श्रीमद्भागवतम् (10.85.31) यस्यांशांशांशांशाभागेन विश्वोत्पत्तिलयोदयः भवन्ति किला विश्वात्मान्स तं त्वद्याहं गतिं गता हिंदी अनुवाद: हे सर्वात्मा! ब्रह्माण्ड की रचना, पालन और संहार सब आपके विस्तार के एक अंश मात्र से ही होते हैं। आज मैं आपकी शरण में आया हूँ, हे परमेश्वर!
भागवत गीता अध्याय , 14 श्लोक 27 ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाहममृतस्याव्ययस्य च । शाश्वतस्य च धर्मस्य सुखस्यैकान्तिकस्य च मैं ही उस निराकार ब्रह्म का आधार हूँ जो अमर, अविनाशी, शाश्वत धर्म और असीम दिव्य आनन्द है।
भागवत गीता अध्याय , 15 श्लोक 18 यस्मात्क्षरतमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः । अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः मैं नश्वर सांसारिक पदार्थों और यहाँ तक कि अविनाशी आत्मा से भी परे हूँ इसलिए मैं वेदों और स्मृतियों दोनों में ही दिव्य परम पुरूष के रूप में विख्यात हूँ।
श्रीमद्भागवतम् (10.85.9) दिशां त्वम् अवकाशो 'सि दिशाः खम् स्फोट आश्रयः नादो वर्ण त्वम् ओंकार आकृतिनाम् पृथक-कृतिः हिंदी अनुवाद: हे भगवान कृष्ण आप दिशाएँ और उनकी समायोजन क्षमता, सर्वव्यापी आकाश और उसके भीतर रहने वाली मौलिक ध्वनि हैं। आप ध्वनि के आदिम, अव्यक्त रूप हैं; पहला अक्षर, ॐ; और श्रव्य वाणी, जिसके द्वारा ध्वनि, शब्दों के रूप में, विशेष संदर्भ प्राप्त करती है।
भागवत गीता अध्याय ,10 श्लोक 23 रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्। वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥ हिंदी अनुवाद: रुद्रों में शंकर हूँ, यक्षों में मैं कुबेर हूँ, वसुओं में मैं अग्नि हूँ और पर्वतों में मेरु हूँ।
यन्नखंदुरुचिरब्रह्म धेयं ब्रह्मादीभिः सुरेः गुणत्रयत्तिम् तम वन्दे वृन्दावनेश्वरम् (पद्मपुराण, पाताल खण्ड-77.60) वृंदावन के भगवान श्रीकृष्ण के चरणों के पंजों के नखों से प्रकट ज्योति परब्रह्म है जिसका ध्यान ज्ञानी और स्वर्ग के देवता करते हैं।
भागवत गीता अध्याय , 11 श्लोक 32 श्रीभगवानुवाच। कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः । ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः परम प्रभु ने कहा-“मैं प्रलय का मूलकारण और महाकाल हूँ जो जगत का संहार करने के लिए आता है। तुम्हारे युद्ध में भाग लेने के बिना भी युद्ध की व्यूह रचना में खड़े विरोधी पक्ष के योद्धा मारे जाएंगे।"
स्कंद पुराण वैष्णव खंड वासुदेव-महात्म्य अध्याय 16.46 वह स्थान भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए आये हुए अनेक ब्रह्माण्ड के देवताओं से भरा हुआ था, तथा ब्रह्मा और शंकर जैसे महान देवता भी अपने हाथों में पूजा की सामग्री लिये हुए थे।
भगवद गीता अध्याय 18, श्लोक 65 मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु। मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥65। सदा मेरा चिंतन करो, मेरे भक्त बनो, मेरी अराधना करो, मुझे प्रणाम करो, ऐसा करके तुम निश्चित रूप से मेरे पास आओगे। मैं तुम्हें ऐसा वचन देता हूँ क्योंकि तुम मेरे प्रिय हो।
