🍀🍁 *DAAWAT ME MUKHTASAR MAWAAD* 🍁🍀 *1. Hum sabka Khaliq* 6 : سورة الأنعام 102 ذٰلِکُمُ اللّٰہُ رَبُّکُمۡ ۚ لَاۤ اِلٰہَ اِلَّا ہُوَ ۚ خَالِقُ کُلِّ شَیۡءٍ فَاعۡبُدُوۡہُ ۚ وَ ہُوَ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ وَّکِیۡلٌ ﴿۱۰۲﴾ यह है अल्लाह तुम्हारा रब उसके सिवा कोई माबूद नहीं, वही हर चीज़ का ख़ालिक़ है पस तुम उसी की इबादत करो, और वह हर चीज़ का कारसाज़ है। *2. Khaliq Qadir ho Majboor nahi.* 16 : سورة النحل 20 وَ الَّذِیۡنَ یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ لَا یَخۡلُقُوۡنَ شَیۡئًا وَّ ہُمۡ یُخۡلَقُوۡنَ ﴿ؕ۲۰﴾ और जिनको लोग अल्लाह के सिवा पुकारते हैं वह किसी चीज़ को पैदा नहीं कर सकते और वे ख़ुद पैदा किए हुए हैं। *3. Makhlooq Be-Bass hote hain.* 16 : سورة النحل 21 اَمۡوَاتٌ غَیۡرُ اَحۡیَآءٍ ۚ وَ مَا یَشۡعُرُوۡنَ ۙ اَیَّانَ یُبۡعَثُوۡنَ ﴿٪۲۱﴾ वे मुर्दा हैं जिनमें जान नहीं, और वे नहीं जानते कि वे कब उठाए जाएंगे। *4. Tum kisko poojte ho?* 37 : سورة الصافات 95 قَالَ اَتَعۡبُدُوۡنَ مَا تَنۡحِتُوۡنَ ﴿ۙ۹۵﴾ उस ने कहा, "क्या तुम उन को पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो, وَ اللّٰہُ خَلَقَکُمۡ وَ مَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۹۶﴾ जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उन को भी, जिन्हें तुम बनाते हो?" *5. Jisko Tum poojte ho uski BeBassi toh dekho* 22 : سورة الحج 73 یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌ فَاسۡتَمِعُوۡا لَہٗ ؕ اِنَّ الَّذِیۡنَ تَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ لَنۡ یَّخۡلُقُوۡا ذُبَابًا وَّ لَوِ اجۡتَمَعُوۡا لَہٗ ؕ وَ اِنۡ یَّسۡلُبۡہُمُ الذُّبَابُ شَیۡئًا لَّا یَسۡتَنۡقِذُوۡہُ مِنۡہُ ؕ ضَعُفَ الطَّالِبُ وَ الۡمَطۡلُوۡبُ ﴿۷۳﴾ ऐ लोगों! एक मिसाल पेश की जाती है। उसे ध्यान से सुनो, अल्लाह से हटकर तुम जिन्हें पुकारते हो वे एक मक्खी भी पैदा नहीं कर सकते। यद्यपि इस के लिए वे सब इकट्ठे हो जाएँ और यदि मक्खी उन से कोई चीज़ छीन ले जाए तो उस से वे उस को छुड़ा भी नहीं सकते। बेबस और असहाय रहा चाहने वाला भी (उपासक) और उस का अभीष्ट (उपास्य) भी *6. Kamzor ki Pooja kyun?* 19 : سورة مريم 42 لِمَ تَعۡبُدُ مَا لَا یَسۡمَعُ وَ لَا یُبۡصِرُ وَ لَا یُغۡنِیۡ عَنۡکَ شَیۡئًا ﴿۴۲﴾ "आप उस चीज़ को क्यों पूजते हो, जो न सुने और न देखे और न आप के कुछ काम आए? *7. Qudrat wale se maango!