@@TUNNI.HUNTER Sanskrit bhasha ko Bigad ke paali banaya hai.yeh mat bhoolo ki Sanskrit mein ved likhe Hain Jo bahut purane hain.aur Vedo see bahut pahle Sanskrit ban chuki thi.
Bohot hi accha video bohot vistar aur acche se jankari apne di hai is video me ham aise hi badhiya videos ke liye excited hai. Yaha video bahot badhiya hai. Namo buddhay 🙏
थैंक्यू सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी सर आप ने हमे एतिहासिक विचार शेयर किया ओर हमे हमारे देश की प्राचीन संस्कृति ओर पाली भाषा के रूप मे विस्तार से बताया सर आपका बहुत-बहुत स्वागत है
Today if you go in villege then you will see langue which is not sophisticated but same langue is very decent and sophistcated in cities or offices. Both languages are existed at the same time in common people and educated people. Same thing is with pali and sanskrit. Sanskrit was language of scholats and pali was the language of illaterate during encient india
@@Vivek.Kumar28 ji mai history kisi acchi knowledge rakhta hu kya sach hai kya jhooth wo mujhe samajh me aata hai hum longo ko padhna chahiye jise hum logo ko jaankari milti hai... Kahi suni baato pr nahi
@@Vivek.Kumar28 nahi sir agenda to kayi varshoon se chal raha hai. Aap khud research kariyega pahali padhi jaane waale lekh ashok ke hai jo ki paali prakat me hai isa purva ke.uske pahale sindhu ghati me jo kuch mila wo padha nahi jaa saka... 1 sanskrit ka abhilekh 150 isavi ka hai joki rudradaman ka junagadh ka hai wo bhi mixed sanskrit hai.. Ya presnskrit.. Sanskrit poori tarah kewal devnagari lipi me hi likhi jaa sakti hai aur devnagari lipi kaafi baad ki hai lagbhag 9 vi sadi ki... Ashok ki lipi bramhi hai uss lipi me sanskrit ke saboot nahi milte yaha tak ki gupt kaal ke sikko me sanskrit ke saboot nahi milte.. Sanskrit ka kewal prachar prasaar kiya gya ki sabse purani basha hai ye hai... Sanskrit kabhi aam jan maanas ki bhasha rahi hi nahi usme kewal rachnaye ki gyi
थैंक्यू सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी सर आप ने हमे एतिहासिक विचार शेयर किया ओर हमे हमारे देश की महत्वपूर्ण भाषा के बारे मे विस्तार से बताया सर आपका बहुत-बहुत स्वागत है
अनादि निधन जैन धर्म की जय हो देवाधिदेव श्री आदिनाथ स्वामी की जय देवाधिदेव श्री महावीर स्वामी की जय सबसे प्राचीन भाषा प्राकृत भाषा की जय लिपि की जय प्राकृत भाषा में ही सभी जैन ग्रंथ लिखी हुई है
ब्राह्मी_लिपि में कितने प्रकार का लेख विधान (लेखन-प्रकार) बताया गया है ? उत्तर- 18 प्रकार का । 1. ब्राह्मी, 2. यवनानी, 3. दोषापुरिका, 4. खरोष्ट्री, 5. पुष्करशारिका 6. भोगवतिका, 7. प्रहरादिका, 8. अन्ताक्षरिका, 9. अक्षर पुष्टिका, 10. वैनयिका, 11. निह्नविका, 12. अंकलिपि, 13. गणितलिपि, 14. गंधर्वलिपि, 15. आदर्श लिपि, 16. माहेश्वरी, 17. तामिली-द्राविड़ी, 18. पौलिन्दी । ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट अशोक (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते हैं। नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। ब्राह्मी भी खरोष्ठी की तरह ही पूरे एशिया में फैली हुई थी। अशोक ने अपने लेखों की लिपि को 'धम्मलिपि' का नाम दिया है; उसके लेखों में कहीं भी इस लिपि के लिए 'ब्राह्मी' नाम नहीं मिलता। लेकिन बौद्धों, जैनों तथा ब्राह्मण-धर्म के ग्रंथों के अनेक उल्लेखों से ज्ञात होता है कि इस लिपि का नाम 'ब्राह्मी' लिपि ही रहा होगा। हमारे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में यह बात आम तौर से पाई जाती है कि जिस किसी भी चीज़ की उत्पत्ति कुछ अधिक प्राचीन या अज्ञेय हो उसके निर्माता के रूप में बड़ी आसानी से 'ब्रह्मा' का नाम ले लिया जाता है। संसार की अन्य पुरालिपियों की उत्पत्ति के बारे में भी यही देखने को मिलता है कि प्राय: उनके जनक कोई न कोई दैवी पुरुष ही माने गए हें। हमारे यहाँ भी 'ब्रह्मा' को लिपि का जन्मदाता माना जाता रहा है, और इसीलिए हमारे देश की इस प्राचीन लिपि का नाम ब्राह्मी पड़ा है। बौद्ध ग्रंथ 'ललितविस्तर' में 64 लिपियों के नाम दिए गए हैं। इनमें पहला नाम 'ब्राह्मी' है और दूसरा 'खरोष्ठी'। इन 64 लिपि-नामों में से अधिकांश नाम कल्पित जान पड़ते हैं। जैनों के 'पण्णवणासूत्र' तथा 'समवायांगसूत्र' में 16 लिपियों के नाम दिए गए हैं, जिनमें से पहला नाम 'बंभी' (ब्राह्मी) का है। 'भगवतीसूत्र' में सर्वप्रथम 'बंभी' (ब्राह्मी) लिपि को नमस्कार करके (नमो बंभीए लिविए) सूत्र का आरंभ किया गया है। 668 ई. में लिखित एक चीनी बौद्ध विश्वकोश 'फा-शु-लिन्' में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों का उल्लेख मिलता है। इसमें लिखा है कि, 'लिखने की कला का शोध दैवी शक्ति वाले तीन आचार्यों ने किया है; उनमें सबसे प्रसिद्ध ब्रह्मा है, जिसकी लिपि बाईं ओर से दाहिनी ओर को पढ़ी जाती है।' इससे यही जान पड़ता है कि ब्राह्मी भारत की सार्वदेशिक लिपि थी और उसका जन्म भारत में ही हुआ किंतु बहुत-से विदेशी पुराविद मानते हैं कि किसी बाहरी वर्णमालात्मक लिपि के आधार पर ही ब्राह्मी वर्णमाला का निर्माण किया गया था। ब्यूह्लर जैसे प्रसिद्ध पुरालिपिविद की मान्यता रही कि ब्राह्मी लिपि का निर्माण फिनीशियन लिपि के आधार पर हुआ। इसके लिए उन्होंने एरण के एक सिक्के का प्रमाण भी दिया था। एरण (सागर ज़िला, म.प्र.) से तांबे के कुछ सिक्के मिले हैं, जिनमें से एक पर 'धमपालस' शब्द के अक्षर दाईं ओर से बाईं ओर को लिखे हुए मिलते हैं। चूंकि, सेमेटिक लिपियां भी दाईं ओर से बाईं ओर को लिखी जाती थीं, इसलिए ब्यूह्लर ने इस अकेले सिक्के के आधार पर यह कल्पना कर ली कि आरंभ में ब्राह्मी लिपि भी सेमेटिक लिपियों की तरह दाईं ओर से बाईं ओर को लिखी जाती थी। ओझा जी तथा अन्य अनेक पुरालिपिविदों ने ब्यूह्लर की इस मान्यता का तर्कयुक्त खंडन किया है। उस समय ओझा जी ने लिखा था, 'किसी सिक्के पर लेख का उलटा आ जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि सिक्के पर उभरे हुए अक्षर सीधे आने के लिए सिक्के के ठप्पे में अक्षर उलटे खोदने पड़ते हैं, अर्थात् जो लिपियां बाईं ओर से दाहिनी ओर लिखी जाती हैं उनके ठप्पों में सिक्कों की इबारत की पंक्ति का आरंभ दाहिनी ओर से करके प्रत्येक अक्षर उलटा खोदना पड़ता है, परंतु खोदनेवाला इसमें चूक जाए और ठप्पे पर बाईं ओर से खोदने लग जाए तो सिक्के पर सारा लेख उलटा आ जाता है, जैसा कि एरण के सिक्के पर पाया जाता है।' साथ ही, ओझा जी ने लिखा था, 'अब तक कोई शिलालेख इस देश में ऐसा नहीं मिला है कि जिसमें ब्राह्मी लिपि फ़ारसी की नाईं उलटी लिखी हुई मिली हो।' यह 1918 के पहले की बात है।
Jains know their language as Prakut and they have their Ramayan as just folklore story. And they know Indian subcontinent as Jambudwip. And in Jain literature earth is flat, not round, and moon is Devta.
