सम्पूर्ण पहाड़ी क्षेत्रों में हिमाचल से लेकर नेपाल तक गढ़वाल की अलग ही विविधता है , देश के अनेक क्षेत्रों से आकर लोग गढ़वाल में बस गये जिस कारण यह क्षेत्र सबसे विविधतापूर्ण है, यहां के भाषा ,कल्चर आदि पर इसका प्रभाव साफ देखा जा सकता है
डा. हरीश लखेडा जी जो अलख आपने जगायी है वह बहुत ही सराहनीय है आप कैवल इतिहास की जानकारी दे रहे है जिनको इतिहास को जानने की चेष्टा है उनके लिय श्रेष्ठ उपहार हे अपनी जडों को जानने का डा सहाब १४सयानों की जाति सूची यदि है तो ग्राम सहित उपलब्ध करवाने का कष्ट करें साथ ही जब कत्यूरी नरेश भानुप्रताप ने राज्य का अधिभार अपने दामाद पुत्री के पति अंनतपाल को सौपा उस समय तक राज्य का संचालन करने वाले राजगुरू राजपुरोहित मंत्री जो ब्राहमण थे क्या उनकी ऐतिहासिक जानकारी इतिहास में है यदि है तो कृपया उपलब्ध करवाने का कष्ट करे कष्ट हेतु खेद है.🙏
आशा है कि इन सभी ब्राह्मणों के पास इनके गाँव में वंश-वृक्ष संभाल कर रखे होंगे. अब इनको चाहिए कि अपने अपने वंश वृक्ष में दर्ज उत्तराखण्ड में आये पहले पूर्वज के नाम से अन्य राज्य में जाकर गाँव में जायें और वहाँ इन तथ्यों की पुष्टि करें. या कोई इस पर शोध भी कर सकता है.
नमस्कार जी आपने बद्री दत पान्डे जी के आठ खंडों में प्रकाशित दुगडा कोटद्वार के सहयोग से जो , , , एहसास किया , बह बहुत ही सुन्दर रचना है , , आप का बहुत बहुत धन्यवाद , , , गोविन्द चातक जी की , , , खुशहाल सिंह जी के द्वारा रचित प्रविष्टियाँ पढ़ें आमजन को , महसूस हो उत्तराखंड के बारे में , , ,लखेड़ा जी , मध्य एशिया में भी बहुत कुछ बर्नन है नमस्कार
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी वर्तमान परिपेक्ष मैं यह जानकारी अत्यंत आवश्यक है क्यू की अधिकांश यूवा पलायन या फिर अपनी संस्कृति को भूल रहे है, यह महत्वपूर्ण है की जब तक हमको अपना इतिहास नही पता होगा तब तक हम उन्नति की राह पर और आगे नहीं बढ़ सकते
धन्यवाद लखेड़ा जी आप बहुत अच्छी जानकारी देते हैं। मेरी आप से विनती है की अगले समय खत्री जाति की जानकारी यदि हो सके तो दें। की खत्री लोग लोग गडवाल में कहां से आए हैं। क्यों कि खत्री तो सभी जगह होते हैं और सभी जातियों में जैसे पंजाबी,सिंधी,राजस्थानी,गुजराती, मराठी,नेपाली, हरियाणवी आदि आदि। तथा इनमें भी अगन खत्री जो की जजमान एवम् ब्रह्म खत्री जो की ब्राह्मण होते हैं। कृपया विस्तृत जानकारी देने की कृपा करें। धन्यवाद
❤️ Ab ham sab pahle Bhartiya hai fir Uttrakhandi. Jo Sanatani hai wo har jagah sabki mangal ki kamna karta hai. Kaun kaha se aaya vishay nahi hai. Satya Sanatan Har Har Mahadev ❤️ We Love India ❤️
नमस्कार लखेड़ा जी, बहुत अच्छा लगा आपने जो गढ़वाल के ब्रह्मण के बारे में जानकारी दी।लेकिन मेरा कहना है की जब सारे ब्राह्मण बाहर से आए। तो गांवों के नाम पहले से रखे थे, और उन्होंने अपना सरनेम बदल दिया। ये तर्कसंगत नही लगता।
आपन भौत प्रभावशाली ढंग से सबि ब्रहमण कु इतिहास बताई . जख आपन बलूणी- बडूनी जाति का बारम बताई वख आपन बन्दूणी जात छोड़ि द्या जो बंदूण गाँव म बसण से बन्दूणी बोले ग्या आऔर य जात तलाई , सावली पट्टी म व आस-पास बस्यां छन.
