दुधिया नरसिंह, कच्या नरसिंह, खरंडा नरसिंह और डौडया नरसिंह में से कौन है सबसे ज्यादा गुस्सैल।जानिए ।
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- Опубликовано: 24 ноя 2024
- उत्तराखंड के लोक देवता नरसिंग
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परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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यूट्यूब चैनल संपादकीय न्यूज
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं हूं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। इस बार आपको उत्तराखंड के लोक देवता- भगवान नरिसंह या नारिसंह या नृसिंह की गाथा सुनाने जा रहा हूं। उत्तराखंड के यह लोक देवता भगवान विष्णु के अवतारों वाला देवता नहीं है। हिमालयी जीवन में लोक देवताओं का बड़ा महत्व है। लोक देवताओं के साथ ही यहां वैदिक देवता भी पूजे जाते हैं। इनके अलावा हिमालय की कंदराओं, गुफाओं, नदियों के तटों पर सदियों से तपस्या करने वाले ऋषि- मुनि भी देवता का रूप पाते गए। यहां तक कि भूत बन कर भटकती आत्माओं को भी पूजा जाने लगा। इस बारे में भी विस्तार से बताऊंगा, परंतु इस बार नरसिंह देवका ती बात करते हैं। जब तक मैं आगे बढ़ूं, आपसे आग्रह है कि हिमालयीलोग यूट्यूब चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करके हमारे मिशन का हिस्सा बनिए।
भगवान नरसिंह का उल्लेख आते ही हमें भगवान विष्णु जी के उस अवतार का स्मरण आ आता है, जिनका मुंह सिंह का और धड़ मनुष्य का था। जो पौराणिक ग्रन्थों में इसी रूप में पूजे जाते हैं। भगवान विष्णु के दशावतारों में से चौथा अवतार भगवान नरसिंह को माना जाता है जिन्होंने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप को मारने के लिए पृथ्वी पर इस रूप में अवतार लिया था। मान्यता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह भगवान खंभे को फाड़कर प्रकट हुए थे। ज्योतिर्मठ यानी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में जो भूर्ति है वह तो भगवान विष्णु के चौथे अवतार की है। परंतु इनका सम्बंध उत्तराखंड में जागर के रूप में पूजे जाने वाले नरसिंह देवता से नहीं है। क्योंकि जोशीमठ नृसिंह भगवान मंदिर में भगवान विष्णु अपने चौथे अवतार में पूजे जाते है, जो कि मुंह से सिंह और धड़ से मनुष्य रूप में हैं। परन्तु उत्तराखंड में नरसिंग देवता को भगवान विष्णु के अवतार की बजाए एक सिद्ध नाथ योगी की तरह पूजा जाता है। उत्तराखंड के जागरों में पूजे जाने वाले लोक देवता नरसिंह देवता एक जोगी हैं। नाथपंथी साधु। नरसिंह देवता के कई जगह इनके चार और कई जगह नौ रूप माने जाते हैं। इनके चार रूप इस तरह हैं। दुधिया नरसिंह, कच्या नरसिंह, खरंडा नरसिंह और डौडया नरसिंह। भगवान नरसिंह को लगभग पूरे उत्तराखंड में पूजा जाता है। इन्हें घर में आला बनाकर स्थापित किया जाता है। कहा जाता है कि ये नरसिंह एक सिद्ध पुरुष थे। उन्होंने नाथ सम्प्रदाय के गुरु गोरखनाथ से दीक्षा ग्रहण की थी । तत्कालीन राजनीति में इनका काफी दखल और प्रभाव था। यह एक सिद्ध और सतपुरुष होने के कारण कालान्तर में इन्हें देव रूप में पूजा जाने लगा। उत्तराखंड में नरसिंह देवता की जागर में इनके 52 वीरों और 9 रूपों का वर्णन किया जाता है। जिसमें नरसिंह देवता का एक जोगी के रूप में वर्णन होता है। ये हमेशा ही एक प्रिय झोली, चिमटा और टिमुरू या तिमुर का डंडा साथ में लिए रहते है। नरसिंह देवता के इन्ही प्रतीकों को देखकर उनको देवरूप मान कर उनकी पूजा की जाती हैं।…..