* 3 : سورة آل عمران 26 قُلِ اللّٰہُمَّ مٰلِکَ الۡمُلۡکِ تُؤۡتِی الۡمُلۡکَ مَنۡ تَشَآءُ وَ تَنۡزِعُ الۡمُلۡکَ مِمَّنۡ تَشَآءُ ۫ وَ تُعِزُّ مَنۡ تَشَآءُ وَ تُذِلُّ مَنۡ تَشَآءُ ؕ بِیَدِکَ الۡخَیۡرُ ؕ اِنَّکَ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ قَدِیۡرٌ ﴿۲۶﴾ (ऐ नबी) आप कहिए कि ऐ अल्लाह! आप सलतनत के मालिक हैं, आप जिसे चाहें सलतनत से नवाज़ें और जिससे चाहें सल्तनत छीन लें, और आप जिसे चाहें इज़्ज़त दें और जिसे चाहें ज़लील कर दें, आप ही के हाथ में हैं सब भलाई, बेशक आप हर चीज़ पर क़ादिर हैं। *8. Allah ke Sifaat* 2 : سورة البقرة 255 اَللّٰہُ لَاۤ اِلٰہَ اِلَّا ہُوَۚ اَلۡحَیُّ الۡقَیُّوۡمُ ۬ ۚ لَا تَاۡخُذُہٗ سِنَۃٌ وَّ لَا نَوۡمٌ ؕ لَہٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَ مَا فِی الۡاَرۡضِ ؕ مَنۡ ذَا الَّذِیۡ یَشۡفَعُ عِنۡدَہٗۤ اِلَّا بِاِذۡنِہٖ ؕ یَعۡلَمُ مَا بَیۡنَ اَیۡدِیۡہِمۡ وَ مَا خَلۡفَہُمۡ ۚ وَ لَا یُحِیۡطُوۡنَ بِشَیۡءٍ مِّنۡ عِلۡمِہٖۤ اِلَّا بِمَا شَآءَ ۚ وَسِعَ کُرۡسِیُّہُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ ۚ وَ لَا یَئُوۡدُہٗ حِفۡظُہُمَا ۚ وَ ہُوَ الۡعَلِیُّ الۡعَظِیۡمُ ﴿۲۵۵﴾ अल्लाह वह है कि उसके सिवा कोई माबूद नहीं, वह ज़िन्दा है, सबका थामने वाला है, उसे न ऊँघ आती है और न ही नींद, उसी का है जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है, कौन है जो उसके पास उसकी इजाज़त के बग़ैर सिफ़ारिश करे, वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, और वे किसी चीज़ को जान नहीं सकते उसके इल्म में से मगर जो वह चाहे, उसकी हकूमत छाई हुई है आसमानों और ज़मीन पर, और उस पर भारी नहीं है ज़मीन व आसमान की हिफ़ाज़त करना, और वही है बुलंद मर्तबे वाला, अज़मतों वाला। *9. Woh Muhtaaj nahi balke sab uske Muhtaaj* 35 : سورة فاطر 15 یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ اَنۡتُمُ الۡفُقَرَآءُ اِلَی اللّٰہِ ۚ وَ اللّٰہُ ہُوَ الۡغَنِیُّ الۡحَمِیۡدُ ﴿۱۵﴾ ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है *10. Haqeeqi Ma'bood ki Sifat* 112 : سورة الإخلاص 1 قُلۡ ہُوَ اللّٰہُ اَحَدٌ ۚ﴿۱﴾ कहो, "वह अल्लाह यकता है, اَللّٰہُ الصَّمَدُ ۚ﴿۲﴾ अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है, لَمۡ یَلِدۡ ۬ ۙ وَ لَمۡ یُوۡلَدۡ ۙ﴿۳ ﴾ न वह जनिता है और न जन्य, وَ لَمۡ یَکُنۡ لَّہٗ کُفُوًا اَحَدٌ ٪﴿۴﴾ और न कोई उस का समकक्ष है।" Inn Aayaton ke zariya Daawat den. Inn Shaa Allah! Daawat mufeed hogi. Aur Khaas kar Arabic Aayaten zaroor parhen iska khaas asar hota hai jo ki Translation me nahi hota.
شكر الله سعيكم
Mashaallah
Jazak Allahu khairan kaseera
Jazakallahu Khair wa ahsanul jazaa...
Maa Shaa Allah!👍
JazakAllahu Khairan!