ब्रह्मसंहिता-5.48 यस्यैकनिश्वासितकालमथावलम्बय जीवन्ति लोमविलजा जगदण्डनाथाः।। विष्णुर्महान् सैहयस्य कलाविशेषो। गोविन्दमादि पुरुषं तमहं भजामि ।। हिंदी अनुवाद: "अनन्त ब्रह्माण्डों में से प्रत्येक ब्रह्माण्ड के शंकर, ब्रह्मा और विष्णु, महाविष्णु के श्वास भीतर लेने पर उनके शरीर के रोमों से प्रकट होते हैं और श्वास बाहर छोड़ने पर पुनः उनमें विलीन हो जाते हैं। मैं, उन श्रीकृष्ण की वन्दना करता हूँ जिनके महाविष्णु विस्तार हैं।"
ब्रह्म वैवर्त पुराण ब्रह्मखण्ड (अध्याय १७) ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवेश्वर, देवसमूह और चराचर प्राणी- ये सब आप भिन्न-भिन्न ब्रह्माण्डोंमें अनेक हैं। उन ब्रह्माण्डों हैं और देवताओंकी गणना करनेमें कौन समर्थ है? उन सबके एकमात्र स्वामी भगवान् श्रीकृष्ण हैं,
श्री ब्रह्मसंहिता ५.४४ सृष्टि-स्थिति-प्रलय-साधना-शक्तिर एका चयेव यस्य भुवनानि बिभारती दुर्गा इच्छानुरूपम अपि यस्य च चेष्टते सा गोविंदम् आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि हिंदी अनुवाद: बाह्य शक्ति माया जो कि चित् शक्ति की छाया के समान प्रकृति की है, सभी लोग दुर्गा के रूप में पूजित हैं, जो इस सांसारिक जगत की सृजन, पालन और संहार करने वाली हैं। मैं आदि भगवान गोविंद की पूजा करता हूँ, जिनकी इच्छा के अनुसार दुर्गा अपना आचरण करती हैं।
गर्ग संहिता, मथुराखण्ड : अध्याय 15 कृष्णः शिवस्त्वं च शीवा शिवार्था विष्णुः प्रभुस्त्वं किल वैष्णवी परा ॥ श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् शिव हैं और श्रीराधिका कल्याण करने वाली पार्वती हैं। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् विष्णु हैं और श्रीराधिका निश्चय ही उनकी लक्ष्मी पराशक्ति वैष्णवी हैं।
भागवत गीता अध्याय ,10 श्लोक25 महर्षीणां भृगुरहं गिरामरम्येकमक्षरम् । यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः हिंदी अनुवाद: मैं महर्षियों में भृगु हूँ, ध्वनियों में दिव्य ॐ हूँ। मुझे यज्ञों में जपने वाला पवित्र नाम समझो। अचल पदार्थों में मैं हिमालय हूँ।
Ramji Ram 🙏 SitaRam SitaRam 🙏
राधेश्याम
🌼राधे राधे🌼
Radhe Radhe Joy ho probhu ji.
Sadhu maharaj ko kripa koro.
Joy ho.
Swami Satyakamananda Varanasi
Jai shree radharani 🌹🙏🙏🌹
राधा राधा राधा राधा❤
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He madhav he radhe
राधे राधे❤😊
राधे राधे
🌙 हर हर महादेव
Radhe shyam
JAI SHREE RADHE SHYAM 🚩🚩🙏🙏🙏
Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe
Radha Radha Radha Radha Radha Radha Krishna ji ki Jai ho Jai Sri Hanuman ji ki Jai ho
हम सब को इन संत की सेवा करनी चाहिए
Radheshyam Radheshyam 🙏🏼🙏🏼
baba ke liye ham sab ko milkar kuchh sewa ka avsar de prabhu g
Radheshyam
श्रीमद्भागवतम् (10.85.31)
यस्यांशांशांशांशाभागेन
विश्वोत्पत्तिलयोदयः भवन्ति
किला विश्वात्मान्स तं
त्वद्याहं गतिं गता
हिंदी अनुवाद:
हे सर्वात्मा! ब्रह्माण्ड की रचना, पालन और संहार सब आपके विस्तार के एक अंश मात्र से ही होते हैं। आज मैं आपकी शरण में आया हूँ, हे परमेश्वर!