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सर् आप ने उन विषयों पर प्रकाश डाला है जो गढ़वाल और कुमाऊँ के लोगों के जीवन मे आसपास घटता रहा लेकिन कभी हमारी जिज्ञासा और प्रश्नों के उत्तर नही मिल पाए।मेरे गाँव के देवता भी दुधिया नरसिंह हैं।आप ऐसे ही विषयों को लाते रहिये।हम सब आपके आभारी हैं।
बहुत सुंदर प्रस्तुति लखेड़ा जी ।
Bahut sundar jaankaari mili jai bharat bhoomi jai uttrakhand
श्री नरसिंह देवता के बारे में बहुत ही शानदार जानकारी दी बहुत बढ़िया 🌷🌹💐🌷🙏
नौ नाग बारह भैरव अठारह कलवे चौसठ जोगिड़ बावन वीर पैसठ हजार काली शक्तियों से अवतरित वीर डौंडिया नरसिंह देव तुम्हारी जय जय कार हो।
जै हो , नौ नरसिंह देवता , दूधाधारी नरसिंह देवता 🙏🙏🚩🚩
बहुत बढ़िया जानकारी। मेरा मानना है इस मामले में हम भटक गए हैं। कोई भी देवता हो सभी कर्म के विधान से बंधे हैं। मेरा मानना है कि देवता भी वैसा ही जाता है जैसे भक्तों के बीच वो रहते हैं । सच्चे देवता बुरे लोगों या परिवार को छोड़ कर अपना स्थान बदल लेते हैं ऐसा मेरा मानना है ।
ऊं प्रणाम जी। बहुत अच्छी जानकारी दी है। जैसा कि आपने बताया कि ये गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे। जागरों में इनको सत गुरु का चेला , गुरु अंनंतपाल, गुरु बैजनाथ, गुरु गोरखनाथ, गुरु सौराल, गुरु भागदास डोडरती, गुरु ज्ञान नाथ, का चेला बताया गया है। इनको माता चंद्रवदनी और केशरी का पुत्र भी बताया गया है। और कहीं माता भागेश्वरी भी बताया गया है, पिता भस्मासुर भी बताया गया है। ये नौ नारसिंह हैं। केशर की क्यारी से एक फूल खैराणी जंगल में गिरा था और खैरणी नरसिंह पैदा हुए। जिनमें खैराणी नरसिंह के सात भाई बताए गए हैं। वैसे नौ सौ नरसिंह भी बताए गये हैं।
Ji ye vishnu ji ke ansh bhi hai
अच्छा लगा आपने इस विष्य पर वीडियो बनाया लोगो तो इनको विष्णु जी के अवतार मानने लगें थे। पहाड़ी लोग देशी बनते जारे है आपने देवी देवताओं को छोड़ देशी वाले कल्चर को महत्व देरे है।
varnshankar ho chuke hai pahadi log?
Bhai Mai bhagwan vishnu ki pooja karta hu vidhivat..
Unki arti me hamare dudhadhari narsingh a jate hain..
Koi connection to hai
Narsingh bhagwan hi Uttrakhand k Narsingh devta hain.. Kripya confuse na ho. Bhagwan narsingh hi 9roopon k swamy hain or sabko ek samaan Narsingh bhagwan man k hi pooja krni chahiye... Kyunki Narsingh bhagwan ne hi ye roop bna k darshan dene aye the.
जय श्री खराणी नर्सिंग।
जय श्री डोंडिया नर्सिंग।
जय श्री नौ नर्सिंग भगवान।
🙏 आपकी बहुत सुंदर कथाएं हैं जय उत्तराखंड जय देव भूमि 🚩🙏🙏
🙏🙏जय नरसिंह देवता की🙏🙏
बहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने।
अच्छा लगा पहाड़ के लोगों के देवता के बारे में ।🌟🌟🌟🌟♥️
बहुत बहुत धन्यवाद आपको
जय हो बाबा नर्सिंग जी की
बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक जानकारी।
🙏 जय हो नरसिगं देवता 🌹
जी बिल्कुल सही कहा आपने हरीश जी उत्तराखंड मे नारसिंह देवता नौ भाई है, इनकी कथाएँ कहानी बहुत सारी अलग अलग प्रकार की है जैसे हमारे यहाँ पे जो कहानी लगाते है नार सिंह देवता के जागर मे पहली तो भक्त प्रह्लाद की कथा है और दूसरी कहानी है सूर्या पूर्याल नाम के दो भाईयो की जिन्हे चंद वंशीय राजा कैद कर लेते है और नौ नार सिंह एक भस्म की फुक से उन दोनों भाईयो को बचा लेते है। और तीसरी कहानी है कि कैसे माता पार्वती ने केसर का बीच बोये जिससे छाया गरुड़ देते थे जब ये पेड़ उगा तो उस पेड़ के नौ फूलों को गरुड़ ने अलग अलग स्थान मे फेका जैसे दूध कुंड मे गरुड़ ने फूल फेका तो दूधिया नारसिंह आए डोंडिया कुल मे गिरा तो डोंडिया नार सिंह ऐसे करके नौ भाई नार सिंह आए
हमारे देवभूमि के नार सिंह देवता भगवान् शिव और भगवान् विष्णु दोनों के अंश है।
जय नार सिंह देवता
Jai mere Dondya Narsingh aapki sada hi jai ho.
