"आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ हर महीने 30 लाइव सत्र ✨ 35,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 200+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
सत सत प्रणाम आचार्यजी हमेशा मन की दौड़ बाहर के चीजों पर रहती है पद या कोई वस्तु हो क्योंकि जब भी हम कोई कार्य करते हैं उसे समय मौजूद नहीं होते क्योंकि जो तुम्हारे पास है उसका कभी आपने ध्यान ही नहीं किया है जो तुम्हारे पास मौजूद है वह सब पर्याप्त है पर मन की दौड़ तो बाहर की तरफ हैंना कभी अपने अपने हाथों का शुक्रिया अदा किया है जीवन काल में या किसी अपने शारीरिक अंग का धन्यवाद किया हैं क्या। जो आपको मिला है वह कहीं बहुत ज्यादाहै क्योंकि मन की दौड़ तो बाहरीतरफ है।
आचार्य जी आपके शब्दो में प्यार तो बहोत हैं लेकीन उससे कहींं जादा मार...भी हैं यह तेज कितनी सारी जिंदगीया रोशन कर रही हैं.आपकी आवाज हमारी आवाज बन रही हैं.लोगोंको सत्य के प्रती इमानदार बनाने के लिए काम में लग रही हैं.गिलहरी हैं हम प्रयास करते रहेंगे. 🙏🙏
- ज्ञान आता है प्रयोग, प्रश्न, परीक्षण से - परीक्षण(देखने वाले को जानना ) के साथ निरीक्षण(देखना)-> और निरीक्षण ही निर्वाण है निर्वाण-> निष्प्रयत्नता / effortlessness
जो शेर के लिए अच्छा है वह हिरण के लिए मौत है,जो घोड़े के लिए अच्छा है वह घास के लिए मौत है। अंधा वो नहीं जिसे दुनिया नहीं दिखती, अंधा वो है जो स्वयं को नहीं देखता। गहन काम के बावजूद अंदर आराम बना रहे यह है ,मौज का जीवन... जब तक विकल्प बना रहता है तब तक भीतरी निर्लिप्तता बनी रहती है। बाहर रुकना नहीं,भीतर चलना नहीं है। निरीक्षण माने देखना और परीक्षण माने देखने वाले को देखना। -आचार्य प्रशांत जी ❤😇
"तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वो पूरा नहीं पड़ता। और उसको छोड़ भी नहीं सकते। इसका अंजाम यह होता है कि हम और जोड़ते चले जाते हैं। अहंकार इसलिए जोड़ने वाला (additive) होता है।"
मेरे भीतर तो हमेशा शोर मचा रहता है | विकल्पों से आजादी ही नहीं मिलती | मन दौड़ता रहता है कि इसे भी ले लूं और उसे भी | ऐसी परिस्थिति में अपने मन को कैसे रोके? ये बताने का कष्ट कीजिए 🙏
Jo chahiye ya fir sab kuch chahiye agr vo mil bhi gaya to kya kroge uske baad...jitni bhi chizo k piche bhagne ka mn krta hai agr vo sab mil bhi gaya to kya kroge.. or jis bhi chiz ko pane ka mn krta hai kbhi dyan se socha hai ki ye dimag me aayi kaha se kuch bhi pane ki ichcha.. kyuki jo tumne dekha suna nhi vo to apke sapne tk me nhi aa sakte soch me to kya hi ayga or jo soch me aa raha hai vo khi to tumne dekha suna hai.. mtlb jo bhi krne ka mn krta hai vo sab 4 logo ko dehk kr hua hai tumne abi tk koi apni life me khud ka decision nhi banaya hai
Acharya Ji Maine(Jhunnu) ne aaj tak kisi Mahapurush ko nhi dekha Aap aise hi Pahle mahapurush hai Jinko mai dekh rha hu sun rha hu sikh rha hu lagatar❤❤❤❤❤❤
