इतिहास बदलने की चेष्टा न करे ।। राणा पूंजा जी भील थे पर आज जब कुछ सालो से भील समाज राणा पूंजा जयंती जोर शोर से मनाने लगे और एक हुए तो ये मुद्दा उठने लगा है।। जय जोहार
Abe gadhe rana Puja bhil the usne maharana pratap ka sath diya tha yudh me maharana pratap Puja bhil ko bete mante the unko is liye rana ka birudh diya tha
भील शब्द तीर कमान से दिया गया है राणा पूंजा भील थे तीर कमान राणा पूजा जी के हाथ में जो शस्त्र है वह तीर कमान है इससे यह साबित होता है कि राणा पूंजाभील थे दूसरी बात यह है कि भील समाज के सरदार तो भील ही होते हैं राणा पूंजा जी के पहनावे से पता चलता है कि वह भील ही थे राणा पूंजा जी के आगे इतिहास के पन्नों में कभी सिंह नहीं लगा सोलंकी गोत्र भील समाज में भी होती है
महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ने वाले राणा पूंजा भील थे जिनका जन्म 5 अक्टूबर को हुआ था जो की मेरपुर के रहने वाले थे और भोमट के राजा थे और panrva में महाराणा प्रताप और भीलू राणा पूंजा के बीच में संधि हुई थी जो की मेवाड़ का राज चिन्ह साफ दर्शाता है कि एक तरफ भीलू राणा पूजा है और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप भीलू राणा लंगोट पहने हुए हाथ में तीर कमान है हाथ में कड़े पहने हुए और गले में आहली है यह वेशभूषा सिर्फ भील आदिवासी ही पहनते हैं और यह गहने भी आदिवासी ही पहनते हैं जो राणा पूजा सोलंकी है वह panrva के हो सकते हैं और होंगे लेकिन हल्दीघाटी के युद्ध में जो लड़े थे वह राणा पूंजा भील थे जिनका मेवाड़ का राज चिन्ह जीता जागता प्रमाण है अगर डिबेट चाहते हो तो हम तैयार हैं आपको हमारी चुनौती है स्वीकार करना या ना करना आपकी इच्छा जय राणा पूंजा भील ❤❤❤❤❤जय आदिवासी
@@sanjaybamaniya4422 इतिहास जानते हो तो ये बताओ उनके वंसज कहा है इस समय वो खुलकर सामने क्यों नही आ रहे है वो इतने बड़े वीर योध्दा हुए है कही न कही तो उनके वंसज होंगे न क्योकि इतिहास मे जितने भी राजा हुए है उनके वंसज मिल जाते है तो फिर उनके वंसज कहा है
इतिहास जानते हो तो ये बताओ उनके वंसज कहा है इस समय वो खुलकर सामने क्यों नही आ रहे है वो इतने बड़े वीर योध्दा हुए है कही न कही तो उनके वंसज होंगे न क्योकि इतिहास मे जितने भी राजा हुए है उनके वंसज मिल जाते है तो फिर उनके वंसज कहा है
भाई भाई like से कुछ नही होगा अब तू तो chavhan लगाता ह इसका मतलब तू पृथ्वी राज को भी भील बता देगा क्या इन बातों से कुछ नही होगा ये channal पुरा सत्य ही like करने से लौड़ा कुछ नहीं होगा भाई
आपके कहने से भील नही होंगे राणा पुजा कि सेना भील थी और भील जाति से लगावो ज्यादा होने से भील जाति ने अपना मान लिया है जबकि हकिगत है राणा पुजा एक सोलंकी राजपुत थै
@@MUKESHVADERA-ji1df जैन धर्म न शुरू होता न अंत ,आप के पूर्वज भी सिंधु घाटी सभ्यता में जैन धर्म मानते थे।हम सभी क्षत्रिय है जो अनादि काल से यहां है।नहीं विश्वास हो तो दुनिया के किसी भी कोने में खुदाई करो जैन कोन है पता चलता है।
ज्ञान ना दे फालतू ,, मीणा मीना एक है 🙏🫡 तुम्हें पता होना चाहिए कि पहले जातियां नहीं थी जातियां बाद में आई थी अंग्रेजों की वर्गीकरण के समय पहले सभी गोत्र और वंश आधारित हमारी परंपराथी तब गोत्र लगाते थे ,, आधा अधूरा पड़ाभी गलत और हानिकारक है ,, तुमने कब बनवाया इस नाम सेकागज??
सोए हुए शेरो को मत जगाओ मेरे बंधु,ठीक है अभी चुप है और अगर जातिवाद भावना और द्वेषता के चलते छेड दिया तो फिर परिणाम इतना भयावह हो सकता है आप कल्पना मात्र से भयभीत हो जाओगे।
@@rakeshmeena3980अफसोस अफसोस है कि वह लोग आज राणा पंजाबी भील की जाती बता रहे हैं जो कभी महाराणा प्रताप जी के साथलड़े ही नहीं उनके परिवार के 99% सदस्य और पूरे राजस्थान के 99% राजपूत उनकेखिलाफ थे हद है जो उनके साथ नहीं थे वे लोग बता रहे हैं कि उनके साथकौन थे वाह re??? कोई नहीं जानता कि राणापूंजा भील थे ,, जाटों का इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं?? यादवों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? गुर्जरों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? और मैं हमारे मत्स्य प्रदेश की बात करूं तो उसका इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं ?? प्रत्येक बाहरी आक्रमणकारी राजाओं सेतुम हारे थे बहुत लंबी श्रृंखला है तुम्हारीहारने की ,, महाराणा प्रताप जी खुद जंगलों में उनका बचपन बीता है याद रखना चाहिएतुम लोगों ,, और उनको तो मेवाड़ का राजा भी नहीं बनायाथा बाद में सामंत होने और सभी यहां के लोगों ने उन्हें राजा बनायाहै ,, मैं यह नहीं कह सकता कि मेरे लोग भी महाराणा प्रतापजी के साथ थे ,, उनके जीवन लेखनी में लिखे गए कुछ तथ्य हैं मेरे साथ जो मुझेमिले है ,, प्रताप की आत्मकथ्य) मैं शीस क्षत्री रो लिया फिरूं, पण धड मेरो भीलां दल है। बादल में ज्युं बिजली चमके, ऐसो मेरो मीणा दल है ।। म्है देख लिया रजपूतां ने, कहता ही लाज शरम आवे। म्हे गाली देतो थकुम नहीं, ऐंड्योडी मूंछ कयां भावे ।। कुणसा लोहु री बात करूं, लज गयो खून रजपूतां रो। अब खून बच्यो है एक धरा, भीलाम अर मीणां पूता रो। मुझे उम्मीद है तुम लोगों ने इन सभी चीजों को भी हटवा दियाहोगा😢 पर मेरे गांव में महाराणा प्रताप के गीत प्रचलित है उनका सम्मान उठना है जितना हमारे खुद केराजाओं का नहीं था ,, सभी को साथ लेकर चलना ही उनकी महानता थी परंतु तुम लोगों ने वह भी उनसे छीन लीहै ,, असल में देश धर्म और सभ्यता की जो हानि हुई है वह तुम्हारे इसी मानसिकता के कारणहुई है