जय नृसिंह भगवान 🪔🌹🍎👪🏘️🙏 शानदार 👌👏🙏
जय माता की , जय ईष्ट देवता। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
बिल्कुल सही कहा आप ने।
गुरु गोरख नाथ जी ने जितने भी सात्विक देवी देवता हुवे है उनके ही नाम और उनसे ज्यादा शक्तिशाली वाले और कलयुग के मुताबिक तामसिक देवता त्यार किए है।
बहुत दुख की बात है आने वाली पीढ़ी मे किसी के पास ये ज्ञान नहीं रहेगा.
उत्तराखंड के स्कूलों मे उत्तराखंड का इतिहास पढ़ना चाइये.
❤❤❤❤धन्यवाद गुरू जी
बहुत अच्छी जानकारी देते हैं आप गुरु जी
JAI ISHT DEVTA. JAI DEVBHOOMI. JAI HIND. JAI BHARAT. THANKS DR SAHEB.
Dr साहब प्रणाम , आप उम्र और तजुर्बे म् हम से बहुत बड़े है । और हिमालियानलोग करके पेज चलते है। मान्यवर आपके पास कोई प्रमाण है कि उत्तराखंड में पूजे जाने वाले नरसिंह देवता विष्णु भगवान के अवतार नही थे बल्कि एक नाथपंथी साधु थे। कृपा मेरे इस सन्देह को दूर कीजिये, वैसे मुझे जो ज्ञात है तो वो कुछ इस तरह है जैसे अष्टनाम बीर भैरो,नो तिस नरसिंह, तुम्ही सराग हो तुम्ही नाराग् हो तुम्ही मत्स्य हो तुम्ही कूर्म हो, तुम्ही वराह हो तुम ही कच्छ हो , तुम्ही राम तुम्ही दुधादारी कृष्ण अवतारी विष्णु अवतारी हो तुम्ही मंडलो को मेण्डु छे, ओतुलो कु रहूं छे खतसाल की आग छे द्वी मुखहि साँप छे, शेस नागों म् शेस नाग छे, असुर लोक में आसन किया गजराज भुजा रखी,प्रलेह खम्ब तोड़ो परलाद भक्त को सकल भंडार,नरसिंह रूप लियो हिरण्यकश्यप मारो मोहदय ये सब हमारी किताबो में लिखा है। जो करीब 600 वर्षो से चली आ रही है। इसमें मौखिक परम्परा भी रही है इस के कारण इन जानकारियों म् अशुद्ता का मिलाप हो रखा है। और कुछ लिखित भी है। और हाँ हमारे परदादा जी के पास दो किताबे य विद्या ऐसी थी जिससे एक व्यक्ति शेर य सिंह बन सकता है। नर और सिंह यानी आधा आदमी और आधा शेर, वैसे आप में से बहुत से लोगो ने सुना भी होगा बुगसाडी विद्या , य्या एक आदमी अपनी बेटी को उसके ससुराल छोड़ने जाता है उसे बुगसाडी विद्या का ज्ञान था और उसकी बेटी उससे एक बार बुग्स बाघ बनने की जिद करने लगी तो पिता ने हार कर बेटी की बात मान ली और बेटी को पहले ऊँचे पेड़ पे बिठा दिया और उसके बाद वे बुगसा बाघ बन गया लेकिन बेटी नही मानी और पेड़ से नीचे उतर आई इसके बाद बाघ बने पिता ने उसे खा दिया ऐसी कहानी आपने सुनी जरूर होगी, वैसे ही बड़ेडू विद्या जो शुक्राचार्य के पास थी, गरुड़ विद्या इन सब म् नरसिंह को ही विष्णु भगवान का रुप माना है। अब क्या सच है Dr. हरीश लखेड़ा जी इसका पता आप ही लगाए। क्योंकि मैं बहुत कन्फ्यूज़ हुन हमारी बाप दादा की पौराणिक किताबो म् तो ये लिखा है।
संसार में भगवानों को लेकर हर धर्म की अपनी अवधारणा है।
हर क्षेत्र में भी अलग अलग कथाएं हैं। जहां तक नरसिंग भगवान की बात है तो हिंदू धर्म में वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, परंतु उत्तराखंड में नरसिंग एक नागपंथी साधु के तौर पर भी पूजे जाते हैं।यानी नरसिंग की दोनो तरह से पूजा होती है।
जहां तक बुकासाड़ विद्या का सवाल है तो प्रकृति के नियम ये हैं कि कोई भी देहधारी अपने शरीर को बदल नहीं सकता है। मनुष्य है तो जानवर नहीं बन सकता है। बाकी ये सब कथाएं हैं सत्य नहीं।
@@himalayilog यही तो समझ नही आता की आखिर हम जैसे जिज्ञासु लोग किस पर विश्वास करे। कभी कभी तो देख कर चमत्कार लगता है।
