खान चा, ताऊ, सरदार भाई समेत सभी तीन तालियों को जय हो! जय हो! जय हो! सुनने की मेरी आदत को वापस जागृत करने के लिए आभार। अधिकतर एपिसोड आप तीनों के साथ ही सुने हैं। अंबेडकरनगर जिले के खेमापुर गांव में दिल है और शरीर जन्म से ही दिल्ली में स्थापित रहा है। खान चा की हँसी बहुत आकर्षक है और ताऊ के वर्ड प्ले का मैं भक्तिपूर्वक इन्तज़ार करता हूॅं। सरदार के मुॅंह से जब से सुना "सस्किक सस्का!!!" आज तक खेमापुर दिमाग़ में घूम रहा है। बहरहाल, मैं कहानियों और शायरी के साथ कविताऍं भी लिखता हूॅं। एक कविता डेढ़ साल से अटकी हुई थी। कितनी अच्छी है यह तो पता नहीं लेकिन ताऊ के नौरंगी मास्टर का किस्सा सुन कर उसे पूरा करने की प्रेरणा मिल गई। कविता: मैं एक पेड़ लगाना चाहता हूॅं बरगद का पेड़ दिल्ली के हर दूसरे चौराहे पर और बनाना चाहता हूं उसके चारों तरफ़ एक चौड़ा - गोल चबूतरा ईंटों और मिट्टी से मैं वहाॅं लोग बिठाना चाहता हूॅं तरह तरह के लोग किस्म किस्म के लोग लोग जो आस पड़ोस में रहते हैं या उनके घरों के बूढ़े मैं उनकी बात कराना चाहता हूॅं किसी सरकारी योजना पर एक लंबी बातचीत सुनना चाहता हूॅं जानना चाहता हूॅं कि कमलेश ताऊ के गणित के मास्टर नौरंगी ज़बान के कितने पक्के थे? मैं उस स्कूल जाना चाहता हूॅं नौरंगी के खेत में जाना चाहता हूॅं देखने कि क्या वहाॅं सच में आम के चार पेड़ हैं जो जुड़ कर एक हो गए हैं? क्या अब भी उस पेड़ पर फल आते हैं? चार अलग अलग स्वाद के! मैं वो आम खाना चाहता हूॅं उस पेड़ से तोड़कर उसी पेड़ के नीचे उसी पेड़ की ताज़ी हवा में जिसे लगाने से पहले किसी ने सोचा होगा कि मैं एक पेड़ लगाना चाहता हूॅं आम का पेड़! भरोसा है सरदार उच्चारण मुझसे बेहतर ही करेंगे। पहली चिट्ठी है इसलिए किस्सा लिखने से चूक रहा हूॅं। आगे और चिट्ठियों में किस्से सुनाने के लिए उत्सुक - क़ासिद लिखते हुए देख रहा हूॅं कि 99.7k सब्सक्राइबर हो गए हैं। खान चा को अब नींद बेहतर आएगी। जय हो! जय हो! जय हो!
Vyomesh bhai ne Baba ki yaad dila di, Hindi baratane ka tarika, love for culture and people is so so evident in his talk. More such guest appearances are requested. Vyomesh bhai ko dubara bhi bulayein
अब एक छोटा सा किस्सा फिर बात खत्म करूंगा: एक नया बनारस विजिटर गलती से गाड़ी लेकर मैदागिन वाला सड़क पकड़ के चौक की तरफ जा रहे थे। अब यह तो बनारस है और यहां जिंदा तो जिंदा, मुर्दों को भी जाम में फंसा देख सकते हैं, वो भी होलसेल में! भइया, थोड़ा स्मार्ट बनके आगे जा रही शवयात्रा को गाड़ी का हार्न मारकर ओवरटेक करने की कोशिश कर रहे थे। तभी उसी शवयात्रा में शव को कंधा दिए हुए एक मानिंद, पान थूकते हुए और शव की तरफ इशारा करते हुए बोले, "ऐहसे पहिले जइबा का?" (उसके बाद दो-चार अलंकार)!
नवरंगी की कहानी के लिए ताऊ का ढेर सारा आभार, आज आपने मसाला दे दिया है । जब अगली बार मित्रों के साथ पीर बाबा के पानी के साथ बैठूँगा तो ये कहानी ज़रूर हमारी दार्शनिक बातों का हिस्सा बनेगी और जुबान का पक्का होने के गुर सिखाएगी । जय हो!
जैसा कि आपने बनारस की रामलीला का ज़िक्र किया और पूछा कि बनारस की रामलीला अन्य जगहों से क्यों अलग है, तो ये हैं कुछ बातें जो बनारस की रामलीला को खास और अलग बनाती हैं। वो बता रहा हूँ और साथ में वहां की कुछ तस्वीरें भी भेज रहा हूँ: 1. यह रामलीला किसी एक मंच पर नहीं होती। करीब चार किलोमीटर के दायरे में एक दर्जन कच्चे-पक्के मंचों पर इसका मंचन होता है। इन मंचों को ही अयोध्या, जनकपुर, चित्रकूट, पंचवटी, लंका और रामबाग का रूप दिया जाता है। 2. यह रामलीला पेट्रोमेक्स और मशाल की रोशनी में होती है। लीला देखने हजारों की भीड़ जुटती है, फिर भी किसी माइक का इस्तेमाल नहीं होता। बीच-बीच में ख़ास घटनाओं के वक़्त आतिशबाज़ी ज़रूर होती है। 3. यहां रामलीला देखने आए लोग अपने साथ बोरा (जूट का थैला जिसमें गेहूं, चावल आते हैं) या पीढ़ा और रामचरितमानस लेकर आते हैं, और रामलीला के दौरान साथ में ही रामचरितमानस का पाठ करते हैं। 4. रामलीला में कोई भी महिला या बालिका कलाकार नहीं होती। यहां वही 9-14 साल के बीच के बटुक होते हैं, जो सीता, राम, लक्ष्मण आदि सभी किरदार निभाते हैं। हम बचपन में खूब रामलीला का आनंद लेते थे और रामलीला देखने जाने पर रेवड़ी और चूड़ा लाना और खाना फिक्स था, बाकी चाट और गोलगप्पे तो थे ही।
नवरंगी और भगोदर वाली कहानी जबरदस्त लगी। मैंने कई लोगों को सुनाई ताऊ की शैली में कोशिश की लेकिन ताऊ की शैली नकल कर पाना असंभव है फिर मैंने यूट्यूब लिंक भेजा मैं देख रहा हूं कि धीरे धीरे मैं भी बकैती बाज हो गया हूं उन्ही की तरह बतियाता हूँ😂 जबरदस्त show समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता
Lo bhai Khan Cha !!! Ho gaya 1 lakh, jai ho jai ho, Bahut mubarak Khan Cha specially. Chitthi hum likhe hai boss last episode ke liye. Padhi jayegi toh bahut acha lagega. Congratulations 🎉🎉🎉 again.