@@veildworld714 maay ek rajput hu or sun charan or brahman hamesha rajputo kay sath rahay hai ok unka ithas batya nahi jata prtviraj chauhan ka senapati chamunda rai jisay chodaa pandit boltay thay or chandrabardai bhatt etc bahut thay maharana pratap ka senapati dhanu joshi tha pata hai etc bahut hai
और बनाओ दूसरो के बाप को अपना बाप बड़ा अच्छा लगता हैं 🤣🤣🤣अगर राजपूत थे तो निकालो घर से बाहर और भीलों से करो मुकाबला तब पता चलेगा कि राणा पूजा जी कोन थे यहा पे चिलाने ने से कुछ नहीं होने वाला 🏹जय राणा पूंजा भील की 🏹
🕉🚩🔱🐅🐘🙏💐🎖 जय जय श्री राम 🙏💐 जय हिंदू सनातन भारत 🙏💐 राणा पूजाजी सोलंकी ठिकाने के जागीरदार थे🙏💐 और राणा पूंजा जी भील अलग है 🙏💐नाम की वजह से गलतफहमी हो रही है🙏💐 इसका लाभ नेता लोग उठा रहे हैं और दो समाज को आपस में लड़ा रहे हैं डोसमाज को लड़ाने का काम सर्वप्रथम कांग्रेसी कीड़ों ने किया था जो आज भी चालू है
भील सरदार को जो राणा की उपाधि दी गई वह केवल उन भील सरदारों को दी गई जिन्होंने धर्म युद्ध में मुसलमान के विरुद्ध युद्ध किया और राणा एक उपाधि है वीरता के लिए कोई जाति नहीं
कोई प्रमाणित शिलालेख हो या समकालीन राजाओं द्वारा लिखा इतिहास, उसको अखबारों में प्रकाशित कर दीजिए ( सचित्र )वैसे एक होड़ सी मची हुई है हर किसी को भूतकाल में जाने की!वर्तमान में कोई जीना ही नहीं चाहता,भविष्य की तो बात ही छोड़ दो,भील आदिवासी समाज की दशा आज भी वैसी ही है ,कोई बदलाव नहीं आया, थोड़ा बहुत सम्मान अपने पुरखों को याद कर के खुश होते हों वो भी हमे बर्दास्त नहीं, वाह धन्य हैं हम !
Bawla hai kya 😂 pehle poora video dekh video ki authenticity dekh phir kuch bhi bol !! Kyu rajput or bhil jaati ke acche relations ko bigadne Mei lage ho
राणा पुजा भिल थे और भिल हि रहेंगे, खून से लिखा इतिहास कलम से नहीं मिटाया जा सकता है,जय जोहार जय आदिवासी जय प्रकृति जय राणा पुजा भिल ❤❤❤❤ श्रवण कुमार भिल
करणी सेना के महिपाल जी का कई बार वक्तव्य सुना पर उन्होंने पूंजा जी को भील हि माना ,,,, किसी के बाप को अपना बोलने मे थोड़ी तो शर्म करो ,, भीलो का इतिहास चुराओ मत , अगर भील शिक्षित होते तो उनका इतिहास ओर भी होता लिखा मिलता है
@@rahulmeena3728 तुम्हारी भाषा बता रही हैं कि तुम राणा पूंजा जी वंशज तो नहीं हो ,बाकी इतिहास के बारे में बात है जिनके कुल में पीढी दर पीढी वीर हो वो चोरी नहीं करते बल्कि पीछले कुछ वर्षों से क ई जातियों को अपना स्वाभिमान जगाने के लिए इतिहास में महापुरुषों की जरूरत पड़ी तो जो दिखा कि इसकी ज्यादा चर्चा नहीं है उसको अपना बना रहे हैं बाकी हमने तो कहा कि महापुरुषों जातियों से ऊपर है तुम तो महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान को ही अपना बताने लगे तब बोलना पड़ता है,, इतिहास के प्रमाण में तुम या तो अपने किसी कुंठित व्यक्ति की किताब लाते हो या शुरुआत सरकार के वामपंथी इतिहासकारों की पुस्तकें जो दिल्ली के बंद कमरों में लिखी गई,,हमारा इतिहास ताम्रपत्र शिलालेखों और राव भाटों की बहीयो में सुरक्षित है,खैर आपकी भी गलती नहीं है आपको पढ़ने से अभी दूर रखकर वामपंथी लोगों के संगठनों द्वारा नफरत ही सिखाई जा रही है जो सिखोगे वही कहोगे,,
@@rahulmeena3728Mahipal Singh Itihaskar hai kya. Matlab unke vansaj zinda hain lekin tum logon ne unko bas apna baap banana hain. Itna hi dikkat hai to Arakshan mat le Meena. Raja bhi banna hai aur Arakshan bhi lena hai
मानवता ही ठीक। सब पहले आदीवासी ही थे। बाकी क्या बोलूं सब अपने जाति जाति कर अपने आप को बड़ा समझ रहे। क्या हो जाता क्या पता इनको भीलों को क्यू नीचा दिखाने चाहते हैं। क्या पता.... मेरपुर और पनरमा दोनो अलग अलग ठिकाने थे। एक में पूंजा सोलंकी भी रहते थे। और दुसरी तरफ मेरपूर में पूंजा भील जन्मे थे.... पर मानवता के आधार मै फिर बोल रहा की.... कोई विरोध न करें ❤
अफसोस अफसोस है कि वह लोग आज राणा पंजाबी भील की जाती बता रहे हैं जो कभी महाराणा प्रताप जी के साथलड़े ही नहीं उनके परिवार के 99% सदस्य और पूरे राजस्थान के 99% राजपूत उनकेखिलाफ थे हद है जो उनके साथ नहीं थे वे लोग बता रहे हैं कि उनके साथकौन थे वाह re??? कोई नहीं जानता कि राणापूंजा भील थे ,, जाटों का इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं?? यादवों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? गुर्जरों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? और मैं हमारे मत्स्य प्रदेश की बात करूं तो उसका इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं ?? प्रत्येक बाहरी आक्रमणकारी राजाओं सेतुम हारे थे बहुत लंबी श्रृंखला है तुम्हारीहारने की ,, महाराणा प्रताप जी खुद जंगलों में उनका बचपन बीता है याद रखना चाहिएतुम लोगों ,, और उनको तो मेवाड़ का राजा भी नहीं बनायाथा बाद में सामंत होने और सभी यहां के लोगों ने उन्हें राजा बनायाहै ,, मैं यह नहीं कह सकता कि मेरे लोग भी महाराणा प्रतापजी के साथ थे ,, उनके जीवन लेखनी में लिखे गए कुछ तथ्य हैं मेरे साथ जो मुझेमिले है ,, प्रताप की आत्मकथ्य) मैं शीस क्षत्री रो लिया फिरूं, पण धड मेरो भीलां दल है। बादल में ज्युं बिजली चमके, ऐसो मेरो मीणा दल है ।। म्है देख लिया रजपूतां ने, कहता ही लाज शरम आवे। म्हे गाली देतो थकुम नहीं, ऐंड्योडी मूंछ कयां भावे ।। कुणसा लोहु री बात करूं, लज गयो खून रजपूतां रो। अब खून बच्यो है एक धरा, भीलाम अर मीणां पूता रो। मुझे उम्मीद है तुम लोगों ने इन सभी चीजों को भी हटवा दियाहोगा😢 पर मेरे गांव में महाराणा प्रताप के गीत प्रचलित है उनका सम्मान उठना है जितना हमारे खुद केराजाओं का नहीं था ,, सभी को साथ लेकर चलना ही उनकी महानता थी परंतु तुम लोगों ने वह भी उनसे छीन लीहै ,, असल में देश धर्म और सभ्यता की जो हानि हुई है वह तुम्हारे इसी मानसिकता के कारणहुई है