बहुत सुन्दर जानकारी
नमन वंदन करते हैं डॉक्टर साहब आपके द्वारा बहुत से प्रसंग और सुने किंतु ए मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था आज मेरा संदेह दूर हुआ मैंने बचपन में आधा अधूरा किसी से सुना था दिल से आभार
Thnx
बहुत बहुत धन्यवाद गुरू जी इस जानकारी के लिए 🙏🙏🙏
Jai narshing bhagwan ki jai bhut sundar
लखेरा सर प्रणाम, जितनी गंभीरता, और प्रभाव शाली ढंग से आपने हमारे कुल देवता, नरसिंह भगवान जी की व्याख्या की, उतनी आज तक हमे जानकारी न थी, हम लोगजागर भी सुनते आए है,और आस्था भी रखते है , लेकिन विस्तृत जान कारी का अभाव था, जो आपने प्रस्तुत किया ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
मैं डी एस बिष्ट, फरीदाबाद से।
Thnxx जी
Ye galat jaankari dera hai 😡😡😡
@@Riyal405 क्या गलत है भाई,
@@Riyal405 जी मान लिया गलत जानकारी दे रहे हैं लेकिन आपकी भाषा तो संयम और आदर्श होनी चाहिए।
जय नर्सिंग देव
गुरू देव आपने जो ये अपने चन्नल के माध्यम से जो जानकारी हम तक पहुँचायी इसके लिए हम आपके अति सूक्रगुज़ार हैं ।गुरुदेव हमारी उत्तराखण्ड सरकार को देव स्तुति देव जागर सभी उत्तराखण्ड में निवास करने वाले देव के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए देव संस्कृति उत्तराखण्ड नाम से एक अलग से पाठ्यक्रम की सूरवात करनी चाहिए जिससे हमारी देव संस्कृति सुचारू रूप से चलती रहे और आने वाली पीढ़ी को भी जानकारी मिलती रहे अन्यथा हमारी ये संस्कृति विलुप्त हो कर रह जाएगी ।
जय श्री बद्री नारायण श्रीमान
अच्छा लगा आप गड़वाल संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे है,
लेकीन महोदय जी आप नार्शिंग देव जी की चर्चा आप कर रहे है दरअसल उनकी उत्पति का सटीक अंदाजा लगाना मुश्किल है, क्योंकि हर एक अलग जागर में उनकी अलग अलग उत्पति बताई जाती हैं, ओर ना किसी वेद पुराण में उत्तराखंड के लोक देवता नार्शिंग की उत्पति का वर्णन आता,
लेकीन में इससे पूर्ण सहमत भी नही हूं कि लोक देवता नर्शीग का भगवान विष्णु से कोई सम्बन्ध न हो, हमारे घर में भगवान विष्णु और लोक देवता नर्सिंग को साथ में पूजा जाता हैं, और हम नारायण के प्राकोस्ट सेवक और पुजारी है
ओर जब जागरी, किसी पर नार्शिंग देवता निकाल रहे होते है तो, भगवान विष्णु का जिक्र या उनके नार्शिंग अवतार के जिक्र से ही अनपे लोकदेवता नार्शिंग अवतरित होते हैं,
ओर और ज्यादातर जागरि, नार्शिंग देवता को भक्त प्रहलाद की कथा से ही अवतरित कराते हैं ओर नचाते भी है,
ओर खुद हमपे भी लोकदेवता नार्शिंग आते हैं, ओर हम बालपन से ही भगवान विष्णु के भक्त हैं,
ओर जब हम पर प्रथम बार लोक देवता नर्शिंग अवतरित हुए थे तो, जब जागरी मुख से भगवान विष्णु का जिक्र हुआ तब प्रथम बार नार्शिंग भगवन मेरे शरीर में प्रवाह करने लगे, और जैसे जैसे वो भक्त प्रहलाद की कथा और नारायण अवतार नार्शिंग की वीर कथा गाने लगे वैसे वैसे में और उग्र होता गया,
तो इससे साफ साफ जाहिर होता है कि, हमारे लोक देवता नार्शिंग का भगवान विष्णु से कोई न कोई सम्बन्ध अवश्य है,
बाकी उनकी उत्पति कहा से हुए, या किस्से उनका सम्बन्ध है इससे उचित यही है कि हम उनकी सेवा करे, ओर उन्हे पूजा करें क्योंकि वो अपने भक्त कि पुकार से कही भी उसके पास आ जाते हैं
जय श्री नारायण बद्री विशाल
जय हो लोकदेवता नारशिंग की
जय नर्सिंग नारायण