एक छोटी सी सलाह है,यदि कभी आपको एजेंडे का अकाल लगे तो किसी भी बनारसी को धर लीजिए। दो,ढाई घंटे कैसे निकल जायेंगे, पता नहीं चलेगा। भंग, भोला,कचौरी, मलइयो, ठंडई और पान का समग्र स्वाद। बनारस का हर नुक्कड, चाय,पान की दुकान तीन ताल का ही विस्तार है। जय हो
बड़ा हि चउचक् सो रहा गुरु, मजा आ गया! व्योमेश् सर को बुलाने के लिए बहुय् बहुत धन्यवाद। आग और पानी पढ़ा हूँ,बनारस का अच्छा डॉक्यूमेंटेशन है।ताऊ का नवरंगी किस्सा 😂😂 गदहा पुरान हो या भैया का लेटर या फिर् कमलेश भाई 😂😂 जबरदस्त था भाई। जय हो गुने 3
बनारस के चरित्र के बारे में मोहक जानकारी दी गई है। साधुवाद आपका। मैं भी पुरानी दिल्ली का हूं, जिसका अपना एक रसूख रहा है। देव दीवाली पर आपके शहर को निहारने जा रहा हूं। आपकी नज़रों और अपनी रिवायत से शहर को देखूंगा😊 आप कुछ और बताना चाहें तो आभारी रहूंगा।
जय हो …… नौरंगी का क़िस्सा तो गजब था ताऊ ……… शनिवार को ही पूरा podcast सुन लिया था …… लेकिन क़िस्सा याद कर आज तक हंसी आ रही है 😂😂😂 ताऊ , ख़ान चा और सरदार को बहुत स्नेह ……
मज़ा आ गया बनारस पर ऐसी चर्चा सुन कर! मैंने तीन ताल हाल ही में सुनना शुरू किया और अब इसकी लत सी लग गई है। बचपन में जो रेडियो पर कार्यक्रम सुनता था ये बिल्कुल वैसा ही है और सीधे नॉस्टेलजिया हिट कराता है! ऐसी सांऊड के लिए मिक्स इंजिनियर के पेमेंट में बढ़ोतरी करी जाए 😂 और हो सके तो इसे मेरी चिट्ठी के तौर पर कार्यक्रम में शामिल किया जाए। अंततः कुलदीप भाई को प्रेम , ताऊ को नमन और खान चचा को सलाम। धन्यवाद 🙏🏻❤️
जय कमलेश ज्ञान गुण सागर। जय ताऊ, तिहुं लोक उजागर…. ! जय हो तीन ताल की तिकड़ी और सभी दर्शकों का। कमलेश ताऊ बहुत ही अदभुत personality हैं और तीन ताल के चाँद हैं। उनका सामाजिक ज्ञान एवं पत्रकारी टिप्पणीयाँ क़ाबिले तारीफ है। इतनी गहराई झलकती है उनकी बातों और संस्मरणों में। उनके कटाक्ष, one liners इत्यादि केवल मनोरंजक ही नहीं ज्ञान का स्रोत हैं। बहुत अच्छा लगा जान कर कि ताऊ इतने clear और दृढ़ हैं अपनी ज़िन्दगी की priorities में।लाइफ़ में इतना सरल नहीं है निश्चित करना की बस अब और आगे नहीं। Truly speaking, though he is now retired, he does not at all appear tired. आशा करते हैं कि वह इसी तरह तीन ताल के साथ लगे रहेंगे और मिलते रहेंगे हम दर्शकों को। ईश्वर उनकी अच्छी सेहत एवं तन्दुरुस्ती बरकरार रखे और दीर्घ आयु दे। - सुनील, न्यू जर्सी, अमेरिका
आप सभी को प्रणाम गागर मे सागर भरने का प्रयास किया गया शुक्ला जी सभी टॉपिक्स को मात्र छू के निकल गए और बनारस के नाचने वाली बाइयों की कहानी तो रह ही गयी जिसमे अलग से एक चैप्टर बन सकता है, जहाँ जददान बाई जानकी बाई, छप्पन छुरी की कहानी है बॉलीवुड से अलग रिश्ता रहा बनारस का गोविंदा, आमिर खान संजय दत्त सुजीत kumar बाकी न जाने कितने अडाकर यहाँ से आये, गुंडों की विषद व्याख्या रूद्र शिव प्रसाद मिश्र जी ने की है। पक्का महाल तो रह ही गया घाट बच गए मिठाईया बस नाम सुनी गयी बुनकारों की बात रह गयी रोचक बातचीत थी लेकिन भूख बढ़ा गयी एक बार खान चा भी बनारस की व्याख्या करें तब मजा आये, सरदार की बात सही है पान बिगड चूका है, ताऊ बनारस आएं तो निवेदन है याद करें 🙏🙏सेवा का मौका प्रदान करें
खान चा,सरदार और ताऊ एवं व्योमेश भईया को मेरा प्रणाम। मैं तीन ताल का नियमित दर्शक हूं इससे बड़ा आपके लिए मेरा कोई परिचय नहीं हो सकता 🙏। " डगलसवा लिखले रहल" गजब लगा । भाई व्यामेश शुक्ला जी को सुनना यानिकि बनारस से रूबरू होना और बनारस में खो जाना इनको सुनना बेहद अच्छा लगता है । "तीन ताल" और "शेरखान " दोनो काफी पसंद हैं । शुभरात्रि 🙏 सुमित मिश्रा बस्ती उत्तर प्रदेश
आप तीनों को यूके से ढेर सारा प्यार... एक लंबी चिट्ठी मेल पर भेजी है, आशा है आप उसे भी पढ़ेंगे, यह कमेंट इस एपिसोड के लिए | हमारे साथी इरफ़ान की शादी के उपलक्ष में बनारस जाना हुवा था और व्योमेश भाईने बताया एकदम वैसा ही बनारस देखने को मिला | किसी भी व्यक्ति से असरदार तरीके से बात निकालने में सरदार माहिर है जैसे खून से हीमोग्लोबिन, लाल और सफ़ेद पेशियों को ये अलग निकाल सकते है (डॉक्टरों की बात हुए तो मैंने भी ताऊ की तरह पंच मारने की कोशिश की | छुट्टियां ख़तम हो रही है और तीन ताल का दूसरा सिझन मैंने २० दिनों में पूरा कर दिया है | अगले सप्ताह से पहला सिझन देखना शुरू करूँगा |
