"आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ हर महीने 30 लाइव सत्र ✨ 35,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 200+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
भगवद्गीता मे जो कहा गया है कि शरीर के मर जाने पर भी जो भीतर आत्मा है वो नही मरती,,तो आत्मा शरीर के भीतर कैसे है,,ये समझ मे नही आया,,क्योंकि आचार्य जी ने तो कहा है कि आत्मा शरीर के भीतर नही होती,, confusion है आप समझा सकते है?
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏 आज की मेरी सिख 1. इस शरीर के अंदर कोई नहीं बैठा है कोई आत्मा जैसा ये सब केमिकल का खेल है केमिकल के बजह से ही ये सब काम, क्रोध लोभ उत्पन्न होते हैं ,, ये शरीर प्रकृति का पुतला भर है बस, जैसे समुद्र की लहरें उठती हैं कुछ देर के लिए और फिर वो उसी समुद्र में फिर चली जाती है वैसे ही ये हमारा शरीर एस प्राकृत में एक लहर है जो उठा है कुछ देर के लिए, और फिर इसी प्राकृत में चला जाएगा... (80 saal ) 2- ये आत्मा की अवधारणाएं स्मृति में ही पाई जाती हैं क्योंकि इसे कोई मानव ने ही लिखा है। तो गलतिया हो सकती है .. जब स्मृति में ऐसा कुछ दिखे जो श्रुति को फॉलो नहीं कर रहा है उसे हमे इग्नोर कर देना है... क्योंकि श्रुति को किसी ने इंसान ने नहीं लिखा है ये जो है सच वही से आ रहा है... मतलब बेहतर तो यही है ना... इसके लिए हमें वेदांत को फॉलो करना है 3- हमारा ये शरीर हर पल बदल रही है हर पल हम वो नहीं होते जो थे ,,, हमें कल के बारे में नहीं सोचना है कि क्या होगा, कल जो कुछ भी होगा वो कल का है वो कल होगा पर आज है अभी है ये फिर नहीं आएगा हमें इस आज को, अभी को जीना है.. कल तो है ही कल जो भी होगा वो आज से नया होगा... इसलिए कल की फिक्र हमें नहीं करनी है हमें अभी मे जीना है धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏
धार्मिक उन्माद के इस दौर में जहां सच्चे आदमी को धर्म से नफरत होने लगी थी, आचार्य जी ने एक महान काम किया है की धर्म सच्चा अर्थ बताया है. शतशः नमन आचार्य
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा। यथा संभव दान💸 करें।🫵कौन-कौन चाहता है आचार्य जी का चैनल 100✓Milion का हो।🥰
"आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
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What about Nagarjuna,Dharmakirti?
साधो सांचा सुरमा,
कबहू न पहिरे लोह।
जीवन के बंध खोल के,
छाड़े तन का मोह।।
अहम् का मिटना ही प्रतीक तौर पर आत्मा कहा जाता है।
वास्तव में जो लोग आत्मा को शरीर के भीतर स्थापित मानते हैं वो घोर अधार्मिक लोग हैं।🙏🏻❌
अध्यात्म : अहंकार को उसके दुख से मुक्त कराने हेतु।
श्रीप्रशान्त जी आपकी बातें हमारे लिए ईश्वर का सन्देश हैं क्युके आपकी बातें बहुत ज़्यादा अलग और ख़ास होती हैं🗣️✨🙏🏻
Right brother I agree
Yes brother 👍
Ye baat to Zahir hai ✔️
Humare acharya ji bhagwan hi hai. Humare liye❣️ 🙏❣️
Jai shri Acharya Prashant 🔥🔥
अहम का ए जान लेना की वो नहीं है । - आत्मा कहलाता है।
बोध ही आत्मा है, आत्मा का शरीर से कोई संबंध नहीं होता--आचार्य प्रशांत जी 🙏🙏
शरीर को सारी गतियां रासायनिक हैं।❤❤
नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयति।
प्रकृति से अपने को परे जान लेना ही आत्मा है....।
आत्मा का शरीर से कोई संबंध नहीं होता।
साकाम कर्म हमेशा भविष्य मै होगा
और निष्काम कर्म हमेशा वर्तमान मै .
ना मैं देह हूँ और ना ये देह मेरी है, मैं तो विशुद्ध बोध मात्र हूँ..
