Sangat Ep.40 | Priyamvad on Fiction, Life, Love, Kanpur, Gandhi, Muslim & Morality | Anjum Sharma

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  • Опубликовано: 11 сен 2024
  • हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 40वें एपिसोड में मिलिए समादृत कथाकार और इतिहासकार प्रियंवद से। 22 दिसम्बर 1942 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे प्रियंवद 'प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति' में परास्नातक हैं। 'भारत विभाजन की अन्तः कथा', 'भारतीय राजनीति के दो आख्यान', 'पाँच जीवनियाँ' और 'इकतारा बोले' इतिहास लेखन की उनकी चर्चित कृतियाँ हैं। 'छुट्टी के दिन का कोरस', 'एक अपवित्र पेड़' और 'परछाई नाच' उनके प्रमुख कथा-संग्रह हैं। प्रियंवद हिंदी के अनूठे कथाकार हैं, लेखन के साथ-साथ वह प्रतिष्ठित पत्रिका 'अकार' का कई वर्षों से नियमित संपादन और प्रकाशन भी कर रहे हैं। इस एपिसोड में अंजुम शर्मा से बात करते हुए वह क्यों कहते हैं कि लेखक की एनाटॉमी जटिल होती है? क्या यातना लेखक का अनिवार्य तत्व है? मृत्यु उन्हें आकर्षित क्यों करती है? मृत्यु को वह ख़ूबसूरत क्यों मानते हैं? वह क्यों कहते हैं कि ''आपको मेरी कहानियों में आपको सकारात्मक पक्ष नहीं दिखेगा?''
    प्रियंवद अब प्रेम कहानियाँ क्यों नहीं लिखते? क्या उनके लेखन पर निर्मल वर्मा का प्रभाव है? उनके कहानियों के पात्र प्रायः बीमार क्यों रहते हैं? वह क्यों मानते हैं कि धर्म, समाज और राज्य किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता नहीं दे सकते? बक़ौल प्रियंवद-वैधता और नैतिकता आदमी को ग़ुलाम बनाती हैं। ख़ुद को दावे से जेनुइन लेखक कहने वाले प्रियंवद प्रेम और देह के संबंध में विचार प्रकट करते हुए क्या कहते हैं? मज़दूरों के लिए संघर्ष करें वाले प्रियंवद की कहानियाँ मज़दूर-प्रसंग से अछूती कैसे रह गईं? उनका अंतर्जगत रोज़ कैसे बदलता है? मार्क्सवाद का उनपर कितना प्रभाव है?
    कौन-सी कहानी लिखने में उन्हें अवसाद का सामना करना पड़ा? 'फागुन की उपकथा' कहानी में उन्होंने किन सवालों को बुनने और सुलझाने का प्रयास किया? इतिहास उन्हें साहित्य से ज़्यादा प्रिय क्यों हैं? कहानियों के प्रेम में इतिहास-लेखन उनसे कैसे छूटा? किससे मिलने के बाद उनकी इतिहास की समझ साफ़ हुई? इस बात से प्रियंवद का क्या अभिप्राय है कि ''आज़ादी के बाद भारत के मुसलमानों ने गांधी को ना अपनाकर ग़लती की?'' मुस्लिम पुनर्जागरण पर वह सवाल क्यों उठाते हैं? या मुस्लिम समाज से उन्हें क्या शिकायत है? ...और उन्हें हिंदी लेखकों से क्या शिकायत है? उन्होंने कविताएँ लिखनी क्यों छोड़ दी? संगमन-आयोजन में उन्हें क्या मुसीबतें झेलनी पड़ी/पड़ती है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब और प्रियंवद के निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह रोचक एपिसोड।
    संगत के अन्य एपिसोड्स देखने के लिए दिए गये लिंक पर जाएँ : • संगत
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Комментарии • 91

  • @youthwave
    @youthwave Месяц назад

    आपकी पहले शब्द से ही आपकी यात्रा प्रारंभ हो जाती है, कितनी सुंदर व्याख्या

  • @NARAYANSINGH-vj1oc
    @NARAYANSINGH-vj1oc 10 месяцев назад +5

    अंजुम जी, इंटरव्यू लेने अथवा किसी लेखक के साथ
    संवाद करने की कला में आप निपुण हैं।
    प्रियंवद जी उच्च कोटि के रचनाकार हैं।
    शानदार!