Loved the stories shared by Vyomeshji but I disagree with him on the point of someone(Bhartendu in the story) peeing deliberately in the river. I understand those were different times and should not be seen through lens of today. I am just against the romanticising of the unhygeinic activities, a renowned person has a following and followers will enact the same. I know of all the beautiful things said I am nitpicking one point. My native is around Varanasi and I lived across different cities and I have realised, a city can still hold to it's true essence without romanticinsing the parts we need to work on. I was expecting someone to call it out and not accept it as it is. As Tau said, I am one of those people jo sirf chinta karte hain toh kar li chinta. Thank you for sharing such beautiful stories.
Khan cha is loyal.... New guest aate hai aur jaate hai but khan cha always there for teen taal. .. Aur loyal admee ko loyalty dena zaruri hai.., I like ki new guest aa bhi rahe hai toh khan chaa hai haar episode me,, isko continue rakhe new guest aa rahe hai toh aatey rahe but make sure khan chaa aatey rahey haar episode. Me khuki loyal admi ko uski loyalty milna zaruri hai...... Jai ho, jai ho.... Jai ho,,,,..
Maine pichhle kuchh mahine se hi Teen Taal start Kiya hai. Purane episodes dekhta hu to total views kuchh 500-700 rahta hai. Aap logo ke patience ki jai ho. Ab kuchh ghante me hi 10000 views hote dekh aisa lagta hai ki meri jeet hai. Although mai bhi bas ek hi badha Raha hu.
**"Pyar Bhari Thaali"** Raaghu bhaiyya aaj apne haath se biwi ke liye kuch khaas banaye ka soch rahe the. Unke dil mein ek hi baat thi: aaj ka din vo Priya ke liye yaadgaar banaye. Aise toh Raaghu apne gaon ke ache kisan the, par rasoi mein unke hath zyada nahin chalte the. Lekin aaj vo pakke iraadon ke saath unka manpasand korma aur makhan se bhara paratha banane lage. Ghar ke chhote se angan mein Raaghu haldi aur mirchon ke saath gutha-mitha masala mila rahe the, lekin kuch khaas mazedaar maza nahin aa raha tha. Kitni bhi mirchi daal lein ya dhaniya, korma mein woh "bas chaska" missing lag raha tha. Tabhi Priya aayi aur dekhne lagi ki Raaghu kya kar rahe hain. Chulhe ke paas unhe itna josh mein dekhke unke hothon par hasi aa gayi, par kuch bolin nahi. Dheere se unke paas aayi aur boli, "Arrey Raaghu, itni mehnat kaiko kar rahe ho? Khushbu toh door door tak jaa rahi hai!" Raaghu bechara thak gaya tha, thoda haar manate hue bola, "Priya, sab kuch daal diya hai, lekin phir bhi mazaa kahan hai, samajh mein nahi aa raha." Priya muskuraayi aur kehne lagi, “Arrey suniye, ek cheez toh reh gayi hai na.” "Ka?" Raaghu ne uljhanke bola. "Arey, pyaar! Thoda sa apna pyaar bhi daal do, tab banegi asli pyar bhari thaali," Priya ne apne madhur avaz mein kaha aur Raaghu ke hath par apna hath rakh diya. Raaghu hans pade, samajh gaye ki bas yehi to unke pakwaan mein kami thi. Us din, chahe paratha thoda adhoora ya korma thoda teekha hi kyon na ho, Priya aur Raaghu ne pyar bhari woh thaali milke baantli. Aur aakhir mein Priya ne hasi hasi mein kaha, “Ab humari thaali mein woh swaad hai jo duniya ke kisi masale se nahi aa sakta!” --
आई हो दादा, माने जैसे घरे ही पहुँच गए। जौनपुरिया होने के नाते बनारस हमारा दूसरा घर सा रहा। घर गाँव के बहुत जने वहीं रहते हैं। भैया हमारे पान बहुत खाते हैं, अम्मा भी, तो पान वालों की पान न पाने की बेचैनी करीब से देखी है - "बेटवा दांत कीट कीट करा थ " बनारसी अक्खड़ और बेपरवाह तो होते ही हैं, पर उनकी हाज़िर जवाबी भी उम्दा है। इतनी देर में गुथी हुई और रूपकों से भरी भाषा में जितना कहा जा सकता है वो सारी बातें हैं आज बनारस के बारे में। नमः पार्वती पतये - हर हर महादेव।
आलोचना- आप सभी को सादर प्रणाम इस बार का कार्यक्रम अत्यंत गंभीर रहा और सच कहूँ तो उबाऊ लगा। ताऊ का इतना चुप रहना, खान चा का ना रहना अच्छा नहीं लगा। किसी नगर के दर्शन पर उदासीन चर्चा क्यूँ। कटु वचनों के लिए क्षमा करें किन्तु कुछ अलग नहीं है बनारस में सिवाय इसके कि पूर्वांचल की शिक्षा और चिकित्सा का केंद्र है। बस..
