan , Gorakhnath parampara etc. Later Brahamanism misguided the whole community and started ruling under the disguise of Hinduism.
बौद्ध धर्म से पहले इस महाद्वीप के लोग शमन परम्परा का पालन करते थे, जैन भी उसी परम्परा से संबंधित थे। सम्राट अशोक के साथ, बुद्ध की शिक्षाओं ने धर्म का रूप ले लिया, बुद्ध ने कोई बोध धर्म शुरू नहीं किया था , उन्होंने मनुष्य की प्रकृति ( मैत्री, करुणा और ज्ञान ) को धम्म के रूप में समझाया, उनके नाम पर उनके शिष्यों ने बोध धर्म शुरू किया। जैसा कि अन्य लोग सोचते हैं, आप भी इस मत के होंगे कि वैदिक धर्म बुद्ध से पहले भी मौजूद रहा होगा, जैसा कि अधिकांश इतिहासकार बिना किसी प्रमाण के लिखते हैं। लेकिन यह सच नहीं है, बौद्ध धर्म से निष्कासित और बेईमान बमन/भिक्षु (जिन्हें अब ब्राह्मण कहा जाता है) ने बाद में शंकराचार्य के साथ ब्राह्मणवाद और वैदिक परम्परा शुरू की, इसलिए उन्हें प्रच्छन्न बोध कहा गया।
Bhai kya kar rhe ho?? Aryan Theory kbka global platform pe galat btao hui hai.. Aap indirectly pahadi ko alag identity de rhe ho... Ye alag category nikaalne ki kya hi aavashyakta h i dont see the need
BJP/RSS ke whatsapp par post daalne se history nahin badalti hai 😅 Aryans kabhi aaye nahin the to Khas logon ka genetic makeup Caucasian jaisa kyun hai? Pure pahadi logon ki shakal kisi average UP Bihari aadmi ki shakal se nahin milti.
Lol. Fr aa gye apni pe, Aryan theory ko BJP se jodne vale😅😅 bhai tujhe India ke bahar ka hone ka itna hi shauk h to mze se ho... But ye tuchiyaape binda research ke logo m mt faila... Jaake aryan theory or out of India theories pe kaam krle... Global level pe human migration pe BJP comment nahi krti...
Dalits khash nhi h brahaman or chhetri hi khash h or usme bhi jruri nhi h ki saare chhetri surname lagane wale khash ho or kai saare brahamn khash h nepal m Doti kshetra m jyada h khash west nepal m
Uttarakhhand ke devta hindu devta ke baap hain उत्तराखंड के लोक देवता वह हैं जिन्होंने हमारे पूर्वजो की रक्षा और न्याय किया और करते रहेंगे जैसे गोल्जु ऐड़ी मलेनाथ हरु सैम... तीलू कफ्फु नंदा देवी गौरा देवी उत्ताराखंड राज्य हुतात्मा सभी देवता हमारे रखवाले और पूर्वज हैं
@@Tarajumai आज के कोल और किरात sc में आते हैं और उन्हें शिल्पकार कहते हैं ।।। हमारी जाति के लोग ढोल सागर , जागर , तंत्र और शिल्पकारिता में माहिर होते हैं ,, हम सिर्फ निरंकार,,भैरो ,, नंदा देवी आदि शक्तियों की पूजते हैं।।।
@@Ssccgl-p5hKirat nhi. Kirat mogoloid hote hai. Or aaj k S.c. m bhi Khas blood bhi hai. Blki lglbhag sab Pahadi communities m Khas blood hai. Pure Kirat aaj k Boksa Tharu log hai par vo log bhi Bihari logo k saath mix hai.
@@superboy3633 जब कोल किरात और खस उत्तराखंड की नही बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी जनजाति में से हैं और भूतकाल से साथ में रह रहे हैं ,तो। भेदभाव और जातिवाद कैसे और क्यों होता हैं???
हिमालय के खश , ही चीन के पास नेपाल के पास, ब्रह्मा के पास ही अधिक हैं । इतिहासकार के दराति अपने हित के लिए आती है । अतः इन सभी देशो के खशों का डी,एन, ए, का मिलाने करो , देखें , R1 - A1 आता है या नही ? दूध का दूध और पानी का पानी दिख जाएगा ।
कृपया इस प्रकार के वृत्तचित्रों से दूर रहें जो लोगों को जाति, पंथ और रंग के आधार पर विभाजित करते हैं, CIA भारत में रंग क्रांति शुरू करने का प्रयास कर रही है
Waah beta, ek din sach to saamne aana hi tha. Aaj aa gaya hai. You can just cope now. But you should accept the truth bcoz in the end the truth sets you free.
@@superboy3633Yes but our Khas Brahmins didn't follow what desi brahmins did. It's over a long time that now even Khas Brahmins follow all the system of desi brahmins.
@@KhaasLog2023 mene khas kaha hi ni m khas hu mene caucasian ka i.e. indo Aryan Waki khas primitive caucasian h or kuch log inhe doyam jati ke caucasian khte h
@@AncientXCivilizations ha be bania hu jinke yug ko tum log स्वर्ण युग ke naam se jante ho or sun tu colour ki baat jaanna chah ra h tu tre se saaf hi hoga
@@letuscube5096 wah isliye ki jo bhi vaidik brahman dharm ko follow nahi karta tha usko vaidik brahmano ne mallech likh diya tha....jese aaj koi khas ek dharm granth likh de aur usme vaidik dharm follow karne walo ko mallech likh de
“I must say, I am utterly opposed to this video, as it appears to draw upon references and citations rooted in historical narratives crafted by left-leaning liberal groups. These groups, it seems, are intent on undermining the very foundations of our Sanatan society. The selective portrayal of history serves only to distort and challenge the enduring values that define our cultural heritage and way of life.”