अपने लिए अगर प्रार्थना करो तो यही कि बाहर आराम की ज़िन्दगी न मिले और भीतर काम की ज़िन्दगी न मिले।उस गहन सक्रिय काम के बीच भीतर आराम रहे -आचार्य प्रशांत
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Parnaam ShriPrashant ✨🙏🏻
नमस्कार आचार्य जी ❤😊❤😊❤😊❤😊❤😊❤❤😊❤😊❤
Pranam acharya ji
प्रणाम आचार्य जी ❤🙏🙏
🙏🏾🙏🏾
भारत में लोगो को जिंदगी झंड है पर फिर भी सबको घमंड है । और आचार्य जी सबके घमंड को तोड़ने का सही काम कर रहे है ।
Absolutely right 👍
Gazab baat boli bhai
Tabhi to aj tak aise Guru ko thik me maan nehi mil paya
Sahi kaha❤❤
चाहा गई चिंता मिटि मनवा बेपरवाह जिनको कुछ ना चाहिए वह शाहन के शाह || 🤘✨संत कबीर 🙏
जो शेर के लिए अच्छा है वो हिरण के लिए मौत है। जो घोड़े के लिए अच्छा है वो घास के लिए मौत है। ****आचार्य प्रशांत****
हम दुनिया में रुकने और आराम के लिए नहीं महेनत के लिए आये हैं🙏🏻
आचार्य जी जैसे गुरु को पाके हम सभी धन्य हुए 🙏🙏
Me too
सभी दर्शक को विनंती है आचार्य प्रशांत जी के विङीयो मे जो सिध्दांतीक वाक्य और सुञ गुढ बाते कमेंट मे लिखा करे धन्यवाद
गलत दिशा में बढ़ रही भीड़ का हिस्सा बनने से बेहतर है सही दिशा में अकेले चलो और आचार्य जी सही दिशा के पथ प्रदर्शक हैं
Acharya Ji ❤
निरक्षण माने देखना परीक्षण माने देखने वाले को देखना। जो बार बार अपने आप को देखेगा वो निर्वाण को प्राप्त होगा। यही निष्परियनता है।
❤❤❤❤ बीना किसी स्वार्थ के भला कोन किसकी मदद करता है???
पर आप हर पल चोट खा खा कर
हमारे दुख को काटते हैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी 😊😊😊
कबीरा यह गत अटपटी, चटपट लखि न जाय ।
जब मन की खटपट मिटे, अधर भया ठहराय ।।
~ कबीर साहेब जी 🙏🏻🙏🏻♥️
दौड़त दौड़त दोड़िआ। जेती मन की दौड़🙏🏻🙏🏻
मनवा तो पंछी भया उड़ चला आकाश ऊपर ते गिर पड़ा जाके माया के पास
संत कबीर ❤❤❤❤
गहन काम के बावजूद अंदर आराम बना रहे ये है मौज का जीवन ****आचार्य प्रशांत****
हर एक इंसान के जीवन का अवलोकन बता देते है आचार्य जी।
सत सत प्रणाम आचार्यजी हमेशा मन की दौड़ बाहर के चीजों पर रहती है पद या कोई वस्तु हो क्योंकि जब भी हम कोई कार्य करते हैं उसे समय मौजूद नहीं होते क्योंकि जो तुम्हारे पास है उसका कभी आपने ध्यान ही नहीं किया है जो तुम्हारे पास मौजूद है वह सब पर्याप्त है पर मन की दौड़ तो बाहर की तरफ हैंना कभी अपने अपने हाथों का शुक्रिया अदा किया है जीवन काल में या किसी अपने शारीरिक अंग का धन्यवाद किया हैं क्या। जो आपको मिला है वह कहीं बहुत ज्यादाहै क्योंकि मन की दौड़ तो बाहरीतरफ है।
कहीं भी हम पूरे नहीं हो पाते और यही हमारी हस्ती का बहुत बड़ा दुख है।
आचार्य जी आपके शब्दो में प्यार तो बहोत हैं लेकीन उससे कहींं जादा मार...भी हैं यह तेज कितनी सारी जिंदगीया रोशन कर रही हैं.आपकी आवाज हमारी आवाज बन रही हैं.लोगोंको सत्य के प्रती इमानदार बनाने के लिए काम में लग रही हैं.गिलहरी हैं हम प्रयास करते रहेंगे. 🙏🙏
सर्वोत्कृष्ट जीवन- भीतर से बिल्कुल स्थिर और बाहर से निरंतर चलते रहना - यही स्वर्ग है! 🎉
कबीरा यह गत अटपटी, झटपट लखि न जाय।
जब मन की खटपट मिटे, अधर भया ठहराय।।
~ संत कबीर साहब
भीतर से free, aur bahar bahut kaam....