परिवर्तन का भय स्वाभाविक है, जैसे कोई अनजानी सूरत हमें अस्थिर कर देती है। यह डर नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से बिछड़ने की एक अदृश्य पीड़ा है। बनारस, जो कभी आत्मा का स्थायी ठिकाना था, अब बदलते समय की धारा में बहता दिखता है। जब भी मैं लंबे अंतराल के बाद लौटता हूं, मुझे इसके रूप, इसके वातावरण में कोई न कोई नया बदलाव दिखता है। यह परिवर्तन जितना तेज होता है, उतनी ही तीव्रता से मैं अपने भीतर एक असहजता महसूस करता हूं। यह असहजता उस स्थायित्व की खोज है, जो हमारे भीतर गहराई से बसा हुआ है, परंतु समय के साथ छूटता चला जाता है। बनारस की गलियों में वह पुराना ठहराव अब कहीं धुंधला सा हो गया है। वह ठहराव, जो एक स्थायी सत्य का आभास देता था, अब जैसे क्षणिक हो चला है। हर बार कुछ नया, कुछ बदला हुआ देखने पर मन जैसे एक पल को ठहर जाता है, सोचता है-क्या यह वही शहर है, जो कभी मेरी पहचान का अभिन्न हिस्सा था?
Thumbnail se laga tau ne apne dost dilip mandal ji ko bula diya, par banaras wale bhaiya to unke v guru nikle waise tau , byomkesh sir , aur dilip mandal mein 19,20,21 ka hi far hai
खान चा, ताऊ, सरदार भाई समेत सभी तीन तालियों को जय हो! जय हो! जय हो! सुनने की मेरी आदत को वापस जागृत करने के लिए आभार। अधिकतर एपिसोड आप तीनों के साथ ही सुने हैं। अंबेडकरनगर जिले के खेमापुर गांव में दिल है और शरीर जन्म से ही दिल्ली में स्थापित रहा है। खान चा की हँसी बहुत आकर्षक है और ताऊ के वर्ड प्ले का मैं भक्तिपूर्वक इन्तज़ार करता हूॅं। सरदार के मुॅंह से जब से सुना "सस्किक सस्का!!!" आज तक खेमापुर दिमाग़ में घूम रहा है। बहरहाल, मैं कहानियों और शायरी के साथ कविताऍं भी लिखता हूॅं। एक कविता डेढ़ साल से अटकी हुई थी। कितनी अच्छी है यह तो पता नहीं लेकिन ताऊ के नौरंगी मास्टर का किस्सा सुन कर उसे पूरा करने की प्रेरणा मिल गई।
कविता:
मैं एक पेड़ लगाना चाहता हूॅं
बरगद का पेड़
दिल्ली के हर दूसरे चौराहे पर
और बनाना चाहता हूं उसके चारों तरफ़
एक चौड़ा - गोल चबूतरा
ईंटों और मिट्टी से
मैं वहाॅं लोग बिठाना चाहता हूॅं
तरह तरह के लोग
किस्म किस्म के लोग
लोग जो आस पड़ोस में रहते हैं
या उनके घरों के बूढ़े
मैं उनकी बात कराना चाहता हूॅं
किसी सरकारी योजना पर
एक लंबी बातचीत सुनना चाहता हूॅं
जानना चाहता हूॅं कि कमलेश ताऊ
के गणित के मास्टर नौरंगी
ज़बान के कितने पक्के थे?
मैं उस स्कूल जाना चाहता हूॅं
नौरंगी के खेत में जाना चाहता हूॅं
देखने कि क्या वहाॅं सच में
आम के चार पेड़ हैं
जो जुड़ कर एक हो गए हैं?
क्या अब भी उस पेड़ पर फल आते हैं?
चार अलग अलग स्वाद के!
मैं वो आम खाना चाहता हूॅं
उस पेड़ से तोड़कर उसी पेड़ के नीचे
उसी पेड़ की ताज़ी हवा में
जिसे लगाने से पहले किसी ने सोचा होगा
कि मैं एक पेड़ लगाना चाहता हूॅं
आम का पेड़!
भरोसा है सरदार उच्चारण मुझसे बेहतर ही करेंगे। पहली चिट्ठी है इसलिए किस्सा लिखने से चूक रहा हूॅं। आगे और चिट्ठियों में किस्से सुनाने के लिए उत्सुक - क़ासिद
लिखते हुए देख रहा हूॅं कि 99.7k सब्सक्राइबर हो गए हैं। खान चा को अब नींद बेहतर आएगी।
जय हो! जय हो! जय हो!
Khemapur jo goshainganj se ambedkarnagar jate hue padta hai???
Vyomesh bhai ne Baba ki yaad dila di, Hindi baratane ka tarika, love for culture and people is so so evident in his talk.
More such guest appearances are requested.
Vyomesh bhai ko dubara bhi bulayein
ताऊ का बवाल काटे हो गुरु नारंग का कहानी सुना के sala पेट फूल गया हस्ते हस्ते 😂😂😂
टीरेन टेम से पहिले आ गई।
जय हो जय हो जय हो
38:00 - Naurangi story
55:00 - Paan story
1:29:00-Auto story
1:35:00 - Suicide story
1:37:00-Ready for travel upstairs
1:44:00- Banaras ke thug
Kya baat hai... Gajab bhai gajab.