सर खुप सरळ पद्धतीने.प्रतेक विषय समजावता. सांगण्यचि पद्धत. फोटो.व लिखित स्वरूपात स्क्रीन एकाच वेळी. पहावयास मिळतात त्यामुळे पटकन लक्षात येते. ब्राम्ही लीपी तुमचे व्हिडिओ पाहुण शिकलो. त्याची आवड निर्माण झाली.नंतर क्लास ज्याॉईन करून परीपकव झालो. सांगण्याच कारण एवढेच की तुमच्या कडून ऊजॉ मिळते.जय भिम.
भाई बहुत बहुत साधुवाद आपने निर्विवाद सत्य उदघाटन किया है वर्ना सभी जितने बौद्ध यूटूबर पक्षपात पूर्ण स्व इतिहास का उदघाटन करते हैं जो भौडा और हास्यास्पद होता ,इसी प्रकार निष्पक्षता पूर्ण अपनी बात रखते रहे जिससे आप और आपके चैनल का सम्मान बढेगा।
बहुत ही सराहनीय व विश्लेषणात्मक शैली में प्रकृति धम्म लिपि को बाद में संस्कृत (संस्कारित) भाषा में प्रवर्तित व प्रदर्शित कर सबसे पुरातन भाषा के नाम इन मनुवादियों द्वारा तथाकथित ग्रन्थों को सनातन व पुरातन कहकर अन्धविश्वास से भरे पड़े को प्रचारित किया जा रहा है।
महानुभाव मी आपल्याला सांगू इच्छितो मराठी प्राकृत मध्ये सर्वात जास्त लेख खंडकाव्य इत्यादी दिगंबर जैन धर्मियांचे आहेत जुनी मराठी मधील 90 टक्के शास्त्र हे जैन धर्माचे आहेत असे म्हणणे वावगे नाही की मराठी प्राकृत ही जैनांची भाषा होती जय जिनेन्द्र नमो अरहंताणं नमो सिद्धांणं नमो बुद्धाय
Best best best....... Very important vedio
Excellent 👍 presentation
Great Reaserch
Very beautiful and thanks
बहोत महत्व पुर्ण जानकारी . 🙏 🙏
👌बहोत महत्वपुर्ण जाणकारी !🇮🇳❤🙏✊
Good information for language
प्राचीन भाषाओं की बहुत अच्छी जानकारी दी
आपने 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत अच्छी जानकारी दी हम संस्कृत को पुरानी भाषा मानते थे ध न्यवाद
खुप छान महीती आहे सर plz like and share this vidio
बहुत अच्छे तरीकेसे समझाया
Namo buddhay great information
Sandhar 👌👌👍👍 information 💙💙💙
👌👌👌बहुत अच्छा लगा आज का विडियो🙏🙏🙏
आपने बहुत अच्छा शिक्षा 🎒🏫📚🎓दिया
नमो बुध्दाय
Thank you sir and love from Bangladesh 🇧🇩 😀
लाजवाब वीडियो है आप इसी तरह का वीडियो बना कर रहे
Bahut hi bhadiya jaankari.....Dhanyawad.