Jay sriram Apka video bohut accha lagta hai
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ जो आप हमें देखते हैं
भागवत गीता
अध्याय , 14 श्लोक 27
ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाहममृतस्याव्ययस्य च ।
शाश्वतस्य च धर्मस्य सुखस्यैकान्तिकस्य च
मैं ही उस निराकार ब्रह्म का आधार हूँ जो अमर, अविनाशी, शाश्वत धर्म और असीम दिव्य आनन्द है।
राधे राधे भैया जी संत जी के चरणों में कोटि कोटि नमन अभी संत जी को बहुत ही आवश्यकता है अच्छी कुटिया बनाई जाए😢
Ji जरूर श्री जी की कृपा से सब होगा
भागवत गीता
अध्याय , 15 श्लोक 18
यस्मात्क्षरतमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः ।
अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः
मैं नश्वर सांसारिक पदार्थों और यहाँ तक कि अविनाशी आत्मा से भी परे हूँ इसलिए मैं वेदों और स्मृतियों दोनों में ही दिव्य परम पुरूष के रूप में विख्यात हूँ।
श्रीमद्भागवतम् (10.85.9)
दिशां त्वम् अवकाशो 'सि दिशाः
खम् स्फोट आश्रयः
नादो वर्ण त्वम् ओंकार आकृतिनाम्
पृथक-कृतिः
हिंदी अनुवाद:
हे भगवान कृष्ण आप दिशाएँ और उनकी समायोजन क्षमता, सर्वव्यापी आकाश और उसके भीतर रहने वाली मौलिक ध्वनि हैं। आप ध्वनि के आदिम, अव्यक्त रूप हैं; पहला अक्षर, ॐ; और श्रव्य वाणी, जिसके द्वारा ध्वनि, शब्दों के रूप में, विशेष संदर्भ प्राप्त करती है।
भागवत गीता
अध्याय ,10 श्लोक 23
रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥
हिंदी अनुवाद:
रुद्रों में शंकर हूँ, यक्षों में मैं कुबेर हूँ, वसुओं में मैं अग्नि हूँ और पर्वतों में मेरु हूँ।
ब्रह्म वैवर्त पुराण
अध्याय ,1श्लोक 1
गणेशब्रह्मेशसुरेशशेषाः
सुराश्च सर्वे मनवो मुनीन्द्राः ।
सरस्वती श्रीगिरिजादिकाश्च
नमन्ति देव्यः प्रणमामि तं विभुम्
हिंदी अनुवाद:
गणेश, ब्रह्मा, महादेवजी, देवराज इन्द्र, शेषनाग आदि सब देवता, मनु, मुनीन्द्र, सरस्वती, लक्ष्मी तथा पार्वती आदि देवियाँ भी जिन्हें मस्तक झुकाती हैं, उन सर्वव्यापी परमात्मा को मैं प्रणाम करता हूँ।
यन्नखंदुरुचिरब्रह्म धेयं ब्रह्मादीभिः सुरेः
गुणत्रयत्तिम् तम वन्दे वृन्दावनेश्वरम्
(पद्मपुराण, पाताल खण्ड-77.60)
वृंदावन के भगवान श्रीकृष्ण के चरणों के पंजों के नखों से प्रकट ज्योति परब्रह्म है जिसका ध्यान ज्ञानी और स्वर्ग के देवता करते हैं।
भागवत गीता
अध्याय , 11 श्लोक 32
श्रीभगवानुवाच।
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः ।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः
परम प्रभु ने कहा-“मैं प्रलय का मूलकारण और महाकाल हूँ जो जगत का संहार करने के लिए आता है। तुम्हारे युद्ध में भाग लेने के बिना भी युद्ध की व्यूह रचना में खड़े विरोधी पक्ष के योद्धा मारे जाएंगे।"
स्कंद पुराण वैष्णव खंड वासुदेव-महात्म्य अध्याय 16.46
वह स्थान भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए आये हुए अनेक ब्रह्माण्ड के देवताओं से भरा हुआ था, तथा ब्रह्मा और शंकर जैसे महान देवता भी अपने हाथों में पूजा की सामग्री लिये हुए थे।
भगवद गीता
अध्याय 18, श्लोक 65
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥65।