  • @mukeshnirvikar9340
    @mukeshnirvikar9340 11 месяцев назад +8

    बहुत अच्छा साक्षात्कार अंजुम जी। मैंने संगत के लगभग सभी साक्षात्कार सुने हैं। अत्यंत रोचक हैं। जिस आत्मविश्वास के साथ आप साहित्यकार से परिचर्चा करते हैं, वह सचमुच प्रभावित करता है। अच्छी बात यह है कि आप संबंधित साहित्यकार के रचनाकर्म से गुजरकर पर्याप्त जानकारी के साथ आते हैं। इस साक्षात्कार श्रृंखला के लिए आपको हार्दिक बधाई!! प्रियंवद जी के जवाब भी बहुत सटीक लगे। बेबाकी के लिए उनको भी साधुवाद।

  • @Jhasushant
    @Jhasushant 11 месяцев назад +9

    He is such a true secularist who doesn't pretend anything like typical Leftists. He is honest and blunt. Salute.

    • @mumbailyf
      @mumbailyf 11 месяцев назад

      Admin liked this comment. Does it mean they have a right wing ideology?

  • @youthwave
    @youthwave Месяц назад

    एक उपन्यास कितनी कहानियों से बनता है क्या बात है ...

  • @nareshjain6575
    @nareshjain6575 11 месяцев назад +5

    कथन में स्पष्टता नहीं है । उलझाव सा है । शायद मैं ही समझ नहीं पा रहा हूँ। मैंने अभी तक उन्हें पढ़ा नहीं है ।उन्हें संगत में सुनकर लगा कि प्रियम्वद जी बहुत मौलिक ,अद्वितीय और अद्भुत कथाकार हैं । अब पढूँगा ।

  • @RahulKumar00072
    @RahulKumar00072 9 месяцев назад +3

    परिक्षा का समय है लेकिन रहा नही जाता सुने बिना 😢.......
    बहुत सराहनीय काम करते है आप अंजुम जी❤❤

  • @riddhibhatt3328
    @riddhibhatt3328 8 месяцев назад +1

    अभी लगभग एक महीने से हिंदवी में प्रसारित हिंदी लेखकों के साक्षात्कार देख, सुन रही हूँ, सभी एपिसोड शानदार, लेकिन अफसोस कि इतने अच्छे चैनलों के subscriber itne km क्यों होते हैं, अंजुम जी इतनी गम्भीर व ज्ञानवर्धक चर्चा करते हैं, काबिल ए तारीफ़ है

  • @truthseekar6388
    @truthseekar6388 8 месяцев назад +2

    ये हिंदवी मात्र एक चैनल नहीं है
    ये you tube का मोती है
    अंजुम शर्मा नए संवाद माध्यम में
    नए युग की शुरुआत कर रहे हैं

  • @kamalprakash549
    @kamalprakash549 6 месяцев назад +1

    प्रियंवद जी की कहानियों की लेखन शैली अद्वितीय है, हिन्दी जगत में उनके जैसी लेखन शैली वाला कोई और रचनाकार दिखाई नहीं पड़ता. वे अपनी ही तरह के अनूठे रचनाकार हैं.

  • @RahulSingh-rz6km
    @RahulSingh-rz6km 6 месяцев назад

    bahut Deen baad padhe jayengey priyamvad..

  • @DINESHKUMAR-kq7yk
    @DINESHKUMAR-kq7yk 11 месяцев назад +5

    उदय प्रकाश, संजीव, और अरुण कमल को भी सुनने की इच्छा है।

  • @anubhav6207
    @anubhav6207 11 месяцев назад +2

    सुमुखी तुम्हारे नैन लजीले, अधरों पर अंकित मृदुहास,
    क्षण भर को फिर जी उठते हैं, ईश्वर और पूजन विश्वास।
    अद्भुत रचना। ❤❤❤❤❤

  • @prempalsharma7
    @prempalsharma7 11 месяцев назад +2

    सार्थक संवाद! बधाई दोनों कों! बहुत मौलिक!