Bahut badhiya jankariya 🌹👍
Bahut achchi jankari thanks
Most of the Jain jinvanis written in prakrit🙌💯
Jay jinendra 🙏
Bahot hi badhiya jankari mili ..... dhanyawad aapka
कमाल कर दिया आपने इस वीडियो में इतना सुंदर वीडियो बनाया मुझे बहुत काफी पसंद आया मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूं
Jay bhim sir ... Science jurney. Channel dekhiye our jankari ke liye 🙏🙏
@@TUNNI.HUNTER Sanskrit bhasha ko Bigad ke paali banaya hai.yeh mat bhoolo ki Sanskrit mein ved likhe Hain Jo bahut purane hain.aur Vedo see bahut pahle Sanskrit ban chuki thi.
@@TUNNI.HUNTER journey ki spelling tho theek se likh fir jai bhim aur science karna aaya bada bhimta
अति सुन्दर प्रस्तुति है धन्यवाद 15:36 c😂
Nice Editing 👍
Bohot hi accha video bohot vistar aur acche se jankari apne di hai is video me ham aise hi badhiya videos ke liye excited hai. Yaha video bahot badhiya hai. Namo buddhay 🙏
Very nice language information
good knowledge sir thanks
Namo budhay jai bhim
खुप छान सर .....👌👍✌✌
खुप महत्त्वपूर्ण माहिती आहे
Exceptional work. Thanks for sharing 🙏
Amazing video sir
Bahut achchhi vedeo lagi sir
आजवरचा सर्वात मौल्यवान माहिती देणारा youtube वरचा top व्हिडिओ आहे हा❤
थैंक्यू सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी सर आप ने हमे एतिहासिक विचार शेयर किया ओर हमे हमारे देश की प्राचीन संस्कृति ओर पाली भाषा के रूप मे विस्तार से बताया सर आपका बहुत-बहुत स्वागत है
Informative video.
Nice 👌
बहोत सुंदर तथा ज्ञानपूर्ण!
बहुत ही अच्छी जानकारी दी गई है। बहुत बहुत साधुवाद।
Dhanyavad 👍
बहुत अच्छी जानकारी मिली
Today if you go in villege then you will see langue which is not sophisticated but same langue is very decent and sophistcated in cities or offices. Both languages are existed at the same time in common people and educated people. Same thing is with pali and sanskrit. Sanskrit was language of scholats and pali was the language of illaterate during encient india
Sir very informative video... Thanks you deserve more subscribers🌷🌷🌷
@Navendu Mishra Ji ये आदमी तथ्यों को मोड़ कर, पूरा झूठ बोल रहा है। और लोग अज्ञानता के कारन इसकी बात सच मान रहे है। ये टुकड़े गैंग टाइप आदमी है
@@Vivek.Kumar28 ji mai history kisi acchi knowledge rakhta hu kya sach hai kya jhooth wo mujhe samajh me aata hai hum longo ko padhna chahiye jise hum logo ko jaankari milti hai... Kahi suni baato pr nahi
@@navendumishra7639 इस वीडियो के वारे में आपकी कहा राय है। कितना सच है?
मेरे हिसाब से तो ये एजेंडा चला रहा है।और फुल झूठ फैला रहा है
@@Vivek.Kumar28 nahi sir agenda to kayi varshoon se chal raha hai. Aap khud research kariyega pahali padhi jaane waale lekh ashok ke hai jo ki paali prakat me hai isa purva ke.uske pahale sindhu ghati me jo kuch mila wo padha nahi jaa saka... 1 sanskrit ka abhilekh 150 isavi ka hai joki rudradaman ka junagadh ka hai wo bhi mixed sanskrit hai.. Ya presnskrit.. Sanskrit poori tarah kewal devnagari lipi me hi likhi jaa sakti hai aur devnagari lipi kaafi baad ki hai lagbhag 9 vi sadi ki... Ashok ki lipi bramhi hai uss lipi me sanskrit ke saboot nahi milte yaha tak ki gupt kaal ke sikko me sanskrit ke saboot nahi milte.. Sanskrit ka kewal prachar prasaar kiya gya ki sabse purani basha hai ye hai... Sanskrit kabhi aam jan maanas ki bhasha rahi hi nahi usme kewal rachnaye ki gyi
Amazing explain 🙏🏿 thank you so much sir
Very very nice.