Was just watching a clip of last episode where Tau was narrating incidence of saloon., "JYOTSNA" 😂😂
अब एक छोटा सा किस्सा फिर बात खत्म करूंगा:
एक नया बनारस विजिटर गलती से गाड़ी लेकर मैदागिन वाला सड़क पकड़ के चौक की तरफ जा रहे थे। अब यह तो बनारस है और यहां जिंदा तो जिंदा, मुर्दों को भी जाम में फंसा देख सकते हैं, वो भी होलसेल में! भइया, थोड़ा स्मार्ट बनके आगे जा रही शवयात्रा को गाड़ी का हार्न मारकर ओवरटेक करने की कोशिश कर रहे थे। तभी उसी शवयात्रा में शव को कंधा दिए हुए एक मानिंद, पान थूकते हुए और शव की तरफ इशारा करते हुए बोले, "ऐहसे पहिले जइबा का?" (उसके बाद दो-चार अलंकार)!
😂😂😂😂😂😂😂😂
🤣
नवरंगी की कहानी के लिए ताऊ का ढेर सारा आभार, आज आपने मसाला दे दिया है । जब अगली बार मित्रों के साथ पीर बाबा के पानी के साथ बैठूँगा तो ये कहानी ज़रूर हमारी दार्शनिक बातों का हिस्सा बनेगी और जुबान का पक्का होने के गुर सिखाएगी ।
जय हो!
जैसा कि आपने बनारस की रामलीला का ज़िक्र किया और पूछा कि बनारस की रामलीला अन्य जगहों से क्यों अलग है, तो ये हैं कुछ बातें जो बनारस की रामलीला को खास और अलग बनाती हैं। वो बता रहा हूँ और साथ में वहां की कुछ तस्वीरें भी भेज रहा हूँ:
1. यह रामलीला किसी एक मंच पर नहीं होती। करीब चार किलोमीटर के दायरे में एक दर्जन कच्चे-पक्के मंचों पर इसका मंचन होता है। इन मंचों को ही अयोध्या, जनकपुर, चित्रकूट, पंचवटी, लंका और रामबाग का रूप दिया जाता है।
2. यह रामलीला पेट्रोमेक्स और मशाल की रोशनी में होती है। लीला देखने हजारों की भीड़ जुटती है, फिर भी किसी माइक का इस्तेमाल नहीं होता। बीच-बीच में ख़ास घटनाओं के वक़्त आतिशबाज़ी ज़रूर होती है।
3. यहां रामलीला देखने आए लोग अपने साथ बोरा (जूट का थैला जिसमें गेहूं, चावल आते हैं) या पीढ़ा और रामचरितमानस लेकर आते हैं, और रामलीला के दौरान साथ में ही रामचरितमानस का पाठ करते हैं।
4. रामलीला में कोई भी महिला या बालिका कलाकार नहीं होती। यहां वही 9-14 साल के बीच के बटुक होते हैं, जो सीता, राम, लक्ष्मण आदि सभी किरदार निभाते हैं।
हम बचपन में खूब रामलीला का आनंद लेते थे और रामलीला देखने जाने पर रेवड़ी और चूड़ा लाना और खाना फिक्स था, बाकी चाट और गोलगप्पे तो थे ही।
37:05 ye na suna to kuchh na suna
Naurangi ka kissa❤❤😂😂
बहुत बढ़िया एपिसोड
व्योमेश जी को सुन कर बनारस जाने की इच्छा और बढ़ हो गई , बाबा के साथ जैसे बतकही वाला फील आ गया
जय हो ..जय हो... जय हो...
चिट्टी शामिल करने के लिए धन्यवाद ❤🙏
Vyomesh ji ki awaj bhut achhi hai dhanyawad sir
नवरंगी और भगोदर वाली कहानी जबरदस्त लगी। मैंने कई लोगों को सुनाई ताऊ की शैली में कोशिश की लेकिन ताऊ की शैली नकल कर पाना असंभव है फिर मैंने यूट्यूब लिंक भेजा
मैं देख रहा हूं कि धीरे धीरे मैं भी बकैती बाज हो गया हूं उन्ही की तरह बतियाता हूँ😂 जबरदस्त show
समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता
ये वाला एपिसोड कम से कम 25 बार देख चुका हूँ... इनके साथ नया एक एपिसोड बनाइये... इनके पास अभी बहुत कुछ है कहने को... ऐसा मुझे लगता है.
Lo bhai Khan Cha !!! Ho gaya 1 lakh, jai ho jai ho,
Bahut mubarak Khan Cha specially.
Chitthi hum likhe hai boss last episode ke liye. Padhi jayegi toh bahut acha lagega. Congratulations 🎉🎉🎉 again.
एक छोटी सी सलाह है,यदि कभी आपको एजेंडे का अकाल लगे तो किसी भी बनारसी को धर लीजिए। दो,ढाई घंटे कैसे निकल जायेंगे, पता नहीं चलेगा। भंग, भोला,कचौरी, मलइयो, ठंडई और पान का समग्र स्वाद। बनारस का हर नुक्कड, चाय,पान की दुकान तीन ताल का ही विस्तार है। जय हो
Is episode me agar baba hote to kya hi maja aa jata. Aaj yaad aa gyi baba ki
Tau, khan cha ... Sanchalak ji k sath saurabh Dwivedi aur shukal ji ka combination is the best.. at aaj tak radio..
Plzzzz make this combination..
