Thank you for the comment, there was a technical error in the last few minutes, which could not be fixed. Trying to upload again with proper closure. I appreciate your patience and concern. Thank you.
यतिन जी के देव संस्कृति पर दिए गए अपने साक्षात्कार में उन्होंने कई मुद्दों पर अपना प्रकाश डाला है। पठानिया जी द्वारा पूछे गए सवाल सराहनीय है, जो कि आम व्यक्ति के जहन में भी अक्सर आते हैं। साक्षात्कार के लिए बहुत 2 बधाई 🌹
यतिन जी पुरातन देव संस्कृति, टांकरी लिपि और परंपराओं पर बहुत गहन शोध कर रहे हैं। व्यापक अध्ययन करने के बाद कार्यशालाओं में बेहतर जानकारी प्रदान कर रहे हैं। बहुत बहुत साधुवाद!
बहुत अच्छा साक्षात्कार। पठानिया जी को एक अच्छी बातचीत के लिए बधाई । यतिन को बधाई। आप दोनो का आभार इन तमाम जानकारियों के लिए । यतिन ने एक ज़िम्मेदारी और गम्भीरता से इन विषयों पर अध्ययन किया है, और कर रहे हैं। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगती है कि वे एक खुले दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं । स्थापित मान्यताओं से अलग सम्भावनाओं के होने को स्वीकारना, नए विचारों और तथ्यों को उजागर करता है। कुलांतपीठ के अर्थ को एक अलग तरह से समझने का अवसर मिला । ठारा शब्द को इस के शाब्दिक अर्थ से अलग देखने को मिला और इस की सम्भावना ही अधिक लगी। यह तमाम नई सम्भावनाएँ हमारी सोच को विस्तार देती हैं। आप दोनों को ही पुनः बधाई । और नए वीडियो का इंतज़ार रहेगा ।
बहुत शुक्रिया आपका ईशिता जी , बहुत सारी जानकारियाँ जिन से हम अनिभिज्ञ हैं उनके बारे में पता लगना सदैव ही अच्छा लगता है यतिन जी के पास ज्ञान का भंडार है और बड़ी शालीनता और विनम्रता से वह चीज़ों को सामने रखते हैं , यह गुण केवल ज्ञानी लोगों में ही होते हैं। बहुत आभार आपका टिप्पणी के लिए
" जिन खोजा तिन पाइयाँ "! श्री यतीन पंडित जी को प्रणाम और आपको साधुवाद ! बहुत अच्छी पकड़ है कुल्लू और वहाँ की सनातन परम्पराओं पर। आग्रह है कि कुल्लू से बाहर भी आइए और लोगों का ज्ञान वर्धन करिए !👍💐👌
बहुत आभार आपकी टिप्पणी के लिए , आऊंगा बनारस और आप ही मुझे मदद करेंगे , आप के पास अगर समय होगा तो आपसे बात करेंगे गंगा मैया के चरणों में। मुझे याद है जब करीब ३५ साल पहले बनारस आया था , तो आप ही ने राह दिखाई थी।
एक और बहुत अच्छे साक्षात्कार के लिए हार्दिक बधाई पठानिया जी और यतिन जी बातचीत बहुत रोचक ,ज्ञानवर्धक , तर्कशील और कई महत्वपूर्ण सवालों को उठाती है। Yatin,गंभीर शोधार्थी तो हैं ही एक बहुत अच्छे प्रशिक्षक भी हैं टांकरी लिपि के। लोकल देवताओं के नाम बदलने की कवायद कब शुरू हुई होगी,इस पर अध्ययन की जरूरत उठाती हुई बातचीत। लोक संस्कृति के पक्ष पर महत्वपूर्ण सवाल. नाग परम्परा और ब्यास कुंड . पहाड़ का देवता... परंपराएं इसी तरह से मुख्यधारा की अवधारणाओं से गढ़ी जाती हैं,गुम कर दी जाती हैं,कुछ पीढ़ियों के बाद खत्म सी होती प्रतीत होती हैं,लेकिन कोई यतिन आ ही जाते हैं। बहुत बधाई 🎉
बहुत आभार आपकी टिप्पणी के लिए , आप ने समय दिया , यतिन पंडित जी पर बहुत जिम्मेदारियां है , इस शोध को आगे बढ़ाने की। उनकी लग्न और गंभीरता मुझे यह भरोसा दिला गयी बातचीत के दौरान
Engrossing talk it is on Kullu's plural deity culture and faith system and research taking place on it. I personally feel that deities and their cultural spheres have eaten into by turning them into Mela Grounds and commercial or personal. Preserving sacred spaces is a must. So far as the concerns for cultural decline are concerned-- serious research funded by institutions by Govt institutions and published for wider audience is a must. The balance between spirituality espoused by deity culture and decline in social standards by letting cult of horrible performance of sacrifices, and indisciplined eating drinking needs social reform efforts.