Narsingh devta ho skta h koi or raha ho lekin Narsingh Bhagwan jinhe sari duniya janti hai vo ek he the jo bhakt parhlaad ko bachaate hain...or sayad isiliye inhe Narsingh devta kaha jata h jbki bhakt Prahlad ko bachane wale Narsingh Bhagwan hain
महोदय मुझे ये जानना है की अगर देवी देवता वही है जो हमारे वैदिक ग्रंथों में हैं जैसे लोकदेवता नरसिंह और भगवान विष्णु तो मेने ऐसा देखा है की देवता बलि मांगते हैं जो की गलत होता है मुझे अपनी संस्कृति से प्रेम है परंतु कुछ सवाल मुझे बहुत चुभते हैं मैं पूर्ण रूप से नहीं मान पता कि जो माता का नाम लेके किसी k दुख को बताती हैं वो कई बार गलत बता देती है अगर वो सब सच में माता है तो वो गलत नहीं बताती और मेने देखा है उत्तराखंड में कई जगह मुसलमानो के पीर पठान इनको पूजा जाता है और ये भी है की वो हमारे माताओं से ज्यादा सच्चे और ताकतवर भी सिद्ध होते है मैं बिल्कुल नही मानता की वो देवी देवता या वो भगवान जो। आदि काल से हैं उनसे ताकतवर कोई 1400 साल पहले आए लोग केसे हो सकते हैं और बाली प्रथा अगर सही है तो गाय और बकरे में फर्क कहा है? बाली गाय की क्यो न दी जाती
@@uk1315garhwali-vlovgerNarsingh devta ko parhlad wale story suna kar hi jagar lgya jata hai
Sunder manmohak jai narshing bhagwan ji ki 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ज्ञान वर्धक। सराहनीय
जय नरसिंह देवता,🙏🌺
जय हो देव भूमि उत्तराखंड की बेहद शानदार व सुन्दरमय अंदाज में बताते हैं भाई जी आप बेहद अच्छा लगता हैं आपसे देव भूमि की जानकारी मिलना आभार व धन्यवाद है आपके 🚩🚩🌹🌹🙏
बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी 🙏🙏,
जय श्री नृसिंह देव जी
श्रीमान महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, नमस्कार
Thnxx
Jai narsingh Devta bahut he sunder aur manmohak hai yah kahani
आदरणीय पंडित जी, आपके द्वारा उत्तराखंड की लोक कथाओं की जानकारी उनकी प्रस्तुति ज्ञानवर्धक हैं। उत्तराखंड देवभूमि है और देवी देवताओं की उत्पत्ति एवं पूजा पद्धति के बाबत आपका सटीक विश्लेषण रहता है। आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर लोगों को जानकारी उपलब्ध कराते रहते हैं। आपका कथन स्पष्ट रूप से खोज का विषय है। यदि भगवान श्री नरसिंह देवता विष्णु भगवान के अवतार के रूप में लोक प्रचलित जागरों में नहीं माने जाते तो फिर उत्तराखंड के जोशीमठ में उनका मंदिर किस प्रकार है । उत्तराखंड के सभी लोग श्री नरसिंह देवता की पूजा के लिए हरिद्वार अथवा जोशीमठ जाते हैं। इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है।
Jai ho, Dhanya h aap 🙏🙏
Bahut acchi Jankari dhanyawad
हमारे नई पीढ़ी को इसकी जानकारी होनी आवश्यक है। मैं आदरणीय इतिहासकार डॉक्टर लखेड़ा जी का जानकारी देने के लिए आभार व्यक्त करता हूं।
Thnxx जी
जय हो 🙏🙏❤️✨✨ जय प्रणाम गुरु जी 🙏🙏 बहुत बहुत बढ़िया संदेश 🙏👌👌✌️✌️👏👏👍👍🕉️🕉️🕉️
Thnx
Utpati alag alag btai hai sabhi ne....
Per Utpatti jo bhi h per narsingh devta humare zindagi ka ab ek atut hissa hai... Humare kuldevta hai 🙏
नमस्कार साहब काफी लंबे समय बाद आए. बेहद रोचक जानकारी. धन्यवाद.
नमस्कार जी।
मै तो नियमित तौर पर हर हफ्ते लगभग दो या तीन वीडियो डालने का प्रयास करता हूं।
@@himalayilog शायद में देख नहीं पाया.