Jay Bhim.
Namo Buddhay.
थैंक्यू सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी सर आप ने हमे एतिहासिक विचार शेयर किया ओर हमे हमारे देश की महत्वपूर्ण भाषा के बारे मे विस्तार से बताया सर आपका बहुत-बहुत स्वागत है
👌👌👌
अनादि निधन जैन धर्म की जय हो देवाधिदेव श्री आदिनाथ स्वामी की जय देवाधिदेव श्री महावीर स्वामी की जय सबसे प्राचीन भाषा प्राकृत भाषा की जय लिपि की जय प्राकृत भाषा में ही सभी जैन ग्रंथ लिखी हुई है
Shaandar prastuti ❤❤❤❤❤❤
बहूत सत्य प्रकाशी त कीया
बहूत बढीया 🙏
Bahut knowledgeable information di hai thanks
Very informative video
नागपुरी पण आता भाषा तयार झाली आहे
Awsome💙
Congratulations for your efforts.
If possible please also circulate english version for wide circulation in future.
Thanks & regards.
Sir kya khari boli konsi prakrit bhasa ka hissa hai
ब्राह्मी_लिपि में कितने प्रकार का लेख विधान (लेखन-प्रकार) बताया गया है ?
उत्तर- 18 प्रकार का ।
1. ब्राह्मी, 2. यवनानी, 3. दोषापुरिका, 4. खरोष्ट्री, 5. पुष्करशारिका 6. भोगवतिका, 7. प्रहरादिका, 8. अन्ताक्षरिका, 9. अक्षर पुष्टिका, 10. वैनयिका, 11. निह्नविका, 12. अंकलिपि, 13. गणितलिपि, 14. गंधर्वलिपि, 15. आदर्श लिपि, 16. माहेश्वरी, 17. तामिली-द्राविड़ी, 18. पौलिन्दी ।
ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट अशोक (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते हैं। नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। ब्राह्मी भी खरोष्ठी की तरह ही पूरे एशिया में फैली हुई थी।
अशोक ने अपने लेखों की लिपि को 'धम्मलिपि' का नाम दिया है; उसके लेखों में कहीं भी इस लिपि के लिए 'ब्राह्मी' नाम नहीं मिलता। लेकिन बौद्धों, जैनों तथा ब्राह्मण-धर्म के ग्रंथों के अनेक उल्लेखों से ज्ञात होता है कि इस लिपि का नाम 'ब्राह्मी' लिपि ही रहा होगा।
हमारे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में यह बात आम तौर से पाई जाती है कि जिस किसी भी चीज़ की उत्पत्ति कुछ अधिक प्राचीन या अज्ञेय हो उसके निर्माता के रूप में बड़ी आसानी से 'ब्रह्मा' का नाम ले लिया जाता है। संसार की अन्य पुरालिपियों की उत्पत्ति के बारे में भी यही देखने को मिलता है कि प्राय: उनके जनक कोई न कोई दैवी पुरुष ही माने गए हें। हमारे यहाँ भी 'ब्रह्मा' को लिपि का जन्मदाता माना जाता रहा है, और इसीलिए हमारे देश की इस प्राचीन लिपि का नाम ब्राह्मी पड़ा है।
बौद्ध ग्रंथ 'ललितविस्तर' में 64 लिपियों के नाम दिए गए हैं। इनमें पहला नाम 'ब्राह्मी' है और दूसरा 'खरोष्ठी'। इन 64 लिपि-नामों में से अधिकांश नाम कल्पित जान पड़ते हैं।
जैनों के 'पण्णवणासूत्र' तथा 'समवायांगसूत्र' में 16 लिपियों के नाम दिए गए हैं, जिनमें से पहला नाम 'बंभी' (ब्राह्मी) का है।
'भगवतीसूत्र' में सर्वप्रथम 'बंभी' (ब्राह्मी) लिपि को नमस्कार करके (नमो बंभीए लिविए) सूत्र का आरंभ किया गया है।