प्रणाम आचार्य जी🙏🙏🙏
बाहर से श्रम,,भीतर से विश्राम =निस्पृत्ययता(परम सुख)😊:माने मोज
❤❤
Thanks acharya ji🙏
Unstoppable बाहर से और immovable भीतर से। यही स्वर्ग है।
बाहर काम ही काम हो,और भीतर आराम ही आराम हो।यही जीवन का असली आनंद है। अदभुत ज्ञान।धन्यवाद आचार्य जी।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹
निरीक्षण और निष्पति के बीच परीक्षण होना चाहिए ❤ आचार्य जी
Acharya g aap hamare liye wo kr rahe h jo hamare parents teachers or society ko karni chahiye thanks to you ❤
जिन्हे बहुत बहुत दूर जाना हो वो रुकना सीखे❤
शरीर की बीमारियों पर आदमी एक एक कर विजय हासिल करता जा रहा है , मन की बेमारिया बढ़ ती जा रही है बढ़ ती जा रही हैं।
जो कुछ नहीं कर रहा, वो सब कुछ कर जाता है।
निरीक्षण ही निर्वाण का सूत्र है।
मन पर आचार्य जी ने बहुत अच्छा बोला है
सिर्फ अवलोकन करना ही नहीं बल्कि निरीक्षण करते रहना भी जरूरी है
Thank you so much 🙏🙏❤❤❤ bahut Shanti feel ho rha hai
Aap nhi hote to Main Janwar hi rh jata Dhanyawaad Acharya prashant ji 🙏🙏🙏🙏 you are my love.
Thank You ! Acharya Ji🙏🙏
- ज्ञान आता है प्रयोग, प्रश्न, परीक्षण से
- परीक्षण(देखने वाले को जानना ) के साथ निरीक्षण(देखना)-> और निरीक्षण ही निर्वाण है
निर्वाण-> निष्प्रयत्नता / effortlessness
जब तक विकल्प बना रहता है तब तक भीतरी र्निलिप्ता बनी रहती है।
🌞
❤Acharya Prashant ❤
राहत मिली आज ये सुनकर आचार्य जी ❤
बाहर रुकना नहीं है, भीतर चलना नहीं है।
Unstoppable and immovable.
Oh I see you again😮
आचार्य जी नही होते तो ऐ ज्ञान- शरीर समाज संयोग.. मर जाता आदमी फिर भी कोई नही बतता
अंधा वो नहीं जिसे दुनिया नहीं दिखती, अंधा वो जो खुद को नहीं देखता।
निरीक्षण तभी सही, जब परीक्षण सही चले
प्रार्थना : बाहर आराम की जिंदगी न मिले और भीतर काम की जिंदगी न मिले। 🙏
किससे प्रार्थना हो रही है ?
चुनते तो तुम हो है न ?
या फिर यहाँ कोई ईश्वर का concept है?
निरीक्षण तभी सफल होता है जब उसके साथ साथ परीक्षण भी चले।
Sahi baat 👍 acharya ji sat sat naman 🙏🙏🙏
बाहर आराम की जिंदगी न मिले और भीतर आराम की जिंदगी मिलती रहे। यही आनंद है।
Su prabhat jai shree narayan
Parnam acharya ji
निरीक्षण माने देखना और परीक्षण माने देखने वाले को देखना❤❤🙏🙏
अहंकार घटना नहीं जानता बस बढ़ना जानता है।
निरीक्षण माने देखना और परीक्षण माने देखने वाले को देखना❤
निरीक्षण और निष्पति के बीच परीक्षण होना चाहिए। -- आचार्य प्रशांत जी
Jai shri krishna acharya ji Sadar pradam
Pranam acharya ji❤
शत् शत् नमन आचार्य श्री🙏🙏🙏 एवं समस्त श्रोतागण
Ekai shadhau sab sadhau sab shadhau sab shadhau sab jay
Jay Shree Krishna ❤❤❤❤
निरीक्षण ही निर्वाण का सूत्र है।
Unbeatable Acharya
इससे बड़ी बात कुछ हो सकती है की हर छोटी बात में आपको विकल्प आपको सोचना ना पड़े
आचार्य जि 🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏🇳🇵
Effortlessness is the ultimate goal while intense action outside. EGO will increase over time untill effortlessness is not achieved.
जो शेर के लिए अच्छा है वह हिरण के लिए मौत है,जो घोड़े के लिए अच्छा है वह घास के लिए मौत है।
अंधा वो नहीं जिसे दुनिया नहीं दिखती, अंधा वो है जो स्वयं को नहीं देखता।
गहन काम के बावजूद अंदर आराम बना रहे यह है ,मौज का जीवन...