  • @shikhasingh5427
    @shikhasingh5427 11 месяцев назад +1

    सार्थक संवाद ! हार्दिक बधाई 🙏🙏

  • @shreesandeepji
    @shreesandeepji 9 месяцев назад +1

    प्रियंवद जी का अद्भुत व्यक्तित्व साक्षात्कार के रूप में सामने लाने के लिए हिंदवी की टीम संगत और अंजुम जी को अनेकों धन्यवाद🙏🙏🙏

  • @Un-Democratic
    @Un-Democratic 2 месяца назад

    आपकी स्वतंत्रता बहुत व्यक्तिगत है।
    माइकल सेंडल को पढ़िए

  • @narsiadr17
    @narsiadr17 11 месяцев назад +1

    हिंदी साहित्य में प्रियवंद जी को थोड़ा बहुत पढ़ा था आज उनको सुनकर मुझे बहुत सुखद अनुभव हुआ। इसके लिए संगत की पूरी टीम और अंजुम सर को कोटि कोटि नमन।

  • @ankitachauhanyt
    @ankitachauhanyt 11 месяцев назад +1

    छुट्टी के दिन का कोरस , एक बेहतरीन कृति है। बातचीत स्पष्ट और सुंदर है। शुक्रिया हिन्दवी।

  • @vimaldiary1733
    @vimaldiary1733 6 месяцев назад

    प्रियंवद नाम सा प्रवाह लिए रचनाधर्मिता के हर एक पहलू पर शानदार विमर्श। अंजुम शर्मा जी इतना बेहतरीन तारतम्य बिठाते हैं रचनाकार के साथ कि वो सहज ही परत दर परत अंतस तक जाते हैं।जब निजत्व प्रेम परिपूर्ण हो तो सृजन भी सहज और प्रेममयी हो जाता है, प्रियंवद जी इसे सार्थक करते हैं।
    अंजुम जी आपका हर लेखक/साहित्यकार की पृष्ठभूमि पर रिसर्च अतिसघन व गहन रहता है, इतनी मेहनत के लिए प्रणाम है आपको 🙏।
    धन्यवाद हिंदवी और संगत 🙏🙏
    आप ऐसे ही साहित्यक विमर्श को बढ़ाते रहिए।
    💚

  • @kamalprakash549
    @kamalprakash549 6 месяцев назад

    इस संगत को मैं अनेक बार सुन चुका हूँ. हर बार कुछ न कुछ नया ही सीखने/जानने को मिला, प्रियंवद जी से. यह अंजुम जी की भी सफलता है कि वे इतना कुछ अपने श्रोताओं के सम्मुख ला सके.

  • @kamlasharmam8688
    @kamlasharmam8688 5 месяцев назад

    बहुत सुन्दर बोल रहे प्रियंवद जी उनकी कहानियां मुझे बहुत अच्छी लगी ... लगती हैं। मेरे मानस पटल को उनकी कहानियों ने प्रभावित किया... मैंने बहुत पहले उनकी कुछ कहानियां सारिका में पढ़ी थी बहुत अच्छी लगी । इस साक्षात्कार को सुनकर उन्हें फिर से पढ़ने का मन है ।
    साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा जितने अच्छे प्रश्न अंजुम जी ने पूछे उतने ही सुन्दर उत्तर प्रियवंद जी ने दिए..

  • @RahulKhandelwal.official
    @RahulKhandelwal.official 11 месяцев назад +1

    अंजुम भाई आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, इन सभी रचनाकारों के अनुभव को आम जन तक पहुंचाने के लिए। आप साहित्य के क्षेत्र में यह अद्भुत कार्य कर रहे है। आपसे दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित पंडित जी कैंटीन में मुलाकात हुई थी, पता नहीं आपको ये ध्यान भी हो। आप यूं ही कार्यरत रहे, स्वस्थ रहे और हम लोगों तक उन तमाम रचनाकारों को पहुंचाते रहे जिनसे मिलना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं। ईश्वर आपको लंबी आयु दे। [राहुल खंडेलवाल (पी. एच. डी. शोधार्थी, इतिहास विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया)]

  • @KalpanaMishraNamit
    @KalpanaMishraNamit 7 месяцев назад

    बहुत ही क्लियर साक्षात्कार , साफ स्वीकृति के साथ , सफगोई बहुत पसंद आई , कहानियां हमेशा से पसंद थी

  • @youthwave
    @youthwave Месяц назад +1

    अंजुम शर्मा की आवाज में भी कविता है

  • @RakeshSingh-sc1uh
    @RakeshSingh-sc1uh 10 месяцев назад +1

    प्रियंवद जी बड़े रचनाकार हैं 🙏🙏

  • @chandraprakashtiwari7660
    @chandraprakashtiwari7660 11 месяцев назад

    एक बेहतरीन इंटरव्यू एक बेहतरीन लेखक के साथ।

  • @lalankumarchaubey4860
    @lalankumarchaubey4860 11 месяцев назад +1

    शानदार साक्षात्कार! मनन करने योग्य!