🎉🎉🎉🎉🎉 1L पंहुच गये ख़ान चा 💐💐💐💐 सभी तीन तालियों को बधाई
बड़ा हि चउचक् सो रहा गुरु, मजा आ गया! व्योमेश् सर को बुलाने के लिए बहुय् बहुत धन्यवाद। आग और पानी पढ़ा हूँ,बनारस का अच्छा डॉक्यूमेंटेशन है।ताऊ का नवरंगी किस्सा 😂😂 गदहा पुरान हो या भैया का लेटर या फिर् कमलेश भाई 😂😂 जबरदस्त था भाई। जय हो गुने 3
Visited banaras for first time in life just a week ago so nice to listen about that city
बनारस के चरित्र के बारे में मोहक जानकारी दी गई है।
साधुवाद आपका।
मैं भी पुरानी दिल्ली का हूं, जिसका अपना एक रसूख रहा है।
देव दीवाली पर आपके शहर को निहारने जा रहा हूं।
आपकी नज़रों और अपनी रिवायत से शहर को देखूंगा😊
आप कुछ और बताना चाहें तो आभारी रहूंगा।
जय हो ……
नौरंगी का क़िस्सा तो गजब था ताऊ ……… शनिवार को ही पूरा podcast सुन लिया था …… लेकिन क़िस्सा याद कर आज तक हंसी आ रही है 😂😂😂
ताऊ , ख़ान चा और सरदार को बहुत स्नेह ……
मज़ा आ गया बनारस पर ऐसी चर्चा सुन कर! मैंने तीन ताल हाल ही में सुनना शुरू किया और अब इसकी लत सी लग गई है। बचपन में जो रेडियो पर कार्यक्रम सुनता था ये बिल्कुल वैसा ही है और सीधे नॉस्टेलजिया हिट कराता है! ऐसी सांऊड के लिए मिक्स इंजिनियर के पेमेंट में बढ़ोतरी करी जाए 😂 और हो सके तो इसे मेरी चिट्ठी के तौर पर कार्यक्रम में शामिल किया जाए। अंततः कुलदीप भाई को प्रेम , ताऊ को नमन और खान चचा को सलाम। धन्यवाद 🙏🏻❤️
Tin tal hal kya hai koi program hai kya
नवरंगी कथा सुनकर मजा आया! और व्योमेंश जी का आना सोने पर सुहागा❤❤❤❤❤
जय कमलेश ज्ञान गुण सागर।
जय ताऊ, तिहुं लोक उजागर…. !
जय हो तीन ताल की तिकड़ी और सभी दर्शकों का।
कमलेश ताऊ बहुत ही अदभुत personality हैं और तीन ताल के चाँद हैं। उनका सामाजिक ज्ञान एवं पत्रकारी टिप्पणीयाँ क़ाबिले तारीफ है। इतनी गहराई झलकती है उनकी बातों और संस्मरणों में। उनके कटाक्ष, one liners इत्यादि केवल मनोरंजक ही नहीं ज्ञान का स्रोत हैं। बहुत अच्छा लगा जान कर कि ताऊ इतने clear और दृढ़ हैं अपनी ज़िन्दगी की priorities में।लाइफ़ में इतना सरल नहीं है निश्चित करना की बस अब और आगे नहीं। Truly speaking, though he is now retired, he does not at all appear tired. आशा करते हैं कि वह इसी तरह तीन ताल के साथ लगे रहेंगे और मिलते रहेंगे हम दर्शकों को। ईश्वर उनकी अच्छी सेहत एवं तन्दुरुस्ती बरकरार रखे और दीर्घ आयु दे।
- सुनील, न्यू जर्सी, अमेरिका
"Banaras is older than history, older than tradition, older even than legend, and looks twice as old as all of them put together". Mark Twain
क्या सरदार आज तो ताऊ घुमा ही दिए 37:42 😂😂😂😂😂😂
वाह वाह
लाजवाब साक्षात्कार प्रस्तुति।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
Tau was right after retirement- kuch bhi padh rahe hai kuch bhi likh rahe hai aur kuch bhi bol rahe hai.... Cutie 😊
Adbhut varnan banaras ka sunne ko mila aaj. jai ho
छा गए गुरु ।
Wah Banaras ki stories bhi gajab hai ... Jai ho!
Vyomkesh shukla ji- veshbhusa ,kadhkathi , chasma aur sabse khaas paan khane ke tarike se ....tau ke chhote pratibimb lag rhe hai .....jai ho
केशविन्यास, चश्मा, बतरस और आवाज के bass ताऊ और शुक्लजी लगभग समतुल्य लगे...
ए भिया तोहार बहुत इंटरव्यू देखले और सुनील हई,लेकिन महादेव क कृपा हौ,खूब बड़ा हो जा.❤
व्योमेश जी आपको सुनकर बनारस में सैलानियों को बाढ़ और बढ़ने वाली है😄👍
Teel taal se apna ghar yaad aa gya .. collection of memories
100K ki khoob shubhkamnayen.
आप सभी को प्रणाम गागर मे सागर भरने का प्रयास किया गया शुक्ला जी सभी टॉपिक्स को मात्र छू के निकल गए और बनारस के नाचने वाली बाइयों की कहानी तो रह ही गयी जिसमे अलग से एक चैप्टर बन सकता है, जहाँ जददान बाई जानकी बाई, छप्पन छुरी की कहानी है बॉलीवुड से अलग रिश्ता रहा बनारस का गोविंदा, आमिर खान संजय दत्त सुजीत kumar बाकी न जाने कितने अडाकर यहाँ से आये, गुंडों की विषद व्याख्या रूद्र शिव प्रसाद मिश्र जी ने की है। पक्का महाल तो रह ही गया घाट बच गए मिठाईया बस नाम सुनी गयी बुनकारों की बात रह गयी रोचक बातचीत थी लेकिन भूख बढ़ा गयी एक बार खान चा भी बनारस की व्याख्या करें तब मजा आये, सरदार की बात सही है पान बिगड चूका है, ताऊ बनारस आएं तो निवेदन है याद करें 🙏🙏सेवा का मौका प्रदान करें
खान चा,सरदार और ताऊ एवं व्योमेश भईया को मेरा प्रणाम। मैं तीन ताल का नियमित दर्शक हूं इससे बड़ा आपके लिए मेरा कोई परिचय नहीं हो सकता 🙏। " डगलसवा लिखले रहल" गजब लगा । भाई व्यामेश शुक्ला जी को सुनना यानिकि बनारस से रूबरू होना और बनारस में खो जाना इनको सुनना बेहद अच्छा लगता है । "तीन ताल" और "शेरखान " दोनो काफी पसंद हैं ।
शुभरात्रि 🙏
सुमित मिश्रा
बस्ती उत्तर प्रदेश
Vyomesh ji ko thumbnail me dekh ke dil khush hogya 🤩🤩🙌🙌
Meri pehli chitthi sameel ho gyi maja aa gya, thank you tridev
Congratulations 1Lakh. Ab Khancha ko koi bus nahi uthana padega. Ho gaya Khancha. Dekhte hai kal kya bolenge.
