पूजिअ विप्र सील गुण हीना, सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना ॥ यदि इस चौपाई को भी समझना है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 👇👇👇👇 ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
पूजिअ विप्र सील गुण हीना। सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना॥ ब्राह्मण यदि दुराचारी हो और उसमें कोई गुण ना हो फिर भी पूजनीय, और शूद्र यदि सभी गुणों से युक्त हो कुशल हो फिर भी तिरस्कार के योग्य.. तुलसीदासजी ने ऐसा क्यों कहा..? इसको समझने के लिए इस वीडियो को भी अवश्य देखें! ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
स्वामी जी आपने बहुत अच्छा व सटीक अर्थ बताया उस चौपाई का जिसको मन्द बुद्धि लोगो ने विवादित बना दिया, व सनातनियो के बीच भेद भाव पैदा करने का रामचरित मानस जैसे ग्रन्थ में साक्ष्य बना दिया ।
Sach sach hota hai. Usko explain nahi karna padta. Jis baat ko samjhane ke liye itna yatan karna pade aur phir bhi na samajha paye wo kaisa sach. Eise hi sach ki vajah se aaj samaj me vighatan ho raha hai. Dhanyawad.
हरिॐ बहुत कम लोग हैं जो कि मेरी बात को समझ पा रहे हैं मेरे आशय को समझ पा रहे हैं अच्छी चीजों को समझने के लिए भी अच्छा दिमाग चाहिए मूर्ख आदमी किसी भी सही बात का गलत अर्थ निकाल सकते हैं
बार-बार प्रणाम महाराज जी इतनी अच्छी इस चौपाई की व्याख्या आज तक किसी ने नहीं किया आप जैसे विद्वानों पर गर्व है, आप जैसे लोगों पर सनातन धर्म का आधार टिका हुआ है
अति उत्तम विश्लेषण सही और सरल भाषा में महात्मा ने अर्थ को समझाया है इससे यही प्रतीत होता है कि जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं सही अर्थ नहीं समझते हैं वह मूर्खतापूर्ण बातें करते हैं समाज में विद्वेष फैलाते हैं वह सरासर गलत है जय श्री राम
पूजिअ विप्र सील गुण हीना। सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना॥ ब्राह्मण यदि दुराचारी हो और उसमें कोई गुण ना हो फिर भी पूजनीय, और शूद्र यदि सभी गुणों से युक्त हो कुशल हो फिर भी तिरस्कार के योग्य.. तुलसीदासजी ने ऐसा क्यों कहा..? इसको समझने के लिए इस वीडियो को भी अवश्य देखें! ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
जय श्री राम गुरु जी आपने बहुत सुंदर ज्ञान बातों से समझायालोग ऊपर ऊपर देखते हैं असली ज्ञान की जड़ में जाते नहीं हैएक शब्द के सेवन अर्थ होते हैंऋषि सभी लोग अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं समझाने वाले इनको अपनेऋषि सभी लोग अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं समझाने वाले इनको इतनी अच्छी तरह समझाते नहीं हैआप बहुत अच्छी तरह से या ज्ञान दिया है
bahot sahi meaning kiya......Ramayan ki koi baat galat ho hi nahi sakti,ham Tulsidas Ramayan ke prati bahot Shraddha rakhte hai...maine bhi ye chopai ka questions karne valo ko hamesha yehi kaha hai,ye Samundra ki kahi hui baat hai , bhagwan Ram ne nahi kaha hai...
ना काम कोशिश झुट का पुलिंदा, आज भी जिन्हें शुद्र कहा जाता है उनकी अलग बस्तियां होती हैं, पुरी एक कौम शुद्ररों की, शर्मनाक जिंदगी जिने पर मजबूर कर दि गई है और तुम झुट फैला कर उन्हें और लाचारी की खाई मे ढकेलने की नाकाम कोशिश कर रहे हो, धिक्कार है
प्रमाण है कि सतयुग में केवल ब्राह्मणों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था तो जाहिर है भाई जो धर्म ग्रंथ, वेद, पुराण, मनुस्मृति आदि लिखे गए है वे सभी ब्राह्मणों द्वारा अपने वर्ण को भविष्य में सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
अंध भक्तों का मतलब जानते हो क्या मदरसे से हिंदी सीखी है क्या जो सीधी बात समझ नही आ रही जो बिना दिमाग के अपने आका के हुकुम पर डंडा उठाके सर तन से जुदा कर दे वो अंधभक्त होता है यहां तो बाबाजी पूरे कर और सही अर्थ के साथ बता रहे है इसे भी जो सुन कर भी न समझ सके वो अक्ल का दुश्मन होता है और उस। पर तो योगी की नीति ही काम आती है
जब तक है भेद मन में भगवान से जुदा है, देखें जो दिल का दर्पण इस घर मे ही खुद है। बनाने वाले ने सबको समान बनाया है।पूरे विश्व लोगों को देख लीजिए ।देश काल वातावरण के कारण रूप रंग अलग होतें है परंतु बनावटी स्वरूप सबका एक जैसे होता है।कोई भी व्यक्ति इस दुनिया में ऊंच या नीच अधम नही होता।सब अपने देश काल,वातावरण परिस्थिति ,संस्कार,योग्यता ,अनुभव के अनुसार आचरण व व्यवहार करतें हैं।रही बात वर्ण ,धर्म,सम्प्रदाय,जाति की ये सब उस जमाने के चालाक,होशियार,लोगों ने बनाया है किसी ज्ञानी या विद्वानों, शिक्षितों ,संतो का यह कार्य नही है।आज भी जो ज्यादा पढ़े लिखे लोग होतें है वो अपने से कम पढ़े लिखे लोगों को हीन दृष्टि से देखतें है जबकि ये उचित नही है ।जिन्हें उचित अवसर मिला वो होशियार बन गए और अपने आपको श्रेष्ठ बना कर चालाकी से दूसरों के ऊपर राज करने के लिए खुद नियम व कुछ भी जो उचित लगा लिख कर अपने मतानुसार नियम ग्रंथ,बना लिये और स्वयम्भू बन गए।परमात्म या ईस्वर किसी को छोटा या बड़ा नही बनाता।उनके द्वारा रचित प्रकृति सबके साथ समान रूप से व्यवहार करती है।हम सब इन्सान है।चाहे किसी भी धर्म व सम्प्रदाय का पुस्तक य धर्म ग्रंथ हो वह उसके लिखने वाले का विचार है जो सबके विचार नही हो सकते।शिक्षित व समझदार तथा ज्ञानी व्यक्ति कभी भी किसी को अपने से हीन नही मानता।और जो मानता है वो ईस्वर को नही जानता।इसलिए देश काल परिस्थिति,परिवरिश अनुसार लिखे गए किसी भी ग्रन्थों के मत में न उलझ कर वर्तमान परिवेशानुसार एक दूसरे से भाईचारें का व्यवहार करें यही सच और समझदारी है। क्षमा याचना के साथ।
परम आदरणीय और अब से तो परम प्रिय चतुर्वेदी जी आपके द्वारा लिखे गए एक एक शब्द ने मेरे दिल को जीत लिया है मैं ऐसे किसी कमेंट की अपेक्षा भी नहीं कर रहा था और इतनी सुंदर सोच की अपेक्षा भी नहीं कर रहा था जितनी सुंदर सोच आपकी है। आप निश्चय ही बहुत प्यारे इंसान हो आपका दिल की गहराइयों से आभार और बहुत-बहुत साधुवाद आगे भी हमारे साथ बने रहिएगा और समय-समय पर अपने सुंदर शब्दों के द्वारा हमारे दिल को ठंडक पहुंचाते रहिएगा। परमात्मा की कृपा सदैव आप पर बनी रहे। हरिॐ हरे कृष्ण 🙏
भारत मे जातीय व्यवस्था और दलितों पर अत्याचार। जानिए.... एक तथ्यात्मक सत्य..... आईये पहले हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं। सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री सत्यवती से। उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की। सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा? महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो। विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है। भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया। श्रीकृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे। उनके भाई बलराम खेती करते थे, हमेशा हल साथ रखते थे। यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्रीकृषण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया। राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे। उनके पुत्र लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार। वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही। प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे । नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये। उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा। फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा। केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है। फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम शासन रहा। अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया, चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया। अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी। ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये। मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|। यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है। मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं। 1800 -1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ । जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया। अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब "कास्ट ऑफ़ माइंड" में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया। इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान, ह्यू सांग और अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था। योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महा मंडलेश्वर रही हैं। जन्म आधारित जातीय व्यवस्था हिन्दुओ को कमजोर करने के लिए लाई गई थी। इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्रों से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं।
सौ की सीधी एक बात आंतरिक स्वभाव व्यवहार हम जैसा दूसरो के साथ करते है और अगला ब्यक्ति उस कृत्य से अपने उपर जैसा महसूस करता है उस चौपाई का सही मायने मे वही अर्थ होता है,
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आप के चैनल पर दिखाए गए श्री राम चरित मानस के प्रसंग एक ग़लत तरीके अपनें अपने स्वार्थ में स्टिक बैठा कर समाज में ग़लत तरीके से जानकारी देना तथा आप के द्वारा एक एक शब्द का विस्तार से जानकारी दी जो मुर्ख और अज्ञानी को ज्ञान मिलेगा साथ ही साथ आप को सादर प्रणाम करते हैं और आगे भी उम्मीद करते हैं भी इस तरह ज्ञान का संदेश देंगे । जय श्री राम
आप कहते हैं कि शुद्र नीच काम करने वाला होता है लेकिन आपकी रामायण कहती है कि ब्राह्मण कितना भी अनपढ़ हो वह ब्राह्मण ही रहेगा शूद्र कितना ही पढ़ा-लिखा ज्ञानी क्यों न हो वह शूद्र ही रहेगा देश को चुटिया बनाना बंद कर दो
@@shaileshdwivedi7171 bhai sahib ji Guru Granth Sahib Ji ki rachna v 350 sal pehle hoe Os me to kuj galat nahi hai Os me hi agar bhraman ko kuj gian kahi os ko nahi pujna agar koe chandal Giani educated hai to os ki Puja karo Jeh hai asli ved Guru Granth Sahib Ji।।
@Siya madam ji valmik bhramin nahi bilkul galat bol rehe ho Agar vo bhramin hai to fir on ki likhi hoe Ramain ap hindu mander me kio nahi rakhte Baha par Tulsi Ramain kio
Is gyan ke liye Guru ji बहुत-बहुत mayabhar vyakt karta hun aapka aap Dhanya Hai Jis Tarah Se samjhaen hain aur sab Kuchh Samajh Mein Aana chahie Kyunki Ham Sab Sahi Arth ka Nahin Laga sakte hain Jay Shri Ram
समुद्र सामने आकर खड़ा हो गया और विनती करने लग गया क्या ऐसा कल्पना में सम्भव हो सकता है वास्तविकता में नहीं, और रही बात भेद भाव या नफरत या ताड़ने की तो प्राचीन काल से चली आ रही वर्ण व्यवस्था और उनके अधिकार ही काफी है ये बताने के लिए की उस समय की व्यवस्था किस प्रकार की रही होगी,वर्तमान में आप जैसे संत उस व्यवस्था में सुधार करना चाहते हैं ये सराहनीय है महाराज जी,सादर नमन
Mahadhay aap jis adhi Kar ka udahran dekar dharm granth ko Galt sabit krna chahte hai...wo bhut baad me aayi hui insaan ki galtiya hai...pahle aisi koi vyawastha nhi this...kisi granth me ...aaj ki jaati ka koi jikra nhi milega
बड़े भैया कुछ हिंदू हमारे जो हैं अपने धर्म को सही से नहीं देखते उनके किस्मत में मजार पर नाक रगड़ना ही है जाति छोटी नहीं होती है बुद्धि छोटी होती है सोच छोटी होती है
अगर जाति छोटी नहीं होती तो नीची जाति के लोग और ऊपर जाति के लोग आरक्षण ले के नहीं बैठे होते। मंदिर में पुजारी किस जाति के है और नाली साफ करने वाले कौन से जाति के है।
सर आप सच्चाई को लीपापोती कर रहे हैं , भगवान ने सबको एक ही तरह से दुनिया मे भेजा है , ये सच्चाई है । लेकिन हमारे धर्म ग्रंथो ने विभेद पैदा कर दिया -- कोई मुँह से निकला ,कोई पेट से तो कोई जांघ से कोई पैर से पैदा हुए, इस प्रकार एक दूसरे के मन में जहर घोला । जन्म से कैसे कोई ऊँचा-नीचा हो सकता है । इससे हजारो जातियाँ बना दी गई, फिर आप हिन्दु एकता की उम्मीद कैसे कर सकते हैं । कुछ वर्ग अपने
Apne hi theek arth btaya hai Maharaj ji sare sant apni aur agyani Tulsi ki galti ko sudharne me lage hue hal aap ne saaf suthra arth btaya he asli snt aap jaise hi the
जिस धर्मग्रंथ में नारी को अधमी माना जाता हो जिसे आपके शब्दो मे तारने की जरुरत हो तो क्या सभी की जननी अधमी होती है? कितना भी लिपा-पोती करोगे-सच्चाई को नही छुपा सकोगे।
Abey MC BKL, Taran ke adhikari . Adhikari means authority. Nari taran ki adhikari bola gaya hai c#utiye. Adhikari hai naari. Simple.hindi nahi samjh aati tujhe g@!#du
@@RajkumarNishad-px5it valmiki ramayan lankakand ke baad samapt ho jati hai. Uttarakand pura milavati hai. Shambuk vadh, Sita ka tyag adi baaten mugalkaal me ki gai milavat hai, taki Hindu samaj me phoot dalkar toda ja sake.
@@AnandDhara the best way is Essex junction box office in to see the attachment or the other side to the other day that would have ooooooooo in ametro po for op het nie on my own opdie and a second opinion and feature in to the attachment for my birthday in ametro in ametro the best regards Michael the attachment or affection of this on to your account will the best of one year after op die
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पूजिअ विप्र सील गुण हीना। सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना॥ ब्राह्मण यदि दुराचारी हो और उसमें कोई गुण ना हो फिर भी पूजनीय, और शूद्र यदि सभी गुणों से युक्त हो कुशल हो फिर भी तिरस्कार के योग्य.. तुलसीदासजी ने ऐसा क्यों कहा..? इसको समझने के लिए इस वीडियो को भी अवश्य देखें! ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
बाबा जी ढोल किसी को दे दो वो नही बजा सकता।लेकिन किसी ढोल बजाने वाले को दिया जाता है तो वो उसे अच्छी तरह से बजा सकता है।ढोल की जो सोलहो कला जानता हो वही सही ताड़न है
ढोल बजाने का मतलब सिद्धहस्तता नहीं है इसका मतलब है ढोल को पीटने से ही उससे आवाज आती है यानी ढोल बजाने के लिए उसे पीटना ही पड़ता है तभी वो बजती है बहुत छोटी सी बात है लेकिन आपने इसका अर्थ गलत निकाल लिया
माई जी रामायण को समझने के लिए एक दोहे का उदाहरण है। यह चरित्र जाने मुनि ज्ञानी। ये मुनि और ज्ञानी ही समझ सकते।या किसी महापुरुष को मालूम ये सब मैंने सत्संग में सुना है
बाबा जी कुछ मूढ/मूर्ख लोग हैं जो उसे समझना और मानना ही नहीं चाहते,जिसका मन पहले ही काला/कलुषित हो गया है उसे तो बस अर्थ का अनर्थ करना और दूसरे लोगों पर बिष बमन करने से ही आनन्द आता है,वो अज्ञानी किसी के जबरदस्त बहकावे में आये हैं भगवान उनको सद्बुद्धि दें
बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।। वास्तव में प्रियवर विवेक के बगैर तो अच्छी बात भी समझ में नहीं आती और विवेक उसे प्राप्त होगा जिस पर प्रभु की कृपा होगी सामने दृश्य चाहे जितना भी सुंदर हो यदि आपके पास आँख नहीं है तो आप ना उसे देख सकते हैं ना ही उस का आनंद ले सकते हैं
सतीश कुमार: अच्छा लगा इस विषय पर उत्तर इनका।इस प्रंक्ति में कमी है।यह पंक्ति सत्यता, मनोवैज्ञानिकता, वैज्ञानिकता नहीं ली हुई है इस आधार पर समाज इस पंक्ति के आशय पर चलकर एक वर्ग हीन समझेगा अपने आपको तथा दूसरा वर्ग सदैव आशय के अनुसार व्यवहार करता रहेगा।नारी पुरी नारी समाज आयीं है,पशु पुरा पशु आया है इस तरह से हम देखें तो कहाँ वैज्ञानिकता है।चलिए देखने के ही अर्थ में लेते हैं हम,यह तय है कि पुरी स्त्री को हमें देखना होगा कोई समझदार नहीं मिलेंगी।हम पुरूष ही वैज्ञानिकता देखने का सिर्फ लिए है।देखने का मतलब भी हम लगाकर देखें तो दूसरे वर्ग को हम पहले ही बाँट दियें की पुरूष-स्त्री में पुरूष सदैव ज्ञानी,विवेकी अच्छा होगा।यह पंक्ति कमी ली हुई है जिसे अर्थ प्रदान हम किसी भी तरह से करके देखें तौहीन नजर आयेगा एक वर्ग का।हाँ यदि व्यक्ति वाचक संज्ञा होती तो अर्थ अपना काम सही से कर पाता।
@@rajaramahirwar8732 जहाँ तक मेरा अध्ययन है जाति बनाया नहीं जाता ,गुण स्वभावत आदि से स्वतः बन जाता है,नामकरण विशेषज्ञ गण अपनी भाषा और अपने शब्दों में कर देते हैं|जैसे आप आम के बगीचे में गये आम खाये जैसा स्वाद वैसा बोल पड़े अरे-खटौवा है,ये तो मिठौवा है|फिर भी सनातन धर्म के अनुसार ब्रह्मा स दस ऋषि (कर्दम,वशिष्ठ,कश्यप, नारद,प्रचेता,दक्ष आदि) ,मनु,विश्वकर्मा, चित्रगुप्त, रुद्र आदि पुत्र बताये गये हैं|मनु से मनुष्य,विश्वकर्मा से लोहार आदि,चित्रगुप्त से कायस्थ आदि की उत्पत्ति हुई|दश ऋषियों से ब्रह्मण,देवता ,दैत्य आदि हुए|रुद्र से प्रेत भूतादि हुए|मनु ने मनुष्य को चार वर्णो में बांटा ब्रह्मण को पूर्व ब्रह्मण में मिला दिया,राजाज्ञा के कारण मिला लेना पड़ा|कई देवताओं से क्षत्रिय वंश चला मनु वाले क्षत्रिय भी मिल गये|मनु के चौथे वर्ण शूद्र मे से ( कई लाख वर्ष बाद)सवा लाख शूद्रों को उपरोक्त ब्रह्मण 3और 13 में सवा लाख को मिला दिया गया और ब्रह्मण हो गया निन्दा का पात्र जो कभी पूजनीय था|
Very, very good, I was also in a great confusion, how it can be like this , I M VERY THANKFUL TO U ,FOR SUCH A GREAT EXPLANIATION , AND CLEARY DOUBTS , see things I can't share with one one , I think so THAT SHREE RAM JI CAME IN FORM OF U AND EXPLAINED ME , WHAT ACTUALLY IT IS , I M RAM AND HANUMANJI BHAGAT , , SO RAM JI HAS SOLVED MY QUESTION, BY U R BEAUTIFUL WORDS , JAI SHREE RAM , AUR AAP KO BHO PRANAM
Tu pad k dekh ram charit manas ko.... usme ye bhi likha h ..sapat tadat purush kahanta ...vipra puj as gawahi santa .... pujahi vipra gyan gun hina ...sudra n gun gin gyan praverna
He has a very little knowledge to be able to explain the verses of ramcharit manas in context with occasions of the the particular verse... He is just beating about the bush.. अध जल गगरी छलकत जाए..
पूजिअ विप्र सील गुण हीना, सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना ॥ यदि इस चौपाई को भी समझना है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 👇👇👇👇 ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
विप्र का अर्थ होता है धार्मिक व्यक्ति । और शुद्र का अर्थ होता है निकृष्ट कर्म करने वाला, और प्रवीण का अर्थ होता है कुशल या दक्ष। तो इस प्रकार इस चौपाई का अर्थ होता है, धार्मिक व्यक्ति भले ही सभी गुणों रहित हो लेकिन वह पूजनीय है और निकृष्ट कर्म करने वाला भले ही वेदों में कुशल हो परंतु वह पूजनीय नहीं है।
@@DeepakSingh-ri4je वास्तविकता से दूर भागना कायरता होती है सभी अपने अपने तरफ से व्याख्या देते हैं जबकि वह पंक्ति सत्य की दृष्टि से देखें कब आपको समझ में आएगा संसार में इतना कोई ज्ञानी नहीं है जो आप सभी लोग अपनी-अपनी तरह से ज्ञान बांट रहे हैं जब से मनुष्य ही वह भी सदा एक जैसा उसके जीवन में नहीं रह सकता तो फिर फालतू की बातें क्यों
@@DeepakSingh-ri4je जो तुम लोग तंत्र की दवाई दे रहे वह भी नेताओं के द्वारा बनाया हुआ है फिर इसको सविधान कह देते हैं यह तो एक देश की व्यवस्था और कानून होता है इसमें कोई आश्चर्य नहीं यह सब समय के अनुसार होता है समय के सामने कोई कुछ भी नहीं व्यर्थ का इनकार आगे जाकर कोई सारांश नहीं
रामचरित मानस को समझने के लिए एक दोहा को स्मरण करते हुए विस्तृत सोच के साथ समझनी चाहिए। यह चरित्र जाने मुनि ज्ञानी। जिन्ह रघुवीर चरन रति मानी।। ये मानस सिर्फ मुनि और ज्ञानी ही जानते सत्य यही बाबा जी
महोदय जब कोई कवि या लेखक किसी कहानी को अपने विचारों से जोड़ते हुए विस्तृत रूप देता है तो वह किसी पात्र द्वारा जो बातें कहलाता है वह उसके दिमाग की मान्यता होती है अतः तुलसीदास जी के दिमाग में जो बातें थी वह समुद्र के माध्यम से कही गई है उनकी नजर में यह सभी दंड देने से ही कार्य करते हैं ।
जिस तरह भागवत गीता में अर्जुन से कृष्ण ने जो संवाद किया वो संस्कृत में था महर्षि वेद व्यास ने श्रुत परंपरा को लेख बद्ध किया ।लेकिन कृष्ण ने जो उपदेश अर्जुन को दिए उस समय उनके मनोगत भाव क्या थे क्रमशः कोई पथिक चलकर ही उसी अवस्था को प्राप्त कर वही बता सकता है उसी प्रकार तुलसी दास न तो लेखक थे न ही कवि ,रामायण भगवान की प्रेरणा से और अपने गुरु की कृपा से लिखा ।तुलसी दास ने जो लिखा था उस समय की क्षेत्रीय भाषा में लिखा था न की उसका अर्थ ।इसलिए जो कोई तत्वदर्शी महापुरुष ही उसके वास्तविक अर्थ को जानता और समझता है।रही बात जीने खाने के लिए तो खाओ पियो मौज करो यही जीवन नही है।जीवन मिला है तो सत्य को जानो नही अनंत जन्मों तक अनंत इच्छाएं और अनंत वासनाएं कभी न पूरी होगी
इस तरह की चौपाई वाले ग्रंथों को केवल ब्राह्मणों को पढ़ना चाहिए,,दलित पिछड़े वर्गों के लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी वा संविधान पढ़ना चाहिए,,इसी से यथार्थ कल्याण होगा,,,इस पर बहस करना ,समाज में अंधकार बनाए रखना जैसा है
पूजिअ विप्र सील गुण हीना,
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना ॥
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Teli ,kalwara se related v line hai.... Tulsi ke ramcharitmanas mein...uska v meaning bata dijiye.... Sadhu baba....
Ok
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चौपाई सही हैं बिप्र वही है जो सबके प्रति समान भाव रखे इस चौपाई में रावण को सूद्र माना गया है vedo ka ज्ञाता होते हुए भी अत्याचारी बना
Samudra ki tarah soch rakhanewalon es vyakhyan ko dekh sun kar us samudra ki tarah raste par ajao Ramayan singh adv ara
दुनिया के सबसे सबसे अच्छी व्याख्या की है गुरु जी आपने समझ में भी आया और सटीक भी है ना किसी पर हाथ है और ना किसी का पक्ष
पूजिअ विप्र सील गुण हीना।
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना॥
ब्राह्मण यदि दुराचारी हो और उसमें कोई गुण ना हो फिर भी पूजनीय,
और शूद्र यदि सभी गुणों से युक्त हो कुशल हो फिर भी तिरस्कार के योग्य..