आदरणीय लखेड़ा जी नमस्कार आपकी जानकारी लाभकारी और रोचक लगी । जानना चाहते हैं कि गांव नामोंसे जातियां कहलाई तो क्या गांव पहलेसे विद्दमान थे तो उनमें पहले कौन लोग रहतेथे और वे कहां गये । इसके अलावा के अधिकांश ब्राह्मणों का गोत्र भारद्वाज ही कैसे हुआ भ्रमित करता है , कृपया स्पष्टता बताने का कष्ट करें। यह भी कि वहां पर पहले से जोबसतेथे वे मूलनिवासी कौन थे और उनका क्या हुआ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
कुछ गांव थे और कुछ स्थान, जिनके नामकरण हर गांव में पहले से होते हैं। भारद्वाज इसलिए हैं कि महर्षि भारद्वाज का आश्रम वहां था और गढ़वाल का एक पौराणिक नाम भारद्वाज भी था। इस पर एक वीडियो पहले से ही इस चैनल में है।
jo bhi brahman uttrakhand me aaye kya ve sabhi anpad jo unhone apana itihas nahi likha ve kaun the kaha se.aaye the aapki puri khoj lag bhag 400 sal ki hai yah sab kahani see lagti hai jo aik aik tar se jod dee gayi hai
आप ने जो जानकारी दी आप का धन्यवाद पर मेरा सवाल यह है कि गाँव में बसने से सब की जात बनी पर क्या वह गाँव पहले से ही बसे थे यदि हाँ तो वो जात पहले ही थी और यदि नहीं तो पहले वहाँ जंगल ही रहा होगा
डा. साहब नमस्कार🙏 लखेडा जी क्या रसोया/सरोला जाति होने की ब्यवस्था का इतिहास गढ कुमों के अतिरिक्त देश के अन्य हिस्सों में भी में भी पाये जाने का पता चलता है आपकी पत्रकारिता की खोज में.
श्रीमान जी, मैं पंकज शर्मा जो कि उप्रेती ब्राह्मण हूँ और वर्तमान में मुरैना(चम्बल), म.प्र. में रहते हैं जो कि प्राचीन समय में उत्तराखंड से विस्थापित हो गए थे। अतः आपसे अनुरोध है कि उप्रेती ब्राह्मणों के बारे में स्पष्ट जानकारी व उनका इतिहास प्रदान कीजिए जो कि हमको पता होना बहुत जरूरी है। साभार! पंकज शर्मा
@@himalayilog @Himalayilog - हिमालयीलोग बहुत अधिक समय हो गया है कुछ स्पष्ट जानकारी तो नहीं है लेकिन लगभग हमारी 5 - 6 पीढ़ियों से भी अधिक समय पहले आये होंगे.. अगर आप हमको पूरी और स्पष्ट जानकारी प्रदान करेंगे तो हमको बहुत अच्छा लगेगा और अपने मूल की जानकारी प्राप्त कर अतिप्रसन्नता होगी।
Dajyu kuch Kumaoni Bahuguna ke baare main bhi batao plz . Vaise Kumaoni Bahuguna zaadatar Almora zille ke insab tehsilon main milte hai- chaukhutiya, dwarahat, salt , Bhikiyasen, syaldey , lambgara , jati aur Nainital district main milte hai
Kumaoni Bahuguna logo ka gotra Atri hota hai , aur jo humara patrik gaon tha pahle vo dharanaula(Almora) ke paas Bughan/Budhan gaon tha , aur humare isht devi/devta bhi Kumaoni local god hai , lekin Garhwal ke Bahuguna logo ka gotra Bharadwaj hota hai aur vo Kumaon se lagte hue area main nahi milte hai , agar Gotra ke hisaab se dekha jaaye toh Kumaoni Bahuguna aur Gharwali Bahuguna dono alag alag Family linage se belong karte hai matlab ki dono alag alag hai aur purani time main dono main koi link nahi tha
Namaste. May Kotiyal Brahman hun Koti gaon Devaprayag se. Hamare poorvaj batate hain ki ham Dakshin Bharat se hai or 8vi sadi ke aas paas Shankaracharya ji ke saath aaye the.