आन बनारस बान बनारस जीवन की पहचान बनारस।।
vyomesh ji ki awaaj mein kya gajabe bass hai
Thank you for this podcast
Kisne socha tha ki teen taal me banaras pe baat hogi aur baba maujood nahi honge
Mere bhi man me yahi aaya
Yrr baba ki badi yaad arahi hai wapas lao unhe😢😂
यह सुविधा आज भी बनारस मे है, दुकान बंद होने के बाद भी नियमित ग्राहकों k पान दरवाज़े या किसी सीक्रेट जगह पर रखा रहता है,
ताऊ रिटायर होकर ज्यादा कूल हो गए❤❤❤❤❤❤
मैं कहूंगा की ताऊ समंदर में नहा कर और भी नमकीन हो गए हैं।
@@Kingjulien0420 aur ye namak jaruri hai swad ke liye
Guru maza aaya❤
the best epidode of this season till date 😊@kamlesh ji is tooo good .
Navrangi ki kaha is awesome 🙂🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳
You guys have a writer who is expert in introduction
Professor sahab pure gold ❤
Ye New Guest To Hamare Tau Ke Chote Bhai jaise Dikh rahe hai 😅😅😅😅😅😅😅😅😅
Vyomesh ji best hai.....pant😂uncle ke baad
आप तीनों को यूके से ढेर सारा प्यार...
एक लंबी चिट्ठी मेल पर भेजी है, आशा है आप उसे भी पढ़ेंगे, यह कमेंट इस एपिसोड के लिए | हमारे साथी इरफ़ान की शादी के उपलक्ष में बनारस जाना हुवा था और व्योमेश भाईने बताया एकदम वैसा ही बनारस देखने को मिला | किसी भी व्यक्ति से असरदार तरीके से बात निकालने में सरदार माहिर है जैसे खून से हीमोग्लोबिन, लाल और सफ़ेद पेशियों को ये अलग निकाल सकते है (डॉक्टरों की बात हुए तो मैंने भी ताऊ की तरह पंच मारने की कोशिश की | छुट्टियां ख़तम हो रही है और तीन ताल का दूसरा सिझन मैंने २० दिनों में पूरा कर दिया है | अगले सप्ताह से पहला सिझन देखना शुरू करूँगा |
Loved the stories shared by Vyomeshji but I disagree with him on the point of someone(Bhartendu in the story) peeing deliberately in the river. I understand those were different times and should not be seen through lens of today. I am just against the romanticising of the unhygeinic activities, a renowned person has a following and followers will enact the same. I know of all the beautiful things said I am nitpicking one point. My native is around Varanasi and I lived across different cities and I have realised, a city can still hold to it's true essence without romanticinsing the parts we need to work on. I was expecting someone to call it out and not accept it as it is. As Tau said, I am one of those people jo sirf chinta karte hain toh kar li chinta. Thank you for sharing such beautiful stories.
What is the best time- "Now" is always the best time. Jai ho tau.
Khan cha is loyal....
New guest aate hai aur jaate hai but khan cha always there for teen taal.
..
Aur loyal admee ko loyalty dena zaruri hai.., I like ki new guest aa bhi rahe hai toh khan chaa hai haar episode me,, isko continue rakhe new guest aa rahe hai toh aatey rahe but make sure khan chaa aatey rahey haar episode. Me khuki loyal admi ko uski loyalty milna zaruri hai...... Jai ho, jai ho.... Jai ho,,,,..
ताऊ क गोर लागै छियइन, सरदार क भगवती मंगल करैथ अ खान चा क हमरा दिसन स आई ब्लू यू
Jai Ho Jai Ho Jai Ho Banaras ki yatra achhi lagal
Teen taal is incomplete without Tau ji
Tau always rock's,Jay ho jay ho jay ho
Jai ho jai ho jai ho 🙏🔥🔥🔥
Maine pichhle kuchh mahine se hi Teen Taal start Kiya hai. Purane episodes dekhta hu to total views kuchh 500-700 rahta hai. Aap logo ke patience ki jai ho. Ab kuchh ghante me hi 10000 views hote dekh aisa lagta hai ki meri jeet hai. Although mai bhi bas ek hi badha Raha hu.
ताऊ ताऊ ताऊ 😂😂😂 गुरु gajbe ho aap एकदम 😂
जबरदस्त
Pune Kanpur aur Banaras k bad ab Lucknow ki bhi baat ki jaye.. Himanshu Ji to waise bhi Lallantop k Mitra hain hi…
दो दो ताऊ जय हो 🙏🙏🙏
Jai ho jai ho
**"Pyar Bhari Thaali"**
Raaghu bhaiyya aaj apne haath se biwi ke liye kuch khaas banaye ka soch rahe the. Unke dil mein ek hi baat thi: aaj ka din vo Priya ke liye yaadgaar banaye. Aise toh Raaghu apne gaon ke ache kisan the, par rasoi mein unke hath zyada nahin chalte the. Lekin aaj vo pakke iraadon ke saath unka manpasand korma aur makhan se bhara paratha banane lage.
Ghar ke chhote se angan mein Raaghu haldi aur mirchon ke saath gutha-mitha masala mila rahe the, lekin kuch khaas mazedaar maza nahin aa raha tha. Kitni bhi mirchi daal lein ya dhaniya, korma mein woh "bas chaska" missing lag raha tha.