हमारे भी हमारे क्षेत्र में गांव में कोई भी मुखिया दूसरी जाती का नहीं हे तो उस समय कौनसा राजपूत भीलों के ऊपर राज कर रहा होगा ।।। इतिहास बदल ने ओर भीलों को घूम राह करना बंद करे जय भील वंश 🏹🏹🏹🏹
राणा पूंजा भील एक महान वीर योद्धा और महाराणा प्रताप के सेनापति थे। वह मेवाड़ के एक प्रमुख भील नेता थे और हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध हुए। राणा पूंजा भील का जन्म मेरपुर (कोटड़ा) में हुआ था। वह दुदा जी और केहरीबाई के पुत्र थे। वह एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे जिन्होंने महाराणा प्रताप के साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। राणा पूंजा भील की विशेषताएं: 1. महान योद्धा: वह एक महान योद्धा थे जिन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। 2. गुरिल्ला युद्ध रणनीति: वह गुरिल्ला युद्ध रणनीति के जनक थे जिसका उपयोग उन्होंने मुगलों को पराजित करने के लिए किया। 3. महाराणा प्रताप के सेनापति: वह महाराणा प्रताप के सेनापति थे और उनके साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 4. भील समुदाय के नेता: वह भील समुदाय के एक प्रमुख नेता थे और उनकी वीरता और नेतृत्व क्षमता के लिए प्रसिद्ध हुए। राणा पूंजा भील की जयंती 5 अक्टूबर को मनाई जाती है और उनकी वीरता और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
इतने जाबांज और काबिल सिपाही होने के बावजूद एक इतनी बड़ी जाति एक राजपूत का नेतृत्व क्यों स्वीकार करेंगे,। दो पूंजा हो सकते हैं एक राजपूत और एक भील जो भीलो के सरदार थे। जो पूंजा सोलंकी राजपूत थे वो भीलो की बड़ी जाति के सरदार नही हो सकते
Bhil vidroh huha tha tb kiya rana punja solanki ke vansj gupa me chip gye the kiya. Vo rana punja bhil tha or rehga rajputo or bhilo me padav dalne wale jarur hiy man Singh ke vnsaj ho skte h
राजपुत भाई कभी भी झूठ नहीं बोलते उनकी आन बान शान हीं उनकी पहचान है पर अब जो बोला जा रहा है यह मिथ्या है या नी एक सच्चा राजपूत ही बता सकता है की ये सही है या गलत बाकी भील शब्द हीं उसकी पहचान है उसको तोड़ मरोड़ कर मत पेस किया जाएं
बाकियों का तो नहीं पता, पर आप जरूर अपने वयुज के चक्कर में नफ़रत फैलाने का कार्य बखुबी निभा रहे हो, यहां महत्वपूर्ण बात यह नहीं है कि वह राजपूत थे या भील थे, यहां महत्वपूर्ण यह है कि हमारे मेवाड़ के लिए लडे ❤✌️
ये सोलंकी कौन होते है इसके विषय पर भी कुछ बताइये ,राणा पूंजा भील का नाम ही सुना गया ,भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप सीरियल में भी भीलों के सरदार पूंजा का ही नाम आता है ,चूंकि ऐसा होते हुऐ भी उन्होने अपने लोगों के साथ महाराणा प्रताप को पूरा सहयोग क्षत्रिय कर्म के अनुसार दिया इसलिए उनको क्षत्रिय कार्य के कारण क्षत्रिय कहलानें का शास्त्रीय हक हो सकता है और देश की रक्षा के लिये सम्मानित है ,
राणा पूंजा पानरवा के शासक थे, उनका क्षेत्र भीलों का था, सो उनकी सेना में भील, गरासिया और राजपूत थे, चूँकि प्रजा भील बहुल थी इसलिए उन्हें भीलों का राणा पुकारा जाता था इसलिए इतिहासकारों ने उन्हें भील लिख दिया जबकि वे सोलंकी यानी चालुक्य क्षत्रिय थे | पर अब इतनी भ्रान्ति फ़ैल गई कि कोई भील मानता है कोई राजपूत |
Punja भील गोत्र सोलंकी 500 सालो से भील और अब राजपूत बताने लगे उस ज़माने मे वहां कोई ठिकाने नहीं थे घनघोर जंगल थे जंगली जानवरों और bhilon के अलावा कोइ नहीं रहते थे
राणा पुंजा भील की जय हो 1710 ईसवी में राजस्थान के (अबुल फ़ज़ल) कहे जाने वाले इतिहास कार ने अपने ग्रंथ में भी उस समय 1710 मे पानरवा दयालदास भील का बताया गया है
अगर राणा पुंजा राजपूत थे तोह महाराणा प्रताप ने राणा की उपाधि क्यू दी थी क्योंकि वो भील थे एक भील योद्धा होने के कारण उन्हें राणा की उपाधि दी क्योंकि राजपूत के पास तोह पहले से राणा की उपाधि रहती थी
राणा पूंजा भील जगल राजा था राजपूत और मुगल का बादशाह था उन्हे राजपूत साथ दिया और उन्हें उनका इतिहास दबा दिया गया आज राणा पूंजा इतिहास पड़ना और जानने लगे वो राजपूत कहने लगे शर्म आनी चाहिए
इतिहास बदलने की चेष्टा न करे ।।
राणा पूंजा जी भील थे पर आज जब कुछ सालो से भील समाज राणा पूंजा जयंती जोर शोर से मनाने लगे और एक हुए तो ये मुद्दा उठने लगा है।।
जय जोहार
You are absolutely right !👍 ❤
Solanki the
Unke under bhil sainik the
Abe gadhe rana Puja bhil the usne maharana pratap ka sath diya tha yudh me maharana pratap Puja bhil ko bete mante the unko is liye rana ka birudh diya tha
बिल्कुल सही कहा भाई आपने
Koi History proof hai tere pass
भील शब्द तीर कमान से दिया गया है राणा पूंजा भील थे तीर कमान राणा पूजा जी के हाथ में जो शस्त्र है वह तीर कमान है इससे यह साबित होता है कि राणा पूंजाभील थे दूसरी बात यह है कि भील समाज के सरदार तो भील ही होते हैं राणा पूंजा जी के पहनावे से पता चलता है कि वह भील ही थे राणा पूंजा जी के आगे इतिहास के पन्नों में कभी सिंह नहीं लगा सोलंकी गोत्र भील समाज में भी होती है
तीर कमान तो राजा पांडु के समय से चल रहा है क्या राजा पांडु भी भील थे
@@ShaitansinghDeora-m6r जब मानव कबिलाई रूप मैं रहता था तब से है तीर कमान इस मैं किसी राजा कोई लेना देना नहीं है।
Teer kaman to Bhagwan Ram ke pass hui thi kya unhen bhi bheel kahoge bhai bhramit mat ho
Teer kaman Prithviraj Chauhan ke pass h
Agar wo bhil the to unke vansaj kha he sbut pes kro
महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ने वाले राणा पूंजा भील थे जिनका जन्म 5 अक्टूबर को हुआ था जो की मेरपुर के रहने वाले थे और भोमट के राजा थे