सदा मेरा चिंतन करो, मेरे भक्त बनो, मेरी अराधना करो, मुझे प्रणाम करो, ऐसा करके तुम निश्चित रूप से मेरे पास आओगे। मैं तुम्हें ऐसा वचन देता हूँ क्योंकि तुम मेरे प्रिय हो।
ब्रह्मसंहिता-5.48
यस्यैकनिश्वासितकालमथावलम्बय जीवन्ति लोमविलजा जगदण्डनाथाः।।
विष्णुर्महान् सैहयस्य कलाविशेषो।
गोविन्दमादि पुरुषं तमहं भजामि ।।
हिंदी अनुवाद:
"अनन्त ब्रह्माण्डों में से प्रत्येक ब्रह्माण्ड के शंकर, ब्रह्मा और विष्णु, महाविष्णु के श्वास भीतर लेने पर उनके शरीर के रोमों से प्रकट होते हैं और श्वास बाहर छोड़ने पर पुनः उनमें विलीन हो जाते हैं। मैं, उन श्रीकृष्ण की वन्दना करता हूँ जिनके महाविष्णु विस्तार हैं।"
ब्रह्म वैवर्त पुराण
ब्रह्मखण्ड (अध्याय १७)
ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवेश्वर, देवसमूह और चराचर प्राणी- ये सब आप भिन्न-भिन्न ब्रह्माण्डोंमें अनेक हैं। उन ब्रह्माण्डों हैं और देवताओंकी गणना करनेमें कौन समर्थ है? उन सबके एकमात्र स्वामी भगवान् श्रीकृष्ण हैं,
Oh my God abhi Puri pura Ek pareshani bahut pareshani ho gai
श्री ब्रह्मसंहिता ५.४४
सृष्टि-स्थिति-प्रलय-साधना-शक्तिर एका
चयेव यस्य भुवनानि बिभारती दुर्गा
इच्छानुरूपम अपि यस्य च चेष्टते सा
गोविंदम् आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि
हिंदी अनुवाद:
बाह्य शक्ति माया जो कि चित् शक्ति की छाया के समान प्रकृति की है, सभी लोग दुर्गा के रूप में पूजित हैं, जो इस सांसारिक जगत की सृजन, पालन और संहार करने वाली हैं। मैं आदि भगवान गोविंद की पूजा करता हूँ, जिनकी इच्छा के अनुसार दुर्गा अपना आचरण करती हैं।
गर्ग संहिता, मथुराखण्ड : अध्याय 15
कृष्णः शिवस्त्वं च शीवा शिवार्था
विष्णुः प्रभुस्त्वं किल वैष्णवी परा ॥
श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् शिव हैं और श्रीराधिका कल्याण करने वाली पार्वती हैं। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् विष्णु हैं और श्रीराधिका निश्चय ही उनकी लक्ष्मी पराशक्ति वैष्णवी हैं।
भागवत गीता
अध्याय ,10 श्लोक25
महर्षीणां भृगुरहं गिरामरम्येकमक्षरम् ।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः
हिंदी अनुवाद:
मैं महर्षियों में भृगु हूँ, ध्वनियों में दिव्य ॐ हूँ। मुझे यज्ञों में जपने वाला पवित्र नाम समझो। अचल पदार्थों में मैं हिमालय हूँ।
Kyon yah Sant Pareshan rahte hain bolo bhai sahab bahut Dil Dukhi hua Vishwas uth Gaya devtaon per Mere Sath bhi Aisa hua tha
Tum abhi bacche ho😅😅
संत भगवान का कुटिया कहा पर है नाम बताए
8191983782 प्रभु जी आप सम्पर्क कर लीजिए
भगवान से मिलना सहज नही है
Jab tak Mata Lakshmi Prasad Nahin Hogi Kuchh Nahin Hoga bhai sahab
भाई तुम लोग वीडियो बनाने चले जाते हो पैसा कमाने के लिये आपने स्वार्थ हेतु लेकिन संतो कि मदद नहीं करते वाह वाह तुम जैसे लोगो कि वजह से ही कलयुग है
bhaiya g aisa nhi hai....
inki aur video dekho....
aapko tb pta chalega
माफी चाहूँगा बुरा मत मानिएगा पहले आप हमारे माध्यम से जो भी वीडियो डाली गई हैं उन्हें एक बार देखें प्रभु
राधे राधे
🌙 हर हर महादेव