जब तक विकल्प बना रहता है तब तक भीतरी निर्लिप्तता बनी रहती है।
बाहर रुकना नहीं,भीतर चलना नहीं है।
निरीक्षण माने देखना और परीक्षण माने देखने वाले को देखना।
-आचार्य प्रशांत जी ❤😇
Acharya ji 😊😊❤❤❤❤❤
क्योंकि मन चंचल है , स्थिर नहीं। जो किसी भी चीज़ से सेटिस्फाई नही होता , हम दुनिया के मोह माया में बंध गए ।
Yehi hai islie moh mai faskar yeh chkr chlta rehta insaan ka
Man ka tho swabhav hi hai chanchal pan 🙂hum fass tay hai ye galti hamari hai karan gayan ki kami, observation ki kami
आत्म निरीक्षण ही आत्मबोध है.🙏
हम कभी अपना audit नहीं करते कि अब तक जो इकट्ठा कर लिया है उससे मिला क्या ****आचार्य प्रशांत****
प्रणाम आचार्य 🇮🇳🔥🙏🔥🇮🇳
Parnam aacharya ji 🙏🙏🙏🙏🙏
निरीक्षण ➡️ परीक्षण ➡️ निष्पति
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤
नमस्ते आचार्य जी
Gian sunn lehna aasaan hai ....Acharya Prashant jasey ban nah Umar lag jaee ge❤❤❤
हम कभी अपना ऑडिट नहीं करते कि आगे की राह चलना तो ठीक है , ये तो देख लें अभी तक कहां आ गए।
Good morning everyone ❤
Good morning😊 sir🤗
🙏🙏 Acharya ji ❤️
निरीक्षण ही निर्वाण का सूत्र है ❤
Pranam aacharya ji
Good morning sir 🌞🌞🌞🌞🌞🌄🌄🌄🌄
Love you Acharya ji 🙏🙏🙏💕💕💕💕
From Nepal.. 🙏❤️
"तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वो पूरा नहीं पड़ता। और उसको छोड़ भी नहीं सकते। इसका अंजाम यह होता है कि हम और जोड़ते चले जाते हैं। अहंकार इसलिए जोड़ने वाला (additive) होता है।"
Bilkul sahi hai
में एक छोटे से गांव से हु और दिन की शुरुआत आचार्य प्रशांत जी को सुनकर होती है 😊
Mai comment ker raha hu taki Mai apne life me aage kuch v hoga to mai es comment ko padh lunga❤ jise mujhe life ki clarity mil jayega ❤🎉🎉
आचार्य जी आप का विश्लेषण अद्वितीय है. जीवन के यथार्थ को बहुत ही स्पष्ट और सुंदर ढंग से संप्रेषित किया गया है आप को कोटि कोटि धन्यावाद
जब मुक्त हो जाओगे न जो भीतरी आर्तनाद है वो नहीं रहेगा
मेरे भीतर तो हमेशा शोर मचा रहता है | विकल्पों से आजादी ही नहीं मिलती | मन दौड़ता रहता है कि इसे भी ले लूं और उसे भी | ऐसी परिस्थिति में अपने मन को कैसे रोके? ये बताने का कष्ट कीजिए 🙏
Jo chahiye ya fir sab kuch chahiye agr vo mil bhi gaya to kya kroge uske baad...jitni bhi chizo k piche bhagne ka mn krta hai agr vo sab mil bhi gaya to kya kroge.. or jis bhi chiz ko pane ka mn krta hai kbhi dyan se socha hai ki ye dimag me aayi kaha se kuch bhi pane ki ichcha.. kyuki jo tumne dekha suna nhi vo to apke sapne tk me nhi aa sakte soch me to kya hi ayga or jo soch me aa raha hai vo khi to tumne dekha suna hai.. mtlb jo bhi krne ka mn krta hai vo sab 4 logo ko dehk kr hua hai tumne abi tk koi apni life me khud ka decision nhi banaya hai
Jis din khud ko jaan loge us din kisi se kbhi bhi kuch bhi puchne ki jarurat nhi rahegi.. ki apni life me kya kru
Good moring sir🙏
आपको कोटीकोटी नमन हम युवा पिढीँको मार्गदर्शन करनेके लिए।🙏
Acharya Ji Maine(Jhunnu) ne aaj tak kisi Mahapurush ko nhi dekha Aap aise hi Pahle mahapurush hai Jinko mai dekh rha hu sun rha hu sikh rha hu lagatar❤❤❤❤❤❤
न मै न मेरा!
"तुम कुछ भी अपने लिए अच्छा मान सकते हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो अच्छा है। आँखों को भी तो अहंकार चलाता है।"
अपने लिए अगर प्रार्थना करो तो यही कि बाहर आराम की ज़िन्दगी न मिले और भीतर काम की ज़िन्दगी न मिले।उस गहन सक्रिय काम के बीच भीतर आराम रहे -आचार्य प्रशांत
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏🙏
Acharya ji ko sunn ke aisa lgta aisi thinking hum saare logo me bhi ho to aaj humare desh se andhvishwas, bani banayi dharnaye khatam ho jaati🙏
Gd mg 🎉
भीतर से चल नहीं सकते और बाहर से रुक नहीं सकते। यही है निष्काम कर्म।
छोटी छोटी बात में विकल्प नहीं खड़ा होगा सोचना नहीं पड़ेगा