Its u not them who are filled with preconceived opinion. Read genetics of Indians. Its 30-40% are of original migrated of Africa other 30-40% are of Iranian farmers and the rest 10-20% are of Aryan genes depending on north to south and caste wise.
Hacktivist bhai..... 1000AD तक हिमालय में लोग शमन धर्म, नाथ पंथ, बौद्ध धर्म इत्यादि को मांन रहे थे,,,यही वह दौर था जब बौद्ध धर्म भारत भूमि से लगभग पतन पर था,,,,समय समय पर बाहर से आए विदेशी जाती के चालाक लोगों ने बुद्धिज़्म का बमन शब्द चोरी किया और देशी प्रीस्ट क्लास के साथ एक संघ बनाया और अपने को ब्राह्मण घोषित किया,,,,अब इनका उद्देश्य ब्राह्मण धर्म की वर्ण व्यस्था को पूरे भारत पर थोपना था,,,,इन्होंने मध्यकाल में राजस्थान में विभिन्न नस्लों हूण, शक,कुषाण ,और भारत के राजाओं के वंशजों (यह आज शुद्र जाति में है) से एक संघ बनाया और इन्हें क्षत्रिय जाति बनाया,,,,अब धीरे धीरे तत्कालीन जो राजवंश अपनी वंशावली इन राजवंशों से जोड़ देता था वह वैदिक क्षत्रिय हो जाता था,,,1400 ईसवी के आस पास यह गंध हिमालय क्षेत्र में आई ,,,यहां के सभी राजवंश का वैदिककरण किया गया और उन्हें vratya kshtriya,,mallech (यह शब्द उन्होंने अपने धर्म ग्रंथों में खस के लिए लिखे है क्योंकि खस वैदिक धर्म को नहीं मानता था) से वैदिक क्षत्रिय बनाया गया,,,अब जो राजा के रिश्तेदारी में लोग थे वह तो वैदिक राजपूत बन गए जो नहीं थे वह खस राजपूत बन गए,,,,ठीक इसी प्रकार खस से खस ब्राह्मण बने,,,अब धीरे धीरे इन अपने कन्वर्टेड लोगो ने अपनी ही खस पहचान को अपने से छोटा बोलने लगे क्योंकि कन्वर्टेड लोग खतरनाक होते है इन्हें अपनी कट्टरता को सिद्ध करना होता है,,,, लेकिन में उन अपने पूर्वज का शुक्रगुजार हु जिन्होंने अपनी खस पहचान जो बनाए रखा वैदिक बनने से पहले खस जाति में नहीं बल्कि वर्गों में विभाजित था जैसे ठक्कूर वर्ग वॉरियर , पूजा करने वाला बमन या पुजारी, रूलिंग वर्ग रजनका कहलाता था,,,,और बौद्ध ग्रंथों के अनुसार खस खतिया कहलाते थे,,,,
Binser sauni wala nhi h bhai binser ek deghat k upar h paudi gadwal m aata h jiska naam bindeshvar mahadev b h us binser ki baat ho rhi h ye sauni binser to maniharo (muslim) k baad ka h pahle bda nhi simple tha baad m mohangiri aaye tab bana h maniharo ki Jamin or unki masjid hamare pas h masjid to ni h lekin wo jagah hamare paas h. Sauni k top m samne jo dikhta h whi
@@अवेदिक_खस_काल011 bhai yay division bhi badi khatara naak chi hai phelay hen itnay divide hain abb nay trend ayega yay khas khol kirt ka jese aryan or nom aryan ka tha firr khas bolenagy ki hum superior hain humnay khol kirat ko haraya or vibhajan hoga wese hen itna division hai or hojaega maje anay walay hain it will be very easy for the polatical fellows
I found a historian, archaeologist, sociologist, anthropologist, and genetic engineer in each and every one of you. Well done!
Feel proud you are khas.
बेहतरीन जानकारी प्रदान करने हेतु धन्यवाद
गोरखनाथ के गोरखपंथी पूजा पद्धतियों का प्रभाव आज भी है, तमाम जागर,उच्यांण,ज्यूंदाल और बिना संस्कृत के श्लोकों की स्वीकार्यता के बिना पूजा-अर्चना ही "गोरखपंथी पूजा पद्धति" है, "राठ समुदाय " के खस और mongoliad features के लोग आज भी इसका निर्वहन करते हैं।
वाह बहुत बेहतरीन श्रृंखला ज्ञानवर्धक व एतिहासिक❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
उत्तराखंड के अन्दर पहाड़ी खस लोगों को पूरे उत्तराखंड में पहाड़ी समाज को खुदको 5th शेड्यूल की मांग करनी होगी ताकि हम अपनी इस एथिनिकल आइडेंटिटी है उसको प्रोटेक्ट कर सकें।
Kullu land of khashiya
Whole himachal is land of khashiyas
@@Thehighlandss5-8tum Kahan se ho bhai ?