Thank you so much for watching and adding a valuable comment. A Lot needs to be done by society and even Govt have to take some measures to prevent these sacred spaces and help in whichever way to preserve the culture and davspaces
Excellent Yatin bhai... Bss ek chiz ki jab bat pahado ki jogni fungni ki ati hai ye badi hai joto me rehti hai aur ya aur devi devtao ki bat hoti ha sab niche se aye hai ya bde bujurag kehte ha ya jo bate suni jati ha kehte ha ye sab ha mehmano ki tarh bahr se aye hue tab inko yahan jagah mili rehne ko par yahan ke mool devta nam suna hoga narsingh bda deu jo ki yahan prachin ha lokdevta ha unpar shod Krna chaiye I think ap logo ka yahi passion ha I think Kai secrecy open ho jaegi....!!! Bolte ha suna ha humne ki bda deu ne sabko jagah di aur kaha ki tum sab taale me rhenge jo ki ha sabke mandhar hai rehne ko aur vishesh tihthiyo me hi niklenge roj nhi jo ki Satya ha ye sab vishesh tithiyo me hi niklte hai jo ki vchan hua inke sath apas me aur khud ko bada hi rkha dene wale me aur kaha ki mai bda hu mere upar koi bandish nhi din rat subeh sham koi tihti nhi sab mera hai...aur khud to ghode pe savar ho ke jab Marzi dikhte tak ha kaiyo ko fera lgate gao shehar me Aur Han jab bhi bda Devta ki sthan se koi bhi devta devi gujrenge to inko samaan Dena pdta pura I mean bde bhai ke tarah accept Kiya sabne inhe... It's request apko is deity ke bare me research Krna chaiye............
नमस्कार मैम ऐतिहासिक साक्ष्य मेरी नज़र में नहीं हैं। परंतु इस संख्या को लेकर कैस्पियन सागर से लेकर अरुणाचल तक, पहाड़ों की लोकपरम्परा में कुछ ना कुछ अवश्य मिलता है। वरयाम गुरु जी से वार्ता करते हुए एक चीज़ समझ आई इस विषय को लेकर। "भाषा और बोली के माध्यम से इतिहास की वो कड़ियाँ जुड़ सकती हैं, जो वास्तविकता के अधिक निकट है"
यतिन जी पुरातन देव संस्कृति, टांकरी लिपि और परंपराओं पर बहुत गहन शोध कर रहे हैं। व्यापक अध्ययन करने के बाद कार्यशालाओं में बेहतर जानकारी प्रदान कर रहे हैं। बहुत बहुत साधुवाद!
यतिन जी पुरातन देव संस्कृति, टांकरी लिपि और परंपराओं पर बहुत गहन शोध कर रहे हैं। व्यापक अध्ययन करने के बाद कार्यशालाओं में बेहतर जानकारी प्रदान कर रहे हैं। बहुत बहुत साधुवाद!
पटियाल जी , आपने देखा और सराहा , आपका बहुत धन्यवाद। स्नेहभाव बनाये रखें। यतिन पंडित देवसंस्कृति के लिए काफी लग्न से काम कर रहे हैं , एक लम्बी बातचीत बाकी विषयों पर तय है।
उम्दा कार्य 💐 शुभकामनाएं
यतिन को सुनना हमेशा ज्ञानवर्धक रहता है। शोधार्थियों को यतिन से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है । बहुत सुंदर यतिन 🙏💐
gurudev yatin ji ko mera pranam🙏🌸
❤🙏
@ 🙏
Yatin Sir लिपि और संस्कृति के अन्वेषण में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं 🙏🏻🙏🏻
His contribution is immense. Thank you for commenting.
We need more such sessions with Mr. Yatin. This session ended abruptly and didn’t have a closure. Maybe this calls for Part:2
Best wishes.
Thank you for the comment, there was a technical error in the last few minutes, which could not be fixed. Trying to upload again with proper closure. I appreciate your patience and concern. Thank you.
यतिन जी के देव संस्कृति पर दिए गए अपने साक्षात्कार में उन्होंने कई मुद्दों पर अपना प्रकाश डाला है। पठानिया जी द्वारा पूछे गए सवाल सराहनीय है, जो कि आम व्यक्ति के जहन में भी अक्सर आते हैं। साक्षात्कार के लिए बहुत 2 बधाई 🌹
बहुत आभार और शुक्रिया आपका। यतिन जी के पास ज्ञान का भंडार है।
यतिन जी पुरातन देव संस्कृति, टांकरी लिपि और परंपराओं पर बहुत गहन शोध कर रहे हैं। व्यापक अध्ययन करने के बाद कार्यशालाओं में बेहतर जानकारी प्रदान कर रहे हैं। बहुत बहुत साधुवाद!