  • @youtubewalabanda
    @youtubewalabanda 2 месяца назад

    आदरणीय प्रियम्वद जी के पुस्तको को मेंशन कीजिए अंजुम जी

  • @unnatisafalta4736
    @unnatisafalta4736 11 месяцев назад +1

    बहुत गंभीर और सारगर्भित साक्षात्कार

  • @madanlalsahu7959
    @madanlalsahu7959 9 месяцев назад

    आज से लगभग 40 वर्ष पहले मैने इनकी एक कहानी सारिका मैगजीन में " बहती हुई कोख" पढ़ी थी जो मुझे बहुत अच्छी लगी थी

  • @pramodksharma3298
    @pramodksharma3298 5 месяцев назад

    Agreed .free of all religion .i m human only

  • @dr.ushakiran688
    @dr.ushakiran688 8 месяцев назад

    अद्भुत साक्षात्कार…शुक्रिया हिन्दवी

  • @sateeshawasthy778
    @sateeshawasthy778 10 месяцев назад

    आपके इस विस्फोटक साक्षात्कार के बाद प्रियंवद जी को पढ़ना ही होगा.अब तक उन्हें जीनियस पत्रकार के रूप में ही जानता था.

  • @ERATRAVEL9867
    @ERATRAVEL9867 11 месяцев назад

    पता नहीं मैं प्रियंवद के आपके द्वारा दैहिक सबंध और प्रेम वाले प्रश्न पर, दिये उत्तर पर स्वीकृत या यूं कहूँ बेहद मतभेद पूर्ण लगा, kind of an escapism!

  • @antarachakraborty1253
    @antarachakraborty1253 11 месяцев назад

    अद्भुत साक्षात्कार 👌 बेहद समृद्ध बातचीत 🌻

  • @upendrabajpai6175
    @upendrabajpai6175 11 месяцев назад

    अद्भुत अद्भुत अद्भूत ।।।।।।अंजुम भाई❤️❤️❤️

  • @mouriran3906
    @mouriran3906 11 месяцев назад +2

    6:30 एक तथ्यात्मक भूल हो गई है प्रियंवद जी से। उपन्यास का नाम Ulysses नहीं Finnegans Wake है, जो जॉयस ने Ulysses के बाद लिखा था। जॉयस ने 16 साल लगा कर इसे लिखा, और बेकेट ने कई हिस्सों को सुन कर टाइप किया। सारे विवरण सही हैं बस नाम Finnegans Wake है ।

  • @umeshtiwari1559
    @umeshtiwari1559 11 месяцев назад +1

    प्रियंवद ❤

  • @narayanmishra1329
    @narayanmishra1329 11 месяцев назад

    बहुत ही अच्छी बेलाग बातचीत वाह प्रियम्बद् जी

  • @priyambdapandey5880
    @priyambdapandey5880 11 месяцев назад

    शानदार!साक्षात्कार सहज और स्पष्ट 🙏🙏

  • @rajarambhadu6108
    @rajarambhadu6108 9 месяцев назад

    प्रियम्वद जीनियस रचनाकार का एक विरल उदाहरण है।

  • @Un-Democratic
    @Un-Democratic 2 месяца назад

    महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन में दिया तो है कि मन पर नियंत्रण रखें। अब वो मां से संभोग करना चाहता है कल व किसी का क़त्ल करना चाहेंगा।समाज ऐसे नहीं चलता है।

  • @ramudaykumar1488
    @ramudaykumar1488 11 месяцев назад

    छात्र जीवन के लंबे समय में प्रियंवद को पढ़ा था।अलग -सए लगे। अच्छे भी। सारिका में शुरू हुआ था।

  • @drramvinaysharma5616
    @drramvinaysharma5616 11 месяцев назад

    ज्ञानवर्धक साक्षात्कार।

  • @shatpatraofficial
    @shatpatraofficial 11 месяцев назад

    बहुत ही अच्छा रहा,,

  • @VijaySharma-dy7qt
    @VijaySharma-dy7qt 7 месяцев назад

    प्रियंवद जी बेबाक बोले

  • @geetashree3076
    @geetashree3076 11 месяцев назад

    बहुत सुंदर बातचीत !