तुलसीदासजी ने ऐसा क्यों कहा..?
इसको समझने के लिए इस वीडियो को भी अवश्य देखें!
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परमपूज्य गुरुदेव जी ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से विवादित दोहे की व्याख्या की गई।
गुरुदेव को दंडवत प्रणाम 🙏🙏
स्वामी जी आपने बहुत अच्छा व सटीक अर्थ बताया उस चौपाई का जिसको मन्द बुद्धि लोगो ने विवादित बना दिया, व सनातनियो के बीच भेद भाव पैदा करने का रामचरित मानस जैसे ग्रन्थ में साक्ष्य बना दिया ।
Sach sach hota hai. Usko explain nahi karna padta. Jis baat ko samjhane ke liye itna yatan karna pade aur phir bhi na samajha paye wo kaisa sach. Eise hi sach ki vajah se aaj samaj me vighatan ho raha hai. Dhanyawad.
अति सुंदर पंडितजी।आपका ये वीडियो देखकर मन गदगद हो गया।हरिओम।👍👌💐😊
हरिॐ
बहुत कम लोग हैं जो कि मेरी बात को समझ पा रहे हैं
मेरे आशय को समझ पा रहे हैं
अच्छी चीजों को समझने के लिए भी अच्छा दिमाग चाहिए
मूर्ख आदमी किसी भी सही बात का गलत अर्थ निकाल सकते हैं
बहुत तार्किक विश्लेषण। बहुत अच्छा बहुत सुंदर। धन्यवाद।
हरिॐ
महाराज आपले अच्छा समझाया
अभिवादन स्वीकार करें ।
बहुत ही सटीक व्याख्या स्वामी जी, जयश्रीराम🙏
बार-बार प्रणाम महाराज जी इतनी अच्छी इस चौपाई की व्याख्या आज तक किसी ने नहीं किया आप जैसे विद्वानों पर गर्व है, आप जैसे लोगों पर सनातन धर्म का आधार टिका हुआ है
अतिउत्तम ।
कला साहित्य संगीत को समझने के बाद रामचरितमानस समझ आयेगा ।
बिल्कुल सत्य
Hamare hindi shabd kai arth hote hai kabhi kabhi kbi log kahte hai log arth kuksh aur samjhte hai fir kavi arth batata hai tb log samjhte hai
कोटि-कोटि प्रणाम गुरु जी आपने सही सही ढंग से समझाया धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏💯
अति उत्तम विश्लेषण सही और सरल भाषा में महात्मा ने अर्थ को समझाया है इससे यही प्रतीत होता है कि जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं सही अर्थ नहीं समझते हैं वह मूर्खतापूर्ण बातें करते हैं समाज में विद्वेष फैलाते हैं वह सरासर गलत है जय श्री राम
जय श्री राम
अति सुन्दर प्रवचन ! शत् शत् प्रणाम !!
हर-हर महादेव महाराज जय जय श्री सीताराम महाराज के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
आज इस चौपाई को सही से समझा... बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏🙏
अभिषेक बेटा जी आप समझदार हो इसीलिए समझ पाए
इसे आगे ज्यादा से ज्यादा शेयर करो ताकि बहुत सारे लोगों की गलतफहमी दूर हो
Tarana ka matalab pitane se hai bina pite. Dhol nahi baj sakta
इस प्रसंग से मैं अभी संतुष्ट हूं तुलसीदास जी जो चौपाई लिखी है ढोल गवार शुद्र पशु नारी इस चौपाई को समुंद्र कह रहा है अति सुंदर समझ में आ गया
जय श्री राम
बहुत अच्छी विवेचना की है आपने। महाराज जी ,आपको शत शत नमन ।
पूजिअ विप्र सील गुण हीना।
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना॥
ब्राह्मण यदि दुराचारी हो और उसमें कोई गुण ना हो फिर भी पूजनीय,
और शूद्र यदि सभी गुणों से युक्त हो कुशल हो फिर भी तिरस्कार के योग्य..
तुलसीदासजी ने ऐसा क्यों कहा..?
इसको समझने के लिए इस वीडियो को भी अवश्य देखें!
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Gurdev pranaam aap ne samaj ki akhe kholdi hai hamare mitra St sc obc ke log brahmno /RAMAYAN KO BAHUT APSABD KALPANIC KITAB MANTE HAI
हरिॐ
Yes Sir
👌👌
अत्यंत सही बात है। बात कौन कह रहा है, यह बहुत महत्वपूर्ण है
बहुत सुंदर ढंग से समाधान किया परन्तु मूरख हृदय न चेत चहि गुरु मिलहि बिरचि सम
जय श्री राम
स्वामी जी सही अर्थ बताने के लिए बहुत बहुत आभार
हरिॐ
हरे कृष्ण
कौनसा सही अर्थ ,गलत अर्थ बता रहा है।
बहुत अच्छी टिप्पणी की हार्दिक शुभकामनाएं भगवान आपको स्वस्थ बनाए रखें बहुत अच्छी ज्ञान की बात बताई 🙏🙏🙏🎉🎉🎉
हरिॐ
jay shree ram
यह भगवान कौन है?
@@AnandDhara ¹
Jay Shri Ram
Maharaj You explain so good people listen this parvachan
जय श्री राम गुरु जी आपने बहुत सुंदर ज्ञान बातों से समझायालोग ऊपर ऊपर देखते हैं असली ज्ञान की जड़ में जाते नहीं हैएक शब्द के सेवन अर्थ होते हैंऋषि सभी लोग अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं समझाने वाले इनको अपनेऋषि सभी लोग अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं समझाने वाले इनको इतनी अच्छी तरह समझाते नहीं हैआप बहुत अच्छी तरह से या ज्ञान दिया है
आपकी बातें सत्य है और ताड़ना का अर्थ शिक्षा देना देख रेख में रखना चाहिए
bahot sahi meaning kiya......Ramayan ki koi baat galat ho hi nahi sakti,ham Tulsidas Ramayan ke prati bahot Shraddha rakhte hai...maine bhi ye chopai ka questions karne valo ko hamesha yehi kaha hai,ye Samundra ki kahi hui baat hai , bhagwan Ram ne nahi kaha hai...
हरिॐ
जय श्री राम
samundra kabse bolne laga aaj tak hamne dekha nahi
बहुत सुंदर और सटीक अर्थपूर्ण ज्ञान प्रदान हेतु सत-सत नमन।
ना काम कोशिश झुट का पुलिंदा, आज भी जिन्हें शुद्र कहा जाता है उनकी अलग बस्तियां होती हैं, पुरी एक कौम शुद्ररों की, शर्मनाक जिंदगी जिने पर मजबूर कर दि गई है और तुम झुट फैला कर उन्हें और लाचारी की खाई मे ढकेलने की नाकाम कोशिश कर रहे हो, धिक्कार है
वाह बहुत सुंदर तारिके से समझाए पूज्य महाराज जी आनंद आज्ञा कोटि कोटि अभिनंदन जय श्री राम 🙏🏻🙏🏻
Excellent example & knowledgeable. Thanks
Very nice Sir ji.
This is right interpretation.