आज हमारे युवा लोग उत्तराखंड से पलायन कर दिल्ली पंजाब haryana चले ग्ये है जिस कारण उत्तराखंड हिन्दू विहीन ब्राह्मण विहीन होता जा रहा है जगह जगह मस्जिद ओर मदरसे बनने के कारण हिन्दू बच्चियों का घरों से भग कर मुसलमानों से विवाह करना आम बात हो गाई है स्वामी दर्शन भारती ओर प्रमुख ब्राह्मण ओर महंत mhamndleshvr जी को हिन्दुओं को जगाना पड़ रहा है
बहुत सुन्दर संदेश 👌👍👍 अगर हम बाहर से आये तो हम गढ़वाली भाषा कैसे बोलते । आपका कहना है कि कोई बंगाल से कोई महाराष्ट्र से तो साथ मैं वहाँ की बोली क्यों नही बोलते
जब कोई किसी भिन्न क्षेत्र में लंबे समय के लिए प्रवास करता है तो वह वहाँ की भाषा भी सीखने लगता है. और जिसे सदा के लिए ही रहना है तो तब भाषा में प्रवीण होगा ही.
मै कुछ प्रशन चाहता हु कि इस बार मैं आपने सब कुछ बताया कि यह भारी राज्यो से ये सब लोग देवभूमि केदारखंड मे वेश बदल कर आए हैं और यह के जो लोग इस देवभूमि के मूलनिवासी शुद हिंदू धर्म ग्रंथों के देवी देवताओं और उसके पुजा पाठ करने वाले लोगों पर आतियाचार वह बलपुर्क करके यह के जो दस्तावेज़ को लेकर सब को नष्ट करके यह के जो लोग देवभूमिके शुद हिंदू थे उनके घरों को लेकर गांवो और जमीन को लेकर सब कुछ छीन कर दिया गया था और उसके बाद यह के जो मूलनिवासी थे उनके गंवाओ को अपनी जातियो में बदल दिया गया और यह के जो लोग थे उनके साथ अतियाचार करके अपने आप को ईमानदार और वरहमण वन करके यहां के जो मूलनिवासी नायक थे उनको शुद हिंदू से अछूत और शुद्र बना दिया गया और आज इन सभी लोगो के गांवो को अनेक जातियों से जाना जाने लगा जो पहले यहां के मूलनिवासी थे लेकिन जो देवभूमि उत्तराखंड के थे उनको अछूत से जाना जाता है ये है बाहर से आने वाले लोगों का अतियाचार का अर्थ मुगलों से भी खौफनाक मंज़र है L
@@himalayilog humare purvaj bhi North se aaye the gujrat siddhpur kyunki siddhpur k maharaja siddhraj jaysingh ne pure bharat se alag alag jagah se brahmano ko bulaya tha unke rajya me basne or unka rajyabhishek krne .to sandilya gautra k brahman jo humara gautra h vo India k north side se hi aaye the isiliye hume औदीच्या brahman kaha jata hai ...esa hume bataya gaya h humare pando dwara
गढ़वाल की संस्कृति धीरे-धीरे विलूपत की तरफ आज आप आम जनता को देखो जो हमने 35साल पहले हमारा रीति-रिवाज,भाई चारा कितना अच्छा था? लेकिन आज 35साल बाद आप क्या देख रहे हैं गढ़वाली विजनौरी, महाराष्ट्रीयन, विहार,यूपी,के रीति रिवाज अपना रहा है? व अब सिर्फ खेती-बाड़ी तो बंजर होती जा रही है बहारी के साथ लगाव ज्यादा अपना साइड की ओर होता जा रहा है? पहले जब हमारे पण्डित जी आते थे एक नही अनेक एक गांव के क्या इज्जत प्यार था? लेकिन आज नये लड़कों का अलग ही चलन है? नशा, जहां कुछ नौकरी वाले हैं उन्हीं परिवार से लगाव,जो थोड़ा कमजोर है नमस्कार तक सीमित? जजमानों की भी प्रवरति भी,रुची भी पूजा पाठ में कम होती जा रही है? हमे अपने रीति रिवाज,व संस्कृति,पाठ पूजा पर फोकस करना चाहिए?
