कामायनी और भारत की अस्मिता राधावल्लभ त्रिपाठी की विजय बहादुर सिंह से बातचीत। Kamayani

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  • Опубликовано: 23 ноя 2024

Комментарии • 38

  • @RinkiChandra-y7r
    @RinkiChandra-y7r 10 месяцев назад +2

    AAP dono ki baatchit kamayani ki samiksha bahut bahut sarahniy hai.🙏🙏🙏🙏🙏

  • @JITENDRAKUMAR-ok1vo
    @JITENDRAKUMAR-ok1vo Месяц назад

    कामायनी पर विमर्श से स्रोता बहुत समृद्ध हुए।उसे समझने की नयी दृष्टि मिली।

  • @praveenpandya79
    @praveenpandya79 10 месяцев назад +3

    विजयबहादुर सिंह जी भारतीय मेधा और प्रज्ञा के आचार्य हैं। जितनी गहनता से आचार्य ने प्रसाद और कामायनी को समझाया है, वह दुर्लभ है। वंदन है इस तरह के श्रद्धेय आचार्य को।

  • @professorraviranjan7574
    @professorraviranjan7574 2 года назад +2

    'कामायनी' के इस बहुत ही महत्त्वपूर्ण विश्लेषण के लिए आदरणीय विजयबहादुर सिंह जी को साधुवाद।

  • @sumitaojha1883
    @sumitaojha1883 Год назад +1

    बहुत ही सारगर्भित और महत्वपूर्ण चर्चा। कामायनी के प्रति दृष्टि को नया विस्तार मिला। आप दोनों विद्वजनों को मेरा नमस्कार है।

  • @shashiprakash5693
    @shashiprakash5693 4 года назад +2

    बहुत महान विमर्श।कामायनी कुव्याख्या की शिकार हुई।भारत के चित्त की और चेतना की व्याख्या है यह कृति। विजय बहादुर सिंह हमारी हिंदी जाति के अवचेतना के श्रेष्ठ प्रवक्ता और आचार्य है।यह व्यख्यान मैं हिंदी के प्रत्येक अध्यापकों से सुनने का प्रस्ताव करता हूँ।

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 Месяц назад +2

    मेरी दृष्टि में भी प्रसाद ही प्रथम राष्ट्र कवि हैं।❤❤

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 Месяц назад +1

    बहुत धन्यवाद सिंह सर जी👏👏

  • @neelamrishi9205
    @neelamrishi9205 10 месяцев назад +1

    बहुत सारगर्भित एवं नवीन दृष्टि से किया गया आकलन।

  • @raghuchy6157
    @raghuchy6157 11 месяцев назад +1

    अद्भुत चर्चा, बहुत बहुत साधुवाद !

  • @Dp30-e1q
    @Dp30-e1q 3 месяца назад

    बहुत ज्ञानवर्धक चर्चा रही। चर्चा के आरम्भ में गाँधी जी का कथन कि उन्हें अँगरेज़ों से नहीं अँगरेज़ियत से नफ़रत है, गम्भीरतापूर्वक विचारणीय है। आज तो हर क्षेत्र में अँगरेज़ियत ही हावी है। सॅर की व्याख्या मौलिक है।

  • @Graceofgod01
    @Graceofgod01 11 месяцев назад +2

    Kamayani , aansoo by jayashankar prasaad ji , is kept in my possessions since my childhood..

  • @vishwanathmishra8524
    @vishwanathmishra8524 Год назад +1

    कामायनी पर बहुत सुंदर विश्लेषण सबसे अलग विमर्श

  • @Chandrabhan-bn6qh
    @Chandrabhan-bn6qh Месяц назад

    बहुत सुन्दर। दोनों विद्वानों को सादर प्रणाम🎉

  • @ramajiray8164
    @ramajiray8164 16 дней назад

    Dhnebad

  • @jitendraKumar-cw2yv
    @jitendraKumar-cw2yv 2 месяца назад

    कामायनी को समझने के लिए सुंदर विमर्श

  • @parvatikumari-r4p
    @parvatikumari-r4p Месяц назад

    🙏🙏🙏👍👍

  • @mkt452
    @mkt452 2 месяца назад

    kamayani ko is tarah se dekhana ....adwitya hai..... bahut sundar sir

  • @mindrechargerwithghanshyam3409
    @mindrechargerwithghanshyam3409 Месяц назад

    कामायनी मानवीय सभ्यता का मार्गदर्शन

  • @monishagaud1763
    @monishagaud1763 3 месяца назад

    बहुत कुछ जानने और सीखने को मिला। एक नए दृष्टिकोण और साहित्य के बहुत से पहलु खोलने के लिए धन्यवाद ✨

  • @abhishekkumarmishra9902
    @abhishekkumarmishra9902 Год назад +1

    बहुत ही सुंदर विश्लेषण I

  • @suryanathsingh8098
    @suryanathsingh8098 4 года назад +1

    बहुत उपयोगी विमर्श।

  • @ranjanaargade2008
    @ranjanaargade2008 4 года назад +2

    कामायनी के स्त्री पक्ष को बहुत अच्छे से उठाया।

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 Месяц назад +1

    प्रसाद का नाट्य सृजन बिल्कुल नया आरंभ था।

  • @lucky-lu6vu
    @lucky-lu6vu 4 года назад +1

    बहुत ही ज्ञानवर्धक 👌

  • @atheistnothing5039
    @atheistnothing5039 10 месяцев назад

    राधा ❤❤❤

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 Месяц назад +2

    प्रसाद के काव्य का मूल स्वर वेदांत है।

  • @ranjanaargade2008
    @ranjanaargade2008 4 года назад

    अच्छा विमर्श।

  • @manojbhartigupta6555
    @manojbhartigupta6555 10 месяцев назад

    👍❤️👍

  • @kirnakhuriyal195
    @kirnakhuriyal195 9 месяцев назад

    ❤❤❤

  • @atheistnothing5039
    @atheistnothing5039 10 месяцев назад

    विजय ❤❤❤❤

  • @hindiekkhoj7800
    @hindiekkhoj7800 9 месяцев назад +1

    प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह कामायनी की व्याख्या को भावुक व्याख्या की ओर ले गए हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो यह अवसरवादी व्याख्या है। जिस चेतना को प्रोफेसर जी भारतीय चेतना कह रहे हैं वास्तव में वह ब्राह्मणवादी चेतना है जो अभिजात्य की अभिव्यक्ति है। लोक का ज्ञान होना और उसका रचना में प्रयोग होना दोनों बातों में अंतर है। 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में / पीयूष-स्रोत-सी बहा करो /जीवन के सुंदर समतल में'
    'नारी केवल श्रद्धा हो' केवल श्रद्धा ही क्यों?
    'नग पगतल में' नारी 'पगतल' में ही क्यों रहेगी।

  • @bashishthanarayan4822
    @bashishthanarayan4822 2 месяца назад

    गांधी कह रहे हैं मुझे अंग्रेजियत से नफरत है एकदम सफेद झूठ है । खुद तो लंगोटी पहना लेकिन अंग्रेजियत को ही बढ़ावा दिया ।

  • @vinodshankarjha3059
    @vinodshankarjha3059 Месяц назад

    Oral lecture on such serious topics becomes boring with somany irrelevant examples .we require to the point discussion on the topic. With the help of well prepared written notes. As we teach in class room. Pl.dont take other wise

  • @sachinpandey5983
    @sachinpandey5983 2 месяца назад

    ❤❤❤❤❤

  • @baljeetkanaujiya809
    @baljeetkanaujiya809 2 месяца назад

    ❤❤❤