प्रमाण है कि सतयुग में केवल ब्राह्मणों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था तो जाहिर है भाई जो धर्म ग्रंथ, वेद, पुराण, मनुस्मृति आदि लिखे गए है वे सभी ब्राह्मणों द्वारा अपने वर्ण को भविष्य में सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
Thoda to padhlo
Ved kisi se nhi likha Gaya he
नही किसने कहा
abeeeeeeeeeeeeeee
Harekrishna jaysriram hari om guruji koti koti naman jaysanatan pujygranth tulsikrit ramayan ,murakhlog bhednajanen,
बाबा जी ये भगवा धारी है का भाषण सुनकर अन्ध भक्त बहुत खुश होगे
Bhim hi bhim ko kyu sune
अंध भक्तों का मतलब जानते हो क्या
मदरसे से हिंदी सीखी है क्या
जो सीधी बात समझ नही आ रही
जो बिना दिमाग के अपने आका के हुकुम पर डंडा उठाके सर तन से जुदा कर दे वो अंधभक्त होता है
यहां तो बाबाजी पूरे कर और सही अर्थ के साथ बता रहे है
इसे भी जो सुन कर भी न समझ सके वो अक्ल का दुश्मन होता है और उस। पर तो योगी की नीति ही काम आती है
Bahuot achhi byakha ki h....... 💯 Right h...Sri Ramayan ji hi manvta ko marg dikhaigi.jai shyaram.🙏
जय श्री राम
Sabse Acchey hamarey guru Ravidas ji they jinhonein kisi bhi Insan ka Apman nahin kiya Jai guru Ravidasji🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
बहुत सुंदर
संत रविदास
संत कबीर
गुरु नानक देव
हमारी भक्ति धारा के आसमान में चमकते हुए सितारे हैं
जय महान संत रविदास
जय गुरुदेव
अति सुन्दर एवं अद्भुत प्रस्तुति।🌷🌷🙏🏻🙏🏻
Waah kya baat hai,kya explanation kiya hai aapne👏👏👏👏kaash agyaani log samajh jaaye,Jai Sri Ram
जय श्री राम
65वर्ष के बाद मेरी ये ग़लत सोच आपकी समझ सुनकर दूर हुई। बहुत धन्यवाद।
हरि ॐ
जय श्री राम
अगर यह बात तुलसीदासजी कहते हैं हम भी इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है केवल इसका दुरुपयोग करते हैं कुछ व्यक्ति स्वार्थ के लिए यही गलत हो जाता है धन्यवाद
@@AnandDhara री
@@pappuahirwar6607 ..!
Hariom hari
जब तक है भेद मन में भगवान से जुदा है,
देखें जो दिल का दर्पण इस घर मे ही खुद है।
बनाने वाले ने सबको समान बनाया है।पूरे विश्व लोगों को देख लीजिए ।देश काल वातावरण के कारण रूप रंग अलग होतें है परंतु बनावटी स्वरूप सबका एक जैसे होता है।कोई भी व्यक्ति इस दुनिया में ऊंच या नीच अधम नही होता।सब अपने देश काल,वातावरण परिस्थिति ,संस्कार,योग्यता ,अनुभव के अनुसार आचरण व व्यवहार करतें हैं।रही बात वर्ण ,धर्म,सम्प्रदाय,जाति की ये सब उस जमाने के चालाक,होशियार,लोगों ने बनाया है किसी ज्ञानी या विद्वानों, शिक्षितों ,संतो का यह कार्य नही है।आज भी जो ज्यादा पढ़े लिखे लोग होतें है वो अपने से कम पढ़े लिखे लोगों को हीन दृष्टि से देखतें है जबकि ये उचित नही है ।जिन्हें उचित अवसर मिला वो होशियार बन गए और अपने आपको श्रेष्ठ बना कर चालाकी से दूसरों के ऊपर राज करने के लिए खुद नियम व कुछ भी जो उचित लगा लिख कर अपने मतानुसार नियम ग्रंथ,बना लिये और स्वयम्भू बन गए।परमात्म या ईस्वर किसी को छोटा या बड़ा नही बनाता।उनके द्वारा रचित प्रकृति सबके साथ समान रूप से व्यवहार करती है।हम सब इन्सान है।चाहे किसी भी धर्म व सम्प्रदाय का पुस्तक य धर्म ग्रंथ हो वह उसके लिखने वाले का विचार है जो सबके विचार नही हो सकते।शिक्षित व समझदार तथा ज्ञानी व्यक्ति कभी भी किसी को अपने से हीन नही मानता।और जो मानता है वो ईस्वर को नही जानता।इसलिए देश काल परिस्थिति,परिवरिश अनुसार लिखे गए किसी भी ग्रन्थों के मत में न उलझ कर वर्तमान परिवेशानुसार एक दूसरे से भाईचारें का व्यवहार करें यही सच और समझदारी है।
क्षमा याचना के साथ।
परम आदरणीय और अब से तो परम प्रिय चतुर्वेदी जी
आपके द्वारा लिखे गए एक एक शब्द ने मेरे दिल को जीत लिया है
मैं ऐसे किसी कमेंट की अपेक्षा भी नहीं कर रहा था
और इतनी सुंदर सोच की अपेक्षा भी नहीं कर रहा था जितनी सुंदर सोच आपकी है।
आप निश्चय ही बहुत प्यारे इंसान हो
आपका दिल की गहराइयों से आभार
और बहुत-बहुत साधुवाद
आगे भी हमारे साथ बने रहिएगा
और समय-समय पर अपने सुंदर शब्दों के द्वारा हमारे दिल को ठंडक पहुंचाते रहिएगा।
परमात्मा की कृपा सदैव आप पर बनी रहे।
हरिॐ हरे कृष्ण 🙏
@@AnandDhara kathni aur karni mein fark hota hai
🙏🙏
Aam
Aap ne such kaha lekin yadl
Shrdhey Guru ji saadar pranaam, aapne ukt chaupai ki vyakhya karke saare Vivaad aur Bhram ka nivaaran Kar Diya, aapka koti koti dhanyavaad.
You people's are very claver, Jai Bheem.
भारत मे जातीय व्यवस्था और दलितों पर अत्याचार।
जानिए....
एक तथ्यात्मक सत्य.....
आईये पहले हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं।
सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री सत्यवती से।
उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।
सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?
महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।
विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।
भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया।
श्रीकृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे।
उनके भाई बलराम खेती करते थे, हमेशा हल साथ रखते थे।
यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्रीकृषण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।
राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे।
उनके पुत्र लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे
तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।
वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।
प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे ।
नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये।
उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।
फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।
केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।
फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम शासन रहा।
अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया, चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।
अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी। ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये।
मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|।
यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।
मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं।
1800 -1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ । जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया।
अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब "कास्ट ऑफ़ माइंड" में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।
इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान, ह्यू सांग और अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।
योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महा मंडलेश्वर रही हैं। जन्म आधारित जातीय व्यवस्था हिन्दुओ को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।
इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्रों से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं।
सौ की सीधी एक बात आंतरिक स्वभाव व्यवहार हम जैसा दूसरो के साथ करते है और अगला ब्यक्ति उस कृत्य से अपने उपर जैसा महसूस करता है उस चौपाई का सही मायने मे वही अर्थ होता है,
Absolutely right absolutely right 👍 eye 👀 opener explanation absolutely correct 👍👍👍👍👍
हरिॐ
पूजिअ विप्र सील गुण हीना,
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना ॥