श्रीमन आपको सादर नमस्कार,बहुत अछी जानकारी आपने उत्तराखंड के ब्राह्मणों का इतिहास के विषय मे दी।।परंतु आपने टिहरी गढ़वाल के पट्टी दोगी के बुगाला गांव के रयाल जाती के बारे में नही बताया यहाँ 3 हजार से 5 हजार परिवार के संख्या में रयाल जाती के ब्राह्मण रहते हैं ।।कृपया इनके विषय मे भी कुछ प्रकाश डालिये।।नमस्कार🙏
सम्पूर्ण पहाड़ी क्षेत्रों में हिमाचल से लेकर नेपाल तक गढ़वाल की अलग ही विविधता है , देश के अनेक क्षेत्रों से आकर लोग गढ़वाल में बस गये जिस कारण यह क्षेत्र सबसे विविधतापूर्ण है, यहां के भाषा ,कल्चर आदि पर इसका प्रभाव साफ देखा जा सकता है
हरीश जी सादर अभिनंदन।
गढ़वाल के ब्राह्मणों का बहुत ही ज्ञान बर्धक इतिहास आपने दिया । धन्यवाद।
मै जखण्ड टेहरी का लखेड़ा हूँ ।
Thnxx
आपकी वाचन शैली बहुत सुंदर है और आपकी वाणी में जो ठहराव है वो एक अच्छे वक्ता का परिचायक है।
Thnx
बहुत सुन्दर तरीके से आपने हमें यह जानकारी दी धन्यवाद🙏💕
बहुत सुन्दर बहुत खूब छना जी हमारू पहाड़ कोटि कोटि अभिनन्दन धन्यवाद
Thnxxx
अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी के लिए साधुवाद 🌺
Thnxx
बहुत सुन्दर और सराहनीय कार्य आपको धन्यवाद🙏💐
Thnx
डा. हरीश लखेडा जी जो अलख आपने जगायी है वह बहुत ही सराहनीय है आप कैवल इतिहास की जानकारी दे रहे है जिनको इतिहास को जानने की चेष्टा है उनके लिय श्रेष्ठ उपहार हे अपनी जडों को जानने का
डा सहाब १४सयानों की जाति सूची यदि है तो ग्राम सहित उपलब्ध करवाने का कष्ट करें
साथ ही जब कत्यूरी नरेश भानुप्रताप ने राज्य का अधिभार अपने दामाद पुत्री के पति अंनतपाल को सौपा उस समय तक राज्य का संचालन करने वाले राजगुरू राजपुरोहित मंत्री जो ब्राहमण थे क्या उनकी ऐतिहासिक जानकारी इतिहास में है यदि है तो कृपया उपलब्ध करवाने का कष्ट करे कष्ट हेतु खेद है.🙏
श्रीमान जी नमस्कार आपको बहुत बहुत बधाई है आपका ब्लाग महत्वपूर्ण है और भी ऐसी जानकारी देने की कोशिश कीजिए। धन्यवाद।
Very informative video. A lot of thanks sir ji.
Jai Uttarakhand
Jai Shree Ram 🚩🚩🚩
आप ने बहुत ही सुँदर जानकारी प्रस्तुत की है धन्यवाद
बहुत अच्छी जानकारी आपको बहुत बहुत साधु वाद
मैंन्दोलो कु इतिहास म भी प्रकाश डालीयां जरा
Bhut acchi jankari di hein,aapka dhanyawad.
अदभुद ओर रहस्य मय है जय श्री कृष्ण जय बद्री विशाल जी जय बाबा केदारनाथ जी धन्यवाद
बहुत सुंदर लखेड़ा जी ऐसी जानकारी देते रहे जिससे आने वाली पीढ़ी को ज्ञान प्राप्त होता रहे
ओम नमः शिवाय हर हर महादेव
Thnxx
सर आप को हार्दिक शुभकामनाएं, नमस्कार । आप ने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है।
कुमाऊँ
Thnx ji
बहुत बहुत ही सुंदर खोज भाई जी 🙏🙏
Nice job sr 🙏👍✌️🙏🕉️ जय श्री राम 🪔🌺🙏
Thnxxx
आशा है कि इन सभी ब्राह्मणों के पास इनके गाँव में वंश-वृक्ष संभाल कर रखे होंगे. अब इनको चाहिए कि अपने अपने वंश वृक्ष में दर्ज उत्तराखण्ड में आये पहले पूर्वज के नाम से अन्य राज्य में जाकर गाँव में जायें और वहाँ इन तथ्यों की पुष्टि करें. या कोई इस पर शोध भी कर सकता है.
Vrey informative sir
Bahut hi sundar jaankari di aapne, bahut bahut dhanyawad hai aap ka,aasha hai aage bhi ase hi margdarshan karte rahenge 🙏
Thnxx
इतिहास की सुन्दर जानकारी दी है इस बिड़ियो में...