668 ई. में लिखित एक चीनी बौद्ध विश्वकोश 'फा-शु-लिन्' में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों का उल्लेख मिलता है। इसमें लिखा है कि, 'लिखने की कला का शोध दैवी शक्ति वाले तीन आचार्यों ने किया है; उनमें सबसे प्रसिद्ध ब्रह्मा है, जिसकी लिपि बाईं ओर से दाहिनी ओर को पढ़ी जाती है।'
इससे यही जान पड़ता है कि ब्राह्मी भारत की सार्वदेशिक लिपि थी और उसका जन्म भारत में ही हुआ किंतु बहुत-से विदेशी पुराविद मानते हैं कि किसी बाहरी वर्णमालात्मक लिपि के आधार पर ही ब्राह्मी वर्णमाला का निर्माण किया गया था।
ब्यूह्लर जैसे प्रसिद्ध पुरालिपिविद की मान्यता रही कि ब्राह्मी लिपि का निर्माण फिनीशियन लिपि के आधार पर हुआ। इसके लिए उन्होंने एरण के एक सिक्के का प्रमाण भी दिया था।
एरण (सागर ज़िला, म.प्र.) से तांबे के कुछ सिक्के मिले हैं, जिनमें से एक पर 'धमपालस' शब्द के अक्षर दाईं ओर से बाईं ओर को लिखे हुए मिलते हैं। चूंकि, सेमेटिक लिपियां भी दाईं ओर से बाईं ओर को लिखी जाती थीं, इसलिए ब्यूह्लर ने इस अकेले सिक्के के आधार पर यह कल्पना कर ली कि आरंभ में ब्राह्मी लिपि भी सेमेटिक लिपियों की तरह दाईं ओर से बाईं ओर को लिखी जाती थी। ओझा जी तथा अन्य अनेक पुरालिपिविदों ने ब्यूह्लर की इस मान्यता का तर्कयुक्त खंडन किया है। उस समय ओझा जी ने लिखा था, 'किसी सिक्के पर लेख का उलटा आ जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि सिक्के पर उभरे हुए अक्षर सीधे आने के लिए सिक्के के ठप्पे में अक्षर उलटे खोदने पड़ते हैं, अर्थात् जो लिपियां बाईं ओर से दाहिनी ओर लिखी जाती हैं उनके ठप्पों में सिक्कों की इबारत की पंक्ति का आरंभ दाहिनी ओर से करके प्रत्येक अक्षर उलटा खोदना पड़ता है, परंतु खोदनेवाला इसमें चूक जाए और ठप्पे पर बाईं ओर से खोदने लग जाए तो सिक्के पर सारा लेख उलटा आ जाता है, जैसा कि एरण के सिक्के पर पाया जाता है।' साथ ही, ओझा जी ने लिखा था, 'अब तक कोई शिलालेख इस देश में ऐसा नहीं मिला है कि जिसमें ब्राह्मी लिपि फ़ारसी की नाईं उलटी लिखी हुई मिली हो।'
यह 1918 के पहले की बात है।
Brahmi/ Bambhi has nothing to do with so called later created Brahma.
Word Brahman created later, distorted from Baman.
Jains know their language as Prakut and they have their Ramayan as just folklore story. And they know Indian subcontinent as Jambudwip.
And in Jain literature earth is flat, not round, and moon is Devta.
सर खुप सरळ पद्धतीने.प्रतेक विषय समजावता. सांगण्यचि पद्धत. फोटो.व लिखित स्वरूपात स्क्रीन एकाच वेळी. पहावयास मिळतात त्यामुळे पटकन लक्षात येते. ब्राम्ही लीपी तुमचे व्हिडिओ पाहुण शिकलो. त्याची आवड निर्माण झाली.नंतर क्लास ज्याॉईन करून परीपकव झालो. सांगण्याच कारण एवढेच की तुमच्या कडून ऊजॉ मिळते.जय भिम.