और panrva में महाराणा प्रताप और भीलू राणा पूंजा के बीच में संधि हुई थी जो की मेवाड़ का राज चिन्ह साफ दर्शाता है कि एक तरफ भीलू राणा पूजा है और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप
भीलू राणा लंगोट पहने हुए हाथ में तीर कमान है
हाथ में कड़े पहने हुए और गले में आहली है
यह वेशभूषा सिर्फ भील आदिवासी ही पहनते हैं और यह गहने भी आदिवासी ही पहनते हैं
जो राणा पूजा सोलंकी है वह panrva के हो सकते हैं और होंगे
लेकिन हल्दीघाटी के युद्ध में जो लड़े थे वह राणा पूंजा भील थे जिनका मेवाड़ का राज चिन्ह जीता जागता प्रमाण है
अगर डिबेट चाहते हो तो हम तैयार हैं
आपको हमारी चुनौती है स्वीकार करना या ना करना आपकी इच्छा
जय राणा पूंजा भील ❤❤❤❤❤जय आदिवासी
Main bhi apke sath hai
मेवाड का राजचिन्ह में एक तरफ राजपूत है और दूसरी तरफ आदिवासी भील का ये दोनों की एकता की प्रतीक हैं ना उसमें महाराणा प्रताप है ना राणा पूंजा है
हम भी इतिहास जानते है। हमे मत शिखाओ.... भील का इतिहास मत खराब करो। राणा प्रताप और एक तरफ भील राज का प्रतीक आपको अच्छा नही लग रहा है
@@sanjaybamaniya4422 इतिहास जानते हो तो ये बताओ उनके वंसज कहा है इस समय वो खुलकर सामने क्यों नही आ रहे है
वो इतने बड़े वीर योध्दा हुए है कही न कही तो उनके वंसज होंगे न
क्योकि इतिहास मे जितने भी राजा हुए है उनके वंसज मिल जाते है तो फिर उनके वंसज कहा है
इतिहास जानते हो तो ये बताओ उनके वंसज कहा है इस समय वो खुलकर सामने क्यों नही आ रहे है
वो इतने बड़े वीर योध्दा हुए है कही न कही तो उनके वंसज होंगे न
क्योकि इतिहास मे जितने भी राजा हुए है उनके वंसज मिल जाते है तो फिर उनके वंसज कहा है
काम करे जद मोटो ,पर मिनख छोटो कहाय !
जाति बदल दे रतना,तू कुण कुण ने बाप बणाए!! ?
राणा पूंजा भील वाले लाइक करे
भाई भाई like से कुछ नही होगा अब तू तो chavhan लगाता ह इसका मतलब तू पृथ्वी राज को भी भील बता देगा क्या इन बातों से कुछ नही होगा ये channal पुरा सत्य ही like करने से लौड़ा कुछ नहीं होगा भाई
@@rathore2085Jane de shyd ho bhi sakta he prithvi raj ka kul bahut si dasiya hoti thi kya pta kisi dasi ke kul panpa ho🙏
आपके कहने से भील नही होंगे राणा पुजा कि सेना भील थी और भील जाति से लगावो ज्यादा होने से भील जाति ने अपना मान लिया है जबकि हकिगत है राणा पुजा एक सोलंकी राजपुत थै
@@rathore2085चव्हाण और चौहान में अंतर होता एक बार सही से पड़ना सीख लो
राणा पूजा सोलंकी राजपूत है और भील उनको अपना आप बता रहे हैं
भारत के मुल मालिक प्रथम व्यक्ति आदिवासी ही है कही से भी खोज कर लो 🎉
तो राणा पुऺजा भील ओर महाराणा प्रताप की वेशभूषा को अलग क्यों दर्शाया गया,,
हम तो अनादि काल से यहां है तो आदिवासी पहले केसे??
@@preeteshjain9174 कब से आए हो आप।।।
हम इस देश के मालिक और आदिवासी हे।।😊
@@MUKESHVADERA-ji1df जैन धर्म न शुरू होता न अंत ,आप के पूर्वज भी सिंधु घाटी सभ्यता में जैन धर्म मानते थे।हम सभी क्षत्रिय है जो अनादि काल से यहां है।नहीं विश्वास हो तो दुनिया के किसी भी कोने में खुदाई करो जैन कोन है पता चलता है।
जय राणा पूंजा भील को कोटि-कोटि नमन।
पानरवा के शासक राव पूंजा सोलकी क्षत्रिय को बारम्बार प्रणाम नमन्🎉🎉🎉🎉🎉
ऐतिहासिक जानकारी संकलन का अच्छा प्रयास।
Kitna credit loge 😂
The Young Rajput is a refined , well spoken and a learned person ....hats off
He represents the true Rajput spirit of taking everyone along.
राणा पूंजा भील थे और रहेंगे ❤❤❤❤❤
पुंजा जी को तो राजपूत बना दिया लेकिन गाड़िय लोहार जो आज भी उनके साथ ली कसम पर अडिग है लेकिन राजपूत समाज या मेवाड़ के राणा ,उनकी बात भी नही करते
इस क्षेत्र में मीणा भी रहते है जबकि वास्तविकता में वो मीणा नहीं है
उन्होंने तो बस 1960 में मीणा नाम से कागज बनवा लिए
ज्ञान ना दे फालतू ,, मीणा मीना एक है 🙏🫡 तुम्हें पता होना चाहिए कि पहले जातियां नहीं थी जातियां बाद में आई थी अंग्रेजों की वर्गीकरण के समय पहले सभी गोत्र और वंश आधारित हमारी परंपराथी तब गोत्र लगाते थे ,, आधा अधूरा पड़ाभी गलत और हानिकारक है ,, तुमने कब बनवाया इस नाम सेकागज??
इतिहास से छेड़छाड़ ही नहीं चलेगी राणा पूंजा जी भील थे भील रहेंगे।
भील गुर्जर जाट मेघवाल को एकता कर राजपूतों को सबक सिखाना ही होगा इसे प्यार से नहीं मानने वाले है
Kab aa rhe ho 1 hokar
तेरे सो पीढ़ी भी आ जायेगी तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा सामने आ कर बोल पता चलेगा कि तेरा बाप कोन है
@@harishekhwatsikar770कोई आए तो मुझे भी बताना 😂 में इंतजार कर रहा हूं
@अग्निमित्र- ham tumhare sath hai
Jai Johar
Jai aadivasi
सोए हुए शेरो को मत जगाओ मेरे बंधु,ठीक है अभी चुप है और अगर जातिवाद भावना और द्वेषता के चलते छेड दिया तो फिर परिणाम इतना भयावह हो सकता है आप कल्पना मात्र से भयभीत हो जाओगे।
भील अपना सरदार खुद चुनते हैं
Only भील ❤❤❤
Wahi
@@rakeshmeena3980अफसोस अफसोस है कि वह लोग आज राणा पंजाबी भील की जाती बता रहे हैं जो कभी महाराणा प्रताप जी के साथलड़े ही नहीं उनके परिवार के 99% सदस्य और पूरे राजस्थान के 99% राजपूत उनकेखिलाफ थे हद है जो उनके साथ नहीं थे वे लोग बता रहे हैं कि उनके साथकौन थे वाह re??? कोई नहीं जानता कि राणापूंजा भील थे ,, जाटों का इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं?? यादवों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? गुर्जरों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? और मैं हमारे मत्स्य प्रदेश की बात करूं तो उसका इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं ??