बहुत सुंदर 💐🌿
बिल्कुल सही कहा आपने ये एक साधु ही ही थे... हालांकी इनकी सात्विक पूजा नरसिंह भगवान के रूप में की जाती है... जागरों में नौ नाथों के रूप मे गाये जातें है...
Dondiya narsing devta ki jai🙏🙏🙏🙏🙏
Behad sundar 👌💗
Bahut sunder..... ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी देते रहिए
Thnx
जय दूदाधारी नरसिंह देव। सबको खुश रखना।
Aapko jaankari Dene k leaye bahut dhanywad
प्रणाम सुप्रभात नमस्कार जी बहुत बढीया और अच्छी जानकारी आपके माध्यम से हमे नयी नयी जानकारी प्राप्त होती है और अच्छी बात का ज्ञान सिखने को मिलता है आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद लखेडा़ जी जय हो श्री देव भूमि उतराखंणड
भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ही ans अवतार हैं नौ नरसिंह जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने के लिए नरसिंह अवतार लिया तो उसके बाद उनका क्रोध शांत नहीं हुआ था तभी उनके शरीर से नरसिंह वीर प्रकट हुए जो कि हजारों की संख्या में थे जिनकी शक्तियां भी उसी तरह थी जैसे नरसिंह भगवान की उसके बाद ये अलग अलग जगह विराजमान हो गए धरती पर जिनमें से मुख्य 9 नरसिंह उत्तराखंड में पूजे जाते हैं ये कोई साधारण साधु नहीं थे हालांकि वे साधु भेष में रहते थे गुरु गोरखनाथ जी और गुरु मछेंद्र नाथ दोनों को इन्होंने गुरु बनाया ये वीर शक्तियां हैं जो कि माता काली के साथ चलती हैं । पर वो थे भगवान नरसिंह के ans अवतार 🙏🙏🙏🙏 जय हो नरसिंह नारायण की।।।।
Bhai ap teek Jai ho parbhu
यथार्थ कथन है आपका
Bhai sach me ye asli story hai kya ??......main to avi tak yahi smjhta tha
@@alphaguru4301 ji sir real hai FB id kya h aapki aapko wahi par bhejta hu story
@@Riyal405 Pranshu King hloe red color me.........shree raam ki dp hogi vahi meri id h
Jai Shree Laxminarsingh devta ji ki 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏
जय कुलदेव नरसिंह महाराज ♥️🌼😇🙏🏻
Thanks for Kind Information
Sir thank you so much for clearing the doubts pata hai mujhe kabse se doubts rehta tha ki kyu ye sab hota hai
Jai ho narsingh devta ki jai ho 🙏🌹🌷🪔🙏❤️
जय हो इष्ट देवता🙏🚩
Bhi ji mai apko dil se parmaam karta hoon aap gyaan ke bhandaar hai
Thnx
Guru g garhwali sahitya batany ke liye dhanyavad. Jai Uttarakhand.
Thnx
@@himalayilogBhai ye letist channel hai sara itihas ulta seedha kar Diya h usne
सर हम बड़ाबे के जोशी है, और हमारे ईस्ट देव नरसिंह भगवान है परंतु हमारे पूर्वज उनको नारायण का अवतार ही बताते है ...
जी भाई सही बताए हैं वो भगवान नरसिंह के अंस से ही प्रकट हुए थे नरसिंह वीर।
Jai Narsingh Devta ji ki🙏... Humare papa ji ko Narsingh Devta ji aate hai aur appne sahi bola hai katuri Raj vansh ne hi katurihaat Kamoun region se migrate karke Chaubttakhal near ekeshwar ke Giwali gaon may settle ho gaye thaye mere par dadaji ke time se yahi baat aaj se 25 saal pahle mere dadaji ne bataya tha .
कुछ जगह जागर में विष्णु भगवान की नरसिंह अवतार की कथा भी गाई जाती है
Jai ho Narsingh devta ki
Jai Narsingh devta ki 🙏
Jay narsing Bhagwan ki
Pls bholanath ji par bhi ek video bnaye... Sampurn roop se...isi trh ...dhanyawad
Jay Narsingh Devta ki Jay
Aapko bahut bahut sadhubad bhayiji.