~AP❤
अध्यात्म सिर्फ़ इसलिए है कि अहंकार को कुछ लाभ हो पाए।
सभी लोग आचार्य जी को सुनने के बाद चिंतन लिखना ना भूले और गीता सत्र में शामिल हों जल्दी से जल्दी से
जो इस पल को व्यर्थ नहीं करता वह जीना शुरू कर देता है। जो कल के भरोसे रहता है वो मृत्यु के भरोसे है।
😌✨🙄🪦
👏👏👏👏
स्व प्रकाशित अहम को ही आत्मा बोलते है।
जो कल के भरोसे रहता है वो मृत्यु के भरोसे है ✨️🙏🏻❤️
इस बार की दिवाली, आचार्य जी की शिक्षाओं वाली।😊🎉
अध्यात्म सिर्फ इसलिए है कि अहंकार को कुछ लाभ हो पाए
आत्मा को देह मे स्थापित मान लेना ही माया है। आत्मा का शरिर से कोई संबंध नही है।
पुराण की वही बाते मानी जाएंगी जो उपनिषदों से मेल खाती है.....।
आचार्य जी
चाह गई चिंता मिटी ,मनवा बे -परवाह , जिनको कछु न चाहिए ,वे साहन के साह। ☝️
सत्य आत्मा है सत्य प्रकृति से खुद को परे जान लेना है
प्रकृति को स्वयं से को परे जान लेना ही आत्मा है - आचार्य जी
अहम के मिटने को ही आत्मा कहते हैं - आचार्य जी
अहम् का ये जान लेना कि वो नहीं है आत्मा कहलाता है।
🙏 🙏❤
स्वयं को देहि जानना ही दुःख का कारण है। स्वयं को आत्मा जानना अर्थात आत्मज्ञान ही मुक्ति है। 🙏
"Memory deceives with false continuity"
~AP❤
आत्मा का शरीर से कोई संबंध नहीं है।
हमारी बड़ी से बड़ी भूल ही देश के बर्बादी का कारण भी बन रही है🤔?💥🌍
जो इस पल को व्यर्थ नहीं करता वो जीना शुरू कर देता है,जो कल के भरोसे रहता है वो मृत्यु के भरोसे रहता है, कल का अर्थ ही है मृत्यु मात्र।।
🙏🙏🙏🙏
जो तत्व हमारे भीतर है वो हमारे शरीर से कैसे अलग हो सकता है ??? 🔱🕉️
Jai ho aacharya parshant ji
मैं नित्य शुद्ध आत्मा हूं। 🔱🕉️
तुम बोध मात्र हो - आचार्य जी
"वास्तव में जो लोग आत्मा को शरीर के भीतर स्थापित मानते हैं वो घोर अधार्मिक लोग हैं।"
घौर अधार्मिक तो वो हैं जो धर्म का सहारा लेकर अधार्मिक काम करते हैं हिंसा करते हैं आत्मा के बारे सोचना समझना गहन चिंतन करना अलग बात है
❤❤❤❤
आत्मबोध ही आत्मा है,,,,🙏
Ultimate truth: Be free from fear and have faith in divine.
Hame hamara Krishna mil Gaya
Dhanyawad Acharya Prashant ji
❤
❤❤ विकसित❤ भारत के सबसे बड़े🎉 गुरु बनेंगे।। हमारे😊 आचार्य जी।।।🎉🎉
आत्मा का देह से कोई संबंध नहीं होता है जब हम आत्मा से देह का संबंध मानते हैं यही मिथ्या है यही माया है - आचार्य जी
Thank you Acharya ji jo aapne sharir se upar uthakar Jina sikaya hai
जो लोग आत्मा को शरीर में स्थापित मानते है वो घोर अधार्मिक आदमी है।❤❤❤❤
ना मैं देह हूं , ना देह मेरी है।।❤
आत्मा अपनी, प्रकृति पराई 🙏🙏
🪔🪔📖 बोधोहम् 📚🪔🪔
देह प्रकृति का बुलबुला है।
आत्मा: आख़िरी सत्य।।
आत्मा बोध है प्राण है जगत का कल्याण है
आत्मा नहीं तो सर्वत्र निरथ्र नाशवान है।❤
आत्मा : विशुद्ध चेतना, प्रज्ञान, बोध।।
वेदांत कहता हैं - सत्य ही आत्मा हैं।❤❤
वेदांत कहता है सत्य है आत्मा ❤❤
प्रकृति के बनाने वाले परमेश्वर को नहीं खोजा जाता अपने आप को को खोजा जाता है।❤
इप का अज्ञान
प्रणाम आचार्य जी 🙏
प्रकृति से अपने को परे जान लेना ही आत्मा है❤❤
पृकुर्ती से अलग कुछ है ही नही
Parnam parshant sir ji..nishabd
❤प्रणाम आचार्य जी!
आत्मा का देह से कोई रिश्ता नहीं है आत्म ही बोध है ब्रह्म ही आत्मा है। आत्मा का शरीर से कोई संबंध नहीं होता। न मैं देह हूं और न देह मेरी है
क्षेत्रज्ञ आत्मबोध हीं है।
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤
शरीर की जो भी गतिविधियाँ हैं उनका सञ्चालक कौन है?
स्वयं शरीर।
आत्मा का कोई पर्यायवाची नहीं हो सकता👥❌
वैसे तो आत्मा को आत्मा भी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि आत्मा सभी उपाधियों और रुपों से परे है।
भगवद्गीता मे जो कहा गया है कि शरीर के मर जाने पर भी जो भीतर आत्मा है वो नही मरती,,तो आत्मा शरीर के भीतर कैसे है,,ये समझ मे नही आया,,क्योंकि आचार्य जी ने तो कहा है कि आत्मा शरीर के भीतर नही होती,, confusion है आप समझा सकते है?