गुरु गोरखनाथ के गोरखपंथी पूजा पद्धतियों का प्रभाव आज भी उत्तराखंड में है, तमाम तरह लोक देवताओं की जागर,उच्यांण,ज्यूंदाल जैसे अनुष्ठान संस्कृत के श्लोकों की स्वीकार्यता के बिना,ब्राह्मणी कर्मकांडों के बिना की गई पूजा-अर्चना ही "गोरखपंथी पूजा पद्धति" है, "राठ समुदाय " के खस और mongoliad features के लोग आज भी इसका निर्वहन करते हैं। जोकि एक समाज के लिए प्रयाप्त हैं लेकिन करवा चौथ,छट पूजा जैसे अपरिचित पर्व भी मनाये जा रहे हैं, जबकि आज पहाड़ को अपने समाज से निकले डॉक्टर,वकील,अध्यापक,IAS,IPS, इंजीनियर चाहिये, जोकि उत्तराखंड में टिके रहे सकें। reels और पूरे देश के पर्व मनाने के बावजूद पहचान का संकट पैदा हो गया है
We Pahadi people literally are mix of Dravid(Kol)+ Khas(Caucausoid)
and Kirat(Mongoloid). Different communities/geography people carry different percentages.
@@superboy3633 very true
उत्तराखंड और अफगानिस्तान (चित्राल, हुंजा गिलगित) से अरुणाचल और पूर्वोत्तर तक के अन्य हिमालयी राज्यों को भारत के भीतर एक अर्ध-स्वतंत्र विभाजन होना चाहिए, जो अपने स्वयं के शासी नियमों को केंद्र सरकार से स्वतंत्र बनाते हैं
Culture bahut alag hai Chitral s lekhar Arunachal to bahut hi jyada dur ho gya😂.
बहुत अच्छा
कोई भी बहुत पुराना नाम जिसके अंत में नाग, गढ़, कोट, नाथ, थात इत्यादि लगा है वह बुद्धिज़्म से सम्बन्धित है इसके बहुत प्रमाण है।
खस आर्यों की शाखा जरूर थी लेकिन उनकी सामाजिक पद्धति बौद्ध संप्रदायों की अलग-अलग शाखाओं से थी।
शंकराचार्य और उनके बाद ही यहां का धार्मिक इतिहास बदलता है, इतिहासकार उस विषय से बच निकलते हैं।
बाकी सब ठीक है।
Rightly said, historians must study the Shamaniac culture and pre Buddhist era before Shankaracharya, They must also study Bajrayaan and Tantrayaan branch of Buddhism before reaching to any conclusion. These historians are cut copy and paste versions of each other. It is clearly mentioned by BD Pandey and Etkinson that before Shankaracharya most of the priests were buddhism oriented.
बुद्धिज़्म से संबंधित शब्द समझ नहीं आया ...अगर आप किसी भाषा का जिक्र करते तो सही रहता
Uttrakhand m kbhi Buddhism tha hi nhi
@@mr.nickey8517 padhai likhai karo .....fir comment kro
@@mr.nickey8517Thaa. Tabhi to Uttarakhand k kayi log Mongloid jaise dikhte hai. Dna test saabit krte hai ki Uttarakhand k logo ki mtdna 10 to 50 percent Tibetan heritage s hai. Y Budhism time m hi mix hue the.
I am khasas from ranwai valley
Pelu
@@Astrog000 pelu means
Same bro jaunpur tehri
@@अवेदिक_खस_काल011 Me too. Proud that Rawain valley always protected its Khas heritage and didn't run away from their true identity like other parts of garhwal kumaon.
@@KhaasLog2023 garwali aur kumauni agar khas bne rhte to Uttarakhand ka ye haal na hota abhi
Can you recommend few books to understand himachal, uttarakhand history
Conclusion:- iss video mai saare log hi khas h 🤣🤣
Katoch shekhar pathak kab se khas ho gaye
@@अवेदिक_खस_काल011mixed toh huhe hai, agar aisa toh tum log ek kaam karo maidani logo ke sath rishtedari karo, khas_brahman aur khas_rajput main rishtedari kyu karte ho ?
bahut sunadr video thanks for historians jinhone vistar se hamare itihas ke bare mei bataya aapki puri team ko badhai
Amazing Documentary.
kashmir is named after khas or khus tribe
Yes Later it was sanskritised by brahamans to relate everything to them and their mythical characters and stories, but they forgot to Sanskritise Pamir Mountain, Mir Word is common there
महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धक जानकारी
All Himalaya areas will be a country independent of india
No! We are proud Indians.
@@superboy3633 nahi me to nahi hoon piroud Indian
Aur wese bharat ne hame istemaal hi kiya h
Isse achha to british ka time tha Uttarakhand ke liye
@@ulog2340Bhai British ek no. K madurch*t the.
@@superboy3633bjp aur congress se to sahi hi the aur tu apna hi comment like krna bnd kr de bhai
Brilliant 👍
खश/खस/खशिया/खसिया/खस्या/खौश/खौशिया/खशीर
कश्मीर शब्द भी यहीं से निकला है।
@@Thehighlandss5-8 कसिया
@@KhaasLog2023Haa sahi khaa ekbaar Gilgit Baltistan, Nuristan walo ka culture dekhna dhol damau or hlki pulki language bhi milti hai humse
Pure khash Jaunsari, Rawain, Jaunpur, shimla sirmour k loog hai.
Haan garwali kol + kirat + khas mix h
aur kumauni khas + kirat
wese Himalayan belt ke majority log hi khas h
Nepali ke khas Brahmin bhi lg bhag pure hi h
@@ulog2340 lol no
Garhwal or kumaon me tumhe khash + kirat + kol minority me milenge 7_8% baki jo bache h vo khash he but utne pure nhi baki bache khash +kol h majority me
Or Jaunsar, sirmaur & shimla vale bhi purest khash nhi h ha but aj k time sbse pure me se ek h or vo bhi khash+ kol hi h bs percentage matter krti hai!