प्रत्येक बाहरी आक्रमणकारी राजाओं सेतुम हारे थे बहुत लंबी श्रृंखला है तुम्हारीहारने की ,,
महाराणा प्रताप जी खुद जंगलों में उनका बचपन बीता है याद रखना चाहिएतुम लोगों ,, और उनको तो मेवाड़ का राजा भी नहीं बनायाथा बाद में सामंत होने और सभी यहां के लोगों ने उन्हें राजा बनायाहै ,, मैं यह नहीं कह सकता कि मेरे लोग भी महाराणा प्रतापजी के साथ थे ,, उनके जीवन लेखनी में लिखे गए कुछ तथ्य हैं मेरे साथ जो मुझेमिले है ,,
प्रताप की आत्मकथ्य)
मैं शीस क्षत्री रो लिया फिरूं, पण धड मेरो भीलां दल है।
बादल में ज्युं बिजली चमके, ऐसो मेरो मीणा दल है ।।
म्है देख लिया रजपूतां ने, कहता ही लाज शरम आवे।
म्हे गाली देतो थकुम नहीं, ऐंड्योडी मूंछ कयां भावे ।।
कुणसा लोहु री बात करूं, लज गयो खून रजपूतां रो।
अब खून बच्यो है एक धरा, भीलाम अर मीणां पूता रो।
मुझे उम्मीद है तुम लोगों ने इन सभी चीजों को भी हटवा दियाहोगा😢 पर मेरे गांव में महाराणा प्रताप के गीत प्रचलित है उनका सम्मान उठना है जितना हमारे खुद केराजाओं का नहीं था ,, सभी को साथ लेकर चलना ही उनकी महानता थी परंतु तुम लोगों ने वह भी उनसे छीन लीहै ,, असल में देश धर्म और सभ्यता की जो हानि हुई है वह तुम्हारे इसी मानसिकता के कारणहुई है
राजनीति ने लोगों को आपस में बाटा खुद के फायदे लेकिन इतिहास तो बदल नहीं सकते जो है। वहीं है।
राजपुरोहित और राजपूतों व चारणों का बहुत सा इतिहास दबाया गया है।
किसी ने नहीं चुराया जो पढ़े लिखे थे उन्होंने चुराया और जो अनपढ़ थे उनके पूर्वजों को अपना बाप बना लिया
@@Bhil_raj_historyसही कहा भाईसाहब आपने
@@veer1gurjar2000BC savse bade wale chor to tum log ho . Aa gaya BC sahi hai bolne Beticho D
राजपुरोहित और चारण का कोई हिस्ट्री ऐसी नही थी जिसे दबाया गया। चारण चापलूसी कर के जीवन यापन करते थे, राजपुरोहित ब्रह्मण थे।
@@veildworld714 maay ek rajput hu or sun charan or brahman hamesha rajputo kay sath rahay hai ok unka ithas batya nahi jata prtviraj chauhan ka senapati chamunda rai jisay chodaa pandit boltay thay or chandrabardai bhatt etc bahut thay maharana pratap ka senapati dhanu joshi tha pata hai etc bahut hai
बहुत अच्छी जानकारी आभार खूब खूब आपका
जय राजपुताना, जय राणा पूजा जी सोलंकी 🚩🚩🚩🚩🚩🚩 बहुत बहुत धन्यवाद हुकम, इतिहास की सही जानकारी लोगो तक पहुंचाने के लिए 🙏🙏
और बनाओ दूसरो के बाप को अपना बाप बड़ा अच्छा लगता हैं 🤣🤣🤣अगर राजपूत थे तो निकालो घर से बाहर और भीलों से करो मुकाबला तब पता चलेगा कि राणा पूजा जी कोन थे यहा पे चिलाने ने से कुछ नहीं होने वाला 🏹जय राणा पूंजा भील की 🏹
@@Bhil_raj_historysachae sunake jalana sabhavik bat h
@@Bhil_raj_historyइस युग में युद्ध😂
@@Rajuram-li7lx 😂😂
@@Bhil_raj_history😂😂सही कहा भील थे है आगे भी रहेगे
😂😂 राणा पूंजा भील को राजपूत बताने वो राजपूत नही हो सकते है भील और गरासिया एक ही है अलग अलग नही है
Bap ka name pata nahi
@@SurajSingh-do8up जाओ और लक्षराज सिंह जी मेवाड़ से पूछो नही पता है तो
Mujhe koi fark nahi padta ki punja bhil the ye sena bhil thi solanki the lekin unki sena bhil thi bhilo ne sadaiv hamare purvajo ka sath diya hai
राजपूत ही थे वो ❤❤
बहुत बहुत आभार हुकुम🙏🏻🙏🏻
राणा पूंजा सोलंकी राजपूत सरदार थे व रहेगें 🙏
मेवाड़ का राज चिन्ह के बारे में बता दीजिए जरा अगर भीलों की वीरता का श्रेय अपने नाम तो कर दिया आपने
@@devbheel6312are bheel toh hero h hi
Rana punja bheel ho ya na ho
Bheel hero h
Rajput koi jaati nhi h 😂
तेरी मां को भेजा था इस सोलंकी को peda karne ke liye 😂😂
jay Rana poonia bhil 🏹🏹🏹💪💪💪💪
जय भवानी जय राजपुताना
राणा पूंजा जी सोलंकी क्षत्रिय राजपूत थे
वा क्या इतिहास बताया मुझे तो आज पता चला के राणा पुजां जी भील नही थे शरम कर लो
पनारवा में जाकर किसी भील से राणा पूंजा जी का घर पूछना वह जिस घर में भेजे उस घर में उनकी जाति पूछ लेना सच पता चल जाएगा
@@gyandarpan आप ही बता दो ना वो कोन थे
🕉🚩🔱🐅🐘🙏💐🎖 जय जय श्री राम 🙏💐 जय हिंदू सनातन भारत 🙏💐 राणा पूजाजी सोलंकी ठिकाने के जागीरदार थे🙏💐 और राणा पूंजा जी भील अलग है 🙏💐नाम की वजह से गलतफहमी हो रही है🙏💐 इसका लाभ नेता लोग उठा रहे हैं और दो समाज को आपस में लड़ा रहे हैं डोसमाज को लड़ाने का काम सर्वप्रथम कांग्रेसी कीड़ों ने किया था जो आज भी चालू है
🕉🔱🚩🙏💐🐅 मेवाड़ के महाराणा ने भीलो के जो सरदार थे उनको राणा की उपाधि दी थी युद्ध में भील सरदारों के योगदान के लिए
भील सरदार को जो राणा की उपाधि दी गई वह केवल उन भील सरदारों को दी गई जिन्होंने धर्म युद्ध में मुसलमान के विरुद्ध युद्ध किया और राणा एक उपाधि है वीरता के लिए कोई जाति नहीं
कोई प्रमाणित शिलालेख हो या समकालीन राजाओं द्वारा लिखा इतिहास, उसको अखबारों में प्रकाशित कर दीजिए ( सचित्र )वैसे एक होड़ सी मची हुई है हर किसी को भूतकाल में जाने की!वर्तमान में कोई जीना ही नहीं चाहता,भविष्य की तो बात ही छोड़ दो,भील आदिवासी समाज की दशा आज भी वैसी ही है ,कोई बदलाव नहीं आया, थोड़ा बहुत सम्मान अपने पुरखों को याद कर के खुश होते हों वो भी हमे बर्दास्त नहीं, वाह धन्य हैं हम !