Tabhi Priya aayi aur dekhne lagi ki Raaghu kya kar rahe hain. Chulhe ke paas unhe itna josh mein dekhke unke hothon par hasi aa gayi, par kuch bolin nahi. Dheere se unke paas aayi aur boli, "Arrey Raaghu, itni mehnat kaiko kar rahe ho? Khushbu toh door door tak jaa rahi hai!"
Raaghu bechara thak gaya tha, thoda haar manate hue bola, "Priya, sab kuch daal diya hai, lekin phir bhi mazaa kahan hai, samajh mein nahi aa raha."
Priya muskuraayi aur kehne lagi, “Arrey suniye, ek cheez toh reh gayi hai na.”
"Ka?" Raaghu ne uljhanke bola.
"Arey, pyaar! Thoda sa apna pyaar bhi daal do, tab banegi asli pyar bhari thaali," Priya ne apne madhur avaz mein kaha aur Raaghu ke hath par apna hath rakh diya.
Raaghu hans pade, samajh gaye ki bas yehi to unke pakwaan mein kami thi. Us din, chahe paratha thoda adhoora ya korma thoda teekha hi kyon na ho, Priya aur Raaghu ne pyar bhari woh thaali milke baantli. Aur aakhir mein Priya ne hasi hasi mein kaha, “Ab humari thaali mein woh swaad hai jo duniya ke kisi masale se nahi aa sakta!”
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जय हो जय हो जय हो
आई हो दादा, माने जैसे घरे ही पहुँच गए। जौनपुरिया होने के नाते बनारस हमारा दूसरा घर सा रहा। घर गाँव के बहुत जने वहीं रहते हैं।
भैया हमारे पान बहुत खाते हैं, अम्मा भी, तो पान वालों की पान न पाने की बेचैनी करीब से देखी है - "बेटवा दांत कीट कीट करा थ "
बनारसी अक्खड़ और बेपरवाह तो होते ही हैं, पर उनकी हाज़िर जवाबी भी उम्दा है।
इतनी देर में गुथी हुई और रूपकों से भरी भाषा में जितना कहा जा सकता है वो सारी बातें हैं आज बनारस के बारे में।
नमः पार्वती पतये - हर हर महादेव।
Bhai ye episode best hai 😅
गर्व होता है जब बनारस की बात होती है #wandererofkashi
34:26...jo latak rha h vo kaan m daal lo......bhai waaahhh😂😂😂😂swad aa gya
आलोचना-
आप सभी को सादर प्रणाम
इस बार का कार्यक्रम अत्यंत गंभीर रहा और सच कहूँ तो उबाऊ लगा। ताऊ का इतना चुप रहना, खान चा का ना रहना अच्छा नहीं लगा। किसी नगर के दर्शन पर उदासीन चर्चा क्यूँ।
कटु वचनों के लिए क्षमा करें किन्तु कुछ अलग नहीं है बनारस में सिवाय इसके कि पूर्वांचल की शिक्षा और चिकित्सा का केंद्र है। बस..
व्योमेश भाई ❤
सुल्तानपुर, कब से बनारस का पड़ोसी जिला हो गया??? कुलदीप जी
Next episode par 1lakh subscriber ho jayenge aur isk saath khancha ka koi naya kissa 1 lakh se juda ho.. sunna pasand karenge
Hamare bhi chacha hai jo aap logo se jara bhi kam nahi..
Bhut umdaa bhaiyaaa😅
बनारस के शुक्ला जी का अदभुद संवाद
एक अनुरोध है Ravish Kumar (xNDTV) के साथ interview कब करेंगे।
आशा हैं वो आजतक से कोई मतभेद नहीं होगा
Gr8 .
व्योमेश जी आवाज कुछ कुछ आशुतोष राणा जैसी है या फिर मुझे ही लग रही है ??
Better than watching any so called big news channel
धृतराष्ट्र डिक्टेशन देते थे, संजय टाइप करते थे 😂
जीवंत 😊
Saurabh divedi is now being overrated coz he always tries to speak English (mix with Hindi) which appears as bhondak
Yakeen nahi ho raha subah subah hi aa gaya
Lucknow par charcha kariye
Baba Ki bohut yaad aayi, bring baba back
परिवर्तन का भय स्वाभाविक है, जैसे कोई अनजानी सूरत हमें अस्थिर कर देती है। यह डर नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से बिछड़ने की एक अदृश्य पीड़ा है। बनारस, जो कभी आत्मा का स्थायी ठिकाना था, अब बदलते समय की धारा में बहता दिखता है। जब भी मैं लंबे अंतराल के बाद लौटता हूं, मुझे इसके रूप, इसके वातावरण में कोई न कोई नया बदलाव दिखता है। यह परिवर्तन जितना तेज होता है, उतनी ही तीव्रता से मैं अपने भीतर एक असहजता महसूस करता हूं। यह असहजता उस स्थायित्व की खोज है, जो हमारे भीतर गहराई से बसा हुआ है, परंतु समय के साथ छूटता चला जाता है।
बनारस की गलियों में वह पुराना ठहराव अब कहीं धुंधला सा हो गया है। वह ठहराव, जो एक स्थायी सत्य का आभास देता था, अब जैसे क्षणिक हो चला है। हर बार कुछ नया, कुछ बदला हुआ देखने पर मन जैसे एक पल को ठहर जाता है, सोचता है-क्या यह वही शहर है, जो कभी मेरी पहचान का अभिन्न हिस्सा था?
जय हो, जय हो।
एपिसोड 16(पान), 24(बनारस) की याद आ गई गुरु।
🎉 1:38:43
Dr Luvkush 2 hai itni hasi aayi. Gems of Tau
Thumbnail se laga tau ne apne dost dilip mandal ji ko bula diya, par banaras wale bhaiya to unke v guru nikle
waise tau , byomkesh sir , aur dilip mandal mein 19,20,21 ka hi far hai
Surprisingly before time. अब नहाने जाने का प्रोग्राम लेट हो गया।भगवान जी इंतजार कर रहे हैं।