गंगा-त्रिपथगा-भागीरथी-जाह्नवी के ये नाम क्यों पड़े। वाल्मीकि रामायण, बाल कांड। आचार्य अंकित प्रभाकर
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- Опубликовано: 5 июн 2024
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आचार्य जी बाल्मिक रामायण की मूल कथा का ही वचन करे ताकि वास्तविक राम कहानी जो बाल्मिक जी ने लिखीं है वहीं सुने और ज्ञान शिक्षा प्राप्त हो
आचार्य जी
रामायण के श्लोक बोलकर सीधा सीधा अर्थ करके प्रक्षिप्त कहकर निकलने से बाल्मीकि रामायण का सही पता चलता. आज कहीं से पता नहीं चल रहा कि पुराण से सुना रहे हैं या केवल रामायण से है.
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🚩 कृण्वन्तो विश्वामार्यम । चरैवेति चरैवेति… । जय आर्य जय आर्यावर्त भरतखण्ड ।
Ram
ओम् , सादर प्रणाम आचार्य जी।
आचार्य जी सादर नमस्ते
आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏🚩🕉️🌞🙏🙏🎤👌👌🌺🌻🌹🌻🌺
🙏🙏
आचार्य जी आपके मुख से ये पौराणिक कथाए शोभा नही देती है ।
आचार्य जी सादर नमस्ते।ये हिमालय पर्वत उस काल में पृथ्वी पर नही हुआ करता था क्या।ये पौराणिक कथाकार कैसा कैसा भ्रम दल गए है।
🚩जय भारत।
आचार्य जी सादर नमस्कार
nice and knowledgeable...thanks
Pranam acharya ji 🙏
🙏🏻🙏🏻
Sanskriti or sabhyata me kya antar he iss vishay par ,aap video dvara samjha dijiye
Acharya ji kuch ladkiya jhanvi bhi rakhte hai
जिसको वाल्मीकि कहते हैं ओ अङ्गुलीमाल तो नहिँ है ?