राणा पूंजा भील के पिता श्री के नाम दूधा होलंकी भील था और माता कैहरी बाई भील थी
Bawla hai kya 😂 pehle poora video dekh video ki authenticity dekh phir kuch bhi bol !! Kyu rajput or bhil jaati ke acche relations ko bigadne Mei lage ho
Bolne se koi authentic nhi hota avidance is froop
Before watching this video I also thought that he was aadiwasi (bheel) samaj. Thanks for the knowledge.
तो सर उनके पास राजकिय पौशाक नहीं थी जो भिल कि वेशभूषा में भी कुछ बातें करते
Gajab ka point
Bahut bahut dhanyvad
बन्ना,, आपको anchor, या इस चैनल का broadcaster होना चाहिए था,
शब्दो पर गज़ब का नियंत्रण है आपको,,
Brilliance hence proved DNA of RANA PUNJA
राणा पुजा भिल थे और भिल हि रहेंगे, खून से लिखा इतिहास कलम से नहीं मिटाया जा सकता है,जय जोहार जय आदिवासी जय प्रकृति जय राणा पुजा भिल ❤❤❤❤
श्रवण कुमार भिल
राणा पूंजा जी सोलंकी राजपूत थे ❤❤
तेरा बाप ने दो शादी की थी क्या
भारत वर्ष के सभी सोलंकी वंशज कुलदेवी खिंमज मातेश्वरी है, माताजी का मुल स्थान भीनमाल है,जय सनातन जय भवानी
My self Hanuman singh Rawat
I would like to say that Rana punja was Rajput pure Rajput
करणी सेना के महिपाल जी का कई बार वक्तव्य सुना पर उन्होंने पूंजा जी को भील हि माना ,,,, किसी के बाप को अपना बोलने मे थोड़ी तो शर्म करो ,, भीलो का इतिहास चुराओ मत , अगर भील शिक्षित होते तो उनका इतिहास ओर भी होता लिखा मिलता है
@@upscEra2024 बावली पूछडी इतिहास चुराने की आदत सी हो गई है , जो वीर देखा उसको अपना बाप बना लो सीधा ओर माहौल सेट करो फिर , हद्द है
@@rahulmeena3728 तुम्हारी भाषा बता रही हैं कि तुम राणा पूंजा जी वंशज तो नहीं हो ,बाकी इतिहास के बारे में बात है जिनके कुल में पीढी दर पीढी वीर हो वो चोरी नहीं करते बल्कि पीछले कुछ वर्षों से क ई जातियों को अपना स्वाभिमान जगाने के लिए इतिहास में महापुरुषों की जरूरत पड़ी तो जो दिखा कि इसकी ज्यादा चर्चा नहीं है उसको अपना बना रहे हैं बाकी हमने तो कहा कि महापुरुषों जातियों से ऊपर है तुम तो महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान को ही अपना बताने लगे तब बोलना पड़ता है,, इतिहास के प्रमाण में तुम या तो अपने किसी कुंठित व्यक्ति की किताब लाते हो या शुरुआत सरकार के वामपंथी इतिहासकारों की पुस्तकें जो दिल्ली के बंद कमरों में लिखी गई,,हमारा इतिहास ताम्रपत्र शिलालेखों और राव भाटों की बहीयो में सुरक्षित है,खैर आपकी भी गलती नहीं है आपको पढ़ने से अभी दूर रखकर वामपंथी लोगों के संगठनों द्वारा नफरत ही सिखाई जा रही है जो सिखोगे वही कहोगे,,
@@rahulmeena3728Mahipal Singh Itihaskar hai kya. Matlab unke vansaj zinda hain lekin tum logon ne unko bas apna baap banana hain. Itna hi dikkat hai to Arakshan mat le Meena. Raja bhi banna hai aur Arakshan bhi lena hai
@@rahulmeena3728Baat tobteri sahi hai Jo veer dekha usko baap to bana hi lete ho tum log
@@MainChoon hatva de na nalayak , or dikhta kya hai tuje
Ye vahi log hai jinhe taj mahel me bhi shiv mandir dikhta hai
Bilkul
अच्छी जानकारी दि है आपने पढ़ाई लिखाई के समझ दारी बात है
देवराजोत राठोडो के बारे में संपूर्ण इतिहास पर वीडियो ज़रूर बनाइएगा 🙏🏻⚔️
कई बनाये है चैनल पर ही देखें
@@gyandarpan jarur hukum 🙏
राणा पुंजा भील थे इतिहास गवाह है
सत्य बात है सिरोही के राजा लखा देवड़ा ने सोलंकी राजपूतो को लाय- मणादर क्षेत्र से हरा दिया था | नि:सन्देह पूंजा जी राजपूत थे|
मानवता ही ठीक। सब पहले आदीवासी ही थे। बाकी क्या बोलूं सब अपने जाति जाति कर अपने आप को बड़ा समझ रहे। क्या हो जाता क्या पता इनको भीलों को क्यू नीचा दिखाने चाहते हैं। क्या पता.... मेरपुर और पनरमा दोनो अलग अलग ठिकाने थे। एक में पूंजा सोलंकी भी रहते थे। और दुसरी तरफ मेरपूर में पूंजा भील जन्मे थे.... पर मानवता के आधार मै फिर बोल रहा की.... कोई विरोध न करें ❤
तेरे को इतिहास देखने कीजरूरत है 👉, राणा पूंजा भील हर हर महादेव🎌🎌 जय जोहार, जय भील प्रदेश👉 तुम्हारा कोई होगा राणापूजा सोलंकी
इतिहास कार क्या लिखेंगे सचि घटना हो तब लिखेंगे राणा पूजा एक भील आदिवासी ही थे और रहेगे ❤❤
अब नींद खुली ky राणा पूंजा भील हैं उनकी वेस भूषा से ही पता चलता हैं कुयकी ये आदिवासियों का पहनावा है।
2 पुत्र तो जंग लड़ने पर कहा था
अब ये बताओ राज चिन्ह में राणा पूंजा भील और राजपूत है तो ये राणा पूंजा कोन है 😂😂
Haa bhai ..