@@ulog2340nepal ke khas sbse mix h chahe brhamans or ya thakur or vo khas bhi nhi h vhake brhamans migrated bhi hai unhe khash nhi bol skte vo vese bhi khudko plains se jodte h
@@Prey445 nepal ka khas Brahmins koi nahi jodta apne aap ko plains se
Nepal me kaafi tarah ke Brahmins h me khas ki baat kr rha hoon sirf
Aur tu apna naam to bta
हिमाचल प्रदेश में आज भी खश,खशीया, खूंन्द खशीया कहलाना गर्व की बात हैं।
खश इंडो युरोपीयन भाषाई समूह की एक शाखा पूर्वी ईरानी भाषाई समूह से निकले हैं।
इंडो युरोपीयन भाषाई समूह की वैदिक आर्य शाखा से यह अलग हैं।
हिमाचल प्रदेश के शिमला, सिरमौर, किन्नौर जिलो में मान्यता हैं कि खश लोगों ने महाभारत के युद्ध में भांग लिया था। अधिकांश खश कबिलो ने कौरव पक्ष और कुछेक खश कबीलों ने पांडव पक्ष का साथ दिया।तब से खश लोग शाठी और पाशी दो दलों में विभक्त माने जाते हैं।
jo mahabhart serf kahani hai usmai bhag liyai thai ? bamno ki banayi kahdaniyo maasani sai biswas kar laitai hai .
@puransingh-mf5nt नहीं, यहां सिर्फ उल्लेख किया गया है, विश्वास नहीं।
पौराणिक ब्राह्मण ग्रंथों में खश जाति का कहां,कैसा उल्लेख किया है वह बताया गया है।
दूसरे यह कि हिमाचल प्रदेश में खश जाति के लोग अपने को पांडव और कौरव दल में युद्ध करने वालों के वंशज मानते हैं।
तो फिर इसमें अखरने वाली बात क्या है।
ब्राह्मणवाद का विरोध करने के लिए भी तो ब्राह्मण ग्रंथों को आधार बनाया जाता हैं।
100% real history.
Khasho k baare m jaha tak baat h khash Jammu Kashmir, Himachal Pradesh, Uttarakhand or nepal tak faile hue h khasho ka kaafi purana itihas raha hai or ek baat or hai ki Khash meghalaya ke khasi janjati logo se kaafi alag h kai itihaskaro ne khasho k sandarbh me jab kassites ki baat ati h to meghalaya k khasi ka bhi ulekkh krdia hota h jo ki galat h sirf naam k spelling words k karan ye confusion bana h unke bich
Uttrakhand kay itihas ki acchi jankari dee gai hey
कोई गुर्जरदेश राजस्थान से आया हुआ 36 नस्लों का मिक्सब्रीड दिखा नहीं यहां
ओशो कहते है कैलाश मानसरोवर में 500 बोध सिद्ध हमेशा रहते हैं..तभी तीर्थ है..
हमारे देवी देवताओं का वास Hya Gangri (Mt.Kailash) है..
एक ही गांव में काफी सारे देवी देवता है.. सभी बली नही लेते..और ज्यादातर स्यांगसै ( देवो के देव ) कभी बली नही लेते..
ब्यास घाटी, धारचूला, pth उत्तरांचल
This mf Source is Osho😂
शानदार
Jay Ho
जौनसार बावर क्षेत्र खस/खश/खौश बाहुल्य क्षेत्र है।
@@MountainZone-r4u Even Rawain, also.
@@KhaasLog2023also jaunpur
Kumaun bhi🎉
Sbhi garwali aur kumauni rajput Brahmins bhi yhi h bs apni pehchaan chupate h 🤣🤣
@@superboy3633 garwali aur kumauni logon ka hi shauk h apne aap ko rajasthan ka bta na
Thanks for bringing this video...lots of rich info..❤
People in my family have traces of all the above races:)
Wow excellent
पश्चिमी नेपाल बेल्ट मे पुरी खस जाती बसी है अभी भी।
Himalayan belt ke majority log khas hi h
Western Himalayas m jyada Khas hai.
कुल मिलाजुला कर उत्तर का सारा पहाडी बेल्ट हिमाचल का पहाडी क्षेत्र से सिक्किम के पहाडी क्षेत्र तक भाषा बोली का समाभेष अभी भी देखने को मिलता है जो भारत के मैदानी क्षेत्र के बोली भाषा पहनावा से भिन्न है। पश्चिमी नेपाल का सारा बेल्ट मे खस जाती के लोग बसे है।
❤❤❤❤
❤
Nice
Katyuri uttrakhand ke subse purane log h...😊
कत्यूरी कोई रेस है क्या ..जो मन में आया बक दिए.. खसों से निकले है कत्यूरी
Kol and kirats are old natives of uttarakhand then khas ( caucasian and Iranian type race ).
mai khid khas jati sa hu .I am from nepal
Rachna I really liked the whole of the documentation of the film. Very much relevant and fruitful!! Congratulations!
many of the views are correct but why they were called inferior It is becoz disobedience to rules and regulation during the processs of sanskiritization in society. when the process of sanskitization of society begins in main land by Manu
these poeple were freedom lovers and they donot want to be bound by strict laws of the Manu Samirtis hence they were called out laws. Khasyas of Juansar bawar are still strongly defending their ethics and values
Yes but also Khas people eat a lot of meat, marry without Nakastra stuff😅 does animal sacrifices, beleive in Jagars, does nature worshipping,etc which makes us inferior from them(only in there 👀).