अति उतम शोध और जानकारी ।बधाई ।
Thnxxx
धन्यवाद।।।महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए।।
Thnxxx
Very informative well narrated 👍❤️
नमस्कार जी आपने बद्री दत पान्डे जी के आठ खंडों में प्रकाशित दुगडा कोटद्वार के सहयोग से जो , , , एहसास किया , बह बहुत ही सुन्दर रचना है , , आप का बहुत बहुत धन्यवाद , , , गोविन्द चातक जी की , , , खुशहाल सिंह जी के द्वारा रचित प्रविष्टियाँ पढ़ें आमजन को , महसूस हो उत्तराखंड के बारे में , , ,लखेड़ा जी , मध्य एशिया में भी बहुत कुछ बर्नन है नमस्कार
जी अवश्य
After Panipat 3 battle defeat some Martha soldiers settled in Garhwal.
अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी ।।। धन्यवाद श्रीमान जी।।
Thnxxx
बहुत बहुत धन्यबाद लखेडा जी पंडितों की जातिओं पर परकाश डालने के लिए और जानकारी देने के लिए और कलिगाड आना जाना तो चल ही रहा होगा 🙏
Thnxxx
Plz provide information about Gautam gotra raval bhraman
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी
वर्तमान परिपेक्ष मैं यह जानकारी अत्यंत आवश्यक है क्यू की अधिकांश यूवा पलायन या फिर अपनी संस्कृति को भूल रहे है,
यह महत्वपूर्ण है की जब तक हमको अपना इतिहास नही पता होगा तब तक हम उन्नति की राह पर और आगे नहीं बढ़ सकते
Tbhi to kr rhe hain jb aye bahar se the to ja bhi bahar hi rhe hain jahan se aye the bdiya hai
Bahut hi Sundar jankari dhanyvad
धन्यवाद लखेड़ा जी आप बहुत अच्छी जानकारी देते हैं। मेरी आप से विनती है की अगले समय खत्री जाति की जानकारी यदि हो सके तो दें। की खत्री लोग लोग गडवाल में कहां से आए हैं।
क्यों कि खत्री तो सभी जगह होते हैं और सभी जातियों में जैसे पंजाबी,सिंधी,राजस्थानी,गुजराती,
मराठी,नेपाली, हरियाणवी आदि आदि।
तथा इनमें भी अगन खत्री जो की जजमान एवम् ब्रह्म खत्री जो की ब्राह्मण होते हैं।
कृपया विस्तृत जानकारी देने की कृपा करें। धन्यवाद
Apne bohut acha jankari diye ho
❤️
Ab ham sab pahle Bhartiya hai fir Uttrakhandi.
Jo Sanatani hai wo har jagah sabki mangal ki kamna karta hai.
Kaun kaha se aaya vishay nahi hai.
Satya Sanatan
Har Har Mahadev ❤️
We Love India ❤️
Ye music bahut irritating hai. Sunne nahi deta dhyan se.
Bahut bahut dhanyabad bhai sahab
नमस्कार लखेड़ा जी,
बहुत अच्छा लगा आपने जो गढ़वाल के ब्रह्मण के बारे में जानकारी दी।लेकिन मेरा कहना है की जब सारे ब्राह्मण बाहर से आए। तो गांवों के नाम पहले से रखे थे, और उन्होंने अपना सरनेम बदल दिया। ये तर्कसंगत नही लगता।
नमस्कार जी।
तब सरनेम ऐसे नहीं होते थे। बदले नहीं, यहां आकर सरनेम पेड़ गए।
बहुत सुन्दर जानकारी।
Bahu hi achhi jankari di 🙏
Thankyou for telling about Kukreti’s 🙏
आपन भौत प्रभावशाली ढंग से सबि ब्रहमण कु इतिहास बताई . जख आपन बलूणी- बडूनी जाति का बारम बताई वख आपन बन्दूणी जात छोड़ि द्या जो बंदूण गाँव म बसण से बन्दूणी बोले ग्या आऔर य जात तलाई , सावली पट्टी म व आस-पास बस्यां छन.