यदि इस चौपाई को भी समझना है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
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ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
मर्यादित संतुष्ट करने की सत्यता परमाड़ित धन्यवाद के पात्र है आप महोदय सोच अच्छी बुरी छोटी बड़ी जाति की पहचान है
हरिॐ
आप के चैनल पर दिखाए गए श्री राम चरित मानस के प्रसंग एक ग़लत तरीके अपनें अपने स्वार्थ में स्टिक बैठा कर समाज में ग़लत तरीके से जानकारी देना तथा आप के द्वारा एक एक शब्द का विस्तार से जानकारी दी जो मुर्ख और अज्ञानी को ज्ञान मिलेगा साथ ही साथ आप को सादर प्रणाम करते हैं और आगे भी उम्मीद करते हैं भी इस तरह ज्ञान का संदेश देंगे । जय श्री राम
जय श्री राम
आप कहते हैं कि शुद्र नीच काम करने वाला होता है लेकिन आपकी रामायण कहती है कि ब्राह्मण कितना भी अनपढ़ हो वह ब्राह्मण ही रहेगा शूद्र कितना ही पढ़ा-लिखा ज्ञानी क्यों न हो वह शूद्र ही रहेगा देश को चुटिया बनाना बंद कर दो
सच्चाई कभी छुप नहीं सकती है गुरु जी को 🙏🙏🙏
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी ने
सच्चाई छुपाने की आवश्यकता भी नहीं है कोई ग्रंथ जिस ऐतिहासिक काल में रचा जाता है उस काल भी सामाजिक धार्मिक स्थिति भी अनायास ही ग्रंथ में लिख जाती है
😮😮😮
@@shaileshdwivedi7171 bhai sahib ji Guru Granth Sahib Ji ki rachna v 350 sal pehle hoe Os me to kuj galat nahi hai Os me hi agar bhraman ko kuj gian kahi os ko nahi pujna agar koe chandal Giani educated hai to os ki Puja karo Jeh hai asli ved Guru Granth Sahib Ji।।
क्षुद्र व्यक्ति ही सूद्र व्यक्ति हैं...क्षुद्र यानि छोटी बुद्धि वाला व्यक्ति... महाराज ने सही समझाया है.. जय श्री राम
Es ka matlab bhraman v suder ho sakta jis ki budhi cum hai
बिल्कुल सही कहा तो तुम लोग कर लो ना ढोल गंवार ब्रामन khsatriy वैश्य ये सब ताड़ना के अधिकारी
@@interment603 u r right
@Siya ab Tak kinta lok ko Kia Esa kuj nahi hai kon c kitab likha hai bhai sahib
@Siya madam ji valmik bhramin nahi bilkul galat bol rehe ho Agar vo bhramin hai to fir on ki likhi hoe Ramain ap hindu mander me kio nahi rakhte Baha par Tulsi Ramain kio
Is gyan ke liye Guru ji बहुत-बहुत mayabhar vyakt karta hun aapka aap Dhanya Hai Jis Tarah Se samjhaen hain aur sab Kuchh Samajh Mein Aana chahie Kyunki Ham Sab Sahi Arth ka Nahin Laga sakte hain Jay Shri Ram
जय श्री राम
समुद्र सामने आकर खड़ा हो गया और विनती करने लग गया क्या ऐसा कल्पना में सम्भव हो सकता है वास्तविकता में नहीं, और रही बात भेद भाव या नफरत या ताड़ने की तो प्राचीन काल से चली आ रही वर्ण व्यवस्था और उनके अधिकार ही काफी है ये बताने के लिए की उस समय की व्यवस्था किस प्रकार की रही होगी,वर्तमान में आप जैसे संत उस व्यवस्था में सुधार करना चाहते हैं ये सराहनीय है महाराज जी,सादर नमन
Mahadhay aap jis adhi Kar ka udahran dekar dharm granth ko Galt sabit krna chahte hai...wo bhut baad me aayi hui insaan ki galtiya hai...pahle aisi koi vyawastha nhi this...kisi granth me ...aaj ki jaati ka koi jikra nhi milega
आप चाहे जितना भी बातें बनाओं लेकिन सत्य को कोई झुठला नहीं सकता जी
बिलकुल सही बात भाई जब तक लात घूंस नहीं पड़ेगा समझ में आही नहीं सकता
आप इतने ही विश्लेषण से खण्डन कीजिए।किसी को पूर्वधारणा से सही या गलत कहना धूर्ततापूर्ण है।
आपका विचार बहुत ज्यादा सटिक है क्योंकि आपने जो कहा वही मैंने भी सोचा था
जय सनातन 🙏🙏🙏🙏🙏
गुरु जी मैं आप की बात से सहमत हूँ। पर आप की बात वी सत्य, जिसमे आप जो सम जा रहे है कि मूर्ख को जितना मर्ज़ी सम जा लो वो वैसा ही व्यवहार करेगा।
आप इसका भी अर्थ बता दें ना
पूजैहि बिप सकल गूढ़ हीना
शूद्र न पूजहि गुण गन प्रबीना
सत्य नापी ही शुद्रैन नकार्यो धनसंचय
शुद्रोपी धन मासात ब्राम्हणांनी उपाधी
उसका भि जवाब दे गुरुजी
हमें लगता है पुरोहित हमेशा पुजा जाता है
शूद्र यानि सेवक कभी भी पुजा नहीं जाता हैं
अंध भक्त होते हि ऐसे है
Sahi h sir
रावण विप्र था लेकिन उसमे शील नही था सीता माता का हरण किया था फिर भी भगवान राम ने उसे विप्र या ब्राह्मण की तरह देखा और व्यवहार भी किया।
Very well explained. The example is also very logical .
कबीरा इस संसार मे भांति भांति के लोग जैसी जिसकी भावना वैसी उसकी सोच
Bahut hi sundar vyakhya. Jai shree ram. Guru ji ko pranaam.
हरिॐ हरे कृष्ण
महाराज की जय हो जो आपने रामायण के प्रसंगों को अच्छे से समझा हैं ।⚘👍।लेकिन भाजपा के बिरोधियो में रामायण की समझदारी आ जाएगी तो राजनीति कैसे करेंगे ।।
Fantastic interpretation. Jai Shri Ram .
बड़े भैया कुछ हिंदू हमारे जो हैं
अपने धर्म को सही से नहीं देखते उनके किस्मत में मजार पर नाक रगड़ना ही है
जाति छोटी नहीं होती है बुद्धि छोटी होती है सोच छोटी होती है
हरिॐ
सही बात है
अगर जाति छोटी नहीं होती तो नीची जाति के लोग और ऊपर जाति के लोग आरक्षण ले के नहीं बैठे होते। मंदिर में पुजारी किस जाति के है और नाली साफ करने वाले कौन से जाति के है।
सर आप सच्चाई को लीपापोती कर रहे हैं , भगवान ने सबको एक ही तरह से दुनिया मे भेजा है , ये सच्चाई है । लेकिन हमारे धर्म ग्रंथो ने विभेद पैदा कर दिया -- कोई मुँह से निकला ,कोई पेट से तो कोई जांघ से कोई
पैर से पैदा हुए, इस प्रकार एक दूसरे के मन में जहर घोला । जन्म से कैसे कोई ऊँचा-नीचा हो सकता है ।
इससे हजारो जातियाँ बना दी गई, फिर आप हिन्दु एकता की उम्मीद कैसे कर सकते हैं । कुछ वर्ग अपने
कुछ वर्ग अपने फायदे के लिए ही ये ढोल, ग्वार , शुद्र.....वाला बिचार थोपा गया । पहले बाभन लोगों
को आत्म चिन्तन करना चाहिए।
Apne hi theek arth btaya hai Maharaj ji sare sant apni aur agyani Tulsi ki galti ko sudharne me lage hue hal aap ne saaf suthra arth btaya he asli snt aap jaise hi the
आपकी बात अक्षरशः सत्य है स्वामी जी
हरिॐ
Nice explanation.Today Dought is clear. First time ,I know that this the statement of See.
जय श्री राम
जिस धर्मग्रंथ में नारी को अधमी माना जाता हो जिसे आपके शब्दो मे तारने की जरुरत हो तो क्या सभी की जननी अधमी होती है?
कितना भी लिपा-पोती करोगे-सच्चाई को नही छुपा सकोगे।
नारी स्वयं भावभंगिमा से दूर रहती हैं आप क्यों इतने परेशान हो रहे समझने में ।।
Abey MC BKL,
Taran ke adhikari . Adhikari means authority. Nari taran ki adhikari bola gaya hai c#utiye. Adhikari hai naari. Simple.hindi nahi samjh aati tujhe g@!#du
@@एस्ट्रोलाजर aap jaisy loag ham sodro ko aaj bhi bato ko tod marod kar bavkof bnan cahty ho
@@shatishkumar6630 हिंदी में साफ शब्दों में प्रगट करें कहां पर भ्रमित हो रहे हैं आप ।।
Ye bhi to batao ki duniya ke kis dharma ne aurato ko devi maan ke pooja kiya hai ??
Guru G namskar aap ka bhut 2 dhanyvad aap ne bhut hi best trike se smjhaya ab hum sab anarth karne valo ko smjha ske ge 👌🕺🙏
तथाकथित धर्मग्रंथों में शुद्र जाति को पढ़ने, श्लोक पढ़ने, मंदिर में जाने से रोकना नही लिखा गया है। तथाकथित महाराज इसपर क्या विचार है।
शूद्र जाति को पढने तपस्या करने पर अपमान किया उदारण है ऋषि शम्बूक ने क्या अपराध किया था
R Kumar ji is baat ka bhi jawab Shayad inke pass Na Ho
मक्कारियों से भरे पड़े हैं, ये आपके सवालों का क्या जवाब देंगे खुद ही जाहिल है
@@RajkumarNishad-px5it valmiki ramayan lankakand ke baad samapt ho jati hai. Uttarakand pura milavati hai. Shambuk vadh, Sita ka tyag adi baaten mugalkaal me ki gai milavat hai, taki Hindu samaj me phoot dalkar toda ja sake.