बहुत बढ़िया यतीन जी
बहुत कुछ जानने को मिला l
धन्यवाद
आपका बहुत बहुत शुक्रिया। 🙏
बहुत अच्छा साक्षात्कार। पठानिया जी को एक अच्छी बातचीत के लिए बधाई । यतिन को बधाई। आप दोनो का आभार इन तमाम जानकारियों के लिए ।
यतिन ने एक ज़िम्मेदारी और गम्भीरता से इन विषयों पर अध्ययन किया है, और कर रहे हैं। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगती है कि वे एक खुले दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं । स्थापित मान्यताओं से अलग सम्भावनाओं के होने को स्वीकारना, नए विचारों और तथ्यों को उजागर करता है।
कुलांतपीठ के अर्थ को एक अलग तरह से समझने का अवसर मिला । ठारा शब्द को इस के शाब्दिक अर्थ से अलग देखने को मिला और इस की सम्भावना ही अधिक लगी।
यह तमाम नई सम्भावनाएँ हमारी सोच को विस्तार देती हैं।
आप दोनों को ही पुनः बधाई ।
और नए वीडियो का इंतज़ार रहेगा ।
बहुत शुक्रिया आपका ईशिता जी , बहुत सारी जानकारियाँ जिन से हम अनिभिज्ञ हैं उनके बारे में पता लगना सदैव ही अच्छा लगता है
यतिन जी के पास ज्ञान का भंडार है और बड़ी शालीनता और विनम्रता से वह चीज़ों को सामने रखते हैं , यह गुण केवल ज्ञानी लोगों में ही होते हैं। बहुत आभार आपका टिप्पणी के लिए
Thanks for sharing your knowledge......
Great session & thanks for the amazing knowledge sharing
Thank you so much .
🙏
" जिन खोजा तिन पाइयाँ "! श्री यतीन पंडित जी को प्रणाम और आपको साधुवाद ! बहुत अच्छी पकड़ है कुल्लू और वहाँ की सनातन परम्पराओं पर। आग्रह है कि कुल्लू से बाहर भी आइए और लोगों का ज्ञान वर्धन करिए !👍💐👌
बहुत आभार आपकी टिप्पणी के लिए , आऊंगा बनारस और आप ही मुझे मदद करेंगे , आप के पास अगर समय होगा तो आपसे बात करेंगे गंगा मैया के चरणों में। मुझे याद है जब करीब ३५ साल पहले बनारस आया था , तो आप ही ने राह दिखाई थी।
Keep it up pandit ji
बहुत धन्यवाद, आपका स्नेह प्रेरणा देता है।
एक और बहुत अच्छे साक्षात्कार के लिए हार्दिक बधाई पठानिया जी और यतिन जी
बातचीत बहुत रोचक ,ज्ञानवर्धक , तर्कशील और कई महत्वपूर्ण सवालों को उठाती है।
Yatin,गंभीर शोधार्थी तो हैं ही एक बहुत अच्छे प्रशिक्षक भी हैं टांकरी लिपि के।
लोकल देवताओं के नाम बदलने की कवायद कब शुरू हुई होगी,इस पर अध्ययन की जरूरत उठाती हुई बातचीत।
लोक संस्कृति के पक्ष पर महत्वपूर्ण सवाल.
नाग परम्परा और ब्यास कुंड .
पहाड़ का देवता...
परंपराएं इसी तरह से मुख्यधारा की अवधारणाओं से गढ़ी जाती हैं,गुम कर दी जाती हैं,कुछ पीढ़ियों के बाद खत्म सी होती प्रतीत होती हैं,लेकिन कोई यतिन आ ही जाते हैं।
बहुत बधाई 🎉
हार्दिक आभार मैम 🙏
भविष्य में भी आपसे मार्गदर्शन अपेक्षित है 🙏
@@yatinpandit2788 हमें आपसे सीखना है यतिन, सचमुच।
बहुत आभार आपकी टिप्पणी के लिए ,
आप ने समय दिया , यतिन पंडित जी पर बहुत जिम्मेदारियां है , इस शोध को आगे बढ़ाने की। उनकी लग्न और गंभीरता मुझे यह भरोसा दिला गयी बातचीत के दौरान
❤❤❤🙏🙏🙏 Pranaam...chote keep it up. Sundar or gahan vishlation
❤🙏
bahut hi jagruk or gehra vishleshan bahut achhi charcha 🙏👍👍
Thank you so much for your kind words
वाह।
Thank you
Engrossing talk it is on Kullu's plural deity culture and faith system and research taking place on it.