Thnxx
जय नरसिंह स्वामी 🙏
बहुत सुंदर जी 🙏🙏
Baut achi or perfect information di apne
Very good
Baut confusion tha aaj clear hogya
अरे भाई ये गलत बता रहा है नरसिंह देवता भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ही ans अवतार हैं उनके ans से ही ये 9 नरसिंह प्रकट हुए
@@Riyal405 han woh ek jogi roop mein hai
Wo narsingh ka avtar he hai par jogi roop liya hai unhone Kalyug mein
@@Samirbhatia007 ji 🙏🙏
सच मे आपका चैनल बहुत ही अद्भुत जानकारी देता है। °®
Thnx
बहुत सी मान्यताएं है, मेने काफी समय पहले किसी किताब में पढ़ा था की जो बुद्ध थे जब वो वन में तपस्या पर काफी समय तक बैठे थे तो बहुत से जंगली जानवर उनके पास से गुजर जाते थे लेकिन बुद्ध को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते थे। ये देखकर लोग अचंभित हो जाते थे और उनको नरसिंह की उपाधि दी थी। नर्सिंग मतलब जो नरों में सिंह समान निडर हो। चीन में भी अभी तक ऐसी प्रथा चली आ रही है जिसमे लोग सिंह का मुखौटा पहनकर तांडव करते है। वहा पर ये प्रथा बुद्ध से जुड़ी है।
Bahut acchi jankari dhyanbad
Jay ho narsingh dev
Jai ho Aap ki Bahut sundar.. Katyuro ne 400 isbi ke Lag-Bhag Apni Suruwat Joshi math se Nar Singh Bhagwan se hi suru ki thi.
Hmare bhi dudhiya narshing devta h jai ho 🙏
जय हो नरसिंह देव
जय होनृ सिंह देवता की❤ ❤
हरि अनंत हरि कथा अनंता सीम के नागराज कोन है भगवान कृष्ण या कोई और
भगवान श्रीकृष्ण
Aap Uttrakhand ke bare mein batate hain Humko bahut Achcha lagta hai
Thnx
भाई गलत बता रा ये पहले ढंग से पता करो नरसिंह जी के बारे में ऐसी mangandat कहानी मत बनाओ
Jai ho East Dev Dhudhadhari Narshing Devta ji ke... Uttarakhand wale Dhudhadhari Narsingh Dev Vishnu ji ke avtar Narsingh Bhagwan ke he ansh hai jab Narsingh Bhagwan prakat huve te to bahut Gusse or krodh me te us time bahut se unke ansh be prakat huve te unme he Dhudhadhari Narsingh devta or unke bhai be te or ye sub Guru Gorakhnath ji ke Sisya bane jab Gorakhnath ji Uttarakhand aahe te Dhudhadhari Narsingh dev ji ka Mandir Joshimath Uttarakhand me hai .. Jai ho Guru Gorakhnath ji ke.. Jai ho Devbhoomi Uttarakhand.
जय श्री नरसिंह भगवान की सदा ही जय
जब कोई भगत किसी देवता या भगवान की सेवा करता है तो वह उसी का रूप होता है शरीर छोड़ने के बाद उसी देवता का रूप बनकर अपने भगतों की सेवा करता है नरसिंह नाथपंथी सिद्ध है भगवान विष्णु के स्थान पर विराजमान होने से इन्हें नरसिंह रूप प्राप्त है इनके साथ भगवान शंकर और भगवान विष्णु की शक्ति पूर्ण रूप से है और अपनी साधना की शक्ति तो है ही। जय दूधाधारी नारसिंह । हर हर महादेव।
भाई जी नरसिंह देवता कोई इंसान नहीं था कोई भगत नहीं था , जो कि मरने के बाद देवता बना हो नरसिंह देवता भगवान् विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ans अवतार हैं
@@Riyal405 भाई जी सिद्ध योग बल से मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेते हैं भगवान देवता सिद्धों या मनुष्य में केवल ज्ञान और योग का अंतर होता है और कुछ अंतर नहीं होता है।
@@Shashtri.ankitbhatt12 😂😂😂 aapki baat Sahi hai par bro wo bhagwan ke ans avtaar hai na ki koi manusya
@@Riyal405 ve ansh avtaar thhe, ye aapne kaha se padha aur suna hai i mean confusion sa hai , isliye poocha doosra ye 9 veer ansh hain to baaki kaha hain ?