जो किसी के प्रति हीन भावना रखे वोही शूद्र है
I appreciate ur efforts
हरिॐ
🙏🙏🕉🕉 हे श्रीमान जी, आप इसी तरह से हमारे पवित्र ग्रंथ रामायण के संदर्भ में प्रचलित त्रुटियों दूर करें, 🙏🙏🕉🕉जय श्री राम 🌹🌹🕉🕉🙏🙏
जय श्री राम
@@AnandDhara the best way is Essex junction box office in to see the attachment or the other side to the other day that would have ooooooooo in ametro po for op het nie on my own opdie and a second opinion and feature in to the attachment for my birthday in ametro in ametro the best regards Michael the attachment or affection of this on to your account will the best of one year after op die
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Sty sey Milan karvaya apny prbhu ji .. aise hi prakash krty rhiye .. Hare krishna 🙏
हरिॐ हरे कृष्ण
जय श्री राम जय श्री कृष्ण राधै राधै स्वामी जी को नमन है
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी
Pl
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Rmayan is the best granth hai.
WHOLE RAMAYAN IS RIGHT AND HOLY.
जय श्री राम
@@AnandDhara Ram ne Shambuk ko kyon mara?
@@bharatmeena5523 utube pe thanks bharat dekh le
Kavya kalpanik hota he
Jai Shree Ram Jai Hanuman 🙏
I am very happy your Amrit bani lot of thanks sir prakash dwivedi uk
पूजिअ विप्र सील गुण हीना।
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना॥
ब्राह्मण यदि दुराचारी हो और उसमें कोई गुण ना हो फिर भी पूजनीय,
और शूद्र यदि सभी गुणों से युक्त हो कुशल हो फिर भी तिरस्कार के योग्य..
तुलसीदासजी ने ऐसा क्यों कहा..?
इसको समझने के लिए इस वीडियो को भी अवश्य देखें!
ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
बाबा जी ढोल किसी को दे दो वो नही बजा सकता।लेकिन किसी ढोल बजाने वाले को दिया जाता है तो वो उसे अच्छी तरह से बजा सकता है।ढोल की जो सोलहो कला जानता हो वही सही ताड़न है
Guru ji ne jo bataya,vah uchit aur samajik hai.guru ji ko sastang pranaam,
Swami ji ki education kitni hai
सर्वोत्तम🕉 ताड़न यानी कि विशेषज्ञ , 🕉🕉🕉🕉🕉
ढोल बजाने का मतलब सिद्धहस्तता नहीं है इसका मतलब है ढोल को पीटने से ही उससे आवाज आती है यानी ढोल बजाने के लिए उसे पीटना ही पड़ता है तभी वो बजती है बहुत छोटी सी बात है लेकिन आपने इसका अर्थ गलत निकाल लिया
माई जी रामायण को समझने के लिए एक दोहे का उदाहरण है।
यह चरित्र जाने मुनि ज्ञानी।
ये मुनि और ज्ञानी ही समझ सकते।या किसी महापुरुष को मालूम ये सब मैंने सत्संग में सुना है
जय श्री कृष्ण हर हर महादेव
हर हर महादेव
Guru ji Aapko Aapke Mata Pita Ji Ko Aur Aapke Guru Dev ji ko Janam Janam ke Liye Jai Shri Radhe Krishna Ji ki ❤️🙏 Hari Om Tat Sat ❤️🙏
हरिॐ ॐ
हरे कृष्ण
जय श्री राम
@@AnandDhara Ram Lakhan Janaki Jai Bolo Hanuman ki 🙏❤️
जिसकी बुधी नीच है वो गलत अरथ निकालेगा
गुरु जी आपकी बात सच है और लोग केवल सफाई देने में अपनी बुध्दि मानी समझ रहे हैं
"पूजिए विप्र शील गुण हीना शुद्र न पूज्य सर्वगुण ज्ञान प्रवीणा"
इसका मतलब और बता
तेरे को समझ पड़ती है तो तुम बताओ , ज्ञान तो बांटेगा तो बढ़ेगा ही
ये पंक्ति किस ग्रंथ में है
@@imratlalsahu7746 राम चरित्र मानस
@@dharampalnastik6069 कोनसा कान्ड ओर कितने नम्बर कि चोपाई है
शुद्र का मतलब दुष्ट व्यक्ति और विप्र का विद्वान न कि वर्ण व्यवस्था की जाति क्योंकि त्रेतायुग में जाति कि नहीं कुल की प्रधानता थी।
बाबा जी कुछ मूढ/मूर्ख लोग हैं जो उसे समझना और मानना ही नहीं चाहते,जिसका मन पहले ही काला/कलुषित हो गया है उसे तो बस अर्थ का अनर्थ करना और दूसरे लोगों पर बिष बमन करने से ही आनन्द आता है,वो अज्ञानी किसी के जबरदस्त बहकावे में आये हैं भगवान उनको सद्बुद्धि दें
बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।
वास्तव में प्रियवर विवेक के बगैर तो अच्छी बात भी समझ में नहीं आती
और विवेक उसे प्राप्त होगा जिस पर प्रभु की कृपा होगी
सामने दृश्य चाहे जितना भी सुंदर हो यदि आपके पास आँख नहीं है तो आप ना उसे देख सकते हैं ना ही उस का आनंद ले सकते हैं
guru ji bahut achchha explain kiya apne.
हरिॐ
@@AnandDhara in Kyoto McCool
@@AnandDhara in Kyoto McCool
सतीश कुमार: अच्छा लगा इस विषय पर उत्तर इनका।इस प्रंक्ति में कमी है।यह पंक्ति सत्यता, मनोवैज्ञानिकता, वैज्ञानिकता नहीं ली हुई है इस आधार पर समाज इस पंक्ति के आशय पर चलकर एक वर्ग हीन समझेगा अपने आपको तथा दूसरा वर्ग सदैव आशय के अनुसार व्यवहार करता रहेगा।नारी पुरी नारी समाज आयीं है,पशु पुरा पशु आया है इस तरह से हम देखें तो कहाँ वैज्ञानिकता है।चलिए देखने के ही अर्थ में लेते हैं हम,यह तय है कि पुरी स्त्री को हमें देखना होगा कोई समझदार नहीं मिलेंगी।हम पुरूष ही वैज्ञानिकता देखने का सिर्फ लिए है।देखने का मतलब भी हम लगाकर देखें तो दूसरे वर्ग को हम पहले ही बाँट दियें की पुरूष-स्त्री में पुरूष सदैव ज्ञानी,विवेकी अच्छा होगा।यह पंक्ति कमी ली हुई है जिसे अर्थ प्रदान हम किसी भी तरह से करके देखें तौहीन नजर आयेगा एक वर्ग का।हाँ यदि व्यक्ति वाचक संज्ञा होती तो अर्थ अपना काम सही से कर पाता।
शुद्र कर्म करनेवालोंके कर्म और चार वर्णोंके शुद्रोके कर्मोमें क्या अंतर है?
Very good question raised.
Bahut hi sundar prasang bataya gaya h aapke duwara jay shree ram
Guru ji aaps Ek baat batane ki karpa karna jati kahan se bani hn jay shree ram
@@rajaramahirwar8732 जहाँ तक मेरा अध्ययन है जाति बनाया नहीं जाता ,गुण स्वभावत आदि से स्वतः बन जाता है,नामकरण विशेषज्ञ गण अपनी भाषा और अपने शब्दों में कर देते हैं|जैसे आप आम के बगीचे में गये आम खाये जैसा स्वाद वैसा बोल पड़े अरे-खटौवा है,ये तो मिठौवा है|फिर भी सनातन धर्म के अनुसार ब्रह्मा स दस ऋषि (कर्दम,वशिष्ठ,कश्यप, नारद,प्रचेता,दक्ष आदि) ,मनु,विश्वकर्मा, चित्रगुप्त, रुद्र आदि पुत्र बताये गये हैं|मनु से मनुष्य,विश्वकर्मा से लोहार आदि,चित्रगुप्त से कायस्थ आदि की उत्पत्ति हुई|दश ऋषियों से ब्रह्मण,देवता ,दैत्य आदि हुए|रुद्र से प्रेत भूतादि हुए|मनु ने मनुष्य को चार वर्णो में बांटा ब्रह्मण को पूर्व ब्रह्मण में मिला दिया,राजाज्ञा के कारण मिला लेना पड़ा|कई देवताओं से क्षत्रिय वंश चला मनु वाले क्षत्रिय भी मिल गये|मनु के चौथे वर्ण शूद्र मे से ( कई लाख वर्ष बाद)सवा लाख शूद्रों को उपरोक्त ब्रह्मण 3और 13 में सवा लाख को मिला दिया गया और ब्रह्मण हो गया निन्दा का पात्र जो कभी पूजनीय था|
Very, very good, I was also in a great confusion, how it can be like this , I M VERY THANKFUL TO U ,FOR SUCH A GREAT EXPLANIATION , AND CLEARY DOUBTS , see things I can't share with one one , I think so THAT SHREE RAM JI CAME IN FORM OF U AND EXPLAINED ME , WHAT ACTUALLY IT IS , I M RAM AND HANUMANJI BHAGAT , , SO RAM JI HAS SOLVED MY QUESTION, BY U R BEAUTIFUL WORDS , JAI SHREE RAM , AUR AAP KO BHO PRANAM
हरिॐ
आप ढोल. गवार. शुद्र. पशु और नारी का.अलग-अलग.परिभाषा वयक्त करें गे.तो ताणना शब्द तरना यानि.तर जाने से होता है ।अगर बुरा लगे तो आप माफ किजीयेगा ।
Tu pad k dekh ram charit manas ko.... usme ye bhi likha h ..sapat tadat purush kahanta ...vipra puj as gawahi santa .... pujahi vipra gyan gun hina ...sudra n gun gin gyan praverna
He has a very little knowledge to be able to explain the verses of ramcharit manas in context with occasions of the the particular verse... He is just beating about the bush..