Bhut bhut dhanyabaad
सेमवाल ब्राह्मण शौनकीय ब्राह्मणं है और शोनक ऋषि की संतान है ❤
Aaap kaha se hai uttrakhand se
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने 🙏🙏
Thnxx
आदरणीय लखेड़ा जी नमस्कार आपकी जानकारी लाभकारी और रोचक लगी । जानना चाहते हैं कि गांव नामोंसे जातियां कहलाई तो क्या गांव पहलेसे विद्दमान थे तो उनमें पहले कौन लोग रहतेथे और वे कहां गये । इसके अलावा के अधिकांश ब्राह्मणों का गोत्र भारद्वाज ही कैसे हुआ भ्रमित करता है , कृपया स्पष्टता बताने का कष्ट करें।
यह भी कि वहां पर पहले से जोबसतेथे वे मूलनिवासी कौन थे और उनका क्या हुआ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
कुछ गांव थे और कुछ स्थान, जिनके नामकरण हर गांव में पहले से होते हैं।
भारद्वाज इसलिए हैं कि
महर्षि भारद्वाज का आश्रम वहां था और गढ़वाल का एक पौराणिक नाम भारद्वाज भी था।
इस पर एक वीडियो पहले से ही इस चैनल में है।
jo bhi brahman uttrakhand me aaye kya ve sabhi anpad jo unhone apana itihas nahi likha ve kaun the kaha se.aaye the aapki puri khoj lag bhag 400 sal ki hai yah sab kahani see lagti hai jo aik aik tar se jod dee gayi hai
Bilkul shi kha kyuki abhi bhi aadhe se jada brahman ke baare me koi jankari nhi hai
Kripya Kukreti brahman ke bare main bhi bata deejiyega
Bahut dilchasp batein batai bhai ji.
आप ने जो जानकारी दी आप का धन्यवाद पर मेरा सवाल यह है कि गाँव में बसने से सब की जात बनी पर क्या वह गाँव पहले से ही बसे थे यदि हाँ तो वो जात पहले ही थी और यदि नहीं तो पहले वहाँ जंगल ही रहा होगा
श्रद्धेय धर्माधिकारी महीधर डंगवाल जी से संबंधित वीडियो भी प्रस्तुत कीजिएगा
अच्छी जानकारी दी है श्रीमन आपको सादर नमस्कार, ध्यानी मैदोला मैन्दोलिया मैन्दोली बलोधी आदि पर भी प्रकाश डालिए
बहुत रोचक जानकारी
Thnx
Shandar jankari sir
डा. साहब नमस्कार🙏
लखेडा जी क्या रसोया/सरोला जाति होने की ब्यवस्था का इतिहास गढ कुमों के अतिरिक्त देश के अन्य हिस्सों में भी में भी पाये जाने का पता चलता है आपकी पत्रकारिता की खोज में.
Bahut badiya aur sundar sir ji
श्रीमान जी, मैं पंकज शर्मा जो कि उप्रेती ब्राह्मण हूँ और वर्तमान में मुरैना(चम्बल), म.प्र. में रहते हैं जो कि प्राचीन समय में उत्तराखंड से विस्थापित हो गए थे।
अतः आपसे अनुरोध है कि उप्रेती ब्राह्मणों के बारे में स्पष्ट जानकारी व उनका इतिहास प्रदान कीजिए जो कि हमको पता होना बहुत जरूरी है।
साभार!
पंकज शर्मा
अवश्य,
कितने साल पहले आप लोग MP आ गए थे
@@himalayilog
@Himalayilog - हिमालयीलोग
बहुत अधिक समय हो गया है कुछ स्पष्ट जानकारी तो नहीं है लेकिन लगभग हमारी 5 - 6 पीढ़ियों से भी अधिक समय पहले आये होंगे.. अगर आप हमको पूरी और स्पष्ट जानकारी प्रदान करेंगे तो हमको बहुत अच्छा लगेगा और अपने मूल की जानकारी प्राप्त कर अतिप्रसन्नता होगी।
@@PankajSharma-sg3qy Sharma aur bhi caste me aate h
@great humankind कुमाऊं में भी उप्रेती हैं!!
