निष्कर्ष नही देने वाली प्रसाद की बात के बारे में सहमति है।प्रसाद जीवन मे स्त्री की उपस्थिति से रजत मार्ग दिखाना चाहते हैं,यह कहकर नारी को जीवन का केंद्र मानने वाली बात बहुत अच्छी लगी।त्रिपाठी जी ने भी बहुत सही निष्कर्ष दिया।दोनों को धन्यवाद।
महाप्राण और प्रसाद जी दोनों ही महान् प्रतिभाएँ थीं ।निराला जी को रामविलास जी जैसा समर्थ आलोचक मिला पर प्रसाद जी इससे वंचित रहे।आदरणीय विजयबहादुर सिंह जी कदाचित् हिंदी आलोचना की उसी उपेक्षा का परिहार कर रहे हैं।
आप दोनोको बहोत बहोत नमन
कामायनी पर यह दिव्य चर्चा आप दोनों के मणिकांचन योग से ही संभव हो पाई।
मुझे आप जैसे विद्वान जनों की तलाश थी।
Woooooooowwwww
सुन्दर संवाद ।
निष्कर्ष नही देने वाली प्रसाद की बात के बारे में सहमति है।प्रसाद जीवन मे स्त्री की उपस्थिति से रजत मार्ग दिखाना चाहते हैं,यह कहकर नारी को जीवन का केंद्र मानने वाली बात बहुत अच्छी लगी।त्रिपाठी जी ने भी बहुत सही निष्कर्ष दिया।दोनों को धन्यवाद।
आप दोंनो को प्रणाम
कामायनी और भारत की अस्मिता विषय पर बहुत अद्भुत चर्चा व नवीन जानकारी प्राप्त हुई, आप गुरुजनों को कोटि कोटि नमन् वंदन, बहुत धन्यवाद
Pranam sir
बहुत ही लाभपूर्ण और सुंदर चर्चा।😊
धन्यवाद।
बहुत ही अद्भुत।
महाप्राण और प्रसाद जी दोनों ही महान् प्रतिभाएँ थीं ।निराला जी को रामविलास जी जैसा समर्थ आलोचक मिला पर प्रसाद जी इससे वंचित रहे।आदरणीय विजयबहादुर सिंह जी कदाचित् हिंदी आलोचना की उसी उपेक्षा का परिहार कर रहे हैं।
Agar Kamayni ka English m translation ho jata to Geetanaji k Saiman (Like ) Jai shankar Prasad ji bhi Noble k hakdar hai.