  • @ashokmishra4106
    @ashokmishra4106 11 месяцев назад

    Bahut Sarthak baatchit

  • @VijaySharma-tm7lv
    @VijaySharma-tm7lv 11 месяцев назад +1

    प्रियंवद मेरे एक पसंदीदा लेखक हैं। पर यहाँ असहमति है। बीमार उदास हो यह आवश्यक नहीं है।

  • @Un-Democratic
    @Un-Democratic 2 месяца назад

    करण थापर के बाद साक्षात्कार की विधा में भाई अंजूम का नाम आता है।

  • @aspirant9457
    @aspirant9457 11 месяцев назад +1

    अंत में अरुण कमल जी को देख के इंतजार में हूं

  • @jawedjahadpoetry1267
    @jawedjahadpoetry1267 11 месяцев назад

    बहुत शानदार 💐

  • @RahulRajMeena
    @RahulRajMeena 11 месяцев назад

    26:48 आज सब कोई मज़दूर हुआ जा रहा है और सर्विस सेक्टर में मज़दूर या नीचे तबके के कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं है।

  • @user-qt6li3jr4s
    @user-qt6li3jr4s 11 месяцев назад +3

    सुशोभित का इंटरव्यू लीजिये.

    • @Mysangeeet
      @Mysangeeet 11 месяцев назад

      Sushobhit Shaktawat?

  • @urvashiclasses
    @urvashiclasses 11 месяцев назад

    संगत में रविभूषण जी का साक्षात्कार भी लें।

  • @mahendrakurre5947
    @mahendrakurre5947 11 месяцев назад

    It's a humble request, please mention the links of his collection of all the books so that we can purchase and access it right from here. That way hindwi might also promote the affiliate marketing and we'll get the access of his creation. Thanks.

  • @ad0906013
    @ad0906013 11 месяцев назад +2

    Baah ...ek avivahit doosre avivahit se avivahit jeevan ke gur poochta hua....Sach hi hai ki ek baar avivahit jeevan ka aadi hone par aur kuch nahi bhata...avivahit hone ka matlab samvednaon ka hras nahi hai...Pantjee se bhi sadha gya tha yahi prashn...unka uttar yaha suna ja sakta hai: ruclips.net/video/Xk7BInsQUY0/видео.html

  • @kusumpandey8620
    @kusumpandey8620 11 месяцев назад +1

    मुझे दिलरस में खूब मजे आई थी

  • @hindiekkhoj7800
    @hindiekkhoj7800 9 месяцев назад +1

    जिन मुस्लमानों ने गांधी जी का रास्ता अपनाया वही मुस्लमान हिंदुस्तान में रह गए थे, बाकी को अपनाने वाले तो पाकिस्तान चले गए थे।

  • @arunjaypaswan6335
    @arunjaypaswan6335 11 месяцев назад +2

    जब हम निराशा/ Depression की चरम अवस्था में होते हैं तो धर्म और समाज ही उससे बाहर निकालकर मनन लगने/ मरने/sucide करने से बचाता है।
    आज जब किसी का Break up होगा, किसी प्रिय+करीबी व्यक्ति का Death होगा तो कल वह सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, गणपति पूजा मनाकर एवं विसर्जन यात्रा में मन भर डांस करके आपना दुख को कम कर सकता है।
    धर्म और समाज ज्ञानियों के नही बने हैं।

    • @newmanavjagartiandolan1882
      @newmanavjagartiandolan1882 11 месяцев назад +1

      यह तुम्हारा अपना नज़रिया है कि धार्मिकता इंसान को दुःख के वक्त सहारा देता है? नहीं यह एक भ्रम है मूर्खता है धर्म आदमी को नपूसंक ग़ुलाम बनाता है। मानव के लिए सबसे बड़ा सहारा या कहें मज़बूती ख़ुशी देगी तो उसकी विवेकपूर्ण समझ देखने का विशाल दायरा धर्म जात और सामाजिक परंपराओं बंधना इंसान की सोच को संकुचित बनाता है।

