सत्संग १४२ - वो देखना क्या है जिसमें कोई देखने वाला ना हो?
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- Опубликовано: 6 сен 2024
- सत्संग १४२, २२ जून २४
१) दृष्टा के दर्शन नहीं हो सकते, तो उसका बोध होना कैसे संभव है?
२) यदि शरीर में दर्द हो रहा है, तो इसका अनुभव किसे हो रहा है, शरीर को या दृष्टा को?
३) यदि कोई स्मृति ना रहे, क्या तब भी कुछ बचेगा?
४) विज्ञान भैरव तंत्र की विधियों का क्या प्रयोजन है?
इस वीडियो में इस विषय पर चर्चा करी गई है।
यदि कोई सत्संग में जुड़ना चाहता है तो हम हर शनिवार सुबह ७ से ८ बजे टेलिग्राम पर सत्संग करते हैं, जिसमें कोई भी भाग ले सकता है, उसका लिंक है:
t.me/aatmbodh
माध्यम से ऊपर की मालुमत आपका यही प्रश्न सबसे अहम लगता गुरुदेव
मुझे लगता हम विश्व ही है जो हम विश्व को नहि पहचानते वैसे खुदकोही नही पहचानते
मैं विश्व ही हूं, कहीं यह बात भी कोई विचार तो नहीं क्या यह आपका अपना अनुभव है? हम खुद को नहीं पहचानते यह बात बिल्कुल सही है, और हम क्या हैं, इसको सीधा सीधा जानना मात्र ही अध्यात्म है।
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कुछ बाते अनुभव खुदकोही समजता ये दुसरेको कैसे समजा शकते एसा मेरा गहण प्रश्न है
कुछ बाते अनुभव खुदकोही समजता ये दुसरेको कैसे समजा शकते एसा मेरा गहण प्रश्न है
जी आपने सही कहा है, यहां कोई किसी को कुछ समझा नहीं सकता है। जो भी कहा जाता है वो एक इशारा मात्र है, जो की बिल्कुल गलत भी हो सकता है। इसीलिए जो भी कहा गया है उसे अपने आप जांचे परखें, कि क्या वास्तव में आपका सत्य क्या है, और वहीं से शुरुआत करें।
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