रोचक जानकारी प्रेषण हेतु
आभार लखेडा जी 🙏🙏🙏
Thnxxx जी
Adhi adhuri beena pramanik jankari
Nice🎉
धन्यवाद जी
Lakheda ji bahut badiya jankari aapne de ... "Budakoti" Brahman jaati ke itihas per bhi jankari dene ki kirpa kijiye
म नेपाल देखि हेर्द छु।
Namaskar lakhedh sab aap dhanya hai
काका श्री हम चन्द बंश के बारे मे बताए हमारीगोत्र क्या है और कुलदेवी ❤❤
Thanks
Welcome
Achi research hai apki 👍
Dajyu kuch Kumaoni Bahuguna ke baare main bhi batao plz . Vaise Kumaoni Bahuguna zaadatar Almora zille ke insab tehsilon main milte hai- chaukhutiya, dwarahat, salt , Bhikiyasen, syaldey , lambgara , jati aur Nainital district main milte hai
ये पौड़ी से गए हैं।
Kumaoni Bahuguna logo ka gotra Atri hota hai , aur jo humara patrik gaon tha pahle vo dharanaula(Almora) ke paas Bughan/Budhan gaon tha , aur humare isht devi/devta bhi Kumaoni local god hai , lekin Garhwal ke Bahuguna logo ka gotra Bharadwaj hota hai aur vo Kumaon se lagte hue area main nahi milte hai , agar Gotra ke hisaab se dekha jaaye toh Kumaoni Bahuguna aur Gharwali Bahuguna dono alag alag Family linage se belong karte hai matlab ki dono alag alag hai aur purani time main dono main koi link nahi tha
Very nice 👌👌🙏🙏
Namaste. May Kotiyal Brahman hun Koti gaon Devaprayag se. Hamare poorvaj batate hain ki ham Dakshin Bharat se hai or 8vi sadi ke aas paas Shankaracharya ji ke saath aaye the.
अद्भुत। इस जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत आभार।
ThnxX
kya ap kapruwan bhramin ke bare me bata skte h
Buhut bhdeya🙏🙏🙏🙏🙏
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जानकारी के लिए आप से प्राथना है की भट्ट जात के बारे मे विस्रित जानकारी से अवगत कराने की किरपा करे
thnxxxx
Bhut sundar👍👍👍
Sankracharya kis jaati se the
Brahmin- Nambudaripad
Dangwal ke bare me batane ka kast kre🙏🙏
Sir, DHYANI's ke back ground ke bare me kuch bataye.... Please...
Buddhist ..clan ...
Sir background music thoda loud hai content ko disturb kr rha h thoda kam kr denge ko bahut achha hoga
आप कृपया मिश्रा बौडाई बिष्ट मचकोटी शैली पर भी प्रकाश डाले
Pant caste pe detail video banaye
श्रीमान जी इसी तरह कुमाऊं के पण्डित जी कै बारे में भी बताएं।
कुमाऊं के ब्राह्मणों व गढ़वाल व कुमाऊं के जजमानों पर भी इस चैनल में वीडियोज हैं। प्लेलिस्ट से मिल जाएगी।
Ati Sundar
आज हमारे युवा लोग उत्तराखंड से पलायन कर दिल्ली पंजाब haryana चले ग्ये है जिस कारण उत्तराखंड हिन्दू विहीन ब्राह्मण विहीन होता जा रहा है जगह जगह मस्जिद ओर मदरसे बनने के कारण हिन्दू बच्चियों का घरों से भग कर मुसलमानों से विवाह करना आम बात हो गाई है स्वामी दर्शन भारती ओर प्रमुख ब्राह्मण ओर महंत mhamndleshvr जी को हिन्दुओं को जगाना पड़ रहा है
10:20 guru ji Kothiyal (baman) and kotiyal(harijan) dono alag alag h
11:33 मलगुडी
Kuthar ...kae incharge kothiyal hue
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 जयदेवभूमि 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kya apne godiyal ko bhi cover Kiya hai?
वाह वाह बहुत सुन्दर जानकारी आदरणीय लखेड़ा जी ।
thnxxxxxxx
बहुत सुन्दर संदेश 👌👍👍
अगर हम बाहर से आये तो हम गढ़वाली भाषा कैसे बोलते ।
आपका कहना है कि कोई बंगाल से कोई महाराष्ट्र से तो साथ मैं वहाँ की बोली क्यों नही बोलते
जब कोई किसी भिन्न क्षेत्र में लंबे समय के लिए प्रवास करता है तो वह वहाँ की भाषा भी सीखने लगता है. और जिसे सदा के लिए ही रहना है तो तब भाषा में प्रवीण होगा ही.
आँप खडि ( हिन्दी ) क्यु बोलरहेहो ?