    • @arunjaypaswan6335
      @arunjaypaswan6335 11 месяцев назад

      मै एक प्रगतिशील मार्क्सवादी हूं। सत्य क्या है मुझे मालुम है। हमारी किसी भी कृत्य से किसी भी जीवित प्राणियों को हतासा, निराशा,कष्ट, दुख नही होना चाहिए क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो वो भी पाप की श्रेणी में गिना जायेगा/आयेगा। सत्य क्या है निम्नलिखित पंक्ति से हम समझ सकते हैं -
      एक बार 10 साल के एक बच्चे ने अपने पिता से पुछा-
      पापा तरबुजा/खरबुजा मे चिनी कहा से आया ?
      पिता - जब तुम सो रहे थे तब भगवान जी आये थे , डाक्टर की सुई से चिनी भर कर चले गये।
      बच्चा जब पढ़कर 20 साल का हुआ तो पिता से नफ़रत करने लगा क्योंकि उसे पता चल गया कि उस फल में चिनी कैसे आया। पिता जी हमसे झुठ बोल रहे थे।
      फिर वही बच्चा 30 साल का हुआ और उससे उसके 10 साल के बच्चे ने पुछा कि पापा इस फल में चिनी कैसे आया ?
      तब उसने जवाब दिया.. बेटा जब तुम सो रहे थे तब भगवान जी आये थे और सुई से चिनी भरकर चले गये।
      Morning walk पे निकले एक बुजुर्ग ने पार्क में बैठे एक प्रेमी-प्रेमिका की जोड़ी को देख कर हंस रहे थे ये सोचकर कि पता नही आगे क्या होगा इनका।
      बुजुर्ग को हंसता देख प्रेमी जोड़े भी उस बुजुर्ग पे हंसने लगे ये सोचकर कि इसे क्या मालुम हम किस आनंद की चरम अवस्था में हैं।
      फिर एक विवेकपूर्ण व्यक्ति ने दोनों को समझाया कि अपने अपने उम्र के हिसाब से आप दोनों सही हो।
      नोट :- कोई भी समजिक व्यवस्था (धर्म) कुछ सोच समझकर ही बनायी जाती है। जब तक हमारे पास कोई नया + उससे अच्छा विकल्प मौजूद ना हो , उसे ही follow करते रहिए।
      शंकराचार्य ने भक्ति का विरोध कते हुए कहा था - भक्ति करने से Concentration बढ़ती है, और जब तुम अपना Concentration भक्ति करके बढा लोगे तो ज्ञान प्राप्त कर लेना उसके बाद भक्ति करना ( धर्म समाज को मानना) छोड़ देना। उससे पहले भक्ति करना मत छोड़ना।
      निष्कर्ष :- बैलगाड़ी के रेस में धर्म वह खराब गाड़ी बन गयी है जिसे यदि ठिक कर दिए जाए तो कोई भी उससे जीत नही पायेगा।

  • @zakia8623
    @zakia8623 12 дней назад

    Sex aur prem alag ho sakte hain aur hote bhi hain. Sex never means love ...

  • @marktower4055
    @marktower4055 8 месяцев назад

    6:00

  • @umeshtiwari1559
    @umeshtiwari1559 11 месяцев назад +1

    इनकी सारी किताबें खरीदने का कोई जुगाड़ है?

  • @ravishanker9672
    @ravishanker9672 11 месяцев назад

    संस्कृत पढ़ लेते तो दिशा पा जाते अब दिशाहार

  • @user-qt6li3jr4s
    @user-qt6li3jr4s 11 месяцев назад +2

    48:23 पर ऋषि के मल मे दुर्गंध नहीं होती, कितनी आवैज्ञानिक बात है, मल का मतलब ही दुर्गंध होता है नहीं तो उसे मल कहा ही क्यूँ जाता. मुझे तो ये बिल्कुल भी दिलचस्प नहीं लगा बल्कि अंधविश्वास की बू आई इससे.

    • @shobhamathur3448
      @shobhamathur3448 6 месяцев назад

      जब तक बच्चे का अन्नप्राशन नहीं होता, उसके मल- मूत्र में उतनी दुर्गन्ध होती है?
      खानपान और सात्विकता के प्रभाव?

  • @kusumpandey8620
    @kusumpandey8620 11 месяцев назад

    राजेंद्र राव जी से मिलाएं अंजुम जी

  • @ravishanker9672
    @ravishanker9672 11 месяцев назад

    नाम प्रियमवाद लागत है जैसे रेलवे vendor

    • @AishwaryaMohanGahrana
      @AishwaryaMohanGahrana 11 месяцев назад

      एक लेखक को प्रधानमंत्री जी के समकक्ष रखने का यह तरीका पसंद आया।

  • @zakia8623
    @zakia8623 12 дней назад

    What about prostitution . Wahan daihik sambandhon me pyar kahan se agaya

  • @RahulRajMeena
    @RahulRajMeena 11 месяцев назад

    1:34:30 गांधी क्यूँ दिखने चाहिए ??