Masha allha
Beshak
Mashallah
Jazakallahu khairan
🍀🍁 *DAAWAT ME MUKHTASAR MAWAAD* 🍁🍀
*1. Hum sabka Khaliq*
6 : سورة الأنعام 102
ذٰلِکُمُ اللّٰہُ رَبُّکُمۡ ۚ لَاۤ اِلٰہَ اِلَّا ہُوَ ۚ خَالِقُ کُلِّ شَیۡءٍ فَاعۡبُدُوۡہُ ۚ وَ ہُوَ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ وَّکِیۡلٌ ﴿۱۰۲﴾
यह है अल्लाह तुम्हारा रब उसके सिवा कोई माबूद नहीं, वही हर चीज़ का ख़ालिक़ है पस तुम उसी की इबादत करो, और वह हर चीज़ का कारसाज़ है।
*2. Khaliq Qadir ho Majboor nahi.*
16 : سورة النحل 20
وَ الَّذِیۡنَ یَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ لَا یَخۡلُقُوۡنَ شَیۡئًا وَّ ہُمۡ یُخۡلَقُوۡنَ ﴿ؕ۲۰﴾
और जिनको लोग अल्लाह के सिवा पुकारते हैं वह किसी चीज़ को पैदा नहीं कर सकते और वे ख़ुद पैदा किए हुए हैं।
*3. Makhlooq Be-Bass hote hain.*
16 : سورة النحل 21
اَمۡوَاتٌ غَیۡرُ اَحۡیَآءٍ ۚ وَ مَا یَشۡعُرُوۡنَ ۙ اَیَّانَ یُبۡعَثُوۡنَ ﴿٪۲۱﴾
वे मुर्दा हैं जिनमें जान नहीं, और वे नहीं जानते कि वे कब उठाए जाएंगे।
*4. Tum kisko poojte ho?*
37 : سورة الصافات 95
قَالَ اَتَعۡبُدُوۡنَ مَا تَنۡحِتُوۡنَ ﴿ۙ۹۵﴾
उस ने कहा, "क्या तुम उन को पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,
وَ اللّٰہُ خَلَقَکُمۡ وَ مَا تَعۡمَلُوۡنَ ﴿۹۶﴾
जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उन को भी, जिन्हें तुम बनाते हो?"
*5. Jisko Tum poojte ho uski BeBassi toh dekho*
22 : سورة الحج 73
یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌ فَاسۡتَمِعُوۡا لَہٗ ؕ اِنَّ الَّذِیۡنَ تَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ لَنۡ یَّخۡلُقُوۡا ذُبَابًا وَّ لَوِ اجۡتَمَعُوۡا لَہٗ ؕ وَ اِنۡ یَّسۡلُبۡہُمُ الذُّبَابُ شَیۡئًا لَّا یَسۡتَنۡقِذُوۡہُ مِنۡہُ ؕ ضَعُفَ الطَّالِبُ وَ الۡمَطۡلُوۡبُ ﴿۷۳﴾
ऐ लोगों! एक मिसाल पेश की जाती है। उसे ध्यान से सुनो, अल्लाह से हटकर तुम जिन्हें पुकारते हो वे एक मक्खी भी पैदा नहीं कर सकते। यद्यपि इस के लिए वे सब इकट्ठे हो जाएँ और यदि मक्खी उन से कोई चीज़ छीन ले जाए तो उस से वे उस को छुड़ा भी नहीं सकते। बेबस और असहाय रहा चाहने वाला भी (उपासक) और उस का अभीष्ट (उपास्य) भी
*6. Kamzor ki Pooja kyun?*
19 : سورة مريم 42
لِمَ تَعۡبُدُ مَا لَا یَسۡمَعُ وَ لَا یُبۡصِرُ وَ لَا یُغۡنِیۡ عَنۡکَ شَیۡئًا ﴿۴۲﴾
"आप उस चीज़ को क्यों पूजते हो, जो न सुने और न देखे और न आप के कुछ काम आए?
