कर्ण ने सुनाई अपने सुत पुत्र के कहलाने के पीछे की कथा | महाभारत एक धर्म युद्ध

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  • Опубликовано: 10 июл 2023
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    कर्ण दुर्योधन को बताता है की वह सुत पुत्र नहीं हैं। दुर्योधन कर्ण से पूछता है की तुम्हें ये कब पता चला तो कर्ण उसे बताता है की जब हम सब रंगशाला में अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुरधर होने की उपाधि दी जा रही थी तो तब मैंने अर्जुन से द्वन्द युद्ध के लिए ललकारा था। लेकिन उन्होंने मेरा परिचय मुझसे माँगा तो मैंने उन्हें बताया की मैं परशुराम शिष्य कर्ण हूँ तो मुझसे ये पूछा गया था की मैं किस राजा का पुत्र हूँ या किस राज्य का राजा है। तो दुर्योधन ने उस समय कर्ण की वीरता का सम्मान करते हुए उसे अंग देश का राजा बना दिया था। कर्ण का पिता आकर कर्ण को उसकी हट से हटने के लिए समझाता है। भीम कर्ण और दुर्योधन का अपमान करता है। जिस पर दुर्योधन भीम से कहता है की शूरवीर का सम्मान करना सीखो। कर्ण भीम को जवाब देता है की मैं एक सुत पुत्र हूँ और मेरे पिता का नाम है अधिरथ और माँ का नाम राधा। कर्ण अपने पिता के प्रति अपमान जनक शब्दों का बदला लेने के लिए अर्जुन से द्वन्द युद्ध शुरू करने के लिए कहता है।
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