Bhil ko solanki bana rahe h
Raj chinh me rana punja nhi sirf bhil ka photo he kabhi dekho rana punja solanki ki photo
Raisen Mein Rana Puja Nahin Hai bheel Sainik aur Rajput Saini ke
अफसोस अफसोस है कि वह लोग आज राणा पंजाबी भील की जाती बता रहे हैं जो कभी महाराणा प्रताप जी के साथलड़े ही नहीं उनके परिवार के 99% सदस्य और पूरे राजस्थान के 99% राजपूत उनकेखिलाफ थे हद है जो उनके साथ नहीं थे वे लोग बता रहे हैं कि उनके साथकौन थे वाह re??? कोई नहीं जानता कि राणापूंजा भील थे ,, जाटों का इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं?? यादवों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? गुर्जरों का इतिहास तुम्हें पसंद नहीं?? और मैं हमारे मत्स्य प्रदेश की बात करूं तो उसका इतिहास तुम्हेंपसंद नहीं ??
प्रत्येक बाहरी आक्रमणकारी राजाओं सेतुम हारे थे बहुत लंबी श्रृंखला है तुम्हारीहारने की ,,
महाराणा प्रताप जी खुद जंगलों में उनका बचपन बीता है याद रखना चाहिएतुम लोगों ,, और उनको तो मेवाड़ का राजा भी नहीं बनायाथा बाद में सामंत होने और सभी यहां के लोगों ने उन्हें राजा बनायाहै ,, मैं यह नहीं कह सकता कि मेरे लोग भी महाराणा प्रतापजी के साथ थे ,, उनके जीवन लेखनी में लिखे गए कुछ तथ्य हैं मेरे साथ जो मुझेमिले है ,,
प्रताप की आत्मकथ्य)
मैं शीस क्षत्री रो लिया फिरूं, पण धड मेरो भीलां दल है।
बादल में ज्युं बिजली चमके, ऐसो मेरो मीणा दल है ।।
म्है देख लिया रजपूतां ने, कहता ही लाज शरम आवे।
म्हे गाली देतो थकुम नहीं, ऐंड्योडी मूंछ कयां भावे ।।
कुणसा लोहु री बात करूं, लज गयो खून रजपूतां रो।
अब खून बच्यो है एक धरा, भीलाम अर मीणां पूता रो।
मुझे उम्मीद है तुम लोगों ने इन सभी चीजों को भी हटवा दियाहोगा😢 पर मेरे गांव में महाराणा प्रताप के गीत प्रचलित है उनका सम्मान उठना है जितना हमारे खुद केराजाओं का नहीं था ,, सभी को साथ लेकर चलना ही उनकी महानता थी परंतु तुम लोगों ने वह भी उनसे छीन लीहै ,, असल में देश धर्म और सभ्यता की जो हानि हुई है वह तुम्हारे इसी मानसिकता के कारणहुई है
समाज जाग चुका है आदिवासी एक हो गए हैं यू पता चल गया है इसलिए ये सब हरकते होंगी❤❤❤❤
जय श्री राजपूताना राज राणा पुजा सोलंकी ❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉⚔️⚔️⚔️⚔️🙏🙏🙏🎉🎉🎉🎉⚔️⚔️⚔️❤️❤️❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳💪💪💪💪💪
हमारे भी हमारे क्षेत्र में गांव में कोई भी मुखिया दूसरी जाती का नहीं हे तो उस समय कौनसा राजपूत भीलों के ऊपर राज कर रहा होगा ।।।
इतिहास बदल ने ओर भीलों को घूम राह करना बंद करे
जय भील वंश 🏹🏹🏹🏹
भील ही थे भाई,,, अब ये कोन चाहेगा ही शोर्य और गौरव की बात आए और सम्मान भीलो को दे दिया जाए,,,इसलिए इनको राजपूत बताया जाएगा ही।
इतने टाइम तक कहां छुपे थे दरोगाराजपूत जो हमारे पूर्वज का अपमान कर रहे हैं राणा पुजाभील
राणा पूंजा सोलंकी क्षत्रिय समाज से थे
Jai Mewar Jai Rajputana 🚩🚩🚩
3:47 यहां पे तो पोस्टर में राजपूत पोशाक पहना दी है वा रे लुटेरों😂😂😂
Jai rajputna Jai ranapunja
राणा पूंजा भील एक महान वीर योद्धा और महाराणा प्रताप के सेनापति थे। वह मेवाड़ के एक प्रमुख भील नेता थे और हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध हुए।
राणा पूंजा भील का जन्म मेरपुर (कोटड़ा) में हुआ था। वह दुदा जी और केहरीबाई के पुत्र थे। वह एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे जिन्होंने महाराणा प्रताप के साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
राणा पूंजा भील की विशेषताएं:
1. महान योद्धा: वह एक महान योद्धा थे जिन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया।
2. गुरिल्ला युद्ध रणनीति: वह गुरिल्ला युद्ध रणनीति के जनक थे जिसका उपयोग उन्होंने मुगलों को पराजित करने के लिए किया।
3. महाराणा प्रताप के सेनापति: वह महाराणा प्रताप के सेनापति थे और उनके साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
4. भील समुदाय के नेता: वह भील समुदाय के एक प्रमुख नेता थे और उनकी वीरता और नेतृत्व क्षमता के लिए प्रसिद्ध हुए।
राणा पूंजा भील की जयंती 5 अक्टूबर को मनाई जाती है और उनकी वीरता और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
राणा पूंजा भील था भील ही रहेगा यह किसी के कहने से कुछ नहीं हो सकता है
Kuwrani gi ko achi jankari h
ऐसा कभी कहीं किसी पुस्तक में लिखा हुआ नहीं आया हल्दीघाटी का युद्ध सोलंकी राजपूत की सहायता से जीता महाराणा प्रताप
लक्ष्यराज जी मेवाड़ से पूछिए कि वो भील थे या सोलंकी
उनके महल में रखा मेवाड़ का गजेटियर पढ़िए
@@gyandarpanआप भी किताब padiya राजस्थान की ओर राजपूत थे तो महाराणा प्रताप के साथ क्यों नहीं पूजा जाता
दुनिया जानती है ब्रो जिन पुस्तकों पे आप विश्वास करके फर्जी वंशावली बना रहे हो यह सरासर गलत है राणा पूंजा जी भील थे तो भील ही रहेंगे
तुम महाराणा प्रताप सीरियल देख कर मत बोलना कोई सबूत होगा तो बताना
@@laxmansinghsolanki1029 nhi mujhe lgta h ki yah punja ji alg honge or maharana pratap k sath lde vo alg honge kyuki mewar ke rajchinh me bhil bhi h
इतने जाबांज और काबिल सिपाही होने के बावजूद एक इतनी बड़ी जाति एक राजपूत का नेतृत्व क्यों स्वीकार करेंगे,। दो पूंजा हो सकते हैं एक राजपूत और एक भील जो भीलो के सरदार थे।
जो पूंजा सोलंकी राजपूत थे वो भीलो की बड़ी जाति के सरदार नही हो सकते
अगर राजपूत है तो सिटी पैलेस में रहना चाहिए था उनको
मेरपुर और पानरवा दोनों अलग अलग ठिकाने हैं और
राणा पूंजा भील और
पूंजा सोलंकी दोनों अलग अलग है
हो सकता है
Solanki bhil me bhi aate hai
राणा पूंजा भील है
सोलंकी आदिवासी और राजपूत एवं मेघवालों में उपजाति होती हैं सोलंकी आदिवासियों में उपजाति भी होती है
यह जो भी है गुजरात से आए हुए लोग हैं यहां के लोगों को भरमीत,कर रहे हैं यह लोग राजपूत के,लाइक
Atisunder Hukam 🙏 Jai Maa Bhawani 🙏🙏🙏
Bhil vidroh huha tha tb kiya rana punja solanki ke vansj gupa me chip gye the kiya.