    • @hindiekkhoj7800
      @hindiekkhoj7800 11 месяцев назад

      मैं भी वही सोच रहा हूं, गांधी जी को ही क्यों?
      गांधी जी से मतलब? मुस्लमानों को गांधी जी से क्या अपनाना चाहिए था? कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।

  • @hindiekkhoj7800
    @hindiekkhoj7800 11 месяцев назад

    मैं सोच रहा हूं, गांधी जी को ही क्यों?
    गांधी जी से मतलब? मुस्लमानों को गांधी जी से क्या अपनाना चाहिए था? कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।

  • @anikethiwarale6272
    @anikethiwarale6272 7 месяцев назад

    संपूर्ण विश्व मे अल्पसंख्यको की सबसे बड़ी मुक्ति और शरण गाँधी नही बल्कि डॉ. आंबेडकर है।और रही बात मुसलमानो की तो उन्होंने बाबा साहेब की जीवन दर्शन और विचार को स्वीकार करना चाहिए।
    प्रियंवद् जी आप यहा पर गलत है आपको इस विषय पर इतिहास को दोबारा पढ़ना चाहिए।

  • @ravishanker9672
    @ravishanker9672 11 месяцев назад +2

    पगलापा आलाप

  • @ajeyklg
    @ajeyklg 11 месяцев назад

    प्रियंवद जी से एक बार मिलना हुआ है, संगमन में । इस इंटरव्यू में उसी प्रियंवद से फिर मिला। उसी सहजता के साथ। एक ऑथेंटिक व्यक्ति के साथ मिलने की तरह।
    इन्होंने मेरी कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें छापी हैं। सब से महत्वपूर्ण चीज़ें ज्ञानरंजन ने छापीं थीं। कभी ज्ञान जी से भी मिलवाईए, अंजुम।

  • @prakashchandra69
    @prakashchandra69 11 месяцев назад

    सारे हिन्दू समाज ने भी गांधी को नहीं अपनाया।
    गांधी ने भी खिलाफत और रामराज्य का ध्रुवांतर
    कर मिलनस्थल को बाधित किया। गांधी ने अपने समांतर मुस्लिम लीग को रखा, जबकि विभाजन विरोधी और राष्ट्रवादी
    जमीयत- उलमा-ए-हिंद से दूरी रखी , क्यों?

    • @Jhasushant
      @Jhasushant 11 месяцев назад +1

      Jameeyat can't be compared with ML. League was a big force and had huge Muslim support.

    • @hindiekkhoj7800
      @hindiekkhoj7800 11 месяцев назад

      मैं भी वही सोच रहा हूं, गांधी जी को ही क्यों?
      गांधी जी से मतलब? मुस्लमानों को गांधी जी से क्या अपनाना चाहिए था? कुछ भी स्पष्ट नहीं किया।

  • @ravishanker9672
    @ravishanker9672 11 месяцев назад

    मुक्तिबोधी मैटेरियल

  • @krishnamurari847
    @krishnamurari847 9 месяцев назад

    Anjum bhai aap apne poorvagrah se kisi ki natikta aur vichardhara nhi samjh sakte…. Aap apne vicharo me ladte aur kuch had tak harte najar aa rhe is interview me…
    Aapko Mohan Rakesh ka Ashadh ka ek din me Mallika Bhi shayd buri lagi hogi….bhavnaye naisargik hoti hai use vaidh awaidh hum banate hain…

  • @PRAKASHJAI799
    @PRAKASHJAI799 9 месяцев назад

    गांधी ही क्यों

  • @nafeeswarsi669
    @nafeeswarsi669 2 месяца назад

    मुस्लमान और गांधीजी वाली बात बिलकुल तर्कहीन है। सुनकर अच्छा नहीं लगा।

  • @KushagraShukla-yk8jy
    @KushagraShukla-yk8jy 11 месяцев назад

    Priyamvad agar viklaang hote to kya apni Maa se apne youn iccha ki poorti karte? Paglo jaisa tark hai.