@@superboy3633But we forced them to follow our rituals, then they also became mallech for us
@@अवेदिक_खस_काल011maleech nahi vartiya hai hum lol 😂
@@Khas_pahadi1708 mallech bhi likha he kahi kahi....tabhi to aapke garhwal ke panwar aur kumau ke chamd.....nepal ke rana shah.....aur himanchal jammu ke rajvansh convert hue
Yes, just because we had a separate culture with our own rules which gave much freedom to our people, they called us Mleccha/Vratya etc.
This is wrong in so many ways. It's a pity that our hill culture is still being destroyed in the ongoing process of sanskritization.
हयात सिंह से हयातराम बनना ही जातीय उच्चीकरण है, "राठ समुदाय" से हूं लेकिन features से खस से ज्यादा mongoliad लगता हूँ,
आप किरात के साथ mix हुए फिर
Rath Or chamoli ki adha chandpur patti Or mainly khansar patti 80% log mongoloid face structure hai Or vo log baki uttrakhand walo see jyada powerful hai, migration bhi low hai vaha pr
Kirat features bolte h usko jo sharp eyes with archery k liye jaane jaate the
@@अवेदिक_खस_काल011Chamoli, Uttar Pithoragarh,Uttarkashi(Tibetan border) wale Khas jyada Mongol dikhte hai. Bhotiya or Tibeti logo k saath mix hue the.
@@newtecho047Kaise powerful Mtlb?
सनातन हिंदू अनंतकाल से - जल वन अग्नि पृथ्वी सूर्य चंद्र वायु पितृ भगवान के रूप जीवंदाता हैं ; पितृ सेवा और कठिन तप करेंगे
पाखंडी ढोंगी और स्वार्थ हिंदू - हमेशा पाप करेंगे और मंदिर जाके मुक्त हो जायेंगे
जल वन पृथ्वी वायु गंगा पितृ को नस्ट करेंगे और मोटे बाबा की सेवा करेंगे
Sir Uttarakhand me negi Bisht gusain ya sb bhi khas hai yni
Haan Rajput Brahmins khas me hi h
Kuch 5 se 7 percent ke siwaye
Aur baaki log shilpakar me aate h
Aur kaafi rawat negi bisht khas aur kol mix bhi h
@@ulog2340 koli Rajput Uttarakhand me koliya vansi khstriya hai per khas nhi hai
@@ashishsingh2005-k1f Uttarakhand me rajput hote hi nahi h
Khas kol kirat hote h
Ye vanshaj wali baat Uttarakhand me nahi chalti 😂😂
Rajput hai sab
@@Starr_Lord khas h naa ki rajput
हमारे पूर्वज झांसी क्षेत्र से आए थे
हम लोग खस नहीं है
बाकी आप लोग अपना देख लो
हम जागर और हरेला नहीं मानते।
Tuje pucha kisi ne kya he tu....tu deshi shudr ka vansaj he
बसेरा कत्यूर रैका खस के वंशज है ,भाई तुम एक भी प्रमाण दिखा दो की बसेरा झूसी के राजपूत हैं में 1 लाख नकद दूंगा। जेनेटिक रिपोर्ट्स से लेकर साहित्यिक/ ऐतिहासिक/अभिलेखीय प्रमाण कुछ भी। बसेरा सबसे ज्यादा मंगोल लगते कुमाऊं में और आए झूसी से ,क्या बात करते हो? और विवाह भी मेहरा,कार्की,भैसोड़ा खसिया जातियां में करते ,राजपूत आज भी खस में विवाह नहीं करते
ऐतिहासिक प्रमाण आज के फर्जी इतिहाकार के नहीं ,कम से कम 200 वर्ष से पहले लिखा हुआ की इतिहास
@@RaghuvanshiKshatriya प्रमाण तो चंद और पंवार के भी नहीं है बाहर से आने के क्या वह भी किरात या खस नस्ल के हो सकते है
@@अवेदिक_खस_काल011 bhai pawar aur chand khas thokdar me shadi haall tak nahi karte the, aur 400 ya 500 saal pahle unki raajwaliyan hain unme unka origin likha hai.
@@RaghuvanshiKshatriya rajawaliya kya hua...vanshawali bolo....vanshwali tum bhi bna do kahi ki bhi...lekin uska saboot dena padega....1400 isvi ke bad sab apne ko bahar se aay bol rhe he ...jabki 1400 ke bad hi 5 % migration hui he bahar se.....
Gufff
“And now, we see a number of ill-informed students rallying behind this video, seemingly convinced that they don’t belong to the Sanatan tradition. Misguided by a lack of understanding, they appear to overlook the depth and richness of their own cultural roots, aligning themselves instead with a narrative that disparages what they perhaps have yet to truly comprehend.”
Sandy bhai ek baat batao aapke purvaj rajasthan se aaye h ? 😂😂
Abhi to kuch nhi dekha h tune ek din esa ayega yha jitni lindu murtiya sb htegi
@@Prey445 tu kahan se h ?
@@ulog2340 uttarakhand se hi hu ab mulla mt bol dena 😂 ye andvishvash htana he khasho me se
@@Prey445 are kis side se h aur naam kya h
Ye to bta de
मै उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र के खास पटटी से हूँ ओर एक समय हमें खसियों के नाती बोलकर चिढाया जाता था ओर हमे बुरा भी लगता शायद इतिहास पता नही था इसलिए हमे बुरा भी लगता था।
@@VijayChauhan-e3n apane aas paas goan walon Ko bhi btao bhai wo asliyat me khas h naa ki rajput
Waise me uttarkashi se hun, par maire dada tehri ghansali se hai. Me bhramin hun, par mujhe poora vishwas hai hum bhi khas he they, hamarey naak nakse khas se jada milte hai. Kya pata wo phele he hindu ban gaye honge...