Nice video👌
मै कुछ प्रशन चाहता हु कि इस बार मैं आपने सब कुछ बताया कि यह भारी राज्यो से ये सब लोग देवभूमि केदारखंड मे वेश बदल कर आए हैं और यह के जो लोग इस देवभूमि के मूलनिवासी शुद हिंदू धर्म ग्रंथों के देवी देवताओं और उसके पुजा पाठ करने वाले लोगों पर आतियाचार वह बलपुर्क करके यह के जो दस्तावेज़ को लेकर सब को नष्ट करके यह के जो लोग देवभूमिके शुद हिंदू थे उनके घरों को लेकर गांवो और जमीन को लेकर सब कुछ छीन कर दिया गया था और उसके बाद यह के जो मूलनिवासी थे उनके गंवाओ को अपनी जातियो में बदल दिया गया और यह के जो लोग थे उनके साथ अतियाचार करके अपने आप को ईमानदार और वरहमण वन करके यहां के जो मूलनिवासी नायक थे उनको शुद हिंदू से अछूत और शुद्र बना दिया गया और आज इन सभी लोगो के गांवो को अनेक जातियों से जाना जाने लगा जो पहले यहां के मूलनिवासी थे लेकिन जो देवभूमि उत्तराखंड के थे उनको अछूत से जाना जाता है ये है बाहर से आने वाले लोगों का अतियाचार का अर्थ मुगलों से भी खौफनाक मंज़र है
L
Bilkul shi hae
gwarilogon ke visay me bhi batana lkhera ji
Adhiktar gadhwal me base log Nepal ke hi hain jo ki jada sankhya me kirat/ bheel aur khas hain.
Nice
मैन्दोला, रियाल, उनियाल और सुन्दरियाल के बारे में भी कुछ बताइये सर.
Uniyal are ojhas ...
Maindoli r kashmiri brahmin
Riyal r pandas
@@makku1956 Thanks a lot Sir. 🙏
@@rajeshwarkrishnamaindola7121 🙏🙏
@My Dreams Abe gadhe toh vargikaran kyun hai ...sarola chauthani etc ....koi reason toh hoga ...
@Pandit Aman Dobhal they ca
Claim to be ojha .. actually ojha are spirit healers at th t time ...uniyal are Tantric ...
Sir chanyal kis jati me aate hain
सुन्दर जानकारी। मैंदोला के बारे में हम नहीं जान पाए।
बहुत सी जातियां रह गई हैं। कोशिश जारी है।
Very informative
Thnx
@@himalayilog humare purvaj bhi North se aaye the gujrat siddhpur kyunki siddhpur k maharaja siddhraj jaysingh ne pure bharat se alag alag jagah se brahmano ko bulaya tha unke rajya me basne or unka rajyabhishek krne .to sandilya gautra k brahman jo humara gautra h vo India k north side se hi aaye the isiliye hume औदीच्या brahman kaha jata hai ...esa hume bataya gaya h humare pando dwara
@@anjalijoshi9438 जी
आप उत्तराखंड की जोशी हैं या गुजरात।
@@himalayilog humara vatan to rajasthan hai lekin Hume kaha jata h siddhpuri gujrati brahman
@@anjalijoshi9438 ok
गढ़वाल की संस्कृति धीरे-धीरे विलूपत की तरफ आज आप आम जनता को देखो जो हमने 35साल पहले हमारा रीति-रिवाज,भाई चारा कितना अच्छा था? लेकिन आज 35साल बाद आप क्या देख रहे हैं गढ़वाली विजनौरी, महाराष्ट्रीयन, विहार,यूपी,के रीति रिवाज अपना रहा है? व अब सिर्फ खेती-बाड़ी तो बंजर होती जा रही है बहारी के साथ लगाव ज्यादा अपना साइड की ओर होता जा रहा है? पहले जब हमारे पण्डित जी आते थे एक नही अनेक एक गांव के क्या इज्जत प्यार था? लेकिन आज नये लड़कों का अलग ही चलन है? नशा, जहां कुछ नौकरी वाले हैं उन्हीं परिवार से लगाव,जो थोड़ा कमजोर है नमस्कार तक सीमित? जजमानों की भी प्रवरति भी,रुची भी पूजा पाठ में कम होती जा रही है? हमे अपने रीति रिवाज,व संस्कृति,पाठ पूजा पर फोकस करना चाहिए?
सही कहा।
श्रीमन आपको सादर नमस्कार,बहुत अछी जानकारी आपने उत्तराखंड के ब्राह्मणों का इतिहास के विषय मे दी।।परंतु आपने टिहरी गढ़वाल के पट्टी दोगी के बुगाला गांव के रयाल जाती के बारे में नही बताया यहाँ 3 हजार से 5 हजार परिवार के संख्या में रयाल जाती के ब्राह्मण रहते हैं ।।कृपया इनके विषय मे भी कुछ प्रकाश डालिये।।नमस्कार🙏
Ji.
अभी बहुत सी जातियों के बारे में जानकारी मिलनी बाकी है।
uttarakhand me rahne wale brahmano ke vishay me kis book me jankari mil sakti hai ???