अति सुन्दर हमारे इतिहास की जानकारी दी जय भीम नमो बुद्ध
Wonderful explanation about prakrit language! Super efforts!
Bahut khub
Namo buddhay jay bhim jay samvidhan
Your knowledge is just amazing ❤️
Good information sir🙏🙏
Very Informative Video👌👌👌
ज्ञान बढ़ाने के लिए सराहनीय कदम है।अब भारत फिर से बौद्ध मय होगा।
Great Explanation sir
Good work sir plz keep it up.
Well reaserch
Excellent video ❤...Jai Jinendra 🙏
सच हो या झूठ ।।पर थारा विश्लेषण अत्याधिक प्रभावी और अत्यंत सरल है ।। मानना हि पडेगा ।।।
Nice sir..
भाई बहुत बहुत साधुवाद आपने निर्विवाद सत्य उदघाटन किया है वर्ना सभी जितने बौद्ध यूटूबर पक्षपात पूर्ण स्व इतिहास का उदघाटन करते हैं जो भौडा और हास्यास्पद होता ,इसी प्रकार निष्पक्षता पूर्ण अपनी बात रखते रहे जिससे आप और आपके चैनल का सम्मान बढेगा।
Sir kuru mahajanpad me bhi peshachi prakrit bhasha thi kya
Very nice information namo buddhay
Excellent 👌👌👌👌👌👌👌👌👌 Knowledge!!!!!!!
ati sundar.
Well done sir, great knowledge di aapne
Bhut sahi hai
Namo buddhay 🙏🙏 sir great work
Great research.
Excellent presentation Sir!!!!
Aapka video mujhe bahut accha laga. First time aapka video dekha hai aur like bhi kiya hai.Good work 👍🏽
बहुत अच्छा लगा मैं पुणे महाराष्ट्र में रहकर जब अपने मगदी भाषा से कुछ शब्दों को कंपेयर किया तो बहुत शब्द मराठी और मगधीसे मिलते जुलते हैं👌👌
A great salute to u sir
Sir, I have a question panini was Sanatani?
@SabLokTantra Then what's the meaning of sanatani Sir ?
बुद्ध ने कहा था एस धम्मो सनांतनों वही से आया है सनातन
धन्यवाद सच्ची बात बताई।
Amazing and true
Thank you very much Sir for enlightening us!!!!
बहुत ही सराहनीय व विश्लेषणात्मक शैली में प्रकृति धम्म लिपि को बाद में संस्कृत (संस्कारित) भाषा में प्रवर्तित व प्रदर्शित कर सबसे पुरातन भाषा के नाम इन मनुवादियों द्वारा तथाकथित ग्रन्थों को सनातन व पुरातन कहकर अन्धविश्वास से भरे पड़े को प्रचारित किया जा रहा है।
हा व्हिडिओ प्रत्येकानी 10 जणांना शेअर करा व त्यांना पण सांगा की 10 जणांना पाठवा
✅👌👌👌👌
Very very good, saheb
Very Good
Very nice....
Nice video sir 👌👍👍
namo Buddha Jai bhim sir 🙏🙏🙏🙏
very informative Knowledge transformation.thanks
Excellent
महानुभाव मी आपल्याला सांगू इच्छितो मराठी प्राकृत मध्ये सर्वात जास्त लेख खंडकाव्य इत्यादी दिगंबर जैन धर्मियांचे आहेत
जुनी मराठी मधील 90 टक्के शास्त्र हे जैन धर्माचे आहेत असे म्हणणे वावगे नाही की मराठी प्राकृत ही जैनांची भाषा होती जय जिनेन्द्र नमो अरहंताणं
नमो सिद्धांणं नमो बुद्धाय
इस आधार देखा जाए तो संस्कृत कोई भाषा नहीं है बल्कि शब्द के साथ साथ भाषा को संस्कारित करने का तरीका है ।
बिल्कुल सही कहा आपने यही सही बात लगती है
Exlent noledge