अध जल गगरी छलकत जाए..
Ok Oooo nice oo oi Oooo ol oooonice oooo really
🌺❤🔱🙏 Radhe Radhe
धन्यवाद आपने बहुत ही सुन्दर व्याख्या की है🙏🙏
पूजिअ विप्र सील गुण हीना,
सूद्र न गुन गन ग्यान प्रवीना ॥
यदि इस चौपाई को भी समझना है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
👇👇👇👇
ruclips.net/video/QHocKsZ5wKU/видео.html
गुरुजी ऐसी ही एक और विवादित चौपाई है
विप्र पूजिये सकल गुण हीना। शूद्र ना पूजिये वेद प्रवीणा।। इसको भी समझाने की कृपया कीजिए गुरुदेव🙏
निश्चय ही
विप्र का अर्थ होता है धार्मिक व्यक्ति । और शुद्र का अर्थ होता है निकृष्ट कर्म करने वाला, और प्रवीण का अर्थ होता है कुशल या दक्ष।
तो इस प्रकार इस चौपाई का अर्थ होता है, धार्मिक व्यक्ति भले ही सभी गुणों रहित हो लेकिन वह पूजनीय है और निकृष्ट कर्म करने वाला भले ही वेदों में कुशल हो परंतु वह पूजनीय नहीं है।
लोकतंत्र लागू होने से पहले ऐसी व्याख्या किसी महात्मा ने क्यों नहीं दी?
@@DeepakSingh-ri4je वास्तविकता से दूर भागना कायरता होती है सभी अपने अपने तरफ से व्याख्या देते हैं जबकि वह पंक्ति सत्य की दृष्टि से देखें कब आपको समझ में आएगा संसार में इतना कोई ज्ञानी नहीं है जो आप सभी लोग अपनी-अपनी तरह से ज्ञान बांट रहे हैं जब से मनुष्य ही वह भी सदा एक जैसा उसके जीवन में नहीं रह सकता तो फिर फालतू की बातें क्यों
@@DeepakSingh-ri4je जो तुम लोग तंत्र की दवाई दे रहे वह भी नेताओं के द्वारा बनाया हुआ है फिर इसको सविधान कह देते हैं यह तो एक देश की व्यवस्था और कानून होता है इसमें कोई आश्चर्य नहीं यह सब समय के अनुसार होता है समय के सामने कोई कुछ भी नहीं व्यर्थ का इनकार आगे जाकर कोई सारांश नहीं
रामचरित मानस को समझने के लिए एक दोहा को स्मरण करते हुए विस्तृत सोच के साथ समझनी चाहिए।
यह चरित्र जाने मुनि ज्ञानी।
जिन्ह रघुवीर चरन रति मानी।।
ये मानस सिर्फ मुनि और ज्ञानी ही जानते सत्य यही बाबा जी
❤️
महोदय जब कोई कवि या लेखक किसी कहानी को अपने विचारों से जोड़ते हुए विस्तृत रूप देता है तो वह किसी पात्र द्वारा जो बातें कहलाता है वह उसके दिमाग की मान्यता होती है अतः तुलसीदास जी के दिमाग में जो बातें थी वह समुद्र के माध्यम से कही गई है उनकी नजर में यह सभी दंड देने से ही कार्य करते हैं ।
जिस तरह भागवत गीता में अर्जुन से कृष्ण ने जो संवाद किया वो संस्कृत में था महर्षि वेद व्यास ने श्रुत परंपरा को लेख बद्ध किया ।लेकिन कृष्ण ने जो उपदेश अर्जुन को दिए उस समय उनके मनोगत भाव क्या थे क्रमशः कोई पथिक चलकर ही उसी अवस्था को प्राप्त कर वही बता सकता है उसी प्रकार तुलसी दास न तो लेखक थे न ही कवि ,रामायण भगवान की प्रेरणा से और अपने गुरु की कृपा से लिखा ।तुलसी दास ने जो लिखा था उस समय की क्षेत्रीय भाषा में लिखा था न की उसका अर्थ ।इसलिए जो कोई तत्वदर्शी महापुरुष ही उसके वास्तविक अर्थ को जानता और समझता है।रही बात जीने खाने के लिए तो खाओ पियो मौज करो यही जीवन नही है।जीवन मिला है तो सत्य को जानो नही अनंत जन्मों तक अनंत इच्छाएं और अनंत वासनाएं कभी न पूरी होगी
Shudr ka hi jikar qu aya,, dusare barn ka qu nhi
Jai siya Ram Jai shri krishna
जय श्री राम
Baba is wrong.
Aapne Vistar Se Samajhaya Hai Our Pratuttar Me Bhi Sahi Byakhya Kiya Hai
तुलसी दास की चौपाई सही है परन्तु जैसी होगी आहार वैसे होगा विचार
Right ser ji
🚩⚜‼️जय श्री सीताराम ‼️⚜🚩
🌿🌺🙏🌺🌿
इस तरह की चौपाई वाले ग्रंथों को केवल ब्राह्मणों को पढ़ना चाहिए,,दलित पिछड़े वर्गों के लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी वा संविधान पढ़ना चाहिए,,इसी से यथार्थ कल्याण होगा,,,इस पर बहस करना ,समाज में अंधकार बनाए रखना जैसा है
👍🙏
Ye hui na baat
@@firozahmad236 mulle tu tere bachoki fikr kr pahle madarsa me mt bhejo jihad mt sikhao unko
बाबाजी आपकी व्याकरण ज्ञान को वंदन
पर तुलसीदास ने रामायण लीखी है
अपनी खुदकी संसार मे दमन कीये गये
नितीओ का आधार लेके
तुलसीदास एक हजार भूल की है
महराज जी हमें लगता है कि ताड़ना का अर्थ नजर रखने (ध्यान देने) से हैं जिस तरह कुछ घरों की औरतें भी कहती है फलानो आती जाती छोरीयाँ ना ताड़तो रहबह है!
Fir dhol ko tadnese kya matlab
पूजहिं विप्र सकल गुण हीना।
शुद्र न गुण ज्ञान प्रवीणा।।
इस का भी व्याख्या करें।🙏🙏
विप्र मतलब ब्राहमण भी होता है तो बनिया व्यापारी भी होता है
@@tubsinghबनिया को कौन पूजता है।
शायद मांस खाने वालों के शरीर बदबू करता हो और ब्राहमण लहसुन प्याज नही खाता हो, इसलिए संभावना हो सकती है
@@tubsingh
शायद आंख - कान की अपेक्षा उनकी दोनों नाक बहुत ही सेंसटिव है।
ऐसी बातें ब्राह्मण केवल अपनी पूजा कराने के लिए ही लिखते हैं
Jay Shri Radhe Krishna Guruji🙏🙏
गर्व से कहो जय सियाराम जय श्री राम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 जय श्री राम 🚩🚩🚩 जय श्री राम जय श्री राम 🚩
Aapki Baton ko sunkar Hansi Aati Hai
तो आपको हंसना चाहिए😊
🙏🏵️हरि ॐ हरे कृष्ण🏵️🙏
एक चोपाई को सही करने में कितनी मेहनत करनी पड़ रही है।
चौपाई भेदभाव कौन है