Vo rana punja bhil tha or rehga rajputo or bhilo me padav dalne wale jarur hiy man Singh ke vnsaj ho skte h
Jai Rana Punja jai Rajputana🚩
जय राणा पूंजा भील।।।
राजपुत भाई कभी भी झूठ नहीं बोलते उनकी आन बान शान हीं उनकी पहचान है पर अब जो बोला जा रहा है यह मिथ्या है या नी एक सच्चा राजपूत ही बता सकता है की ये सही है या गलत बाकी भील शब्द हीं उसकी पहचान है उसको तोड़ मरोड़ कर मत पेस किया जाएं
आपकी यह एक अच्छी पहल है जय राजपुताना
Jai shree Rana Punja ji solanki Rajput ki jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏
Very Well spoken, nothing against any other cast. Still talking about unity of Rajput and Bhil.
तुम्हारे बड़े बड़े आदमी जो कहां गएसब वह लेडिस बोल रही है
जय राजपूताना जय मेवाड़ जय राणा जी जय महाराणा प्रताप सही जानकारी देने के लिए के लिए इतिहास सही बताने के लिएधन्यवाद
आदिवासी,, के वीर के साथ तार तार किया है तो हम आदिवासी है सिरना भी जानते है,,
बाकियों का तो नहीं पता, पर आप जरूर अपने वयुज के चक्कर में नफ़रत फैलाने का कार्य बखुबी निभा रहे हो,
यहां महत्वपूर्ण बात यह नहीं है कि वह राजपूत थे या भील थे, यहां महत्वपूर्ण यह है कि हमारे मेवाड़ के लिए लडे ❤✌️
Me aapki bat se sahmat nahi hu
सच्चाई सामने आनी जरूरी है सा
Pankaj aap kyo sahmat nhi ho
Karishna ji aur konsi sacchai?
Main Bach sabko ek Manav arthaat ek insaan samajhta hu💛
सलूंबर का वीडियो बनाऐ
ये सोलंकी कौन होते है इसके विषय पर भी कुछ बताइये ,राणा पूंजा भील का नाम ही सुना गया ,भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप सीरियल में भी भीलों के सरदार पूंजा का ही नाम आता है ,चूंकि ऐसा होते हुऐ भी उन्होने अपने लोगों के साथ महाराणा प्रताप को पूरा सहयोग क्षत्रिय कर्म के अनुसार दिया इसलिए उनको क्षत्रिय कार्य के कारण क्षत्रिय कहलानें का शास्त्रीय हक हो सकता है और देश की रक्षा के लिये सम्मानित है ,
राणा पूंजा पानरवा के शासक थे, उनका क्षेत्र भीलों का था, सो उनकी सेना में भील, गरासिया और राजपूत थे, चूँकि प्रजा भील बहुल थी इसलिए उन्हें भीलों का राणा पुकारा जाता था इसलिए इतिहासकारों ने उन्हें भील लिख दिया जबकि वे सोलंकी यानी चालुक्य क्षत्रिय थे |
पर अब इतनी भ्रान्ति फ़ैल गई कि कोई भील मानता है कोई राजपूत |
सीरियल और फिल्मों से इतिहास नही पढ़ा जाता
Solanki ka purana naam...Chalukya Kshtriye" ttha..
Zyada kar ke Gujarat area me milte
@@gyandarpanबकचोदी कर रहा है ऐसे
नहीं गलत हैं ये में Gmail करता हु देख ना आप ❤@@gyandarpan
Itihaas ki jankari batakar accha kiya he jankari sabhi ko janna jaroori he bharat kka gujrat rajasthan ka itihaash dhanyawad 🙏👍🙏
जय राणा पूंजा सोलंकी
भील था
Hkm mewar ki pratham shreni thikano or mewar ki jagir vevastha par video banaye🙏
जय राजपुताना जय राणा पूंजा जी सोलंकी 🚩🚩
मालवा प्रदेश में आए थे सोलंकी वंश वाले 🚩🚩🚩🙏🙏🙏
Rana Punja ji Solanki Rajput 🙏🏻♥️🚩
भीलों का इतिहास कोई मिटा नहीं सकता हल्दीघाटी का और सोलंकी राजपूत का तो कहीं पर नाम नहीं आया इतिहास में
जबरदस्ती भील इतिहास बदलोगे लोकल इनकी पीढी कितनी है ठिकाने के आसपास पता किया क्या
Punja भील गोत्र सोलंकी 500 सालो से भील और अब राजपूत बताने लगे उस ज़माने मे वहां कोई ठिकाने नहीं थे घनघोर जंगल थे जंगली जानवरों और bhilon के अलावा कोइ नहीं रहते थे
मेवाड़ का गजेटियर पढो. सब पता चल जायेगा |
आप किस जाति से हो
@@gyandarpanmansingh jagmal shaktisingh vo rajput the ya nahi
👌🏻👌🏻
राणा पुंजा भील की जय हो 1710 ईसवी में राजस्थान के (अबुल फ़ज़ल) कहे जाने वाले इतिहास कार ने अपने ग्रंथ में भी उस समय 1710 मे पानरवा दयालदास भील का बताया गया है
अगर राणा पुंजा राजपूत थे तोह महाराणा प्रताप ने राणा की उपाधि क्यू दी थी क्योंकि वो भील थे एक भील योद्धा होने के कारण उन्हें राणा की उपाधि दी क्योंकि राजपूत के पास तोह पहले से राणा की उपाधि रहती थी
Rana punja solanki rajput ki jai❤
राणा पुजा भील है और भील हि रहेगे जय राणा पुजा भील🏹🏹 लक्ष्यराज जी को पूछना क्या है
जंगल में बहारी लोगो का आना वर्णित था तो ये अंदर केसे गुसे 😅
पनारवा का सरपंच खराडी ही है कभी उनके पास जाकर उन्हें पूछो
Well come
राणा पूंजा भील है भील समाज के शूरवीर है 🏹🏹🏹🏞️🏞️🌴🌴🌳💛💙🌳
महाराणा प्रताप की जय हो
राणा पुजां की जय हो
एसे वीर देश की धरोहर हे एसे सुरवीरो पर राजनिति नहीं होनी चाहीये
राणा पूंजा भील ही है क्योंकि भीलों के अंदर भील्ली भाषा में हल्की बोलते हैं हिंदी भाषा में सोलंकीबोलते हैं और राणापूजा भील,हे
मैंने आज तक किताबें पढ़ी उसमें आज तक कहीं नहीं पड़ा कि राणा पूजा राजपूत है यह इतने साल कहां सो रहे थे😂😂😂😂
राणा पूंजा भील जगल राजा था राजपूत और मुगल का बादशाह था उन्हे राजपूत साथ दिया और उन्हें उनका इतिहास दबा दिया गया आज राणा पूंजा इतिहास पड़ना और जानने लगे वो राजपूत कहने लगे शर्म आनी चाहिए