नरसिंह हमारे गांव में भी पूजे जाते है। और जागर में इन्हे काली का पुत्र बताया गया है। भगवान विष्णु से इनके संबंध के बारे में मैंने भी नही सुना जागरो में।
Bhai narshing puraan pdho fir.... narshing bhgwan ka jb bhut jyada krodh bdh gya tha to unki shktiyon se bhut sare veer peda hue.... jinko narshing veer khaa jata h.....or wo veer hajaro me the...lekin unme se fir 9 narshing veer hi yhn rhe jinhone apne guru bnaya bhgwn guru gorakhnath ko ....or tb se unko guru gorakhnath ke chele se jana jane lga...yhn tk dudhiya narshing ko krishna avtar maana gya h ..kumaun aarti me pdho.....shaant roop h kyuki....or unke sath kaali maa ki shktiyan chlti h
Baaki veer kaha gye ?@@Ashwinijoc
Bahut hi Sundar bataya aapane
बहुत सुंदर जानकारी
क्या नर सिंह देव की माता भगवान विष्णु की पुत्री हैं जिस कारण नर सिंह देव संस्कृत मे भी बोलते है
सुंदर जानकारी दी है
Thnx
डॉ साहब, मैं मानता हूं सभी जीवों में ईश्वर का वास होता है।लोग भी यही कहते हैं कि सबको भगवान ने प्राण दिए। भगवान किसी प्राणी से भेद-भाव नहीं करता है।इसी प्रकार उत्तराखंड हिमाचल में जगह जगह भगवान के मन्दिर है कहीं किसी भगवान का मन्दिर ,तो कहीं किसी भगवान का मन्दिर ।तो उस भगवान के दर्शन करने सभी लोग आ जा सकेंगे। क्यों कि भगवान के लिए सब एक समान हैं। परन्तु उत्तराखंड के इन मन्दिरों में दर्शन करने में जातीय भेद-भाव क्यों है। इसका मतलब है कि वहां असली भगवान नहीं है और यदि असली भगवान है तो मन्दिरों में प्रवेश का अपना कापीराइट समझने वालों को भगवान दण्डित क्यों नहीं करता। यदि नहीं करता तो भगवान फर्जी है। पक्षपाती है।जो फर्ज़ी व पक्षपाती है भगवान कहलाने का तगमा नहीं ले सकता। दुनिया में सबसे ज्यादा छुआ-छूत उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में है। शोध कर्ताओं ने ये सिद्ध कर किताबें लिख दी है। विश्व पढ़ रहा है। उत्तराखंड की बाजगी /औजी को छोड़कर सभी सभी अनुसूचित जातियां लोहार, मिस्त्री, टम्टा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की जातियां हैं। नेगी, रावत, नौटियाल,पान्डे आदि तथाकथित सवर्ण मूल रूपेण उत्तराखंड तक ही सीमित हैं। भले ही अब बाहर बस गये हों,ये चीज दीगर है।तो इन यूनिवर्सल जातियों से छुआ-छूत किस बात का। ज़रा मार्गदर्शन करना।
Bahut hi sundar जानकारी दी है आपने,,,आप काली माता के बारे में भी बताए प्लीज,की माता केसे प्रकट हुई
Thnxx
बताऊंगा
Aap ka thanks
Jai bhaironarshing devta ❤🙏 jai prachand narshing ❤
अति सुन्दर वर्णन। सर आप गोलू देवता का वर्णन भी इसी प्रकार करे
बना दी है गोलू देवता पर वीडियो
श्री नरसिंम्हा भगवान शुद्ध सतोगुण में स्थित परब्रह्म स्वरुप श्री हरि का रूप हैं वो परम भगवान श्री कृष्ण के ही स्वरुप हैं। नरसिम्हा देवता शक्ति संपन्न, सिद्ध योगी व उत्तराखंड के लोक देवता हैं। भगवान और देवता में बहुत अंतर है। न जाने कितने ही देवता भगवान के ध्यान मात्र से भी दूर हैं क्यूँकि वे श्रीभगवान को नहीं जान सकते। किन्तु वे उनकी माया का ही रूप हैं। करोड़ों बर्षों तक तपस्या करने पर भी वे श्रीभगवान की माया के कारण उनके तत्त्व को नहीं जान पाते। भगवान को कोई बांध नहीं सकता वे आसाध्य हैं अनंत हैं और उनका व्याख्यान कोई नहीं कर सकता। वे किसी का बुरा नहीं करते अपितु धर्म की रक्षा हेतु सज्ज रहते हैं। उनकी उपासना करने की जरूरत नहीं होती वो तो बस भजनीय हैं।
ॐ नमो भगवते नरसिंहाय नमस्तेजस्तेजसे आविराविर्भव वज्रनख वज्रदंष्ट्र कर्माशयान् रन्धय रन्धय तमो ग्रस ग्रस ॐ स्वाहा ।
अभयमभयमात्मनि भूयिष्ठा ॐ क्ष्रौम्।।
🙏🙇♂️🙏🙇♂️
हरे कृष्ण 🙏🙇♂️
आपने बहुत सुन्दर ढंग से व्याख्या की है सादर प्रणाम 🙏🙇♂️
@@MukeshKumar-do2ns जी बिल्कुल
जय कुलदेव नरसिंह देवता