I personally feel that deities and their cultural spheres have eaten into by turning them into Mela Grounds and commercial or personal. Preserving sacred spaces is a must.
So far as the concerns for cultural decline are concerned-- serious research funded by institutions by Govt institutions and published for wider audience is a must. The balance between spirituality espoused by deity culture and decline in social standards by letting cult of horrible performance of sacrifices, and indisciplined eating drinking needs social reform efforts.
Thank you so much for watching and adding a valuable comment. A Lot needs to be done by society and even Govt have to take some measures to prevent these sacred spaces and help in whichever way to preserve the culture and davspaces
Well done Yatin !! Keep going ahead!!🎉🎉🎉🎉
शुक्रिया भाई
Thank you so much 😄
Any source to refer to Yatin ji's work?
Thank you for watching . You can check his facebook page , there is enough material .
❤❤❤❤❤
Excellent Yatin bhai...
Bss ek chiz ki jab bat pahado ki jogni fungni ki ati hai ye badi hai joto me rehti hai aur ya aur devi devtao ki bat hoti ha sab niche se aye hai ya bde bujurag kehte ha ya jo bate suni jati ha kehte ha ye sab ha mehmano ki tarh bahr se aye hue tab inko yahan jagah mili rehne ko par yahan ke mool devta nam suna hoga narsingh bda deu jo ki yahan prachin ha lokdevta ha unpar shod Krna chaiye I think ap logo ka yahi passion ha I think Kai secrecy open ho jaegi....!!! Bolte ha suna ha humne ki bda deu ne sabko jagah di aur kaha ki tum sab taale me rhenge jo ki ha sabke mandhar hai rehne ko aur vishesh tihthiyo me hi niklenge roj nhi jo ki Satya ha ye sab vishesh tithiyo me hi niklte hai jo ki vchan hua inke sath apas me aur khud ko bada hi rkha dene wale me aur kaha ki mai bda hu mere upar koi bandish nhi din rat subeh sham koi tihti nhi sab mera hai...aur khud to ghode pe savar ho ke jab Marzi dikhte tak ha kaiyo ko fera lgate gao shehar me Aur Han jab bhi bda Devta ki sthan se koi bhi devta devi gujrenge to inko samaan Dena pdta pura I mean bde bhai ke tarah accept Kiya sabne inhe...
It's request apko is deity ke bare me research Krna chaiye............
Thank you for watching and leaving a comment
❤️🙏
Thank you
Sir ji devta than k bare mein bhi btaye
Thank you for watching and leaving comment.
ठारा करडू और इन सभी देव/देवी समूहों को लेकर कोई ऐतिहासिक साक्ष्य मिलते हैं क्या?
नमस्कार मैम
ऐतिहासिक साक्ष्य मेरी नज़र में नहीं हैं। परंतु इस संख्या को लेकर कैस्पियन सागर से लेकर अरुणाचल तक, पहाड़ों की लोकपरम्परा में कुछ ना कुछ अवश्य मिलता है।
वरयाम गुरु जी से वार्ता करते हुए एक चीज़ समझ आई इस विषय को लेकर। "भाषा और बोली के माध्यम से इतिहास की वो कड़ियाँ जुड़ सकती हैं, जो वास्तविकता के अधिक निकट है"
26:06 ये जो आप जलामती की बात कर रहे हो क्या pta unhone ये शब्द यहां से लिया हो और वहां जा के Jwalamukhi Jalamati बन गया
बिल्कुल, संभावना है। शब्द विपर्यय के लिए उदाहरण देने में यह प्रयुक्त हुआ।
@@yatinpandit2788🙏🌺
Takri dogri की mool लिपि है
Thank you for watching.
यतिन जी पुरातन देव संस्कृति, टांकरी लिपि और परंपराओं पर बहुत गहन शोध कर रहे हैं। व्यापक अध्ययन करने के बाद कार्यशालाओं में बेहतर जानकारी प्रदान कर रहे हैं। बहुत बहुत साधुवाद!
Thank you for sparing time and leaving a comment.
यतिन जी पुरातन देव संस्कृति, टांकरी लिपि और परंपराओं पर बहुत गहन शोध कर रहे हैं। व्यापक अध्ययन करने के बाद कार्यशालाओं में बेहतर जानकारी प्रदान कर रहे हैं। बहुत बहुत साधुवाद!
पटियाल जी , आपने देखा और सराहा , आपका बहुत धन्यवाद। स्नेहभाव बनाये रखें। यतिन पंडित देवसंस्कृति के लिए काफी लग्न से काम कर रहे हैं , एक लम्बी बातचीत बाकी विषयों पर तय है।