Jo chidane ke liye bolte the wah bhi khasiya hi the....unhe agar jyada jyada hi ghmand he agar apna maidan se aane me to apna dna check kraye ...hamse milega🥴🥴🥴 mandbuddhi logo ko pta hi nahi tha ki khas ek race he na ki inke varn vyastha ki koi jati
@@ayushpainuly4530khas kale ,sawale ,gore aur mongolid bhi dikh skte h bhai
Aur Pauri ke garwali ko dekho ge wahan kaafi log khas kol kirat mix h
@@ayushpainuly4530 aur Uttarakhand ke 90 percent Brahmins aur rajput khas hi me aate h ya khas mix h
🎉🎉👏👏
After 20 minutes of the video , the real history of uttarakhand lies. The current Hindu Dharma is nothing but a changed form of various sects of Buddhism like Mahayaan, Tantra yaan, Bajrayaan , Gorakhnath parampara etc. Later Brahamanism misguided the whole community and started ruling under the disguise of Hinduism.
That is not
Before mahanayam Buddhism other religion exist jo time ke saath gayab ho gaye
Bhai what do you think tantra and ghorkah nath or buddhim come from ? Iq mai dikat hai kya
बौद्ध धर्म से पहले इस महाद्वीप के लोग शमन परम्परा का पालन करते थे, जैन भी उसी परम्परा से संबंधित थे। सम्राट अशोक के साथ, बुद्ध की शिक्षाओं ने धर्म का रूप ले लिया, बुद्ध ने कोई बोध धर्म शुरू नहीं किया था , उन्होंने मनुष्य की प्रकृति ( मैत्री, करुणा और ज्ञान ) को धम्म के रूप में समझाया, उनके नाम पर उनके शिष्यों ने बोध धर्म शुरू किया। जैसा कि अन्य लोग सोचते हैं, आप भी इस मत के होंगे कि वैदिक धर्म बुद्ध से पहले भी मौजूद रहा होगा, जैसा कि अधिकांश इतिहासकार बिना किसी प्रमाण के लिखते हैं। लेकिन यह सच नहीं है, बौद्ध धर्म से निष्कासित और बेईमान बमन/भिक्षु (जिन्हें अब ब्राह्मण कहा जाता है) ने बाद में शंकराचार्य के साथ ब्राह्मणवाद और वैदिक परम्परा शुरू की, इसलिए उन्हें प्रच्छन्न बोध कहा गया।
Jaake padhai kar bhimte
Bhai kya kar rhe ho?? Aryan Theory kbka global platform pe galat btao hui hai.. Aap indirectly pahadi ko alag identity de rhe ho... Ye alag category nikaalne ki kya hi aavashyakta h i dont see the need
आर्यन migration theory is fake theory, इसके tthousands of prof है,
इनमें से एक profe DNA 🧬 veriations का है।
Heplogroup r1a1
R1 a1 gene kaha se aaya pir?
BJP/RSS ke whatsapp par post daalne se history nahin badalti hai 😅
Aryans kabhi aaye nahin the to Khas logon ka genetic makeup Caucasian jaisa kyun hai? Pure pahadi logon ki shakal kisi average UP Bihari aadmi ki shakal se nahin milti.
Lol. Fr aa gye apni pe, Aryan theory ko BJP se jodne vale😅😅 bhai tujhe India ke bahar ka hone ka itna hi shauk h to mze se ho... But ye tuchiyaape binda research ke logo m mt faila... Jaake aryan theory or out of India theories pe kaam krle... Global level pe human migration pe BJP comment nahi krti...
In Nepal 90% brahmin kshetriya and Dalits are khas
Dalits khash nhi h brahaman or chhetri hi khash h or usme bhi jruri nhi h ki saare chhetri surname lagane wale khash ho or kai saare brahamn khash h nepal m Doti kshetra m jyada h khash west nepal m
Dalit Bhai khash hai Nepal me jyada tar same same dikhte hai Up Bihar ke Brahman se jyada fair Nepal me dalit hai,😂😂@@MountainZone-r4u
@@MitraAdhikari-o4m Nepal, UK, HP, Kashmir people are always fair than average UP-Bihari.
@@MountainZone-r4udidda k baare m search krna lohara dynasty khas lohars ki Dynasty Kashmir m
Khas mostly Nepal m west(Doti) k hi hai baaki Kathmandu side k mix hai.(kirat+Kol jyada hai unme).
Uttarakhhand ke devta hindu devta ke baap hain
उत्तराखंड के लोक देवता वह हैं जिन्होंने हमारे पूर्वजो की रक्षा और न्याय किया और करते रहेंगे
जैसे गोल्जु ऐड़ी मलेनाथ हरु सैम...
तीलू कफ्फु नंदा देवी गौरा देवी उत्ताराखंड राज्य हुतात्मा सभी देवता हमारे रखवाले और पूर्वज हैं
Shaman Culture
बिल्कुल
Is brahman dharm ne yhan kabza kar rkha
@@MountainZone-r4u yup,,shamans
Gawar hai kya ??