*7. Qudrat wale se maango!*
3 : سورة آل عمران 26
قُلِ اللّٰہُمَّ مٰلِکَ الۡمُلۡکِ تُؤۡتِی الۡمُلۡکَ مَنۡ تَشَآءُ وَ تَنۡزِعُ الۡمُلۡکَ مِمَّنۡ تَشَآءُ ۫ وَ تُعِزُّ مَنۡ تَشَآءُ وَ تُذِلُّ مَنۡ تَشَآءُ ؕ بِیَدِکَ الۡخَیۡرُ ؕ اِنَّکَ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ قَدِیۡرٌ ﴿۲۶﴾
(ऐ नबी) आप कहिए कि ऐ अल्लाह! आप सलतनत के मालिक हैं, आप जिसे चाहें सलतनत से नवाज़ें और जिससे चाहें सल्तनत छीन लें, और आप जिसे चाहें इज़्ज़त दें और जिसे चाहें ज़लील कर दें, आप ही के हाथ में हैं सब भलाई, बेशक आप हर चीज़ पर क़ादिर हैं।
*8. Allah ke Sifaat*
2 : سورة البقرة 255
اَللّٰہُ لَاۤ اِلٰہَ اِلَّا ہُوَۚ اَلۡحَیُّ الۡقَیُّوۡمُ ۬ ۚ لَا تَاۡخُذُہٗ سِنَۃٌ وَّ لَا نَوۡمٌ ؕ لَہٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَ مَا فِی الۡاَرۡضِ ؕ مَنۡ ذَا الَّذِیۡ یَشۡفَعُ عِنۡدَہٗۤ اِلَّا بِاِذۡنِہٖ ؕ یَعۡلَمُ مَا بَیۡنَ اَیۡدِیۡہِمۡ وَ مَا خَلۡفَہُمۡ ۚ وَ لَا یُحِیۡطُوۡنَ بِشَیۡءٍ مِّنۡ عِلۡمِہٖۤ اِلَّا بِمَا شَآءَ ۚ وَسِعَ کُرۡسِیُّہُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ ۚ وَ لَا یَئُوۡدُہٗ حِفۡظُہُمَا ۚ وَ ہُوَ الۡعَلِیُّ الۡعَظِیۡمُ ﴿۲۵۵﴾
अल्लाह वह है कि उसके सिवा कोई माबूद नहीं, वह ज़िन्दा है, सबका थामने वाला है, उसे न ऊँघ आती है और न ही नींद, उसी का है जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है, कौन है जो उसके पास उसकी इजाज़त के बग़ैर सिफ़ारिश करे, वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, और वे किसी चीज़ को जान नहीं सकते उसके इल्म में से मगर जो वह चाहे, उसकी हकूमत छाई हुई है आसमानों और ज़मीन पर, और उस पर भारी नहीं है ज़मीन व आसमान की हिफ़ाज़त करना, और वही है बुलंद मर्तबे वाला, अज़मतों वाला।
*9. Woh Muhtaaj nahi balke sab uske Muhtaaj*
35 : سورة فاطر 15
یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ اَنۡتُمُ الۡفُقَرَآءُ اِلَی اللّٰہِ ۚ وَ اللّٰہُ ہُوَ الۡغَنِیُّ الۡحَمِیۡدُ ﴿۱۵﴾
ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है
*10. Haqeeqi Ma'bood ki Sifat*
112 : سورة الإخلاص 1
قُلۡ ہُوَ اللّٰہُ اَحَدٌ ۚ﴿۱﴾
कहो, "वह अल्लाह यकता है,
اَللّٰہُ الصَّمَدُ ۚ﴿۲﴾
अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है,
لَمۡ یَلِدۡ ۬ ۙ وَ لَمۡ یُوۡلَدۡ ۙ﴿۳ ﴾
न वह जनिता है और न जन्य,
وَ لَمۡ یَکُنۡ لَّہٗ کُفُوًا اَحَدٌ ٪﴿۴﴾
और न कोई उस का समकक्ष है।"
Inn Aayaton ke zariya Daawat den.
Inn Shaa Allah! Daawat mufeed hogi.
Aur Khaas kar Arabic Aayaten zaroor parhen iska khaas asar hota hai jo ki Translation me nahi hota.
Assalam aleikum. Sahi hai arbic se hi samjhna madoo ko
@@Itsnaif121sheikh
Sheik ne ulama aur awaami duwat k darmiyan ache talluqat k bare me kaha hai use clip banakat upload karein