सत सत प्रणाम।
Good morning everyone
आत्मा इतनी छोटी चीज नहीं है कि आप उसको शरीर के भीतर बैठा दो
"Memories deceives with false continuity"
जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी ।
फूटा कुम्भ जल जलहि समाना यह तथ कह्यौ गयानी ॥
जो कोई कल के भरोसे पर रहेगा तो उसका इंतज़ार मृत्यु कर रही हैं बे सबरी से🙄🪦
Tu harr video mai dikh jata hai
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏
आज की मेरी सिख
1. इस शरीर के अंदर कोई नहीं बैठा है कोई आत्मा जैसा ये सब केमिकल का खेल है केमिकल के बजह से ही ये सब काम, क्रोध लोभ उत्पन्न होते हैं ,, ये शरीर प्रकृति का पुतला भर है बस, जैसे समुद्र की लहरें उठती हैं कुछ देर के लिए और फिर वो उसी समुद्र में फिर चली जाती है वैसे ही ये हमारा शरीर एस प्राकृत में एक लहर है जो उठा है कुछ देर के लिए, और फिर इसी प्राकृत में चला जाएगा... (80 saal )
2- ये आत्मा की अवधारणाएं स्मृति में ही पाई जाती हैं क्योंकि इसे कोई मानव ने ही लिखा है। तो गलतिया हो सकती है .. जब स्मृति में ऐसा कुछ दिखे जो श्रुति को फॉलो नहीं कर रहा है उसे हमे इग्नोर कर देना है... क्योंकि श्रुति को किसी ने इंसान ने नहीं लिखा है ये जो है सच वही से आ रहा है... मतलब बेहतर तो यही है ना... इसके लिए हमें वेदांत को फॉलो करना है
3- हमारा ये शरीर हर पल बदल रही है हर पल हम वो नहीं होते जो थे ,,, हमें कल के बारे में नहीं सोचना है कि क्या होगा, कल जो कुछ भी होगा वो कल का है वो कल होगा पर आज है अभी है ये फिर नहीं आएगा हमें इस आज को, अभी को जीना है.. कल तो है ही कल जो भी होगा वो आज से नया होगा... इसलिए कल की फिक्र हमें नहीं करनी है हमें अभी मे जीना है
धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏
बिलकुल
Koi question hi nhi raha ab to jb se acharya prashant sir se judge Gaye.....
❤from ballia U.P ❤I ❤🙏🙏🙏
पूजनीय आचार्य श्री आपसे हम सामान्य किंतु जिगासु मानवी को सीखने को मिलता है चरण स्पर्श
आत्मा का शरीर से कोई संबंध नहीं है।
ये वीडियो मेरे दिल को झकझोर कर रख दिया और उसमे से सच का पता चला न मै देह हु न देह मेरी है धन्यवाद आचार्य जी 🙏
न मैं शरीर हूं न शरीर मेरी है मैं बोध स्वरूप हूं।।
शरीर से रिश्ता ही दुख का कारण होता है
अज्ञान
बहुत-बहुत धन्यवाद आचार्य जी।
आत्मा इतनी छोटी चीज नही है की उसको शरीर के भीतर बैठा दो ....आत्मा आखरी सत्य है ....।
शतप्रतिषत
"Memory deceives with false continutiy"
मैं बोध हूँ ❤
प्रणाम आचार्य जी ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
धार्मिक उन्माद के इस दौर में जहां सच्चे आदमी को धर्म से नफरत होने लगी थी, आचार्य जी ने एक महान काम किया है की धर्म सच्चा अर्थ बताया है. शतशः नमन आचार्य
❤❤❤wah wah 😍🙏 wah wah wah wah wah wah wah wah wah 😍🙏
प्रकृति से अपने को परे जान लेना ही आत्मा है।।
आत्मा का कोई पर्यायवाची नहीं हो सकता।।❤
Jai shri krishna acharya ji Sadar pradam
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा।
यथा संभव दान💸 करें।🫵कौन-कौन चाहता है आचार्य जी का चैनल 100✓Milion का हो।🥰
Gm Acharya Prashant ji
Aacharya ji parnam
Love you Acharya ji ❤❤❤❤
जय गुरुदेव
अहम का यह जान लेना कि वह नहीं है...."आत्मा" है।
🙏💖
After listening u l feel proud that i am snatani.lfeel proud about vedas.
Aacharya ji🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
माया का मूल आत्म को देह से संबंधित कर देना है और सबसे बड़ी माया का मूल आत्म को देह में स्थापित कर देना है।
❤
श्रुति उच्चतम न्यायालय है।
Body is just chemical action/reactions-APs Ji
आत्म बोध ही आत्मा है ❤
Pranam acharya ji 🙏
जय हो गुरुदेव ❤❤🙏🙏🙏🙏🙏
आत्मा आखरी सत्य है