Dr katoch ji ki 95% khash wali baat thodi glt ho skti h kyuki khasho k alawa kol kirat logo ki bhi badi abadi h uttarakhand Mai
कोल भी अपने है, किरात भी अपने है, खास भी अपने है, सब एक है
@@Tarajumai आज के कोल और किरात sc में आते हैं और उन्हें शिल्पकार कहते हैं ।।।
हमारी जाति के लोग ढोल सागर , जागर , तंत्र और शिल्पकारिता में माहिर होते हैं ,,
हम सिर्फ निरंकार,,भैरो ,, नंदा देवी आदि शक्तियों की पूजते हैं।।।
@@Ssccgl-p5hKirat nhi. Kirat mogoloid hote hai. Or aaj k S.c. m bhi Khas blood bhi hai. Blki lglbhag sab Pahadi communities m Khas blood hai. Pure Kirat aaj k Boksa Tharu log hai par vo log bhi Bihari logo k saath mix hai.
40% Khas, 40% Kol and 20% Kirat. I think
@@superboy3633 जब कोल किरात और खस उत्तराखंड की नही बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी जनजाति में से हैं और भूतकाल से साथ में रह रहे हैं ,तो। भेदभाव और जातिवाद कैसे और क्यों होता हैं???
हिमालय के खश , ही चीन के पास नेपाल के पास, ब्रह्मा के पास ही अधिक हैं । इतिहासकार के दराति अपने हित के लिए आती है । अतः इन सभी देशो के खशों का डी,एन, ए, का मिलाने करो , देखें , R1 - A1 आता है या नही ? दूध का दूध और पानी का पानी दिख जाएगा ।
Himalaya ke khash sampoorn Himalayan kshetra me hai Jammu Kashmir, Himachal ,Uttarakhand, Western Nepal .
@@THEHIGHLANDERS-vc8wo Yes, I don't know what Mayaram-z9k is trying to tell. Khasas/Kassites have ben ruling the Himalayas since ages.
Unka bhi dna karo jo apne ko maidan se aaya bolte he...fir maidan ke us jagah ka dna bhi kra jha se yah apne ko aaya bolte he
Khas literally means Caucausian.
कृपया इस प्रकार के वृत्तचित्रों से दूर रहें जो लोगों को जाति, पंथ और रंग के आधार पर विभाजित करते हैं, CIA भारत में रंग क्रांति शुरू करने का प्रयास कर रही है
kaise . ?
Yah aapke hi पूर्वजों ka kiya dhara hai sab
Waah beta, ek din sach to saamne aana hi tha. Aaj aa gaya hai. You can just cope now.
But you should accept the truth bcoz in the end the truth sets you free.
ब्राह्मण भारत से ही पहाडी क्षेत्रमै घुसे थे।
Not true. Mostly Brahmins in my area look like pure Khas(Caucausoid)
@@superboy3633Yes but our Khas Brahmins didn't follow what desi brahmins did. It's over a long time that now even Khas Brahmins follow all the system of desi brahmins.
@@KhaasLog2023Yes well said. Khas Brahmins also eat meat but plains ones don't even touch it.
@@superboy3633yahan ke log suar , heeran tk khaate the abhi bhi kahi log kha lete h 😂😂
Hum to caucasian hai waki aap apna dekho 😂
Gupta kab se Khas ho gaye bhai. Only Khas people have Caucasian origin. Aap kaunse region se ho?
@@KhaasLog2023 mene khas kaha hi ni m khas hu mene caucasian ka i.e. indo Aryan
Waki khas primitive caucasian h or kuch log inhe doyam jati ke caucasian khte h
Bania hai tu. Who bhi south west Asia ka. Caucasian bata raha
@@AncientXCivilizations ha be bania hu jinke yug ko tum log स्वर्ण युग ke naam se jante ho or sun tu colour ki baat jaanna chah ra h tu tre se saaf hi hoga
Batoge toh katoge bas yogi ji ki baat yaad rakhna 🙏
इससे ये साबित भी होता है कि उस समय में कोई वर्ण व्यस्था नहीं थी। परंतु ख़शों को खश ब्राह्मण और खश राजपूत बनना क्यों पसंद है? ब्राह्मण तो वर्ण है?
Khaso ki priest class ko बमन bola jata tha brahman dharm अपनाने se pahle se hi....aur warrior class ko rajanka bola jata tha
@@अवेदिक_खस_काल011 और श्रमण किसे ? वेदों में खश को म्लेच्छ क्यों कहा गया?
@@letuscube5096 wah isliye ki jo bhi vaidik brahman dharm ko follow nahi karta tha usko vaidik brahmano ne mallech likh diya tha....jese aaj koi khas ek dharm granth likh de aur usme vaidik dharm follow karne walo ko mallech likh de
@@अवेदिक_खस_काल011jaise muslim hinduon ko kafir bolte hain
@@अवेदिक_खस_काल011bhai brahman dharm konsa aya hai market mai ........sanatan dharma hai tum log kuch bhi bakne lagte ho
Ham log khas nahi hai
Ham panjab se aaye the
Tum jaiso ke wajah se desi sir chadd gaye hai
Naam me bisht aur keh rha h punjab se aaye the 😂😂
🤣🤪. Kya joke mara hai!! Iq level-170
अंजू बिष्ट! पाकिस्तान वाले पंजाब से आयी हो! पासपोर्ट पर या "डंकी" प्रोफाइल के साथ🤣🤣🤣
Bisht tum kon se kul se ho rajput ke
Uttrekhnd of part of nepal because same people same culture
Uttarakhand nepal ka part nahi h
Tumhara khas Brahmins khud garwali aur kumauni origin ke h
Nepal khud 17th century concept h. Tum mongol se mix breed nasal konse delusion m hou😂
Nepal was part of Kumaun for 800 years.
Read about Katyuri. modern Nepali language is born from Katyuri Khas(Old Kumauni).
@@ulog2340 Uttarakhand was part of Nepal but British gave it to India when they left India
“I must say, I am utterly opposed to this video, as it appears to draw upon references and citations rooted in historical narratives crafted by left-leaning liberal groups. These groups, it seems, are intent on undermining the very foundations of our Sanatan society. The selective portrayal of history serves only to distort and challenge the enduring values that define our cultural heritage and way of life.”
if you have objection on scientific evidences you should put forwad your based on scentific evidence .
Its u not them who are filled with preconceived opinion. Read genetics of Indians. Its 30-40% are of original migrated of Africa other 30-40% are of Iranian farmers and the rest 10-20% are of Aryan genes depending on north to south and caste wise.
@ I think you are eating left oriented history fucking whole day bro …..
Dna evidences- Are we joke to you?🤣
@ tu ja re tere se pucha 😂😂😂
उत्तराखंड में ब्राह्मण, 'खस' शब्द को क्षत्रियों के लिए एक गाली की तरह क्यू प्रयोग करते हैं ?
Uttarakhand ke Brahmins khud khas h
Kyuki tum gaali k jese lete ho!
Hacktivist bhai.....
1000AD तक हिमालय में लोग शमन धर्म, नाथ पंथ, बौद्ध धर्म इत्यादि को मांन रहे थे,,,यही वह दौर था जब बौद्ध धर्म भारत भूमि से लगभग पतन पर था,,,,समय समय पर बाहर से आए विदेशी जाती के चालाक लोगों ने बुद्धिज़्म का बमन शब्द चोरी किया और देशी प्रीस्ट क्लास के साथ एक संघ बनाया और अपने को ब्राह्मण घोषित किया,,,,अब इनका उद्देश्य ब्राह्मण धर्म की वर्ण व्यस्था को पूरे भारत पर थोपना था,,,,इन्होंने मध्यकाल में राजस्थान में विभिन्न नस्लों हूण, शक,कुषाण ,और भारत के राजाओं के वंशजों (यह आज शुद्र जाति में है) से एक संघ बनाया और इन्हें क्षत्रिय जाति बनाया,,,,अब धीरे धीरे तत्कालीन जो राजवंश अपनी वंशावली इन राजवंशों से जोड़ देता था वह वैदिक क्षत्रिय हो जाता था,,,1400 ईसवी के आस पास यह गंध हिमालय क्षेत्र में आई ,,,यहां के सभी राजवंश का वैदिककरण किया गया और उन्हें vratya kshtriya,,mallech (यह शब्द उन्होंने अपने धर्म ग्रंथों में खस के लिए लिखे है क्योंकि खस वैदिक धर्म को नहीं मानता था) से वैदिक क्षत्रिय बनाया गया,,,अब जो राजा के रिश्तेदारी में लोग थे वह तो वैदिक राजपूत बन गए जो नहीं थे वह खस राजपूत बन गए,,,,ठीक इसी प्रकार खस से खस ब्राह्मण बने,,,अब धीरे धीरे इन अपने कन्वर्टेड लोगो ने अपनी ही खस पहचान को अपने से छोटा बोलने लगे क्योंकि कन्वर्टेड लोग खतरनाक होते है इन्हें अपनी कट्टरता को सिद्ध करना होता है,,,,
लेकिन में उन अपने पूर्वज का शुक्रगुजार हु जिन्होंने अपनी खस पहचान जो बनाए रखा
वैदिक बनने से पहले खस जाति में नहीं बल्कि वर्गों में विभाजित था जैसे ठक्कूर वर्ग वॉरियर , पूजा करने वाला बमन या पुजारी, रूलिंग वर्ग रजनका कहलाता था,,,,और बौद्ध ग्रंथों के अनुसार खस खतिया कहलाते थे,,,,
@@ulog2340very true .
@@अवेदिक_खस_काल011very true . the foundation stone of sanatan was budhism .
Binser sauni wala nhi h bhai binser ek deghat k upar h paudi gadwal m aata h jiska naam bindeshvar mahadev b h us binser ki baat ho rhi h ye sauni binser to maniharo (muslim) k baad ka h pahle bda nhi simple tha baad m mohangiri aaye tab bana h maniharo ki Jamin or unki masjid hamare pas h masjid to ni h lekin wo jagah hamare paas h. Sauni k top m samne jo dikhta h whi
Tum desi ho yaha waise bhi tumhare baat ni ho rahi
Matalab duniya tum shuru howa hai I don.t believe you
Ha uttarakhand ki duniya kol khas kirat ki he
Pure Himalayas ki duniya khas kirat monglolide se related he 😊😊@@अवेदिक_खस_काल011 baki desi chamaro ko kya pta bc 😂
@@अवेदिक_खस_काल011 pure Himalayas ki duniya khas kirat mongolide se hi he 😊😊
Garv se kaho hm khas he 🫂🫶
@@All_Gaming_10000 khas kol kirat
@@अवेदिक_खस_काल011 bhai yay division bhi badi khatara naak chi hai phelay hen itnay divide hain abb nay trend ayega yay khas khol kirt ka jese aryan or nom aryan ka tha firr khas bolenagy ki hum superior hain humnay khol kirat ko haraya or vibhajan hoga wese hen itna division hai or hojaega maje anay walay hain it will be very easy for the polatical fellows
Nice